hotaks444
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मैं अपने घुटनों को पेट से लगाए झुक कर एकदम उसके पास पहुँच गया और उस खुशबू को फेफड़ों में भरने लगा जो रस से जारी हो रही थी…
कुछ कुछ खरबूज जैसी गंध थी जो मेरे तनमन में न सिर्फ रोमांच भर रही थी बल्कि मेरे लिंग को इस कदर कड़ा होने पर मजबूर कर रही थी कि लग रहा था जैसे फट ही पड़ेगा।
मैंने वहाँ पर, जहाँ उसका भगांकुर उत्तेजित अवस्था में उभरा हुआ था- अपने होंठ टिका दिये।
वह एक बार फिर ज़ोर से कांपी…
और मैंने उसके कूल्हों में उंगलियाँ धंसाते हुए अपनी जीभ नीचे छेद की तरफ से लगाकर ऊपर क्लिटरिस हुड तक ज़ोर से खींचता चला गया।
उसकी ज़ोर की सिसकारी छूट गई…
वह इतनी जोर से तड़पी कि मुझे पीछे ठेल कर अपनी टांगें समेट लीं और बिस्तर की चादर को ताक़त से खींच कर अपने जिस्म को छुपा लिया और चेहरा नीचे करके हाँफने लगी।
मैं भी पास ही बैठा अपनी साँसें दुरुस्त करने लगा।
‘गुदगुदी हो रही थी… मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था।’ उसने भारी साँसों के साथ कहा।
‘ओके- रिलैक्स! छोड़ो, हम दूसरी बात करते हैं, ये बाल कभी बनाती नहीं क्या?’
‘कभी रेज़र, ब्लेड या हेयर रिमूवर नहीं यूज़ किया। बस कैंची से कुतर कर छोटे कर लेती हूँ।’
‘अगर चाहती हो कि इस गोरे मक्खन जैसे बदन के साथ ये हिस्सा मैच करता रहे तो इन दोनों में से कोई चीज़ यूज़ न करना क्योंकि दोनों ही से आसपास की त्वचा काली पड़ जाती है, बल्कि वैक्सिंग से बाल निकलवाना। स्किन ऐसी ही बनी रहेगी।’
‘यहाँ कौन करता हैं ‘वहाँ’ की वैक्सिंग। बगलों की कराती हूँ… एक बार ऐसी ही पार्लर वाली से पूछा था तो हंसने लगी थी कि अभी हम इतने एडवांस नहीं हुए। हेयर रिमूवर से काम चलाइए।’
‘चलो अभी कैंची से काम चलाओ, बाद में अपने हबी से वैक्सिंग कराना। कल कैंची से कुतर कर छोटे कर लेना।’
‘ठीक है, अब तुम जाओ। आज के लिए इतना डोज़ काफी है और हाँ अपना मोबाइल छोड़े जाओ। सोने से पहले मैं छत पे जाकर तुम्हारी दीवार पे रख दूंगी, तुम सुबह उठते ही उठा लेना।’
‘मेरा मोबाइल क्यों?’
‘क्योंकि मैं नहीं चाहती कि कभी कोई पोर्नोग्राफिक वेब हिस्ट्री मेरी आईपी के साथ अटैच पाई जाए।’
‘ओके… पर पोर्न साइट्स पता हैं। ‘
‘नहीं- वह भी बता के जाओ।’
मैंने उसे और इन्डियन पोर्न विडियो साइट बताई और चोरों की तरह वहाँ से रुखसत होकर अपने कमरे में आ गया।
पर मेरी जो हालत थी उसमें नींद आ पाना मुमकिन नहीं था।
एक ही विकल्प था कि मैं हाथ के घर्षण से वीर्यपात करूँ और चुपचाप सो जाऊं… मैंने ऐसा ही किया।
अगले दिन मंगल था… मैं सुबह फोन उठा लाया था।
उसने व्हाट्सप्प पे मैसेज कर दिया था कि रात देर से सोई थी इसलिए दिन की शुरुआत ग्यारह बजे होगी।
मैं उसकी हालत समझ सकता था।
सुबह नाश्ता पानी करके मैं फोन पर टाईमपास करने लगा।
और ठीक ग्यारह बजे मुक़र्रर मुकाम पर पहुँच गया जो कि आज आर्यकन्या स्कूल की तरफ था जहाँ से मैं उसके मुताबिक बाइक चलाते रेजीडेन्सी ले आया।
बाइक साइड में स्टैंड पे जमा करके हम अंदर आ गए।
घुसते ही जो बाईं तरफ खंडहर थे वहाँ पहुँच कर जैसे ही हम थोड़ी आड़ में हुए, उसने जिस्म पे मढ़ा नक़ाब और स्कार्फ़ उतार कर अपने पर्स में ठूंस लिया।
उसके तन पे उन्ही कपड़ों में से एक जीन्स और टी-शर्ट थी जो उसने कल खरीदे थे।
बाल भी उसने इसी काया के अनुरूप पोनी टेल की सूरत में बांध रखे थे और अपने वास्तविक रूप से बिल्कुल अलग लग रही थी।
गले में स्टोल डाल रखा था जो चेहरे को कवर करने के काम आना था शायद, फ़िलहाल तो चाँद सा नूरानी चेहरा आवरण रहित था।
‘मारव्लस!’ मैं प्रशंसात्मक स्वर में बोला- ग़ज़ब लग रही हो! सेक्सी दिख रही हो! जैसी बहनजी टाइप बनी रहती हो उसके एकदम उलट!’
वह फरमाइशी ढंग से हंसी।
मैंने उसे बाँहों में दबोच लिया, उसने छटपटा कर निकलने की कोशिश की लेकिन सफलता तभी मिली जब उधर कोई और आ गया।
वहाँ से हटकर हम उधर कब्रिस्तान की तरफ निकल आये जहाँ झाड़ियों में आलरेडी कई जोड़े घुसे हुए थे।
एक झुरमुट हमें भी खाली मिल गया तो हम भी उसी में ‘फिट’ हो गए।
वहाँ इस बात की आसानी थी कि मैं उसे न सिर्फ बाँहों में दबोच सकता था बल्कि अपने हाथ उसके बूब्स की मालिश मर्दन में लगा सकता था।
न सिर्फ ऊपर से बल्कि उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल कर ब्रा को ऊपर की तरफ धकेल कर दोनों कबूतरों को नीचे खींच लिया था और हौले हौले उन स्पंजी मम्मों क सहला दबा रहा था।
जैसी उम्मीद थी उसने रोकने की कोशिश की थी लेकिन जल्द ही इस मर्दन और रगड़न का मज़ा मिलते ही उसने हथियार डाल दिए थे।
और अब वस्तुस्थिति यह थी कि वह अधलेटी सी मेरी गोद में थी और मैं दोनों हाथों से उसके मम्मों का मर्दन कर रहा था।
कुछ कुछ खरबूज जैसी गंध थी जो मेरे तनमन में न सिर्फ रोमांच भर रही थी बल्कि मेरे लिंग को इस कदर कड़ा होने पर मजबूर कर रही थी कि लग रहा था जैसे फट ही पड़ेगा।
मैंने वहाँ पर, जहाँ उसका भगांकुर उत्तेजित अवस्था में उभरा हुआ था- अपने होंठ टिका दिये।
वह एक बार फिर ज़ोर से कांपी…
और मैंने उसके कूल्हों में उंगलियाँ धंसाते हुए अपनी जीभ नीचे छेद की तरफ से लगाकर ऊपर क्लिटरिस हुड तक ज़ोर से खींचता चला गया।
उसकी ज़ोर की सिसकारी छूट गई…
वह इतनी जोर से तड़पी कि मुझे पीछे ठेल कर अपनी टांगें समेट लीं और बिस्तर की चादर को ताक़त से खींच कर अपने जिस्म को छुपा लिया और चेहरा नीचे करके हाँफने लगी।
मैं भी पास ही बैठा अपनी साँसें दुरुस्त करने लगा।
‘गुदगुदी हो रही थी… मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था।’ उसने भारी साँसों के साथ कहा।
‘ओके- रिलैक्स! छोड़ो, हम दूसरी बात करते हैं, ये बाल कभी बनाती नहीं क्या?’
‘कभी रेज़र, ब्लेड या हेयर रिमूवर नहीं यूज़ किया। बस कैंची से कुतर कर छोटे कर लेती हूँ।’
‘अगर चाहती हो कि इस गोरे मक्खन जैसे बदन के साथ ये हिस्सा मैच करता रहे तो इन दोनों में से कोई चीज़ यूज़ न करना क्योंकि दोनों ही से आसपास की त्वचा काली पड़ जाती है, बल्कि वैक्सिंग से बाल निकलवाना। स्किन ऐसी ही बनी रहेगी।’
‘यहाँ कौन करता हैं ‘वहाँ’ की वैक्सिंग। बगलों की कराती हूँ… एक बार ऐसी ही पार्लर वाली से पूछा था तो हंसने लगी थी कि अभी हम इतने एडवांस नहीं हुए। हेयर रिमूवर से काम चलाइए।’
‘चलो अभी कैंची से काम चलाओ, बाद में अपने हबी से वैक्सिंग कराना। कल कैंची से कुतर कर छोटे कर लेना।’
‘ठीक है, अब तुम जाओ। आज के लिए इतना डोज़ काफी है और हाँ अपना मोबाइल छोड़े जाओ। सोने से पहले मैं छत पे जाकर तुम्हारी दीवार पे रख दूंगी, तुम सुबह उठते ही उठा लेना।’
‘मेरा मोबाइल क्यों?’
‘क्योंकि मैं नहीं चाहती कि कभी कोई पोर्नोग्राफिक वेब हिस्ट्री मेरी आईपी के साथ अटैच पाई जाए।’
‘ओके… पर पोर्न साइट्स पता हैं। ‘
‘नहीं- वह भी बता के जाओ।’
मैंने उसे और इन्डियन पोर्न विडियो साइट बताई और चोरों की तरह वहाँ से रुखसत होकर अपने कमरे में आ गया।
पर मेरी जो हालत थी उसमें नींद आ पाना मुमकिन नहीं था।
एक ही विकल्प था कि मैं हाथ के घर्षण से वीर्यपात करूँ और चुपचाप सो जाऊं… मैंने ऐसा ही किया।
अगले दिन मंगल था… मैं सुबह फोन उठा लाया था।
उसने व्हाट्सप्प पे मैसेज कर दिया था कि रात देर से सोई थी इसलिए दिन की शुरुआत ग्यारह बजे होगी।
मैं उसकी हालत समझ सकता था।
सुबह नाश्ता पानी करके मैं फोन पर टाईमपास करने लगा।
और ठीक ग्यारह बजे मुक़र्रर मुकाम पर पहुँच गया जो कि आज आर्यकन्या स्कूल की तरफ था जहाँ से मैं उसके मुताबिक बाइक चलाते रेजीडेन्सी ले आया।
बाइक साइड में स्टैंड पे जमा करके हम अंदर आ गए।
घुसते ही जो बाईं तरफ खंडहर थे वहाँ पहुँच कर जैसे ही हम थोड़ी आड़ में हुए, उसने जिस्म पे मढ़ा नक़ाब और स्कार्फ़ उतार कर अपने पर्स में ठूंस लिया।
उसके तन पे उन्ही कपड़ों में से एक जीन्स और टी-शर्ट थी जो उसने कल खरीदे थे।
बाल भी उसने इसी काया के अनुरूप पोनी टेल की सूरत में बांध रखे थे और अपने वास्तविक रूप से बिल्कुल अलग लग रही थी।
गले में स्टोल डाल रखा था जो चेहरे को कवर करने के काम आना था शायद, फ़िलहाल तो चाँद सा नूरानी चेहरा आवरण रहित था।
‘मारव्लस!’ मैं प्रशंसात्मक स्वर में बोला- ग़ज़ब लग रही हो! सेक्सी दिख रही हो! जैसी बहनजी टाइप बनी रहती हो उसके एकदम उलट!’
वह फरमाइशी ढंग से हंसी।
मैंने उसे बाँहों में दबोच लिया, उसने छटपटा कर निकलने की कोशिश की लेकिन सफलता तभी मिली जब उधर कोई और आ गया।
वहाँ से हटकर हम उधर कब्रिस्तान की तरफ निकल आये जहाँ झाड़ियों में आलरेडी कई जोड़े घुसे हुए थे।
एक झुरमुट हमें भी खाली मिल गया तो हम भी उसी में ‘फिट’ हो गए।
वहाँ इस बात की आसानी थी कि मैं उसे न सिर्फ बाँहों में दबोच सकता था बल्कि अपने हाथ उसके बूब्स की मालिश मर्दन में लगा सकता था।
न सिर्फ ऊपर से बल्कि उसकी टी-शर्ट के अंदर डाल कर ब्रा को ऊपर की तरफ धकेल कर दोनों कबूतरों को नीचे खींच लिया था और हौले हौले उन स्पंजी मम्मों क सहला दबा रहा था।
जैसी उम्मीद थी उसने रोकने की कोशिश की थी लेकिन जल्द ही इस मर्दन और रगड़न का मज़ा मिलते ही उसने हथियार डाल दिए थे।
और अब वस्तुस्थिति यह थी कि वह अधलेटी सी मेरी गोद में थी और मैं दोनों हाथों से उसके मम्मों का मर्दन कर रहा था।