hotaks444
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निशा ने सीडियों से उतरकर अपने पापा से कुछ नहीं पूछा और न कहाँ और सीधे किचन में चलि गयी। मानो जैसा कुछ हुआ ही न हो।
खाली 2 घंटे तक जगदीश राय की आंखें सिर्फ निशा का ही पीछा कर रही थी।
निशा कभी उनको अपनी जांघ, कभी अपनी आधि चूची या अपनी गांड दिखाकर बहला रही थी।
निशा ने ठान लिया था की आज वह अपने पापा को अपनी चूत नहीं दिखाएगी।
इसलिये झाड़ू लगाते वक़्त भी वह नहीं झुकी। और अपने पापा का फरस्ट्रेशन देखकर उसे मजा आ रहा था।
निशा: पापा… चलो खाना लग गया।
जगदीश राय ,बड़ी मुश्किल से अपने बेटी के साथ बैठकर खाना खाया और अपने रूम में चला गया।
उसने सोचा रूम में जाकर मुठ मार लूँगा और अपने आप को ठंड़ा कर दूंगा।
जगदीश राय रूम में जाकर बैठकर अपने लंड को बहार निकालकर मुठ मारने लगा।
सूबह से खड़ा लंड हाथ के स्पर्श से शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।
तभी उसे सीडियों पर से निशा के कदमों की आहट सुनाई दी। उसने तुरंत अपनी लुंगी ऊपर चढा ली। निशा ने इस बार दरवाज़ा नॉक किया।
जगदीश राय (लुंगी ठीक करते हुए): हाँ…। आ जा बेटी…।
निशा (एक हाथ पीछे छुपाते हुए): देखना चाहती थी… की आप फ्री तो है न…।।
जगदीश राय निशा के सामने खड़ा लंड छुपाते हुए : हाँ बिलकुल…थोड़ा लेटने जा रहा था बेटी।
निशा: ज़रूर लेटिए…पर मसाज के बाद…। दो दिन से आप को मसाज नहीं किया…।
और निशा ने अपना हाथ बाहर निकाला और उसमे तेल की डिब्बी थी।
जगदीश राय : अरे …नहीं आज नहीं… कल करते है…।
निशा: नहीं…2 दिन से मसाज नहीं हुआ…आज तो करना ही है…।मसाज।
निशा: चलिये पहले कंधे और हाथ का करते है…फिर पैरो का… चलिये अपना शर्ट उतारिये…
खाली 2 घंटे तक जगदीश राय की आंखें सिर्फ निशा का ही पीछा कर रही थी।
निशा कभी उनको अपनी जांघ, कभी अपनी आधि चूची या अपनी गांड दिखाकर बहला रही थी।
निशा ने ठान लिया था की आज वह अपने पापा को अपनी चूत नहीं दिखाएगी।
इसलिये झाड़ू लगाते वक़्त भी वह नहीं झुकी। और अपने पापा का फरस्ट्रेशन देखकर उसे मजा आ रहा था।
निशा: पापा… चलो खाना लग गया।
जगदीश राय ,बड़ी मुश्किल से अपने बेटी के साथ बैठकर खाना खाया और अपने रूम में चला गया।
उसने सोचा रूम में जाकर मुठ मार लूँगा और अपने आप को ठंड़ा कर दूंगा।
जगदीश राय रूम में जाकर बैठकर अपने लंड को बहार निकालकर मुठ मारने लगा।
सूबह से खड़ा लंड हाथ के स्पर्श से शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।
तभी उसे सीडियों पर से निशा के कदमों की आहट सुनाई दी। उसने तुरंत अपनी लुंगी ऊपर चढा ली। निशा ने इस बार दरवाज़ा नॉक किया।
जगदीश राय (लुंगी ठीक करते हुए): हाँ…। आ जा बेटी…।
निशा (एक हाथ पीछे छुपाते हुए): देखना चाहती थी… की आप फ्री तो है न…।।
जगदीश राय निशा के सामने खड़ा लंड छुपाते हुए : हाँ बिलकुल…थोड़ा लेटने जा रहा था बेटी।
निशा: ज़रूर लेटिए…पर मसाज के बाद…। दो दिन से आप को मसाज नहीं किया…।
और निशा ने अपना हाथ बाहर निकाला और उसमे तेल की डिब्बी थी।
जगदीश राय : अरे …नहीं आज नहीं… कल करते है…।
निशा: नहीं…2 दिन से मसाज नहीं हुआ…आज तो करना ही है…।मसाज।
निशा: चलिये पहले कंधे और हाथ का करते है…फिर पैरो का… चलिये अपना शर्ट उतारिये…