hotaks444
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इसीलिए मैने अलमारी में से एक दुपट्टा निकाला. और उसे चौड़ा के यूँ अपनी छातियों पर ओढ़ लिया. कि जिस से ना सिर्फ़ मेरी छाती किसी मर्द के सामने वज़िया ना हो. बल्कि मेरी नंगी बाहों पर भी किसी गैर की नज़र ना पड़े.
अपनी तरफ से अपने जिस्म को छुपाने का ये इंतईज़ाम कर के में जैसे ही यासिर के सामने गई. तो ज़िंदगी में पहली बार मेरे वजूद को यूँ एक मगरबी लिबास में देख कर यासिर की आँखे खुली की खुली रह गई.
“हाईईईईईईईईईईईईई ये ड्रेस तो तुम पे बहुत ही अच्छा लग रहा है मेरी जान” मुझे अपने सामने पा कर यासिर बे काबू हुआ. और मुझे अपनी बाहों में ले कर मेरे होंठ चूमते हुए बोला.
“अच्छा अब मसके मत लगाओ और चलिए जनाब” अपने शौहर के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मेरी चूत गरम हुई. मगर मैने अपने आप को संभालते हुए यासिर से कहा.
“चलते हैं मगर तुम ये दुपट्टा तो उतारो ना पहले” मेरी बात सुन कर यासिर ने मेरे गले में पड़े दुपट्टे की तरफ इशारा किया.
“में आज तक दुपट्टे के बिना कभी घर से बाहर नही निकली, इसीलिए मुझे अजीब सा लगता है यासिर” अपने शौहर की बात के जवाब में मैने कहा.
“वो तो ठीक है मगर इस ड्रेस के साथ दुपट्टा सजता नही जान,वैसे भी तुम्हें किस बात की फिकर है जब में तुम्हारे साथ हूँ यार” यासिर ने मेरी बात का जवाब दिया. और मेरे मना करने के बावजूद दुपट्टे को मेरे गले से उतार कर मेरी बड़ी बड़ी गोल छातियों और मेरी गुदाज बाहों को दूसरे मर्दो की भूकि नज़रों के लिए खुला छोड़ दिया.
जब मेरा शौहर मुझे यूँ ही बाहर चलने का हुकम दे रहा था. तो एक अच्छी बीवी होने के नाते सिवाय उस हुकम को मानने के मेरे पास कोई और चारा नही था.
इसीलिए यासिर के इसरार पर मैने खामोशी से अपना लॅडीस बॅग उठाया. और फिर एक मशराकी बीवी की तरह अपने सरताज शौहर के पीछे चल पड़ी.
विनोद और सपना के घर के सामने पहुँच कर ज्यों ही में अपनी कार से बाहर निकली.
तो शाम के वक्त चलती दुबई की तेज हवा का एक झोंका एक दम से मेरे जिस्म से टकराया.
हवा के इस तेज झोंके की वजह से मेरी लंबी स्कर्ट एक दम से उपर को उठी.
और मुझे यूँ महसूस हुआ कि जैसे ये झोंका मेरी लंबी गुदाज रानों के दरमियाँ में से घूमता हुआ छोटी सी पैंटी में कवर मेरी फुद्दि को भी जैसे अचानक छू गया हो.
पहली बार इस तरह का ड्रेस पहने की वजह से में इस किसम के वाकियात की आदि नही थी.
इसीलिए ज्यों ही मेरी टाँगों में से होते हुए हवा के इस झोंके ने मेरी गरम फुद्दि को टच किया.
तो एक अजीब से मस्ती की लहर मेरी चूत में से उठी. जो एक दम से मेरे सारे वजूद पर छा गई. और मस्ती की वजह से मेरे मुँह से एक दम एक लज़्जत भरी “अहह” निकल गई.
“ख़ैरियत तो है,क्यों हाईईईईई कर रही हो” मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज़ को सुन कर मेरे आगे चलते यासिर ने एक दम मूड कर पीछे देखते हुए मुझ से पूछा.
“कुछ नही बस ज़रा सा पैर फिसल गया था” यासिर की बात का जवाब देते हुए में बोली.
मगर इस के साथ ही मुझे शरम भी आई कि मेरे ना चाहने के बावजूद यासिर ने मेरे मुँह से निकलने वाली हल्की सी सिसकारी सुन ली थी.
में और यासिर ज्यों ही विनोद के घर में एंटर हुए. तो उस के घर के लॉन में बहुत सारे दूसरे मेहमआनो को देख कर हमे अंदाज़ा हो गया .
कि हमारे अलावा भी दूसरे काफ़ी लोग विनोद और सपना की पार्टी में इन्वाइटेड हैं.
ज्यों ही हम दोनो मियाँ बीवी विनोद और सपना के घर में दाखिल हुए. तो विनोद और सपना ने खुश दिली के साथ हमारा इस्तिक्बाल किया.
विनोद आज भी हुस्बे मामूल पॅंट शर्ट में था. जब के सपना ने मेरी तरह आज वेस्टर्न ड्रेस तो पहना हुआ था.
मगर मेरे बडकस उस की स्कर्ट और शर्ट दोनो ही निहायत छोटी सी थी.
अपनी तरफ से अपने जिस्म को छुपाने का ये इंतईज़ाम कर के में जैसे ही यासिर के सामने गई. तो ज़िंदगी में पहली बार मेरे वजूद को यूँ एक मगरबी लिबास में देख कर यासिर की आँखे खुली की खुली रह गई.
“हाईईईईईईईईईईईईई ये ड्रेस तो तुम पे बहुत ही अच्छा लग रहा है मेरी जान” मुझे अपने सामने पा कर यासिर बे काबू हुआ. और मुझे अपनी बाहों में ले कर मेरे होंठ चूमते हुए बोला.
“अच्छा अब मसके मत लगाओ और चलिए जनाब” अपने शौहर के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मेरी चूत गरम हुई. मगर मैने अपने आप को संभालते हुए यासिर से कहा.
“चलते हैं मगर तुम ये दुपट्टा तो उतारो ना पहले” मेरी बात सुन कर यासिर ने मेरे गले में पड़े दुपट्टे की तरफ इशारा किया.
“में आज तक दुपट्टे के बिना कभी घर से बाहर नही निकली, इसीलिए मुझे अजीब सा लगता है यासिर” अपने शौहर की बात के जवाब में मैने कहा.
“वो तो ठीक है मगर इस ड्रेस के साथ दुपट्टा सजता नही जान,वैसे भी तुम्हें किस बात की फिकर है जब में तुम्हारे साथ हूँ यार” यासिर ने मेरी बात का जवाब दिया. और मेरे मना करने के बावजूद दुपट्टे को मेरे गले से उतार कर मेरी बड़ी बड़ी गोल छातियों और मेरी गुदाज बाहों को दूसरे मर्दो की भूकि नज़रों के लिए खुला छोड़ दिया.
जब मेरा शौहर मुझे यूँ ही बाहर चलने का हुकम दे रहा था. तो एक अच्छी बीवी होने के नाते सिवाय उस हुकम को मानने के मेरे पास कोई और चारा नही था.
इसीलिए यासिर के इसरार पर मैने खामोशी से अपना लॅडीस बॅग उठाया. और फिर एक मशराकी बीवी की तरह अपने सरताज शौहर के पीछे चल पड़ी.
विनोद और सपना के घर के सामने पहुँच कर ज्यों ही में अपनी कार से बाहर निकली.
तो शाम के वक्त चलती दुबई की तेज हवा का एक झोंका एक दम से मेरे जिस्म से टकराया.
हवा के इस तेज झोंके की वजह से मेरी लंबी स्कर्ट एक दम से उपर को उठी.
और मुझे यूँ महसूस हुआ कि जैसे ये झोंका मेरी लंबी गुदाज रानों के दरमियाँ में से घूमता हुआ छोटी सी पैंटी में कवर मेरी फुद्दि को भी जैसे अचानक छू गया हो.
पहली बार इस तरह का ड्रेस पहने की वजह से में इस किसम के वाकियात की आदि नही थी.
इसीलिए ज्यों ही मेरी टाँगों में से होते हुए हवा के इस झोंके ने मेरी गरम फुद्दि को टच किया.
तो एक अजीब से मस्ती की लहर मेरी चूत में से उठी. जो एक दम से मेरे सारे वजूद पर छा गई. और मस्ती की वजह से मेरे मुँह से एक दम एक लज़्जत भरी “अहह” निकल गई.
“ख़ैरियत तो है,क्यों हाईईईईई कर रही हो” मेरे मुँह से निकलने वाली आवाज़ को सुन कर मेरे आगे चलते यासिर ने एक दम मूड कर पीछे देखते हुए मुझ से पूछा.
“कुछ नही बस ज़रा सा पैर फिसल गया था” यासिर की बात का जवाब देते हुए में बोली.
मगर इस के साथ ही मुझे शरम भी आई कि मेरे ना चाहने के बावजूद यासिर ने मेरे मुँह से निकलने वाली हल्की सी सिसकारी सुन ली थी.
में और यासिर ज्यों ही विनोद के घर में एंटर हुए. तो उस के घर के लॉन में बहुत सारे दूसरे मेहमआनो को देख कर हमे अंदाज़ा हो गया .
कि हमारे अलावा भी दूसरे काफ़ी लोग विनोद और सपना की पार्टी में इन्वाइटेड हैं.
ज्यों ही हम दोनो मियाँ बीवी विनोद और सपना के घर में दाखिल हुए. तो विनोद और सपना ने खुश दिली के साथ हमारा इस्तिक्बाल किया.
विनोद आज भी हुस्बे मामूल पॅंट शर्ट में था. जब के सपना ने मेरी तरह आज वेस्टर्न ड्रेस तो पहना हुआ था.
मगर मेरे बडकस उस की स्कर्ट और शर्ट दोनो ही निहायत छोटी सी थी.