छोटी सी जान चूतो का तूफान--18
नेहा: अच्छा अब में चलती हूँ….तूने तो अब मेरे फुद्दि में और आग लगा दे…अब खुद ही उंगलियो से काम लेना पड़ेगा.
कमला: अच्छा सुन तेरा पति कब जाने वाला है मंदी ?
नेहा: बस जाने ही वाले होंगे…
कमला: अच्छा ऐसा कर, तू फिर जाकर अपनी पति को खाना वाना खिला. और खुद खा कर घर अजाना…फिर तेरे फुद्दि को शांत करती न…
नेहा: मोहित तो घर आ गया है ना…
कमला: आ गया है तो क्या हुआ, वो कॉन सा घर में टिक कर बैठता है. अभी खाना खा कर, ग्राउंड में खेलने चला जाएगा….
नेहा: अच्छा ठीक है, अगर मोका मिला तो ज़रूर आउन्गि….
उसके बाद नेहा अपने घर आ गई….नेहा गेट नॉक किया तो, थोड़ी देर बाद गीता ने आकर गेट खोला….नेहा अंदर आई, तो उसने देखा उसका पति कुलवंत उठ चुका था…और खाना खा रहा था….”उठ गए आप. और ये खाना किसने बनाया…”
गीता: मेने बनाया जीजी, वो जीजा जी को देर हो रही थी…आप भी हाथ मुँह धो लो, में आपके लिए भी खाना लगा देती हूँ…
नेहा: (गीता के गालो को प्यार से सहलाते हुए) बहुत अच्छा किया तूने. साहिल और तुमने खाना खा लिया…?
गीता: हां हमने अभी खाया है….
उसके बाद गीता ने नेहा को भी खाना दिया….कुलवंत खाना खा कर मंडी के लिए निकल गया…..कुलवंत के जाने के बाद, नेहा ने थोड़ा बहुत घर काम किया…फिर गीता और साहिल को बोल कर कमला के घर चली गई…नेहा के जाने के बाद, गीता ने गेट बंद किया, और फिर एक दम से ख़ुसी से उछल पड़ी….उसको जिस समय का बेसबरी से इंतजार था….आज वो समय आ ही गया था…
गीता गेट बंद कर रूम में गई…..साहिल बेड पर लेटा टीवी देख रहा था…गीता बेड पर चढ़ि, और साहिल को बाहों में भर कर अपने से चिपका लिया….साहिल एक दम से घबरा गया….
साहिल: क्या कर रही हो मौसी, मा आ जाएगी….
गीता: (साहिल के हाथ को पकड़ कर अपने मम्मे पर रखती हुई) तुम्हारी मम्मी गई है कमला आंटी के घर….हम दोनो घर पर अकेले है..
साहिल: सच ? (साहिल भी पिछले कुछ दिनो से फुद्दि के लिए तरस रहा था.)
गीता: (अपने होंठो को साहिल के होंठो के तरफ बढ़ाते हुए) सच….साहिल मुझे प्यार करो….(गीता ने साहिल की आँखो में झाँकते हुए कहा, और फिर अपने होंठो को साहिल के होंठो से लगा दिया)
गीता के ये बात सुनते ही, उसने कमीज़ के ऊपेर से ही, गीता की चुचि को मसल दिया…गीता तो जैसे पागल हो गई….उसने पागलो की तरह साहिल के होंठो को चूसना शुरू कर दिया…साहिल भी उसके होंठो पर टूट पड़ा…अब तक चाची के साथ चुदाई का खेल सीख-2 कर साहिल अब उसमे माहिर होता जा रहा था….दोनो के होंठो में मानो जैसे कोई जंग छिड़ गई हो…
दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे…गीता के मुँह से उंह उंह की आवाज़ें आ रही थी…जब दोनो का साँस लेना मुस्किल हो गया, तो गीता ने अपने होंठो को साहिल के होंठो से अलग किया…और फिर अपनी अधखुली नसीली आँखों से साहिल की आँखो में झाँकते हुए बोली..
गीता: ये सब कैसे सीखा ?
साहिल: (तेज़ी से साँसे लेते हुए) तुमने तो सिखाया था….
गीता अब कोई बात करके समाए नही गवाना चाहती थी….उसने लेटे हुए साहिल को अपने ऊपेर खेंच लिया….और फिर से उसके होंठो को चूसने लगी. इस बार उसने कुछ देर साहिल होंठो को चूसने के बाद, अपने होंठो को अलग कर दिया….और साहिल के सर को अपनी गर्दन पर झुकाते हुए बोली.
गीता: साहिल मुझे प्यार करो ना…मुझे किस करो. मेरे बदन के हर हिस्से को चुमो, चॅटो….खा जाओ मुझे….
साहिल जैसे ही गीता के ऊपेर आया…गीता ने अपनी टाँगे खोल ले. जिससे साहिल की टाँगें उसकी जाँघो के दरमियाँ आ गई…और उसका तना हुआ लंड उसकी निक्कर में से गीता की सलवार के ऊपेर से उसकी चूत पर जा टकराया..”आह साहिल उंह “ गीता अपनी सलवार के ऊपेर से ही, साहिल के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए, सिसक उठी….उसने अपनी टाँगो को कैंची के तरह साहिल की कमर पर लप्पेट लिया…साहिल ने भी गीता की चूत के आग को और बढ़ा दे…उसने उसके मम्मो को मसलते हुए, अपने होंठो को उसकी सुरहीदार गर्दन पर लगा दिया….और उसके गर्दन को चाटने लगा…..गीता मस्ती में फिर से सिसक उठी, उसने साहिल के सर के गिर्द घेरा बना कर उससे अपने से और चिपका लिया….
गीता: ओह्ह्ह साहिल हां खा जा मुझे आ पूरा का पूरा आहह…सीईइ साहिल आज मेरे आग बुझा दे….
साहिल भी अब पूरी तरह मस्त होकर उसकी चुचियों को मसलते हुए, उसके गर्दन को चूम रहा था….और गीता उसके सर को सहला रही थी…और बार अपनी कमर को ऊपेर के तरफ उठा कर, अपनी चूत को कपड़ो के ऊपेर से ही, साहिल के लंड पर दबा रही थी….”ओह्ह्ह साहिल आहह और ज़ोर से दबा मेरे मम्मे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह…”
फिर साहिल उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे की ओर आने लगा….और उसके कमीज़ से बाहर झाँक रहे मम्मो के ऊपेरी हिस्से को अपने होंठो में भर कर चूसने के कॉसिश करने लगा…”आह हां चुस्स अह्ह्ह्ह साहिल मेरी जान आह” ये कहते हुए, उसने अपने हाथो को साहिल के सर से हटाया, और फिर अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाकार अपनी कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर करने लगी….ये देख साहिल जो कि अपना सारा वजन गीता के ऊपेर डाले लेटा हुआ था. वो अपने घुटनो के बल गीता के जाँघो के बीच में बैठ गया….
गीता ने अपनी कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर करते हुए, उतार दिया….और फिर बेड पर बैठते हुए, अपनी ब्रा के हुक्स खोल कर उसे भी जिस्म से अलग कर दिया….ब्रा को अपने बदन से अलग करने के बाद, उसने साहिल की ओर देखा, जो उसकी 36 साइज़ के बड़ी-2 चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था.
गीता: ये तुम्हें बहुत पसनद है ना ? (गीता ने मुस्कुराते हुए साहिल की ओर देखते हुए कहा. साहिल ने भी हां में सर हिला दिया…) अच्छा जा इसे, (ब्रा को) मेरे बॅग में डाल दे….उधर दीदी के रूम में है बॅग…
साहिल ने ब्रा ली, और उठ कर अपनी चाची के रूम में गया, और ब्रा को उसके बॅग में डाल कर वापिस आ गया….जब वो दोबारा रूम में पहुँचा, तो उसने देखा, गीता ने फिर से अपनी कमीज़ पहन रखी थी…और उसने अपनी सलवार उतार रखी थी….साहिल सवालिया नज़रो से देखते हुए, बेड पर चढ़ गया.