hotaks444
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गतान्क से आगे……………………………..
मेरी उमर उस समय 18 साल की थी और मैं गोआ की एक कॉलेज मे पहले साल कॉमर्स मे पढ़ती थी. मेरी कॉलेज मेरे घर से करीब 20 किमी. दूर थी. मैने अपने पापा से कॉलेज आने जाने के लिए एक स्कूटर माँगा तो पापा ने मुझे एक साल और वेट करने को कहा और मुझे बस मे कॉलेज आने जाने की सलाह दी. बस हमारे घर के पास से ही जाती थी और कॉलेज के गेट तक जाती थी. बस सर्विस बहुत रेग्युलर थी. मेरी दोस्त आंजेलीना भी मेरे साथ मेरी क्लास मे ही थी. हम दोनो साथ साथ ही कॉलेज जाती थी.
मैने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़का उसी बस मे हमेशा आता जाता था जो कि हमारे कॉलेज मे ही पढ़ता था. मेरी दोस्त आंजेलीना ने भी ये नोट किया था और मुझे बताया कि वो लड़का हमेशा मुझ को ही देखा करता था जब मेरी नज़र कहीं और होती थी. वैसे मैं भी उसको देखा करती थी क्यों कि वो बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और अच्छे घर का एक अच्छा लड़का लगता था. शायद मैं मन ही मन मे उसको प्यार करने लगी थी और लगता था वो भी मुझको पसंद करता है.
कुछ दिनो के बाद आंजेलीना ने मुझे बताया कि वो लड़का हमारे कॉलेज मे फाइनल एअर मे पढ़ता है. उस का नाम रमेश है. वो बहुत ही बरिल्लिएंट स्टूडेंट है इस कॉलेज का. आंजेलीना ने मुझे ये भी बताया कि वो हिंदू है और मैं कॅतोलिक लड़की हूँ, इस लिए उसके बारे मे ज़्यादा सीरियस्ली सोचने की ज़रूरत नही है. उस ने मुझ से कहा कि अगर मैं उस के साथ मज़े करना चाहूं तो कोई बात नही है पर उस के साथ सीरीयस रीलेशन शिप यानी प्यार ना करूँ. पर आंजेलीना को क्या पता था कि मेरे सोचने का तरीका अलग है. मुझे वो सचमुच बहुत अच्छा लगता था.
एक दिन, मैं अकेली थी बस मे कॉलेज जाते समय, आंजेलीना मेरे साथ नही थी. बस मे काफ़ी भीड़ थी और बैठने की कोई जगह नही थी. मैने देखा कि रमेश भी उसी बस मे था हमेशा की तरह और मुझ से कुछ सीट पीछे बैठा था जहाँ मैं खड़ी थी. उस ने मुझे इशारे से अपनी सीट ऑफर की तो मैने हाथ हिला कर धन्यवाद का सिग्नल दिया और अपनी जगह खड़ी रही. ये हमारे बीच मे पहला संपर्क था. अचानक खड़े हुए मैने अपनी गंद पर कुछ महसूस किया और मूड कर देखा तो एक आदमी था जो अपना खड़ा हुआ कड़क लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ रहा था. मैं चुदाई के बारे मे जानती थी इस लिए समझ गई कि वो क्या कर रहा है. मैं आप को बता दूं कि मैं ऐसी बातों मे चुप रहने वाली लड़की नही थी. पहले तो मैने सोचा कि ये सब शायद अंजाने मे हो गया होगा. बेचारे का लंड खड़ा हो गया होगा और अंजाने मे ही मेरी गंद पर लग गया होगा. अगर ऐसा होता तो मैं चुप ही रहती. मगर जल्दी ही मैं समझ गई कि वो ये सब जान भूझ कर कर रहा है. उस ने अपना खड़ा लंड बार बार, बस के हर धक्के से साथ मेरी गंद पर दबाना सुरू कर दिया था. मैने उसको सबक सिखाने की सोच ली. मैने अपना हाथ पीछे किया और धीरे से उसके खड़े हुए लंड को हाथ लगाया. वो बहुत ही खुस हुआ ये देख कर कि मैने उसके लंड पर हाथ रखा है. वो समझ रहा था कि मैं उस से पट गई थी और उसका लंड मुझ को अच्छा लग रहा था. वो तो फिर ज़ोर ज़ोर से अपना कड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ने लगा था. वो समझ रहा था कि मैं उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ना चाहती हूँ. अचानक मैने उसके लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर निचोड़ दिया ज़ोर से. दर्द के मारे वो हवा मे उच्छल पड़ा और ज़ोर से चिल्लाया. बस मे सब उसकी तरफ देखने लगे और पूछने लगे कि क्या हुआ? अब वो कैसे किसी को बताता कि क्या हुआ. उस ने कंडक्टर से बस रोकने को कहा और बोला कि उसकी तबीयत ठीक नही है और वो उतरना चाहता है, और वो बस से नीचे उतर गया.
आख़िर बस कॉलेज के सामने पहुँची और मैं बस से उतर गई. मैने देखा कि रमेश भी पीछे के दरवाजे से उतर गया था.
” हेलो……. मेरा नाम रमेश है और मैं भी इसी कॉलेज मे पढ़ता हूँ.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.
“हेलो …… मैं जूली हूँ.” मैने जवाब दिया.
रमेश – ” तुम से मिल कर अच्छा लगा जूली.”
मैं – ” मुझे भी तुम से मिल कर अच्छा लगा रमेश.”
रमेश – ” मैने देखा जो बस मे हुआ था.”
मैं – ” क्या हुआ था? कुछ भी तो नही हुआ था.”
रमेश – ” मैं बता नही सकता, पर मैने सब देखा. वो क्या कर रहा था और कैसे तुम ने जवाब दिया. मुझे अच्छा लगा”
मैं – ” मैं ऐसा ही जवाब देने वाली लड़की हूँ.”
रमेश – ” मुझे भी ऐसा जवाब देने वाली लड़की पसंद है. मैं रोज़ तुम को बस मे देखता हूँ. मैं यहाँ फाइनल एअर मे हूँ. क्या तुम मुझ से दोस्ती करना पसंद करोगी?”
मैं- ” हां. मैं इसी बस से रोज़ आती जाती हूँ. मुझे तुम्हारी दोस्त बन कर खुशी होगी.”
रमेश – ” तो फिर ठीक है. आज से हम दोनो दोस्त है और बस मे हम साथ साथ सफ़र करेंगे. ठीक है?”
मैं – ” ठीक है रमेश. हम को अब अपनी क्लास मे जाना चाहिए.”
और हम अपनी अपनी क्लासस मे चले गये. अब हम तीनो रोज बस मे साथ साथ आने जाने लगे, मैं, आंजेलीना और रमेश. कभी कभी हम तीनो कॅंटीन मे भी साथ साथ जाते थे. मैने महसूस किया कि रमेश भी मुझ से प्यार करने लगा है. मुझे छुने का वो कोई भी मौका नही छ्चोड़ता था. एक दिन मैने आंजेलीना से कहा कि लगता है वो भी मुझ से प्यार करता है, लेकिन उसने कभी अपने मूह से नही कहा. आंजेलीना ने कहा कि वो इस बारे मे उस से जल्दी बात करेगी. तब तक हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही बने रहे.
मेरी उमर उस समय 18 साल की थी और मैं गोआ की एक कॉलेज मे पहले साल कॉमर्स मे पढ़ती थी. मेरी कॉलेज मेरे घर से करीब 20 किमी. दूर थी. मैने अपने पापा से कॉलेज आने जाने के लिए एक स्कूटर माँगा तो पापा ने मुझे एक साल और वेट करने को कहा और मुझे बस मे कॉलेज आने जाने की सलाह दी. बस हमारे घर के पास से ही जाती थी और कॉलेज के गेट तक जाती थी. बस सर्विस बहुत रेग्युलर थी. मेरी दोस्त आंजेलीना भी मेरे साथ मेरी क्लास मे ही थी. हम दोनो साथ साथ ही कॉलेज जाती थी.
मैने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़का उसी बस मे हमेशा आता जाता था जो कि हमारे कॉलेज मे ही पढ़ता था. मेरी दोस्त आंजेलीना ने भी ये नोट किया था और मुझे बताया कि वो लड़का हमेशा मुझ को ही देखा करता था जब मेरी नज़र कहीं और होती थी. वैसे मैं भी उसको देखा करती थी क्यों कि वो बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और अच्छे घर का एक अच्छा लड़का लगता था. शायद मैं मन ही मन मे उसको प्यार करने लगी थी और लगता था वो भी मुझको पसंद करता है.
कुछ दिनो के बाद आंजेलीना ने मुझे बताया कि वो लड़का हमारे कॉलेज मे फाइनल एअर मे पढ़ता है. उस का नाम रमेश है. वो बहुत ही बरिल्लिएंट स्टूडेंट है इस कॉलेज का. आंजेलीना ने मुझे ये भी बताया कि वो हिंदू है और मैं कॅतोलिक लड़की हूँ, इस लिए उसके बारे मे ज़्यादा सीरियस्ली सोचने की ज़रूरत नही है. उस ने मुझ से कहा कि अगर मैं उस के साथ मज़े करना चाहूं तो कोई बात नही है पर उस के साथ सीरीयस रीलेशन शिप यानी प्यार ना करूँ. पर आंजेलीना को क्या पता था कि मेरे सोचने का तरीका अलग है. मुझे वो सचमुच बहुत अच्छा लगता था.
एक दिन, मैं अकेली थी बस मे कॉलेज जाते समय, आंजेलीना मेरे साथ नही थी. बस मे काफ़ी भीड़ थी और बैठने की कोई जगह नही थी. मैने देखा कि रमेश भी उसी बस मे था हमेशा की तरह और मुझ से कुछ सीट पीछे बैठा था जहाँ मैं खड़ी थी. उस ने मुझे इशारे से अपनी सीट ऑफर की तो मैने हाथ हिला कर धन्यवाद का सिग्नल दिया और अपनी जगह खड़ी रही. ये हमारे बीच मे पहला संपर्क था. अचानक खड़े हुए मैने अपनी गंद पर कुछ महसूस किया और मूड कर देखा तो एक आदमी था जो अपना खड़ा हुआ कड़क लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ रहा था. मैं चुदाई के बारे मे जानती थी इस लिए समझ गई कि वो क्या कर रहा है. मैं आप को बता दूं कि मैं ऐसी बातों मे चुप रहने वाली लड़की नही थी. पहले तो मैने सोचा कि ये सब शायद अंजाने मे हो गया होगा. बेचारे का लंड खड़ा हो गया होगा और अंजाने मे ही मेरी गंद पर लग गया होगा. अगर ऐसा होता तो मैं चुप ही रहती. मगर जल्दी ही मैं समझ गई कि वो ये सब जान भूझ कर कर रहा है. उस ने अपना खड़ा लंड बार बार, बस के हर धक्के से साथ मेरी गंद पर दबाना सुरू कर दिया था. मैने उसको सबक सिखाने की सोच ली. मैने अपना हाथ पीछे किया और धीरे से उसके खड़े हुए लंड को हाथ लगाया. वो बहुत ही खुस हुआ ये देख कर कि मैने उसके लंड पर हाथ रखा है. वो समझ रहा था कि मैं उस से पट गई थी और उसका लंड मुझ को अच्छा लग रहा था. वो तो फिर ज़ोर ज़ोर से अपना कड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ने लगा था. वो समझ रहा था कि मैं उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ना चाहती हूँ. अचानक मैने उसके लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर निचोड़ दिया ज़ोर से. दर्द के मारे वो हवा मे उच्छल पड़ा और ज़ोर से चिल्लाया. बस मे सब उसकी तरफ देखने लगे और पूछने लगे कि क्या हुआ? अब वो कैसे किसी को बताता कि क्या हुआ. उस ने कंडक्टर से बस रोकने को कहा और बोला कि उसकी तबीयत ठीक नही है और वो उतरना चाहता है, और वो बस से नीचे उतर गया.
आख़िर बस कॉलेज के सामने पहुँची और मैं बस से उतर गई. मैने देखा कि रमेश भी पीछे के दरवाजे से उतर गया था.
” हेलो……. मेरा नाम रमेश है और मैं भी इसी कॉलेज मे पढ़ता हूँ.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.
“हेलो …… मैं जूली हूँ.” मैने जवाब दिया.
रमेश – ” तुम से मिल कर अच्छा लगा जूली.”
मैं – ” मुझे भी तुम से मिल कर अच्छा लगा रमेश.”
रमेश – ” मैने देखा जो बस मे हुआ था.”
मैं – ” क्या हुआ था? कुछ भी तो नही हुआ था.”
रमेश – ” मैं बता नही सकता, पर मैने सब देखा. वो क्या कर रहा था और कैसे तुम ने जवाब दिया. मुझे अच्छा लगा”
मैं – ” मैं ऐसा ही जवाब देने वाली लड़की हूँ.”
रमेश – ” मुझे भी ऐसा जवाब देने वाली लड़की पसंद है. मैं रोज़ तुम को बस मे देखता हूँ. मैं यहाँ फाइनल एअर मे हूँ. क्या तुम मुझ से दोस्ती करना पसंद करोगी?”
मैं- ” हां. मैं इसी बस से रोज़ आती जाती हूँ. मुझे तुम्हारी दोस्त बन कर खुशी होगी.”
रमेश – ” तो फिर ठीक है. आज से हम दोनो दोस्त है और बस मे हम साथ साथ सफ़र करेंगे. ठीक है?”
मैं – ” ठीक है रमेश. हम को अब अपनी क्लास मे जाना चाहिए.”
और हम अपनी अपनी क्लासस मे चले गये. अब हम तीनो रोज बस मे साथ साथ आने जाने लगे, मैं, आंजेलीना और रमेश. कभी कभी हम तीनो कॅंटीन मे भी साथ साथ जाते थे. मैने महसूस किया कि रमेश भी मुझ से प्यार करने लगा है. मुझे छुने का वो कोई भी मौका नही छ्चोड़ता था. एक दिन मैने आंजेलीना से कहा कि लगता है वो भी मुझ से प्यार करता है, लेकिन उसने कभी अपने मूह से नही कहा. आंजेलीना ने कहा कि वो इस बारे मे उस से जल्दी बात करेगी. तब तक हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही बने रहे.