hotaks444
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निशा ने बड़े नज़ाक़त से सेक्सी स्टाइल में टॉवल को खीच लिया और गांड उठा कर टॉवल को अपने शरीर से अलग किया।
अब निशा अपने पापा के सामने पूरी नंगी , बेड के किनारे पर बेठी थी। और उसके पापा पुरे नंगे अपने फड़फडाते लंड के साथ उसके सामने लेटे हुये थे।
जगदीश राय निशा की चूचियों को बारीक़ी से निहार रहा था। गोरी भरी हुई चूचो के बीचो-बीच पर गुलाबी निप्पल।
निशा ने अपने चूत को जांघो से ढक रखा था।
निशा: हाँ…अब इसे साफ़ कर देती हु…क्या घूर रहे हो पापा…खा जाओगे क्या।।हे ह
जगदीश राय: नहीं…बेटी… मैं तोह…।।।
निशा: हाँ…खा भी सकते हो…भेड़िये का रूप तो आपने दिखा ही दिया…
जगदीश राय : बेटी …मैं तो बस तुम्हारी सुंदरता निहार रहा था।।
निशा को यह सुनकर अच्छा लगा।
निशा: अच्छा…क्या सुन्दर लगा…बताईये…
जगदीश राय : बस यह ही सब…
निशा: खुलकर बताइए…
और साथ ही निशा ने टॉवल जगदीश राय के लंड पर डाल दिया और लंड को टॉवल से दबोच लिया।
जगदीश राय के मुह से आह निकल गयी।
जगदीश राय : आह…ओह…तुम्हारी चूचे बेटी…मस्त है।।।
निशा :अच्छा…क्या मस्त लगा इसमें…सभी के ऐसे ही होते है…
कब निशा ने टॉवल हटा दिया। जगदीश राय का लंड अब पुरे आकार में आ रहा था।
निशा ने झटके से अपनी दायी हाथ से लंड को हाथो में दबौच लिया।
जगदीश राय निशा के हाथ के स्पर्श से पूरा गरम हो चूका था।
निशा ने अपने मुठी के अंदर लंड को बढते हुए महसूस कर रही थी।
निशा ने पूरी ताकत से लंड के चमडी को पूरा निचे तक सरका दिया।
जगदीश राय ज़ोर के इस झटके से उछल पडा।
निशा (बेदर्दी से हस्ते हुए): बताइये…क्या मस्त लगा…
जगदीश राय : आह…आहह…।।तुम्हरी निप्प्प्पल…।कितने गुलाबी…तुम्हारी…।चुचे का आकार…सभी…
निशा: हम्म्म…अच्छा…तो ...इसलिये यह हज़रत फने खान बने हुए है…और देखो कितना खून लगा हुआ…है
और यह कहते हुए निशा ने खुरदरे टॉवल से लंड के कोमल टोपे पर रगड़ना शुरू किया।
जगदीश राय: अरे रुक जाओ बेटी…ऐसे नहीं… करते…।रुक जाओ…
अब निशा अपने पापा के सामने पूरी नंगी , बेड के किनारे पर बेठी थी। और उसके पापा पुरे नंगे अपने फड़फडाते लंड के साथ उसके सामने लेटे हुये थे।
जगदीश राय निशा की चूचियों को बारीक़ी से निहार रहा था। गोरी भरी हुई चूचो के बीचो-बीच पर गुलाबी निप्पल।
निशा ने अपने चूत को जांघो से ढक रखा था।
निशा: हाँ…अब इसे साफ़ कर देती हु…क्या घूर रहे हो पापा…खा जाओगे क्या।।हे ह
जगदीश राय: नहीं…बेटी… मैं तोह…।।।
निशा: हाँ…खा भी सकते हो…भेड़िये का रूप तो आपने दिखा ही दिया…
जगदीश राय : बेटी …मैं तो बस तुम्हारी सुंदरता निहार रहा था।।
निशा को यह सुनकर अच्छा लगा।
निशा: अच्छा…क्या सुन्दर लगा…बताईये…
जगदीश राय : बस यह ही सब…
निशा: खुलकर बताइए…
और साथ ही निशा ने टॉवल जगदीश राय के लंड पर डाल दिया और लंड को टॉवल से दबोच लिया।
जगदीश राय के मुह से आह निकल गयी।
जगदीश राय : आह…ओह…तुम्हारी चूचे बेटी…मस्त है।।।
निशा :अच्छा…क्या मस्त लगा इसमें…सभी के ऐसे ही होते है…
कब निशा ने टॉवल हटा दिया। जगदीश राय का लंड अब पुरे आकार में आ रहा था।
निशा ने झटके से अपनी दायी हाथ से लंड को हाथो में दबौच लिया।
जगदीश राय निशा के हाथ के स्पर्श से पूरा गरम हो चूका था।
निशा ने अपने मुठी के अंदर लंड को बढते हुए महसूस कर रही थी।
निशा ने पूरी ताकत से लंड के चमडी को पूरा निचे तक सरका दिया।
जगदीश राय ज़ोर के इस झटके से उछल पडा।
निशा (बेदर्दी से हस्ते हुए): बताइये…क्या मस्त लगा…
जगदीश राय : आह…आहह…।।तुम्हरी निप्प्प्पल…।कितने गुलाबी…तुम्हारी…।चुचे का आकार…सभी…
निशा: हम्म्म…अच्छा…तो ...इसलिये यह हज़रत फने खान बने हुए है…और देखो कितना खून लगा हुआ…है
और यह कहते हुए निशा ने खुरदरे टॉवल से लंड के कोमल टोपे पर रगड़ना शुरू किया।
जगदीश राय: अरे रुक जाओ बेटी…ऐसे नहीं… करते…।रुक जाओ…