hotaks444
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हम ने अपने हाथ का ड्रिंक ख़तम किया और एक नये ड्रिंक का ऑर्डर दिया. उस की कोहनी मेरी तनी हुई, कड़क चुचियों को टच कर रही थी और मैं रोमांचित हो रही थी. मैने भी अपना हाथ टेबल के नीचे किया और उस के लंड को उस की पॅंट के उपर से ही हाथ लगाया. जैसी कि मुझे उम्मीद थी, उस का लंड पूरी तरह खड़ा हुआ, कड़क था. रेस्टोरेंट की रोशनी काफ़ी धीमी थी और धीरे धीरे संगीत बाज रहा था. वातावरण बिल्कुल रोमॅंटिक था. इस रोमॅंटिक वातावर्ण और हमारी सेक्सी बातों के वजह से हम दोनो ही चुदाई के लिए मचलने लगे. पर हम जानते थे कि यहाँ चुदाई करना पासिबल नही है, पर जितना हम कर सकते थे वो हम ने करने की ठान ली. वो मेरी जाँघो पर हाथ फिराने लगा और उसका गरमा गरम खड़ा हुआ कड़क लंड मेरी पकड़ मे था. हम दोनो का एक एक हाथ टेबल के नीचे था और हम दोनो ने अपने अपने दूसरे हाथ मे ड्रिंक्स पकड़े हुए थे. मैने इधर उधर देखा. किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नही था और उस समय वहाँ ज़्यादा भीड़ भी नही थी. अधिकतर लोग अपनी फॅमिली के साथ थे और अपने आप मे ही मस्त थे. हमारी तरह दो तीन जवान जोड़े हॉल के अलग अलग कोने मे बैठे हुए थे.
मतलब सॉफ था कि हम किसी की भी नज़र मे आए बिना, टेबल पर बैठे बैठे अपना काम कर सकते थे, पूरा नही तो बहुत कुछ. टेबल का कपड़ा टॅबेल के टॉप से काफ़ी नीचे तक लटका हुआ था इस लिए किसी बात का डर नही था.
मैने उस के पॅंट की ज़िप खोल दी. वो थोड़ा सा चौंका और धीरे से बोला " क्या कर रही हो जूली"
मैं - कुछ नही, बस अपने हथियार को चेक कर रही हूँ.
रमेश - कोई देख लेगा.
मैं - चिंता मत करो. कोई नही देख सकेगा. मैं पूरा ध्यान रखूँगी.
उस ने भी इधर उधर देखा और चेक किया तो वो भी इस के लिए मान गया. मैने उस के खड़े लंड को उसकी पॅंट से, उसकी चड्डी के रास्ते से बाहर निकाल लिया. अब उसका नंगा, गरम और मज़बूत कड़क लंड मेरी हथेली मे था, टेबल के नीचे, एक रेस्टोरेंट मे, कई लोगों के बीच मे मैने उस का लंड पकड़ा हुआ था. मैं एक अड्वेंचर पसंद लड़की हूँ और मुझे हमेशा मज़ा आता है ऐसी हरकत करने मे, खास कर के किसी पब्लिक प्लेस पर, कई लोगों के बीच, बिना किसी को पता चले मैं अपना काम कर जाती हूँ. मैने अपनी लाइफ मे ऐसा कई बार किया है और किसी को भी कभी पता नही चला. और जब भी मौका मिलेगा, ऐसा ही करूँगी. उस ने अपना टेबल नॅपकिन रेडी रखा था ताकि किसी ज़रूरत के समय वो अपना नंगा लंड ढक सके.
उस ने भी अपना हाथ बढ़ा कर मेरी स्कर्ट थोड़ी उपर करदी थी. मैने भी अपनी गंद उठा कर उस की हेल्प की. अब उस की उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर थी और मैं जानती थी कि उस के लिए मेरी चड्डी मे हाथ डाल कर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. वो अपना हाथ मेरी थोड़ी सी गीली हो चुकी चड्डी पर फिरा रहा था. मैने अपने पैर थोड़े से चौड़े कर्लिये ताकि वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत पर चड्डी के उपर से आराम से फिरा सके. एक दो बार उस ने अपनी उंगली मेरी चड्डी की साइड से अंदर डालने की कोशिस की पर बैठे होने के कारण मेरी चड्डी टाइट हो गई थी और जिस तरह हम पास पास बैठे थे, उस की उंगलियों का मेरी चड्डी के अंदर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. अब ये बात वो भी समझ चुका था और वो मेरी चूत के मूह पर मेरी चड्डी के उपर से ही हाथ फिरा रहा था. हम दोनो का एक एक हाथ टेबल के नीचे अपना अपना काम कर रहा था और अपने दूसरे हाथ से ड्रिंक पीते हुए हम आपस मे धीरे धीरे बातें कर रहे थे.
मैं बोली - कैसा लग रहा है डियर !
रमेश - जूली ! तुम बहुत शानदार लड़की हो. तुम ये अच्छी तरह जानती हो कि किस मौके का किस तरह फ़ायदा उठाया जा सकता है. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. तुम को कैसा लग रहा है ? मैं तुम्हारे प्यार के दरवाजे पर डाइरेक्ट हाथ नही लगा पा रहा हूँ.
मैं - कोई बात नही. मुझे तुम्हारे हाथ का अपनी चड्डी के उपर से पूरा पूरा मज़ा आ रहा है. क्या इस तरह कभी तुम ने अंजू के साथ किया है?
रमेश - नही यार. हम बाहर नही मिल सकते. जब भी मौका मिलता है, मैं उस के बेडरूम मे जाता हूँ और हम जल्दी जल्दी चुदाई कर लेते है क्यों कि हमेशा टाइम बहुत कम होता है हमारे के पास.
मैं - अंजू की चूत मेरी चूत के मुक़ाबले ज़्यादा कसी हुई होगी ना ? क्यों कि तुम अकेले हो जो उस की चुदाई करते हो और वो भी महीने मे 4/5 बार.
रमेश - नही. मुझे तुम्हारी और उसकी चूत मे कोई ज़्यादा फरक नही लगता है. हां, एक फ़र्क है, तुम हमेशा अपनी चूत के बाल साफ रखती हो और अंजू उन को ट्रिम करके रखती है. पर ये सब तुम क्यों पूछ रही हो?
मैं - ऐसे ही. कोई विशेष कारण नही है. क्या तुम को उस को चोद कर मज़ा आता है ?
रमेश ने मेरी तरफ देखा और बोला - " जूली ! मैं तुम से प्यार करता हूँ और मुझे तुम्हारे साथ मज़ा आता है. हम जल्दी ही शादी करने वाले है और हम को अपने शादी के पहले के संबंधो को पीछे छ्चोड़ कर भुला देना है."
मैं - इस मॅटर मे इतना सीरीयस होने की ज़रूरत नही है. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही हूँ. वो कैसी दिखती है ?
रमेश - खूबसूरत. पर तुम से ज़्यादा नही.
मैं - हां. ये मैं जानती हूँ. खूबसूरत तो वो ज़रूर होगी. क्यों कि किसी ऐसी वैसी लड़की को तो तुम्हारा लंड लेने का चान्स तो मिलने से रहा.
हम दोनो ही धीरे से मुश्कराए.
मतलब सॉफ था कि हम किसी की भी नज़र मे आए बिना, टेबल पर बैठे बैठे अपना काम कर सकते थे, पूरा नही तो बहुत कुछ. टेबल का कपड़ा टॅबेल के टॉप से काफ़ी नीचे तक लटका हुआ था इस लिए किसी बात का डर नही था.
मैने उस के पॅंट की ज़िप खोल दी. वो थोड़ा सा चौंका और धीरे से बोला " क्या कर रही हो जूली"
मैं - कुछ नही, बस अपने हथियार को चेक कर रही हूँ.
रमेश - कोई देख लेगा.
मैं - चिंता मत करो. कोई नही देख सकेगा. मैं पूरा ध्यान रखूँगी.
उस ने भी इधर उधर देखा और चेक किया तो वो भी इस के लिए मान गया. मैने उस के खड़े लंड को उसकी पॅंट से, उसकी चड्डी के रास्ते से बाहर निकाल लिया. अब उसका नंगा, गरम और मज़बूत कड़क लंड मेरी हथेली मे था, टेबल के नीचे, एक रेस्टोरेंट मे, कई लोगों के बीच मे मैने उस का लंड पकड़ा हुआ था. मैं एक अड्वेंचर पसंद लड़की हूँ और मुझे हमेशा मज़ा आता है ऐसी हरकत करने मे, खास कर के किसी पब्लिक प्लेस पर, कई लोगों के बीच, बिना किसी को पता चले मैं अपना काम कर जाती हूँ. मैने अपनी लाइफ मे ऐसा कई बार किया है और किसी को भी कभी पता नही चला. और जब भी मौका मिलेगा, ऐसा ही करूँगी. उस ने अपना टेबल नॅपकिन रेडी रखा था ताकि किसी ज़रूरत के समय वो अपना नंगा लंड ढक सके.
उस ने भी अपना हाथ बढ़ा कर मेरी स्कर्ट थोड़ी उपर करदी थी. मैने भी अपनी गंद उठा कर उस की हेल्प की. अब उस की उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर थी और मैं जानती थी कि उस के लिए मेरी चड्डी मे हाथ डाल कर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. वो अपना हाथ मेरी थोड़ी सी गीली हो चुकी चड्डी पर फिरा रहा था. मैने अपने पैर थोड़े से चौड़े कर्लिये ताकि वो अपनी उंगलियाँ मेरी चूत पर चड्डी के उपर से आराम से फिरा सके. एक दो बार उस ने अपनी उंगली मेरी चड्डी की साइड से अंदर डालने की कोशिस की पर बैठे होने के कारण मेरी चड्डी टाइट हो गई थी और जिस तरह हम पास पास बैठे थे, उस की उंगलियों का मेरी चड्डी के अंदर मेरी चूत तक पहुँचना मुश्किल था. अब ये बात वो भी समझ चुका था और वो मेरी चूत के मूह पर मेरी चड्डी के उपर से ही हाथ फिरा रहा था. हम दोनो का एक एक हाथ टेबल के नीचे अपना अपना काम कर रहा था और अपने दूसरे हाथ से ड्रिंक पीते हुए हम आपस मे धीरे धीरे बातें कर रहे थे.
मैं बोली - कैसा लग रहा है डियर !
रमेश - जूली ! तुम बहुत शानदार लड़की हो. तुम ये अच्छी तरह जानती हो कि किस मौके का किस तरह फ़ायदा उठाया जा सकता है. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. तुम को कैसा लग रहा है ? मैं तुम्हारे प्यार के दरवाजे पर डाइरेक्ट हाथ नही लगा पा रहा हूँ.
मैं - कोई बात नही. मुझे तुम्हारे हाथ का अपनी चड्डी के उपर से पूरा पूरा मज़ा आ रहा है. क्या इस तरह कभी तुम ने अंजू के साथ किया है?
रमेश - नही यार. हम बाहर नही मिल सकते. जब भी मौका मिलता है, मैं उस के बेडरूम मे जाता हूँ और हम जल्दी जल्दी चुदाई कर लेते है क्यों कि हमेशा टाइम बहुत कम होता है हमारे के पास.
मैं - अंजू की चूत मेरी चूत के मुक़ाबले ज़्यादा कसी हुई होगी ना ? क्यों कि तुम अकेले हो जो उस की चुदाई करते हो और वो भी महीने मे 4/5 बार.
रमेश - नही. मुझे तुम्हारी और उसकी चूत मे कोई ज़्यादा फरक नही लगता है. हां, एक फ़र्क है, तुम हमेशा अपनी चूत के बाल साफ रखती हो और अंजू उन को ट्रिम करके रखती है. पर ये सब तुम क्यों पूछ रही हो?
मैं - ऐसे ही. कोई विशेष कारण नही है. क्या तुम को उस को चोद कर मज़ा आता है ?
रमेश ने मेरी तरफ देखा और बोला - " जूली ! मैं तुम से प्यार करता हूँ और मुझे तुम्हारे साथ मज़ा आता है. हम जल्दी ही शादी करने वाले है और हम को अपने शादी के पहले के संबंधो को पीछे छ्चोड़ कर भुला देना है."
मैं - इस मॅटर मे इतना सीरीयस होने की ज़रूरत नही है. मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही हूँ. वो कैसी दिखती है ?
रमेश - खूबसूरत. पर तुम से ज़्यादा नही.
मैं - हां. ये मैं जानती हूँ. खूबसूरत तो वो ज़रूर होगी. क्यों कि किसी ऐसी वैसी लड़की को तो तुम्हारा लंड लेने का चान्स तो मिलने से रहा.
हम दोनो ही धीरे से मुश्कराए.