hotaks444
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और सरिता अपने चरम सुख के सागर में गोते खाते हुए अपना बिस्तर गीला कर रही है।
करीब 30 मिनट बात राज एयर रानी सोनिया घर की बेल बजाते है। जिसे सुनकर सरिता की नींद टूटी जाती है। सरिता का पूरा बदन दुख रहा था। सरिता जब बिस्तर पर बैठती है तो देखती है कि उसकी पूरी पेंटी और उसकी गांड उसी के चूत के पानी में बुरी तरह से भीगी पड़ी है। यहां तक कि उसकी बेदशीट पर भी 2 बिलांद का गीला धब्बा पैड गया है। सरिता खुद को संभालते हुए सबसे पहलव दरवाजा खोलती है।
राज सरिता को दरवाजे पर देखता है तो देखता ही रह जाता है। साथ ही अपने सुबह के सपने को याद करके अंदर ही अंदर शर्मिंदा फील करता है लेकि। अगले ही पल राज सरिता को देख कर उत्तेजित हो जाता है। उसके लन्ड ने अपना सर उठाना शुरू कर दिया था।
राज अब किसी भी हाल में अपनी माँ के सामने भी शर्मिंदा नहीं होना चाहता था। राज पहले ही कोमल के सामने शर्मिंदा हो चुका था। राज चुप चाप सर झुका कर अपने कमरे की और चला जाता है।
वहीं सरिता भी नहाने के लिए अपने कमरे में चली जाती है। सरिता को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि उसने इस तरह का सपना क्यों देखा। क्या सच मे उसके मन मे अपने बेटे के प्रति.... नहीं नहीं ऐसा नही हो सकता। सरिता अपने नए कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली जाती है।
वहीं दूसरी ओर रानी और सोनिया अपने कमरे में जाकर सीरियस होकर बैठ जाती है।
रानी: सोनिया यार ये राज ने क्या किया? उस चंचल से फ्रेंडशिप!
सोनिया: सोनिया फ्रेंडशिप? राज ने उसे अपनी गर्लफ्रैंड बना लिया।
रानी : लेकिन क्यों? वो खुद तो कितनी हरामी है। और हमारा राज एक दम भोला भाला मासूम, पता नही कैसे उसके झांसे में आ गया। और राज क्या ज़रूरत थी हीरो बन कर उस कोमल को बचाने की?
सोनिया: दी मुझे लगता है हमे ही अपने भाई को बचाना होगा। उस कलमुँही के चुंगल से। और ये तो मुझे भी नहीं समझ आ रहा कि आखिर राज ने कोमल को क्यों बचाया।
रानी: बचाने को तो हम भी बचा सकते है लेकिन एक तो चंचल हमसे सीनियर है ऊपर से उसके पास मैन पावर है और साथ ही मनी पावर भी।
सोनिया: और दी उसके पास फैमिली सपोर्ट भी है जो हमारे पास बिल्कुल भी नही। अगर किसी ने गलती से भी मॉम या डैड को हमारी शिकायत कर दी ना तो बस हो गया काम।
रानी : हाँ! लेकिन ये सब तो बाद कि बात है। पहले ये सोच और बता की हम राज की मदद कैसे करे? हम राज की ज़िंदगी यूँ बर्बाद होते तो नहीं देख सकती ना।
रानी और सोनिया आपस में राज की मदद करने के बारे में सोच रही थी। वही राज अपने रूम में इधर उधर चक्कर काट रहा था।
राज बहुत बैचेन हो रहा था। यहां तक कि राज का शरीर बुरी तरह से गर्म होकर कांप रहा था। यूँही चक्कर काटते काटते राज ना जाने कब एकदम से बेहोश हो गया।
राज के बेहोश होते ही राज के बैग में पड़ा आईना बुरी तरह से चमकने लगता है। वो नीली रोशनी राज के सर पर आकर चारों तरफ इक्कठी हो जाती है। और थोड़ी ही देर में वो रोशनी राज के दोनों कानों से होते हुए राज के पूरे शरीर मे लुप्त हो जाती है।
अचानक से राज की आंख खुलती है तो राज देखता है कि उसके सामने उसके नानाजी खड़े है। राज भागता हुआ अपने नाना के पास जाना चाहता है लेकिन नही जा पाता। राज जितना भागता है उतना राज के नाना राज से दूर होते जाते है।या फिर यूँ कहूँ की राज अपनी जगह से इंच भर भी आगे नहीं दौड़ पाता क्योंकि उसके बराबर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन चलती रहती है
करीब 30 मिनट बात राज एयर रानी सोनिया घर की बेल बजाते है। जिसे सुनकर सरिता की नींद टूटी जाती है। सरिता का पूरा बदन दुख रहा था। सरिता जब बिस्तर पर बैठती है तो देखती है कि उसकी पूरी पेंटी और उसकी गांड उसी के चूत के पानी में बुरी तरह से भीगी पड़ी है। यहां तक कि उसकी बेदशीट पर भी 2 बिलांद का गीला धब्बा पैड गया है। सरिता खुद को संभालते हुए सबसे पहलव दरवाजा खोलती है।
राज सरिता को दरवाजे पर देखता है तो देखता ही रह जाता है। साथ ही अपने सुबह के सपने को याद करके अंदर ही अंदर शर्मिंदा फील करता है लेकि। अगले ही पल राज सरिता को देख कर उत्तेजित हो जाता है। उसके लन्ड ने अपना सर उठाना शुरू कर दिया था।
राज अब किसी भी हाल में अपनी माँ के सामने भी शर्मिंदा नहीं होना चाहता था। राज पहले ही कोमल के सामने शर्मिंदा हो चुका था। राज चुप चाप सर झुका कर अपने कमरे की और चला जाता है।
वहीं सरिता भी नहाने के लिए अपने कमरे में चली जाती है। सरिता को अभी तक यकीन नहीं हो रहा था कि उसने इस तरह का सपना क्यों देखा। क्या सच मे उसके मन मे अपने बेटे के प्रति.... नहीं नहीं ऐसा नही हो सकता। सरिता अपने नए कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली जाती है।
वहीं दूसरी ओर रानी और सोनिया अपने कमरे में जाकर सीरियस होकर बैठ जाती है।
रानी: सोनिया यार ये राज ने क्या किया? उस चंचल से फ्रेंडशिप!
सोनिया: सोनिया फ्रेंडशिप? राज ने उसे अपनी गर्लफ्रैंड बना लिया।
रानी : लेकिन क्यों? वो खुद तो कितनी हरामी है। और हमारा राज एक दम भोला भाला मासूम, पता नही कैसे उसके झांसे में आ गया। और राज क्या ज़रूरत थी हीरो बन कर उस कोमल को बचाने की?
सोनिया: दी मुझे लगता है हमे ही अपने भाई को बचाना होगा। उस कलमुँही के चुंगल से। और ये तो मुझे भी नहीं समझ आ रहा कि आखिर राज ने कोमल को क्यों बचाया।
रानी: बचाने को तो हम भी बचा सकते है लेकिन एक तो चंचल हमसे सीनियर है ऊपर से उसके पास मैन पावर है और साथ ही मनी पावर भी।
सोनिया: और दी उसके पास फैमिली सपोर्ट भी है जो हमारे पास बिल्कुल भी नही। अगर किसी ने गलती से भी मॉम या डैड को हमारी शिकायत कर दी ना तो बस हो गया काम।
रानी : हाँ! लेकिन ये सब तो बाद कि बात है। पहले ये सोच और बता की हम राज की मदद कैसे करे? हम राज की ज़िंदगी यूँ बर्बाद होते तो नहीं देख सकती ना।
रानी और सोनिया आपस में राज की मदद करने के बारे में सोच रही थी। वही राज अपने रूम में इधर उधर चक्कर काट रहा था।
राज बहुत बैचेन हो रहा था। यहां तक कि राज का शरीर बुरी तरह से गर्म होकर कांप रहा था। यूँही चक्कर काटते काटते राज ना जाने कब एकदम से बेहोश हो गया।
राज के बेहोश होते ही राज के बैग में पड़ा आईना बुरी तरह से चमकने लगता है। वो नीली रोशनी राज के सर पर आकर चारों तरफ इक्कठी हो जाती है। और थोड़ी ही देर में वो रोशनी राज के दोनों कानों से होते हुए राज के पूरे शरीर मे लुप्त हो जाती है।
अचानक से राज की आंख खुलती है तो राज देखता है कि उसके सामने उसके नानाजी खड़े है। राज भागता हुआ अपने नाना के पास जाना चाहता है लेकिन नही जा पाता। राज जितना भागता है उतना राज के नाना राज से दूर होते जाते है।या फिर यूँ कहूँ की राज अपनी जगह से इंच भर भी आगे नहीं दौड़ पाता क्योंकि उसके बराबर उसके पैरों के नीचे की ज़मीन चलती रहती है