Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली - Page 4 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली

मैं वापस कॉटेज मे आ गई और सोच रही थी उस के बारे मे, जो दो अनोखी चुदाई मैने पिछले दो घंटों मे देखी थी. बहुत ही अलग किस्म की दो चुदाई. आदमी बकरी को चोद रहा था और आदमी लड़के को चोद रहा था.

मैं उस प्यारे से लड़के के बारे मे सोच रही थी. खास करके उसके गुलाबी लंड के बारे मे जो बहुत ही प्यारा लगता था. मैने कभी किसी लड़के का गुलाबी लंड नही देखा था., देखा था तो डार्क कलर का मेरे पापा का लंड, मेरे चाचा का लंड और मेरे प्रेमी का लंड. हां, और उस दिन बकरी चोद्ते आदमी का और लड़के को चोद्ते मदन का लंड. तो ये थी लंड की लिस्ट जो अब तक मैने देखे थे.

हां, तो बात उस लड़के के पतले, लंबे और गुलाबी लंड की हो रही थी. सब से खास बात मैने नोट की वो ये कि उस लड़के का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगा था. किसी भी औरत को सॅटिस्फाइ करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि मर्द का पानी निकलने मे बहुत टाइम लगे. मैने मन ही मन उस लड़के का गुलाबी लंड अपनी चूत मे डलवा कर कम से कम एक बार तो चुद्वाने की ठान ली. मैने चाचा और अपने प्रेमी के बारे मे सोचा, पर ईमानदारी की बात ये है कि उस लड़के के गुलाबी लंड ने मुझे इतना मोहित किया कि मेरे दिमाग़ मे घूम फिर कर वो और उसका प्यारा सा गुलाबी लंड ही आ रहा था.

मदन मेरे सामने खड़ा था और उसके चेहरे से ये बिल्कुल भी नही लग रहा था कि अभी अभी वो एक छ्होटे लड़के की गंद मार कर आया है. वो एकदम नॉर्मल लग रहा था. मुझे जो इन्स्ट्रक्षन उस को देने थे वो मैने दिए. मैने उसको उस लड़के की गंद मारने के बारे मे कोई बात नही की. जब मैने उसको जाने को कहा तो उसने मुझसे अपने एक रिश्तेदार की नौकरी की रिक्वेस्ट की. मैं समझ गई कि वो उस लड़के की बात कर रहा था.

मैने पूछा - कौन है वो?

मदन - मेमसाब, वो मेरा एक रिश्तेदार है, मेरे ही गाँव का है, उस का नाम रतन है और वो 17 साल का है. वो पढ़ा लिखा नही है और बहुत ही ग़रीब है. लेकिन बहुत समझदार, मेहनती और ईमानदार है. वो अपनी मा का एक ही लड़का है और उस का बाप नही है. उसको मैने ये सोच कर यहाँ बुला लिया की उसको कुछ ना कुछ तो काम यहाँ मिल जाएगा. उस को खेती के बारे मे भी पता है.

मैं उस को पूछना चाहती थी कि उस के साथ वो अपने रूम मे क्या कर रहा था, पर मैने इस के बारे मे चुप रहना ही ठीक समझा. मैने ये भी सोचा कि अगर मैने अभी उस लड़के को बुलाया तो में अपने आपे मे नही रहूंगी क्यों कि उसका प्यारा सा गुलाबी लंड मेरे दिमाग़ मे घर कर चुका था. मैने सोच समझ कर उस से चुद्वाने का सोचा.

मैने मदन से कहा कि मैं कल फिर आने वाली हूँ, तब वो उस लड़के को मेरे पास ले आए.

और मैं घर के लिया रवाना हो गई. रास्ते मे ही, कार चलते चलते मैने उस लड़के को नौकरी देने की सोच ली.

घर पहुँचने के बाद मैने अपने पापा से बात की और हम ने उस को अपने कॉटेज की देख भाल करने के काम के लिए रखने का डिसाइड किया.

अगले दिन, मैं फिर फार्म हाउस गई और वहाँ ग्राउंड फ्लोर पर अपने ऑफीस मे बैठी काम कर रही थी की मदन और वो लड़का (रतन) ऑफीस मे आए.

मदन ने लड़के से कहा " ये हमारी मेम्साब है."

रतन ने आगे आ कर मेरे पैरों को हाथ लगाया और बोला

" मेमसाब! मेरा नाम रतन है. मैं बहुत ईमानदारी और बहुत मेहनत से काम करूँगा. आप जो भी काम बताएँगी, वो करूँगा, जो भी सॅलरी देंगी, ले लूँगा, मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है क्यों कि मेरी एक बुद्धि और बीमार मा है गाँव मे. हम बहुत ग़रीब है."

मैं - मदन, तुम जाओ. मैं इस लड़के से बात करना चाहूँगी.

मदन चला गया और मैने रतन से बैठने को कहा.

रतन - मेमसाब! आप के सामने मैं कैसे बैठ सकता हूँ.

मैं - तुम बैठ सकते हो, क्यों कि अभी तक तुम मेरे नौकर नही हो, मैने अभी तक तुम को नौकरी पर नही रखा है.

और वो डरता हुआ धीरे से एक कुर्सी के कोने पर बैठ गया.

मैं - मदन से तुम्हारा क्या रिश्ता है?

रतन - कोई नज़दीक का रिश्ता नही है मेम्साब! दूर के रिश्ते मे मेरा भाई लगता है.

मैं - तुम क्या काम कर सकते हो?

रतन - जो आप कहेंगी मेम्साब. मैं खेती का काम कर सकता हूँ, आप के लिए खाना बना सकता हूँ, जो आप बोलेंगी वो काम करूँगा.

मैं - यहाँ मदन के साथ कितने दिनो से रह रहे हो?

रतन - आज चौथ दिन है मेम्साब. मदन ने कहा था कि जब भी साहेब या मेम्साब आएँगे, वो मेरी नौकरी के लिए बात करेगा.

मैं - ठीक है. तुम को नौकरी मिल जाएगी, पर मुझे झूट बोलने वाले पसंद नही है.

रतन - मैं झूट नही बोलूँगा मेम्साब. हमेशा सच बोलूँगा.

मैं - तुम मदन के साथ रहना चाहते हो या अलग रूम मे रहना चाहते हो?

रतन - जैसा आप चाहें मेम्साब.

मैं - तुम क्या चाहते हो?

रतन - मुझे सब मंजूर है मेम्साब. अगर आप मुझे अलग रूम देती है तो मैं अपनी मा को यहाँ बुला लूँगा या किसी के साथ अड्जस्ट करलूंगा. जैसा आप चाहें.

मैं - क्या तुम मदन को पसंद करते हो?

रतन - बहुत पसंद करता हूँ मेम्साब. उसी के कारण तो मुझे नौकरी मिली है.

मैं - वो उस का एहसान है तुम पर. मैने पूछा है क्या तुम मदन को सही मे पसंद करते हो?

वो कुछ जवाब नही दे सका और मैं इस का कारण समझती थी. उसको मदन से अपनी गंद मरवाना पसंद नही था. शायद वो अपनी ख़ुसी से अपनी गंद नही मरवाता था.

मैं - मैने तुम से कहा था, मुझे झूठ बोलने वाले पसंद नही है. तुम्हारा मदन से सही मे क्या रिश्ता है? मेरा मतलब कल शाम को 5.30 / 6.00 बजे से है.

उस की आँखें चौड़ी हो गई और मूह खुला का खुला रह गया. वो समझ गया कि मुझे सब पता चल गया है. उसने मेरे पैर पकड़ लिए और बोला " मुझे माफ़ कार्दिजिए मेम्साब. मैं वो सब करने को मजबूर था. मुझे शरम आती है पर मुझसे ज़बरदस्ती की गयी थी. मैं अब वैसा कभी नही करूँगा."

और वो एक बच्चे की तरह रोने लगा.
 
एक बार तो मैने भी सोचा, क्या फ़र्क है मदन मे और मेरे मैं. मदन ने नौकरी के लिए उसकी गंद मारी और मैं भी नौकरी दे कर उस से चुद्वाना चाहती थी. दोनो ही ज़बरदस्ती थी. पर मेरी उस से चुद्वाने की चाहत थी, मैने अपने आप से कहा कि मैं उस को चोद्ने के लिया मजबूर नहीं करूँगी और फिर मैं तो उस से चुद्वाना चाहती थी, एक मर्द और एक औरत के बीच मे होने वाली नॅचुरल चुदाई करवाना चाहती थी. जैसे मदन ने उस की गंद मार कर खुद तो मज़ा लिया था पर उस लड़के को तकलीफ़ दी थी, मैं वैसा नही करना चाहती थी. मैं तो उस को चुदाई का मज़ा बराबर देना चाहती थी. अगर मुझे मज़ा आता है तो उसको भी तो आएगा मुझे चोद्कर. ये तो बराबर की चुदाई की बात थी. और फिर वो तो उस की खुशकिश्मति है कि उस को मेरे जैसी खूबसूरत और सेक्सी मालकिन की चुदाई करने का मौका मिल रहा है.

मैं - ओके. ठीक है. मेरे पैर छ्चोड़ो और कुर्सी पर बैठो. ये बच्चे की तरह रोना भी बंद करो. मैं तुम को नौकरी देती हूँ और तुम्हारा काम इस कॉटेज की देख भाल करना है. कॉटेज के सब काम तुम को करने है, सॉफ सफाई और सब देख भाल. तुम कॉटेज के अंदर सर्वेंट्स रूम मे रहना सुरू कर दो जो इस ऑफीस के बगल मे है. तुम्हारी नौकरी इसी समय से सुरू होती है. तुम अपना सामान ले आओ और मदन को बुलाओ.

वो अपनी गीली आँखों के साथ चला गया और मैं सोचने लगी कि किस तरह उस लड़के का लंड अपनी चूत मे डलवाया जाए.

मैने मदन को रतन का सामान कॉटेज के सेरवेंट्स रूम मे शिफ्ट करने को कहा और उसको अपना खाना बनाने की लिए ज़रूरी चीज़ो का इन्तेजाम करने को भी कहा. मैने रतन को कुछ रुपये ज़रूरी सामान खरीदने के लिए भी दिए. और मैने रतन को अपने लिए चाइ बनाने को कहा. मदन ने उसको किचन बताया.

उस वक़्त दोपहर के 2.00 बजे थे और मैने रतन को लंच बॉक्स मे से खाना निकाल कर टेबल पर लगाने को कहा. लंच बॉक्स मैं घर से लाई थी.

मैं खाना खा रही थी और रतन वहाँ खड़ा था. मैने खाना ख़तम किया और रतन को टेबल और बर्तन सॉफ करके अपने बेड रूम मे आने को कहा.

मैं फर्स्ट फ्लोर पर अपने बेड रूम मे आ कर ए.सी. चालू किया और कुछ समय बाद रतन रूम मे आया.

मैं - रतन, क्या तुम मालिश करना जानते हो?

रतन - हां मेम्साब. मैं मालिश करना जानता हूँ.

मैं - तो फिर आओ और मेरे पैरों की मालिश कर दो. मुझे कुछ थकान लग रही है.

ये मेरा उस से चुद्वाने की तरफ पहला कदम था.

उस ने मेरे स्कॅंडल्ज़ निकाले और मेरे पैरों की मालिश करना सुरू किया. मैं टाइट जीन पहनी हुई थी जिसकी वजह से वो मेरे पंजे के उपर मालिश नही कर पा रहा था. मैने उसको वेट करने को कहा और अपना शॉर्ट ले कर बाथरूम मे गई. मैने जीन की जगह शॉर्ट पहना और वापस रूम मे आ गई. अब मेरे सेक्सी पैरों का ज़्यादातर भाग नंगा था जिस से वो आसानी से उन पर मालिश कर सके. मैं सोफा पर बैठ गई और उस ने मेरे पैरों की मालिश करनी सुरू कर दी. वो बहुत अच्छी मालिश कर रहा था. कुछ ही देर मे मैने महसूस किया की उसकी हथेलियाँ पसीने से गीली होने लगी थी. मैं मन ही मन मुस्काई ये जान कर कि मेरे बदन की गर्मी वो भी फील कर रहा था. मेरी सेक्सी टाँगें है ही ऐसी की कोई भी गरम हो जाए. मैं सोफे पर थोड़ा आयेज सर्की ताकि वो मेरे घुटनो के उपर भी मालिश कर सके. उस के हाथ काँपने लगे और उसका गला भी सूखने लगा था पर वो बराबर मालिश कर रहा था मेरी सेक्सी नंगी टाँगों पर.

अब मैने अपना अगला तीर फेंका.

मैं बोली - रतन !

रतन - हां मेम्साब !

मैं - सच सच बताना. तुम ने वो सब मदन के साथ पहली बार किया था या से सब पहले भी कर चुके हो ?

रतन ने अपना सिर नीचे करते हुए जवाब दिया - ये पहली बार था मेम्साब.

मैं - उस ने तुम से क्या कहा, कैसे सुरू हुआ, मुझे पूरी बात बताओ.

रतन - मेमसाब ! मैं यहाँ मदन का लेटर मिलने के बाद चार दिन पहले आया था कि वो मेरी नौकरी लगा देगा. वो दिन मे सोता है क्यों कि रात मे ड्यूटी करता है. उस ने मुझे कहा कि मैं दिन मे यहाँ वहाँ खेत मे घूम कर टाइम पास करूँ जब तक की मेरी नौकरी नही लग जाती. उस ने मुझ से ये भी कहा कि वो यहाँ बहुत अकेला फील करता है, अब ये अच्छा है कि मैं उस के साथ हूँ. पहले दिन हम दोनो ने मिल कर अपना रात का खाना बनाया और वो अपनी ड्यूटी के लिए चला गया मुझे ये बोल कर कि मैं दरवाजा अंदर से बंद ना करूँ क्यों कि रूम तो कॉंपाउंड के अंदर ही है. मैं भी सो गया और मेरी आँख सुबह ही खुली. मैने देखा की मदन रूम के एक कोने मे बैठा है और अपने ....... अपने..... उस को बाहर निकाल कर कुछ कर रहा है. फिर मैने उस को ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए देखा. थोड़ी देर बाद उसने उस को फिर अपने पॅंट मे डाला और कपड़े से ज़मीन को सॉफ करने लगा. उस ने मुझे जागते हुए देखा तो वो मुश्कराया. फिर उस ने हम दोनो के लिए चाइ बनाई और कहा कि उसकी ड्यूटी अब ख़तम हो गई है और वो खाना खाने के बाद सोएगा. मैने उस से पूछा की वो अभी क्या कर रहा था तो उसने कोई जवाब नही दिया. दो दिन और निकल गये और कुछ खास नही हुआ. कल सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि मदन मेरे बिस्तर मे है और उस का हाथ मेरे...... मेरे..... उस पर है. उस ने मेरे हाथ मे अपना वो भी बाहर निकाल कर दिया. वो मेरा भी कपड़ों से बाहर निकालने की कोशिस करने लगा तो मैं उठ कर खड़ा हो गया. वो हँसने लगा और बोला - तुम बहुत अच्छे और सुंदर लड़के हो. हम दोनो को ही यहाँ अकेले रहना है इस लिए हम दोनो को ही एक दूसरे की मदद करनी चाहिए. अगर तुम मेरा कहना मानोगे तो तुम्हारी नौकरी जल्दी ही लग जाएगी और मैं तुम को हमेशा खुस रखूँगा. मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहता है लेकिन मैं क्या करता, मैं मजबूर था, पूरी तरह उस पर निर्भर था. वो खाना खाने के बाद सो गया और 4,30 बजे उठा. उस ने मुझे अपने बिस्तर मे घसीटा और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ............. मेरे साथ...........
 
मैं - तुम को दर्द हुआ था उस समय?

रतन - हां मेम्साब. बहुत दर्द हुआ था.

मैं उठ कर खड़ी हुई और बोली - रतन ! तुम एक अच्छे लड़के हो. तुम अब मेरी पीठ पर मालिश कर दो. और मैं अपने शर्ट के बटन खोल कर बिस्तर पर उल्टी लेट गई. रतन आँखें फाड़ फाड़ कर मुझे देख रहा था. मैं बोली - " क्या हुआ ? आओ और मालिश करो."

वो बिस्तर पर आया और मेरी बटन खुली हुई शर्त उपर कर के उस ने मेरी पीठ पर मालिश करनी सुरू करदी, लेकिन मैं उस के हाथों का कंपन और हथेलियो पर पसीना सॉफ सॉफ महसोस कर रही थी. मैने उसको अपनी ब्रा का हुक खोल कर पूरी पीठ पर मालिश करने को कहा. उस ने कोशिश ज़रूर की पर मेरी ब्रा का हुक वो खोल नही पाया. मैने अपना हाथ पीछे किया और खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. मैने घूम कर देखा तो कमरे मे ए.सी. चलने के बावजूद उसका चेहरा पसीने से भरा हुआ था. मतलब लोहा गरम हो चुका था और अब सिर्फ़ हथौड़ा मारने के देर थी.

मैं बोली - अगर तुम को गर्मी लग रही है तो अपना शर्ट खोल दो.

वो बोला - नही मेम्साब. ठीक है.

मैं फिर बोली - नही, शर्ट उतार दो और फिर मालिश करो.

उसने अपनी शर्ट उतार दी. उस की नंगी छाती मेरी आँखों के सामने थी. प्यारी सी, छोटी सी छाती, बिना बालों की छाती. मैने भी अपनी शर्ट निकाल दी थी. वो मेरी चिकनी नंगी पीठ पर मालिश कर रहा था और मेरी चुचियों को देख रहा था जो मेरी बगल से बाहर आ रही थी क्यों कि अब वो मेरी चोली के बाहर थी. वो गरम हो चुका था और मैं तो पहले से ही गरम थी. मेरी चूत अपने खुद के प्रेम रस से गीली होने लगी थी. मेरी चुचियाँ मेरे और बिस्तर के बीच मे दब रही थी.

और मैने गरम लोहे पर हथौड़ा मार दिया.

मैने अपना हाथ पीछे किया तो पाया कि वो उसका घुटना था. वो अपने घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर मेरी मालिश कर रहा था. मैने अपना हाथ सही दिशा की तरफ बढ़ाया और उसके खड़े हुए लंड को उस की पॅंट के उपर से ही पकड़ लिया. जब मैने उसके लंड को हाथ लगाया तो वो जैसे हवा मे उच्छल गया पर मूह से कुछ नही बोला. गरम लोहे पर हथौड़ा पड़ चुका था. मैं अपनी ब्रा निकलती हुई उस की तरफ घूम गई और वो मेरी मस्त कड़क चुचियों का नज़ारा करने लगा. उस का मूह और होंठ सुख चुके थे और वो अपने होंठो पर ज़बान फिरा रहा था. मैं जानती थी कि वो कुँवारा है और चुदाई के बारे मे ज़्यादा नही जानता है. मैं भी उस को सीखने मे ज़्यादा समय बर्बाद नही करना चाहती थी. मैने उस को अपने उपर खींचा और उसका चुंबन लिया. मैं जानती थी कि सब कुछ मुझे ही करना होगा. मैने अपनी एक चुचि उस के मूह मे दे कर चूसने को कहा. वो एक बालक की तरह मेरी चुचि को चूसने लगा जैसे उस मे से दूध आएगा. जब वो मेरी चुचि चूस रहा था तो मैने उस की पॅंट और चड्डी उतार दी. अब वो मेरे सामने पूरा नंगा था. उस का गुलाबी लंड जो ज़्यादा मोटा नही था पर लंबा ज़रूर था, मेरे सामने था. मैने उस के लंड को हाथ मे पकड़ा तो वो मुझे बहुत कड़क लगा, एक दम फिट था चोद्ने के लिए. उस के लंड पर अभी बाल आना सुरू ही हुए थे और उस के लंड के बाल हल्के हल्के से भूरे थे. मैने उसको अपना शॉर्ट और चड्डी उतारने को कहा तो उसने मेरा शॉर्ट और चड्डी उतार दी. मैने अपनी टांगे चौड़ी की और उस को अपनी सफाचत रसीली चूत का नज़ारा कराया. उस का मूह खुला का खुला रह गया मेरी चूत का नज़ारा करके. मैने उस को अपनी चूत चाटने को कहा तो पहले तो ज़रा हिचकिचाया, पर फिर उसने अपना मूह मेरी चूत पर रखा. हे भगवान........ मैं तो जैसे पागल ही हो गई एक कुंवारे, कमसिन लड़के का मूह अपनी चूत पर ले कर. मैं बता नही सकती की मुझे कितना अच्छा लग रहा था. वो मेरी चूत का चुंबन लेने लगा और मेरी चूत के रस को चखने लगा. उस बेचारे को तो बराबर पता ही नही था कि चूत कैसे चाती जाती है. मैने फिर किसी दिन उस को सीखने की सोची क्यों कि उस वक़्त तो मैं जल्दी से जल्दी उस का लंड अपनी चूत मे ले कर उस से चुद्वाना चाहती थी. मैने उस को बिस्तर पर बैठने को कहा और उस की गोद मे सिर रख कर लेट गई. अब उसका गुलाबी और प्यारा सा लंड बिल्कुल मेरी आँखों के सामने था. उस का लंड किसी डंडे की तरह तना हुआ सीधा खड़ा था. मैने ध्यान से देखा तो वो करीब 6 इंच या 6.5 इंच का था. पता नही क्यों, उस के लंड का गुलाबी रंग मुझे बहुत भा रहा था. उस के लंड का मूह ज़रा सा गीला था और लंड के मूह पर चॅम्डी का ढक्कन था. मैने उस के लंड को पकड़ कर चॅम्डी नीचे की तो उस के लंड का मूह और भी ज़्यादा गुलाबी देखा. उस के लंड मुण्ड पर छ्होटा सा होल बहुत ही अच्छा लगरहा था. मैने धीरे से उस का लंड अपने मूह मे लिया. ये पहला मौका था जब कोई सीधा, पतला, गुलाबी और कुँवारा लंड मेरे मूह मे था. उस के लंड का स्वाद मेरे चाचा और प्रेमी के लॅंड से थोड़ा अलग था पर अच्छा था. मैं उसका लंड चूस रही थी और उस को मज़ा आ रहा था. अब वो भी थोड़ा खुल गया था और जब मैं उसका लंड चूस रही थी तो वो मेरी चुचियों से खेल रहा था, दबा रहा था, मसल रहा था.

थोड़ी देर बाद मैं बिस्तर पर अपने पैर चौड़े कर के लेट गयी. मैने अपनी गंद के नीचे एक तकिया रखा ताकि उस का लंड मेरी चूत की गहराइयों तक पहुँचे. लगता था वो भी समझ गया था कि अब असली चुदाई का समय आ गया है. वो मेरे पैरों के बीच मे आ कर घुटनो पर बैठा और उस का लंड मेरी चूत के दरवाजे पर खड़ा था. एक कुँवारा लंड चुदि हुई चूत को चोद्ने के लिए तय्यार था. वो अपनी पूरी कोशिस कर रहा था कि मेरी चूत मे अपना लंड डाले पर उस को सही रास्ता नही मिल रहा था. मिने फील किया कि वो ग़लत दरवाजा खटखटा रहा है. पर इस मे उस बेचारे की क्या ग़लती थी. उस को क्या पता की चूत क्या होती है. वो तो एक दम कच्चा कुँवारा फूल था. वो कोशिस कर रहा था पर अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा नही पा रहा था. ये देख कर मेरे होंठो पर मुश्कान आ गई. तब मैने चुदाई का चार्ज संभाला और उस के खड़े लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मूह पर रखा. उस ने धक्का मारा तो उसका आधा लंड मेरी चिकनी चूत मे उतर गया. जैसा कि पहले लिख चुकी हूँ की उस का लंड ज़्यादा मोटा नही था पर उस के लंड की लंबाई एक मर्दाना पके हुए लंड जितनी थी. मैने उस को समझाया कि कैसे आगे पीछे कर के धक्का मारना है. उस ने वैसा ही किया और अब उस का लंड पूरी तरह मेरी चूत मे घुस चुका था. मैने उस को धीरे धीरे धक्के मारने को कहा तो वो अपना लंड मेरी चूत मे धीरे धीरे अंदर बाहर..... अंदर बाहर करने लगा. फिर मुझको उस को समझने की ज़रूरत नही पड़ी. अपने आप ही उस की स्पीड बढ़ती चली गयी.
 
और मैं उस से चुद्वाती हुई सोच रही थी कि एक लड़का, कुँवारा लड़का, मेरा नौकर, जिसकी नौकरी का आज पहला दिन ही था और मैं उस से चुद्वा रही थी. वो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाता हुआ मुझे चोद रहा था. मैं देख चुकी थी कि वो झरने मे काफ़ी समय लेता है पर मैं तो झरने के करीब थी. मैने उस को जल्दी जल्दी, ज़ोर ज़ोर से चोद्ने को, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने को कहा तो वो अपनी गंद और कमर को किसी मशीन की तरह आगे पीछे करता हुआ मुझे स्पीड से चोद्ने लगा. मैं क्यों की अपनी मंज़िल पर पहुँचने वाली थी. मेरी गंद. मेरी कमर अपने आप उपर उठने लगी थी और मैं चुदाई मे उस का पूरा पूरा साथ दे रही थी अपनी गंद उपर - नीचे करते हुए. और वो मुझे चोद रहा था......... चोद रहा था......... चोद रहा था.

और मैं पहुँच गयी. मैं झार चुकी थी. बहुत ही ज़ोर से झरी थी. मैने उसको अपने पैरों के बीच भींच लिया था. उस की समझ मे नही आया था पर वो अब भी मेरी चूत मे अपने लंड के धक्के लगाने की कोशिस कर रहा था. लेकिन उस की गंद मेरे पैरों की मज़बूत पकड़ मे होने की वजह से वो मुझे चोद नही पा रहा था. वो रुक गया. उस का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर गहराइयों मे था.

मैने अपनी पकड़ ढीली की तो वो फिर से मुझे पहले की तरह चोद्ने लगा. मैं अपनी दूसरी पारी खेल रही थी. ए.सी. होते हुए भी हम दोनो के पसीने निकल रहे थे. मैं बहुत खुस थी कि वो लड़का इतनी देर तक चुदाई कर सकता है. वो अपने पूरे ज़ोर मे मेरी चूत चोद्ने मे लगा हुआ था. उमर उस की ज़रूर कम थी लेकिन वो किसी बैल की तरह मेरी चुदाई कर रहा था. मैं दूसरी बार पहुँचने वाली थी लेकिन लगता था कि उसके लंड का पानी निकलने मे अभी और देर थी. मैं उस के साथ साथ झरना चाहती थी. मैने उस को चोद्ना बंद करके अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालने को कहा. वो समझ नही पाया कि मैं ऐसा क्यों कह रही हूँ, पर उस के चेहरे को देख कर सॉफ पता चलता था कि वो लंड बाहर नही निकलना चाहता था, मेरी और चुदाई करना चाहता था, क्यों कि वो तो अभी बीच मे ही था. लेकिन उस ने मेरा कहना माना और अपना लंड मेरी चूत मे से बाहर निकाल लिया. मैने उसके खड़े हुए गुलाबी और गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और उस पर मूठ मारना सुरू किया. वो समझ रहा था कि जैसे मदन ने मूठ मार कर उस का पानी निकाला था, वैसे ही मैं भी मूठ मार कर उस का पानी निकाल दूँगी. पर वो अपने मूह से कुछ नही बोला. मैं उस के लंड को पकड़ कर हिलाते हुए, आगे पीछे करते हुए मूठ मार रही थी ताकि वो पानी निकालने के करीब पहुँच जाए. थोड़ी देर बाद जब मैने महसोस किया की उस का लंड अपना प्रेम रस बरसाने के नज़दीक है तो मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उस को लंड फिर से मेरी चूत मे डाल कर चोद्ने को कहा. वो बहुत खुस हो गया कि उस के लंड का पानी बाहर नही, मेरी चूत के अंदर निकलेगा. मैने फिर उस की मदद की लंड को चूत मे डालने के लिए.

अपने लंड को मेरी चूत मे डालते ही उस ने मुझको ज़ोर ज़ोर से चोद्ना चालू कर्दिया. मैं तो झरने के करीब थी ही, उसके धक्के लगाने के तरीके से मालूम होता था कि वो भी नज़दीक ही है. वो मुझे चोद रहा था, चोद रहा था, ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था, एक नौकर लड़का अपनी मालकिन को चोद रहा था, एक कुँवारा गुलाबी लंड एक चुदि हुई चूत को चोद रहा था. हम दोनो ही सातवें आसमान की सैर कर रहे थे. उस के मूह से मज़े मे आवाज़ें निकलने लगी थी और मैं तो बस पहुँच ही गयी थी. मेरा दूसरी बार हो गया था उसकी एक चुदाई मैं. मैं लगातार दूसरी बार झार चुकी थी. मैं बहुत ज़ोर से झारी थी. उस की चोद्ने की स्पीड बढ़ गयी थी और वो पागल की तरह मुझे चोद रहा था. मैने भी उस को रोका नही और कोई 8 / 10 धक्के लगाने के बाद उस के लंड ने मेरी चूत के अंदर अपने पानी की बरसात करदी. उस का गरम गरम लंड रस मेरी चूत के अंदर निकल रहा था. वो मेरे उपर लेट गया और हम दोनो ने एक दूसरे को टाइट पकड़ा हुआ था. उस का प्यारा सा, गुलाबी लंड अभी भी मेरी चूत मे नाच नाच कर अपने प्रेम का रस फोर्स के साथ बरसा रहा था. हम दोनो ज़ोर ज़ोर से साँस ले रहे थे जैसे लंबी दौड़ लगा कर आए हैं.

कुंवारे लड़के से चुद कर बहुत मज़ा आया था. उस को भी जिंदगी मे पहली चुदाई का बहुत मज़ा आया था और वो भी अपनी सुंदर मालकिन को चोद कर. हम लोग कुछ देर तक लिपटे हुए ऐसे ही पड़े रहे और फिर मैने रतन को कपड़े पहन कर मेरे लिए चाइ लाने को कहा. उस ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला तो मुझे उस का लंड पहली चुदाई करने के बाद और भी ज़्यादा गुलाबी लगा. अब वो कड़क नही था, खड़ा नही था, नरम हो रहा था. आप लोग जानते ही है कि मुझे मुलायम लंड चूसने मे कितना मज़ा आता है, इस लिए मैं अपने आप को रोक नही सकी और उस के मुलायम लंड को पकड़ कर अपने मूह मे डाला और उस को चूसने लगी. मेरी अपनी चूत का रस और उस के लंड से निकला हुआ रस उस के लंड पर लगा हुआ था और मैने दोनो का स्वाद उसके प्यारे से, छ्होटे से लंड को चूस कर लिया. मैने उस के लंड को चूस चूस कर पूरी तरह सॉफ कर दिया था. मुझे यहाँ लिखने मे कोई हिचकिचाहट नही हो रही है कि उस का मुलायम लंड मुझे अपने चाचा और अपने प्रेमी के लंड से भी ज़्यादा अच्छा लगा था.

मैं नंगी ही बाथरूम गई और वो बिस्तर पर बैठा हुआ पीछे से मेरी गोल गोल गंद को मटकाते हुए, हिलते हुए देखता रहा. मैं जानती थी की उस ने किसी औरत को आज पहली बार नंगा देखा था, सिर्फ़ नंगा देखा ही नही था, उस को चोदा भी था. कितनी बढ़िया किस्मत ले कर आया था रतन.

मैं नहा कर आई और रतन चाइ लेकर आ गया.

मैं बोली - तुम क्या सोचते हो मेरे बारे मैं?

रतन - आप बहुत अच्छी है मेम्साब! आप का दिल बहुत बड़ा है.

मैं - ठीक है रतन! अब मदन के साथ वैसा दोबारा मत करना. तुम चाहो तो उस को बोल देना कि मेम्साब को सब पता चल गया है और उनको ये पसंद नही है.

रतन - ठीक है मेम्साब!

मैं - और एक बात. किसी को भी पता नही चलना चाहिए कि हम दोनो ने क्या किया है.

रतन - नही मेम्साब. मैं कसम ख़ाता हूँ कि किसी से भी कुछ नही कहूँगा.

मैं - अच्छा, सच बताना....... क्या तुम को मज़ा आया..... तुम को अच्छा लगा?

और वो ज़्यादा कुछ नही बोल पाया. सिर्फ़ " आप बहुत अच्छी है मेम्साब" कह कर किसी शर्मीली लड़की की तरह वहाँ से किचन की तरफ भाग गया.

क्रमशः....................
 
जूली को मिल गई मूली -10

गतान्क से आगे......................................

हेल्लो प्यारे पढने वालों मैं आप की चहेती सेक्सी जूली, पेश करती हूँ अपना एक और चुदाई का कारनामा.

ये भाग मुझे पहले लिखना चाहिए था क्यों की इस के बाद की दास्तान मैं पहले ही लिख चुकी हूँ. खैर कोई बात नहीं. मैं जानती हूँ की जब भी लिखूंगी, आप लोगों को पसंद आएगा.

कभी कभी तो मुझे हंसी आ जाती है ये सोच कर के कि मेरी तो चुदाई होती है और आप लोग मेरी चुदाई का मज़ा लेते है.

मैं कभी भी सच लिखने से पीछे नहीं हटी हूँ भले ही वो सच कितना ही कड़वा हो.

मैं जानती हूँ की बहुत सी लड़कियां होगी जो मेरी तरह चुदाई करवाती है पर कोई भी लड़की अपनी चुदाई की बात को शेयर नहीं करती. मैंने मेरी चुदाई की बात को शेयर किया है और करती रहूंगी.

अब आती हूँ असली कहानी पर ...... मज़ा लीजिये .......

अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैं बिज़नस में पूरी तरह अपने पापा और चाचा का

साथ दे रही थी. आप जानते है कि मैं जब कॉलेज में थी, तभी से ही बिज़नस में

इंटेरेस्ट लेने लगी थी और मेरी पढाई ख़तम होते होते मैं हमारे प्रॉडक्ट्स के

मार्केटिंग के काम में बहुत होशियार हो गई थी. मैंने विदेश का सफ़र कई बार

किया है और अपने दम पर विदेश के लोगों से डील करती हूँ.

एक दिन जब मैं शाम को फार्म हाउस से घर वापस आई तो बहुत थकी हुई थी.

मेरे माता - पिता घर पर मेरा इंतजार कर रहे थे. मैंने उनके साथ चाय पी और

नहा कर फ्रेश होने के लिए अपने रूम में आ गई. मैंने अपने सभी कपडे उतारे

और नंगी हो कर बाथरूम में आ गई. आप जानते है की मैं बहुत सेक्सी हूँ और

इस लिए नहाते हुए मैं खुद को अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने से नहीं रोक

सकी. एक बार तो मैं अपना हाथ अपनी चूत पर भी ले गई पर तुरंत ही हटा लिया क्यों की मैं पहले ही बहुत थकी हुई थी. मैंने देखा की मेरी चूत पर बाल आने चालू हो गए थे. मैं हमेशा अपनी चूत साफ़ रखती हूँ.

चूत पर बाल मुझे पसंद नहीं है. मैंने रात को सोने से पहले अपनी चूत के बालों को साफ करने कि सोची. नहाने के बाद मैं बाहर आई और अपना सेक्सी गोरा बदन पौछने के बाद फ्रेश ब्रा और चड्डी पहनी और आराम के लिए ऊपर से गाउन पहन लिया. मैंने चूत के बाल साफ़ करने की क्रीम तलाश की और उस को अपने पलंग की साइड टेबल पर रखा ताकि रात को उस का इस्तेमाल कर सकूँ. मैंने कुछ देर अपने रूम में ही टी.वी. देखा और रात का खाना अपने माता - पिता के साथ खाने के लिए नीचे आ गई. मेरे चोदु चाचा अभी तक घर नहीं आये थे और मेरे पापा ने बताया की वो देरी से आने वाले है.

खाना खाते हुए पापा ने कहा - जुली ! तुम या तुम्हारे चाचा को या दोनों को इटली जाना पड़ेगा. आज ही वहां से बाइयर का मैल आया है की अगले सीज़न का बिज़नस डिसकस करने के लिए और फाइनल करने के लिए वो चाहते हैं की

कोई हमारे यहाँ से उन के पास जाये.

मैं बोली - ठीक है पापा . चाचा को आ जाने दो . हम कल डिसाइड करलेंगे.

पापा बोले - ठीक है . इतनी भी जल्दी नहीं है . टाइम है हमारे पास .

हम ने डिन्नर ख़तम किया और बातें करने लगे . मेरे पापा ने नोट किया की मैं थकी हुई थी तो उन्होंने मुझे अपने रूम में जा कर आराम करने को और जल्दी सोने को कहा . जब मैं अपने रूम में जाने के लिए उठी तो मैंने देखा की चाचा की कार हमारे घर के कॉंपाउंड के अन्दर आ रही थी . मैंने सब को गुड नाइट कहा और अपने रूम में आ गई . मैंने अपना रूम अन्दर से बंद किया और साथ ही बाथरूम भी अपने रूम की तरफ से बंद किया . ( आप को तो पता ही है की मेरे और मेरे माता - पिता के रूम के बीच में कामन बाथरूम है ) मैंने अपना गाउन उतारा और अपनी ब्रा और चड्डी भी उतारी , एक टॉवेल और कुछ टिश्यू पेपर ले कर अपने पलंग पर आ गई . पीछे तकिया लगा कर , अपने पैर मोड़ कर के चौड़े किये ताकि मैं आराम से बैठी हुई अपनी चूत के बालों पर क्रीम लगा कर साफ़ कर सकूँ . मैंने अपनी गांड ऊपर करके टॉवेल को अपनी गांड के नीचे रखा और अपनी चूत के बालों पर क्रीम लगाई . अब मुझे थोड़ी देर यूं ही बैठना था ताकि बाल सफा क्रीम अपना काम कर सके . अपनी चूत पर क्रीम लगाने के बाद मैंने अपने पैरों को फैली पोज़िशन में ही सीधा किया , पलंग के पीछे तकिये पर सिर टिका कर अधलेटी पोज़िशन में आ गई . मैं बहुत थकी हुई थी इस लिए जल्दी ही मेरी आँख लग गई . मेरी चूत पर बाल सफा क्रीम लगी हुई थी और मैं उस को साफ़ किये बिना ही सो गई थी .

थोड़े समय के बाद मेरी आँख खुली . रूम की लाइट्स ऑन थी , शायद इस लिए मेरी आँख खुल गई थी . मैंने घड़ी देखी तो उस समय 11.00 बजे थे . मैं आधे घंटे सोयी थी . मैंने टिश्यू पेपर लिया और अपनी चूत से क्रीम साफ़ करने लगी . क्रीम के साथ बाल भी साफ़ हो गए और मेरी चूत फिर से चिकनी हो गई थी . खड़ी हो कर मैं बाथरूम गई , बाथरूम के अन्दर जा कर सबसे पहले अन्दर से अपने माँ बाप के रूम की तरफ खुलने वाला बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद किया और टिश्यू पेपर फ्लश करने के बाद अपनी चिकनी चूत को पानी से धो कर क्रीम पूरी तरह साफ़ की . मेरी रेशमी चूत अब चमक रही थी . मैंने माँ बाप की तरफ खुलने वाले बाथरूम के दरवाजे की कुण्डी फिर से खोली और अपने रूम में आ कर बाथरूम की लाइट बंद करते हुए उसे अपनी तरफ से लॉक किया . मैंने टॉवेल से अपनी गीली चूत साफ़ की , रूम की लाइट ऑफ की और आदत के मुताबिक नंगी ही पलंग पर सोने की कोशिश करने लगी . एक बार आँख खुलने की वाजाह से दोबारा नींद जल्दी नही आई पर मैं आंखें बन्द किए सोने की कोशिश करने लगी .

थोड़ी देर बाद मैने अपने मा बाप के रूम से आती हुई कुछ आवाज सुनी . मुझे पता चल गया की वहां उन के बीच जरूर चुदाई हो रही थी . ( आप जानते ही है की मैंने अपने माँ बाप को चुदाई करते हुए कई बार देखा है और मैंने चुदाई का पहला पाठ उन की चुदाई देख कर ही सीखा था . )

एक बार तो मैंने सोचा की करने दो उन को अपनी चुदाई , पर क्यों की मुझे नींद नहीं आ रही थी और मुझे हमेशा अपनी माँ को चुदवाते और पापा को चोदते हुए देखने में बहुत मज़ा आता है , मैं बिस्तर से नीचे आ गई और अपनी किस्मत आजमाने की सोची की शायद उन की तरफ का बाथरूम का दरवाजा खुला हो ताकि मैं उन की चुदाई का मज़ा ले सकूँ .
 
बिना लाइट चालू किये मैं बाथरूम में आई और उन के दरवाजे की नॉब घुमाई तो मैं बहुत खुश हो गई . कितनी लकी थी मैं . दरवाजा उन की तरफ से लॉक नहीं था . मैंने धीरे से , बिना आवाज किये करीब एक इंच दरवाजे को खोला , जो की मैं हमेशा उन को चुदाई करते हुए देखने के लिए करती हूँ . हमेशा की तरह उस दिन भी उन के रूम की लाइट ओं थी . मेरी तरह मेरे माँ बाप भी लाइट ऑन रख कर चुदाई का मज़ा लेते थे .

मैं तो नंगी थी ही , मैंने देखा की मेरी माँ और पापा भी पूरी तरह नंगे थे . मेरी माँ स्टडी टेबल के कोने पर बैठी हुई थी और उन के पैर मेरे पापा की नंगी कमर को पकड़े थे . वो ऐसी पोज़िशन में थे की मैं बाथरूम

से न तो माँ की चूत देख पा रही थी और न ही पापा का लंड देख पा रही थी . जो मैं देख सकती थी , वो थी माँ की चूचियां और पापा की गांड . पापा ने माँ के दोनों पैर अपने हाथों से पकड़े हुए थे और उन का लंड मेरी माँ की चूत में था . मैं बहुत खुश होती हूँ ये जान कर की मेरे माँ बाप एक सफल और चुदाई से भरी जिन्दगी जी रहे थे . पापा करीब 50 साल के और माँ करीब 45 साल की होने के बावजूद भी वो इतनी शानदार चुदाई अलग अलग पोज़िशन में करते थे जिस से उनके इस उम्र में भी चुदक्कड़ होने का पता चलता था . वो आपस में चुम्बन ले रहे थे और माँ के दोनों हाथ पीछे टेबल पर सपोर्ट ले रहे थे . उन्होंने चुम्बन ख़तम किया तो पापा सीधे खड़े हो गए . वो माँ के पैर अभी भी पकड़े हुए थे और अब पापा ने अपने लंड से माँ की चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे . पापा के लंड के , माँ की चूत में हर धक्के के साथ मेरी माँ की चूचियां ऊपर नीचे नाच रही थी . वो दोनों आपस में धीरे धीरे बोल रहे थे जो मैं सुन नहीं पाई . शायद वो सेक्सी बातें ही कर रहे होंगे .

बे ध्यानी में ही मेरा हाथ अपनी अभी अभी साफ़ की हुई चिकनी चूत पर चला गया . मेरी उँगलियों को पता चल गया की मेरी चूत गीली हो रही थी . ये असर था अपने माँ बाप की चुदाई देखने का . मैंने पूरा पूरा ध्यान रखा की कोई आवाज न होने पाए . मैं अपनी चूत पर धीरे धीरे हाथ फिरा रही थी क्यों की मैं जानती थी की जोर जोर से चूत में ऊँगली करने से मैं जल्दी ही झर सकती थी जिसकी वजह से मेरे मुंह से आवाज निकल सकती थी . मैं धीरे धीरे अपनी चूत को मसल रही थी . वहां , पापा अब जोर जोर से मेरी माँ को चोदने लगे थे . माँ की चूचियां भी तेजी से पापा के हर धक्के के साथ नाच रही थी . मेरे लिए हमेशा ही अपने माँ बाप की चुदाई देखना मजेदार रहा है और आज मैं फिर वही काम कर रही थी . और सब से खास बात ये है की मैं कभी भी ऐसा करते पकड़ी नहीं गयी थी , ये बहुत संतोष की बात है . चाचा से चुदवाते हुए भी मैं कभी भी नहीं पकड़ी गयी थी . मैं चुदाई करवाते हुए या चुदाई देखने के समय हमेशा ये ध्यान और सावधानी रखती हूँ की पकड़ी न जाऊं .

वहां मेरी माँ चुदी जा रही थी और यहाँ मुझे मज़ा आ रहा था .

पापा ने माँ को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी थी और माँ की आँखें आनंद के कारण बंद हो रही थी . माँ की बड़ी बड़ी चूचियां उछल रही थी , नाच रही थी और पापा माँ को अपने लंड से चोदे जा रहे थे ........ चोदे जा रहे थे ..... तेजी से चोदे जा रहे थे .

मेरी माँ चुद रही थी और मैं देख रही थी अपनी माँ को चुदते हुए .

मेरे चुदक्कड़ पापा मेरी चुदक्कड़ माँ को चोदते जा रहे थे और मैं , उनकी चुदक्कड़ बेटी उन की चुदाई देख रही थी . अब पापा के चोदने की रफ़्तार लिमिट क्रोस कर चुकी थी और मुझे पता चल गया की उनका लंड मेरी माँ की चूत में पानी बरसाने वाला है .

और ना चाहते हुए भी , मुझे वहां से हटना पड़ा क्यों की अब अधिक देर वहां खड़े रहने में देख लिए जाने का खतरा था .

मैंने धीरे से , बिना आवाज किये बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने रूम में आ गई . अपने रूम में आ कर बाथरूम अपनी तरफ से बंद कर लिया .

मैं काफी गरम और गीली हो चुकी थी. मुझे अब एक जोरदार चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी थी. मेरे चाचा तो थे ही मेरी चुदाई की जरूरत पूरी करने के लिए. मैंने अपने नंगे बदन पर गाउन डाला और चाचा के बेडरूम की चाबी ले कर अपने रूम से बाहर आई ( मेरे रूम चाबी चाचा के पास और चाचा के रूम की चाबी मेरे पास रहती है ताकि हम एक दुसरे के पास जब भी जरूरत हो, चुदाई करने या चुदवाने के लिए पहुँच सकते है) चाचा का रूम मेरे रूम के सामने ही था . उनके रूम का दरवाजा बंद पा कर मैंने चाबी से उन के रूम का दरवाजा खोला और अन्दर पहुँच गई . चाचा अपने बिस्तर में सिर्फ चड्डी पहने हुए गहरी नींद में सो रहे थे . उन के बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा था . रूम में नाइट बल्ब की रौशनी में मैं सब देख पा रही थी . वो अपनी पीठ के बल सीधे सोये हुए थे और उनकी चड्डी उनके लंड के ऊपर सपाट थी जिसका मतलब था की उन का लंड खड़ा नहीं है , नरम है . मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया और ये सोचती हुई उन के बिस्तर की तरफ बढ़ी की कैसे शुरू किया जाए . एक बार तो मैंने सोचा की क्यों उनकी नींद ख़राब की जाये पर तुरंत ही मैंने अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दिया क्यों की मुझे तो एक जोरदार चुदाई की जरूरत थी , मुझे तो चुदवाना था . मैं बिस्तर पर उन के पास सो गई . मैंने अपना हाथ उनके नरम लंड की तरफ बढाया और उस को पकड़ लिया . उन का लंड बहुत ही मुलायम , बहुत ही नरम था , बिलकुल किसी बच्चे के लंड की तरह . मैंने धीरे धीरे उन के लंड पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगी . जल्दी ही उन का लंड बड़ा होने लगा , फूलने लगा , जैसे गुब्बारे में हवा भर रही हो . मेरे हाथ लगाने से चाचा का लंड बड़ा हो कर खड़ा हो गया और कड़क हो गया था . चाचा अभी भी नींद में थे और शायद कोई चुदाई वाला सपना देख रहे थे जब मैंने उन के लंड को खड़ा कर दिया था . जल्दी ही उन की आँख खुल गयी , शायद मेरी पकड़ उन के लंड पर होने से .

मुझे देख कर वो बोले - अरे डार्लिंग ! मैं तुम्हारा ही सपना देख रहा था .

मैं बोली - और मैं सचमुच आप के पास हूँ .
 
चाचा मेरी तरफ घूम गए . मेरा गाउन मेरे घुटनों के ऊपर था और उन्होंने मेरे पैर से होते हुए अपना हाथ मेरी कमर तक घुमाया . उन को पता चल गया था की मैंने गाउन के नीचे कुछ नहीं पहना है . उन्होंने मेरे गाउन की गाँठ खोल कर उस को मेरे हाथों से बाहर निकाल कर उतार फेंका . अब मैं चाचा के सामने बिलकुल नंगी लेटी थी और मेरी अभी अभी बाल साफ़ की हुई चिकनी चूत चाचा के सामने थी . मैंने भी चाचा की चड्डी उतार कर उनके लंड को आज़ाद कर दिया था . मेरे हाथ चाचा के बदन पर घूम रहे थे और चाचा के हाथ मेरे सेक्सी बदन पर फिर रहे थे . उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए . मेरी मुलायम जीभ को उन्होंने अपने मुह में ले कर चूसा . मैं तो और भी गरम हो चली थी . अपने नंगे बदन को मैं चाचा के नंगे बदन से रगड़ने लगी . चाचा का पूरी तरह तना हुआ , खड़ा हुआ , कड़क , गरम , लम्बा और मोटा लौड़ा किसी लोहे की रोड की तरह , मेरे पैरों के बीच में से मेरी गांड को टच कर रहा था . मैं अपनी दोनों कड़क चूचियां चाचा की बालों भरी छाती पर रगड़ रही थी . मैं चाचा का लंड अपनी चिकनी चूत में लेने को बेक़रार थी . मैंने अपना हाथ नीचे कर के चाचा के लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया . उन के हाथ मेरे बदन पर घूमते हुए मेरी गोल गोल गांड पर पहुंचे और चाचा ने मेरी गांड को दबाया . उन की उँगलियाँ कई बार मेरी गांड के बीच की दरार में घूमी तो मैं और भी बेक़रार हो चली . चाचा समझ चुके थे की मैं जल्दी से जल्दी चुदवाना चाहती हूँ . उन्होंने मुझे थोड़ा ऊपर किया और मेरी चूची और निप्पल चूसने लगे . वो कुछ इस तरह से अपनी जीभ मेरी निप्पल पर घुमा रहे थे की मैं तो पागल सी हो गई थी . अब हम चुदाई करने की परफेक्ट पोजीसन में थे . मैंने फिर से अपना हाथ नीचे किया और चाचा के तने हुए लंड को पकड़ कर मेरी गीली चूत के दरवाजे पर रखा और अपनी गांड नीचे की . मैं चाचा के ऊपर सोई होने की वजह से सिर्फ उन के लंड का मुह ही मेरी चूत के अन्दर जा पाया . तब तक चाचा ने अपना चूची चुसाई का काम पूरा कर लिया और अब मैं चाचा के लंड पर बैठ गयी थी . मेरी चूत तो गीली थी ही , मेरे उन के लंड पर दो तीन बार उठने बैठने की वजह से चाचा का पूरे का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया . मजेदार चुदाई के लिए मैंने अपने दोनों हाथ पीछे कर के चाचा की जाँघों पर रख लिए ताकि उनका लम्बा लंड आराम से मेरी चूत में आ जा सके .

वो मेरी चूचियां मसल रहे थे और मैं उन के ऊपर , उनका लंड अपनी चूत में ले कर चुदाई के लिए तैयार थी .

चूत और लंड की अन्दर बाहर करके चुदाई करने के पहले मैंने चाचा को सर्प्राइज़ दिया . मैंने चाचा के लंड को अपनी चूत में पकड़े हुए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर हो कर गोल गोल घुमाया , किसी ग्राइंडर की तरह . हे भगवान .... मैंने ऐसा पहली बार किया था और मुझे बड़ा मज़ा आया

मैं अपनी गांड गोल गोल घुमाते जा रही थी और उन का लंड मेरी चूत के अन्दर घूम रहा था . आप खुद समझ सकतें है की इस का क्या असर होता है . जब मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा रही थी तब चाचा मेरी गांड को नीचे से पकड़ कर दबा रहे थे , मसल रहे थे . वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रहे थे क्यों की उन को भी मज़ा आ रहा था . 10 / 15 बार अपनी गांड घुमाने के बाद अब मैं चुदवाना चाहती थी .

अब मैं अपनी गांड ऊपर नीचे कर रही थी और चाचा का लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा . चाचा भी पूरा सपोर्ट कर रहे थे अपनी गांड ऊपर नीचे करके . मैं जब अपनी गांड नीचे करती , चाचा अपनी गांड ऊपर करते और उन का लौड़ा मेरी चूत के काफी अन्दर तक पहुँच जाता . मैंने धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर नीचे करनी शुरू की थी लेकिन मेरी रफ़्तार अपने आप बढती गई . मैं अपनी चूत का धक्का नीचे लगा रही थी और चाचा अपने लंड का धक्का अपनी गांड ऊपर कर के मेरी चूत में लगा रहे थे . मैंने देखा की मेरी दोनों चूचियां हर धक्के के साथ ऊपर नीचे हिल रही थी , नाच रही थी . अपनी खुद की चुचियों को इस तरह हिलते हुए देख कर मुझे एक बार फिर अपनी माँ की बड़ी बड़ी , नंगी चुचियों की याद आ गयी जो की पापा से चुदवाते समय नाच रही थी . हम दोनों अपनी अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई में मगन थे .

मैं तो चाचा से चुदाई शुरू करने के पहले से गरम थी जब मैंने अपनी माँ को अपने पापा से चुदवाते हुए देखा था और मैंने अपनी चूत पर भी अपना हाथ काफी देर तक फिराया था , इसलिए मैं जल्दी ही अपनी मंजिल की तरफ , झड़ने की तरफ बढ़ने लगी थी . मेरे चाचा जानते थे की मैं बहुत जल्दी झड़ने वाली हूँ . वो नीचे से मुझे जोर जोर से चोदने लगे और मैं भी ऊपर से जोर जोर से चुदवाने लगी . हमारी चुदाई से रूम में चुदाई की आवाजें गूंजने लगी . चाचा का लम्बा , मोटा और कड़क लंड मेरी रसीली चूत में अन्दर बाहर होता हुआ " फचा फच .. फचा फच " की आवाज कर रहा था . मेरा तो ये मानना है की चुदाई का संगीत ही दुनिया का सबसे प्यारा संगीत है . मेरी गांड तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी . मुझे पता था की चाचा के लंड का रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है , पर मेरा तो हो गया था . ओह चाचा ..... मेरा हो रहा है .... मैं तो गई ........ और मैं सचमुच गयी . मैं झड़ गई थी . बहुत ही जोर से झड़ी थी . मैं अपनी गांड चाचा की जांघों पर टिका कर उन के लंड को अपनी चूत में लिए बैठ गई थी . मैं अपनी चूत भींच भींच कर झड़ने का मज़ा ले रही थी और थोड़ी देर ऐसे ही आँखें बंद किये बैठी रही . क्या जोरदार चुदाई की थी चाचा ने . मैं कितनी खुश किश्मत हूँ की हर चुदाई में मैं कम से कम दो बार झडती हूँ . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे . मैं जानती थी की चुदाई तो अभी और बाकी है , क्यों की चाचा के लंड का पानी निकलना अभी बाकी है .
 
मैं थक चुकी थी इस लिए मैं चाचा के ऊपर से नीचे उतर गई . चाचा का लंड , मेरी चूत के रस से गीला लंड , नाइट बल्ब की रौशनी में चमक रहा था . चाचा ने एक बार फिर मेरे सेक्सी बदन पर हाथ फिराया और मुझे घुमने को कहा , अपनी तरफ पीठ करने को कहा . एक बार तो मैंने सोचा की चाचा आज मेरी गांड मारने वाले है . पर मुझे पता था की उन को गांड मारना पसंद नहीं है . इस का मतलब वो मेरी चिकनी चूत पीछे से चोदना चाहते थे .

मैं अपनी साइड पर , दूसरी तरफ मुह करके , चाचा की तरफ पीठ करके लेट गई . अपना ऊपर का पैर मैंने थोड़ा और ऊपर किया और चुदवाने की पोजीसन बनाई . चाचा ने अपना गीला कड़क लंड अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत में पीछे से डाला . मेरी चूत भी गीली थी और चाचा का लंड भी गीला था इस लिए बिना ज्यादा दिक्कत के, दो तीन धक्कों में उनका लंड मेरी चूत में पीछे से घुस गया . चाचा ने मेरी चूचियां पकड़ी और अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए मुझे चोदने लगे . उन की गांड आगे पीछे हिल रही थी और उन के पैर मेरी नंगी गांड पर हर धक्के के साथ टकरा रहे थे . आप को तो पता है की हर पोजीसन में चुदवाने का अपना अलग मज़ा है . कुछ इसी तरह का मज़ा पीछे से चुदवाने में भी आता है . मैंने चाचा से चुदवाते हुए अपने माँ बाप के बारे में सोचा . वो दोनों एक जोरदार चुदाई के बाद सो गए होंगे पर ये नहीं जानते थे की उन की बेटी अब दुसरे रूम में अपने चाचा से चुदवा रही है . चाचा के गरमा गरम लंड के धक्के मेरी गरम और गीली चूत में लग रहे थे . और एक बार फिर वही , चुदाई का मधुर संगीत बजने लगा . चाचा का लम्बा लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था और उनके दोनों पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में थे . मैं चुदवाती हुई फिर से एक बार अपनी मंजिल पर पहुँचने के करीब थी और मैं भी अपनी गांड हिला हिला कर , आगे पीछे करके चुदाई में चाचा का साथ दे रही थी . मेरा दूसरी बार होने वाला था . चुदवाते हुए मैंने चाचा के लंड के सुपाड़े को अपनी चूत में और कड़क , और मोटा होता महसूस किया तो मुझे पता चल गया की चाचा का लंड भी पानी बरसाने को तैयार है . मैं भी झड़ने के काफी पास थी और चाचा मेरी चूत में जोर जोर से , तेजी से धक्के मारने लगे . और फिर मैं तो पहुँच ही गयी . मैं दूसरी बार झर चुकी थी . चाचा लगातार मुझे चोदते जा रहे थे . और अचानक उन के लंड ने अपना गरम गरम प्रेम रस मेरी रसीली चूत में बरसाना शुरू कर दिया . चाचा ने पीछे से मुझे जोर से कस कर पकड़ लिया . मैं तो जैसे हवा में उड़ रही थी . चाचा का लंड नाच नाच कर मेरी चूत अपने रस से भर रहा था और मैंने मज़े के मारे अपनी गांड भींच कर के उन के पानी बरसते हुए लंड को अपनी चूत में जकड़ लिया . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे , मेरी गांड दबा रहे थे और मेरी आँखें तो मजेदार चुदाई के कारण बंद सी हो रही थी . हम कुछ देर वैसे ही पड़े रहे . मेरी चूत में चाचा का लंड शांत हो चुका था . थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना नरम होता लंड अपनी गांड पीछे कर के मेरी चूत से निकाल लिया . मैं खड़ी हो कर बाथरूम में अपनी चूत साफ़ करने चली गई . जब मैं वापस आई तो चाचा को वैसा ही नंगा सोया देख कर मैं हंस पड़ी . उन का नरम हो चुका लंड अब नुन्नी बनकर उन की गोलियों पर आराम कर रहा था . चाचा जानते थे की मुझे नुन्नी बने नरम लंड से खेलना बहुत अच्छा लगता है , शायद इसी लिए .

मैंने बिस्तर पर आ कर उन के नरम नुन्नी लंड को सीधे अपने मुंह में ले लिया और किसी लोली पॉप की तरह चूसने लगी . मैंने उन का लंड चूसते हुए उन के लंड का रस ही नहीं , अपनी खुद की चूत के रस का भी स्वाद लिया . इस समय उन का लंड इतना नरम और इतना छोटा लुल्ली हो गया था की मैं उस को पूरे का पूरा अपने मुंह में ले गई थी . मैंने अपने हाथ से उनकी गोल गोल गोलियों को भी मसला . मैंने उन के लुल्ली लंड को मुंह से बाहर निकाल कर अपनी हथेली पर लिया तो वो एक छोटे चूहे के जैसे लग रहा था . मैंने उन के नरम लंड को अपनी मुलायम चुचियों के साथ रगड़ा , फिर से उस को मुंह में ले कर चूसा तो वो फिर से बड़ा होने लगा . फिर उन के लौड़े की लम्बाई इतनी बढ़ गई

इतनी बढ़ गई कि उस को मूह मे रखना मुश्किल हो गया. चाचा का गरम खड़ा लंड फिर से चुदाई करने के लिए तय्यार हो गया था पर मेरी चूत की चुदाई तो हो चुकी थी. मैने चाचा को खड़े लंड के साथ छ्चोड़ कर अपने रूम मे जा कर सोना ठीक नही समझा. मैं तो दो बार झाड़ चुकी थी और चाचा के लंड ने सिर्फ़ एक बार ही पानी निकाला था. मैं चाहती थी कि चाचा को फिर से एक बार उनके लंड से पानी निकाल कर मज़ा दूं.

मैने चाचा के खड़े हुए गरम लंड के उपर की चॅम्डी नीचे की तो उनके लंड का चमकता हुआ मूह बाहर निकल आया. मैने उनके लंड को मूह मे ले कर आइस क्रीम की तरह चूसना शुरू किया. मेरी जीभ उन के लंड मूंद सुपाडे पर फिर रही थी और उन के लौडे से गरम होने के सबूत के तौर पर पानी निकलने लगा. लॅंड जब भी चुदाई के लिए तय्यार होता है, उस के मूह से पानी निकलने लगता है जैसे हम लड़कियों की चूत से रस निकलता है. ये तो कुदरत का क़ानून है. उनका लंड और भी सख़्त होता जा रहा था. चाचा के लंड का आगे का भाग मेरे मूह मे था और नीचे से उनके लंड को अपने हाथ से टाइट पकड़ कर उपर नीचे……आगे पीछे करते हुए मूठ मारने लगी. चाचा का पूरा लंड मेरे कब्ज़े मे था. आगे का भाग, सूपड़ा, लंड का मूह मेरे मूह मे था और नीचे का भाग मेरे हाथ मे था. चाचा प्यार से मेरे बालों मे हाथ फिराने लगे. हम अभी अभी तो चुदाई कर के हटे थे और और तुरंत ही हम फिर चुदाई का एक और खेल खेल रहे थे. कितनी लकी हूँ मैं.

अब तक मेरे चूसने और मूठ मारने से चाचा का लंड अपनी पूरी ताक़त के साथ, पूरी लंबाई और मॉटेपेन के साथ खड़ा हो गया था जिसकी वजह से मेरे मूह मे सिर्फ़ उनके लंड का मूह ही रह गया था. मैने उनके लंड को अपने मूह से तो बाहर निकाला पर उसे अपने हाथ मे पकड़े रही. मैने अपना मूह उपर करके चाचा को एक चुंबन दिया. चाचा मेरे नीचे का होठ चूस रहे थे और मैं चाचा का उपरी होठ चूस रही थी. मेरा हाथ लगातार उन के लंड को पकड़े हुए मूठ मार रहा था. चुंबन पूरा होने के बाद मैने अपना सिर चाचा की चौड़ी, बालों भरी छाती पर रख दिया. अब मैं पूरी ताक़त से, पूरी क़ाबलियत के साथ उन के लंड पर मूठ मार रही थी.मैं इस पोज़िशन मे उनके मोटे, लंबे और गरम लंड को खुद ही मूठ मारते हुए देख सकती थी. चाचा का हाथ मेरी पीठ और मेरी नंगी गोल गोल गंद पर घूम रहा था. मुझे भी मज़ा आ रहा था. चाचा का लंड इतना लंबा है कि करीब आधा ही मेरे हाथ मे था और और मैं उस को पकड़ कर तेज़ी से उपर नीचे …….. उपर नीचे कर रही थी. मुझे पता था कि उनके लंड से हमेशा ही पानी निकलने मे बहुत वक़्त लगता है और उपर से वो अभी अभी मेरी चूत मे पानी निकाल चुके है तो और ज़्यादा समय लगेगा. मैने मूठ मारते हाथ को आराम दे कर अपने दूसरे हाथ से मूठ मारने लगी. मैं कुछ इस तरह लेटी हुई थी कि मेरा सिर चाचा की छाती पर था और और मैं सीधी लेटी हुई अपने हाथ मे उनका लॉडा पकड़ कर हिला रही थी. मेरी इस पोज़िशन मे चाचा के लिए मेरी चूत तक पहुँचना आसान था. मैने अपने पैर चौड़े किए तो चाचा का हाथ मेरी चूत तक पहुँच गया. चाचा मेरी चूत से खेलने लगे और मैं उन के लंड से खेल रही थी. वो अपनी बीच की उंगली मेरी चूत के बीच उपर नीचे घुमा रहे थे.
 
मैं उनका लंड पकड़ कर मूठ मार रही थी और चाचा मेरी रसीली चिकनी चूत को अपनी उंगली से चोद रहे थे. मेरी चूत से फिर से रस निकलना शुरू हो गया था जिसकी वजह से चाचा की उंगली मेरी चूत मे आराम से घूम रही थी. मेरी चूत मे चाचा की उंगली अंदर बाहर हो रही थी और मेरी चूत चाचा की उंगली से चुदि जा रही थी. चाचा ने मुझ थोड़ा उपर होने को कहा ताकि वो अपनी उंगली मेरी चूत मे ज़्यादा अंदर तक डाल सके. अब उनकी बीच की उंगली पूरी मेरी चूत मे घुस चुकी थी. बीच बीच मे चाचा मेरी चूत के दाने को भी मसल रहे थे. मैने अपनी मूठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी. मैं बहुत नज़दीक थी और मेरा बदन झड़ने के लिए अकड़ने लगा. मेरी आँखें बंद हो गई पर मैं लगातार चाचा के लंड को पकड़े हुए तेज़ी से, ज़ोर ज़ोर से मूठ मारे जा रही थी. मैं अपने चुड़क्कड़ चाचा को मूठ चुदाई का पूरा पूरा आनंद देना चाहती थी. और हमेशा की तरह, चाचा के लंड का पानी निकालने से पहले ही मैं झाड़ चुकी थी. चाचा की मेरी चूत चोद्ति उंगली को मैने अपनी चूत मे ही अपने पैर टाइट कर के जाकड़ लिया. मैं मूठ मारती जा रही थी, चाचा का लॉडा उपर नीचे….. उपर नीचे करती जा रही थी. थोड़ी देर बाद जब चाचा की गंद हिलने लगी, उपर नीचे होने लगी, लंड और भी सख़्त हो गया तो मैं समझ गई कि चाचा के लंड से पानी की बौछार होने वाली है. अचानक ही चाचा के लंड ने अपना पानी छ्चोड़ दिया. उनके लंड से निकला पानी फ़ौव्वारे की तरह हवा मे काफ़ी उपर तक गया और फिर हम दोनो के नंगे बदन पर गिरने लगा.

चाचा का लंड धार के रूप मे बार बार अपना रस बरसता रहा और हम दोनो उन के लंड से निकले प्रेम रस मे भीगने लगे. मैं अभी भी उनके लंड को पकड़ कर धीरे धीरे हिला रही थी ताकि उन के लंड का पूरा पानी निकल जाए. चाचा का लंड मेरे हाथ मे मज़े के मारे नाच रहा था.

चाचा ने फिर मुझे किस किया और हम दोनो साथ साथ बाथरूम मे अपने बदन की सफाई करने गये. मैं बहुत ही थकान महसूस कर रही थी मैने घड़ी देखी तो रात के 1.30 बजे थे.

बाथरूम मे हम दोनो साथ साथ नंगे नहाए और एक दूसरे के बदन को सॉफ किया. मेरा बदन सॉफ करते हुए चाचा मेरी चुचियों को मसलना नही भूले और मैं चाचा के नरम नुन्नि लंड को रगड़ना नही भूली थी.

मैने अपने नंगे बदन पर फिर से अपना गाउन डाला और चाचा ने अपनी कमर पर तौलिया लपेट लिया.

मैं चाचा से चुद्वाने के बाद फिर से अपने रूम मे वापस आ गई. मेरी चूत जो चाचा से चुद्वाने चली थी, चुद्वा कर वापस आ गई थी.

मैने अपने रूम का दरवाजा अंदर से बंद किया और गाउन उतार कर नंगी अपने बिस्तर मे लेट गई. अपने मा बाप की चुदाई और फिर मेरी चुदाई अपने चोदु चाचा के साथ……. ये सब किसी फिल्म की तरह मेरे दिमाग़ मे चलने लगा और मैं गहरी नींद ने पहुँच गई.

क्रमशः.........................................
 
जुली को मिल गई मूली--11

गतान्क से आगे....................................

ये घटना 2005 की है जब मैं 24 साल की थी और अपने चाचा और अपने प्रेमी से लगातार चुद्वाती थी. आप सब को तो पता ही है कि मैं उस कमसिन लड़के रतन से भी कभी कभी चुद्वाती हूँ. रतन भी अब चोद्ने मे बहुत होशियार हो गया था क्यों कि मैने उस को चुदाई की कला के बारे मे बहुत कुछ सिखा दिया था और उस ने भी तेज़ी से सब सीख लिया था. उस ने अपनी तरफ से ना कभी मुझे चोदा और ना ही मुझे चुद्वाने के लिए कहा. उस ने मेरी चुदाई तभी की जब मैने चाहा कि वो मुझे चोदे. अपनी मालकिन की सेवा करने का उस का तरीका मुझ को बहुत पसंद आया था. मैं हमेशा रुपये - पैसे से उस की हेल्प करती थी और वो दिल से मेरी सेवा करता था. मेरे चाचा और मेरा प्रेमी दोनो ही मेरे रतन के साथ चुदाई के संबंध से अंजान थे. मैं अपने आप को बहुत ही खुस किस्मत समझती हूँ कि मेरी जिंदगी मे हमेशा मेरी शानदार चुदाई होती है.

एक बार मैं और मेरा प्रेमी एक रेस्टोरेंट मे डिन्नर के लिए गये थे. वो ब्लॅक लेबल पी रहा था और मैं बियर का मज़ा ले रही थी. अचानक, मैने उसकी चुदाई की पार्ट्नर अंजू के बारे मे पूछा.

यहाँ मैं फिर से एक बार बता दूं कि मेरे प्रेमी रमेश ने मुझे खुद के और अंजू के बारे मे सब कुछ बता दिया था. मैने भी उस को अपने चाचा से चुदाई के संबंध के बारे मे बता दिया था. मैं यहाँ आप को अंजू के बारे मे बता दूं जो कि मुझे रमेश ने बताया था. अंजू एक नयी शादी शुदा औरत है जो मेरे प्रेमी के पड़ोस मे रहती है और अंजू का हज़्बेंड रमेश का दोस्त है. अपनी शादी के दिन से ही अंजू चुप चाप रहने लगी थी. किसी से कुछ भी बात नही करती थी. एक बार रमेश ने अंजू को उस के चुप चाप रहने का कारण पूछा तो उस की आँखो मे पानी आ गया लेकिन वो मूह से कुछ नही बोली. एक दिन, जब अंजू के घर पर कोई नही था रमेश वहाँ गया और उस से वही सवाल किया. वो रोने लगी थी. रमेश ने उस को शांत किया और उस को अपनी परेशानी बताने को कहा. उस ने उस की हर मुमकिन मदद करने का प्रोमिस किया. वो बोली कि कोई उस की मदद नही कर सकता. उस की किस्मत मे दर्द ही लिखा है और उसी दर्द के साथ उस को जिंदगी गुजारनी होगी. रमेश के बार बार पूछने पर उस ने बताया कि उस का हज़्बेंड एक ना-मर्द है और शादी के इतने दिन बाद भी अभी तक उस को चोद नही पाया है. उस का पति कोशिस तो रोज करता है पर कुछ कर नही पाता. उस का लंड भी खड़ा होता है पर जैसे ही वो अपने लंड को उसकी चूत के पास ले जाता है, उस के लंड का पानी निकल जाता है. अभी तक उस का पति अपने लंड को उस की चूत के अंदर ज़रा भी नही डाल पाया है जब कि उनकी शादी को दो महीने हो गये थे. रमेश ये सुन कर बहुत हैरान हुआ कि उस का दोस्त एक जवान लड़का है पर फिर भी चुदाई के मामले मे एक ना मर्द है. अंजू ने रमेश से कहा कि वो ये बात किसी को भी ना बताए.

एक हफ्ते बाद, अंजू किसी काम से रमेश के घर आई थी. वो रमेश की मा से बात कर रही थी की रमेश घर पर आया. रमेश की मा रमेश को अंजू से बातें करने को कह कर किचन मे चाइ बनाने चली गई. अचानक रमेश ने अंजू को कस कर गले लगा लिया और उस के होंठो का चुंबन ले लिया. अंजू ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया जो कि रमेश के लिए सॉफ सॉफ इशारा था. अंजू ने रमेश को अकेले मे मिलने को कहा. अगले दिन, रमेश को अंजू से अकेले मे मिलने का मौका मिला और रमेश ने अंजू को अंजू के बेडरूम मे पहली बार चोद्कर अंजू की सील तोड़ी और अंजू को पहली बार चुदाई का आनंद दिया. तब से, वो दोनो महीने मे मौका देख कर 3 / 4 बार चुदाई कर लेते थे. अब मेरे प्रेमी रमेश से चुद्वाने के बाद से अंजू बहुत खुस रहने लगी है.

बियर पीते हुए, रेस्टोरेंट मे मैने मेरे प्रेमी रमेश से पूछा - " अंजू कैसी है ?"

रमेश - वो ठीक है, पर तुम उसके बारे मे क्यों पूछ रही हो.

मैं - कोई खास बात नही, ऐसे ही दिल मे आ गया तो पूछ रही हूँ. वैसे तुम कब मिले थे उस से पिछली बार?

रमेश - पिछले हफ्ते.

मैं मुश्काई और बोली - " केवल मिले ही थे या और भी कुछ किया था तुम दोनो ने मिल कर?"

रमेश ने भी हंस कर जवाब दिया - हम दोनो तो कुछ करने के लिए ही मिलते है. मैं तो समाज सेवा कर रहा हूँ, एक शादी शुदा औरत को शादी शुदा होने का हक़ दे रहा हूँ.

मैं ऐसी बातें करते हुए गरम होने लगी थी. हम दोनो टेबल की सेम साइड पर पास पास बैठे थे. हमारे पैर टेबल के नीचे एक दूसरे के पैरों से खेल रहे थे. उस ने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख कर प्यार से दबाया. हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों मे देखा. हम दोनो ही गरम हो रहे थे.
 
Back
Top