Hindi Porn Story द मैजिक मिरर - Page 8 - SexBaba
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Hindi Porn Story द मैजिक मिरर

और सरिता अपने चरम सुख के सागर में गोते खाते हुए अपना बिस्तर गीला कर रही है।


करीब 30 मिनट बात राज एयर रानी सोनिया घर की बेल बजाते है। जिसे सुनकर सरिता की नींद टूटी जाती है। सरिता का पूरा बदन दुख रहा था। सरिता जब बिस्तर पर बैठती है तो देखती है कि उसकी पूरी पेंटी और उसकी गांड उसी के चूत के पानी में बुरी तरह से भीगी पड़ी है। यहां तक कि उसकी बेदशीट पर भी 2 बिलांद का गीला धब्बा पैड गया है। सरिता खुद को संभालते हुए सबसे पहलव दरवाजा खोलती है।


राज सरिता को दरवाजे पर देखता है तो देखता ही रह जाता है। साथ ही अपने सुबह के सपने को याद करके अंदर ही अंदर शर्मिंदा फील करता है लेकि। अगले ही पल राज सरिता को देख कर उत्तेजित हो जाता है। उसके लन्ड ने अपना सर उठाना शुरू कर दिया था।

राज अब किसी भी हाल में अपनी माँ के सामने भी शर्मिंदा नहीं होना चाहता था। राज पहले ही कोमल के सामने शर्मिंदा हो चुका था। राज चुप चाप सर झुका कर अपने कमरे की और चला जाता है।




वहीं सरिता भी नहाने के लिए अपने कमरे में चली जाती है। सरिता को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि उसने इस तरह का सपना क्यों देखा। क्या सच मे उसके मन मे अपने बेटे के प्रति.... नहीं नहीं ऐसा नही हो सकता। सरिता अपने नए कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली जाती है।




वहीं दूसरी ओर रानी और सोनिया अपने कमरे में जाकर सीरियस होकर बैठ जाती है।


रानी: सोनिया यार ये राज ने क्या किया? उस चंचल से फ्रेंडशिप!


सोनिया: सोनिया फ्रेंडशिप? राज ने उसे अपनी गर्लफ्रैंड बना लिया।


रानी : लेकिन क्यों? वो खुद तो कितनी हरामी है। और हमारा राज एक दम भोला भाला मासूम, पता नही कैसे उसके झांसे में आ गया। और राज क्या ज़रूरत थी हीरो बन कर उस कोमल को बचाने की?


सोनिया: दी मुझे लगता है हमे ही अपने भाई को बचाना होगा। उस कलमुँही के चुंगल से। और ये तो मुझे भी नहीं समझ आ रहा कि आखिर राज ने कोमल को क्यों बचाया।


रानी: बचाने को तो हम भी बचा सकते है लेकिन एक तो चंचल हमसे सीनियर है ऊपर से उसके पास मैन पावर है और साथ ही मनी पावर भी।


सोनिया: और दी उसके पास फैमिली सपोर्ट भी है जो हमारे पास बिल्कुल भी नही। अगर किसी ने गलती से भी मॉम या डैड को हमारी शिकायत कर दी ना तो बस हो गया काम।


रानी : हाँ! लेकिन ये सब तो बाद कि बात है। पहले ये सोच और बता की हम राज की मदद कैसे करे? हम राज की ज़िंदगी यूँ बर्बाद होते तो नहीं देख सकती ना।


रानी और सोनिया आपस में राज की मदद करने के बारे में सोच रही थी। वही राज अपने रूम में इधर उधर चक्कर काट रहा था।


राज बहुत बैचेन हो रहा था। यहां तक कि राज का शरीर बुरी तरह से गर्म होकर कांप रहा था। यूँही चक्कर काटते काटते राज ना जाने कब एकदम से बेहोश हो गया।


राज के बेहोश होते ही राज के बैग में पड़ा आईना बुरी तरह से चमकने लगता है। वो नीली रोशनी राज के सर पर आकर चारों तरफ इक्कठी हो जाती है। और थोड़ी ही देर में वो रोशनी राज के दोनों कानों से होते हुए राज के पूरे शरीर मे लुप्त हो जाती है।




अचानक से राज की आंख खुलती है तो राज देखता है कि उसके सामने उसके नानाजी खड़े है। राज भागता हुआ अपने नाना के पास जाना चाहता है लेकिन नही जा पाता। राज जितना भागता है उतना राज के नाना राज से दूर होते जाते है।या फिर यूँ कहूँ की राज अपनी जगह से इंच भर भी आगे नहीं दौड़ पाता क्योंकि उसके बराबर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन चलती रहती है
 
नाना: रुक जाओ राज! तुम मुझ तक नहीं पहुंच पाओगे।


राज: लेकिन क्यों नाना जी? मैं ज़रूर आप तक पहुंचूंगा।


नाना: नहीं राज , तुम मुझ तक कभी भी नहीं पहुंच पाओगे लेकिन मैं तुम तक बहुत पहले पहुंच गया था। सिर्फ तुम ही हो जो मुझे इस आईने से मुक्त कर सकते हो।


राज: हाँ नाना जी मैंने इस बारे में बहुत सोचा है लेकिन समझ नही आता कि क्या करूँ? आप आईने में ऐसे कैसे फंस गए।


नाना: राज तुम्हे सिर्फ मेरी वो 5 किताबे पढ़नी है।




आईने की मदद से तुम मेरी पांचों किताबों को ढूंढ लोगे। और जो तुमने नीलांकर पिया था उससे तुम्हे मेरे सारे अनुभव प्राप्त हो जाएंगे। ज़रूरत है कि तुम उन्हें अपना लो। ताकि तुम समझ सको की आईने को कैसे इस्तेमाल करना है। और मैं इसमें कैसे फँसा? तुम्हारे सारे सवाल एयर जवाब साफ हो जाएंगे। एक बात और राज जब मैंने मेरे अनुभवों को नीलांकर में मन्त्र शक्ति से बांधा टैब मेरे अच्छे और बुरे सारे अनुभव और कामनाएं भी उस मे बांध गयी थी। इसलिए जब तुम उन्हें अपनाओगे तो तुम मेरे बुरे अनुभव की तरफ ज्यादा खिंचे चले जाओगे।


राज: नाना जी वो किताबे बहुत मोटी है सारी उम्र गुजर जाएगी लेकिन में नहीं पढ़ पाऊंगा। और आपके अच्छे बुरे दोनों अनुभवों का पाठ में कैसे अपना पाऊंगा दादा जी। क्या ये संभव है ?


नाना: राज आईने की मदद से तुम एक दिन या एक घंटा या फिर 4 साल से 400 साल तक पीछे जा सकते हो। तुम एक ही दिन मैं पांचों किताबों को पढ़ सकते हो। तुम्हे बस खुद पर यकीन होना चाहिए। एक और बात राज कभी भी ये मत सोचना की तुम गलत कर रहे हो। क्योंकि तुम जो कुछ कर रहे हो यही सही है इस बात पर तुम यकीन करो। क्योंकि मैंने मेरे किये पर संदेह किया था, यकीन नहीं किया था इस लिए मैं आईने का ग़ुलाम बन गया हूँ।


राज: ( उदास मन से) जी नाना जी


नाना : मैं जानता हूँ राज तुम उस लड़की की वजह से परेशान हो तुम आईने की मदद से सब कुछ ठीक कर सकते हो। लेकिन न तो किसी का प्यार पा सकते हो ना ही किसी की नफरत। क्योंकि आईने की दुनिया का एक ही उसूल है। यहां पर ये भावनाएं किसी काम की नहीं है। एक बात और राज वो चंचल और सरिता दोनो को तुम्हे राजकुमारी नैना....


राज के नाना अपनी बात पूरी करते उससे पहले ही राज को होश आ जाता है। राज अपने नाना की कही हर एक बात को विचार करके आजमाता है । करीब 4 घंटों से राज अपने शरीर में मौजूद नीलांकर को स्वीकार करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन अभी तक सफल नहीं हो पाया। क्योंकि राज को मालूम ही नहीं था कि इसे अपनाया कैसे जाए। अचानक से राज को आईने का ख्याल आता है। राज आईने को कुछ देने की सोचता है कि आखिर आज क्या दूँ इस आईने को तभी राज को याद आता है।


राज: ए आईने में तुम्हे मेरी नई बानी गर्लफ्रैंड चंचल की कोमल से की गई सारी नफरत देता हूँ।


आईने ने पहले तो भयंकर बवंडर पैदा किया उसके बाद आईने से एक आवाज आयी ये जो नफरत तुम देना चाहते हो ये आईने की दुनिया की है तुम इसे नहीं दे सकते।


अब राज बुरी तरह से चोंक जाता है।कहीं चंचल आईने की दुनिया से तो नहीं।


तभी राज को अपने नाना जी के आखिरी शब्द याद आते है चंचल और सरिता दोनों को तुम राजकुमारी नैना.... राज तुरंत आईने से बोलता है ठीक है आईने में तुम्हे मेरी उम्र का एक दिन देता हूँ।



राज की बात सुनकर आईना उसे स्वीकार कर लेता है। आईना राज को बोलता है। तुम्हारी उम्र का एक दिन तुम्हे मेरे इस आईने के 3 दिन तक इस्तेमाल करने की छुट देता है।तुम्हारा दान मुझे स्विकार है।
 
अचानक से राज के शरीर से एक हल्की सी रोशनि निकल कर आईने में समा जाती है। राज के ऐसा करते ही राज के शरीर के अंदर का नीलांकर स्वचालित हो जागरत हो जाता है। अचानक से राज के सर मैं दर्द होता है और राज फिर से बेहोश जो जाता है।


जब राज को होश आता है तो राज कुछ ज्यादा ही अच्छा महसूस कर रहा था। अब राज का दिमाग अपने अनुभव के साथ साथ अपने नाना के अनुभवों को भी अपने दिमाग में देख सकता था। उन्हें महसूस कर सकता था। आज राज भले ही 18 साल का हो लेकिन उसके दिमाग में 100 साल से भी ज्यादा का अनुभव था।


राज उन सभी विषयों में तेज हो गया था जिनमे उसके नाना थे। या फिर ऐसा कहूँ की राज के नाना की यादें और अनुभव अब राज के अपने थे।


तभी राज के मन में जो सबसे पहला विचार आता है वो था की आखिर नाना जी ने मुझे अपने सभी अनुभव अउ4 विचार कैसे दे दिए? क्या उन्हें पहले से ये सब मालूम था? लेकिन ये कैसे हो सकता है? कहीं नाना जी भविष्य तो नही देख सकते थे? यही व8चार करते करते राज को अचानक से कोमल का ख्याल आता है। राज कुछ देर चंचल और रानी और सोनिया के बारे में सोच कर एक प्लान बनाता है।

राज कुछ देर सोच कर अचानक से उठ खड़ा होता है और मुस्कुराते हुए आईने को हुकुम देता है।


राज: ए आईने मुझे जल्द से जल्द कोमल जो मेरे दिल और दिमाग की आज रानी बन चुकी है उसके घर पहुंचा दे।


राज का हुकुम मिलते ही आईना बिना देर किए तुरंत बवंडर के माध्यम से राज को कोमल के घर के बाहर छोड़ देता है। कोमल इस वक्त अपने कमरे में पेट के बल लेटी रो रही थी। और साथ ही खुद पर गुस्सा कर रही थी कि उसने क्यों राज को पसंद किया। उसने राज कों पसन्द किया इसी लिए चंचल ने मेरे साथ ऐसा किया। इस चंचल की तो मैं...( कोमल अभी ये सब सोच ही रही थी कि)




तभी कोमल की खिड़की खट खट करके खड़क रही थी। कोमल उठ कर अपनी खिड़की को देखती है जो कि खुली पड़ी थी। कोमल आगे बढ़ कर उसे बंद करने लगती है कि अचानक से कोमल का कोई मुह बन्द कर लेता है ये कोई और नही बल्कि राज था। दरअसल आज पहली बार राज ने सोचा कि कोमल को किस तरह से मनाया जाए। इस विचार का उपाय राज के नाना जी के ज़िन्दगी के अनुभवों से मिला और राज कोमल के घर आ गया। अगर ये विचार खुद राज करता तो 2-3 हफ्ते गुजर जाते कोमल का एड्रेस निकालने में और फिर हिम्मत करने में की कोमल से किस तरह से बात करे और क्या बात करे।


राज धीमे से कोमल के कान में बोलता है) प्लीज चिल्लाना मत मैं हूँ राज। तुमसे कुछ ज़रूरी बात करने आया हूं। हाथ हटाऊँ! अगर चिल्लाओ नहीं तो सर हाँ में हिलाकर मुझे इशारा दो।


कोमल धीमे से सर हाँ में हिलाती है। राज कोमल के मुह से हाथ हटा लेता है।


हाथ के हटते ही कोमल तुरन्त पलट कर कन्फर्म करती है कि ये राज ही है या कोई और? वो राज ही था। कोमल राज को देख कर स्तब्ध रह जाती है। कोमल के मन मे बहुत से सवाल थे। जैसे कि राज यहां क्या कर रहा है वो भी इस वक़्त? इसे मेरे घर का पता कैसे चला? क्या चंचल भी मेरे घर तक आ गयी?


राज: कोमल प्लीज मुझे माफ़ कर दो! आज मैं जिस तरह से खड़ा खड़ा तमाशा देख रहा था उसके बाद तो मैं माफी के काबिल नही हूँ।


कोमल: आप क्यों माफी मांग रहे है। वैसे भी आपकी गर्लफ्रैंड ने जो किया उसकी.....



राज: वो मेरी गर्लफ्रैंड नहीं है!


कोमल: व्हाट? लेकिन तुमने ही तो कहा था? क्या ये फिरसे कोई नया ड्रामा है चंचल का?


राज: तुम्हारी कसम कोमल, मेरी कसम , मेरी मम्मी की कसम चंचल मेरी गर्लफ्रैंड नही है। उसने मुझे ब्लैकमेल करके अपना बॉयफ्रेंड बनाया है। मैं तो तुम्हे... खेर जाने दो।


कोमल: क्या.... ! सच मे चंचल तुम्हारी गर्लफ्रैंड नही है?


राज: नहीं है यार नहीं है ? मेरी तो अभी तक कोई गर्लफ्रैंड ही नही है।


कोमल: अच्छा वो सब छोड़ो तुम यहाँ क्या करने आये हो?


राज : तुमसे बात करने और बताने ...


कोमल: क्या बताने यही की चंचल तुम्हारी गर्लफ्रैंड नही है।



राज: नहीं मैं ये बताने आया था कि चंचल सच में मेरी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है और मैं बहुत जल्द चंचल को एक ऐसा सबक सिखाऊंगा की वो फिर किसी की बहन, प्यार, भाई पर अपनी ये घटिया चाले चलने से पहले हजार बार सोचेगी।
 
कोमल एक तक राज को देख रही थी। उसे अभी तक यकीन नही हो रहा था कि राज सच बोल रहा है या फिर कहीं ये भी चंचल की कोई चाल हो।


कोमल अभी राज का चेहरा पढ़ने की कोशिश कर ही रही थी कि ....


राज: और मैं ये भी बताने आया था कि मैं तुम्हे पसंद करने लगा हूँ। बल्कि तबसे पसंद करता हूँ जब से तुम्हे पहली बार देखा था। खेर हो सके तो मुझे मेरी बुजदिली के लिए माफ कर देना। लेकिन आज से में वो राज बनूँगा जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं कि होगी।


कोमल: राज..... देखो जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ। मैं भी तो भुलनव की कोशिश कर रही हूं ना। और फिर कोमल ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है। उसने तो मुझे....


राज: उसने मेरे प्यार को ज़लील किया है। मेरी बहनों को ग़ुलामों की तरह ट्रीट करती है। मुझे अपने बाप का नोकर समझ रखा है। प्रिया और प्रिया के भाई के साथ और खुद मेरे साथ भी उसने बहुत कुछ किया है जो याद आने पर मेरी रातों की नींद उड़ जाती है। लेकिन कल तक मुझे ये नही पता था कि उसे सब कैसे सिखाऊं लेकिन आज मुझे सब पता है। चंचल की एक बहन भी है ये बात शायद चंचल भूल गयी होगी तभी उसने मेरी बहनों की आड़ में मुझे जलील किया और मुझे अपने ग़ुलाम की तरह समझती है।


कोमल ने जब सुना कि चंचल की एक बहन भी है तो उसके बाद राज ने क्या कहा सब हवा में जाता रहा। कोमल का दिमाग घोड़े की तरह दौड़ने लगा और उसने खुद चंचल को सबक सिखाने के लिए एक प्लान सोच लिया।



राज:कोमल का हाथ पकड़ कर। कोमल मैं तुम्हे सिर्फ पसंद ही नहीं करता बल्कि मुझे तुमसे प्यार भी हो गया है।


कोमल का दिल राज की ये बात सुनकर जोरों से धड़कने लगता है। हालांकि वो भी राज को पसंद करती थी। लेकिन राज इसतरह से उसे बोलेगया ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
 
राज:कोमल का हाथ पकड़ कर। कोमल मैं तुम्हे सिर्फ पसंद ही नहीं करता बल्कि मुझे तुमसे प्यार भी हो गया है।


कोमल का दिल राज की ये बात सुनकर जोरों से धड़कने लगता है। हालांकि वो भी राज को पसंद करती थी। लेकिन राज इसतरह से उसे बोलेगया ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।


राज कोमल को अपने दिल की बात बोल कर वहां से निकल गया और अपने घर आईने की मदद से आ गया। तभी कोमल ने किसी को फ़ोन किया और सारी बातें बताई। कॉलेज में हुए अपने इंसिडेंट के साथ साथ उसने ये भी बताया कि राज उसके घर आपकर उसे प्रोपोज़ करके गया है। तभी सामने वाले फ़ोन से उसे कुछ सलाह मिलती है जिसे सुनकर कोमल थोड़ी सीरियस हो जाती है।


वही दूसरी और राज घर पहुंच कर एक बार फिर से सोचने लगता है कि आखिर नाना जी को मुझे अपने अनुभव देने की क्या ज़रूरत थी। तभी राज को याद आता है कि नाना जी ने जो तरीका बताया था उससे नाना जी की किताबें पड़ी जा सकती है। राज ने एक के बाद एक किताब पढ़ना शुरू किया।



जैसे जैसे राज किताब खत्म करता जा रहा था राज के शरीर पर कुछ टैटू जैसा उभर रहा था।



जब वो टैटू उभरते थे तो राज को वहां पर जलन होती थी। ऐसा लगता था जैसे किसी ने उसके शरीर को गर्म लोहे से दाग दिया हो। और जो टैटू राज के शरीर पर बन रहे थे वो भी किसी स्याही के नहीं थे बल्कि ऐसे लग रहे थे जैसे किसी से गर्म लोहे से दाग दाग कर बनाया हो।




करीब एक घंटे बाद राज आईने से बाहर आता है और एक किताब को बड़े ही आश्चर्य से पकड़े स्तब्ध खड़ा रह जाता है। ये अंतिम किताब थी। जिसका शीर्षक था " समय"।।
राज समय की किताब के अंतिम चरण पर था।





उसमें लिखा था नीलांकर के बारे में।




नीलांकर स्वयं अपने आप मे काली शक्ति का प्रतीक था। नीलांकर पंच भूतों से परे था। मतलब नीलांकर धरती , अम्बर, जल , आग और वायु इन सभी तत्वो के संपर्क में आये बिना बनता है जिसका निर्माण सादारण दुनिया मे नही हो सकता। नीलांकर का निर्माण केवल ओर केवल आईने की दुनिया में किसी शैतान द्वारा ही किया जा सकता है। नीलांकर में पुरुषत्व की बाली चढ़ती है। नीलांकर को धारण करने वाला शैतान का वारिश होता है इस लिए शैतानी शक्तियां उस शख्स को केवल क्षति पहुंचाने का प्रयास कर सकती है। किंतु उक्त व्यक्ति का प्राण नही हर सकती।



राज ने समय की किताब को लगभग पूरा पढ लिया था। लेकिन उसके अंतिम पेज पर कुछ लिखा था," राज में तुम्हारा नाना इस किताब के अंतिम पृष्ठ पर लिख रहा हूँ । जैसा कि मैंने कहा था कि तुम 4 साल से 400 साल तक पीछे जा सकते हो मैंने भी वैसा ही किया। लेकिन मैंने भूतकाल की जगह भविष्य काल में आ गया। जहाँ पर मुझे पता लगा कि मेरे बाद इस आईने को पाने वाले तुम होंगे। जब मुझे ये पता लगा तो मेने तुम्हे इस से दूर रखने की बहुत कोशिश की लेकिन मेरे हर प्रयास को राजकुमारी नैना ने विफल कर दिया। तब मैंने भविष्य के माध्यम से वो उपाय ढूंढे जिस से तुम्हे मदद मिल सके इस लिए मैंने अपने अनुभव नीलांकर में डाल दिये। मैं इस किताब पर ज्यादा नहीं लिख सकता लेकिन अगर जानना चाहते हो तो देखो तुमहारे बाएं हाथ पर एक चित्र उभरा है जो तुम्हारे चाहने पर ही उभरेगा। उस की परछाई इस जादुई आईने में देखना। आईने से तुम्हे एक पत्र मिलेगा। उस पत्र को पढ़ कर तुरंत जला देना। राज एक बात और राजकुमारी नैना की नज़र तुमपर है जब से तुम्हे आईने की प्राप्ति हुई है। बेटा संभल कर रहना।वो बहुत चालक है हो सकता है वो तुम्हे गुमराह करने का प्रयत्न भी करे।"



राज ने जब अपने नाना जी का पत्र पढ़ा तो उसने तुरंत अपने शर्ट की बाजू ऊपर करके देखा। राज को जब वो उभरे चित्र मिल गए तो उसने उसकी परछाई आईने में दिखाई। आईने ने तुरंत एक पत्र उभार जर आईने के ऊपर ला दिया। राज ने उसे उठाया ओर पढ़ना शुरू किया।
 
पत्र: राज राजकुमारी नैना आईने से बाहर आना चाहती है इसके लिए उसे 3 ज़िन्दगीयों की बाली चाहिए। अगर तुमने आईने को ज़िन्दगी दी तो ये तुम्हे विवश करेगा और देने के लिए। अगर तुम मजबूरी में तीनों जिंदगियां दे भी दो तो संभाल कर रहना । क्योंकि राजकुमारी नैना आईने के बाहर आते हिबिसे प्राप्त करना चाहेगी। अगर उसने आईना प्राप्त किया तो अनर्थ हो जाएगा। सारे जगत में वासना और पाप का वास हो जाएगा। और कई दुष्ट शक्तियां जगरत हो जाएंगी। आईना राज कुमारी नैना के लिए बनाया गया था इस लिए ये हर बार राज कुमारी नैना की तरफ खींच चला जायेगा। अगर राज कुमारी नैना को मारना है तो तुम्हे एक तलवार की ज़रूरत होगी जो कि नीलांकर से धुली हुई है।




यदि तुम उस तलवार से आईने को उस समय तोड़ दो जब राजकुमारी नैना सो रही हो तो ये संभव है। आईना केवल उसी तलवार से टूटेगा। क्योंकि वो तलवार खुद राजकुमारी नैना की है। एक विशेश बात और राज राजकुमारी नैना को सुलाना इतना आसान नहीं है। उसे केवल वासना के खेल में हर कर ही सुलाया जा सकता है। जैसे ही राज कुमारी नैना सोकर सपनो मैं खो जाएगी वो उसी पल आईने से जुड़ जाएगी। और तुम्हे ठीक उसी पल आईने को तलवार से तोड़ना होगा।



राज जब में तुम्हारी मदद के लिए बार बार भविष्य का सफर कर रहा था तो मुझे पता नही था कि मेरी उम्र आईना सूखे जा रहा था। इसलिए तुम जितना आईने से सफर करोगे आईना तुम्हारी ज़िन्दगी खत्म करता रहेगा। राज मुझे माफ़ करदेना एक अंतिम बात मैं बड़े दुख से बोलने जा रहा हूँ। जब तुम आईने को तोड़ोगे तब आईना तुम्हे भी अपने अंदर समा लेगा। मुझे माफ़ करना बच्चे ये सब मेरी वजह से आज सबके साथ हो रहा है।


राज ने जब पत्र पूरा पढ़ लिया तो राज के हाथ से पत्र छूट गया। आज बहुत दुखी हुआ। आखिर हो भी क्यों ना जब किसी को अपनी मौत के बारे में पहले से पता चल जाता है तो दुखी तो होना ही था। तभी राज की नज़र एक बार फिर से पत्र जाती है जो नीचे गिरते वक़्त पलट गया था। उसपर कुछ लिखा था।



पत्र: वासना से जितना है तो वासना में पारंगत होना तुम्हारा लक्ष्य है। इसलिए तुम्हे कालू के हाथों से मैंने वो दवा दिलवाई थी। अब तुम्हे संभोग करना होगा। जब तुम आम इंसानों को संभोग में पीछे छोड़ दोगे तो शायद तुम राजकुमारी नैना को हरा कर सुला पाओ।


राज अब सब समझ रहा था। इसका मतलब मेरा गांव जाना, वो दवा लेना, आईने की कहानी सुनना, आईने का मिलना, वो नीलांकर पीना, चंचल का व्यवहार , मेरे शारीरिक बदलाव, नाना जी के अनुभव , मतलब जो कुछ मेरे साथ हुआ है सब कुछ नाना जी की मर्जी से ही रहा है।


रात भर राज यही सोचता रहा, और सोचते सोचते कब सुबह हो गयी राज को पता भी नहीं चला। राज ने सुबह हिट ही उस पत्र को जला दिया और नहाने को अपने बाथरूम में चला गया। आज संडे था। ना तो राज को कहीं जाना था। ना ही रानी और सोनिया को। सरिता को ज़रूर क्लिनिक पर जाना था इस लिए सरिता तैयार हो रही थी। वही गिरधारी को अपने दोस्त की बेटी की शादी में जाना था सो काल रात को ही निकल गया।


सरीता जल्दी जल्दी नाश्ता बना कर राज रानी और सानिया को नीचे बोलाती है नाश्ता करने को।




राज जब नीचे आता है तो अपनी मम्मी सरिता को देख कर वासना मई हो जाता है। सरिता साड़ी में खूबसूरत लगने के साथ साथ बहुत ही मादक लग रही थी। वहीं सरिता भी जब राज को देखती है तो सरिता दिल भी राज के प्रति वासना से घिर जाता है। सरिता राज के बारे में सोचते ही गर्म हो जाती है। अभी दोनो की आंखों के पेच लड़ ही रहे थे कि रानी और सोनिया भी नीचे आ जाती है। दोनो आपस मे बात करते हुए नीचे आ रही थी। जिससे राज सरिता का ध्यान टूटता है और नाश्ता करने की तैयारी में लग जाते है।
 
सब लोग नाश्ता करके फ्रि हो जाते है। सरिता अपने धड़कते दिल के साथ क्लिनिक को निकल जाती है। राज अपने कमरे में चला जाता है। रानी और सोनिया वही सोफे पर बैठ कर टी. वी. देखने लगती है।



राज ऊपर जाकर एक निकर और टी-शर्ट पहन कर अपने बिस्तर पर लेट जाता है। राज बार बार चंचल को सबक सिखाने के बारे में सोचता है। तभी राज को कुछ याद आता है। राज बहुत सोच कर आईने से किसी के बारे में पूछता है। आईना उसकी शक्ल दिखाता है । राज उसे देख कर मन ही मन बहुत खुश होता है। और मन ही मन सोचता है " चंचल बहुत जल्द तुम्हे ऐसा सबक सिखाऊंगा की तुम्हे पता चल जाएगा कोठे की बाई क्या होती है।


वही दूसरी तरफ कोमल भी जल्दी जल्दी तैयार होकर किसी के घर के लिए निकल रही थी।




रानी और सोनिया दोनों बैठे बैठे मूवी देख रही थी साथ ही कोमल के बारे में बात कर रही थी।


अभी कुछ 15 - 20 मिनट ही गुजरे थे की घर की डोर बेल बजती है। सोनिया उठ कर दरवाजा खोलने जाती है। सोनिया जब दरवाजा खोलती है तो सामने एक लड़की खड़ी होती है। जिसे देखते ही सोनिया के मुह से जोर से निकल जाता है" तुम"।


वो लड़की कोई और नही कोमल थी। कोमल तुरंत अंदर आकर रानी और सोनिया से बोलाती है " मुझे तुम लोगों से बहुत ज़रूरी बात करनी है" कोमल ने अभी इतना ही कहा था कि किचन से राज भी बाहर आकर कोमल को देखता है।



राज खुश होने के साथ साथ चोंक भी गया था कि यूँ अचानक से कोमल यहां क्या कर रही है। रानी कोमल को अपने कमरे में ले जाती है। जहां पर कोमल काल राज के घर आने की सारी बात बता देती है।


रानी: देखो कोमल ये तो सच है की चंचल राज की गर्लफ्रैंड नही है। उसने ज़रूर मजबूरी में उसे अपनी....


कोमल: तुम लोगों की वजह से उसका बॉयफ्रेंड बना है।


रानी और सोनिया तुरंत अपने जगह खड़ी होकर चिल्लाती है " क्याsssssss"


फिर कोमल रानी और सोनिया को वो सब बताती है कि कैसे चंचल ने राज को ब्लैकमेल किया और राज के साथ उसदिन क्या हुआ था कॉलेज में।



रानी कोमल से पूछा) तुम्हे ये सब कैसे पता?


कोमल: प्रिया....... उसी ने सब बक दिया। प्रिय से सच उगलवाने का तरीका मैंने अपनी कजन बहन से सिख कर उसे प्रिया पर आजमा लिया।



रानी और सोनिया को सब समझ आ जाता है। तभी सोनिया अपना फ़ोन निकाल कर वो चलचित्र कोमल को दिखाती है जो चंचल में उन दोनों को देकर एक लड़के को सिड्यूस करने को कहा था।



सोनिया: क्या ये राज है?


कोमल और रानी दोनों शर्म से लाल पड़ जाती है। कोमल के मुह से कोई बोल नही फूटते लेकिन उसकी नज़र का चलचित्र में राज के लन्ड पर अटकी थी। उसे हाँ में गर्दन हिला कर उसकी पुष्टि कर दी।


अब रानी और सोनिया को भी पता लग गया था कि चंचल कितना घिनोना खेल खेल रही थी। अंत मे कोमल ने रानी और सोनिया को ये बजी कह दिया की मैं राज को पसंद करती हूँ। उसने कल मुझे प्रोपोज़ किया था लेकिन मुझे उसपर यकीन नहीं था। अब तुम लोगो से बात करके मुझे उसपर यकीन हुआ है। तो अगर तुम लोग कहो तो....


रानी: एक शर्त पर! तुम्हे राज की मदद करनी होगी चंचल से बदला लेने की।
 
कोमल: वो तो तुम मुझ पर छोड़ दो। चंचल को तो ऐसा सबक मिलेगा की 7 जन्म तक राज और मेरा नाम याद रखेगी।

आज राज बहुत खुश था इसके दो कारण थे। एक तो आज राज को सुबह सुबह अपनी प्रेयसी कोमल के दर्शन हो गए। दूसरा खुशी का कारण ये भी है कि कोमल ने राज की मदद करने की हाँ बोल दी।




राज अभी तक कि सारी बातें आईने में देख पा रहा था। लेकिन एक चीज पर उसका ध्यान अभी तक नही गया था। जो तस्वीर सोनिया ने अपने मोबाइल से कोमल को दिखाई थी उसे राज ने अभी तक गौर से नहीं देखा। उसने सिर्फ कोमल पर अपना ध्यान बनाये रखा।


मैन डोर की बेल बजती है। रानी दरवाजा खोलती है तो देखती है कि कोई कोरियर वाला खड़ा था। जब रानी ने उससे पैकेट लिया तो उसपर नाम " गिरधारी" + घर का पता लिखा था। रानी ने तुरंत अपने पापा को कॉल किया ओर कोरियर के बारे में बताया।


गिरधारी: हाँ बेटा इस मे एक मोबाइल है वो मेरी तरफ से राज के जन्मदिन का तोहफा है। बाकी के दो कोरियर में तुम्हारी मम्मी के क्लिनिक की दवाएं ओर कुछ मेडिकल इक्विपमेंट है।


रानी : ओके पाप, पापाsssss


गिरधारी: हम्म है बोलो रानी!


रानी: थैंक यू पापा,


गिरधारी: (मुस्कुराते हुए) यू वेलकम डिअर


रानी तुरंत फ़ोन रख कर सोनिया और राज के पास जा कर उस कोरियर को खोलती है। कोरियर के खुलते ही रानी एक पकट निकाल कर राज को दे देती है। राज चोंकते हुए इशारों से पूछता है कि क्या ये मेरा है?


रानी भी हाँ में मुस्कुराते हुए गर्दन हिलाती है।


राज जब वो बॉक्स खोलता है तो उसमें लेटेस्ट एंड्राइड टच स्क्रीन फ़ोन था। अपने पास अपना पहला मोबाइल पा कर राज बहुत खुश था। राज तुरंत आगे बढ़ कर रानी के गले लग जाता है। जब सोनिया रानी और राज को गले लगे देखते है तो थोड़ी सी जल जाती है। वो तुरंत सोफे से उठ कर रानी और राज को अलग करती है। और खुद राज पर चढ़ कर राज के गले लग जाती है। सोनिया जब राज की गौद मैं बैठती है तो राज का जंगबहादुर सीधे सोनिया की गांड में फंस जाता है। सोनिया एक बार तो चोंक जाती है लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो जाती है। साथ ही उसे गर्व भी हो रहा था कि उसके भाई के पास वो चीज है जो कईयों के पास दुआओं से भी नहीं होती।।
 
वहीं दूरी तरफ कोमल मारकेट में कुछ शॉपिंग करने गयी हुई थी। दोपहर के 1.30 बजे तक जहां रानी राज और सोनिया आपस मे हंसते खेलते दिन गुजार रहे थे। वहीं सरिता अपने क्लिनिक के काम से जल्दी घर आ रही थी। सरिता ने जब राज और बाकी दोनों बहनो को खुश देखा तो उसका कारण पूछा।


सरिता: क्यों भाई किस बात की इतनी खुशी मनाई जा रही है।




राज: ही मम्मी ये देखो पापा ने मुझे बर्थडे गिफ्ट दिया है। लेटेस्ट एंड्राइड मोबाइल फ़ोन।


सरिता भी राज को खुश देख कर मुस्कुरा पड़ती है। तभी सोनिया मम्मी पापा ने तो अपना गिफ्ट दे दिया लेकिन आपने अभी तक कुछ नहीं दिया।


सरिता : वो मैं सिर्फ राज को दूंगी तुम्हे क्यों बताऊ।


सरिता की इस बात पर रानी और सोनिया दोनों चहकते हुए मम्मी बताओ न मम्मी बताओ ना करने लगी। राज भी उन सब को यूं देख कर मुस्कुराने लगता है।


राज को अब एहसास हो रहा था कि उसकी जिंदगी तो ये है। कहाँ हो सारी दुनिया की आफत लेकर घूम रहा है।


करीब 2 बजे तक सभी घर वाले मिलकर लंच करते है। लंच के बाद रानि सोनिया और राज तीनों रानी के कमरे में आ जाते है। थोड़ी देर नया मोबाइल चला कर तीनो सो जाते है।


वहीं दूसरी और सरिता अपने कमरे आंखे बंद किये अपने बिस्तर पर राज के बारे में सोच रही थी। सरिता के लिए अब बर्दाश्त करने बहुत मुश्किल था। सरिता अपनी शारीरिक प्यास के आगे झुक चुकी थी। जब एक औरत को उसके पति का बिस्तर और समाज मे बराबर साथ नहीं मिलता तो उसके कदम आखिर लड़खड़ा जाते है। सरिता अब बेहिचक ये सोच रही थी कि काश गिरधारी आज आ कर अभी मुझे संतुष्ट कर दे।





वहीं राज नींद में सपना देखता है कि राज सरिता के बिस्तर पर लेटा हुआ है। दरअसल राज का मुह सरिता की दोनों टांगों के बीच मे है। राज को जब ये एहसास होता है कि वो अपनी माँ के साथ.... राज तुरंत नींद से जाग जाता है।




अभी शाम के 4 बजे थे। जब राज अपनी साइड में देखता है तो वहां पर सोनिया सो रही थी। रानी वहां नहीं थी। राज अपने बिस्तर से उठता है तो उसे अपने लन्ड में दर्द हो रहा था। वो एक दम अकड़ा पड़ा था दूसरी और राज को इस वक़्त पेशाब भी जा ना था। राज तुरंत रानी के बाथरूम का दरवाजा खोल कर अंदर चला जाता है।




राज जैसे ही अंदर आता है तो स्तब्ध खड़ा रह जाता है। राज के सामने रानी खड़ी थी। एक टॉवल लपेटे हुए। रानी की दोनो टांगों के बीच रानी की पेंटी थी।





शायद रानी नहा रही थी। और अभी वो कपड़े बदल रही थी। राज बहुत डर गया था राज तुरंत पीछे मुड़ कर जाने लगता है लेकिन हड़बड़ाहट में राज ये भूल गया था कि उसने अभी अभी दरवाजा खोलते ही पीछे जी तरफ बन्द कर दिया था , हालांकि कुंडी नहीं लगाई थी।



लेकिन जैसे ही राज पीछे मुड़ कर जाने लगता है तुरंत दरवाजे के टकराकर पीछे आता है। राज के सर में जबरदस्त चोट लगी थी। राज अपना सर पकड़े आंखें बंद किये दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश कर रहा था कि रानी को राज ये हरकत पर हंसी आ जाती हूं। राज आंखें बंद किये ही एक कदम पीछे होता है लेकिन बाथरूम के गीले फर्श पर साबुन की चिकनाई से फिसल जाता है।


राज को फिरसे गिरता देख रानी आगे बढ़कर राज को संभालती है। लेकिन राज को संभालने के चक्कर मे रानी भी ये भूल जाती है कि उसने अपनी टांगों से अभी तक अपनी पेंटी नहीं निकाली। रानी जैसे ही जल्द बाजी मैं आगे बढ़ती है रानी भी गिर जाती है।

लेकिन ये घटना हुई कुछ ऐसे की राज गिरते हुए दरवाजे का सहारा लेकर सम्भल गया था लेकिन रानी जब गिरी तो सीधे राज की तरफ। रानी ने जब राज को पकड़ कर खुद को बचाने की कोशिश की तो रानी के हाथ मे राज का शर्ट आता है। जिससे राज के शर्ट के बटन टूटते हुए फट जाता है।


राज तुरंत रानी को संभालने के लिए आगे बढ़ता है और संभाल लेता है। रानी को जैसे ही राज खड़ा करता है तो राज की आंखें खुली की खुली रह जाती है। रानी का टॉवल नीचे गिर चुका था। रानी की चुंचिया राज की आंखों के सामने थी।




कितनी खूबसूरत चुंचिया थी रानी की। आधा इंच से भी बड़े निप्पल, गोल गोल संतरों के जैसी गोलाई, और कसावट ऐसी की बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एक दम जमे हुए। बिल्कुल भी नीचे नहीं लटके। दूध की तरह सफेद लेकिन जैसे किसी ने रूहअफजा का ग़ुलाब का रंग डाल कर उसे हल्का गुलाबी कर दिया हो। और निप्पल के आस पास गेरुआ रंग चढ़ा हुआ। बहुत ही खूबसूरत उरोज थे।


राज जब रानी को इस हालत में देखता है तो राज का लन्ड बुरी तरह से अकड़ जाता है। और रानी की नज़र राज के लन्ड पर थी जो कि राज के पायजामे से ही बता रहा था कि मैं हूँ यहां का जंगबहादुर।




लेकिन जल्द ही रानी को अपनी हालात का एहसास हो जाता है। रानी तुरंत अपना टॉवल उठा कर लपेट लेती है। राज भी तुरंत वहां से निकल जाता है। राज अपने कमरे में अपने बाथरूम में चला जाता है और रानी अपने कमरे में तैयार होते हुए बार बार राज के साथ हुई घटना को याद कर कर के शर्मा रही थी। घटना से ज्यादा रानी को राज के हथियार का आभास रोमांचित कर रहा था। अजीब सी ललक रानी के मन में उठ रही थी।


वहीं सोनिया भी जाग गयी थी। सोनिया को उठे अभी 30-40 मिनट से ऊपर हो गया था । सोनिया राNई को बार बार मुस्कुराते शर्माते तैयार होते देख रही थी। सोनिया ने कई बार रानी से उसके बार बार शर्मा ने और मुस्कुराने का कारण पूछा लेकिन रानी हर बार बात को टालती गयी।



अचानक से राज को कुछ याद आया। राज ने तुरंत आईना निकाला। राज ने सोच ही रह था आईने को कुछ देने के लिए लेकिन उसे फिर याद आया कि उसने आईने को अपनी ज़िंदगी एक एक दिन देकर आईने के तीन दिन कमा लिए है।


राज ने तुरंत आईने से किसी के बारे में पूछा और आईने ने तुरंत उस शख्स का चेहरा राज के सामने ला दिया। राज गौर से उस शख्स को देख रहा था।


आईने को देखते देखते ही अचानक से आईने में एक लड़की उभर कर आती है। उस लड़की के आते ही एक लाल रोशनी निकल कर राज पर पड़ती है और वो रोशनी पूरी तरह से राज के शरीर मे लुप्त हो जाती है। साथ ही जब वो लड़की अचानक से उस आईने में आती है तो आईने का रंग बिल्कुल काला पड़ जाता है।




राज तुरंत आईने को रख देता है। उस रोशनी के गिरने से कुछ भी ऐसा नही हुआ था जिस से राज को डरना चाहिए था। लेकिन कुछ तो हुआ था। जिसका भान राज को नहीं था।



राज अपने कमरे से बाहर निकल कर आता है और चंचल को सबक सिखाने की सोचता है। लेकिन अचानक से राज का ध्यान चंचल के बदन की और जाता है। राज को चंचल के उस चंचक चेहरे के अलावा चंचल का वो मादक जवान बदन और उसकी खुशबू याद आती है।

ना जाने क्यों लेकिन आज राज चंचल की तरफ बहुत आकर्षित हो उठा था। तभी राज का मोबाइल बजता है। राज चोंक जाता है क्योंकि आज दोपहर को ही मोबाइल आया था। और राज ने तो अभी तक किसी को अपने नम्बर भी नही दिए थे। राज फ़ोन उठाता है। राज के फ़ोन उठाते ही दूसरी तरफ से कोंग्रेचुलेशन की एक मधुर आवाज आती है ये फ़ोन किसी ओर का नहीं बल्कि कोमल का था। कोमल ने राज के नम्बर रानी से ले लिया था। रानी से ही कोमल को पता चला कि राज को आज उसका पहला मोबाइल मिला है।


फ़ोन पर कुछ देर बात करने के बाद कोमल राज का प्रपोजल एक्सेप्ट कर लेती है। मतलब कोमल ने भी इजहार- ए - इश्क़ कर दिया था। करीब 30 मिनट तक दोनों बात करते रहे फिर फ़ोन डिसकनेक्ट हो गया।



राज कोमल के बारे में सोच ही रह था कि अचानक से सरिता अपने कमरे से बाहर आती है। सरिता को देखते ही राज गुम सा हो जाता है। राज सरिता को ऊपर से नीचे तक देखता है।




राज सरिता के बड़े बड़े चुंचियों को कैसे हुए ब्लाऊज में देख सकता था। उनकी आज़ादी के लिए बेचैनी उसे कैसे हुए ब्लाउज की कसावट से पता चल सकती थी। साथ ही राज की नज़र जब सरिता की गेंद पर पड़ता है जो कि साड़ी में भी 4 से 5 इंच तक उभर कर नज़र आ रही थी। राज खुद ब खुद सरिता को देखते हुए गर्म होने लगता है।



वहीं सरिता भी राज को ऐसे देख कर पहले तो चोंक जाती है लेकिन अगले ही पल शर्मा जाती है।आज पहली बार राज के मन मे सरिता एक माँ की नज़र से नज़र नही आई थी आज राज को सरिता एक खूबसूरत मादक औरत नज़र आ रही थी
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आज पहली बार इतने सालों में राज को सरिता में एक मादक औरत का आभास हुआ। राज सरिता को देख कर गर्म हो यह था। वही सरिता का दिल भी राज को देख कर धक धक करके ट्रैन की स्पीड से धड़क रहा था।




सरिता शर्माते हुए किचन में चली जाती है। सरिता सोच रही थी कि आज राज उसे बड़ी अजीब नज़रों से घूर रहा था। सरिता को ये भी एहसास था कि राज की उस अजीब नज़र में भरपूर हवस भरी थी। सरिता बार बार राज के बारे में सोच ही रही थी कि अचानक से सरिता को एहसास होता है कि कोई उसके पीछे है।



ये कोई और नहीं बल्कि राज था। राज सरिता को देखते हुए इतना गर्म और सरिता मैं गुम हो गया था कि उसे खुद को पता नही चला कि वो कब सोफे से उठ कर सरिता के पीछे चला गया।



राज ने अपने कांपते हुए हाथ सरिता कर कंधों पर रखे। सरिता राज के हाथ अपने कंधे पर पड़ते ही एक झटका सा खाती है। सरिता को यकीन नहीं हो रहा था कि राज उसके पास उसके पीछे खड़ा है।


राज सरिता के दोनों कंधों पर हाथ रख कर बिल्कुल सरिता से सट जाता है। इसबार दोनों अपनी अपनी जगह पर खड़े खड़े कांपने लगते है। दरअसल जब राज सरिता से सटा तब राज का लन्ड पूरी तरह से खड़ा था। जैसे ही राज सरिता से सटा राज का लन्ड सीधा सरिता की गांड में फंस गया। सरिता को जब अपनी गांड मैं राज के कड़क मोटे लन्ड का एहसास हुआ तो सरिता रोमांच और एक्साइटमैंट मैं कांपने लगी। वहीं राज को भी अपना लन्ड सरिता की गांड में ऐसे महसुस हो रहा था जैसे सरिता की गांड ने राज के लन्ड को मुट्ठी में जकड़ लिया हो। एकदम टाइट। और सरिता के जिस्म की प्यास ने सरिता को और भी गर्म कर दिया जिस से एक्साइटमेंट में सरिता के निप्पल एक दजम फूल कर तन गए जो अपने होने का सबूत कपड़े के बाहर झलक कर दिखा रहे थे।

दोनों माँ बेटे दुनिया से बेखबर एक दूसरे के जिस्म को पाने के लिए तरस रहे थे। जहां एक तरफ सरिता की आंखें अपने बेटे के मादक स्पर्श से बंद हो चुकी थी वही राज की आंखें अपनी ही माँ की खुशबू और जिस्म को पाने की हवस की ललक में खुद बा खुद मूंद गयी थी।


ना जाने कैसे और क्यों लेकिन राज के हाथ धीरे धीरे सरिता कर कंधों से फिसलते हुए उसकी बाजुओं से होते हुए सरिता की कमर पर आ गये। राज अपनी गर्दन सरिता की गर्दन के करीब करके होल से सांस अंदर खींचता है। जिसका एहसास सरिता को भी हो जाता है। सरिता राज के चेहरे को अपनी गर्दन के करीब पाकर अपबी गर्दन एक दम मदहोशी के हाल में पीछे की तरफ राज के कंधे पर गिरा देती है। जिससे राज का चेहरा सीधा सरिता की गर्दन पर आ जाता है।


राज बड़े ही मादक तरीके से सरिता की जिस्म की खुशबू को खुद में सामने का प्रयास कर रही था। इसी प्रयास में राज के हाथ धीरे धीरे फिसलते हुए सरिता की कमर से सरिता के पेट की और बढ़ गए। साथ ही साथ सरिता के हाथ भी राज के हाथ पर थे। राज का एक हाथ जहां सरिता के पेट पर था वहीं दूसरा हाथ सरिता की कमर के उस स्थान पर था जहां से कमर के कटाव (कर्व) शुरू होता है। सरिता के के जहां दोनो हाथ राज के उस हाथ पर व्यस्त थे जो सरिता के पेट पर था वही राज अपनी मदहोशी में सरिता की कमर को अपने दूसरे हाथ से दबा बड़े ही रोमांचक और मादक तरीके से दबा देता है।


राज के कमर को अपने हाथ से मसलते ही सरिता की एड़ियां ऊपर की और उठ जाती है और सरिता अपने पंजों पर खड़ी हो जाती है और साथ कि सरिता के मुह से एक मादक आहsssss निकल पड़ती है। राज का दूसरा हाथ धीरे धीरे सरोता के पेट से सीधा सरिता के उरोजों की और बढ़ने लगता है। राज के हाथों का अपने उरोजों तक पहुंचने का सरिता बड़ी बेक़रारी से इंतज़ार कर रही थी।
 
अपडेट -24




राज बड़े ही मादक तरीके से सरिता की जिस्म की खुशबू को खुद में सामने का प्रयास कर रही था। इसी प्रयास में राज के हाथ धीरे धीरे फिसलते हुए सरिता की कमर से सरिता के पेट की और बढ़ गए। साथ ही साथ सरिता के हाथ भी राज के हाथ पर थे। राज का एक हाथ जहां सरिता के पेट पर था वहीं दूसरा हाथ सरिता की कमर के उस स्थान पर था जहां से कमर के कटाव (कर्व) शुरू होता है। सरिता के के जहां दोनो हाथ राज के उस हाथ पर व्यस्त थे जो सरिता के पेट पर था वही राज अपनी मदहोशी में सरिता की कमर को अपने दूसरे हाथ से दबा बड़े ही रोमांचक और मादक तरीके से दबा देता है।


राज के कमर को अपने हाथ से मसलते ही सरिता की एड़ियां ऊपर की और उठ जाती है और सरिता अपने पंजों पर खड़ी हो जाती है और साथ कि सरिता के मुह से एक मादक आहsssss निकल पड़ती है। राज का दूसरा हाथ धीरे धीरे सरोता के पेट से सीधा सरिता के उरोजों की और बढ़ने लगता है। राज के हाथों का अपने उरोजों तक पहुंचने का सरिता बड़ी बेक़रारी से इंतज़ार कर रही थी।




अब आगे....



अभी राज का हाथ सरिता की सुडौल चुंचियों के नीचे पहुंचा ही था कि रानी की आवाज आती है।


रानी: मम्मी.....




सरिता एक दम से चोंक जाती है। वहीं राज भी अपने मदहोशी के आलम से बाहर निकल आता है। दोनो अपने अपने स्थान पर स्तब्ध खड़े ये विचार कर रहे थे कि आखिर वो दोनों क्या करने जा रहे थे। सरोता और राज दोनो ग्लानि से भर पड़ते है। तभी रानी की आवाज एक बार फिर से आती है। जिसे सुनकर राज पीछे को होता है और सरोता आगे को। जब सरिता और राज दोनो अपने अपने स्थान से दूर हटतें है तब राज को सरिता की गाँड़ की गहराई का एहसास होता है। और सरिता को राज के लन्ड की लंबाई का। दोनो एक दूसरे को महसूस कर पा रहे थे। राज का लन्ड 4 इंच के करीब सरिता की गाँड़ में धंसा था। जो दोनो के हटने से एकदम स्लो मोशन में बाहर निकलता है।


तभी रानी सीढ़ियों से उतरते हुए किचन के बाहर तक आ जाती है।


रानी: मम्मी वो खाना ( रानी ने अभी इतना ही कहा था कि सामने राज को खड़ा देख कर रानी एक बार फिर से बाथरूम वाली घटना को याद कर बैठती है और वही हाल राज का था।)



जहां एक तरफ रानी बाथरूम की घटना को याद करके शर्मा रही थी। वही दूसरी और राज रानी के जिस्म को याद करके गर्म हो रहा था। राज का लन्ड पहले ही सरिता के स्पर्श से खड़ा था अब राज को रानी के साथ वाली घटना की याद ने और तड़पा दिया था।


सरिता तुरंत किचन से एक आधे घण्टे में खाना बनाकर सबको खिलाती है। और खुद भी खा लेती है। सब लोग खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले जाते है।


आज तीनों कमरों में हवस की आग की आप्टे जोरों से भड़क रही थी। रानी और सोनिया राज को महसूस करके उसे और महसूस करना चाहती थी। वही सरिता अपनी जिस्म की गर्मी से मजबूर होकर राज को पाना चाहती थी। वही राज आज दिनभर की घटना और अपनी हरकतें याद कर कर के गर्म हो रहा था। राज को अब कीसी भी हाल में चुदाई करनी थी। मगर कैसे?

राज को लता वाला इंसिडेंट याद आता है। राज तुरंत आईना निकाल कर लता को याद करने लगता है। लेकिन बार बात राज के जेहन में रानी और सरिता आ रही थी। इस लिए जब भी राज लता के साथ सेक्स करने की सोचता आईना उसे रानी और सरिता के समीप ले जाता।


आज राज का मन और दिमाग दोनो स्थिर नहीं थे।




राज ने आईना चुप चाप वापस अपने बैग में रख दिया। राज के मन मे अभी तक अपनी बहन या माँ के साथ शारीरिक संबंध बनाने को लेकर एकदम स्पष्ट नही हुआ था। राज बिस्तर पर लेटे लेते अपनी लन्ड को मसलने लगता है। वही काम रानी और सोनिया और सरिता अपनी अपनी चुतों को मसलने का अपने अपने कमरे में कर रही थी। सब एक दूसरे से चिप कर एक पर्दे के पीछे। जो शायद कभी भी उठ सकता था या गिर सकता था। देखते ही देखते रात कब सुबह हो गयी लाता ही नहीं चला।


सुबह होते ही सब नॉर्मल खाना खाकर अपने अपने काम पर चल दिये। आज ये राज का पहला दिन था अपनी स्कूल में। राज जब स्कूल पहुंचा तो ज्यादातर उसके साथी जो पिछले साल थे वही उसकी क्लास में थे। लेकिन कुछ 3-4 नई लडकिया और 2 नए लड़कों ने एडमिशन लिया था। राज को ये बात किसी पुराने सहपाठी ने बताई।


राज जब क्लास में गया तो देखता ही रह गया। राज की स्कूल के वो दो बच्चे कोई और नहीं बल्कि मंगल और श्याम थे।राज ने जब उन दोनों को देखा तो बहुत खुश हुए वही हाल उन दोनों का भी था। मंगल और श्याम भी राज को देख कर बहुत खुश हुए और एक दूसरे के वाले लग गए।


सुबह से 3 क्लास तो ना जाने कब खत्म हुई पता ही नहीं चला। लेकिन इंटरवेल में कुछ ऐसा हुआ कि उसके बाद राज का दिमाग चलने लगा। दरअसल इंटरवेल मैं जब राज कैंटीन में अपने दोस्तों के साथ गया तो वहां उसे दो लड़कियां जानी पहचानी दिखी। एक थी छोटू की बहन।






अरे वही जिसे गांव में देखा था।



और दूसरी लड़की थी चंचल की छोटी बहन।





मंगल और श्याम ने राज की मुलाकात छोटू की बहन से करवाई। जो कि नवीन क्लास में थी। राज को पता चला कि छोटू के बाबा का देहांत हो गया था जिसके कारण से छोटू की बेहन 9 वीं की परीक्षा नही दे पाई इस लिए यहाँ पर वो नवीं में पढ़ रही थी। वही राज ने जब चंचल की चोटी बहन की तरफ इशारा करके पूछा तो छोटू की बहन ने बताया कि वो तो उसी की क्लास में है। बहुत रहीस लोगो के परिवार से लगती है। बहुत नखरे भी करती है। पढ़ने से लेकर के क्लास में सीट पर बैठने तक इसके नखरे होते है।


श्याम और मंगल भी चंचल की चोटी बहन की तरफ देखते है। (तभी राज छोटू की बहन से मुस्कुराते हुए उसका नाम पूछता है। छोटू की बहन अपना नाम बताती है।)

राज: नाम क्या है?


छोटू की बहन: जी मेरा नाम अनिता है।


राज: अनिता मैं तुम्हारा नाम नहीं पूछ रहा था उस लड़की का क्या नाम है? ( मुस्कुराते हुए)


अनिता: ( अपनी सर पर हाथ मारकर जीभ बाहर निकल लेती है) जी उसका नाम ? उसका नाम श्रेया है।


राज: श्रेया हां! हम्मssss चलो तुम मन लगा कर पढ़ना।


अब आप सब अंदाजा तो लगा ही सकते है 9 वीं क्लास में पढ़ने वाली लड़की की उम्र क्या होगी। लेकिन मैंने छोटू की बहन के बारे में तो आपको पहले ही बता दिया था। चलो चंचल की बहन के बारे में बताता हूँ।


चंचल की बहन 5 फिट 4 या 3 इंच के करीब की लंबाई की होगी। लंबे लंबे हल्के भूरे रंग के बाल है। जो कि उसकी कमर तक आ रहे थे। हल्की हल्की उठी हुई चुंचिया नोक बाहर निकाले हुए और रंग एक दम गोरा। चंचल से तो 21 है। और गाँड़ लगभग तीन इंच ऊपर की और उठी हुई। कुछ भी कहूं एक दम सांचे में ढली हुई। और सबसे कमाल की बात है उसका चेहरा। 9 वीं मैं पढ़ रही श्रेया का चेहरा 9वीं क्लास की लड़की जैसा नहीं बल्कि कोई 5-6 मैं पढ़ने वाली मासूम बच्ची जैसा चेहरा।


राज ने बहुत गौर से श्रेया के बदन को देखा था। राज ने उसके हाथों को देखा तो वहां पर अभी तक हल्के भूरे रंग की रोयें तक नहीं आयी थी। श्रेया को।देखते देखते ही अचानक से राज के दिमाग मे चंचल आ जाती है। और तभी राज वही खड़े खड़े बदले।का प्लान बनाने लगता है। या यूं कहूँ की उसकी सफलता के बारे में सोचने लगता है।



छोटू की बहन के जाने के बाद भी राज एक तक चंचल की बहन श्रेया को अपनी सहेलियों के साथ हंसते खेलते देख रहा था। और मुस्कुरा रहा था। राज के इस तरह से श्रेया को घूरते देख श्याम हल्के से राज के कान में बोलता....


श्याम: राज तुम श्रेया को चौदना चाहते हो ना?


राज ना जाने कैसे लेकिन आटोमेटिक अपनी गर्दन हाँ में हिला देता है। फिर राज को एहसास होता है कि उसने क्या किया तभी मंगल और श्याम दोनो राज की बात पर हँसने लगते है।


मंगल: लेकिन वो चिड़िया इसके हाथ नहीं लगेगी।


श्याम: अरे चिड़िया को फसाने के दो तरीके होते है। एक चिड़िया को धीरे धीरे दाना डालो और जाल में फंसा लो। दूसरा उड़ती चिडया पर सीधी जाल फेंकों।


मंगल: एक तरीका और है?


राज और श्याम दोनो मंगल की और देखते है। और मंगल अपनी जेब से एक ड्रग की डिब्बी निकालता है। एक दम विक्स जैसी लग रही थीं ।


मंगल: राज भाई ये ऐसा ड्रग है अगर किसी 90 साल की बूढ़ी औरत की चूत में भी इसे लगा दो ना तो वो भी झरने की तरह बहने लगेगी। वैसे तो इसे किसी की पेंटी पर लगा दो टैब भी छूट खुजाने लगेगी लेकिन अगर डायरेक्ट चूत में लगा दिया तो समझो लड़की चुदने के लिए थोड़े से प्रयास में तैयार हो जाएगी। ये उसकी छूट मैं हवस की आग लगा देगी।


राज: यार तुम ना कुछ भी बकवास कर रहे हो?

श्याम: एक मिनट बकवास? अच्छा एक बात बताओ तुम स्कूल किस चीज से आये थे।


राज: हम्म कार से , दीदी ने ड्राप किया!



श्याम: अब घर हमारे साथ चलना। बस में! तुम्हे कुछ दिखाना है।


राज:क्या?



मंगल: अरे चलो तो सही फिर तुम्हे वो भी पता चल जाएगा।


यूँहीं क्लास का पहला दिन खत्म हो गया। हर क्लास का पहले दिन कुछ टीचर्स आये कुछ नहीं आये। जो आये उन्होंने सबका परिचय लिया और खुद का परिचय देते हुए जाते रहे। सभी अध्यापकों ने मिलकर डिसाइड किया कि इस सप्ताह के गुरुवार से बच्चो की पढ़ाई शुरू करवा दी जाए। और यही सब होते होते क्लास की छुट्टी हो गयी।


राज अपने दोस्तों के साथ बस में घर के लिए रवाना हो गया। हाँ बस में जाने से पहले राज ने रानी को मश्ग कर दिया था कि वो बस से घर जा रहा है। राज बेग में अपना मोबाइल भी छुपा कर लाया था। वैसे तो 12 क्लास तक आज भी कई जगह मोबाइल अल्लाउ नहीं है।



राज मंगल और श्याम के साथ जिस बस में चढ़ा था उसी बस में कुछ और भी लडकिया चढ़ि थी। जिनमे ज्यादातर 9 से 10 की लग रही थी। 11 और 12 कि लड़कियां तो घर से कुछ व्हिकल लेकर आती थी और कुछ उन्ही के साथ निकल लेती थी।



मंगल और श्याम ने एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कान बिखेर दी। और राज की तरफ देख कर मंगल सामने खड़ी एक लड़की की तरफ इशारा करके बोलता है। देख अब ये ड्रग मैं उस लड़की की चूत पर लगाऊंगा। थोड़ी देर बाद अगर मैं उसे चौद भी लूं तो उसे कोई दिक्कत नही होगी।


मंगल ने इशारा करके राज और श्याम का ध्यान एक लड़की की और किया।




श्याम मंगल की तरफ देख कर बोलता है।


श्याम: जा मेरे शेर जा, पूरा जंगल तेरा है।


मंगल धीरे धीरे करके उस लड़की के ठीक पीछे खड़ा हो जाता है। चलती बस में वैसे ही आगे पीछे होने की जगह नहीं थी। मंगल जा कर पहले तो लड़की के धीरे धीरे कमर और पीठ पर हाथ फेरने लगा। जब लड़की को ये पता लगा कि कोई उसे छू रहा है तो उसने पीछे मुड़ कर मंगल को देखा और अपनी आंखें दिखाई जैसे अभी शोर मचा कर उसे पब्लिक से पिटवा देगी।


मंगल फिर भी कहां मानने वाला था आखिर उसके दोस्तों के सामने उसकी नाक कट जाती । मंगल ने धीरे से उस लड़की की गाँड़ पर हाथ फेरा। लड़की ने तुरंत उसका हाथ झटक दिया। मंगल धीरे से उस लड़की के कान में बोलता है। सिर्फ छू कर चला जाऊंगा।


लड़की मंगल की ये बात सुनकर गुस्से से मंगल की तरफ देख कर दो कदम आगे चली जाती है। इस वक़्त लड़की के सामने एक कुर्सी रखी और पीछे मंगल और बाजू में श्याम खड़ा हो गया और दूसरे बाजू में बस की दीवार। मंगल के लिए इस से अच्छा और क्या मौका होता मंगल ने तुरंत लड़की की स्कूल की स्कर्ट को ऊपर किया। स्कर्ट ऊपर होते ही नीचे पेंटी थी। मंगल ने उस लड़की की पेंटी नीचे करने की खूब कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाया। क्योंकि लड़की को जब लगा कि मंगल उसकी पैंटी खोलना चाह रहा है तो उसने अपनी दोनो टांगों को सिकोड़ लिया।


अंततः जब सारे प्रयास असफल हो गए तो मंगल ने उस लड़की को हल्का सा आगे की और धक्का दिया। लड़की जैसे ही गिरने वाली हुई एक आध कदम आगे चली। लड़कि के आगे चलने से उसकी दोनो टांगे खुल गयी। बस इसी का फायदा उठाकर मंगल ने उसकी दोनों टांगों के बीच अपनी टांगे फंसा दी। मंगल के ऐसा करते ही लड़कीं ने अपनी स्कर्ट और पेंटी को अपनी कमर पर केस कर पकड़ लिया ताकि मंगल उसकी पैंटी ना उतार पाए।

मंगल को जब इस बात का पता लगा तो मंगल ने तुरंत उस लड़की की पेंटी उतारने की बजाय उसकी चूत के ऊपर से साइड में कर दिया। मंगल के ऐसा करते ही लड़कीं हल्की सी चिहुंकि लेकीन टैब तक देर हो चुकी थी। मंगल ने अपनी उंगली पट विकस की तरह लगा ड्रग तुरंत उस लड़की की चूत पर मल दिया। मंगल उसे ऐसे लगा रहा था जैसे उसकी छूट का उंगली से ब्रश कर रहा हो। एक दम छूट के बाहर और अंदर तक। उंगली घुमा घुमा कर।


मंगल को अभी 10 सेकंड भी नही गुजरे थे कि लड़कीं चीख पड़ी। लड़कीं के चीखते ही मंगल ने लड़कीं को छोड़ दिया। मंगल के छोड़ते ही लड़कीं तुरंत पलटी और मंगल के गाल पर चटाकsssssssss एक जोर दर थप्पड़ मारकर आगे चली गयी जहां पर 2-3 और भी लडकिया थी।



मंगल अपना गाल पकड़े राज और श्याम के पास गया। राज अपनी हंसी बहुत मुश्किल से दबा रखा था। लेकिन क्या करता जब मंगल को अपना गाल पकड अपनी तरफ आते देखा तो खुद बा खुद राज की हंसी फुट पड़ी। राज को हंसता देख श्याम भी अपनी हंसी पर से काबू खो दिया और वो भी हँसने लगा।



मंगल ने जब अपने दोनों दोस्तो को अपने ऊपर हंसते देखा तो पहले तो मंगल का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। लेकिन जल्द ही खुद मंगक भी अपने दोस्तों के साथ हंसते हुए बोला।


मंगल: साली ने झापड़ ही धर दिया।


श्याम: (हंसते हुए) काम हुआ।


मंगल: वो तो तुम दोनों देख लेना। अब से 2 मिनट बाद उसे पसीना आएगा। अगले 2 मिनट में वो अपनी जाँघे आपस मे रगड़े गई। और उसके अगले दो मिनट में उसकी चूत झरने के जैसे पानी ना फेंके तो नाम बदल लूंगा।


राज: तू पहले अपना गाल बदल नाम बालन मैं तूने अभी 6 मिनट बात दिया।


मंगल और श्याम दोनो हँसने लगे। मंगल ने अपने बैग से वो ड्रग की 5-6 डिब्बियां निकाल कर राज के बैग में रख दिया। राज ने जब मंगल की तरफ देखा तो मंगल ने राज से कहा।


मंगल: रखले यार तेरे काम आएगी। वो कच्ची काली तेरे हाथ एवें ही नहीं आने वाली।


अभी कुछ 2 मिनट ही गुजरे थे कि लड़कीं बुरी तरह से गर्मी महसूस करने लगी। कभी अपने हाथों से हवा करने लगती तो कभी बस की खिड़की से आती हवा की तरफ जाने का प्रयास करती लेकिन भीड़ इतनी थी कि ना तो हवा उस तक पहुंच पा रही थी और ना ही वो अपनी जगह से हिल पा रही थी।




राज अपने दोस्तों मंगल और श्याम के साथ एक जगह बैठा उस ड्रग का कमाल देख रहा था।



थोड़ी देर बाद करीब 2 मिनट ही हुए थे कि लड़कीं बुरी तरह से पसीनों में भीग गयी थी। उसकी स्कूल शर्ट जगह जगह से पसीनों से भीग कर उसके बदन पर चिपक गयी थी। राज अभी भी उस लड़की के चेहरे के भावों को देखे जा रहा था। उसके चेहरे भाव साफ साफ उसके मादक होने का चिन्ह थे।
 
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