hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
और फीर जगदीश राय तेज़ी से झड़ना शुरू किया।
निशा ने तुरंत ही अपना मुह हटा लिया और सारा वीर्य उसने हाथों से तेज़ी से हिलाकर निकल दिया।
जगदीश राय (तेज़ सासो से) : मजा आ गया बेटी…।बहुत…।
निशा:ह्म्म्मम।
जगदीश राय: पर…।तुमने…।
निशा: क्या पापा…
जगदीश राय: तुमने मुह क्यों हटा लिया…।क्या तुम्हे वो लेना पसंद नहीं…
निशा: क्या पापा…
जगदीश राय: वीर्य बेटी…।जो तुम आज कल के लोग कम बोलते है…
निशा: नहीं पापा…मुझे…मुँह में लेना पसंद नहीं…पर आपको पसंद है तो मैं ज़रूर ट्राई करूंगी…एक दिन…।
जगदीश राय: कोई बात नहीं बेटी…। मैं तो तुम्हारे हुस्न से ही खुश हूँ।
और यह कहते हुए जगदीश राय ने एक ज़ोरदार चुमबन निशा की चूत पर लगा दिया।
निशा : आअह्ह्ह…पापा।
पहिर निशा उठ कर नंगी अपने रूम की ओर चल दी…।
रेज़र ठीक से चल नहीं रहा था। नया होने के बावजुद।
निशा (मन में): उफ़… कहाँ मैं फस गयी इस रेजर के साथ…।अब चूत साफ़ कैसे करूंगी…।पापा को वादा किया था उनके बर्थडे प्रेजेंट का …।मखमल की चूत पेश करने वाली हु…और यहाँ यह कम्बख्त रेजर की धार निकल गयी है।।
निशा अपनी चूत पर रेजर तेज़ी से चलाने लगी और अचानक रेजर की ब्लेड चूत के होठ के चमड़े से हिल गया।
निशा अचानक चिख पडी। खून के धार चूत के चमड़ी से निकल पडी। निशा ने तुरंत डेटोल लगा लिया। और आराम पाया।
निशा (मन में): लगता है आज पापा को रस के साथ मेरे चूत का खून भी चूसने का मौका मिल चूका है…हे हे
आज जगदीश राय का बर्थडे था। और निशा ने पापा से वादा किया था की उन्हें वह एक जबरदस्त यादगार तोहफा देगी।
निशा अपने साफ़ सुथरी चूत को मिरर में देखकर खुश हो गयी।
निशा (मन में): हम्म्म…चूत रानी-जी…आज तो तुम्हारी खैर नहीं…आज चाहो तुम कितने आँसू बहाओ पापा तुम्हे नहीं छोड़ेंगे…और आज मैं भी उन्हें नहीं रोकूंगी…आज खुलकर उनको अपना रस पीलाना।
निशा अपनी पहली चुदाई के आज 2 महिने गुज़र गए थे। जगदीश राय और निशा बिना रुके लगभग हर दिन चुदाई का पूरा आनन्द ले रहे थे।
और अब निशा भी जगदीश राय की तरह घण्टो चुदाई के लिए पूरा सहयोग देती।
निशा की जवान टाइट चूत अब जगदीश राय के बड़े लंड के 2 महीनो से चले लगातार झटको से खुल चुकी थी।
कैसे कौनसा भी पोज़ नहीं था जो जगदीश राय ने निशा पे नहीं अपनाया हो। कामसूत्र के कई पोज़ जगदीश राय निशा पर अपना चूका था।
निशा ने तुरंत ही अपना मुह हटा लिया और सारा वीर्य उसने हाथों से तेज़ी से हिलाकर निकल दिया।
जगदीश राय (तेज़ सासो से) : मजा आ गया बेटी…।बहुत…।
निशा:ह्म्म्मम।
जगदीश राय: पर…।तुमने…।
निशा: क्या पापा…
जगदीश राय: तुमने मुह क्यों हटा लिया…।क्या तुम्हे वो लेना पसंद नहीं…
निशा: क्या पापा…
जगदीश राय: वीर्य बेटी…।जो तुम आज कल के लोग कम बोलते है…
निशा: नहीं पापा…मुझे…मुँह में लेना पसंद नहीं…पर आपको पसंद है तो मैं ज़रूर ट्राई करूंगी…एक दिन…।
जगदीश राय: कोई बात नहीं बेटी…। मैं तो तुम्हारे हुस्न से ही खुश हूँ।
और यह कहते हुए जगदीश राय ने एक ज़ोरदार चुमबन निशा की चूत पर लगा दिया।
निशा : आअह्ह्ह…पापा।
पहिर निशा उठ कर नंगी अपने रूम की ओर चल दी…।
रेज़र ठीक से चल नहीं रहा था। नया होने के बावजुद।
निशा (मन में): उफ़… कहाँ मैं फस गयी इस रेजर के साथ…।अब चूत साफ़ कैसे करूंगी…।पापा को वादा किया था उनके बर्थडे प्रेजेंट का …।मखमल की चूत पेश करने वाली हु…और यहाँ यह कम्बख्त रेजर की धार निकल गयी है।।
निशा अपनी चूत पर रेजर तेज़ी से चलाने लगी और अचानक रेजर की ब्लेड चूत के होठ के चमड़े से हिल गया।
निशा अचानक चिख पडी। खून के धार चूत के चमड़ी से निकल पडी। निशा ने तुरंत डेटोल लगा लिया। और आराम पाया।
निशा (मन में): लगता है आज पापा को रस के साथ मेरे चूत का खून भी चूसने का मौका मिल चूका है…हे हे
आज जगदीश राय का बर्थडे था। और निशा ने पापा से वादा किया था की उन्हें वह एक जबरदस्त यादगार तोहफा देगी।
निशा अपने साफ़ सुथरी चूत को मिरर में देखकर खुश हो गयी।
निशा (मन में): हम्म्म…चूत रानी-जी…आज तो तुम्हारी खैर नहीं…आज चाहो तुम कितने आँसू बहाओ पापा तुम्हे नहीं छोड़ेंगे…और आज मैं भी उन्हें नहीं रोकूंगी…आज खुलकर उनको अपना रस पीलाना।
निशा अपनी पहली चुदाई के आज 2 महिने गुज़र गए थे। जगदीश राय और निशा बिना रुके लगभग हर दिन चुदाई का पूरा आनन्द ले रहे थे।
और अब निशा भी जगदीश राय की तरह घण्टो चुदाई के लिए पूरा सहयोग देती।
निशा की जवान टाइट चूत अब जगदीश राय के बड़े लंड के 2 महीनो से चले लगातार झटको से खुल चुकी थी।
कैसे कौनसा भी पोज़ नहीं था जो जगदीश राय ने निशा पे नहीं अपनाया हो। कामसूत्र के कई पोज़ जगदीश राय निशा पर अपना चूका था।