hotaks444
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"हां स्वेता ..बस अब शायद आखरी पड़ाव है उसका ..हां अब निकल जाएगा ... बस थोड़ी देर और ..." और मैने एक जोरदार तरीके वहाँ चाटा और पूरी साफ हो गयी ..पर कुछ आइस क्रीम पिघल कर चूत की फाँक में भी चली गयी ....उसकी ठंडक से स्वेता सीहर उठी ...चूत की दीवारों मे हल्का कंपन हो रहा था ...मेरी भी हालत खराब थी ..स्वेता की मुट्ठी पूरी गीली थी और उसने मेरा लंड अच्छी तरेह जाकड़ रखा था और उसकी चॅम्डी भी धीरे धीरे उपर नीचे कर रही थी ...
आखरी पड़ाव पर आइस क्रीम डालने के पहले मैने स्वेता को धीरे से उठाया और उसकी पीठ सोफे के बॅक रेस्ट पर टिका दिया ...पर उसका हाथ मेरे लौडे को अभी भी जकड़ा था ...उसे सोफे को एड्ज पर बिठाया और टाँगें फैला दीं ...स्वेता भी आनेवाले पलों की नज़ाकत समझ चूकि थी ..:हां हां अब तो तुम्हारी जान निकली ही9 निकली ...हां जल्दी जल्दी ...ऊवू करो ना प्रीत प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ...हो करना है करो ..करूऊऊऊऊऊऊऊ.." और उसका हाथ मेरे लंड पर तेज़ होता गया ..उपर नीचे ..मुझ से भी बर्दास्त नहीं हो रहा था ...
मैने चम्मच भरा और अपने दूसरे हाथ से उसकी चूत फैलाया ..आआआआः गुलाबी चूत का मुँह पूरा ख़ूला था ....मैने पूरी आइस क्रीम डाल दी वहाँ .....स्वेता कांप उठी .... उसके जांघों मे सीहरन सी हो गयी ...और मैं अपनी जीभ लिए उसकी चूत पर टूट पड़ा ..मेरा एक पैर उसकी टाँगों के बीच नीचे फर्श पर था और दूसरी टाँग सोफे पर ...उसका एक हाथ मेरे लौडे से खेल रहा था और दूसरा हाथ मेरे सर को अपनी चूत से दबा रखा था ....और मैं जीभ उसकी चूत से लगाया था ...चाट रहा था ..उपर नीचे ..उपर नीचे ...सटा सॅट ..लपा लॅप ...दोनों मस्ती की चरम सीमा की ओर बढ़ते जा रहे थे .....स्वेता सीहर रही थी ..कांप रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी बॅड बड़ा रही थी ..."आआआः आआआआआः ..उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...ऊऊऊओ ..प्रीत .हां चाटो ..चाटो ..चाटो ..निकाल दो ..निकाल दो " ...मैं चाटे जा रहा था ..बे तहाशा ..मेरी जीभ भी अब कड़ी हो गयी थी ....उसके चूत के पानी .और आइस क्रीम की वजह से पूरी तरेह लूब्रिकेटेड थी ..पूरी का पुर जीभ अंदर थी .....जैसे कि लॉडा ही अंदर हो ..मैं जीभ से स्वेता को चोद रहा था .फक... फक..फक .".हाआँ हाआँ राजा ..मेरे राजा ...आआआः क्या कर रहे हो ..चाट रहे हो कि चोद रहे हो ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जो भी कर रहे हो ...अया किए जाओ ...प्रीत हां ..हाँ किए जाओ ...." उसकी जाँघ थरथरा रही थी ,,चूतड़ उछल रहे थे और मेरा लॉडा उसकी उंगलियों में छटपटा रहा था ..बेचैन था ...मुझे भी लग रहा था मैं गया ..अब गया ..उसके उंगलियाँ तेज़ और तेज़ चल रही थी मेरे लंड पर ...
थोड़ी देर और मेरे जीभ से चाटने और चोदने के बाद स्वेता ने मेरे सर को जोरों से जकड़ते हुए अपनी चूत से लगा लिया ...अपनी चूतड़ उछाली ,जीभ पूरी की पूरी चूत में समाई थी और चीखने लगी .."आआआआआआआआआह ऊऊऊऊऊओ मैं तो गायईीईईईईईईईईईईई ..अया मैं गाइिईईईईईईई आआआआआआआआआआआआआआआआः " और उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूट पड़ा ..मेरे मुँह में ...मेरे गालों पर ..मेरे होंठों में और मेरे जीभ में ..मैने पूरी जीभ अपने मुँह में ले ली और उसका पानी अंदर ले लिया ...ऊऊओह क्या टेस्ट था नमकीन ..मीठा चिप चीपा ..इट वाज़ हेवन्ली ..... आइस क्रीम और उसके चूतरस का मिक्स्चर ऐसा कभी पहले महसूस नहीं हुआ ...स्वेता निढाल हो कर पड़ी थी सोफे पर ..मेरे लौडे से भी उसका हाथ हट गया था ..मैने अपने लौडे को थामा और दो चार झटके दिए अपने हाथ से और मेरा लॉडा भी पिचकारी छोड़ने लगा ..उसकी पेट पर ..उसकी चूचियों पर और...पूरे का पूरा खाली हो गया ..मैं उसकी बगल में उसे थामे उसकी चूचियों पर सर रखे बैठ गया..दोनों लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ... स्वेता की चूत अभी भी कांप रही थी ..उसकी चूत से उसकी चूतरस , बचा कुचा पीघला आइस क्रीम रीस्ता जा रहा था ...और साथ में मेरी जान भी ..हां मेरी जान निकल गयी आज स्वेता के गूदाज और भरे भरे जिस्म को चाटने में...
दोनों एक दूसरे की बाहों में थे ...काफ़ी देर तक ...फिर उस ने मुझे अपने से अलग करते हुए कहा .."अब तो छोड़ो ना ..जान तो निकल ही गयी तुम्हारी ..ही ही ही .."
"हां स्वेता ...तुम्हारे इतने भरे भरे जिस्म की लिकिंग में सही में मेरी जान निकल गयी..पर स्वेता .." और मैं कहते कहते रुक गया ...
"अब क्या बाकी रह गया ..सब कुछ तो तुम ने चाट लिया ... "
मैने उसकी ओर बड़े शरारती नज़र से देखा और कहा " उम्म्म्मम ...स्वेता अभी एक जगह तो बाकी है .." और मैं उसके चूतडो को अपनी हाथों में ले कर मसल्ने लगा ... और उसकी दरार में अपनी उंगली फेरने लगा ...
उस ने आँखें चौड़ी करते हुए मेरे को बनावटी गुस्से से घूरा और कहा .."छीई ... वो भी कोई चाटने की जगह है ..??? तुम बड़े गंदे हो ..."
"हा हा हा !! प्यार और सेक्स में कोई भी चीज़ बूरी और गंदी नहीं स्वेता ..."
" अच्छा अच्छा ..रहने तो अपनी ज्ञान की बातें ...टाइम बहोत हो गया ..मैं अब जाऊंगी प्रीत ..प्लज़्ज़्ज़ जाने दो ..." और मुझे हटाते हुए वो बाथरूम की ओर चली गयी ... अपने कपड़े साथ में लेते हुए ...
तब तक मैं भी दूसरी बाथरूम में जा कर फ्रेश हो गया और कपड़े पहेन लिए .
वो फिर से फ्रेश हो कर तैय्यार थी ..उस ने मुझे हल्के से किस किया और बड़े प्यार से कहा "थॅंक्स प्रीत .."
और फिर अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकली ... गेट खोला ..मुझे बाइ किया और चल पड़ी अपने घर की ओर...
स्वेता अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकल तो गयी , पर जाते जाते उसके चूतडो का लहराना, मटकना और पतली शिफ्फॉन की साड़ी के अंदर से हिलना और उछलना ..मेरे दिलो-दिमाग़ में फिर से एक हलचल मचा दी ....क्या हिप्स हैं ...और सब से बढ़िया बात एक दम सुडौल , गोल उभरे हुए ..जैसे साड़ी के बाहर अब आए कि तब..उसने अपनी बॉडी फैलने नहीं दी थी ..लगता है काफ़ी एक्सर्साइज़ वग़ैरह करती होगी ..अगली बार आएगी तो ज़रूर पता करूँगा ..क्यूंकी ज़्यातादार मोटी औरतें फैल जाती हैं और उनके मसल्स टाइट होने की बजाय लटकने लगते हैं ..पर स्वेता ने एक्सेस फॅट को इस खूबसूरती से संभाल रखा था ..कि वो उसकी सेक्स अपील में चार चाँद लगा देते ...
मैं भी अपनी ख़ुशनसीबी पे मुस्कुरा रहा था ... मेरा अकेलापन जो मुझे खाने को दौड़ता था ..अब भारती और स्वेता के संग बीताए सुनेहरे पलों की याद में बड़ी मजेदार हो जाती ..मेरा लॉडा तन्ना जाता ... शरीर में एक झुरजुरी सी उठती ...
दो चार मुलाक़ातों में ही दोनों से इतनी दोस्ती हो गयी थी , जैसे हम कितने अरसे से एक दूसरे को जानते हों ...दोनों काफ़ी जिन्दादिल थीं और जिंदगी जीने की , जिंदगी के हर पल का लुत्फ़ उठाने की दोनों में तीव्र लालसा थी ...ऐसे लोग कम ही मिलते हैं ..मैं अपनी किस्मत सराह रहा था ..
आखरी पड़ाव पर आइस क्रीम डालने के पहले मैने स्वेता को धीरे से उठाया और उसकी पीठ सोफे के बॅक रेस्ट पर टिका दिया ...पर उसका हाथ मेरे लौडे को अभी भी जकड़ा था ...उसे सोफे को एड्ज पर बिठाया और टाँगें फैला दीं ...स्वेता भी आनेवाले पलों की नज़ाकत समझ चूकि थी ..:हां हां अब तो तुम्हारी जान निकली ही9 निकली ...हां जल्दी जल्दी ...ऊवू करो ना प्रीत प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ...हो करना है करो ..करूऊऊऊऊऊऊऊ.." और उसका हाथ मेरे लंड पर तेज़ होता गया ..उपर नीचे ..मुझ से भी बर्दास्त नहीं हो रहा था ...
मैने चम्मच भरा और अपने दूसरे हाथ से उसकी चूत फैलाया ..आआआआः गुलाबी चूत का मुँह पूरा ख़ूला था ....मैने पूरी आइस क्रीम डाल दी वहाँ .....स्वेता कांप उठी .... उसके जांघों मे सीहरन सी हो गयी ...और मैं अपनी जीभ लिए उसकी चूत पर टूट पड़ा ..मेरा एक पैर उसकी टाँगों के बीच नीचे फर्श पर था और दूसरी टाँग सोफे पर ...उसका एक हाथ मेरे लौडे से खेल रहा था और दूसरा हाथ मेरे सर को अपनी चूत से दबा रखा था ....और मैं जीभ उसकी चूत से लगाया था ...चाट रहा था ..उपर नीचे ..उपर नीचे ...सटा सॅट ..लपा लॅप ...दोनों मस्ती की चरम सीमा की ओर बढ़ते जा रहे थे .....स्वेता सीहर रही थी ..कांप रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी बॅड बड़ा रही थी ..."आआआः आआआआआः ..उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...ऊऊऊओ ..प्रीत .हां चाटो ..चाटो ..चाटो ..निकाल दो ..निकाल दो " ...मैं चाटे जा रहा था ..बे तहाशा ..मेरी जीभ भी अब कड़ी हो गयी थी ....उसके चूत के पानी .और आइस क्रीम की वजह से पूरी तरेह लूब्रिकेटेड थी ..पूरी का पुर जीभ अंदर थी .....जैसे कि लॉडा ही अंदर हो ..मैं जीभ से स्वेता को चोद रहा था .फक... फक..फक .".हाआँ हाआँ राजा ..मेरे राजा ...आआआः क्या कर रहे हो ..चाट रहे हो कि चोद रहे हो ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जो भी कर रहे हो ...अया किए जाओ ...प्रीत हां ..हाँ किए जाओ ...." उसकी जाँघ थरथरा रही थी ,,चूतड़ उछल रहे थे और मेरा लॉडा उसकी उंगलियों में छटपटा रहा था ..बेचैन था ...मुझे भी लग रहा था मैं गया ..अब गया ..उसके उंगलियाँ तेज़ और तेज़ चल रही थी मेरे लंड पर ...
थोड़ी देर और मेरे जीभ से चाटने और चोदने के बाद स्वेता ने मेरे सर को जोरों से जकड़ते हुए अपनी चूत से लगा लिया ...अपनी चूतड़ उछाली ,जीभ पूरी की पूरी चूत में समाई थी और चीखने लगी .."आआआआआआआआआह ऊऊऊऊऊओ मैं तो गायईीईईईईईईईईईईई ..अया मैं गाइिईईईईईईई आआआआआआआआआआआआआआआआः " और उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूट पड़ा ..मेरे मुँह में ...मेरे गालों पर ..मेरे होंठों में और मेरे जीभ में ..मैने पूरी जीभ अपने मुँह में ले ली और उसका पानी अंदर ले लिया ...ऊऊओह क्या टेस्ट था नमकीन ..मीठा चिप चीपा ..इट वाज़ हेवन्ली ..... आइस क्रीम और उसके चूतरस का मिक्स्चर ऐसा कभी पहले महसूस नहीं हुआ ...स्वेता निढाल हो कर पड़ी थी सोफे पर ..मेरे लौडे से भी उसका हाथ हट गया था ..मैने अपने लौडे को थामा और दो चार झटके दिए अपने हाथ से और मेरा लॉडा भी पिचकारी छोड़ने लगा ..उसकी पेट पर ..उसकी चूचियों पर और...पूरे का पूरा खाली हो गया ..मैं उसकी बगल में उसे थामे उसकी चूचियों पर सर रखे बैठ गया..दोनों लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ... स्वेता की चूत अभी भी कांप रही थी ..उसकी चूत से उसकी चूतरस , बचा कुचा पीघला आइस क्रीम रीस्ता जा रहा था ...और साथ में मेरी जान भी ..हां मेरी जान निकल गयी आज स्वेता के गूदाज और भरे भरे जिस्म को चाटने में...
दोनों एक दूसरे की बाहों में थे ...काफ़ी देर तक ...फिर उस ने मुझे अपने से अलग करते हुए कहा .."अब तो छोड़ो ना ..जान तो निकल ही गयी तुम्हारी ..ही ही ही .."
"हां स्वेता ...तुम्हारे इतने भरे भरे जिस्म की लिकिंग में सही में मेरी जान निकल गयी..पर स्वेता .." और मैं कहते कहते रुक गया ...
"अब क्या बाकी रह गया ..सब कुछ तो तुम ने चाट लिया ... "
मैने उसकी ओर बड़े शरारती नज़र से देखा और कहा " उम्म्म्मम ...स्वेता अभी एक जगह तो बाकी है .." और मैं उसके चूतडो को अपनी हाथों में ले कर मसल्ने लगा ... और उसकी दरार में अपनी उंगली फेरने लगा ...
उस ने आँखें चौड़ी करते हुए मेरे को बनावटी गुस्से से घूरा और कहा .."छीई ... वो भी कोई चाटने की जगह है ..??? तुम बड़े गंदे हो ..."
"हा हा हा !! प्यार और सेक्स में कोई भी चीज़ बूरी और गंदी नहीं स्वेता ..."
" अच्छा अच्छा ..रहने तो अपनी ज्ञान की बातें ...टाइम बहोत हो गया ..मैं अब जाऊंगी प्रीत ..प्लज़्ज़्ज़ जाने दो ..." और मुझे हटाते हुए वो बाथरूम की ओर चली गयी ... अपने कपड़े साथ में लेते हुए ...
तब तक मैं भी दूसरी बाथरूम में जा कर फ्रेश हो गया और कपड़े पहेन लिए .
वो फिर से फ्रेश हो कर तैय्यार थी ..उस ने मुझे हल्के से किस किया और बड़े प्यार से कहा "थॅंक्स प्रीत .."
और फिर अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकली ... गेट खोला ..मुझे बाइ किया और चल पड़ी अपने घर की ओर...
स्वेता अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकल तो गयी , पर जाते जाते उसके चूतडो का लहराना, मटकना और पतली शिफ्फॉन की साड़ी के अंदर से हिलना और उछलना ..मेरे दिलो-दिमाग़ में फिर से एक हलचल मचा दी ....क्या हिप्स हैं ...और सब से बढ़िया बात एक दम सुडौल , गोल उभरे हुए ..जैसे साड़ी के बाहर अब आए कि तब..उसने अपनी बॉडी फैलने नहीं दी थी ..लगता है काफ़ी एक्सर्साइज़ वग़ैरह करती होगी ..अगली बार आएगी तो ज़रूर पता करूँगा ..क्यूंकी ज़्यातादार मोटी औरतें फैल जाती हैं और उनके मसल्स टाइट होने की बजाय लटकने लगते हैं ..पर स्वेता ने एक्सेस फॅट को इस खूबसूरती से संभाल रखा था ..कि वो उसकी सेक्स अपील में चार चाँद लगा देते ...
मैं भी अपनी ख़ुशनसीबी पे मुस्कुरा रहा था ... मेरा अकेलापन जो मुझे खाने को दौड़ता था ..अब भारती और स्वेता के संग बीताए सुनेहरे पलों की याद में बड़ी मजेदार हो जाती ..मेरा लॉडा तन्ना जाता ... शरीर में एक झुरजुरी सी उठती ...
दो चार मुलाक़ातों में ही दोनों से इतनी दोस्ती हो गयी थी , जैसे हम कितने अरसे से एक दूसरे को जानते हों ...दोनों काफ़ी जिन्दादिल थीं और जिंदगी जीने की , जिंदगी के हर पल का लुत्फ़ उठाने की दोनों में तीव्र लालसा थी ...ऐसे लोग कम ही मिलते हैं ..मैं अपनी किस्मत सराह रहा था ..