hotaks444
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“ओह तुम और इस वक्त यहाँ,आओ अंदर आ जाओ,देखो तो कौन आया है हमारे घर सायरा” यासिर ने हमारे अपारटेमेंट का दरवाज़ा खोलते ही कहा.
तो इस के साथ ही मुझे अपने शौहर के पीछे पीछे मेरे शौहर का दोस्त विनोद अपने घर में दाखिल होता हुआ नज़र आ गया.
“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विनॉद्द्द्द्द्दद्ड और इस वक्त हमारे घर में, हाईईईईईईईईईईईईईई अब में क्या करूँ” विनोद के साथ चुदाई करने के बाद से आज पहली बार मेरा विनोद से आमना सामना हो रहा था. इसीलिए विनोद को यूँ अचानक अपने सामने देख कर में एक दम परेशान हो कर सोचने पर मजबूर हो गई.
रात के अंधेरे में एक गैर मर्द से जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करना एक अलग बात है.
लेकिन फिर दिन की रोशनी में उसी मर्द का सामना करना एक बहुत ही अलगा मामला है.
इसी लिए विनोद से अपनी गरम चूत फड्वाने के एक महीने के बाद विनोद को यूँ अचानक अपने सामने मौजूद पा कर मेरे तो होश ही उड़ गये.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कहते हैं कि जेसे ही शैतान को याद करो, तो शैतान एक दम आप के सामने किसी ना किसी सूरत में हाज़िर हो जाता है, बिल्कुल उसी तरह में अभी थोड़ी देर पहले ही विनोद को याद कर के अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और फिर कुछ ही देर बाद विनोद एक दम मेरे सामने भी आ गया है” विनोद को यूँ अपने सामने देख कर मेरे दिल में ख्याल आया.
विनोद को इतने दिनो बाद आज एक दम अपने घर में देख कर मेरे दिल ही हालत उस वक्त बिल्कुल उस टीन एज लड़की जेसी हो रही थी.
जो ज़िंदगी में पहली बार जब अपने महबूब का दीदार करती है. तो अपने महबूब को देखते ही अपने होश-ओ-हवास खो बैठती है.
बिल्कुल कुछ ऐसी ही हालत से गुज़रये हुए में भी अपनी साँस रोके खामोशी से विनोद को अपने घर के टीवी लाउन्ज में आते देखती रही.
“नमस्ते सायरा जी,आप केसी हैं” मुझे गुम सूम हालत में खड़े होने के बावजूद विनोद ने मेरे सामने आते ही अपने दोनो हाथ जोड़ कर मुझे खालिस इंडियन स्टाइल में सलाम किया.
“जीिइईईई में ठीक हूँ,आप केसे हैं” विनोद की आवाज़ अपने कानो में पड़ते ही मुझे एक दम होश आया. और अपने धड़कते दिल के साथ हिचकिचाते हुए मैने विनोद की बात का जवाब दिया.
“में भी बस ठीक ही हूँ,आज आप के घर के पास से गुज़र रहा था,तो सोचा आप लोगो को हेलो हाई करता चलूं” मेरी तरफ महनी खेज नज़रों से देखते हुए विनोद ने मुझ से ये बात कही. और फिर बहुत नॉर्मल अंदाज़ में खामोशी से सोफे पर बैठ गया.
“जल्दी से विनोद के लिए कुछ चाय पानी का बंदोबस्त करो सायरा” विनोद के साथ ही सोफे पर बैठे हुए यासिर ने मुझ से कहा.तो में इस मोके को गनीमत जानते हुए धड़कते दिल के सोफे से उठ कर तेज़ी के साथ किचन की तरफ चल पड़ी.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी फुद्दि तो विनोद को याद करते हुए पहले ही से गरम हो रही थी,और अब अपने यार को यूँ अपने सामने पा कर मेरी चूत में तो एक आग सी जल उठी है” किचन में पहुँच कर ये बात सोचते हुए मैने अपनी भिखरी सांसो को संभाला. और फिर जल्दी जल्दी विनोद और यासिर के लिए चाय बनाने में मसगूल हो गई.
कुछ देर बाद चाय ले कर जब में टीवी लाउन्ज में वापिस दाखिल हुई. तो यासिर की बे तकलुफ अंदाज़ में विनोद से की जाने वाली खुश गपियाँ देख कर में हैरानी से अपने शौहर को देखते हुए ये सोचने लगी कि “लगता है मेरी चूत चोद कर मुझे हमला (प्रेगनेंट) करने के बावजूद भी, मेरे शौहर यासिर को आज विनोद के यूँ हमारे घर अचानक आ कर मुझ से मिलने का अमल बुरा नही लगा है शायद”.
इस के साथ ही मैने अपने शौहर यासिर और उस के दोस्त विनोद को चाय पेश की. तो इस दौरान सोफे पर बैठे विनोद ने मेरे हाथ से चाय का कप थामते हुए एक लम्हे के लिए मेरे सारे जिस्म का एक भेरपूर जायज़ा लिया. और फिर मेरे हाथ से चाय का कप ले कर यासिर के साथ दुबारा खुश गपियों में मसरूफ़ हो गया.
यासिर और विनोद को चाय पेश करने के बाद मैने अपना चाय का कप लिया और मूड कर अपने बेड रूम में जाने लगी. तो यासिर ने मुझे पीछे से आवाज़ दी “तुम किधर जा रही ही, इधर हमारे साथ ही बैठ कर चाय पिओ ना सायरा”.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ एक तो यासिर की समझ नही आती, कल तो मुझे अपने पेट में जनम लेने वाले विनोद के इस बच्चे को फॉरन ज़ाया करने की बात कर रहा था, और दूसरी तरफ अब खुद ही मुझे उसी विनोद के साथ बैठ कर चाइ पीने पर मजबूर कर रहा है, जिस का बच्चा मेरे पेट में पल रहा है” अपने शौहर की आवाज़ सुन कर कमरे में जाते मेरे कदम एक दम रुक गये. और में ना चाहते हुए भी टीवी लाउन्ज के दूसरे कोने में रखे हुए एक सोफे पर बैठ कर चाय पीने में यासिर और विनोद का साथ देने लगी.
विनोद और यासिर की आपस में होने वाली सारी बात चीत के दौरान मैने कोई हिस्सा नही लिया. बल्कि एक खामोश तमाशाई की हैसियात में सोफे पर बैठ कर चाय पीने के दौरान अपने शौहर और उस के दोस्त की बातों को सुनने में ही मसरूफ़ रही.
मगर इस दौरान मैने नोट किया कि बातों और चाय पीने के दौरान ही मेरे शौहर यासिर की आँखों के ऐन सामने विनोद बार बार मेरी तरफ देखते हुए मेरे बदन के अंग अंग को अपनी नज़रों से चोदने में मसरूफ़ था.
जब कि यासिर के बोलने के अंदाज़ और जिस्म की हरकत-ओ-सकनात को देखते हुए मुझे किसी तौर पर भी ये शक नही हो रहा था. कि मेरे शौहर यासिर को विनोद की ये हरकत बुरी लग रही है.
“ उफफफफफफफफफ्फ़ अपनी जवान बीवी के वजूद पर पड़ती हुई अपने दोस्त की गरम निगाहों का मतलब अच्छी तरह समझने के बावजूद भी यासिर बिल्कुल अंजान बना हुए विनोद को मेरे जिस्म का तोवाफ़ करने का मोका फ़ेरहाम करने में मसरूफ़ है” विनोद की नज़रों को अपने जिस्म पर चुभते हुए महसूस कर के मज़े से महज़ूज़ होते हुए मैने सोचा.
थोड़ी देर बातों बातों में यासिर ने विनोद से रस्मान पूछा “सपना की मौत के बाद, अगर तुम को हमारी किसी भी हेल्प या चीज़ की ज़रूरत हो तो बिना तकल्लूफ हम को बताना विनोद”
“में खुद तुम से इसी सिलसिले में एक बात करना चाहता था, मगर मुझे समझ नही आ रही थी, कि कहाँ से इस बात को स्टार्ट करूँ, मगर तुम ने मेरी मुश्किल आसान बना दी है, असल में आज में एक बहुत ज़रूरी रिक्वेस्ट ले कर तुम्हारे पास आया हूँ, और एक अच्छे दोस्त की हैसियत से मुझे उम्मीद है तुम हमेशा की तरह इस बार भी मुझे इनकार नही करो गे यासिर” मेरे शौहर की बात सुन कर विनोद बोला. तो अपने शौहर यासिर की तरह में भी अपनी चाय की चुस्की लगाते हुए एक दम विनोद की तरफ मुतवजू हो गई.
“हां हां बताओ मुझ से जो हो सकेगा वो में तुम्हारे लिए करने को तैयार हूँ विनोद” विनोद की बात सुनते ही यासिर एक बार फिर बोला.
“यासिर तुम जानते हो कि सपना की मौत के बाद में अकेला रह गया हूँ, इसीलिए में सोच रहा हूँ कि दुबारा से शादी कर लूँ” यासिर की बात के जवाब में विनोद बोला. तो विनोद की दूसरी शादी की बात कर सुन ना जाने क्यों मुझे अपना दिल एक दम डूबता हुआ महसूस हुआ.
“ओह ये तो बहुत अच्छी बात है,क्या दूसरी शादी के लिए इंडिया में कोई लड़की देख रखी है तुम ने विनोद” विनोद की ये बात सुन कर यासिर एक दम खुशी से बोलते हुए कहने लगा.
“इंडिया में नही बल्कि इधर दुबई में ही एक लड़की को में पसंद कर चुका हूँ, और इसी लिए में तुम्हारे पास आया हूँ यासिर” विनोद ने मेरे शौहर की बात का जवाब दिया.
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तो इस के साथ ही मुझे अपने शौहर के पीछे पीछे मेरे शौहर का दोस्त विनोद अपने घर में दाखिल होता हुआ नज़र आ गया.
“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विनॉद्द्द्द्द्दद्ड और इस वक्त हमारे घर में, हाईईईईईईईईईईईईईई अब में क्या करूँ” विनोद के साथ चुदाई करने के बाद से आज पहली बार मेरा विनोद से आमना सामना हो रहा था. इसीलिए विनोद को यूँ अचानक अपने सामने देख कर में एक दम परेशान हो कर सोचने पर मजबूर हो गई.
रात के अंधेरे में एक गैर मर्द से जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करना एक अलग बात है.
लेकिन फिर दिन की रोशनी में उसी मर्द का सामना करना एक बहुत ही अलगा मामला है.
इसी लिए विनोद से अपनी गरम चूत फड्वाने के एक महीने के बाद विनोद को यूँ अचानक अपने सामने मौजूद पा कर मेरे तो होश ही उड़ गये.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कहते हैं कि जेसे ही शैतान को याद करो, तो शैतान एक दम आप के सामने किसी ना किसी सूरत में हाज़िर हो जाता है, बिल्कुल उसी तरह में अभी थोड़ी देर पहले ही विनोद को याद कर के अपनी चूत में उंगली कर रही थी, और फिर कुछ ही देर बाद विनोद एक दम मेरे सामने भी आ गया है” विनोद को यूँ अपने सामने देख कर मेरे दिल में ख्याल आया.
विनोद को इतने दिनो बाद आज एक दम अपने घर में देख कर मेरे दिल ही हालत उस वक्त बिल्कुल उस टीन एज लड़की जेसी हो रही थी.
जो ज़िंदगी में पहली बार जब अपने महबूब का दीदार करती है. तो अपने महबूब को देखते ही अपने होश-ओ-हवास खो बैठती है.
बिल्कुल कुछ ऐसी ही हालत से गुज़रये हुए में भी अपनी साँस रोके खामोशी से विनोद को अपने घर के टीवी लाउन्ज में आते देखती रही.
“नमस्ते सायरा जी,आप केसी हैं” मुझे गुम सूम हालत में खड़े होने के बावजूद विनोद ने मेरे सामने आते ही अपने दोनो हाथ जोड़ कर मुझे खालिस इंडियन स्टाइल में सलाम किया.
“जीिइईईई में ठीक हूँ,आप केसे हैं” विनोद की आवाज़ अपने कानो में पड़ते ही मुझे एक दम होश आया. और अपने धड़कते दिल के साथ हिचकिचाते हुए मैने विनोद की बात का जवाब दिया.
“में भी बस ठीक ही हूँ,आज आप के घर के पास से गुज़र रहा था,तो सोचा आप लोगो को हेलो हाई करता चलूं” मेरी तरफ महनी खेज नज़रों से देखते हुए विनोद ने मुझ से ये बात कही. और फिर बहुत नॉर्मल अंदाज़ में खामोशी से सोफे पर बैठ गया.
“जल्दी से विनोद के लिए कुछ चाय पानी का बंदोबस्त करो सायरा” विनोद के साथ ही सोफे पर बैठे हुए यासिर ने मुझ से कहा.तो में इस मोके को गनीमत जानते हुए धड़कते दिल के सोफे से उठ कर तेज़ी के साथ किचन की तरफ चल पड़ी.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी फुद्दि तो विनोद को याद करते हुए पहले ही से गरम हो रही थी,और अब अपने यार को यूँ अपने सामने पा कर मेरी चूत में तो एक आग सी जल उठी है” किचन में पहुँच कर ये बात सोचते हुए मैने अपनी भिखरी सांसो को संभाला. और फिर जल्दी जल्दी विनोद और यासिर के लिए चाय बनाने में मसगूल हो गई.
कुछ देर बाद चाय ले कर जब में टीवी लाउन्ज में वापिस दाखिल हुई. तो यासिर की बे तकलुफ अंदाज़ में विनोद से की जाने वाली खुश गपियाँ देख कर में हैरानी से अपने शौहर को देखते हुए ये सोचने लगी कि “लगता है मेरी चूत चोद कर मुझे हमला (प्रेगनेंट) करने के बावजूद भी, मेरे शौहर यासिर को आज विनोद के यूँ हमारे घर अचानक आ कर मुझ से मिलने का अमल बुरा नही लगा है शायद”.
इस के साथ ही मैने अपने शौहर यासिर और उस के दोस्त विनोद को चाय पेश की. तो इस दौरान सोफे पर बैठे विनोद ने मेरे हाथ से चाय का कप थामते हुए एक लम्हे के लिए मेरे सारे जिस्म का एक भेरपूर जायज़ा लिया. और फिर मेरे हाथ से चाय का कप ले कर यासिर के साथ दुबारा खुश गपियों में मसरूफ़ हो गया.
यासिर और विनोद को चाय पेश करने के बाद मैने अपना चाय का कप लिया और मूड कर अपने बेड रूम में जाने लगी. तो यासिर ने मुझे पीछे से आवाज़ दी “तुम किधर जा रही ही, इधर हमारे साथ ही बैठ कर चाय पिओ ना सायरा”.
“उफफफफफफफफफफ्फ़ एक तो यासिर की समझ नही आती, कल तो मुझे अपने पेट में जनम लेने वाले विनोद के इस बच्चे को फॉरन ज़ाया करने की बात कर रहा था, और दूसरी तरफ अब खुद ही मुझे उसी विनोद के साथ बैठ कर चाइ पीने पर मजबूर कर रहा है, जिस का बच्चा मेरे पेट में पल रहा है” अपने शौहर की आवाज़ सुन कर कमरे में जाते मेरे कदम एक दम रुक गये. और में ना चाहते हुए भी टीवी लाउन्ज के दूसरे कोने में रखे हुए एक सोफे पर बैठ कर चाय पीने में यासिर और विनोद का साथ देने लगी.
विनोद और यासिर की आपस में होने वाली सारी बात चीत के दौरान मैने कोई हिस्सा नही लिया. बल्कि एक खामोश तमाशाई की हैसियात में सोफे पर बैठ कर चाय पीने के दौरान अपने शौहर और उस के दोस्त की बातों को सुनने में ही मसरूफ़ रही.
मगर इस दौरान मैने नोट किया कि बातों और चाय पीने के दौरान ही मेरे शौहर यासिर की आँखों के ऐन सामने विनोद बार बार मेरी तरफ देखते हुए मेरे बदन के अंग अंग को अपनी नज़रों से चोदने में मसरूफ़ था.
जब कि यासिर के बोलने के अंदाज़ और जिस्म की हरकत-ओ-सकनात को देखते हुए मुझे किसी तौर पर भी ये शक नही हो रहा था. कि मेरे शौहर यासिर को विनोद की ये हरकत बुरी लग रही है.
“ उफफफफफफफफफ्फ़ अपनी जवान बीवी के वजूद पर पड़ती हुई अपने दोस्त की गरम निगाहों का मतलब अच्छी तरह समझने के बावजूद भी यासिर बिल्कुल अंजान बना हुए विनोद को मेरे जिस्म का तोवाफ़ करने का मोका फ़ेरहाम करने में मसरूफ़ है” विनोद की नज़रों को अपने जिस्म पर चुभते हुए महसूस कर के मज़े से महज़ूज़ होते हुए मैने सोचा.
थोड़ी देर बातों बातों में यासिर ने विनोद से रस्मान पूछा “सपना की मौत के बाद, अगर तुम को हमारी किसी भी हेल्प या चीज़ की ज़रूरत हो तो बिना तकल्लूफ हम को बताना विनोद”
“में खुद तुम से इसी सिलसिले में एक बात करना चाहता था, मगर मुझे समझ नही आ रही थी, कि कहाँ से इस बात को स्टार्ट करूँ, मगर तुम ने मेरी मुश्किल आसान बना दी है, असल में आज में एक बहुत ज़रूरी रिक्वेस्ट ले कर तुम्हारे पास आया हूँ, और एक अच्छे दोस्त की हैसियत से मुझे उम्मीद है तुम हमेशा की तरह इस बार भी मुझे इनकार नही करो गे यासिर” मेरे शौहर की बात सुन कर विनोद बोला. तो अपने शौहर यासिर की तरह में भी अपनी चाय की चुस्की लगाते हुए एक दम विनोद की तरफ मुतवजू हो गई.
“हां हां बताओ मुझ से जो हो सकेगा वो में तुम्हारे लिए करने को तैयार हूँ विनोद” विनोद की बात सुनते ही यासिर एक बार फिर बोला.
“यासिर तुम जानते हो कि सपना की मौत के बाद में अकेला रह गया हूँ, इसीलिए में सोच रहा हूँ कि दुबारा से शादी कर लूँ” यासिर की बात के जवाब में विनोद बोला. तो विनोद की दूसरी शादी की बात कर सुन ना जाने क्यों मुझे अपना दिल एक दम डूबता हुआ महसूस हुआ.
“ओह ये तो बहुत अच्छी बात है,क्या दूसरी शादी के लिए इंडिया में कोई लड़की देख रखी है तुम ने विनोद” विनोद की ये बात सुन कर यासिर एक दम खुशी से बोलते हुए कहने लगा.
“इंडिया में नही बल्कि इधर दुबई में ही एक लड़की को में पसंद कर चुका हूँ, और इसी लिए में तुम्हारे पास आया हूँ यासिर” विनोद ने मेरे शौहर की बात का जवाब दिया.
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