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4.
वो आदमी उसे अपने साथ हॉस्पिटल ले गया। राज की हालत बहुत खराब थी,उसका सिर फट गया था और उसका पैर भी टूट गया था। शीतल , राज की हालत देखकर बहुत तेज रोने लगी,तभी उससे एक नर्स ने पूछा-“क्या आप उनकी पत्नी हैं। ?
“हाँ।” शीतल ने कहा।
“आप 4-5 लाख रुपयों की व्यवस्था कर लीजिए इनके ऑपरेशन के लिए,”नर्स ने कहा।
“ये बच तो जाएँगे,”शीतल ने पूछा।
“कुछ कहा नही जा सकता,बहुत ही कम उम्मीद है बचने की। डॉक्टर्स ऑपरेशन कर रहे हैं बस आप पैसों का इंतज़ाम कर लीजिए,” नर्स ने कहा।
शीतल को समझ नही आ रहा था की वो क्या करे कहाँ से पैसे लाए। उसने सोचा की अपने घर चली जाए लेकिन उसके माँ-पापा इतना रुपेया नही दे पाएँगे। अन्त में उसने राज के घर जाने के लिए सोचा।
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रात के 11 बज रहे थे और बाहर बहुत सर्दी थी,शीतल ने मात्र एक सलवार-सूट पहना था। वो ऐसे ही राज के घर की ओर चल दी हल्की–हल्की बूंदे भी गिर रही लेकिन शीतल को इन सब की परवाह नही थी। करीब 12 बजे वो राज के घर पहुँच गयी। उसने दरवाजा खटखटाया,दरवाजा उसकी भाभी ने खोला।
“भाभी,राज का एक्सिडेंट हो गया है,उनकी हालत बहुत नाज़ुक है। ऑपरेशन के लिए 4-5 लाख रुपये चाहिए,” उन्हें देखते ही शीतल बोली।
“कहीं और जाकर भीख माँगो यहाँ कुछ नही मिलेगा,” उसकी भाभी ने कहा और दरवाजा बंद कर लिया।
बारिश भी तेज होने लगी थी शीतल वहीं बाहर बारिश में भीगती खड़ी रही। उसने फिर दरवाजा खटखटाया। इस बार फिर दरवाजा उसकी भाभी ने खोला लेकिन इस बार घर के सभी लोग जाग गये थे।
“तुम गयी नही,”भाभी ने कहा।
“आपको जो कहना है वो बाद में कहिएगा । अभी आप मेरे साथ हॉस्पिटल चलिए,”शीतल ने कहा।
“राज तुम्हारे लिए घर छोड़ सकता है , तुम उसके लिए कुछ नही कर सकती,रुपयों की ज़रूरत है तो खुद को बेच दो। सुंदर हो,बहुत पैसे मिल जाएँगे,”राज के भाई ने कहा।
शीतल सिर झुकाए खड़ी रही । वो कुछ भी नही बोल सकी।
“तुम राज को छोड़ कर चली जाओ , हम राज का पूरा इलाज कराएँगे और उसे घर भी ले आएँगे,” राज के पापा ने कहा।
“पापा जी,मैंने उनसे शादी की है , मैं उन्हें नही छोड़ सकती। वो आपका बेटा है , आप को उसकी जिंदगी की कोई परवाह नही है,” शीतल ने कहा।
“हमें अपने बेटे की परवाह है लेकिन उससे ज़्यादा तुमसे नफ़रत है। हम उसे खो सकते हैं पर तुम्हे अपना नही सकते,” राज की माँ ने कहा।
“आप तो ऐसा ना कहिए अगर उनका इलाज अच्छे से नही हुआ तो वो मर जाएँगे। डॉक्टर ने कहा है कि उनका बच पाना बहुत मुश्किल है,” शीतल ने कहा।
“यहाँ भीख नही मिलेगी कहीं और जाओ ,” इतना कहकर राज के भाई ने दरवाजा बंद कर लिया।
शीतल वहीं बारिश में भीगती खड़ी रही। वो इंतज़ार करती रही की शायद कोई फिर से बाहर आए और उसकी मदद करे। उसे खड़े-खड़े 3 बज गये पर कोई भी बाहर नही आया। बारिश भी थम चुकी थी। शीतल का बदन ठंड से कांप रहा था।
अब और इंतज़ार करना बेकार था। वो वहाँ से चल दी पर हॉस्पिटल जाने की उसकी हिम्मत नही हुई वो ये सोच रही थी अगर राज ने ठीक होने के बाद पूछा कि क्या वो उसके घर मदद माँगने गयी थी तो वो क्या कहेगी,उसके घर में किसी को उसके मरने-जीने से कोई फ़र्क नही पड़ता है। वो सब उसे इतना प्यार नही करते हैं जितनी की मुझसे नफ़रत।
वो सुषमा के घर गयी,सुषमा उसी के साथ उसके ऑफिस में काम करती थी दोनों की जॉब एक साथ लगी थी। सुषमा उसे घर के अंदर ले गयी। उस समय सुबह के 4 बज रहे थे।
“क्या हुआ? तुम इतनी सुबह-सुबह यहाँ,राज से फिर से लड़ाई हुई,” सुषमा ने पूछा।
“नही।”
“तो फिर क्या हुआ और तुम्हारे कपड़े क्यों गीले हैं?”सुषमा ने पूछा।
“राज का एक्सिडेंट हो गया है,मुझे 4-5 लाख रुपयों की ज़रूरत है,”शीतल ने कहा।
“मेरे पास इतने रुपये नही हैं। मैं ऑफिस के और लोगों से कॉन्टेक्ट करती हूँ , शायद वो कुछ मदद कर सकें,” सुषमा ने कहा।
वो आदमी उसे अपने साथ हॉस्पिटल ले गया। राज की हालत बहुत खराब थी,उसका सिर फट गया था और उसका पैर भी टूट गया था। शीतल , राज की हालत देखकर बहुत तेज रोने लगी,तभी उससे एक नर्स ने पूछा-“क्या आप उनकी पत्नी हैं। ?
“हाँ।” शीतल ने कहा।
“आप 4-5 लाख रुपयों की व्यवस्था कर लीजिए इनके ऑपरेशन के लिए,”नर्स ने कहा।
“ये बच तो जाएँगे,”शीतल ने पूछा।
“कुछ कहा नही जा सकता,बहुत ही कम उम्मीद है बचने की। डॉक्टर्स ऑपरेशन कर रहे हैं बस आप पैसों का इंतज़ाम कर लीजिए,” नर्स ने कहा।
शीतल को समझ नही आ रहा था की वो क्या करे कहाँ से पैसे लाए। उसने सोचा की अपने घर चली जाए लेकिन उसके माँ-पापा इतना रुपेया नही दे पाएँगे। अन्त में उसने राज के घर जाने के लिए सोचा।
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रात के 11 बज रहे थे और बाहर बहुत सर्दी थी,शीतल ने मात्र एक सलवार-सूट पहना था। वो ऐसे ही राज के घर की ओर चल दी हल्की–हल्की बूंदे भी गिर रही लेकिन शीतल को इन सब की परवाह नही थी। करीब 12 बजे वो राज के घर पहुँच गयी। उसने दरवाजा खटखटाया,दरवाजा उसकी भाभी ने खोला।
“भाभी,राज का एक्सिडेंट हो गया है,उनकी हालत बहुत नाज़ुक है। ऑपरेशन के लिए 4-5 लाख रुपये चाहिए,” उन्हें देखते ही शीतल बोली।
“कहीं और जाकर भीख माँगो यहाँ कुछ नही मिलेगा,” उसकी भाभी ने कहा और दरवाजा बंद कर लिया।
बारिश भी तेज होने लगी थी शीतल वहीं बाहर बारिश में भीगती खड़ी रही। उसने फिर दरवाजा खटखटाया। इस बार फिर दरवाजा उसकी भाभी ने खोला लेकिन इस बार घर के सभी लोग जाग गये थे।
“तुम गयी नही,”भाभी ने कहा।
“आपको जो कहना है वो बाद में कहिएगा । अभी आप मेरे साथ हॉस्पिटल चलिए,”शीतल ने कहा।
“राज तुम्हारे लिए घर छोड़ सकता है , तुम उसके लिए कुछ नही कर सकती,रुपयों की ज़रूरत है तो खुद को बेच दो। सुंदर हो,बहुत पैसे मिल जाएँगे,”राज के भाई ने कहा।
शीतल सिर झुकाए खड़ी रही । वो कुछ भी नही बोल सकी।
“तुम राज को छोड़ कर चली जाओ , हम राज का पूरा इलाज कराएँगे और उसे घर भी ले आएँगे,” राज के पापा ने कहा।
“पापा जी,मैंने उनसे शादी की है , मैं उन्हें नही छोड़ सकती। वो आपका बेटा है , आप को उसकी जिंदगी की कोई परवाह नही है,” शीतल ने कहा।
“हमें अपने बेटे की परवाह है लेकिन उससे ज़्यादा तुमसे नफ़रत है। हम उसे खो सकते हैं पर तुम्हे अपना नही सकते,” राज की माँ ने कहा।
“आप तो ऐसा ना कहिए अगर उनका इलाज अच्छे से नही हुआ तो वो मर जाएँगे। डॉक्टर ने कहा है कि उनका बच पाना बहुत मुश्किल है,” शीतल ने कहा।
“यहाँ भीख नही मिलेगी कहीं और जाओ ,” इतना कहकर राज के भाई ने दरवाजा बंद कर लिया।
शीतल वहीं बारिश में भीगती खड़ी रही। वो इंतज़ार करती रही की शायद कोई फिर से बाहर आए और उसकी मदद करे। उसे खड़े-खड़े 3 बज गये पर कोई भी बाहर नही आया। बारिश भी थम चुकी थी। शीतल का बदन ठंड से कांप रहा था।
अब और इंतज़ार करना बेकार था। वो वहाँ से चल दी पर हॉस्पिटल जाने की उसकी हिम्मत नही हुई वो ये सोच रही थी अगर राज ने ठीक होने के बाद पूछा कि क्या वो उसके घर मदद माँगने गयी थी तो वो क्या कहेगी,उसके घर में किसी को उसके मरने-जीने से कोई फ़र्क नही पड़ता है। वो सब उसे इतना प्यार नही करते हैं जितनी की मुझसे नफ़रत।
वो सुषमा के घर गयी,सुषमा उसी के साथ उसके ऑफिस में काम करती थी दोनों की जॉब एक साथ लगी थी। सुषमा उसे घर के अंदर ले गयी। उस समय सुबह के 4 बज रहे थे।
“क्या हुआ? तुम इतनी सुबह-सुबह यहाँ,राज से फिर से लड़ाई हुई,” सुषमा ने पूछा।
“नही।”
“तो फिर क्या हुआ और तुम्हारे कपड़े क्यों गीले हैं?”सुषमा ने पूछा।
“राज का एक्सिडेंट हो गया है,मुझे 4-5 लाख रुपयों की ज़रूरत है,”शीतल ने कहा।
“मेरे पास इतने रुपये नही हैं। मैं ऑफिस के और लोगों से कॉन्टेक्ट करती हूँ , शायद वो कुछ मदद कर सकें,” सुषमा ने कहा।