Hindi Porn Story द मैजिक मिरर - Page 7 - SexBaba
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Hindi Porn Story द मैजिक मिरर

अभी कुछ ही समय गुजरा था कि नीचे हॉल से राज की मम्मी की आवाज आती है।



सरिता: राज.... राज , राज रानी और सोनिया के साथ नीचे आ जाओ, डिनर तैयार है।



राज: आया मम्मी,


राज अपने कमरे के दरवाजे तक आता है लेकिन कुछ सोच कर वापस अपने कमरे में अपने बैग की तरफ जाकर आईना निकलता है। जो अब राज से दूर होते ही एक दम सादारण आईने की भांति नज़र आ रहा था। लेकिन जैसे ही राज ने उसे उठाया, आईना एक बार फिर से जाग गया।




राज: आईने मुझे चंचल को देखना वो इस वक़्त क्या कर रही है।, राज पूरी तरह से चंचल के बारे में सोचने लगता है। राज के दिल और दिमाग से आईना चंचल तक पहुंच कर वहां की तस्वीर आईने में नज़र आ जाती है ठीक ऐसे जैसे कोई लाइव टी वी देख रहा हो।



चंचल इस वक़्त बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। चंचल इस वक़्त किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी। राज अपना सर आईने में डालता है तो वो चंचल की बात सुन पा रहा था। वहंचल इस वक़्त प्रीति से बात कर रही थी। प्रीति वही रानी और सोनिया की एक और सीनियर।





प्रीति: यार सुना है कल एक नई लड़की कॉलेज में आ रही है।




चंचल: क्या ? सच मे? तुम्हे कैसे पता?



प्रीति : कल क्या है ना उस लड़के और रानी के जाने के बाद में आफिस गयी थी, तो मैंने सुना था। अपने आफिस के बाबू साहब किसी को फीस और क्लास के बारे में बता रहे थे । लास्ट मैं फ़ोन रखते वक़्त उन्होंने उसका नाम भी पूछा था।



चंचल: क्या नाम है उसका?



प्रीति: कोमल!



चंचल: कोमलss ह्म्म्मsss एक आईडिया है मेरे पास। क्यों ना काल कोमल की सुपरहॉट रैगिंग करें व भी उस नए लोंडे के सामने, अरे वही रानी का भाई, राज।



प्रीति: ऑसम, यार चंचल कुछ भी बोल लेकिन मैं चाहती हूं राज मुझसे पट जाए।



चंचल: हरामजादी! आज तो बोल दिया है आगे से ऐसा मत बोलना, राज केवल मेरा है। उसके आस पास भी कोई नज़र आया ना तो जान से मार दूंगी। हाँ अगर चुदवाने का इरादा हो तो बोलो, में तुम्हे राज से चुदवा दूंगी।
 
सरिता ने लगभग 10-15 सेकंड तक राज के लन्ड को पकड़े रखा लेकिन जैसे ही सरिता को राज के लन्ड का एहसास हुआ, सरिता की दिल की धड़कनें बढ़ने लगी। सरिता ने तुरंत राज का लन्ड छोड़ दिया। सरिता इस वक़्त शर्मा भी रही थी और राज के लन्ड का आकार और कड़कपन देख कर शॉक में भी थी।



राज अपनी माँ के हाथ में अपने लन्ड के एहसास से ही शर्मसार हो चुका था। राज तुरंत दौड़ता हुआ अपने कमरे में चला जाता है।




सरिता राज को इसतरह जाते देख मुस्कुराने लगती है। साथ ही शर्मा भी जाति है। क्यों कि सरिता को अभी तक राज के कड़क और लंबे लन्ड का एहसास हो रहा था।






सोनिया: मम्मी मम्मी क्या था राज के पास?



सरिता: हम्म , वो, वो कुछ नहीं था?



सोनिया: ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने तो.....



सरिता: बकवास मत करो तुम, जाओ सो जाओ। और मुझे मेरे ये काम खत्म करने दो। सरिता चुप चाप अपने काम में लग जाती है।



वही राज अपने कमरे में पहुंचता है और अपना कमरा अंदर से बन्द करके अपना पायजामा उतार देता है। राज का लन्ड बुरी तरह से खड़ा था। राज को अपने लन्ड पर एक एक नस साफ नजर आ रही थी। फिर अचानक से राज को लता की बात याद आती है। राज मन ही मन सोचता है क्या ये संभव है।



राज तुरन्त अपना आईना निकाल कर लता को याद करने लगता है। राज जैसे ही लता को याद करता है आईना लता को अपने आप में दिखाने लगता है।





फिर राज मुस्कुराता हुआ लता की चूत के बारे में सोचता है। जब राज लता की चूत के बारे में सोचता है तो राज को लता की चूत आईने में साफ नजर आ जाती है।




लता की चूत पर बाल नही थे । उसने आज कल मैं ही बाल साफ किये थे । क्लीन चूत देख कर राज पागल सा हो गया। राज हल्के से लता की चूत पर अपनी जीभ फिराता है।





लता इस वक़्त अपने बेड पर सोने की कोशिश कर रही थी। अचानक से लता को राज की जीभ का एहसास अपनी चूत पर होता है। जिस से लाता सिसक पड़ती है और फिर अचानक से उठ बैठती है। लता अपना पेटीकोट ऊपर करके देखती है तो लता पेंटी पहन रखी थी। लेकिन फिर भी उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी चूत को छुआ हो।



लता अपनी पेंटी नीचे करके अपनी छूट देखने लगती है कि वहां आईने में राज अपना मुह लता की छूट पर लगा देता है।




और सलर्प सलर्प करके लाता की चूत चाटने लगता है। और लता अपनी पेंटी उतार कर अपनी छूट को देख रही थी जो बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।



लता को महसूस होता है कि कोई उसकी चूत चाट रहा है लेकिन उसे कुछ नज़र नहीं आता। लता के लिए अजीब सी सिचुएशन थी। लता को एक तरफ जहां मज़ा आ रहा था वही दूसरी और लता शॉक भी थी कि आज उसकी चूत अचानक से अजीब तरह से गीली क्यों हो रही है।



वही दूसरी और लगभग 4-5 मिनट तक लता की चूत चाटने के बाद राज के बर्दाश्त के बाहर हो चुका था। राज अपने लन्ड पर हल्का सा थूक लगा कर लता की चूत पर अपना लन्ड सेट करता है और आईने को अपने लन्ड पर दबाता है। राज का लन्ड बहुत ही धीरे धीरे लता की चूत मैं जाने लगता है।




वही दूसरी और लता को चूत मैं कुछ घुसने का एहसास होता है साथ ही उसे दर्द भी होता है। लता बुरी तरह से तड़प रही थी। और राज अपना पूरा लन्ड लता की चूत में डाल देता है। लता दर्द बर्दाश्त करने के लिए खुद अपनी गांड को अपने हाथों से खोलने लगती है। उसे तो ये भी नहीं पता कि सच में उसकी चुदाई हो रही है।


लता किसी चीज के अपनी चूत से लेकर के अपने गर्भाशय तक अंदर होने का एहसास कर सकती थी। लता अपनी दोनों टांगें बैंड कर लेती है। लेकिन इस से कुछ फर्क नहीं पड़ता।
 
राज दरवाजा खोलता है तो सामने सरिता थी।





सरिता: 2 मिनट में नीचे आ जाओ। अभी!



राज: जी मम्मी चलो मैं आ रहा हूँ। राज अपनी मम्मी के साथ नीच आने लगता है। तभी राज जैसे ही सरिता मुड़ कर जाने लगती है , तुरंत अपने हाथ से अपने लन्ड को एडजस्ट करता है और सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे आता है। लेकिन इतना बड़ा लन्ड ढीले ढाले पायजामे में कैसे एडजस्ट हो सकता था।




फिर भी राज तुरंत डिनर के लिए टेबल पर बैठ जाता है। रानी सोनिया गिरधारी और सरिता सब साथ मिलकर खाना खाने लगते है। राज को बार बार चंचल की छोटी बहन की और चंचल की चुंचिया नज़र आ रही थी। जिसके कारण राज का लन्ड बुरी तरह से अकड़ कर दर्द करने लगा था।



राज जल्दी से खाना खत्म कर देता है लेकिन राज से पहले सरिता खाना कर के किचन में चली जाती है। अब राज टेबल पर बैठा था। राज को समझ नही आ रहा था कि अपनी बहनों के सामने से इस हालत में कैसे जाए?, जब उसका लन्ड औकात के बाहर आकर अकड़ा पड़ा है। राज अभी सोच ही रह था कि सरिता की आवाज आती है।



सरिता: राज अगर खाना खा लिया हो तो जूठे बर्तन यहाँ रख दो।



राज: जी मम्मी,


राज कुछ सोच कर जल्दी से उठकर किचन में जाने लगता है लेकिन सोनिया की नज़र राज पर ही थी। जैसे ही राज खड़ा हुआ सोनिया की नज़र राज की थाली से फिसल कर सीधा राज के तम्बू पर पड़ जाती है जो राज के जल्दी जल्दी चलने से उसके जेब की तरफ आकर अकड़ा हुआ था।



राज जैसे ही किचन के दरवाजे पर पहुंचता है सोनिया उछल कर बोल पड़ती है।



सोनिया: राज तुम्हारे जेब में क्या है?



राज : कुछ भी तो नहीं!



सोनिया की बात सुनकर सरिता भी चोंक जाती है। और सरिता भी राज की जेब की तरफ देखने लगती है। सरती बायीं तरफ ही खड़ी थी तो राज के जैन कुछ तो है ये समझ कर सरिता अपना हाथ धोकर राज को बुलाती है।



सरिता: राज, तुम्हारे जेब मे कुछ तो है । सच बताओं क्या है?



राज: सच मे मम्मी कुछ भी नहीं है।



सरिता क्लिनिक और घर के काम से काफी थक गई थी इसलिए वो राज से बहस नहीं करना चाहती थी इसलिए उसने तुरंत राज को कंधे से पकड़ कर किचन के अंदर की तरफ कर दिया और राज के जेब में हाथ डाल कर उस चीज को बाहर निकाल ने की कोशिश करने लगी।



लेकीज जब तक सरिता को इस बात का एहसास होता की सरिता के हाथ में क्या है तब तक बहुत देर हो चुकी थी। राज के लन्ड मैं हल्का हल्का जो दर्द था वो अब काफी बढ़ चुका था। और सरिता के हाथ में राज का लन्ड आते ही सरिता ने उसे दबोच कर पकड़ा था। जैसे ही सरिता ने उसे राज के जेब में पकड़ा राज के लन्ड ने एक ठुमका मारा।
 
अब राज आईने को एक तकिये पर रख कर अपना लन्ड उस आईने में नज़र आ रही लता की चूत में पेलने लगता है। इधर राज मजे से कराह रहा था वही दूसरी और लता भी मजे से सिसक रही थी। (अगर दोनी एक दूसरे को देख रहे होते तो शायद ऐसे होते)





लाता को समझ नही आ रहा था कि ये क्या हो रहा है? लता सोच रही थी कि ये तो मेरा पीरियड टाइम भी नहीं है फिर ये क्या हो रहा है ? 3 दिन बाद ही पीरियड कैसे शुरू हो सकतें है। लेकिन ये पीरियड का नहीं लगता जी जैसे कोई मेरी चुदाई कर रहा हो।



राज वही दूसरी और बार बार अपनी पोजीशन बदल बदल कर लेता की चूत पेले जा रहा था। लता करीब करीब 3 बार तो झड़ चुकी थी।



करीब 20 मिनट बाद राज लता की चूत मैं अंदर तक झड़ जाता है।





राज अपना लन्ड लता की चूत से बाहर निकाल लेता है।वही लता बिस्तर पर थक कर पेट के बल लेट जाती है। लता को आज सेक्स का अलग अनुभव और मज़ा मिला। लता की कोई चुदाई कर रहा था जिसे वो देख भी नहीं सकती थी।



और राज लता की चुदाई करके थक गया था सो आईना बेग मैं रख कर राज सो गया। वही रानी और सोनिया भी सो चुकी थी। केवल सरिता की आंखों से नींद कोसौं दूर थी।

सरिता बैचैनी से अपनी करवटें बदल रही थी। नींद का कोई इरादा नहीं। पिछले कुछ दिनों से गिरधारी कुछ फिजिकल प्रोब्लेम्स से गुजर रहा था। शायद उम्र का तकाजा था या कुछ और कह नहीं सकते। लेकिन जब राज गांव गया तब गिरधारी और सरिता की सेक्स लाइफ में जो नया पन आया था वो महज़ कुछ ही दिनों का बन कर रह गया।






जब से गिरधारी राज को वापस लेकर आया है तब से लेकर अभी तक सरिता ने गिरधारी से अपनी सेक्स अपील के बारे में कहा लेकिन गिरधारी सेक्स के प्रति अब उदासीन हो गया था।



गिरधारी का आज कल सेक्स करने की मन नही होता था। और अगर हो भी जाता था तो गिरधारी के लिंग में अब वो तनाव नहीं था जो कभी हुआ करता था। इसलिए भी सरिता थोड़ी बहुत गिरधारी से नाराज रहने लगी। और एक बात और थी जिस से सरिता गिरधारी से नाराज रहने लगी। वो ये की रानी और सोनिया जब से कॉलेज जाने लगी है तब से उन दोनों के कपड़े छोटे और मॉडर्न होते जा रहे है। जो सरिता को पसंद नहीं लेकिन गिरधारी अपनी बेटियों को छूट दे रखा था।





ऐसा नहीं है कि सरिता को अपनी बेटियों के छोटे होते कपड़ों से दिक्कत है लेकिन सरिता इस बात से भी परेशान है क्योंकि उसकी बेटियां सुंदर होने के साथ साथ बहुत नादान और मासूम है। किसी के भी कहने में आ सकती है। सरिता भी अपनी बेटियों को मॉडर्न कपड़े पहनाना चाहती है लेकिन इतने भी मॉडर्न नहीं कि सारी मान मर्यादा ही भुला दी जाए।





इन्ही बातों को लेकर सरिता और गिरधारी मैं तू तू में में होती रहती है। लेकिन आज जब गलती से ही सही सरिता को राज के लन्ड का एहसास हुआ उसने सरिता की सेक्स अपील को और बढ़ा दिया। ना चाहते हुए भी सरिता आज शाम से गीली हो रही थी। सरिता अपने कपड़े उतार कर अपने बिस्तर पर खुद अपने बेटे को याद करके अपनी ही उंगली से खुद को शांत करने का असफल प्रयास कर रही थी।




वहीं दूसरी और सपने में राज अपने नाना जी को देखता है । फिर अचानक से राज को लता की चुदाई नज़र आती है। फिर राज चंचल की बहन को देखता है। इसी तरह से राज के सपने स्विंग होते रहते है। दरअसल दोस्तों ऐसा तब होता है जब आप अपने दिमाग मे एक ही समय पर अलग अलग विचारों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करते है।
 
प्रीति: क्या ? राज तुम्हारा है? कब से?



चंचल : जब से उसे मैंने पहली बार देखा है। चल बाकी की बातें काल कॉलेज में करती हूं । मेरी छोटी बहन बुला रही है।



रानी: फ़ोन रख कर अपने कपड़े बदलने लगती है। रानी जैसे ही अपना टी- शर्ट उतारती है राज की आंखों के सामने रानी की बड़ी बड़ी चुंचिया सामने आ जाते है।




राज अचानक से रानी की चुंचिया देख कर घबरा जाता है और तुरंत आईने से बाहर निकल कर आ जाता है। लेकिन जब राज बाहर निकल कर आता है तब तक राज का जंग बहादुर तलवार बाजी के लिए पोजीशन में आ चुका था। राज के पायजामे में राज का तंबू क्लियर देखा जा सकता था।





राज का ध्यान अपने लन्ड पर गया तो राज को बहुत आश्चर्य हुआ। राज सोच रहा था इतने से मैं मेरा ये हाल हो गया। तभी राज के दिमाग में चंचल की एक बात आती है, दरअसल राज के कानों में चंचल की एक बात ज्यों की त्यों सुनाई पड़ती है " यार मेरी छोटी बहन भी बुला रही है।




राज चंचल की बात सुनकर तुरंत आईने को देखते हुए चंचल की बहन के बारे में सोचता है। जिसे देखा नहीं सिर्फ उसके सोचने मात्र से आईन राज के ख्यालों का पीछा करते हुए चंचल की छोटी बहन तक पहुंच गया।





ओह वावsss....वाह, राज के मुह से बस इतना ही निकल सका। चंचल भले ही कितनी भी शैतान क्यों ना हो लेकिन इस बात को झुटलाया नहीं जा सकता कि वो बहुत खूबसूरत है और साथ ही मॉडर्न पढ़ी लिखी फैमिली से है तो काफी ओपन भी है। ठीक चंचल की तरह चंचल की बहन भी बहुत खूबसूरत है। उसका फिगर, उसका दूधिया गोरा रंग, लंबे घने बाल, चेहरे पर मासूम सी मुस्कान किसी को भी अपनी तरफ खींच सकती है।




राज चंचल की बहन के उरोजों को देखता ही रह गया। चंचल की बहन के उरोज कपड़ों के ऊपर से अपना आकार और कड़क पन दर्शा रहे थे। जाहिर की बात है उन उरोजों का कड़क पन देख कर इतना तो कहा जा सकता था कि छोरी ने अभी तक दबवाना मिजवान शुरू नहीं किया। लेकिन जब उसके आकर की बात आती है तो लगता है जैसे छोटी उम्र से ही दबवाना शुरू कर दिया था।






राज का लन्ड अब आईने में भी अपनीं बैचैनी दिखा रहा था। राज को लग रहा था की अभी अगर किसी की चुदाई नहीं किया तो लन्ड फैट जा जाएगा।



तभी अचानक से आईने ने राज को बाहर निकाल कर बेड पर फेंक दिया। राज जैसे ही बेड पर आता है, चोंक जाता है। आखिर आईने ने ऐसा क्यों किया?



तभी राज का दरवाजा जोर से बजता है। और बाहर से आवाज आती है जो कि राज की माँ की थी।



सरिता: राज तुरंत बाहर आओ! कब से दरवाजा पिट रही हूं तुम्हे समझ नहीं आता।



राज सरिता की आवाज सुनकर तुरंत दरवाजा कजोलने के लिए आगे बढ़ता है लेकिन जाने से पहले आईने को वापस बैग में रख देता है।


राज दरवाजा खोलता है तो सामने सरिता थी।





सरिता: 2 मिनट में नीचे आ जाओ। अभी!



राज: जी मम्मी चलो मैं आ रहा हूँ। राज अपनी मम्मी के साथ नीच आने लगता है। तभी राज जैसे ही सरिता मुड़ कर जाने लगती है , तुरंत अपने हाथ से अपने लन्ड को एडजस्ट करता है और सीढ़ियां उतरता हुआ नीचे आता है। लेकिन इतना बड़ा लन्ड ढीले ढाले पायजामे में कैसे एडजस्ट हो सकता था।
 
वही रानी और सोनिया अपने सपनो की दुनिया मे वही अपने सपनों के राजकुमार की तलाश कर रही थी। ऐसे ही पूरक रात गुजर गई। सरिता को एक पल भी नींद नही आयी। इसलिए सरिता थोड़ी थकी हुई लग रही थी। फिर भी सरिता ने सबके लिए चाय बनाई और सबको देने उनके रूम में जाने लगी।





सबसे पहले सरिता में गिरधारी को चाय दी। उसके बाद रानि और सोनिया को जो काफी पहले उठ चुकी थी। क्योंकि आज सुबह जल्दी ही रानी और सोनिया के फ़ोन पर चंचल का फ़ोन आया था। खेर वो बाद में अभी चलते है राज के रूम में।


सरिता राज के रूम में धड़कते दिल के साथ अंदर जाती है। राज के रूम के बाहर खड़ी होकर सरिता कल की घटना को याद करके रोमांचित हो जाति है।




सरिता आहिस्ता आहिस्ता राज के रूम का दरवाजा खोलती है और अंदर आ जाती है। सरिता एक नज़र राज पर डालती है और वही ठहर जाती है। राज इस वक़्त ऐसे सो रहा था कि सरिता शर्मा गयी।


दरअसल राज अपने पायजामे में हाथ डाले सो रहा था। सरिता होल से पास में जा कर राज को उठाने लगती है लेकिन अचानक से सरिता के हाथ रुक गए। राज के बैग में पड़ा आईना हल्का हल्का नीले रंग का होकर चमकने लगा। सरिता इस वक़्त ऐसे खड़ी थी जैसे किसी ने हिपनोटाईज़ कर रखा हो।




सरिता हल्के से राज पर झुक कर उसकी साँसों को अपने मे गहरी सांस लेकर समाने लगी। सरिता का एक हाथ बहुत ही आराम से राज के हाथ को पकड़ कर उसके पायजामे से बाहर निकालने लगी।





राज का हाथ तो बाहर आ गया लेकिन राज का लन्ड राज के पायजामे में अपनी पहचान नहीं छिपा पाया और पायजामे में उभर कर नज़र आने लगा। सरिता का दिमाग और दिल इस वक़्त पूरी तरह से ब्लेंक था। उसे ना तो किसी बात की एक्शाइटमेन्ट थी न ही किसी तरह की घबराहट।





सरिता इस वक़्त जो भी कर रही थी उसके लिए ऐसा था जैसे कोई रोबोट हो। सरिता अपने हाथों से राज का पायजामा नीचे की तरफ खींच कर राज के लन्ड को बिना अंडरवियर के देखने लगी। राज बुरी तरह से नींद के आगोश में खोया हुआ था। राज को भी इस बात का होश नहीं था कि उसके साथ कुछ हो रहा हो।


तभी आईने की नीली रोशनी पूरे कमरे में फैल जाती है और सरिता आगे की तरफ झुक कर राज के लन्ड को अपने हाथ मे ले लेती है। सरिता इस वक़्त वास्तव में ऐसे लग रही थी जैसे किस ने जादू से उसे अपने वश में कर रखा हो। सरिता होले से राज के लन्ड को हिलाने लगती है। करीब 1-2 मिनट में ही राज का लन्ड पूरी तरह से कड़ा हो जाता है।




सरिता राज के लन्ड को अपने चेहरे पर बिना किसी भाव के पकड़े हुए थी। कि अचानक से आईने से एक लाल और नील रंग की दोनो रोशनी निकलती है।





और सरिता हल्के हल्के आगे की तरफ झुक कर राज के लन्ड के सुपडे को जुबान से चाटने लगती है। और घप से राज के लन्ड को अपने मुह में ले लेती है।





सरिता को राज का लन्ड चूसते हुए अभी कोई 2-3 मिनट ही हुए थे कि रानी और सोनिया के नीचे उतरने की आवाज आने लगती है जिसके चलते आईने का सम्मोहन भंग हो जाता है। और आईने से निकलने आली रोशनी भी लुप्त हो जाती है।



अचानक से आईना का सम्मोहन तो भंग हो जाता है लेकिन सरिता वैसे ही राज पर झुक कर राज का लन्ड चूसते रहती है। करीब 1 या डेड मिनट बाद सरिता को होश आता है कि वो क्या कर रही है। सरिता ज्यूँ की त्यों राज का लन्ड अपने मुह में लिए स्तब्ध हो जाती है।
 
सरिता को ये समझ नहीं आ रहा था कि उसने अपने ही बेटे के साथ ऐसा क्यों किया। सरिता अब डर भी रही थी और ग्लानि भी महसूस कर रही थी। सरिता होल होल राज के लन्ड को अपने मुह से बाहर निकालती है तो सरिता का मुह खुला का खुला रह जाता है। राज के 9.5 इंच के लन्ड के साइज को देख कर सरिता की की आंखें बड़ी हो जाती है।





तभी सरिता को एहसास होता है कि रानी ओर सोनिया सीढ़ियों से नीचे आ रही है। सरिता तुरन्त राज के लन्ड को उसके पायजामे में डाल कर राज को उठाने लगती हैं राज थोड़ी देर में उठ जाता है। राज के उठते ही सरिता राज को बोलती है " बेटा जल्दी उठो और तैयार हो जाओ, आज तुम्हे अपने स्कूल भी तो जाना है। वैसे भी आज तुम्हारा नया स्कूल है, वहां पर नए दोस्त मिलेंगे"



राज: उठ कर अपनी मम्मी को गुडमार्निंग वीश करता है। राज को एहसास हो जाता है कि उसका लन्ड बुरी तरह से कड़ा हो रखा है। राज जल्दी से उठ कर वाशरूम में चला जाता है। राज अपना पेंट खोल कर अपने लन्ड को देखता है तो वो सरिता के थूक से बुरी तरह से जिला हो रखा था। वही सरिता आज के इंसिडेंट को लेकर अभी तक घबराई हुई थी। सरिता राज को चाय के लिए बोलकर नीचे किचन के काम मे लग जाती है।



वहीं राज अपने आप पर गुस्सा कर रहा था। क्योंकि सरिता जो कुछ कर रही थी राज के साथ वो सब कुछ राज को सपने में नज़र आ रहा था। राज देख पा रहा था कि कैसे सरिता राज का लन्ड चुस रही थी। राज नींद से उठना चाह रहा था लेकिन उठ नहीं पाता।


राज जल्दी से तैयार होकर बाहर आता है और चाय देखता है जो कि ठंडी हो चुकी थी। राज चाय का कप लेकर किचन में जाता है और चाय का कप अपनी मम्मी को देकर नाश्ते के लिए टेबल पर बैठ जाता है।


सभी लोग नाश्ता करके अपने अपने रास्ते निकल जातें है। लेकिन रानी और सोनिया राज को पकड़ कर अपनी कार में बिठा लेती है।



राज: क्या कर रही हो दीदी मैं स्कूल के लिए लेट हो रहा हूँ।



रानी: चुप कर आज आज की ही तो बात है चुप चाप चल हमारे साथ हमारे कॉलेज।






राज: लेकिन क्यों?





रानी : क्यों कि हमारी सीनियर चंचल ने कहा है कि हम सब अपने अपने भाई को एक लास्ट टाइम लेकर आएं। उसके बाद वो हम में से किसी भी जूनियर को परेशान नहीं करेंगी।



राज रानी की बात सुनकर चुप चाप बैठा रहता है। लेकिन राज का दिल और दिमाग किसी अनहोनी की आशंका से घिर जाता है।



करीब 30 मिनट बाद राज रानी और सोनिया के साथ उनके कॉलेज में पहुंच जाता है।



गाड़ी से उतरते ही प्रीति और प्रिया राज, रानी और सोनिया को अपने साथ ले जाती है।



राज रानी और सोनिया के साथ जैसे ही उस कमरे में पहुंचता है जहां पर कुछ दिन पहले राज की रैगिंग हुई थी राज शॉक हो जाता है । क्योंकि वहां पर एक नई लड़की खड़ी थी।जो कि बहुत खूबसूरत थी। उसके शरीर का हर एक कटाव उसके कपड़ों के ऊपर से देखा जा सकता था।





राज उस लड़की को देख कर मंत्र मुग्ध हो गया था। राज धीरे धीरे चलता हुआ चंचल के बाजू में खड़ा होकर उस नई लड़की को बहुत ही रोमांटिक और दीवाने जैसी नज़र से देख रहा था।




वही वो लड़की भी एक तक राज को ठीक उसी अंदाज से देख रही थी।




उस लड़की के होश भी राज की पर्सनलिटी देख कर उड़ चुके थे।
 
चंचल: वेलकम राज, एंड रानी एंड सोनिया यू टू।।



राज रानी और सोनिया तीनो गर्दन झुका कर अभिनंदन करते है।



चंचल: गर्ल्स राज आज हमारे स्पेशल गेस्ट हैं। और याद रहे यहां जो कुछ होगा वो यहीं दफन हो जाना चाहिए। अगर कोई भी यहां की बात बाहर गयी तो अच्छा नहीं होगा।



सभी लड़कियां चंचल की बात सुनकर हाँ मैं गर्दन हिलाती है। वहां और भी कई लड़के थे जो बाकी लड़कियों के भाई थे उन्हें चंचल ने राज के पीछे खड़ा कर दिया और राज को एक चेयर पर बिठा दिया।



चंचल: राज मीट थिस न्यू गर्ल "कोssssमsssल"....



राज को कोमल का नाम चंचल के मुह से बहुत ही स्लो मोशन में सुनाई देता है। वही हाल कोमल का था। कोमल ऊ भी राज का नाम स्लो मोशन में सुनाई देता है।



राज और कोमल की नज़र एक दुसरे से मिलती है और दोनों एक दूसरे में गुम हो जाते है।





ऐसा लग रहा था जैसे राज और कोमल एक दूसरे को बरसों से जानतें हो। चंचल ने इस बीच कई बार कोमल को आवाज दी लेकिन कोमल तो राज में गुम थी।






चंचल ने जब राज और कोमल को इस तरह से एक दूसरे को घूरते देखा तो चंचल अपने आप से बाहर हो गयी और गुसा करने लगी।



चंचल के गुस्से पर आग में घी वाला काम प्रिया की मुस्कान ने किया जो आंखों से चंचल को इशारा करके बोल रही थी कि देख तेरा राज किसी और को पसंद कर रहा है।



तभी चंचल गुस्से से चिल्लाते हुए कोमलssssssजोर से बोलती है।

चंचल के चिल्लाते ही प्रिया रानी और सोनिया के साथ साथ बाकी की लड़कियां भी चंचल को घूर घूर कर देखने लगती है। साथ ही चंचल के चिल्लाने से राज और कोमल का ध्यान भंग होता है, और राज ओर कोमल भी चंचल की तरफ देखने लगते है।


एक बात तो साफ थी। चंचल जितना भी कोमल पर चिल्ला रही थी लेकिन कोमल एक हल्की सी प्यारी सी मुस्कान दिए वहां पर कॉंफिडेंट से खड़ी थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोमल को चंचल के इस व्यवहार से कुछ फर्क ही नहीं पड़ रहा था।





चंचल थोड़ा नर्म होकर कोमल से बोलती है।




चंचल: हेय कोमल क्यों ना हमारे स्पेशल गेस्ट के लिए एक डांस परफॉरमेंस हो जाये।
 
तभी चंचल ने एक लाल चुनर और घुंघरू मंगवाए और कोमल को चुनर ओढ़ाने के बाद उसके पैरों में घुंघरू बांधने लगी।


राज ने जब ये सब देखा तो गुस्से से तिलमिला उठा। राज तुरंत सीट से उठा और बाहर चला गया। चंचल और कोमल ने भी राज को बाहर जाते देखा। चंचल राज को अब और नाराज नही करना चाहती थी। चंचल दौड़ी दौड़ी राज के पास गई।


चंचल: राज.... राज सुनो तो.... राज....


राज बिना चंचल की तरफ देखे चंचल को पीठ दे कर खड़ा रहा ।


चंचल: राज क्या हुआ तुम वहाँ से उठ कर क्यों आ गए।


राज कुछ नही बोलता बस चुप चाप वही खड़ा रहा।


चंचल: राज...मैंने कुछ पूछा ना। यार बताओ तो सही। अच्छा सुनो तुम जैसे कहोगे वैसा ही होगा। लेकिन कोमल की रैगिंग ज़रूर होगी। पर अगर तुम चाहो तो हल्की हो सकती है।



राज चिल्लाते हुए चंचल से बोलता है।


राज: आपको जो करना है करो चंचल मैडम, लेकिन आपने मुझे यहां क्यों बुलाया। मुझे ये सब पसंद नही है। आप एक लड़की होकर दूसरी लड़की से....(राज की बात अधूरी रह जाती है)


चंचल तुरंत आगे बढ़ कर राज को एक स्मूच किश करने लग जाती है।





जिसे रानी और सोनिया दोनों देख लेती है। राज आखिर भी है उनका वो उसे अकेले कैसे छोड़ देती सो वो दोनों भी पीछे पीछे आ गयी।



रानी और सोनिया दोनों छिप कर ये सब देख रही थी। वहीं राज चंचल को एक धक्का देकर पीछे दखेल देता है। दोनों का चुम्बन छूट जाता है।


चंचल: वाह टेस्टी हो यार मानना पड़ेगा।


राज: शट उप ये क्या बदतमीजी है।


चंचल: बदतमीजी नहीं राज प्यार है। मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ।


राज चंचल की तरफ एक टक देखने लगता है। फिर बोलता है।


राज: ये कैसे हो सकता है ? मुश्किल से हम 2 बार मीले है। और दोनों बार तुमने मेरे साथ क्या किया है तुम जानती हो। फिर तुम सोच भी कैसे सकती हो कि मैं तुमसे प्यार करूँगा। तुनसे अछि तो कोमल है। बिचारि सब कुछ सहन कर रही है लेकिन एक प्यारी सी मुस्कान के साथ।


चंचल: ओह तो तुम कोमल से प्यार करते हो। चलो प्यार नहीं तो पसंद तो करते होंगे। वो भी आज ही !, मिलते ही।!उस साली को तो मैं रांड बना दूंगी यहां की।


राज: हाँ.... क्या ?? नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। सुनो! रुको तो!


चंचल राज की तरफ गुस्से से देख कर वापस हॉल में जाति है और कोमल को बिना तैयार हुए देख कर चिल्लाते हुए उसे तैयार करने को प्रिया और प्रीति से बोलती है। इस बार कोमल भी घबरा रही थी। राज बाहर खड़ा खड़ा घबरा रहा था कि पता नहीं चंचल क्या करेगी इस लिए राज भी हाल की तरफ आ जाता है। और रानी और सोनिया भी चुपके से बाकी लड़कियों में शामिल हो जाती है।



चंचल: म्यूजिक.....


तभी जो गाना बजता है उसे सुन कर सभी लड़के और लड़कियां हँसने लगते है। ये गाना मंगल पांडेय फ़िल्म का था था जिस पर रानी मुखर्जी ने मुज़रा पेश किया था। " तुम्हारी अदाओं पे मैं वारी वारी"


सब लोग कोमल को देख रहे थे। सब लोग कोमल का वीडियो बना रहे थे। लेकिन कोमल ने अपने आपको थोड़ा सा संभाल तभी कोमल की नज़र राज पर पड़ती है। कोमल राज को देखते हुए डांस स्टार्ट करने लगती है। कोमल क्या डांस करती है। एक दम माधुरी जैसा। ऊपर से कोमल ने कथक डांस भी सीखा हुआ था।


लेकिन चंचल को इस बात की खबर नहीं थी। चंचल तो राज और कोमल के नैन मटक्के देख कर गुस्सा किये जा रही थी। गाना खत्म होते ही। सभी लोगों ने कोमल की वाह वाही की । जिसे सुनकर चंचल उठ कर कोमल के पास आती है और कोमल को बोलती है।


चंचल: आज से हमारी जूनियर कोमल का नाम होगा कोमल बाई। ( और चंचल 2000 के 2 नोट निकाल कर अपने पैरों में डाल देती है और कोमल से इशारा करती है उसे उठाये। क्यों सही कहा ना इतना अच्छा मुज़रा तो कोठे वाली ही कर सकती है।


सभी लोग चंचल की इस बात पर हँसने लग जाते है। सिवाय राज और कोमल के।
 
चंचल को इस बात की खबर नहीं थी। चंचल तो राज और कोमल के नैन मटक्के देख कर गुस्सा किये जा रही थी। गाना खत्म होते ही। सभी लोगों ने कोमल की वाह वाही की । जिसे सुनकर चंचल उठ कर कोमल के पास आती है और कोमल को बोलती है।


चंचल: आज से हमारी जूनियर कोमल का नाम होगा कोमल बाई। ( और चंचल 2000 के 2 नोट निकाल कर अपने पैरों में डाल देती है और कोमल से इशारा करती है उसे उठाये। क्यों सही कहा ना इतना अच्छा मुज़रा तो कोठे वाली ही कर सकती है।


सभी लोग चंचल की इस बात पर हँसने लग जाते है। सिवाय राज और कोमल के।


कोमल कुछ कर नहीं सकती थी। कोमल का चेहरा रोने जैसा हो गया था। लेकिन फिर भी कोमल चंचल के पैरों से वो पैसे उठा लेती है। कोमल उन पैसों को जैसे ही अपने पर्स में रखने लगती है चंचल टोक देती है।


चंचल: अरे अरे अरे क्या कर रही हो कोमल बाईं । कोठे वाली पर्स नहीं रखती। अपनी चुंचियों के पास दबा ले ये पैसे। कोमल की ला सुर्ख गुस्सैल आंखें चंचल को देख रही थी। लेकिन कोमल ने चुप चाप चंचल के कहे अनुसार पैसे अपने टॉप के अंदर रख लिए।


टैब चंचल एक बार फिर से मुह खोलती है।


चंचल: हे बॉयज क्या कोई बता सकता है हमारी इस कोमल बाई ने आज किस रंग की ब्रा पहनी है। आई प्रॉमिस जो सही जवाब देगा (कोमल की तरफ देखते हुए) मैं उसे वो ब्रा गिफ्ट दूंगी वो भी इस से लेकर।


सभी लड़के लाल और ब्लैक बोल रहे थे। लेकिन चंचल ने 5 लड़के बुलाये और उनसे कहा तुम पांचों बताओ किस रंग की ब्रा पहनी है हमारी कोमल बाई ने।


पांचों ने एक ही रंग बोला तो चंचल ने कहा " मान लो तुम पाँचों का जवाब सही हुआ तो क्या ये कोठे वाली बाई पांच ब्रा उतारे गी। नहीं ना तो शर्त ये है तुम पांचो अलग अलग रंग बोलोगे।


उन पांचों लड़कों ने काला, नीला, भूरा, लाल, ग्रे रंग बोल दिया।


चंचल: चलो कोमल बाई अपनी ब्रा दिखाओ।


चंचल की इस बात पर कोमल के आंसू उसकी आँखों से लुढक कर उसके गाल पर आ गये। राज तुरंत आगे बढ़कर कोमल के आंसू पोछ कर उसे अपने पीछे कर लेता है। राज के सामने आते ही चंचल कुछ नहीं बोलती। चंचल राज का चेहरा देखती है जो इस वक़्त गुस्से में लाल हो रखा था।


राज : बस बहुत हुआ चंचल अब बस भी करो।


रानि और सोनिया दोनो आगे बढ़कर चंचल के काम मे धकल देने से राज को रोकना चाहा, लेकिन चंचल ने उन्हें अपने हाथ से इशारा करके रोक दिया।


चंचल: तो कहो राज तुम किसे रोकना चाहते हो सोच समझ कर बोलना।


अचानक राज के दिमाग मे पता नही एक बिजली जैसा करंट दौड़ा और राज के विचार और सोचने समझने की क्षमता विकसित होने लगी। हालांकि इस बात एक एहसास ना राज को था नाही किसी और को। राज ने तुरंत कहा " मैं अपनी प्यारी गर्लफ्रैंड चंचल को रुकने के लिए बोल रहा हूँ।


कोमल जब राज के मुह से सुनती है कि चंचल राज की गर्लफ्रैंड है तो कोमल राज से नाराज हो जाती है साथ ही बहुत टूट जाती है।


राज कोमल को वापस अपने कपड़े पहन ने के लिए भेज देता है और चंचल को लेकर बाहर आ जाता है। चंचल राज को किस करने के लिए बोलती है। और राज चंचल के गाल पर किश कर देता है। चंचल राज को होंटों पर किश करने को बोलती है। लेकिन राज उसे ये कहकर मना करदेता है कि सब्र करो जान सब्र का फल मीठा होता है।


कुछ देर चंचल के साथ घूमने और ईधर उधर की बातें करने के बाद राज रानी ओर सोनिया के साथ घर को निकल पड़ता है। ये समय दोपहर का था।दिन के दूसरे प्रहर का।


राज और सोनिया जहां रानी के साथ गाड़ी से घर को निकल रहे थे वही घर पर सरिता सोई पड़ी थी।


सरिता इस वक़्त एक सपना देख रही थी। सपने में सरिता एकदम नग्न अवस्था मे लेटी हुई है ओर राज सरिता के ऊपर चढ़ा हुआ है राज का लन्ड सरिता की चूत में घुसा हुआ है राज सरिता की आंखों में देखते हुए सरिता की चुदाई कर रहा है।
 
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