Hindi Porn Story द मैजिक मिरर - Page 4 - SexBaba
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Hindi Porn Story द मैजिक मिरर

राज भी मुस्कुराते हुए नीचे से हल्के हल्के धक्के मारने लगता है। करीब पांच मिनट में लता और राज दोनो एक दूसरे के आदि हो जाते है। अब दोनों एक दूसरे को बेइंतेहा चूमते हुए धक्कम धक्का पिलाई कर रहे थे।




कालू श्याम और मंगल छुपकर के राज और लता की रास लीला देख रहे थे। वहां पर कोई रफ़ चुदाई नही चल रही थी। बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे दो आशिक शादी से पहले शुहागरात मना रहे हों।





लता: हेय ये बचा खुचा लन्ड क्या अपनी माँ बहन के लिए बचा रखा है।


राज एकदम से लता के मुह से ऐसी बात सुनकर सकते में आ जाता है। लता राज को कुछ न करते देख अपनी एक उंगली राज की गांड के छेद पर घुमाने लगती है।


जैसे ही लता की उंगली राज की गांड के छेद को छूती है राज की कमर ऊपर उठती है लेकिन लन्ड अंदर नही जाता। थोड़ी ही देर में जब लता परेशान हो जाती है तो लता अपनी बीच की उंगली का दबाव राज की गांड के छेद पर बढ़ा देती है। करीब आधा इंच उंगली राज की गांड मैं घुसी थी कि राज जोर से धक्का मार देता है और बचा हुआ लन्ड पूरी तरह से लता की चूत में घप्प से घुस जाता है। इसी के सेह लाता राज के होंटों को चूमने के लिए राज पर झुक जाती है।





अब थोड़ी देर लता यूँही ऊपर से राज के लन्ड पर धक्के मारती रहती है और नीचे से राज भी लता की चुदाई करता रहता है।


वुमन ऑन टॉप की खिलाड़ी तो लता कालू के साथ ही बन गयी थी। लेकिन लता को चाहिए था कि राज अब उसकी जबरदस्त चुदाई करे।


इस लिए लता राज के ऊपर से उठ कर नीचे लेट जाती है और राज को अपने ऊपर खींच लेती है। लता अपनी टांगे चौड़ी कर के राज को अपनी टांगों के बीच में ले आती है। और राज का लन्ड पकड़ कर अपनी चूत के मुह पर रख देती है।




जब लता ऐसा करती है तो राज की नज़र लता की चूत पर जाती है। जो कि बुरी तरह से खून खच्चर हो रखी थी।


लता: देख क्या रहा है चल घुसा दे जल्दी से।


राज एक जोर दर धक्का मारता है कि लता राज को अपने ऊपर खींच कर जोर से गले लगा लेती है और पीछे से कैंची की तरह अपनी टांगे राज की कमर पर कस लेती है।




लता: आह मेरे राजा! ऐसे ही दम दिखा अपना।


राज: हाँ मेरी रानी ऊम्म्मssss


राज जैसे ही आंखें बंद करता है उसे याद आता है की उसने अभी रानी बोला। और उसे अपनी बड़ी बहन रानी याद आते ही उसकी आँखों के सामने उसकी बहन रानी का चेहरा घूमने लगता है।




राज को रानी का चेहरा याद आते ही राज आंखे बंद किये ही "ओह रानी, आह कितना मज़ा है इन सब" मे बोलते हुए लता की धुआंदार चुदाई शुरू कर देता है।


करीब 30-35 मिनट की चुदाई के बाद राज अपना सारा पानी लता की चूत मैं छोड़ देता है। जैसे ही राज पानी छोड़ता है वैसे ही लता झड़ने लगती है और साथ ही साथ चीख पड़ती है।


झड़ते हुए राज का लन्ड 1.5 इंच और बड़ा हो गया था जो कि सीधा लता की बच्चे दानी के मुह को खोल कर अंदर घुस गया। करीब 5 मिनट तक राज लता की चूत मैं झड़ता रहता है। जब राज अपने टट्टे पूरी तरह से लता की चूत मैं खाली कर देता है तो लता उसे साइड में हटा कर जोर जोर से हांफने लगती है। लेकिन राज बिल्कुल नही हांफ रहा था।


लता की चूत से जैसे ही लन्ड बाहर निकलता है लता की चूत काफी सारी राज की मलाई बाहर उगल देती है।
 
लता की चूत से जैसे ही लन्ड बाहर निकलता है लता की चूत काफी सारी राज की मलाई बाहर उगल देती है।








लता थोड़ा सुस्ता लेने के बाद राज से पूछती है।


लता: ये... ये रानी कौन है रे? अब ये तो बिल्कुल मत कहना कि तू मुझे रानी बुला रहा था।


राज: हम्मsss क्या????


लता: ये रानी कौन है? कोई गर्लफ्रैंड?


राज: नहीं तो


लता: फिर कौन है?


राज : रानी मेरी बड़ी बहन का नाम है!


लता: ओहsssss तो तू मुझे रानी समझ कर चौद रहा था।


राज: क्या बक रही हो?


लता: रानी का नाम लेकर मेरी चूत फाड़ता रहा तब तुझे याद नही आया की तू क्या बक रहा है। खेर इसमें कुछ गलत भी नहीं। देख मैंने भी तो मेरे छोटे भाई कालू से चुदवा लिया। तू भी अपनी बहन को चौद कर अपनी आग शांत कर लिया कर ना। इसमें कोई बड़ी बात नही है।


राज: नही नहीं ऐसा नही हो सकता।


लता राज का लन्ड पकड़ कर


लता: अभी तुझे झड़े 3 मिनट भी नही हुए और रानी की बात सुनकर फिर से खड़ा हो गया मेरे राजा।


राज लता को कुछ नही बोलता।


लता एक बार फिर से राज को अपने ऊपर खींच कर चुदाई करने लगती है। और इस बार लता रानी बनकर राज से चुदवाती है।


राज उसे जब भी रानी नही बुलाता तो लाता उसे धक्के मारने से रोक लेती। थक हार कर राज पहली बार अपनी बहन के बारे में सोचते हुए लता की एकदम रोमांटिक तरीके से चुदाई कर रहा था। और आख़िरकर लता की चूत मैं झड़ जाता है।




करीब 3-4 बार राज लता की चूत मारता है पहली बार छोड़ कर हर बार लता रानी बनकर राज से चुदती रहै। उसका एक कारण ये था कि जब भी राज लता को रानी बोलकर चौदता था तो राज एक अलग ही जोश मैं रहता था। वो जोश रानी को असीम सुख दे रहा था।


अब राज आंख बंद करके वही लेट जाता है। और लता चुपचाप अपने कपड़े और चरि लेकर वहां से निकल जाती है। वही श्याम मंगल और कालू भी काफी समय पहले वहां से निकल गए थे। अब राज अकेला नंगे बदन खेत में पड़ा घास फूस पर सो रहा था और ऊपर बारिश हो रही थी।
 
करीब आधे घंटे बाद राज की आंख खुलती है। राज जल्दी से कपड़े पहन कर नानी के घर की तरफ निकल जाता है। राज के कपड़े पहले ही काफी गीले थे रास्ते में जाते जाते राज के कपड़े और गीले हो जाते है।

राज पूरी तरह से बारिश में भीग चुका था।





साथ ही साथ राज के चेहरे से थकावट साफ झलक रही थी। लता के साथ राज का ये पहला योन सुख का अनुभव था।


पहली बार ही राज और लता ने पांच बार योन संबंध बनाए। जिस कारण से राज काफी थकावट महसूस कर रहा था। साथ ही राज ने सुबह से कुछ खाया भी तो नही था।


राज बड़ी ही मुश्किल से चलते हुए घर पहुंचता है। घर पहुंचते ही राज की नानी जो कि अपने मकान के दरवाजे पर खड़ी होकर राज की राह देख रही थी ने राज को देखा जो बुरी तरह से भीग गया था। नानी घबराते हुए थोड़ा गुस्से में राज को डाँटती है और बोलती है....


नानी: राज ये क्या पागलपन है? जल्दी से घर में आओ। बाहर इसी तरह से भीगोगे तो बीमार पड़ जाओगे। सुना नहीं मैंने क्या कहा? जल्दी इधर आओ!


राज: हैंsss हम्मssss जी नानी...


राज नानी को गुस्से में देख कर कर जल्दी जल्दी चलते हुए कमरे में घुस जाता है। जहां जाते ही राज की नानी राज को टॉवल दे कर अंदर एक सिगड़ी पर चाय चढ़ा देती है। और साथ ही राज की खरी खोटी सुनाने लगती है।


नानी: मुझे बिल्कुल पसंद नही है राज


राज: क्या??? मेरा मतलब क्या नानी ?? क्या पसंद नही है?


नानी: तेरा ये लापरवाही से रहना। सुबह से कुछ खाया पिया नही, पूरा दिन दोस्तों के साथ मस्ती और अब पानी में भीगता हुआ घर आ गया। वही कहीं ठहर नही सकता था?


राज : सॉरी नानी।


राज ने अब कपड़े बदल कर एक शॉर्ट और एक टी-शर्ट पहन ली थी। जब राज तैयार हो रहा था इसी बीच नानी ने राज को एक चाय पकड़ा दी और साथ में एक प्लेट में कुछ पकोड़े भी।


( गरमा गरम आलू और प्याज के पकोड़े वो भी गांवों की भीनी भीनी बरसात में वाकई मज़ा आ जाता है दोस्तों।)







राज चाय और पकोड़े देख कर खुश था। राज नानी को थैंक्स बोल कर चाय पकोड़े नानी के साथ बैठ कर खाने लगा।


चाय और पकोड़े खत्म करते करते बारिश भी रुक गयी थी। नानी झूठे बर्तन बाहर ले गयी और राज अंदर अपने कमरे में जाकर सो गया।
 
करीब पंद्रह मिनट बाद नानी ने आकर राज को देखा तो राज घोड़े बेच कर सो रहा था। नानी मुस्कुराते हुए राज के पास आई और राज के सर पर हाथ फिरा कर वह से फिर बाहर आ गयी। वैसे नानी आयी तो राज को डांटने थी लेकिन राज के भोले चेहरे को देख कर नानी का सारा गुस्सा काफ़ूर हो गया।

करीब आधे घंटे बाद राज फिर से उसी खेत में लता के साथ चुदाई करने चला गया था। लता मज़े से सिसकियाँ ले रही थी। राज अपनी आंखें बंद किये अपना लन्ड लता की चूत पर रगड़ रहा था।




तभी लता राज के नीचे और राज लता के ऊपर आ गया। राज जल्दी से अपना लन्ड लता की चूत पर सेट करके एक धक्का मारता है। धक्का मारते ही राज के लन्ड मैं भयंकर दर्द होने लगता है और लता की चीख निकल जाती है।





लता की चीख निकलते ही राज मुस्कुराते हुए लता की तरफ देखता है तो राज का मुह खुला का खुला रह जाता है। वो वो लता नही थी। बल्कि राज की अपनी बड़ी बहन रानी थी।




रानी जो कि राज के लन्ड के प्रहार से, दर्द से तड़प रही थी। रानी की चूत से खून निकल रहा था। राज अपने नीचे रानी को देखते ही तुरंत वहां से उठ जाता है।

राज के उठते ही राज धड़ाम से बेड से नीचे गिर जाता है। राज जोर जोर से सांसे ले रहा था। राज बुरी तरह से डरा हुआ और घबराया हुआ था। थोड़ा शांत होकर राज अपने आसपास नज़र घूमाता है तो उसे एहसास होता है वो खेत में नही बल्कि नानी के पास है। नानी के अपने घर में है। तब जा कर राज को एहसास होता है कि उसने अभी जो कुछ भी किया और देखा सब सपना था। एक डरावना सपना। जो कभी भी सच नही होना चाहिए।
 
राज वहां से उठकर मुह धोने के लिए जाने लगता है कि राज को अपने लन्ड मैं फिर से दर्द महसूस होता है। लेकिन ये दर्द और दिनों से अलग था।

राज धीरे धीरे चलता हुआ बाथरूम में जाता है और वहां जाकर अपना लन्ड देखता है। राज अपना लन्ड देखता है तो देखते ही रह जाता है। राज का लन्ड अभी पूरी तरह से खड़ा नही था लेकिन फिर भी उसकी लम्बाई करीब करीब साढ़े आठ इंच की थी। राज का सूपड़ा बुरी तरह से सूजा हुआ था।

खैर ऐसा तो होना ही था। आज राज की नथ उतरी थी तो दर्द तो बनता ही था। राज अपने लन्ड को पानी से धो कर फिर से आराम करने के लिए अपने कमरे में जाने लगता है।

जब राज अपने कमरे में जाने के लियर आगे बढ़ता है तो राज को किसी लड़की की जानी पेहचानी आवाज सुनाई पड़ती है। हाँ! ये आवाज किसी और कि नहीं बल्कि कालू की बड़ी बहन लता की आवाज है। लता को आवाज सुनते ही राज तुरंत बाहर की तरफ दौड़ता है।




राज चोंक जाता है। राज तुरंत बाहर आकर देखता है तो लता राज की नानी से बात कर रही थी। लता ने जब राज को दरवाजे पर देखा तो नानी से साइड में गर्दन करके लता राज को देखते हुए नानी से पूछती है।

लता: ये कौन है काकी?

नानी: कौन ??? ओह ये... ये मेरा नाती है राज! तुम तो आज ही इसे देख रही हो! बहुत शैतान है

लता: अच्छा! ज़रा मैं भी तो देखो इस शैतान को। मैं मिलकर आती हूँ।

नानी: हाहाहा हाँ जाओ मिल लो।

लता नानी से इतना बोलकर राज के पास चली जाती है और नानी वापस अपना काम करने में व्यस्त हो जाती है।

लता राज के पास जाकर राज से हाथ मिलाती है। राज जैसे ही लता से हाथ मिलाता है राज को अपने हाथ में कुछ महसूस होता है।

लता: ये ले लेना रात को दर्द नही होगा.|

इतना बोलकर लता राज को आंख मारते हुए राज के पास से चली जाती है और नानी को मिलकर वापस अपने घर को निकल जाती है।

रात को राज खाना खा कर पेनकिलर कहा लेता है। और सोने की कोशिश करता है लेकिन हर बार जब भी राज सोने की कोशिश करता है उसे बार बार रानी नज़र आती है। बार रानी का चेहरा राज को परेशान करने लगता है। इसलिए पूरी रात राज बैचैन होकर गुजर देता है।

अगली सुबह राज बहुत जल्दी तैयार हो जाता है इस वक़्त राज की नानी सो रही थी। रात के करीब 3 बज रहे थे। राज नक्शा और कंपास दोनो को अपने कपड़ों में छिपा कर तैयार हो जाता है। नक्शे और कंपास के लिए राज एक प्लास्टिक का बैग ले लेता है ताकि बारिश हो तो भीगे नही।

राज की तैयारी खत्म होते होते 4 बज जाते है। 4 बजते ही नानी की पुरानी घड़ी बहुत ही हल्की आवाज में बज पड़ती है। और बाहर मुर्गे भी बोल पड़ते है।

नानी बिस्तर से उठती है तो राज के बिस्तर पर नज़र पड़ती है। राज बिस्तर में दुबका पड़ा था। नानी राज के सर पर हाथ फिरा कर बाहर अपने काम करने लग जाती है।

करीब पांच बजे के करीब राज बाहर आता है। राज बाहर आते ही नानी के पैर छूता है। नानी राज को एक कप चाय देती है जिसे राज बहुत जल्दी जल्दी पीने लगता है। चाय पीने के बाद राज नानी को बोलता है नानी मैं दोस्तों के पास जा रहा हूँ।

नानी राज को कुछ बोलती उस से पहले तो राज वहां से भाग निकलता है। नानी राज की जल्दबाजी देख कर मुस्कुरा पड़ती है।


नानी मन ही मन सोचती ही " इसे लगा होगा की आज मैं इसे जाने नही दूंगी इसलिए बिना सुने ही भाग गया। बहुत शैतान हो गया है ये लड़का"


नानी वापस अपने काम में लग जाती है। राज भागते हुए सीधे नदी किनारे पहुंच जाता है। राज अब नदी किनारे होते हुए थोड़ा और दूर जाता है कि उसे वहां एक चट्टान के पीछे कुछ नज़र आता है जिसे देख कर राज मुस्कुरा पड़ता है। वो कुछ और नही एक नाव थी।
 
देखते ही देखते सूरज की किरणें पानी पर चमकने लगती है। जिससे सोने की तरह नदी और नाव दोनो चमक ने लगते है। जैसा कि नक्शे में था एक सोने की नाव। ये नाव वास्तव में सोने की नहीं थी बल्कि सोने की तरह चमक रही थी।




राज आसपास नज़र घुमा कर देखता है कि कोई है तो नही। जब राज पूरी तरह से सुनिश्चित कर लेता है कि उसे कोई नही देख रहा है तो राज नाव में बैठ कर नक्शे के मुताबिक चलता रहता है।

आज से पहले राज ने कभी नाव चलाई नही थी तो जाहिर है राज को नाव चलाने और उसी के साथ नक्शे को पढ़ने में बहुत दिक्कत हो रही थी। लेकिन फिर भी राज कैसे जैसे करके नक्शे के मुताबिक आगे बढ़ता रहा।

राज आगे बढ़ते ही जा रहा था कि अचानक से राज की नाव एक भंवर में फंस जाती है। राज बहुत संभलने की कोशिश करता है लेकिन नही संभल पाता। जब राज को बचने का कोई रास्ता नज़र नही आता तो राज जोर जोर से मदद के लिए चिल्लाता है

लेकिन इस वक़्त राज जहां पर था वहाँ से कोई भी राज की चीख पुकार नहीं सुन सकता था। कुछ ही वक़्त मैं राज और राज की नाव पानी में डूब जाती है। देखते ही देखते वो भंवर राज और उसकी नाव दोनो को नदी के बिल्कुल नीचे गर्भ स्थान पर ले जा कर डूबा देता है।

राज पानी में तैरना जानता था लेकिन तेज भंवर में फंसने के कारण और राज की घबराहट के कारण राज की सांस फूलने लगती है और देखते ही देखते राज पानी में डूब गया।

राज की सांसें फूलने लगी। धीरे-धीरे नदी का पानी राज के पेट में भरने लगा। राज की आंखें आहिस्ता- आहिस्ता बन्द होने लगी। और राज का शरीर नदी के नीचे की और तलहट मैं दूर गहरे अंधेरों की और बढ़ने लगा। राज अपने दिल की धड़कन धकssss धकssss धकssss धकssss बिल्कुल आहिस्ता से धीमी होते महसूस कर पा रहा था।


राज को अब तक ये एहसास हो चला था कि राज अब मारने वाला है। राज अपनी हल्की खुली आँखों से नदी के ऊपरी हिस्से के पानी से होकर आ रही सूर्या की गिनी चुनी किरणों को, उनकी चमक को देख सकता था।





राज पूरी तरह नाउम्मीद होकर अपनी मृत्यु को स्वीकार कर लिया। जहां राज एक पल को स्लो मोशन सा नीचे डूबता जा रहा था वही पानी में एक अजीब सी हलचल हो रही थी। जो भंवर बना था वो पानी के नीचे था। भंवर जैसा इस वक़्त नदी के ऊपर कुछ भी नहीं था। यहां तक कि राज की नाव भी नदी के उस स्थान पर जाकर रुक गयी थी जहां से राज और नाव दोनो भंवर में फंस कर डूबे थे।



धीरे-धीरे राज की आंखें बंद हो गयी। राज के मुह से बुल बुले निकलना भी बंद हो चुके थे जो कि अक्सर डूबते वक़्त फेंफड़ों से निकलती हवा के कारण बनते है। राज अब नदी के नीचे तलहट की और डूबता जा रहा था कि अचानक से भंवर उल्टा घूमने लगा और देखते ही देखते गायब हो गया। राज तेजी से नदी के तलहट की और डूब रहा था। लेकिन राज पानी में नदी के तल की तरफ ऐसे गिर रहा था जैसे कोई उल्कापात आसमान से ज़मीन की और गिर रहा हो। अचानक से राज एक सुखी ज़मीन पर आ गिरता है।






करीब 45 मिनट तक बेहोशी के बाद राज की आंख खुलती है। राज खांसता हुआ उठ खड़ा होता है। राज जब खांसता है तो काफी सारा पानी उसके मुंह से निकल कर गिरता है। राज जोर जोर से सांस लेता है।


राज को लगता है ये सब एक सपना था। लेकिन राज जब अपने आस पास का माहौल देखता है तो राज को एहसास होता है की ये कोई सपना नहीं बल्कि हक़ीक़त है। राज के सामने एक खँडहर सा था। जिसपर कुछ सीढ़ियां बनी हुई थी जो कुछ दूरी पर जाकर खत्म हो जाती है।


राज ऊपर आसमान में गर्दन करके देखता है तो राज का सर चकरा जाता है। नदी का सारा पानी ऊपर था। राज नदी के पानी से होकर नीचे आया था। ऐसा लग रहा था जैसे ग्रेविटी से नदी का सारा पानी ऊपर की और उड़ रहा हो। लेकिन उस पानी के स्थायी होने से इसे ग्रेविटी का नही बल्कि किसी चमत्कार या जादू का नाम दिया जाना उचित है।
 
राज तुरंत अपनी कमर पर बंधे नक्शे को निकलता है और कंपास की और नज़र करता है तो कंपास उसे उसी खँडहर की और जाने का इशारा करता है जिस पर सीढ़ियां कुछ ही दूरी पर खत्म हो जाती है। राज उन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ऊपर तक जाता है।लेकिन आगे रास्ता नही था। राज परेशान होकर सोचने लगता है कि आखिर ये जगह है क्या?


तभी राज उस खँडहर की आखिरी सीडी पर पैर रखता है कि सीढ़ियां टूटने लगती है। राज एक बार तो सोचता है कि नीचे कूद जाऊं लेकिन जहां सीढ़ियां खत्म हो रही थी उसके ठीक नीचे एक बहुत गहरी खाई थी।




बेशक राज वापस नीचे उतरने की सोच सकता था। लेकिन उसे इतना टाइम नही मिला क्योंकि सिड्यां तेजी से टूटती हुई नीचे गिर रही थी। ऐसे में राज उस खाई में कूद जाता है सीढ़ियों के नीचे भी मरता और खाई में भी फिर भी राज ने खाई का रास्ता चुना।


सभी सीढ़ियां टूट कर नीचे ज़मीन में समा जाती है और राज वही हवा में अटक जाता है। ना नीचे गिरता है और ना ही ऊपर जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ हवा में कोई अद्रश्य सीडिया बनी हों। अचानक से राज के सामने ऊपर नदी से तैरते हुए एक लड़की आती है।





राज ऊपर की और देखता है लेकिन वो लड़की गायब हो जाती है राज को उसकी बस एक झलक मिलती है । लेकिन तभी अचानक से राज को एक हाथ अपने कंधे पर महसूस होता है।


राज डर जाता है। ये वही लड़की थी जो राज को तैरते हुए दिखी थी। वो लड़की अपने हाथ में एक कटोरा लेकर आती है। और उसे अपने दोनों हाथों से राज की और बढ़ा देती है। राज वो कटोरा लेकर उस लड़की से पूछता है इसका क्या करूँ ?


लड़की: "इसमे उस चीज का दान दो जिस से तुम्हे आगे का रास्ता नज़र आ सके।"


राज ने अपने ऊपर के कपड़े खोल कर उस कटोरे में डाले। राज के कपड़े कटोरे में डालते ही जल कर नष्ट हो गए। राज को अब एहसास हो गया था कि ये चीज ये कटोरा स्वीकार नहीं करेगा। राज कुछ सोच ही रह था कि राज की कमर पर बंधा कंपास उस कटोरे के किनारों से छू जाता है और कटोरा देखते ही देखते उसे निगल जाता है।


राज ये देख कर हैरान हो जाता है और फिर तुरंत उस नक्शे को याद करके उसे भी उस कटोरे में डाल देता है वो नक्शा भी कटोरा निगल जाता है।


तब लड़की बोलती है "ये तो बहुत छोटा सा दान है। कुछ और है जो दे सकते हो। यदि नहीं है तो लौट जाओ"।


तब राज काफी सोच कर अपने बाएं हाथ की एक उँगली को अपने दांतों के बीच दबा कर काटता है और जो खून निकलता है उसे उस कटोरे में डाल देता है। देखते ही देखते कटोरा सारा खून पी जाता है।


तभी अचानक से अचानक से वो कटोरा चमकने लगता है। कटोरे की चमक से हो रहे प्रकाश में वहां सब कुछ गायब हो जाता है। वहां कुछ भी नहीं था सिवा उस सफेद रोशनी के और राज भी उस कटोरे में समा जाता है।


थोड़ी देर बाद जब राज को थोड़ा होश आता है तो राज एक अजीब से महल में खड़ा था....









जिसके सामने कोई रानी हो एसी एक औरत बैठी थी।




उस औरत के रानी होने का अंदाज़ा राज को इस बात से लगा कि वो औरत एक तो सिंघासन पर बैठे हुए थी। दूसरी बात बात ये भी थी कि उस औरत के चेहरे पर बहुत तेज था और उसके कपड़े गहने और उसका चेहरा सब रोशनी की तरह चमक रहे थे।


वो औरत राज को हुकु सुनाने वाली आवाज में बोलती है। "तुम्हारा स्वागत है इस आईने की दुनिया में। या फिर तुम्हारी भाषा में कहूँ तो यु आर मोस्ट वेलकम इन दिस मिरर वर्ल्ड।"


राज झुक कर उस औरत का सम्मान करता है। राज समझ नही पा रहा था कि ये औरत उनकी भाषा कैसे जान सकती है।


औरत: यहां आने का क्या कारण है?


राज: जी मुझे मेरे नाना जी के कमरे में एक नक्शा और कंपास मिला था। मैं उसे फॉलो करते हुए यहां आ गया।


औरत: तुम्हारे खून में जो नीलांकर है, ये कैसे आया?






राज:????? जी? मैं कुछ समझा नहीं?



औरत: तुम्हारे खून मैं सदियों पुराने चंद्रमा, नील गगन और काल की छाया से बने नील पानी का समावेश है।




जिस कारण से तुम्हे बिना किसी परेशानी के इस नदी के रक्षक ने आईने की दुनियां में पहुंचा दिया।


राज: जी मुझे नहीं पता ये कैसे?
 
औरत कोई बात नही मैं देख लेती हूं। वो औरत ने अपने सिंगासन मैं जड़े पत्थर में कुछ डाला जो बड़ा ही अजीब था। उस पत्थर ने उसे निगल लिया। थोड़ी देर बाद उस औरत ने कहा " तुमने नील पानी पिया है? लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया वो औरत उसे उस पत्थर मैं दिखाती है।


राज: "ये तो वो पानी है जो नानाजी के झोपड़े में था। नीले रंग का पानी जिस पर लिखा था ड्रिंक मी" जी उस वक़्त मुझे पानी की सख्त जरूरत थी और आसपास सिर्फ यही था तो पी लिया।


औरत उस सिंघासन से खड़ी हो कर राज से बोलती है " इस पानी का सेवन तुम्हे काले आईने का उत्तराधिकारी बनाता है। ऐसा बोलकर वो औरत उसे अपने सिंघासन से पत्थर निकाल कर राज को दे देती है और राज के सर पर हाथ रखती है।


उस औरत के ऐसा करते ही ऊपर ठहरा हुआ पानी नीचे भी भरने लगता है। राज का ध्यान पानी के बढ़ने पर था कि वो औरत वहां से गायब हो गयी। गायब होने से पहले वो औरत राज से बोलती है कि तुम अपने अंगूठे के निशान इस सिंघासन को दो।


(थोड़ी रुक कर)


अपने खून से.....


राज बिना कुछ सोचे समझे उस सिंघासन पर अपना अंगूठे का निशान लगता है कि पूरी मिरर वर्ल्ड उस पत्थर मैं समा जाती है जो उस औरत ने सिंघासन से निकाल कर राज को दिया था। और राज फिर से एक भंवर में फंस कर नदी के ऊपर आ जाता है।


राज जैसे ही ऊपर आता है वो बिल्कुल अपनी नाव के पास होता है। राज तुरंत अपनी नाव में बैठ जाता है लेकिन राज धीरे धीरे चक्कर खा कर वही बेहोश हो जाता है।


जब राज को होश आता है तो राज के सामने एक लड़की थी जो कि गर्दन के निचले हिस्से तक पानी में थी। वो लड़की राज की नाव को पकड़ कर राज से बोलती है।





तुम्हारे नाना की किताब पढ़ना। उसमे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे। और इतना बोलकर अपने गले में लटक रहे एक पत्थर को तोड़ कर राज के हाथ में दे देती है। राज उस पत्थर को और जो नदी के तलहट से पत्थर निकला था इसे लेकर वापस नदी किनारे आता है। जैसे ही राज नाव से उतरता है। वो नाव तुरंत पानी की तरह पिघल कर नदी के पानी में लुप्त हो जाती है। तभी एक बार फिर से वो औरत पानी से बाहर निकल कर आती है और राज की तरफ देख कर राज से बोलती है " वो एक लंबे समय से तुम्हारा इंतजार कर रहे है" इतना बोलकर वो लड़की वापस लौट जाती है।


राज को अभी तक यकीन नही हो रहा था कि इतनी मेहनत की वो सब इस पत्थर के लिए। और वो महारानी आखिर ये सब था क्या? तभी राज वहां से निकल कर जैसे ही अपने नाना की झोपड़ी की तरफ बढ़ता है सूरज की रोशनी उस पत्थर पर पड़ती है। जो अचानक से चमकने लगता है और चमकते हुए वो लड़की का दिया पत्थर उस दूसरे पत्थर से जुड़ जाता है। और उस पत्थर के जुड़ते ही वो पत्थर एक आईने में बदल जाता है।





राज तुरंत उस आईने को लेकर अपने नाना की झोपड़ी की और भागता है लेकिन उसके पास चाबी नहीं थी। लेकिन जैसे ही सूरज की रोशनी उस आईने पर पड़कर उस झोपड़े से टकराती है। राज अचानक से उस झोपड़े मैं घुस जाता है। ना दरवाजा खुला ना खिड़की। राज बुरी तरह से डरा हुआ था। राज एक पल ठहर कर उस आईने को देखता है। उसमें अभी भी मोती की तरह जेड जाने वाले 5 पत्थरों की जगह थी।


अपने नाना जी के झोपड़े मैं आकर राज अलग अलग तरह की किताबें ढूंढता है।




देखते ही देखते उसे बहुत सी किताबे मिल जाती है। लेकिन उन किताबों मेंसे राज को 5 किताबे ऐसी मिली जो बिल्कुल अजीब थी और मजे की बात ये थी कि उन किताबों के पास अलग अलग रंग के पत्थर रखे थे।


राज उन पत्थरों को उस आईने में जहां मोती जड़ने की जगह बनाई हुई थी वहां लगाता है लेकिन वो जुड़ते नहीं फिर राज किताबे खोल कर देखता है तो किताब के पहले पन्ने पर कुछ चित्र बने हुए थे ।





जो ये बताते थे कि कौनसा पत्थर आईने में किस जगह जड़ा जाएगा। राज उस किताब के हिसाब से पत्थर लगाता है और तुरंत वो पत्थर जुड़ जाते है। राज ने पिछले पत्थर की तरह ऐसा सोचा था कि शायद ये भी जड़ जाएं। लेकिन वो जुड़े नही इस लिए उसे किताबों का सहारा लेना पड़ा।


अब राज ने वो किताबें पढ़नी शुरू की पहली किताब जो कि लगभग 10000 पन्नो की लग रही थी उस किताब का शीर्षक था " दी मिरर"




राज पिछले 7 घंटों से वो किताब पढ़ रहा था। दरअसल उस किताब के हर एक पन्ने पर केवल एक मंत्र लिखा था। और उसका एक चित्र था।





राज ने उस किताब को बंद करके एक दम से उठ गया। राज के पसीने छूट गए।


राज " इसका मतलब नानी ने जो आईने की कहानी सुनाई थी वो सच थी।"


राज टेंशन मैं था थोड़ा डरा हुआ भी था लेकिन राज अब पीछे नही हट सकता था। अचानक से वो महारानी जो नदी के तलहट मैं मिली थी। उस आईने में नज़र आती है। वो राज से बोलती है।


"इस आईने को अपनी सबसे प्रिय चीज दो और अपने सवालों का जवाब पाओ। राज अगर हो सके तो... उस औरत ने इतना ही कहा था कि आईने ने अपना रंग बदल लिया और वो औरत तुरंत गायब हो गयी।

राज मन ही मन विचार करता है" नानी ने कहा था कि ये आईना काली बुरी शक्तियों का मालिक है। जिसने उस महारानी के ऊपर भी बहुत बुरा असर डाला था। लेकिन कैसा असर? आखिर क्या शक्तियां है इस आईने की? नानी भी ना कभी भी पूरी बात नही बताती। अब इस आईने को मैं अपनी कोनसी पसंदीदा चीज़ दूँ? अगर मैं इसे अपनी पसंद की चीज देकर उसे करता रहा तो मेरी पसंद का क्या बाख जाएगा? कौन जाने ये आईना क्या कर सकता है?
 
इसी प्रकार का अंतर्द्वंद्व राज के मन में चल रहा था। एक मन तो कह रहा था कि एक बार इस्तेमाल करने से राज कोनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? बड़ी मुश्किल से ये आईना हाथ लगा है क्या पता ये ही अपनी किश्मत चमका दे। और दूसरा मन कहता है राज बेटा ज़हर तो आखिर ज़हर होता है फिर उसका थोड़ा क्या और ज्यादा क्या?





काफी दिमाग बाजी के बाद राज एक निर्णय पर पहुंचता है कि मैं इस आईने को अपनी पसंद की चीज दूंगा। एक बार इस्तेमाल करने के बाद में इस आईने के टुकड़े टुकड़े करके इसे दफना दूंगा।


खूब सोचने समझने के बाद भी राज निर्णय नहीं कर पा रहा था कि आखिर ऐसी क्या चीज दूँ जो ये आईना स्वीकार कर ले। क्या पता छोटी मोटी चीज ये स्वीकार करेगा कि नहीं।


तभी राज को उस लड़की की बात याद आती है जो नदी से लौटते वक्त राज को हिदायत देती है कि अपने नाना जी की किताब पढ़ो।





लेकिन राज के लिए अब ये मुसीबत थी कि कौनसी किताब पढ़े? यहां तो लगभग 50 से भी ऊपर किताबे है। ऊपर से पिछली बार गांव आया था तब भी नानाजी की काफी किताबें लेकर चल गया था?






राज के सोचते सोचते दिन ढलने को आ गया। शाम के 5 बज रहे थे। राज को वापस नानी जी के पास जाना ही उचित लगा। राज अपनी नानी के पास जाने के लिए बाहर निकलने की कोशिश करता है लेकिन बाहर से दरवाजा बंद था। तब राज को याद आता है कि वो अंदर आईने की मदद से आया था तो बाहर भी आईने की मदद से जाया जा सकता है।





राज तकरीबन एक घंटे से कोशिश कर रहा था कि वो आईना उसे बाहर निकाल दे लेकिन राज बाहर नहीं निकल पा रहा था। तभी राज की नज़र उस किताब पर पड़ी जिसे राज कुछ समय पहले तक पढ़ रहा था। उस किताब में जो चित्र थे राज उन्हें समझने की कोशिश करने लगा।




चित्रों को समझते समझते राज को मालूम होता है कि ये आईना सूर्य और चंद्रमा की रोशनी में कार्य करता है। इसके अलावा यदि इस आईने का उपयोग करना है तो उसे अपने दिल के करीब किसी चीज का त्याग करके आईने को भेंट करनी होगी। उसके पश्चात आईने के धारक को आईना पकड़ कर उस आईने में देखते हुए अपने मन उस स्थान , वस्तु व्यक्ति के बारे में सोचना होता है ये आईना उस का प्रत्यक्षिकरण कर देता है। प्रत्यक्षिकरण के पश्चात आईने के धारक को आईने को कोई दरवाजा समझ कर उसमें प्रवेश करने से आईना धारक को उक्त स्थान पर पहुंचा देता है। किन्तु इस मैं याद रखने की एक बात है यदि आईने का धारक आईने को कोई वस्तु रात्रि 12 बजने से पहले देता है तो आईना केवल रात्रि 12 बजने तक ही कार्य करेगा। रात्रि 12 बजट ही आईने को कोई नई वस्तु दान देनी होगी। दूसरे दिन की शुरुआत के साथ आईने के धारक का प्रतिभूति स्वरूप दिया हुआ दान रात्रि बढ़ बजट ही बाईट हुए दिन का हो जाता है। ये समय काल के साथ जुड़ा है इसलिए इसे झुटलाया या बदला नही जा सकता।



राज काफी सोचने के बाद ठीक है तो मैं इसे अपनी पसंदीदा ड्रेस दे दूंगा लेकिन कैसे दूँ। राज आईने को हाथ में लेकर ऐसा सोचता है कि एक लाल शर्ट और जेड ब्लैक जीन्स आईने में आ जाती है। ऐसा होते ही राज समझ जाता है कि इस आईने को विचार करके हमे सिर्फ दान के बारे में बोलना है बाकी दान कैसे लेना है इसका उपाय आईना स्वयं ढूंड लेगा।


राज आईने को हाथ में पकड़ कर बोलता है " मैं राज अपनी पसन्दीदा ड्रेस लाल शर्ट और ब्लैक जीन्स आईने को दान देता हूँ।"


राज के ऐसा बोलते ही उस तिलिस्मी आईने में मिट्टी का सा एक भंवर पैदा होता है जो राज की ड्रेस को स्वीकार कर लेता है।


राज अपनी ड्रेस के दान को स्वीकार होते देख कर बहुत खुश होता है। अब राज यहां से बाहर भी निकल सकता था और अपने सवालों का जवाब भी पा सकता था।


राज: ए आईने मुझे इस झोपड़ी से बाहर निकलने का रास्ता बता।


आईने को जैसे ही राज का हुक्म मिला आईने ने राज को तुरंत झोपड़े के बाहर का दृश्य दिखाया जिसे देखते ही राज अपना सर आईने में डाल देता है और मन ही मन सोचता है यही वो रास्ता है जिस से बाहर निकला जा सकता है।





राज ने अभी आंखें खोली भी नहीं थी कि उसकी आँखों पर एक अजीब सी रोशनी पड़ती है। राज आंखें खोलता है देखता है वो अब झोपड़े में नही बल्कि झोपड़े के बाहर था। और जो लाल रंग की रोशनी राज की आंखों पर पड़ रही थी वो डूबते सूर्य की रोशनी थी।





राज बाहर निकलने के बाद आईने को अपने शर्ट में छिपा कर नानी के घर को तरफ बढ़ जाता है। नाना जी का झोपड़ा नानी के घर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए राज पांच ही मिनट में अपने नानाजी के घर से नानी के घर पहुंच गया। राज जैसे ही घर पहुंचता है तो राज चोंक जाता है।


राज जैसे ही नानी के घर पहुंचता है तो राज देखता है कि सामने नानी और उसके पापा बैठे बातें कर रहें है।


राज: पापा? आप? यहां? कैसे? मेरा मतलब कब आये?


नानी: लो आ गया तुम्हारा लाडला।


गिरधारी: हैं बेटा वो क्या है ना कि अब जुलाई शुरू हो गया है। तुम्हे तो खैर मालूम नही होगा है ना? (ताना मारते हुए) तो सोचा तुम्हे याद दिला दूँ की तुम्हारा कॉलेज शुरू हो गया है। अब तुम स्कूल के बच्चे नहीं रहे?


राज: इतनी जल्दी?


गिरधारी: नही बीटा जल्दी तो कुछ भी नही है। सब समय पर हुआ है।


नानी: जो हुआ सो हुआ अब क्या इसकी जान लोगे तुम! बच्चा है गांव मन लग गया नहीं याद आया शहर इसे?


गिरधारी: जी कोई बात नहीं मैं तो सिर्फ इतना बोल रहा हूँ कि तैयार हो जा हम लोग अभी शहर निकल।रहें है।


राज: अभी? अभी तो रात हो जाएगी?
 
[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]नानी: जो हुआ सो हुआ अब क्या इसकी जान लोगे तुम! बच्चा है गांव मन लग गया नहीं याद आया शहर इसे?


गिरधारी: जी कोई बात नहीं मैं तो सिर्फ इतना बोल रहा हूँ कि तैयार हो जा हम लोग अभी शहर निकल।रहें है।


राज: अभी? अभी तो रात हो जाएगी?


गिरधारी: राज बहस मत करो मुझसे! तुम्हे मालूम है ना कल सुबह मुझे ड्यूटी भी जाना है। जाओ तैयार हो जाओ। वैसे भी ड्राइव मैं करूँगा तुम नही! जाओ अब!


राज: जी पापा!


राज इतना बोल कर अपना सामान तैयार करने लगता है।सारा सामान पैक करने के बाद राज बाहर अपनी नानी के पास आता है तो...



राज की नानी राज और गिरधारी के तिलक निकाल कर मीठा मुह करवा के उन्हें थोडे बहुत पैसे देकर विदा कर देती है।


गिरधारी गाड़ी चला रहा था और राज बड़े उदास मन से अपने घर की तरफ निकल रहा था। अभी घड़ी में कुछ 7 बज कर 15 मिनट हो रहे थे। करीब 11 बजे तक राज और गिरधारी शहर अपने घर पहुंच जाते है।


अध्याय 1

प्रथम अध्याय मे अब तक आपने देखा की कैसे राज शहर से गांव मे अपनी नानी के घर जाता है। घर जाते वक़्त रास्ते मे असाधारण बरसात का सामना करते हुए राज और राज के पिता गिरधारी राज की नानी के घर पहुंचते है। नानि के घर पहुंच कर राज रात्रि समय मे अपनी नानी से कहानी सुनने की इच्छा जाहिर करता है। राज की इस इच्छा से नानी राज को एक रहस्यमयी कहानी सुनाती है "दि मैजिक मिरर"। उस कहानी को सुनने के बाद जब नानी राज को कहानी की नायिका नेत्रा के बारे मे बताती है तो रोज उत्सुकता से कहानी सुनता है। कहानी के अंत मैं जाते जाते नानी राज को नेत्रा के ऊपर हुए तिलिस्मी आईने का असर नहीं बताती। राज बहुत बार पूछता है लेकिन नानी राज को कहानी के अंत का विवरण नहीं देती।


दुरे दिन की सुबह राज की मुलाकात गांव के एक लड़के से होती है। "छोटू" छोटू भागता हुआ नानि के घर आता है तो नानी छोटू की मदद करके छोटू से राज को गांव घुमाने की बात करती है। छोटू जब गांव मैं राज को लेकर जाता है तो राज की मुलाकात वहाँ कालू, मंगल, और श्याम से होती है।छोटू और सभी दोस्त राज को नदी मैं नहाने के लिए ले जाते है। जहां पर कालू की नज़र राज के लिंग पर पड़ती है। जिसका आकार बहुत छोटा था। कालू राज को उसके नाना के बारे मैं बताते हुए राज को उसके नाना की झोपड़ी मैं ले जाता है। जहां पर कालू राज को कुछ दवाएं देता। वही पर राज एक निले रंग का पानी था उसे पि जाता है। और राज को उसी झोपड़े के आंगन से एक बक्शे की प्राप्ति होती है।


उस बक्शे मैं कहीं भी चाबी का खांचा नहीं था। तभी अचानक जि एक ऐसी घटना होती है जिसके तहत राज को पता चलता है की वो बक्शा उसके खून और सूर्य के परक्ष से खुलता है। फिर राज की वापस शहर वापसी होती है। शहर वापसी के समय राज के सभी दोस्त दुखी थे। राज फिर वापस लौट कर आने के वादे के साथ शहर चला जाता है। शहर मैं राज के लिंग पर दावा का असर ज्यादा होने लगता है। जिसके फलस्वरूप राज के लिंग मैं दर्द होता है। राज की माँ सरिता और राज के पिता गिरधारी राज को पास ही के एक हॉस्पिटल मैं ले जाते है जहां पर डॉक्टर प्रिया राज का इलाज करती है। डॉक्टर प्रिया राज के लिंग के बारे मैं सरिता से बोलती है। और खुद राज का ब्लड़ सेम्पल ले लेती है।


फिर 2 साल बाद राज लौट कर वापस गांव आता है। जहां पर बख्शे से प्राप्त हुए नक्शे और कंपास की मदद से छिपे हुए खजाने की तलाश मैं राज लग जाता है। तभी नदी पर नहाते हुए राज के लिंग मैं एक बार फिर से दर्द होता है। कालू जब ये देखता है तो कालू अपनी बहन लता को राज के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार करता है।


लता राज की नथ बारिश के बड़े ही कामुक अवसर पर उतारती है। अगले दिन राज नक्शे के मुताबिक नदी मैं जाता है जहां एक भंवर मैं फंस कर राज नदी के गर्भ मैं स्थित मिरर दुनियां मैं पहुंच जाता है। वहां राज की मुलाकात एक लड़की और वहां की महारानी से होती है। महारानी से ही राज को आईने की प्राप्ति होति है। आईना लेकर राज नाना की झोपड़ी मैं एक अद्भुत तिलिस्म से पहुंचता है । वहां अपने नाना की किताब पढ़कर राज को मालूम होता है की नानी ने जो कहानी सुनाई थी वो सच थी।
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[font=Verdana, Helvetica, Arial, sans-serif]फिर राज आईने को अपनी पसंदीदा ड्रेस भेंट चढ़ा कर एक और तिलिस्म से झोपड़े से बाहर निकलता है। राज झोपड़े से बाहर आकार जब नानी के घर पहुंचता है तो वहां पहले से मौजूद अपने पिता को देख कर चोंक जाता है। राज के पिता गिरधारी राज को देखते ही बरस पड़ते है। और राज को उसके कॉलेज शुरु होने की बात बताते है। फिर राज को उसका समान तैयार करने का वक़्त देकर राज को लेकर शहर पहुंच जाते है।।



पिछले अध्याय मैं आपने देखा की राज के पास आईने किस प्रकार से आया लेकिन अभी तब राज उस आईने की शक्तियों से अनभिज्ञ है। ना ही राज को उस आईने का इस्तेमाल करना आता है। अब आगे क्या होता है ये तो अगले अध्याय- 2 मैं पता लगेगा। प्रथम अध्याय मैं मेरे साथ बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आगे भी इसी प्रकार से साथ बने रहे

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