Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली - Page 2 - SexBaba
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Hindi Porn Story जुली को मिल गई मूली

गतान्क से आगे……………………………..

मेरी उमर उस समय 18 साल की थी और मैं गोआ की एक कॉलेज मे पहले साल कॉमर्स मे पढ़ती थी. मेरी कॉलेज मेरे घर से करीब 20 किमी. दूर थी. मैने अपने पापा से कॉलेज आने जाने के लिए एक स्कूटर माँगा तो पापा ने मुझे एक साल और वेट करने को कहा और मुझे बस मे कॉलेज आने जाने की सलाह दी. बस हमारे घर के पास से ही जाती थी और कॉलेज के गेट तक जाती थी. बस सर्विस बहुत रेग्युलर थी. मेरी दोस्त आंजेलीना भी मेरे साथ मेरी क्लास मे ही थी. हम दोनो साथ साथ ही कॉलेज जाती थी.

मैने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़का उसी बस मे हमेशा आता जाता था जो कि हमारे कॉलेज मे ही पढ़ता था. मेरी दोस्त आंजेलीना ने भी ये नोट किया था और मुझे बताया कि वो लड़का हमेशा मुझ को ही देखा करता था जब मेरी नज़र कहीं और होती थी. वैसे मैं भी उसको देखा करती थी क्यों कि वो बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और अच्छे घर का एक अच्छा लड़का लगता था. शायद मैं मन ही मन मे उसको प्यार करने लगी थी और लगता था वो भी मुझको पसंद करता है.

कुछ दिनो के बाद आंजेलीना ने मुझे बताया कि वो लड़का हमारे कॉलेज मे फाइनल एअर मे पढ़ता है. उस का नाम रमेश है. वो बहुत ही बरिल्लिएंट स्टूडेंट है इस कॉलेज का. आंजेलीना ने मुझे ये भी बताया कि वो हिंदू है और मैं कॅतोलिक लड़की हूँ, इस लिए उसके बारे मे ज़्यादा सीरियस्ली सोचने की ज़रूरत नही है. उस ने मुझ से कहा कि अगर मैं उस के साथ मज़े करना चाहूं तो कोई बात नही है पर उस के साथ सीरीयस रीलेशन शिप यानी प्यार ना करूँ. पर आंजेलीना को क्या पता था कि मेरे सोचने का तरीका अलग है. मुझे वो सचमुच बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन, मैं अकेली थी बस मे कॉलेज जाते समय, आंजेलीना मेरे साथ नही थी. बस मे काफ़ी भीड़ थी और बैठने की कोई जगह नही थी. मैने देखा कि रमेश भी उसी बस मे था हमेशा की तरह और मुझ से कुछ सीट पीछे बैठा था जहाँ मैं खड़ी थी. उस ने मुझे इशारे से अपनी सीट ऑफर की तो मैने हाथ हिला कर धन्यवाद का सिग्नल दिया और अपनी जगह खड़ी रही. ये हमारे बीच मे पहला संपर्क था. अचानक खड़े हुए मैने अपनी गंद पर कुछ महसूस किया और मूड कर देखा तो एक आदमी था जो अपना खड़ा हुआ कड़क लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ रहा था. मैं चुदाई के बारे मे जानती थी इस लिए समझ गई कि वो क्या कर रहा है. मैं आप को बता दूं कि मैं ऐसी बातों मे चुप रहने वाली लड़की नही थी. पहले तो मैने सोचा कि ये सब शायद अंजाने मे हो गया होगा. बेचारे का लंड खड़ा हो गया होगा और अंजाने मे ही मेरी गंद पर लग गया होगा. अगर ऐसा होता तो मैं चुप ही रहती. मगर जल्दी ही मैं समझ गई कि वो ये सब जान भूझ कर कर रहा है. उस ने अपना खड़ा लंड बार बार, बस के हर धक्के से साथ मेरी गंद पर दबाना सुरू कर दिया था. मैने उसको सबक सिखाने की सोच ली. मैने अपना हाथ पीछे किया और धीरे से उसके खड़े हुए लंड को हाथ लगाया. वो बहुत ही खुस हुआ ये देख कर कि मैने उसके लंड पर हाथ रखा है. वो समझ रहा था कि मैं उस से पट गई थी और उसका लंड मुझ को अच्छा लग रहा था. वो तो फिर ज़ोर ज़ोर से अपना कड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ने लगा था. वो समझ रहा था कि मैं उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ना चाहती हूँ. अचानक मैने उसके लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर निचोड़ दिया ज़ोर से. दर्द के मारे वो हवा मे उच्छल पड़ा और ज़ोर से चिल्लाया. बस मे सब उसकी तरफ देखने लगे और पूछने लगे कि क्या हुआ? अब वो कैसे किसी को बताता कि क्या हुआ. उस ने कंडक्टर से बस रोकने को कहा और बोला कि उसकी तबीयत ठीक नही है और वो उतरना चाहता है, और वो बस से नीचे उतर गया.

आख़िर बस कॉलेज के सामने पहुँची और मैं बस से उतर गई. मैने देखा कि रमेश भी पीछे के दरवाजे से उतर गया था.

” हेलो……. मेरा नाम रमेश है और मैं भी इसी कॉलेज मे पढ़ता हूँ.” मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.

“हेलो …… मैं जूली हूँ.” मैने जवाब दिया.

रमेश – ” तुम से मिल कर अच्छा लगा जूली.”

मैं – ” मुझे भी तुम से मिल कर अच्छा लगा रमेश.”

रमेश – ” मैने देखा जो बस मे हुआ था.”

मैं – ” क्या हुआ था? कुछ भी तो नही हुआ था.”

रमेश – ” मैं बता नही सकता, पर मैने सब देखा. वो क्या कर रहा था और कैसे तुम ने जवाब दिया. मुझे अच्छा लगा”

मैं – ” मैं ऐसा ही जवाब देने वाली लड़की हूँ.”

रमेश – ” मुझे भी ऐसा जवाब देने वाली लड़की पसंद है. मैं रोज़ तुम को बस मे देखता हूँ. मैं यहाँ फाइनल एअर मे हूँ. क्या तुम मुझ से दोस्ती करना पसंद करोगी?”

मैं- ” हां. मैं इसी बस से रोज़ आती जाती हूँ. मुझे तुम्हारी दोस्त बन कर खुशी होगी.”

रमेश – ” तो फिर ठीक है. आज से हम दोनो दोस्त है और बस मे हम साथ साथ सफ़र करेंगे. ठीक है?”

मैं – ” ठीक है रमेश. हम को अब अपनी क्लास मे जाना चाहिए.”

और हम अपनी अपनी क्लासस मे चले गये. अब हम तीनो रोज बस मे साथ साथ आने जाने लगे, मैं, आंजेलीना और रमेश. कभी कभी हम तीनो कॅंटीन मे भी साथ साथ जाते थे. मैने महसूस किया कि रमेश भी मुझ से प्यार करने लगा है. मुझे छुने का वो कोई भी मौका नही छ्चोड़ता था. एक दिन मैने आंजेलीना से कहा कि लगता है वो भी मुझ से प्यार करता है, लेकिन उसने कभी अपने मूह से नही कहा. आंजेलीना ने कहा कि वो इस बारे मे उस से जल्दी बात करेगी. तब तक हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही बने रहे.
 
एक दिन आंजेलीना ने मुझे अपने घर के पास की होटेल मे डिन्नर के लिए इन्वाइट किया और कहा कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है और वो मेरी मा से इस की पर्मिशन ले लेगी. वो हमारे घर रात मे करीब 8.30 आई और हम मेरी मा से पूछ कर साथ साथ डिन्नर के लिए रवाना हो गये. वो सच मे सर्प्राइज़ था. रमेश होटेल मे हमारा इंतेज़ार कर रहा था.

रमेश – ” ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जूली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए.”

मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.

रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.

अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला ” जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ…. आइ लव यू.”

उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्करा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा ” आइ लव यू टू.”

हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.

अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगाता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा – बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.

मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.

अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.

हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीएर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मे थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.

रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया ” नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को.”

वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था कि मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे…. उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.

अपना एक हाथ उसने मेरी जीन्स की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया कि हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.
 
अपनी उंगली से उसने मेरी चूत के मूह मे डाली तो मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी चूत मे अच्छी तरह से उंगली कर सके. उसने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे उपर नीचे घुमानी चालू करदी मेरे दाने को टच करते हुए. मैं भी उसका लंड टाइट पकड़े हुए उसके लंड पर मूठ मार रही थी. उपर नीचे…….. उपर नीचे. वो भी मेरी चूत मे उंगली घुमा रहा था. उपर नीचे….. उपर नीचे. थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से अपनी रुमाल निकाल कर मुझे दी और कहा कि इसको उसके लंड के मूह पर रखूं. मैं समझ गई कि जब उसका पानी निकलेगा तो सिर्फ़ रुमाल मे ही गिरेगा, कंबल खराब नही होगी क्यों कि वो तो रात को ओढनी थी. मैने उसकी रुमाल उसके लंड के मूह पर कवर की और उसको पकड़ कर फिर से मूठ मारने लगी. मैने उसको भी अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से, स्पीड मे उंगली घुमाने को कहा. उसने ऐसा ही किया. मेरी चूत का दाना कड़क हो गया था और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मेरी गंद भी मज़े के मारे आगे पीछे होने लगी थी. वो समझ गया कि मैं झरने वाली हूँ, और वो जल्दी जल्दी मेरी चूत मे उंगली घुमाने लगा. मेरे बदन मे तनाव आने लगा और…..और मैं झर गई. मैने अपने दोनो पैर टाइट कर लिए. उसकी उंगकी अभी भी मेरी चूत के अंदर थी. वो समझ गया था कि मैं झर चुकी हूँ और शायद मेरी चूत के पानी से उसकी उंगली भी बहुत गीली हो चुकी थी. अब वो बहुत धीरे धीरे मेरी चूत मे अपनी उंगली घुमा रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मेरे प्रेमी ने मेरी चूत को हाथ लगाया था और मैने भी पहली बार उसका लंड पकड़ा था. मैं भी जल्दी जल्दी…. ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर मूठ मार रही थी उसके लंड को टाइट पकड़ कर. मैं भी उसके लंड से पानी निकाल कर उसको पूरा मज़ा देना चाहती थी. मैने महसूस किया कि अब उसने मेरी झर चुकी चूत मे उंगली घुमाना बंद कर दिया है और उसकी आँखें फिर से बंद होने लगी थी. वो भी अपनी गंद को उपर करने लगा था. मैं समझ गई कि उसका भी होने वाला है. उसके लंड से पानी निकलने वाला है. मैं और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को हिलाती हुई मूठ मारने लगी. अचानक उसके लंड मे हुलचल हुई और उसके लंड से रस का फव्वारा निकला जो कि उसके लंड पर लपेटे हुए रुमाल मे आया. मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उसके लंड को टाइट पकड़े रही. उसका लंड नाच नाच कर रस निकाल रहा था और मैने उस के चेहरे पर पूरा सॅटिस्फॅक्षन देखा.

उस ने मुझे लंड पर से हाथ हटाने को कहा तो मैने उस के लंड को छ्चोड़ दिया और हाथ हटा लिया. अब वो अपना लंड कंबल के अंदर अपनी रुमाल से सॉफ करने लगा और मुझ से कहा कि वो बाथरूम जा रहा है लंड को पूरा सॉफ करने और रुमाल को बाहर फेंक ने.

खड़े होते हुए और कंबल हटाते वक़्त उस ने पूरा ध्यान रखा कि मेरी नंगी चुचियाँ किसी को नज़र ना आजाए. मेरी ज़िप भी खुली थी. उस ने अपने मुलायम लंड को फिर से अपनी चड्डी और जीन्स मे डाला और अपनी ज़िप बंद करते हुए बाथरूम की तरफ चला गया. उसके हाथ मे उसके अपने लंड रस से सना हुआ रुमाल था.

मैने अपनी हॅंड बॅग से टिश्यू पेपर निकाला और उस से अपनी चूत को सॉफ किया और अपनी जीन्स की ज़िप बंद कर ली. मैने अपनी चुचियों को भी अपनी ब्रा के कप मे फिट करके ब्रा का हुक बंद किया और मैं भी बाथरूम की तरफ गई.

मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला और रमेश बाहर आने ही वाला था कि मैने उसको फिर से बाथरूम के अंदर धक्का दिया और खुद भी बाथरूम के अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. अब हम दोनो अकेले, साथ मे बाथरूम के अंदर थे. मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर उस के होंठो पर किस किया और उसके कान मे बोली – ” तुम अब अपनी सीट पर जाओ, मैं आती हूँ.” वो बोला – ” नही. एक बार और हो जाए बाथरूम मे?” मैने कहा – ” नही. अभी नही. मैं तो कब से तुम को किस करना चाहती थी. इस लिए तुम्हारे पीछे पीछे यहाँ आई हूँ.”

उस ने मेरे नीचे के होठ को अपने होठों के बीच लेकर चूसना शुरू किया और मेरे होंठो मे उसका उपर का होठ था जिस को मैं चूस रही थी. इस तरह हम ने एक लंबा चुंबन किया और वो अपनी सीट की तरफ चला गया. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपनी जीन्स नीचे की, अपनी चड्डी नीचे की और टाय्लेट सीट पर बैठ कर मूतने लगी. फिर अपनी चूत को पानी से सॉफ करके टिश्यू पेपर से पोन्छा और मैं भी अपनी सीट पर आ गई.

तब तक रमेश ने बीच की सीट खोल दी थी और दोनो सीट्स पर बिस्तर भी लगा दिया था. वो मेरे कान मे धीरे से बोला – ” जूली. हम एक ही सीट पर, एक ही कंबल के अंदर सो जातें है, किसी को पता नही चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा.”

मैने उसके गाल पर प्यार का एक थप्पड़ धीरे से मारा और कहा – ” शैतान कहीं के. अब अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप अपनी सीट पर सो जाओ.”

वो मुश्कराया और बोला – ” मैं भूका हूँ डार्लिंग और तुम मुझे पूरा खाना भी नही दे रही हो. ये अच्छी बात नही है. खैर कोई बात नही, मैं उस समय का वेट करूँगा जब तुम मुझे पेट भर के खिलाओगी.”

और हम दोनो अपनी अपनी सीट पर सोने चले गये.

सुबह मुझे आंजेलीना ने बताया, जो कि उपर की बर्थ पर थी कि उसको सब पता है जो हम दोनो कंबल के अंदर कर रहे थे. उस ने बताया कि हालाँकि वो कुछ देख नही पाई क्यों कि एक तो रोशनी बहुत कम थी और दूसरे हम कंबल के अंदर थे, पर हिलती हुई कंबल से वो सब जान गई कि कंबल के अंदर क्या हो रहा था. उसने माना कि उस ने खुद अपनी चूत मे उंगली की थी हमारे सोने के बाद.

क्रमशः..................................
 
जूली को मिल गई मूली--6

मेरी उमर उस समय 18 साल की थी और मैं गोआ की एक कॉलेज मैं पहले साल कॉमर्स मे पढ़ती थी. मेरी कॉलेज मेरे घर से करीब 20 किमी. दूर थी. मैने अपने पापा से कॉलेज आने जाने के लिए एक स्कूटर माँगा तो पापा ने मुझे एक साल और वेट करने को कहा और मुझे बस मे कॉलेज आने जाने की सलाह दी. बस हमारे घर के पास से ही जाती थी और कॉलेज के गेट तक जाती थी. बस सर्विस बहुत रेग्युलर थी. मेरी दोस्त आंजेलीना भी मेरे साथ मेरी क्लास मे ही थी. हम दोनो साथ साथ ही कॉलेज जाती थी.

मैने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़का उसी बस मे हमेशा आता जाता था जो कि हमारे कॉलेज मे ही पढ़ता था. मेरी दोस्त आंजेलीना ने भी ये नोट किया था और मुझे बताया कि वो लड़का हमेशा मुझ को ही देखा करता था जब मेरी नज़र कहीं और होती थी. वैसे मैं भी उसको देखा करती थी क्यों कि वो बहुत ही सुंदर, स्मार्ट और अच्छे घर का एक अच्छा लड़का लगता था. शायद मैं मन ही मन मे उसको प्यार करने लगी थी और लगता था वो भी मुझको पसंद करता है.

कुछ दिनो के बाद आंजेलीना ने मुझे बताया कि वो लड़का हमारे कॉलेज मे फाइनल एअर मे पढ़ता है. उस का नाम रमेश है. वो बहुत ही बरिल्लिएंट स्टूडेंट है इस कॉलेज का. आंजेलीना ने मुझे ये भी बताया कि वो हिंदू है और मैं कॅतोलिक लड़की हूँ, इस लिए उसके बारे मे ज़्यादा सीरियस्ली सोचने की ज़रूरत नही है. उस ने मुझ से कहा कि अगर मैं उस के साथ मज़े करना चाहूं तो कोई बात नही है पर उस के साथ सीरीयस रीलेशन शिप यानी प्यार ना करूँ. पर आंजेलीना को क्या पता था कि मेरे सोचने का तरीका अलग है. मुझे वो सचमुच बहुत अच्छा लगता था.

एक दिन, मैं अकेली थी बस मे कॉलेज जाते समय, आंजेलीना मेरे साथ नही थी. बस मे काफ़ी भीड़ थी और बैठने की कोई जगह नही थी. मैने देखा कि रमेश भी उसी बस मे था हमेशा की तरह और मुझ से कुछ सीट पीछे बैठा था जहाँ मैं खड़ी थी. उस ने मुझे इशारे से अपनी सीट ऑफर की तो मैने हाथ हिला कर धन्यवाद का सिग्नल दिया और अपनी जगह खड़ी रही. ये हमारे बीच मे पहला संपर्क था. अचानक खड़े हुए मैने अपनी गंद पर कुछ महसूस किया और मूड कर देखा तो एक आदमी था जो अपना खड़ा हुआ कड़क लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ रहा था. मैं चुदाई के बारे मे जानती थी इस लिए समझ गई कि वो क्या कर रहा है. मैं आप को बता दूं कि मैं ऐसी बातों मे चुप रहने वाली लड़की नही थी. पहले तो मैने सोचा कि ये सब शायद अंजाने मे हो गया होगा. बेचारे का लंड खड़ा हो गया होगा और अंजाने मे ही मेरी गंद पर लग गया होगा. अगर ऐसा होता तो मैं चुप ही रहती. मगर जल्दी ही मैं समझ गई कि वो ये सब जान भूझ कर कर रहा है. उस ने अपना खड़ा लंड बार बार, बस के हर धक्के से साथ मेरी गंद पर दबाना सुरू कर दिया था. मैने उसको सबक सिखाने की सोच ली. मैने अपना हाथ पीछे किया और धीरे से उसके खड़े हुए लंड को हाथ लगाया. वो बहुत ही खुस हुआ ये देख कर कि मैने उसके लंड पर हाथ रखा है. वो समझ रहा था कि मैं उस से पट गई थी और उसका लंड मुझ को अच्छा लग रहा था. वो तो फिर ज़ोर ज़ोर से अपना कड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गंद पर रगड़ने लगा था. वो समझ रहा था कि मैं उसका लंड अपने हाथ मे पकड़ना चाहती हूँ. अचानक मैने उसके लंड लो अपने हाथ मे पकड़ कर निचोड़ दिया ज़ोर से. दर्द के मारे वो हवा मे उच्छल पड़ा और ज़ोर से चिल्लाया. बस मे सब उसकी तरफ देखने लगे और पूछने लगे कि क्या हुआ? अब वो कैसे किसी को बताता कि क्या हुआ. उस ने कंडक्टर से बस रोकने को कहा और बोला कि उसकी तबीयत ठीक नही है और वो उतरना चाहता है, और वो बस से नीचे उतर गया.

आख़िर बस कॉलेज के सामने पहुँची और मैं बस से उतर गई. मैने देखा कि रमेश भी पीछे के दरवाजे से उतर गया था.

" हेलो....... मेरा नाम रमेश है और मैं भी इसी कॉलेज मे पढ़ता हूँ." मैने पहली बार उसकी आवाज़ सुनी.

"हेलो ...... मैं जुली हूँ." मैने जवाब दिया.

रमेश - " तुम से मिल कर अच्छा लगा जूली."

मैं - " मुझे भी तुम से मिल कर अच्छा लगा रमेश."

रमेश - " मैने देखा जो बस मे हुआ था."

मैं - " क्या हुआ था? कुछ भी तो नही हुआ था."

रमेश - " मैं बता नही सकता, पर मैने सब देखा. वो क्या कर रहा था और कैसे तुम ने जवाब दिया. मुझे अच्छा लगा"

मैं - " मैं ऐसा ही जवाब देने वाली लड़की हूँ."

रमेश - " मुझे भी ऐसा जवाब देने वाली लड़की पसंद है. मैं रोज़ तुम को बस मे देखता हूँ. मैं यहाँ फाइनल एअर मैं हूँ. क्या तुम मुझ से दोस्ती करना पसंद करोगी?"

मैं- " हां. मैं इसी बस से रोज़ आती जाती हूँ. मुझे तुम्हारी दोस्त बन कर खुशी होगी."

रमेश - " तो फिर ठीक है. आज से हम दोनो दोस्त है और बस मे हम साथ साथ सफ़र करेंगे. ठीक है?"

मैं - " ठीक है रमेश. हम को अब अपनी क्लास मे जाना चाहिए."

और हम अपनी अपनी क्लासस मे चले गये. अब हम तीनो रोज बस मे साथ साथ आने जाने लगे, मैं, आंजेलीना और रमेश. कभी कभी हम तीनो कॅंटीन मे भी साथ साथ जाते थे. मैने महसूस किया कि रमेश भी मुझ से प्यार करने लगा है. मुझे च्छुने का वो कोई भी मौका नही छ्चोड़ता था. एक दिन मैने आंजेलीना से कहा कि लगता है वो भी मुझ से प्यार करता है, लेकिन उसने कभी अपने मूह से नही कहा. आंजेलीना ने कहा कि वो इस बारे मे उस से जल्दी बात करेगी. तब तक हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त ही बने रहे.

एक दिन आंजेलीना ने मुझे अपने घर के पास की होटेल मे डिन्नर के लिए इन्वाइट किया और कहा कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है और वो मेरी मा से इस की पर्मिशन ले लेगी. वो हमारे घर रात मे करीब 8.30 आई और हम मेरी मा से पूछ कर साथ साथ डिन्नर के लिए रवाना हो गये. वो सच मे सर्प्राइज़ था. रमेश होटेल मे हमारा इंतेज़ार कर रहा था.

रमेश - " ये डिन्नर मेरी तरफ से है. जली के साथ नये रिश्ते की सुरुआत के लिए."

मैं सब समझ गई पर मैं कुछ नही बोली.

रमेश ने सब के लिए बियर का ऑर्डर दिया और हम ने साथ मे चियर्स किया.

अचानक रमेश ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला " जूली, मुझे आंजेलीना से पता लगा कि तुम मुझे पसंद करती हो और आज मैं सीधे तुम से, आंजेलीना के सामने कहता हूँ कि मैं भी तुम को बहुत पसंद करता हूँ. मैं कहना चाहता हूँ.... आइ लव यू."

उसके ये सुनहरे शब्द मेरे कान मे पहुँचे और मैं यहाँ बता नही सकती कि मुझे कितना अच्छा लगा था. मैं कुछ बोल नही पा रही थी और आंजेलीना मुश्कारा रही थी. मैने धीरे से अपनी गर्दन हिलाई और कहा " आइ लव यू टू."

हम तीनो बहुत खुस थे और हम ने इधर उधर की बातें करते हुए डिन्नर किया.
 
अगले दिन से ही हमारे बर्ताव मे परिवर्तन आ गया था. हम दोनो आपस मे खुल कर बातें करने लगे थे. उस ने कई बार मेरी गंद पर हाथ फिराया था और कई बार मेरी चुचियों को भी दबाया था. जब मौका मिलता, हम चुंबन भी करते थे. जब भी वो मुझे हाथ लगता, मुझे अच्छा लगता था. आंजेलीना हमेशा हम को अकेले रहने का मौका देती थी. मैने रमेश को अपने घर भी बुलाया और अपने मा - बाप और चाचा से मिलवाया था. मेरे चाचा ने कहा कि लड़का बहुत अच्छा है. मेरे चाचा ने कहा कि वो कभी भी शादी नही करेंगे और मरते दम तक मुझ से प्यार करते रहेंगे. मगर मेरे सामने मेरी पूरी जिंदगी है और उन्होने मेरी आने वाली जिंदगी के लिए सूभकामनाएँ दी. उन्होने मुझ से ये भी कहा कि जिंदगी मे खुस रहने के लिए मौका देख कर उसको अपने बारे मे सब सच सच बता दूं. अपने लाइफ पार्ट्नर से कुछ भी च्छुपाना अच्छी बात नही है.

मैं भी रमेश के घर पर गई थी और उस के पेरेंट्स से मिली थी. उस के पापा रिटाइर्ड आर्मी ऑफीसर है और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी चलाते थे. उस की मा बहुत ही अच्छी लगी मुझे. स्वीट, बिल्कुल मेरी अपनी मा की तरह.

अब तो कॉलेज मैं भी सब को पता चल चुका था क्यों कि हम हमेशा साथ साथ रहते थे. इसी तरह हमारे दिन प्यार मे गुजरने लगे थे. यहाँ मैं एक बात बताना चाहूँगी कि अब तक हम दोनो ने एक दूसरे को पकड़ा था, दबाया था, चुंबन लिया था पर कभी भी चुदाई नही की थी. चुदाई के लिए ना उस ने कभी कहा ना कभी मैने कहा.

हम कॉलेज की ट्रिप पर करीब 40 स्टूडेंट्स मनाली जा रहे थे. ट्रेन मे हमारा रिज़र्वेशन 3 टीर ए/सी मे था. हम ने ट्रेन मे डिन्नर किया और ग्रूप बना कर बातें कर रहे थे. ए/सी की वजह से डब्बे मैं थोड़ी सी ठंडी थी. मैं और रमेश पास पास मे एक ही कंबल ओढ़ कर बैठे हुए थे. आंजेलीना हमारे सामने की सीट पर बैठी थी. रमेश ने कंबल के अंदर से कई बार मेरी चुचियों को दबाया था. कुछ देर बाद एक एक कर के सब लोग अपनी अपनी बर्थ पर सोने चले गये. सिर्फ़ मैं और रमेश ही कंबल ओढ़ कर बैठे थे. मुझे नीचे की बर्थ पर सोना था और रमेश को बीच की बर्थ पर. आंजेलीना उपर की बर्थ पर सोने चली गई. क्यों कि हम ने बीच की बर्थ नही खोली थी इस लिए हम आराम से बैठ सकते थे नीचे की बर्थ पर और धीरे धीरे बातें कर रहे थे. लाइट्स बंद हो गई थी और डब्बे मे नाइट बल्ब की रोशनी थी.

रमेश ने कंबल के अंदर अपने दोनो हाथ बढ़ा कर मेरी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे उनको दबाने लगा. वो बड़े प्यार से मेरी चुचियों को दबा रहा था और मालिश कर रहा था. मुझे उस को चूमने का बहुत मन हुआ पर मैं ऐसा कर नही सकी क्यों कि नाइट बल्ब की रोशनी मे किसी के देख लेने का डर था. मैं जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए थी. वो भी जीन्स और टी-शर्ट पहने हुए था. उस ने धीरे से मेरे कान मे मुझे अपनी टी-शर्ट उतारने को कहा. मैने भी धीरे से जवाब दिया " नही, कोई देख लेगा. हमारे बारे मे सब को पता है. क्या पता कोई देख ही रहा हो हम को."

वो अपना एक हाथ मेरे पीछे ले गया, नीचे से मेरी टी-शर्ट मे हाथ डाला और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसने अपना हाथ आगे से मेरी टी-शर्ट मे डाला और मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया. मेरी चुचियों के निपल्स टाइट हो गये और वो मेरी चुचियों को, मेरी निपल्स को दबाने लगा. पहले तो धीरे धीरे दबाया लेकिन फिर ज़रा ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं गरम होने लगी थी और मेरी चूत गीली होना सुरू हो गयी थी. मैने भी अपना हाथ उस के पैरों के बीच की तरफ बढ़ाया. उसने अपने पैर थोड़े चौड़े कर्लिये और मैने उस की पॅंट की ज़िप खोल दी. मैने अपना हाथ और आगे बढ़ाया और उसके खड़े हुए, तने हुए गरम लंड को उसकी चड्डी के होल से बाहर निकाल लिया. ये पहली बार था की मैने अपने चाचा के सिवाय किसी और का लंड पकड़ा था. वो 21 साल का जवान था और मुझे उसका लंड अपने चाचा के लंड से थोड़ा मजबूत लगा. उस के लंड के आगे का भाग भी गीला था. ना तो वो मेरी चुचियों को ही देख पा रहा था और ना मैं उसके तने हुए लंड को ही देख पा रही थी, क्यों कि सिर्फ़ हमारा सिर ही कंबल के बाहर था, मेरी नंगी चुचियाँ और उसका नंगा लंड कंबल के अंदर थे. मैने उस के लंड की आगे की चॅम्डी नीचे की और उसके लंड को पकड़ कर आगे पीछे.... उपर नीचे करने लगी. मैं उसके लंड पर मूठ मार रही थी और मज़े मे उसकी आँखें बंद होने लगी और उसने मेरी चुचियाँ ज़ोर ज़ोर से दबानी सुरू करदी.

अपना एक हाथ उसने मेरी जीन की ज़िप की तरफ बढ़ाया और मेरी ज़िप खोल दी. मैने अंदर चड्डी पहन रखी थी इसलिए उसने अपनी उंगलियाँ मेरी चड्डी के उपर से ही मेरी चिकनी और गीली चूत पर घुमाई. मेरी चड्डी मेरी चूत के उपर मेरी चूत के रस से गीली थी. उसने मेरी चूत की मालिश मेरी चड्डी के उपर से ही की और फिर मेरी चड्डी की साइड से अपनी उंगली मेरी चूत के मूह तक ले गया. वो मुझसे बोला कि बाथरूम चलते है, आगे का काम वहीं करेंगे आराम से. पर मैने ये कहते हुए मना कर्दिया की हम आपस मे चुदाई पूरे अकेलेपन मे करेंगे फिर कभी जब भी मौका मिलेगा. इस वक़्त तो मैने उस से कहा कि हम एक दूसरे के लंड और चूत पर हाथ से ही मज़ा देंगे और लेंगे, हाथ से ही एक दूसरे की चुदाई करेंगे, ये ही ठीक रहेगा. वो थोड़ा सा उदास हुआ लेकिन मेरी बात मान गया.

अपनी उंगली से उसने मेरी चूत के मूह मे डाली तो मैने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी चूत मे अच्छी तरह से उंगली कर सके. उसने अपनी उंगली मेरी चूत के बीच मे उपर नीचे घुमानी चालू करदी मेरे दाने को टच करते हुए. मैं भी उसका लंड टाइट पकड़े हुए उसके लंड पर मूठ मार रही थी. उपर नीचे........ उपर नीचे. वो भी मेरी चूत मे उंगली घुमा रहा था. उपर नीचे..... उपर नीचे. थोड़ी देर बाद उसने अपनी जेब से अपनी रुमाल निकाल कर मुझे दी और कहा कि इसको उसके लंड के मूह पर रखूं. मैं समझ गई कि जब उसका पानी निकलेगा तो सिर्फ़ रुमाल मे ही गिरेगा, कंबल खराब नही होगी क्यों कि वो तो रात को ओढनी थी. मैने उसकी रुमाल उसके लंड के मूह पर कवर की और उसको पकड़ कर फिर से मूठ मारने लगी. मैने उसको भी अपनी चूत मे ज़ोर ज़ोर से, स्पीड मे उंगली घुमाने को कहा. उसने ऐसा ही किया. मेरी चूत का दाना कड़क हो गया था और मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मेरी गंद भी मज़े के मारे आगे पीछे होने लगी थी. वो समझ गया कि मैं झरने वाली हूँ, और वो जल्दी जल्दी मेरी चूत मे उंगली घुमाने लगा. मेरे बदन मे तनाव आने लगा और.....और मैं झार गई. मैने अपने दोनो पैर टाइट कर्लिये. उसकी उंगकी अभी भी मेरी चूत के अंदर थी. वो समझ गया था की मैं झर चुकी हूँ और शायद मेरी चूत के पानी से उसकी उंगली भी बहुत गीली हो चुकी थी. अब वो बहुत धीरे धीरे मेरी चूत मे अपनी उंगली घुमा रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मेरे प्रेमी ने मेरी चूत को हाथ लगाया था और मैने भी पहली बार उसका लंड पकड़ा था. मैं भी जल्दी जल्दी.... ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर मूठ मार रही थी उसके लंड को टाइट पकड़ कर. मैं भी उसके लंड से पानी निकाल कर उसको पूरा मज़ा देना चाहती थी. मैने महसूस किया की अब उसने मेरी झर चुकी चूत मे उंगली घुमाना बंद कर दिया है और उसकी आँखें फिर से बंद होने लगी थी. वो भी अपनी गंद को उपर करने लगा था. मैं समझ गई कि उसका भी होने वाला है. उसके लंड से पानी निकलने वाला है. मैं और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को हिलाती हुई मूठ मारने लगी. अचानक उसके लंड मे हुलचल हुई और उसके लंड से रस का फव्वारा निकला जो कि उसके लंड पर लपेटे हुए रुमाल मे आया. मैने मूठ मारना बंद कर दिया और उसके लंड को टाइट पकड़े रही. उसका लंड नाच नाच कर रस निकाल रहा था और मैने उस के चेहरे पर पूरा सॅटिस्फॅक्षन देखा.
 
उस ने मुझे लंड पर से हाथ हटाने को कहा तो मैने उस के लंड को छ्चोड़ दिया और हाथ हटा लिया. अब वो अपना लंड कंबल के अंदर अपनी रुमाल से सॉफ करने लगा और मुझ से कहा कि वो बाथरूम जा रहा है लंड को पूरा सॉफ करने और रुमाल को बाहर फेंक ने.

खड़े होते हुए और कंबल हटाते वक़्त उस ने पूरा ध्यान रखा कि मेरी नंगी चुचियाँ किसी को नज़र ना आजाए. मेरी ज़िप भी खुली थी. उस ने अपने मुलायम लंड को फिर से अपनी चड्डी और जीन्स मे डाला और अपनी ज़िप बंद करते हुए बाथरूम की तरफ चला गया. उसके हाथ मे उसके अपने लंड रस से साना हुआ रुमाल था.

मैने अपनी हॅंड बॅग से टिश्यू पेपर निकाला और उस से अपनी चूत को सॉफ किया और अपनी जीन्स की ज़िप बंद कर ली. मैने अपनी चुचियों को भी अपनी ब्रा के कप मे फिट करके ब्रा का हुक बंद किया और मैं भी बाथरूम की तरफ गई.

मैने देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला और रमेश बाहर आने ही वाला था कि मैने उसको फिर से बाथरूम के अंदर धक्का दिया और खुद भी बाथरूम के अंदर आ गई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. अब हम दोनो अकेले, साथ मे बाथरूम के अंदर थे. मैने उसका चेहरा अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर उस के होंठो पर किस किया और उसके कान मे बोली - " तुम अब अपनी सीट पर जाओ, मैं आती हूँ." वो बोला - " नही. एक बार और हो जाए बाथरूम मे?" मैने कहा - " नही. अभी नही. मैं तो कब से तुम को किस करना चाहती थी. इस लिए तुम्हारे पीछे पीछे यहाँ आई हूँ."

उस ने मेरे नीचे के होठ को अपने होठों के बीच लेकर चूसना शुरू किया और मेरे होंठो मे उसका उपर का होठ था जिस को मैं चूस रही थी. इस तरह हम ने एक लंबा चुंबन किया और वो अपनी सीट की तरफ चला गया. मैने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपनी जीन्स नीचे की, अपनी चड्डी नीचे की और टाय्लेट सीट पर बैठ कर मूतने लगी. फिर अपनी चूत को पानी से सॉफ करके टिश्यू पेपर से पोन्छा और मैं भी अपनी सीट पर आ गई.

तब तक रमेश ने बीच की सीट खोल दी थी और दोनो सीट्स पर बिस्तर भी लगा दिया था. वो मेरे कान मे धीरे से बोला - " जूली. हम एक ही सीट पर, एक ही कंबल के अंदर सो जातें है, किसी को पता नही चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा."

मैने उसके गाल पर प्यार का एक थप्पड़ धीरे से मारा और कहा - " शैतान कहीं के. अब अच्छे बच्चे की तरह चुप चाप अपनी सीट पर सो जाओ."

वो मुश्कराया और बोला - " मैं भूका हूँ डार्लिंग और तुम मुझे पूरा खाना भी नही दे रही हो. ये अच्छी बात नही है. खैर कोई बात नही, मैं उस समय का वेट करूँगा जब तुम मुझे पेट भर के खिलाओगी."

और हम दोनो अपनी अपनी सीट पर सोने चले गये.

सुबह मुझे आंजेलीना ने बताया, जो कि उपर की बर्थ पर थी कि उसको सब पता है जो हम दोनो कंबल के अंदर कर रहे थे. उस ने बताया कि हालाँकि वो कुछ देख नही पाई क्यों कि एक तो रोशनी बहुत कम थी और दूसरे हम कंबल के अंदर थे, पर हिलती हुई कंबल से वो सब जान गई कि कंबल के अंदर क्या हो रहा था. उसने माना कि उस ने खुद अपनी चूत मे उंगली की थी हमारे सोने के बाद.

क्रमशः.....................
 
जुली को मिल गई मूली--7

गतान्क से आगे..................................

मैं आज रमेश को सच सच बता कर बहुत खुस थी और अपने आप को काफ़ी हल्का फील कर रही थी. सच कड़वा ज़रूर होता है पर उसका फल हमेशा मीठा होता है. कम से कम मेरे साथ तो यही रिज़ल्ट है.

बाद मे उसने मुझे मेरे घर पर ड्रॉप किया और मुझे गुड नाइट किस दिया. हम दोनो ने अपना अगले दिन का प्रोग्राम पहले ही फाइनल करलिया था. अगले दिन हम दोनो हमारे फार्म हाउस जाने वाले थे.

हमारा फार्म हाउस घर से करीब 30 किमी दूर है और हम, मैं और मेरा प्रेमी रमेश, मेरी कार मे फार्म हाउस के लिए रवाना हुए. मैने अपने पापा और मा को बताया था कि मैं रमेश को हमारा फार्म हाउस दिखाना चाहती हूँ और हम लोग शाम तक वापस आ जाएँगे.

मैं कार चला रही थी और वो मेरे पास की सीट पर बैठ कर चलती कार मे मेरी चुचियों से खेल रहा था और उन से खेल रहा था. यहाँ तक कि उसने चलती कार मे मेरी चड्डी भी उतार दी थी क्यों कि मैने स्कर्ट पहनी हुई थी और मेरी चड्डी उतारना बहुत ही आसान था. वो मेरी चूत से भी खेलने लगा था चड्डी उतरने के बाद. चलती हुई कार मे, जब मैं कार चला रही थी, उसने मेरी चुचियाँ दबा दबा कर और मेरी चूत मे उंगलियाँ कर कर के मुझे बहुत ही गरम कर्दिया था, इतना की मैं कार चलाते हुए ही झर गई.

सड़क पर उस समय ट्रॅफिक नही था और पैदल चलता हुआ भी कोई कभी कभी ही दिखता था. हमारे फार्म हाउस की तरफ जाने वाली ये एक सिंगल पतली रोड थी और रोड के दोनो तरफ खेत ही खेत थे और ये कोई देखने वाला नही था कि हम चलती हुई कार मे क्या कर रहें है. और मेरी कार के ग्लासस भी डार्क थे जिसकी वजह से बाहर से ये देख पाना कि अंदर क्या हो रहा है और भी मुश्किल था. मेरी चूत का रस निकालने के बाद वो कार चलाने लगा और मैने भी उसकी पॅंट की ज़िप खोल कर उसके खड़े हुए लंड को उसकी चड्डी से बाहर निकाल लिया था. मैने पहली बार अपने प्रेमी का लंड देखा था. बहुत ही प्यारा लंड है उसका. लंबा, मोटा और कड़क. मैने उसका खड़ा लंड अपने मूह मे चूसा और चलती हुई कार मे उसको मूठ मार मार कर उसका लंड रस भी निकाल दिया था. उसके लंड का पानी थोड़ा तो मैं पी गई और थोड़ा नीचे कारपेट पर गिर गया था.

हम फार्म हाउस पहुँच गये और उसने मेरे कहने पर कार हमारे कॉटेज के बाहर गॅरेज मे पार्क करदी थी. हम ने फार्म का एक चक्कर लगाया और वापस कॉटेज मे आ गये. हमारे फार्म मॅनेजर ने हम को लंच के लिए इन्वाइट किया तो मैने कहा कि हम अपना लंच बॉक्स लाए है. हमारा फार्म हाउस कॉटेज फार्म के एक कोने मे है जिसके बाहर हमारा ऑफीस है. कॉटेज के अंदर कोई भी बिना बुलाए नही आता है. वॉच मॅन केवल मेन गेट पर रहता है. हम फिर अपनी पार्क्ड कार के पास आए, मेरे प्रेमी के लंड के पानी से खराब कारपेट निकाली, लंच बॉक्स लिया और अपने कॉटेज के अंदर पहली मंज़िल पर ड्रॉयिंग रूम मे आ गये. मैने उसके लंड के पानी से खदाब कारपेट धोयि तो उसने कहा कि क्यों ना नहा लिया जाए. हम दोनो ने अपने अपने कपड़े उतारे और नंगे हो कर बाथरूम मे आ गये. कुछ देर तक तो हम दोनो शरीफ बच्चों की तरह नहाए मगर जल्दी ही उसने मेरी निपल अपने मूह मे लेकर चुसनी चालू करदी. मेरी दूसरी चुचि को वो अपने हाथ से मसल रहा था. उसका दूसरा हाथ मेरी टाँगों के बीच मेरी चिकनी चूत पर पहुँचा. मैं और मेरी चिकनी चूत दोनो ही गीले थे, मैं शवर के पानी से और मेरी चूत पानी और मेरे चूत रस से. मैने महसोस किया कि मेरा प्रेमी भी मेरे चाचा की तरह चुदाई के मामले मे उस्ताद है. जैसे कि मैने चुदाई अपने चाचा से सीखी थी वैसे ही उसने चुदाई अंजू ( उसके दोस्त की वाइफ जिसको उसका पति चोद नही पाता था और रमेश उसको चोद्ता था) से सीखी होगी. हम दोनो ही ठंडे पानी के नीचे गरम होने लगे. मैने उसके लोहे जैसे लंड को पकड़ा और उसे अपने मुलायम हाथ से सहलाने लगी. उसका लंड और मज़बूत, और कड़क, और गरम हो गया.
 
ये पहला मौका था जब हम दोनो आपस मे चुदाई करने वाले थे. इस के पहले तो हम ने एक दूसरे पर हाथ का ही कमाल दिखाया था. मैने तो आज फार्म हाउस आते हुए उसका लंड भी चूसा था पहली बार. मगर उसको मेरी चूत चूसने का मौका भी नही मिला था. मेरा प्रेमी बहुत ही अच्छी तरह से मेरी चुचि चूस रहा था. कभी वह एक चुचि को चूस्ता और कभी दूसरी को जैसे वो मेरी चुचियों से दूध पीना चाहता है. मेरी निपल्स पर वो बहुत सी सेक्शी तरीके से अपनी जीभ घुमा रहा था और मेरे मूह से आवाज़ें निकलने लगी. "ओह डियर................ तुम बहुत अच्छा चूस्ते हो............ खा जाओ इनको....... मैं पागल हो जाउन्गि.............. तुम्हारा लंड बहुत प्यारा है......... मैं आज तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे खा जाउन्गि."

वो लगातार मेरी चुचियों को चूस्ता जा रहा था. अब उसका एक हाथ मेरी चूत पर था और दूसरा मेरी गोल गोल कड़क गंद पर. अपनी उंगलियाँ वो मेरी गंद पर घुमा रहा था, मेरी गंद की दोनो गोलाइयों की मालिश कर रहा था और मेरी गंद के बीच भी हाथ घुमा रहा था. एक बार तो मैं हवा मे ही उच्छल गयी जब उसने अपनी एक उंगली मेरी गंद मे डाल दी और उसे मेरी गंद मे गोल गोल घुमाने लगा. उसकी आधी उंगली ही थी मेरी गंद मे और मुझे पूरा पूरा मज़ा आ रहा था.

उस के दूसरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चूत पर घूम रही थी. वो जो भी कर रहा था मेरी चुचियों पर, मेरी गंद पर और मेरी चूत पर, उस से पता चलता था कि वो चुदाई का एक्सपर्ट है. पहली बार किसी ने मेरी गंद मे उंगली डाली थी. मेरे चाचा ने कभी मेरी गंद मे उंगली नही डाली थी. मैं उसके मस्त लंड की मालिश कर रही थी. दबा रही थी, मसल रही थी. हिला रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.उसने अपना मूह मेरी चुचियों से हटा लिया और अपने हाथ भी मेरी गंद और चूत से हटा लिए, पर उसका तना हुआ लंड अभी भी मेरे हाथों मे था. उस ने अपने दोनो हाथों से मेरा चेहरा पकड़ा और बोला - " मैं तुम को बहुत प्यार करता हूँ क्यों कि तुम बहुत प्यारी और सच्ची हो." मैने ख़ुसी के मारे अपनी आँखें बंद करली और कुछ भी नही बोल पाई. उसने अपने गरम गरम होंठ मेरे होंठो पर रखे और मेरा निचला होंठ चूसने लगा, मैं भी उसका उपर का होंठ चूस रही थी. हम ने एक बहुत लंबा चुंबन किया जबकि उपर से शवर का पानी हमारे उपर लगातार गिर रहा था.

बाथरूम मे पानी के नीचे हम 69 पोज़िशन मे आ गये. उसका लंबा लंड मेरे मूह और मेरे मूह की पकड़ मे था. मैं उसकी गोलियों को भी मसल रही थी और मेरा हाथ उसकी गंद पर भी घूम रहा था. उसकी गंद मेरी गंद से छ्होटी थी पर गोल गोल थी. मैं उसके लंड को चूस्ते हुए उस की गंद के बीच की लाइन पर अपनी उंगलियाँ घुमा रही थी. जब मुझे उसकी गंद का होल मिला तो मैने भी अपनी उंगली के आगे का भाग उसकी गंद मे घुसा दिया. उसकी गंद घूमने के तरीके से मैं समझ गई कि उस को भी गंद मे उंगली डलवा कर बहुत मज़ा आ रहा है. मैं भी उसकी गंद मे उंगली डाल कर वोही कर रही थी जो उसने मेरी गंद मे उंगकी डाल कर किया था. मैं उसकी गंद मे उंगली डाल कर अंदर बाहर कर रही थी और उसके लंड को अपने मूह मे अंदर बाहर कर रही थी. मेरी चूत के दोनो दरवाज़ों को वो एक के बाद एक चूस रहा था. उस ने अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को दबाया, मसला, और चूसा. मैं प्यार मे बहुत कुछ कहना चाहती थी मगर उसका लंबा और मोटा लंड मेरे मूह मे होने की वजह से कुछ बोल नही पाई. अब उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाली और उसको अंदर बाहर करने लगा. मेरी चिकनी चूत को वो अपनी कोमल जीभ से चोद रहा था.

उसने अपनी पूरी जीभ मेरी गीली चूत मे डाल दी थी और मुझे ऐसा महसोस जैसे मेरी चूत की चुदाई एक छ्होटे से, प्यारे से नरम लंड से हो रही है. उस ने फिर से अपनी एक उंगली मेरी गंद मे डाल दी थी और उसको भी अंदर बाहर करने लगा था. वो मेरी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था और मेरी गंद को अपनी उंगली से चोद रहा था. मैं अपनी मंज़िल के करीब पहुँच चुकी थी और मैने उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी चूसना सुरू कर्दिया था. वो भी समझ गया और अपनी जीभ से जल्दी जल्दी मेरी चूत चोद्ने लगा. मैने अपनी उंगली पूरी की पूरी उस की गंद मे डाल कर जल्दी जल्दी अंदर बाहर करती हुई उसकी गंद को चोद्ने लगी. मैने अपनी टाँगो की पकड़ उसकी गर्दन पर मज़बूत कर ली क्यों की मैं तो पहुँच चुकी थी, मेरा हो चुका था, मैं तो झर चुकी थी. मेरी चुत से रस निकलने लगा और वो मेरे चूत रस को पीने लगा. बहुत मज़ा आया मुझे. उस ने अपना काम ख़तम करलिया था. अब मेरी बारी थी उसके लंड रस को बाहर निकालने की. वो दीवार के सहारे बैठ गया और मैने आगे झुक कर फिर से उसका लंड मूह मे ले लिया. साथ ही साथ मैं अपने हाथ से उसके लंड पर मूठ मारने लगी. मैं भी उसको पूरा मज़ा देना चाहती थी. मैने उसका लंड टाइट पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे करने लगी. उसने अपनी आँखें बंद करली और अपनी गंद को उपर नीचे हिलाने लगा. मैने अपने मूह मे उसके लंड के मूह को और कड़क, और मोटा महसोस किया और मैं जान गई कि उसका पानी निकलने वाला है. मैने उसका लंड और टाइट पकड़ा, जल्दी जल्दी उपर नीचे करने लगी. अचानक उसकी टांगे टाइट होने लगी, उसने अपनी गंद को उपर किया, उसका लंड मेरे गले तक घुस गया और उसके मूह से चीख सी निकली.... ओह......जुलीईई....................

और उसके लंड ने अपना माल मेरे मूह मे भर दिया. जितना मैं पी सकती थी मैने पी लिया. उसका लंड रस बहुत ही स्वदिस्त था. कुछ हिस्सा उसके लंड रस का मेरे मूह से बाहर आया और पानी मे मिलने लगा. उसने मुझे फिर किस किया और अपने लंड रस का स्वाद चखा. मेरी जीभ को अपने मूह मे ले कर चुभालने लगा.
 
हम ने अपनी चुदाई का एक भाग पूरा कर लिया था और हम पानी के नीचे बैठे थे. वो अपने पैर गोल किए हुए था और मैं उसकी गोदी मे बैठी थी. वो पीछे से अपने हाथ मेरे हाथों के नीचे से डाल कर उसने मेरी दोनो चुचियाँ पकड़ कर उनको धीरे धीरे मसल रहा था. मैने अपनी नंगी गंद पर उसके लंड को महसोस नही किया कारण की उसका लंड अब नरम, मुलायम था. लगता था कि कोई चूहा उसकी टाँगो के बीच मे बैठा है. ज़रूर उसका लंड मुझको चोद्ने के लिए फिर से तय्यार हो जाएगा जल्दी ही. जैसा कि मैने पहले भी लिखा है, मुझे नरम लंड बहुत अच्छा लगता है, मैने अपना हाथ नीचे कर के उसके नरम लंड को पकड़ लिया. वो सचमुच बहुत ही नरम था और छ्होटा भी था जो कि पूरे का पूरा मेरे हाथ मे आ गया था. मैं उसके नरम लंड से खेल रही थी और वो मेरी नरम चुचियों से खेल रहा था. उसका लंड धीरे धीरे मेरे हाथ मे बड़ा होने लगा, बड़ा और लंबा, मोटा और कड़क. लगता था जैसे कोई उस मे हवा भर रहा हो. कुछ ही देर मे उसका लंड पूरी तरह तन कर चुदाई करने के लिए तयार हो गया. खड़ा होने के बाद उसके कड़क लंड का मूह उपर हो गया था और वो मेरी चूत का दरवाजा खत ख़ताने लगा था, क्यों कि मैं उसकी गोद मे नंगी बैठी थी. मैने उसको अपनी चूत पर दबाया तो मेरी चूत पूरी तरह उसके नीचे च्छूप गयी. लगता था जैसे उसका लंड मेरी चूत को हग कर रहा था. मैने उसके प्यारे से लंड को अपनी चूत पर रगड़ा और मेरी चूत फिर से गीली होने लगी. अपनी चूत के दरवाजे पर उस के गरम लंड की रगड़ मुझे बहुत अच्छी लग रही थी और मेरी आँखें बंद होने लगी. अपनी चूत मे चुद्वाने की मेरी चाहत बढ़ने लगी. उस ने भी अपना हाथ नीचे कर के अपने लंड को पकड़ा. उसने थोड़ा अड्जस्ट किया, मेरी गंद को थोड़ा उपर किया, और अब उसके लंड का मूह मेरी चूत के मूह पर था. मैं अपने प्रेमी का लंड पहली बार अपनी चूत मे लेने को तय्यार थी. मेरी चूत अभी भी काफ़ी टाइट थी, चाचा से इतने सालों से चुद्वाने के बावजूद भी काफ़ी टाइट थी. कारण कि एक तो मैं रेगुकर योगा करती हूँ और दूसरे, दिन मे एक बार अपनी चूत रेड वाइन से ज़रूर सॉफ करती हूँ. वाइन मे कॉटन भिगो कर उसको अपनी चूत मे कुछ देर रखती हूँ. ( पढ़ने वाले इस को ट्राइ कर सकतें है, रेड वाइन से चूत सॉफ करने से और चूत मे रेड वाइन से भीगा हुआ कॉटन कुछ देर रखने से चूत हमेशा वर्जिन जैसी टाइट रहती है चाहे उसकी कितनी भी चुदाई होती हो)

उस को भी लगा कि मेरी चूत काफ़ी टाइट है. वो बोला - " जुली.. तुम्हारी चूत तो इतनी टाइट है जितनी अंजू की कुँवारी चूत भी नही थी. इस का मतलब है तुम चाचा से ज़्यादा नही चुद्वाती हो."

मैने सच्चाई से जवाब दिया - " रमेश! चाचा मुझे वीक मे तीन चार बार चोद्ते है. पहली बात तो ये है कि वो मेरी चुदाई बहुत ही प्यार से करतें है और दूसरी बात ये है कि मैं भी अपनी चूत का पूरा पूरा ध्यान रखती हूँ."

वो बोला - " मैं बहुत खुस हूँ डार्लिंग की तुम्हारी चूत इतनी टाइट है, बिल्कुल कुँवारी लड़की जैसी. हम दोनो को ही बहुत मज़ा आएगा. मैं भी इसको हमेशा बहुत ही प्यार से चोदुन्गा और तुम भी इसका पूरा ध्यान रखना ताकि ये हमेशा इसी तरह टाइट रहे."

मैं उसकी बात सुन कर मुश्करा दी.

अचानक वो बोला " एक सेकेंड डार्लिंग! मुझे रूम मे जाना पड़ेगा. कॉंडम मेरी पॅंट की जेब मैं है."

मैने जवाब दिया - " कोई बात नही डियर! मेरे पास गोली है जो मैं चुदाई के बाद ले लूँगी. ये हमारी पहली चुदाई है और मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत मे बिना कॉंडम के लेना चाहती हूँ. तुम्हारे लंड और मेरी चूत को बिना किसी के बीच मे आए मिलने दो."

वो मुश्कराया. मैं रोमांचित थी. ये सोच कर खुस थी कि मेरी चूत की चुदाई आज पहली बार दूसरे लंड से होगी. अब तक सिर्फ़ मेरे चाचा के लंड ने ही मुझे चोदा था, आज मेरे प्रेमी ला लंड भी मेरी चूत की चुदाई करेगा.

वो खड़ा हुआ और मुझे मुझे बाथरूम का एक हॅंडेल पकड़ कर झुकने को कहा. मैने अपने पैर चौड़े किए और झुक गई. मैं घोड़ी बन गई. मुझे पूरा विश्वास था कि वो मेरी साफ सुथरी चूत का नज़ारा पीछे से कर रहा था. उसने अपना लंबा, मोटा, गरम लंड अपने हाथ मे पकड़ा और मेरी चूत के बीच उसको घुमाने लगा. मुझे अच्छा लग रहा था और ज़्यादा मज़ा आ रहा था जब वो अपने लंड से मेरी चूत के दाने को रगड़ रहा था. मैं और भी गरम होती जा रही थी और मेरी चूत और भी गीली होती जा रही थी. शवर हमारे उपर अभी भी चल रहा था. मैं अपनी चूत चुद्वाने के लिए पूरी तरह तय्यार थी जिस को उस ने समझा. उस ने अपना लंड मेरी चूत के बीच रगड़ना बंद किया और उसको मेरी चूत के दरवाजे पर रखा. वो बोला - " शुरू करें डार्लिंग ? अंदर डालूं?"
 
मैं बोली - " स्वागत है डार्लिंग तुम्हारे लंड का मेरी चूत मैं, पर धीरे से."

और उसने अपना लंबा लंड मेरी चूत पर दबाया. मैने फील किया कि उसके लंड का अगला भाग मेरी चूत मे घुस चुका है. मेरी चूत टाइट थी पर मैं जानती थी कि उसके दो - तीन जोरदार झटके उसके लंबे लंड को मेरी चूत मे पूरी तरह उतार देंगे. उसने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का लगाया. हालाँकि मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, लेकिन मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ उसके लंबे और मोटे लंड के कारण. मैं जानती थी कि ये तो थोड़ा सा दर्द है मगर मज़ा उस से कहीं ज़्यादा आने वाला है. उसने फिर अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और मेरी गंद पकड़ते हुए फिर एक जोरदार धक्का लगाया. मैने अपनी टाँगो के बीच मे हाथ डाल कर उसके लंड की पोज़िशन चेक की तो पता चला कि थोड़ा सा लंड ही मेरी चूत के बाहर था, बाकी का सारा लंड मेरी चूत खा चुकी थी. उस ने मेरी कमर और गंद पकड़ कर बिना लंड बाहर निकाले फिर एक धक्का लगाया और उसका पूरे का पूरा लंड मेरी चूत मे घुस चुका था. मुझे लग रहा था जैसे कि कोई गरम लोहे का डंडा मेरी चूत मे घुसा है. उस की गोलियाँ मेरे पैरों के बीच लटक रही थी. उस ने पूछा कि कैसा लग रहा है? चुदाई सुरू करें? मैं बहुत खुस हुई कि वो भी चाचा की तरह मेरा इतना ध्यान रख रहा है. मैने उस से कहा कि अब मत रूको. चोदो मुझे.

उसने अपना लंड फिर बाहर निकाला और अंदर डाला. धीरे धीरे वो अपना लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर कर के मेरी चुदाई करने लगा. मेरी चूत से लगातार रस निकल रहा था जो उसके लंड को अंदर बाहर होने मे मदद कर रहा था. मैं घोड़ी बने हुए थी और वो खड़ा हुआ पीछे से मेरी गंद और कमर पकड़ कर मुझे चोद रहा था. मुझे मज़ा आना सुरू हो गया था और मैं भी अपनी गंद आगे पीछे करते हुए चुदाई मे उसका साथ दे रही थी. धीरे धीरे उस के चोद्ने की स्पीड बढ़ती गई और मैं भी उस के हिसाब से अपनी गंद हिला रही थी. मैं अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी और अपनी नंगी गंद से जल्दी जल्दी उस के लंड को अंदर बाहर करने की कोशिस करने लगी, ये देख कर उसने भी जल्दी जल्दी धक्के लगा कर मुझे चोद्ना सुरू क्या. मेरे मूह से आवाज़ें निकलने लगी........ ओह डियर........... आ ज़ोर से........ हां.......... ऐसे ही.............. हां............ ओह...... और ज़ोर से चोदो........ हां........ आहह.......

उसका लंड किसी मशीन की तरह मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था और मेरी चूत को जल्दी जल्दी चोद रहा था. क्यों कि मैं अपनी मंज़िल के बिल्कुल करीब थी, मेरा बदन अकड़ने लगा और.... और.... मैं मज़े के कारण चिल्ला ही पड़ी. मैं पहुँच गयी थी. झर गई थी. मुझे बहुत ही आनंद मिला था. मैने अपने पैर टाइट कर लिए थे और मेरी चूत के अंदर की दीवारें हिलने लगी थी. उसने अब धक्का लगाना बंद कर दिया था मगर उसका लंड मेरी चूत मे अंदर तक घुसा हुआ था. मुझे पता था कि उसके लंड का रस अभी निकलना बाकी था. थोड़ी देर बाद मैने फिर अपने पैर चौड़े कर के अपनी चूत के दरवाजे को उसके लिए खोला. मैं और एक बार चुद कर झरने के लिए तय्यार हो गई. उस ने एक बार फिर मेरी चूत की चुदाई करनी सुरू करदी थी. मेरी चूत अंदर से पूरी तरह गीली थी इस लिए उस को अपना लंड अंदर बाहर करने मे आसानी हो रही थी. धीरे धीरे करते हुए उस ने मेरी चूत चोद्ने की स्पीड बढ़ाई और हम दोनो गहरी चुदाई करने मे मगन थे. मैं ये जान कर बहुत ही खुस हुई कि मेरा प्रेमी भी चाचा की तरह चोद्ने मे बहुत मज़बूत है कि उसका लंड रस निकलने मे काफ़ी समय लगता है. मेरे लिए ये बहुत ही अच्छा था कि उसका एक बार निकलने तक मेरा काम दो बार तो हो ही जाएगा. एक लड़की और औरत को और क्या चाहिए, एक मज़बूत और बहुत देर तक चोद्ने वाला प्रेमी / पति. उस के ज़ोर ज़ोर से चोद्ने पर बाथरूम मे एक तरह का संगीत पैदा हो रहा था. जब उसका पेट चोद्ते हुए मेरी गंद पर टकराता था और उस का लंड मेरी चूत मे जल्दी जल्दी अंदर बाहर होता था तो सेक्सी आवाज़ें आ रही थी. मैं फिर से एक बार झरने के करीब थी और इस बार मैने उसके लंड के आगे के भाग को अपनी चूत के अंदर और कड़क फील किया. वो भी अपने लंड का रस मेरी चूत मे बरसाने के लिए तय्यार था. मेरी चूत मे हलचल मचने लगी, मेरा बदन अकड़ने लगा. वो भी नज़्ज़दीक था. हम दोनो के मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी.

जुलीईईई डार्लिंग....................

मैं भी बोली हां........ ओह ............. आहह..

और मैं पहुँच गयी. वो भी मेरे साथ ही पहुँच गया. मैं एक बार फिर बहुत ज़ोर से झर गयी थी और मैने उसके गरम लंड रस को अपनी चूत की गहराईयो मे तेज़ी से बरसता हुआ महसोस किया. वो मेरे उपर झुक गया और मुझे ज़ोर से पकड़ लिया. उसका लंबा लंड मेरी चूत के अंदर नाचता हुआ अपने प्यार का पानी बरसा रहा था. हम दोनो जैसे स्वर्ग की सैर कर रहे थे.

चोदने के बाद और नहाने के बाद हम बेडरूम मे आ गये. मैने मेरे प्रेमी को मेरे पापा का गाउन पहन ने को दिया जब की मैं अपने गाउन मे थी जिसके अंदर तक सब दिखता था. हम फिर से ड्रॉयिंग रूम मे आए और अपना खाना गरम करने के लिए माइक्रोवेव मे रखा. वो मेरी चुचियाँ, मेरी गंद और मेरी चूत बार बार देखता रहा जो की मेरे गाउन के अंदर से सॉफ सॉफ दिख रहे थे. मैं जानती थी कि मेरी चुचियाँ, मेरी चूत और मेरी गंद देख कर वो फिर से गरम हो रहा था. हम ने लंच किया और हम एक बार फिर नंगे ही बेड रूम मे पलंग पर लेटे हुए थे. दोनो गाउन मैने फिर से वापस रख दिए थे अपनी जगह पर. मैं नंगी ही उस के नंगे बदन पर उसकी बाहों मे थी और वो मुझको चूम रहा था. मैं जानती थी कि वो मुझे और चोद्ना चाहता है और सच्ची बात तो ये है कि मैं भी उस से एक बार और चुद्वाना चाहती थी.

कहानी को छ्होटी रखने के लिए बस इतना ही लिखूँगी कि एक बार फिर हमारे बीच चुदाई का खेल सुरू हो चुका था. इस बार मैने उसको चोदा क्यों की मैं उपर थी और वो नीचे. मैने उसको तब तक चोदा जब तक मैं झर नही गयी और फिर मेरे उपर आ कर उस ने मुझे तब तक चोदा जब तक मेरी चूत मे अपने लंड के प्रेम का पानी फिर से नही डाल दिया.

हम दोनो ने आज जम कर चुदाई की थी. मैने आज पहली बार अपने प्रेमी से चुद्वाया था और हम दोनो बहुत खुस थे.

हम ने अपने अपने कपड़े पहने, कारपेट और खाली लंच बॉक्स उठाया और वापस अपने घर की तरफ रवाना हुए.

वापस आते हुए रास्ते मे हम ने गंद मारने के बारे मे भी बात की. चाचा की तरह उस ने भी मुझे बताया कि गंद मरवाने मे लड़की को बहुत दर्द होता है, खास कर के जब लंड मोटा और लंबा हो. उस ने ये भी कहा कि गंद मारने और मरवाने मे इन्फेक्षन का भी ख़तरा होता है. लेकिन मैने फिर भी उस से कहा कि मैं एक बार ज़रूर गंद मरवाना चाहूँगी. वो हंस कर बोला, - “ठीक है जूली, मैं तुम्हारी कुँवारी गंद अपनी शादी के बाद मारूँगा." और उसी दिन मैने सोच लिया था कि अपनी सुहागरात को मैं अपनी कुँवारी गंद अपने हज़्बेंड को पेश करूँगी और उस से अपनी कुँवारी गंद मरवाउंगी.

मैं यहाँ आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूं कि रमेश तब देल्ही मे एक एमएनसी मे मार्केटिंग मॅनेजर के तौर पर काम करने लगा था और हमारी सगाई दोनो के मा बाप की पर्मिशन से हो चुकी थी. जल्दी ही हमारी शादी होने वाली थी. ( ये कहानी लिखते समय हमारी शादी हो चुकी है.)

क्रमशः...............................
 
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