hotaks444
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मैं वापस कॉटेज मे आ गई और सोच रही थी उस के बारे मे, जो दो अनोखी चुदाई मैने पिछले दो घंटों मे देखी थी. बहुत ही अलग किस्म की दो चुदाई. आदमी बकरी को चोद रहा था और आदमी लड़के को चोद रहा था.
मैं उस प्यारे से लड़के के बारे मे सोच रही थी. खास करके उसके गुलाबी लंड के बारे मे जो बहुत ही प्यारा लगता था. मैने कभी किसी लड़के का गुलाबी लंड नही देखा था., देखा था तो डार्क कलर का मेरे पापा का लंड, मेरे चाचा का लंड और मेरे प्रेमी का लंड. हां, और उस दिन बकरी चोद्ते आदमी का और लड़के को चोद्ते मदन का लंड. तो ये थी लंड की लिस्ट जो अब तक मैने देखे थे.
हां, तो बात उस लड़के के पतले, लंबे और गुलाबी लंड की हो रही थी. सब से खास बात मैने नोट की वो ये कि उस लड़के का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगा था. किसी भी औरत को सॅटिस्फाइ करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि मर्द का पानी निकलने मे बहुत टाइम लगे. मैने मन ही मन उस लड़के का गुलाबी लंड अपनी चूत मे डलवा कर कम से कम एक बार तो चुद्वाने की ठान ली. मैने चाचा और अपने प्रेमी के बारे मे सोचा, पर ईमानदारी की बात ये है कि उस लड़के के गुलाबी लंड ने मुझे इतना मोहित किया कि मेरे दिमाग़ मे घूम फिर कर वो और उसका प्यारा सा गुलाबी लंड ही आ रहा था.
मदन मेरे सामने खड़ा था और उसके चेहरे से ये बिल्कुल भी नही लग रहा था कि अभी अभी वो एक छ्होटे लड़के की गंद मार कर आया है. वो एकदम नॉर्मल लग रहा था. मुझे जो इन्स्ट्रक्षन उस को देने थे वो मैने दिए. मैने उसको उस लड़के की गंद मारने के बारे मे कोई बात नही की. जब मैने उसको जाने को कहा तो उसने मुझसे अपने एक रिश्तेदार की नौकरी की रिक्वेस्ट की. मैं समझ गई कि वो उस लड़के की बात कर रहा था.
मैने पूछा - कौन है वो?
मदन - मेमसाब, वो मेरा एक रिश्तेदार है, मेरे ही गाँव का है, उस का नाम रतन है और वो 17 साल का है. वो पढ़ा लिखा नही है और बहुत ही ग़रीब है. लेकिन बहुत समझदार, मेहनती और ईमानदार है. वो अपनी मा का एक ही लड़का है और उस का बाप नही है. उसको मैने ये सोच कर यहाँ बुला लिया की उसको कुछ ना कुछ तो काम यहाँ मिल जाएगा. उस को खेती के बारे मे भी पता है.
मैं उस को पूछना चाहती थी कि उस के साथ वो अपने रूम मे क्या कर रहा था, पर मैने इस के बारे मे चुप रहना ही ठीक समझा. मैने ये भी सोचा कि अगर मैने अभी उस लड़के को बुलाया तो में अपने आपे मे नही रहूंगी क्यों कि उसका प्यारा सा गुलाबी लंड मेरे दिमाग़ मे घर कर चुका था. मैने सोच समझ कर उस से चुद्वाने का सोचा.
मैने मदन से कहा कि मैं कल फिर आने वाली हूँ, तब वो उस लड़के को मेरे पास ले आए.
और मैं घर के लिया रवाना हो गई. रास्ते मे ही, कार चलते चलते मैने उस लड़के को नौकरी देने की सोच ली.
घर पहुँचने के बाद मैने अपने पापा से बात की और हम ने उस को अपने कॉटेज की देख भाल करने के काम के लिए रखने का डिसाइड किया.
अगले दिन, मैं फिर फार्म हाउस गई और वहाँ ग्राउंड फ्लोर पर अपने ऑफीस मे बैठी काम कर रही थी की मदन और वो लड़का (रतन) ऑफीस मे आए.
मदन ने लड़के से कहा " ये हमारी मेम्साब है."
रतन ने आगे आ कर मेरे पैरों को हाथ लगाया और बोला
" मेमसाब! मेरा नाम रतन है. मैं बहुत ईमानदारी और बहुत मेहनत से काम करूँगा. आप जो भी काम बताएँगी, वो करूँगा, जो भी सॅलरी देंगी, ले लूँगा, मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है क्यों कि मेरी एक बुद्धि और बीमार मा है गाँव मे. हम बहुत ग़रीब है."
मैं - मदन, तुम जाओ. मैं इस लड़के से बात करना चाहूँगी.
मदन चला गया और मैने रतन से बैठने को कहा.
रतन - मेमसाब! आप के सामने मैं कैसे बैठ सकता हूँ.
मैं - तुम बैठ सकते हो, क्यों कि अभी तक तुम मेरे नौकर नही हो, मैने अभी तक तुम को नौकरी पर नही रखा है.
और वो डरता हुआ धीरे से एक कुर्सी के कोने पर बैठ गया.
मैं - मदन से तुम्हारा क्या रिश्ता है?
रतन - कोई नज़दीक का रिश्ता नही है मेम्साब! दूर के रिश्ते मे मेरा भाई लगता है.
मैं - तुम क्या काम कर सकते हो?
रतन - जो आप कहेंगी मेम्साब. मैं खेती का काम कर सकता हूँ, आप के लिए खाना बना सकता हूँ, जो आप बोलेंगी वो काम करूँगा.
मैं - यहाँ मदन के साथ कितने दिनो से रह रहे हो?
रतन - आज चौथ दिन है मेम्साब. मदन ने कहा था कि जब भी साहेब या मेम्साब आएँगे, वो मेरी नौकरी के लिए बात करेगा.
मैं - ठीक है. तुम को नौकरी मिल जाएगी, पर मुझे झूट बोलने वाले पसंद नही है.
रतन - मैं झूट नही बोलूँगा मेम्साब. हमेशा सच बोलूँगा.
मैं - तुम मदन के साथ रहना चाहते हो या अलग रूम मे रहना चाहते हो?
रतन - जैसा आप चाहें मेम्साब.
मैं - तुम क्या चाहते हो?
रतन - मुझे सब मंजूर है मेम्साब. अगर आप मुझे अलग रूम देती है तो मैं अपनी मा को यहाँ बुला लूँगा या किसी के साथ अड्जस्ट करलूंगा. जैसा आप चाहें.
मैं - क्या तुम मदन को पसंद करते हो?
रतन - बहुत पसंद करता हूँ मेम्साब. उसी के कारण तो मुझे नौकरी मिली है.
मैं - वो उस का एहसान है तुम पर. मैने पूछा है क्या तुम मदन को सही मे पसंद करते हो?
वो कुछ जवाब नही दे सका और मैं इस का कारण समझती थी. उसको मदन से अपनी गंद मरवाना पसंद नही था. शायद वो अपनी ख़ुसी से अपनी गंद नही मरवाता था.
मैं - मैने तुम से कहा था, मुझे झूठ बोलने वाले पसंद नही है. तुम्हारा मदन से सही मे क्या रिश्ता है? मेरा मतलब कल शाम को 5.30 / 6.00 बजे से है.
उस की आँखें चौड़ी हो गई और मूह खुला का खुला रह गया. वो समझ गया कि मुझे सब पता चल गया है. उसने मेरे पैर पकड़ लिए और बोला " मुझे माफ़ कार्दिजिए मेम्साब. मैं वो सब करने को मजबूर था. मुझे शरम आती है पर मुझसे ज़बरदस्ती की गयी थी. मैं अब वैसा कभी नही करूँगा."
और वो एक बच्चे की तरह रोने लगा.
मैं उस प्यारे से लड़के के बारे मे सोच रही थी. खास करके उसके गुलाबी लंड के बारे मे जो बहुत ही प्यारा लगता था. मैने कभी किसी लड़के का गुलाबी लंड नही देखा था., देखा था तो डार्क कलर का मेरे पापा का लंड, मेरे चाचा का लंड और मेरे प्रेमी का लंड. हां, और उस दिन बकरी चोद्ते आदमी का और लड़के को चोद्ते मदन का लंड. तो ये थी लंड की लिस्ट जो अब तक मैने देखे थे.
हां, तो बात उस लड़के के पतले, लंबे और गुलाबी लंड की हो रही थी. सब से खास बात मैने नोट की वो ये कि उस लड़के का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगा था. किसी भी औरत को सॅटिस्फाइ करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि मर्द का पानी निकलने मे बहुत टाइम लगे. मैने मन ही मन उस लड़के का गुलाबी लंड अपनी चूत मे डलवा कर कम से कम एक बार तो चुद्वाने की ठान ली. मैने चाचा और अपने प्रेमी के बारे मे सोचा, पर ईमानदारी की बात ये है कि उस लड़के के गुलाबी लंड ने मुझे इतना मोहित किया कि मेरे दिमाग़ मे घूम फिर कर वो और उसका प्यारा सा गुलाबी लंड ही आ रहा था.
मदन मेरे सामने खड़ा था और उसके चेहरे से ये बिल्कुल भी नही लग रहा था कि अभी अभी वो एक छ्होटे लड़के की गंद मार कर आया है. वो एकदम नॉर्मल लग रहा था. मुझे जो इन्स्ट्रक्षन उस को देने थे वो मैने दिए. मैने उसको उस लड़के की गंद मारने के बारे मे कोई बात नही की. जब मैने उसको जाने को कहा तो उसने मुझसे अपने एक रिश्तेदार की नौकरी की रिक्वेस्ट की. मैं समझ गई कि वो उस लड़के की बात कर रहा था.
मैने पूछा - कौन है वो?
मदन - मेमसाब, वो मेरा एक रिश्तेदार है, मेरे ही गाँव का है, उस का नाम रतन है और वो 17 साल का है. वो पढ़ा लिखा नही है और बहुत ही ग़रीब है. लेकिन बहुत समझदार, मेहनती और ईमानदार है. वो अपनी मा का एक ही लड़का है और उस का बाप नही है. उसको मैने ये सोच कर यहाँ बुला लिया की उसको कुछ ना कुछ तो काम यहाँ मिल जाएगा. उस को खेती के बारे मे भी पता है.
मैं उस को पूछना चाहती थी कि उस के साथ वो अपने रूम मे क्या कर रहा था, पर मैने इस के बारे मे चुप रहना ही ठीक समझा. मैने ये भी सोचा कि अगर मैने अभी उस लड़के को बुलाया तो में अपने आपे मे नही रहूंगी क्यों कि उसका प्यारा सा गुलाबी लंड मेरे दिमाग़ मे घर कर चुका था. मैने सोच समझ कर उस से चुद्वाने का सोचा.
मैने मदन से कहा कि मैं कल फिर आने वाली हूँ, तब वो उस लड़के को मेरे पास ले आए.
और मैं घर के लिया रवाना हो गई. रास्ते मे ही, कार चलते चलते मैने उस लड़के को नौकरी देने की सोच ली.
घर पहुँचने के बाद मैने अपने पापा से बात की और हम ने उस को अपने कॉटेज की देख भाल करने के काम के लिए रखने का डिसाइड किया.
अगले दिन, मैं फिर फार्म हाउस गई और वहाँ ग्राउंड फ्लोर पर अपने ऑफीस मे बैठी काम कर रही थी की मदन और वो लड़का (रतन) ऑफीस मे आए.
मदन ने लड़के से कहा " ये हमारी मेम्साब है."
रतन ने आगे आ कर मेरे पैरों को हाथ लगाया और बोला
" मेमसाब! मेरा नाम रतन है. मैं बहुत ईमानदारी और बहुत मेहनत से काम करूँगा. आप जो भी काम बताएँगी, वो करूँगा, जो भी सॅलरी देंगी, ले लूँगा, मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है क्यों कि मेरी एक बुद्धि और बीमार मा है गाँव मे. हम बहुत ग़रीब है."
मैं - मदन, तुम जाओ. मैं इस लड़के से बात करना चाहूँगी.
मदन चला गया और मैने रतन से बैठने को कहा.
रतन - मेमसाब! आप के सामने मैं कैसे बैठ सकता हूँ.
मैं - तुम बैठ सकते हो, क्यों कि अभी तक तुम मेरे नौकर नही हो, मैने अभी तक तुम को नौकरी पर नही रखा है.
और वो डरता हुआ धीरे से एक कुर्सी के कोने पर बैठ गया.
मैं - मदन से तुम्हारा क्या रिश्ता है?
रतन - कोई नज़दीक का रिश्ता नही है मेम्साब! दूर के रिश्ते मे मेरा भाई लगता है.
मैं - तुम क्या काम कर सकते हो?
रतन - जो आप कहेंगी मेम्साब. मैं खेती का काम कर सकता हूँ, आप के लिए खाना बना सकता हूँ, जो आप बोलेंगी वो काम करूँगा.
मैं - यहाँ मदन के साथ कितने दिनो से रह रहे हो?
रतन - आज चौथ दिन है मेम्साब. मदन ने कहा था कि जब भी साहेब या मेम्साब आएँगे, वो मेरी नौकरी के लिए बात करेगा.
मैं - ठीक है. तुम को नौकरी मिल जाएगी, पर मुझे झूट बोलने वाले पसंद नही है.
रतन - मैं झूट नही बोलूँगा मेम्साब. हमेशा सच बोलूँगा.
मैं - तुम मदन के साथ रहना चाहते हो या अलग रूम मे रहना चाहते हो?
रतन - जैसा आप चाहें मेम्साब.
मैं - तुम क्या चाहते हो?
रतन - मुझे सब मंजूर है मेम्साब. अगर आप मुझे अलग रूम देती है तो मैं अपनी मा को यहाँ बुला लूँगा या किसी के साथ अड्जस्ट करलूंगा. जैसा आप चाहें.
मैं - क्या तुम मदन को पसंद करते हो?
रतन - बहुत पसंद करता हूँ मेम्साब. उसी के कारण तो मुझे नौकरी मिली है.
मैं - वो उस का एहसान है तुम पर. मैने पूछा है क्या तुम मदन को सही मे पसंद करते हो?
वो कुछ जवाब नही दे सका और मैं इस का कारण समझती थी. उसको मदन से अपनी गंद मरवाना पसंद नही था. शायद वो अपनी ख़ुसी से अपनी गंद नही मरवाता था.
मैं - मैने तुम से कहा था, मुझे झूठ बोलने वाले पसंद नही है. तुम्हारा मदन से सही मे क्या रिश्ता है? मेरा मतलब कल शाम को 5.30 / 6.00 बजे से है.
उस की आँखें चौड़ी हो गई और मूह खुला का खुला रह गया. वो समझ गया कि मुझे सब पता चल गया है. उसने मेरे पैर पकड़ लिए और बोला " मुझे माफ़ कार्दिजिए मेम्साब. मैं वो सब करने को मजबूर था. मुझे शरम आती है पर मुझसे ज़बरदस्ती की गयी थी. मैं अब वैसा कभी नही करूँगा."
और वो एक बच्चे की तरह रोने लगा.