desiaks
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- Aug 28, 2015
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जब बैल की आवाज से उनकी तंद्रा टूटती है तो वो फटाफट सिचर्यशन और जगह देखकर कंट्रोल करती हुई औरतें टायलेंट की तरफ तेजी से जाती या दौड़ती हैं। मैं जो उन्हें देख-देख अपने लण्ड मसल रहा था। बेल की आवाज और उनकी हड़बड़ाहट देखकर फट से अपने लण्ड को अंदर डालता है और ये भी समझ जाता है की वो कहां जाएगी।
तो मैं ये सोचकर की लाहा गर्म है हथौड़ा मार देना चाहिये, बरना फिर हाथ आए या ना आए। इसलिए मैं भी तेजी से उनकी पीछे जाता है. और मेंडम भी जल्दी से औरतों के टायलेट में घुसती हैं, जहां 5-6 टायलेट थे जो अभी सभी खाली थे। उनमें से मेडम एक में घुस जाती हैं, और मेरे गेस सही था। वो अब अपनी चूत को ठंडी करने और अपने आपको नार्मल करने के लिए टायलेट हो जाएगी। मैं भी उनके पीछे-पीछे वहां पहुँच जाता हूँ
और आजू-बाजू देखकर अंदर घुस जाता है, जहां मुझे एक टायलेट में से आई. सी. और किसी औरत की चूत की सिटी के साथ मूतने की आवाज आती है। जिससे मैं समझ जाता है की मैडम कहां और क्या कर रही है?
में दूसरे टायलेट में घुसकर उसकी दीवार पर चढ़ जाता है जहां से मुझे मेडम नीचे से पूरी नंगी होकर मततं हए साफ दिख रही थी, और मैं अपने फोन में काई कर रहा था। फिर मेडम टायलेट में किसी के आने की आवाज से कोई डरी नहीं थी। अब कोई भी मत सकता है इसमें बया?
मेडम- "आह्ह... आह... सीईई... सीईई... फर चिल्ल....
फिर कुछ देर बाद वो मेरे लण्ड के बारे में सोच कर चूत सहलाने लगती है, और बड़बड़ाती हुई सेक्सी आहे भरने लगती है।
मेडम- "ओह्ह... कितना बड़ा था उसका आह्ह... पर कितना कमीना और बेशर्म था की भरी क्लास में नंगा होकर अपने मोटें काले लण्ड को हिला रहा था, वो भी मेरी गाण्ड देखकर... हाये... सीयी... पर मेरी ये निगोडी चूत को कौन समझए? ये तो परी क्लास के होते हुए भी रस छोड़ रही थीं ओहह... आ:कैसे इसकी गर्मी शांत करण? जिससे करना चाहिये वो तो दूर कमा रहा है... वो भी वहां मजे लेता होगा, पर यहां मैं जल रही हैं इस चूत की गर्मी से आहह"
मैं तो रेकाई कर रहा था की उनकी बातें सुनकर लण्ड हड़कम्प मचाने लगा, तो मैंने अपने लण्ड को फिर से बाहर निकालकर उसे दूसरे हाथ में मठ मारने लगा। लास्ट में मेंडम की बातें सजकर तो मेरी मस्ती बढ़ गई और उसी चक्कर में मैं मत रही मैडम के टायलेट में गिर गया- "धम्म्म.."
मेडम जो अपनी ही मस्ती में थी। अचानक धम्म की आवाज से होश में आई और मुझे देखकर चकित हो गई और हड़बड़ा गई, और अपनी चूत छुपाने लगी। मैं भी खड़ा होकर मेडम के पास गया, तो वो थोड़ा डर भी गई थी। पर चिल्ला वो भी नहीं सकती थी।
.
मेडम- "तूक ... तुम्म यहां कैंसी आयें और मुझसे दूर रहीं समझे.. हल्ला मचा दूंगी..."
मैं- "कमीनी, अब तेरी चूत इतनी मस्त है की मैं यहां भी चला आया और क्या बोल रही है हल्ला मचा देगी? तो मचा हल्ला। जब लोग मुझे ऐसे तेरे साथ अंदर से बंद टायलेट में देखेंगे तो तुझे ही गलत समुझेगे। ये लोग साले बड़े चतिए हैं। गलती कोई भी करें पर हमेशा औरत को ही गलत देखते और समझते हैं..."
मेडम मेरी बात सुन एकदम डर जाती है और चुप हो जाती है। क्योंकी दुनियां की नजर में औरत कितना कुछ करने के बाद भी उसे ही आगे कुछ होने पर गलत समझते हैं, ये नहीं समझते की उन सभी कमीनों को भी जनम एक औरत ने ही दिया है।
मैं- "देखो मेरे लण्ड को भी चूत की जरूरत है, और तेरी चूत को लण्ड की जो मेरे पास एकदम मस्त है। अब ज्यादा नखरे ना चोद और देख कैसे तेरी गर्मी पाने के लिए ये फड़फड़ा रहा है.
ये बोलकर में उसका हाथ अपने लण्ड कर रख देता हैं। जिससे उसके गर्म जिम का एक झटका लगता है। पर मैं तो उसके हाथ के ऊपर अपने हाथ से मूठ मारना शुरू कर देता है, जिससे उसे भी मस्ती चढ़ने लगती है। तो ये देख मैं अपने हाथ से उसकी नंगी चूत पकड़ लेता हैं जिससे बो सिसक पड़ती है और में उसके होंठों पर टूट पड़ता हूँ।
मेंडम- "आश आहह... सीईईई.. उईईई.. ओहह... आहह... किस के वक्त- "सुर्रर सिईई लप्प्प हों उम्म्म्म
मैं अपने एक हाथ से लण्ड मसलवा रहे हाथ को हटाकर उसकी गर्दन के पीछे से लेकर जंगली होकर होंठों को चस, चाट और काट रहा था। जिससे उसकी आहे निकल रही थीं। फिर चूत में हाथ हटाकर उसकी मोटी-मोटी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगता हैं, कभी-कभी उसके निपल को खींच भी लेता, जिसमें उसकी आहे तेज हो गई थी, और अब तो हक्स और चूत की गर्मी में अंधी होकर वो भी साथ दे रही थी।
मैडम- "ओह... हौं आइ: सीईई.. आह्ह... उईई हौं उम्म्म पी ले ओह्ह ... आह्ह.."
मैं उसे अब पूरे मस्ती में देखकर उसमें कुछ देर बाद अलग होकर उसको टायलेट के पास नीचे घुटने के बल बीठाता है और अपने लण्ड को चूसने का इशारा करता हूँ। तो वो भी लपक के लण्ड पकड़ लेती है और अपनी चूत जैसे गर्म मैंह में डालकर रंडी के जैसे चूसने लगती है। जिसमें मेरे लण्ड के मजे हो जाते हैं, और मेरी मस्ती की कराह निकलती जाती है।
में- "सीपी आह्ह... साली चंडी क्या चूस रही है... तेरी चूत के जैसे गर्म है तेरा मुँह तो आहह... ऐसे ही ले बहन की लौड़ी ओहह... आह्ह.."
मेंडम- "गुरं गुतट कुप्प शुरुउप्प लप्प्प गुपयी पईतपय चईई.."
.
दस मिनट लण्ड चूसने के बाद में उसे उठाकर घुमाता है और उसकी गाण्ड को थोड़ा पीछे करके काटते हये पीछे
से ही गाण्ड और चूत चूसने लगता है।
वो भी पागलों की तरह जैसे उसे दर्द भी हो रहा हो और मजा भी आ रहा था और वैसे भी अब तो लण्ड लेने के लिए उसे पूरा चुदासी कर ही दिया था मैंने, तो अब बिना लिए वो नहीं रुकने वाली थी चाहे पूरे कालेज के सामने ही क्यों न चुदवाना पड़े।
मैडम- "आह्ह... आह्ह... आईई.. आअहह... आदर्द होता है आह्ह एसम्म उम्म्म..."
में दस मिनट बाद खड़े होकर अपने लण्ड पर थूक लगाकर पीछे से ही वो भी खड़े-खड़े ही उसकी चूत में लण्ड डाल देता हैं और वो फटी हुई चूत खन वहाँने लगती और वो चिल्लाती हैं। पहले ही मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से बंद कर दिया था और फिर बिना रुके चूत का भोसड़ा बनाने लगता हैं।
मेइम- "हंउ ओह्ह... उम्म्म्म ... मर गई हाय आहह उईईई..
में तो मैडम की चूत मारने में बिजी था और मेरा लण्ड चूत का खून पीने में। और एक खास बात, हम यहां चुदाई कर रहे थे तो कुछ लड़कियां टायलेंट के लिए आई थीं, जो अंदर हो रही चुदाई की आवाजों से मजे और एक दूसरे को देखकर धीरे-धीरे हँस रही थी। पर अब तो लाइव चुदाई की वजह से मस्ती में आने लगी थी।
में 15 मिनट चोदने के बाद, जब मेडम भी दर्द के बाद मस्ती में आने लगी तो मैं चूत की वजह गीले लण्ड को निकाला और मैडम की गाण्ड पर टिकाकर उनके कुछ बोलने से पहले ही तीन-चार लगातार धक्के में लण्ड गाण्ड की गहराई में उतार दिया और बड़े-बड़े धक्कों के साथ गाण्ड मारने लगा। और लण्ड गाण्ड में आने वाले खून को गाण्ड मारले हए पी रहा था। जिससे मैं और ज्यादा चुदाई कर सकू। पं रुकने की ताकत दे रहा था। पर मैडम की तो बेहोश होने की हालत हो गई थी। पर मेरे लण्ड की वजह से हो नहीं पा रही थी। पर मैं इन सबको पूरा अनदेखा करते हए गाण्ड मार रहा था, और 20 मिनट बाद वो भी अब बाबर झेलने के काबिल हो गई थी, और अब मस्ती में गाण्ड हिलाकर लण्ड ले रही थी। पर दर्द ज्यादा था।
मेडम- "आह्ह... मादरचोद, साले कुत्ते मेरी गाण्ड को क्या किसी रंडी की गाण्ड समझा है जो इतनी बेरहमी से फाड़ दी... आहह ... मादरचोद दर्द हो रहा है ओहह.."
-
मैं- "साली तू मेरी रन्डी ही तो है आह्ह.. क्या कसीई हुई गाण्ड है तेरी छिनाल..."
मैडम- "माले रंडी के... वो तो होगी ही ना.. कुंवारी गाण्ड ही तो थी, और चूत भी तो दो साल में नहीं चुदी है.."
हमारी इस चुदाई से पता नहीं कितनी लड़कियों ने आकर अंदर पानी छोड़ा और अपनी दोस्तों को लाकर इस चुदाई को दिखाई, और मैं बिना कीसी की परवा किये उसे चोद रहा था और 8 मिनट बाद दोनों ने साथ ही पानी छोड़ दिया। फा इस चुदाई में मेडम में पता नहीं कितनी बार पानी निकाला था, और लास्ट में मेरे साथ झड़ने के बाद 20 मिनट आराम के बाद वो टायलेट करने के लिए खड़ी हई। और अब चूत और गाण्ड इतनी बुरी तरह मरवाने के बाद वो बैंठकर तो मत नहीं सकती थी। वो थोड़ा गाण्ड को कुसी करके मूतने लगी- "मुर्गर मुर्रर सुर्रर... सुरूल टम्म..."
म सीन देखकर मेरी चुदाई का मह फिर बन गया, और मैं उसके पास आकर चुदाई करने लगा। वो बार-बार मना कर रही थी। पर मैं कहां रुकने वाला था और अलग-अलग पोज में चोदने लगा और 40 मिनट चोदने के बाद साथ में दोनों पानी छोड़ दिए।
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तो मैं ये सोचकर की लाहा गर्म है हथौड़ा मार देना चाहिये, बरना फिर हाथ आए या ना आए। इसलिए मैं भी तेजी से उनकी पीछे जाता है. और मेंडम भी जल्दी से औरतों के टायलेट में घुसती हैं, जहां 5-6 टायलेट थे जो अभी सभी खाली थे। उनमें से मेडम एक में घुस जाती हैं, और मेरे गेस सही था। वो अब अपनी चूत को ठंडी करने और अपने आपको नार्मल करने के लिए टायलेट हो जाएगी। मैं भी उनके पीछे-पीछे वहां पहुँच जाता हूँ
और आजू-बाजू देखकर अंदर घुस जाता है, जहां मुझे एक टायलेट में से आई. सी. और किसी औरत की चूत की सिटी के साथ मूतने की आवाज आती है। जिससे मैं समझ जाता है की मैडम कहां और क्या कर रही है?
में दूसरे टायलेट में घुसकर उसकी दीवार पर चढ़ जाता है जहां से मुझे मेडम नीचे से पूरी नंगी होकर मततं हए साफ दिख रही थी, और मैं अपने फोन में काई कर रहा था। फिर मेडम टायलेट में किसी के आने की आवाज से कोई डरी नहीं थी। अब कोई भी मत सकता है इसमें बया?
मेडम- "आह्ह... आह... सीईई... सीईई... फर चिल्ल....
फिर कुछ देर बाद वो मेरे लण्ड के बारे में सोच कर चूत सहलाने लगती है, और बड़बड़ाती हुई सेक्सी आहे भरने लगती है।
मेडम- "ओह्ह... कितना बड़ा था उसका आह्ह... पर कितना कमीना और बेशर्म था की भरी क्लास में नंगा होकर अपने मोटें काले लण्ड को हिला रहा था, वो भी मेरी गाण्ड देखकर... हाये... सीयी... पर मेरी ये निगोडी चूत को कौन समझए? ये तो परी क्लास के होते हुए भी रस छोड़ रही थीं ओहह... आ:कैसे इसकी गर्मी शांत करण? जिससे करना चाहिये वो तो दूर कमा रहा है... वो भी वहां मजे लेता होगा, पर यहां मैं जल रही हैं इस चूत की गर्मी से आहह"
मैं तो रेकाई कर रहा था की उनकी बातें सुनकर लण्ड हड़कम्प मचाने लगा, तो मैंने अपने लण्ड को फिर से बाहर निकालकर उसे दूसरे हाथ में मठ मारने लगा। लास्ट में मेंडम की बातें सजकर तो मेरी मस्ती बढ़ गई और उसी चक्कर में मैं मत रही मैडम के टायलेट में गिर गया- "धम्म्म.."
मेडम जो अपनी ही मस्ती में थी। अचानक धम्म की आवाज से होश में आई और मुझे देखकर चकित हो गई और हड़बड़ा गई, और अपनी चूत छुपाने लगी। मैं भी खड़ा होकर मेडम के पास गया, तो वो थोड़ा डर भी गई थी। पर चिल्ला वो भी नहीं सकती थी।
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मेडम- "तूक ... तुम्म यहां कैंसी आयें और मुझसे दूर रहीं समझे.. हल्ला मचा दूंगी..."
मैं- "कमीनी, अब तेरी चूत इतनी मस्त है की मैं यहां भी चला आया और क्या बोल रही है हल्ला मचा देगी? तो मचा हल्ला। जब लोग मुझे ऐसे तेरे साथ अंदर से बंद टायलेट में देखेंगे तो तुझे ही गलत समुझेगे। ये लोग साले बड़े चतिए हैं। गलती कोई भी करें पर हमेशा औरत को ही गलत देखते और समझते हैं..."
मेडम मेरी बात सुन एकदम डर जाती है और चुप हो जाती है। क्योंकी दुनियां की नजर में औरत कितना कुछ करने के बाद भी उसे ही आगे कुछ होने पर गलत समझते हैं, ये नहीं समझते की उन सभी कमीनों को भी जनम एक औरत ने ही दिया है।
मैं- "देखो मेरे लण्ड को भी चूत की जरूरत है, और तेरी चूत को लण्ड की जो मेरे पास एकदम मस्त है। अब ज्यादा नखरे ना चोद और देख कैसे तेरी गर्मी पाने के लिए ये फड़फड़ा रहा है.
ये बोलकर में उसका हाथ अपने लण्ड कर रख देता हैं। जिससे उसके गर्म जिम का एक झटका लगता है। पर मैं तो उसके हाथ के ऊपर अपने हाथ से मूठ मारना शुरू कर देता है, जिससे उसे भी मस्ती चढ़ने लगती है। तो ये देख मैं अपने हाथ से उसकी नंगी चूत पकड़ लेता हैं जिससे बो सिसक पड़ती है और में उसके होंठों पर टूट पड़ता हूँ।
मेंडम- "आश आहह... सीईईई.. उईईई.. ओहह... आहह... किस के वक्त- "सुर्रर सिईई लप्प्प हों उम्म्म्म
मैं अपने एक हाथ से लण्ड मसलवा रहे हाथ को हटाकर उसकी गर्दन के पीछे से लेकर जंगली होकर होंठों को चस, चाट और काट रहा था। जिससे उसकी आहे निकल रही थीं। फिर चूत में हाथ हटाकर उसकी मोटी-मोटी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगता हैं, कभी-कभी उसके निपल को खींच भी लेता, जिसमें उसकी आहे तेज हो गई थी, और अब तो हक्स और चूत की गर्मी में अंधी होकर वो भी साथ दे रही थी।
मैडम- "ओह... हौं आइ: सीईई.. आह्ह... उईई हौं उम्म्म पी ले ओह्ह ... आह्ह.."
मैं उसे अब पूरे मस्ती में देखकर उसमें कुछ देर बाद अलग होकर उसको टायलेट के पास नीचे घुटने के बल बीठाता है और अपने लण्ड को चूसने का इशारा करता हूँ। तो वो भी लपक के लण्ड पकड़ लेती है और अपनी चूत जैसे गर्म मैंह में डालकर रंडी के जैसे चूसने लगती है। जिसमें मेरे लण्ड के मजे हो जाते हैं, और मेरी मस्ती की कराह निकलती जाती है।
में- "सीपी आह्ह... साली चंडी क्या चूस रही है... तेरी चूत के जैसे गर्म है तेरा मुँह तो आहह... ऐसे ही ले बहन की लौड़ी ओहह... आह्ह.."
मेंडम- "गुरं गुतट कुप्प शुरुउप्प लप्प्प गुपयी पईतपय चईई.."
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दस मिनट लण्ड चूसने के बाद में उसे उठाकर घुमाता है और उसकी गाण्ड को थोड़ा पीछे करके काटते हये पीछे
से ही गाण्ड और चूत चूसने लगता है।
वो भी पागलों की तरह जैसे उसे दर्द भी हो रहा हो और मजा भी आ रहा था और वैसे भी अब तो लण्ड लेने के लिए उसे पूरा चुदासी कर ही दिया था मैंने, तो अब बिना लिए वो नहीं रुकने वाली थी चाहे पूरे कालेज के सामने ही क्यों न चुदवाना पड़े।
मैडम- "आह्ह... आह्ह... आईई.. आअहह... आदर्द होता है आह्ह एसम्म उम्म्म..."
में दस मिनट बाद खड़े होकर अपने लण्ड पर थूक लगाकर पीछे से ही वो भी खड़े-खड़े ही उसकी चूत में लण्ड डाल देता हैं और वो फटी हुई चूत खन वहाँने लगती और वो चिल्लाती हैं। पहले ही मैंने उसके मुँह को अपने एक हाथ से बंद कर दिया था और फिर बिना रुके चूत का भोसड़ा बनाने लगता हैं।
मेइम- "हंउ ओह्ह... उम्म्म्म ... मर गई हाय आहह उईईई..
में तो मैडम की चूत मारने में बिजी था और मेरा लण्ड चूत का खून पीने में। और एक खास बात, हम यहां चुदाई कर रहे थे तो कुछ लड़कियां टायलेंट के लिए आई थीं, जो अंदर हो रही चुदाई की आवाजों से मजे और एक दूसरे को देखकर धीरे-धीरे हँस रही थी। पर अब तो लाइव चुदाई की वजह से मस्ती में आने लगी थी।
में 15 मिनट चोदने के बाद, जब मेडम भी दर्द के बाद मस्ती में आने लगी तो मैं चूत की वजह गीले लण्ड को निकाला और मैडम की गाण्ड पर टिकाकर उनके कुछ बोलने से पहले ही तीन-चार लगातार धक्के में लण्ड गाण्ड की गहराई में उतार दिया और बड़े-बड़े धक्कों के साथ गाण्ड मारने लगा। और लण्ड गाण्ड में आने वाले खून को गाण्ड मारले हए पी रहा था। जिससे मैं और ज्यादा चुदाई कर सकू। पं रुकने की ताकत दे रहा था। पर मैडम की तो बेहोश होने की हालत हो गई थी। पर मेरे लण्ड की वजह से हो नहीं पा रही थी। पर मैं इन सबको पूरा अनदेखा करते हए गाण्ड मार रहा था, और 20 मिनट बाद वो भी अब बाबर झेलने के काबिल हो गई थी, और अब मस्ती में गाण्ड हिलाकर लण्ड ले रही थी। पर दर्द ज्यादा था।
मेडम- "आह्ह... मादरचोद, साले कुत्ते मेरी गाण्ड को क्या किसी रंडी की गाण्ड समझा है जो इतनी बेरहमी से फाड़ दी... आहह ... मादरचोद दर्द हो रहा है ओहह.."
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मैं- "साली तू मेरी रन्डी ही तो है आह्ह.. क्या कसीई हुई गाण्ड है तेरी छिनाल..."
मैडम- "माले रंडी के... वो तो होगी ही ना.. कुंवारी गाण्ड ही तो थी, और चूत भी तो दो साल में नहीं चुदी है.."
हमारी इस चुदाई से पता नहीं कितनी लड़कियों ने आकर अंदर पानी छोड़ा और अपनी दोस्तों को लाकर इस चुदाई को दिखाई, और मैं बिना कीसी की परवा किये उसे चोद रहा था और 8 मिनट बाद दोनों ने साथ ही पानी छोड़ दिया। फा इस चुदाई में मेडम में पता नहीं कितनी बार पानी निकाला था, और लास्ट में मेरे साथ झड़ने के बाद 20 मिनट आराम के बाद वो टायलेट करने के लिए खड़ी हई। और अब चूत और गाण्ड इतनी बुरी तरह मरवाने के बाद वो बैंठकर तो मत नहीं सकती थी। वो थोड़ा गाण्ड को कुसी करके मूतने लगी- "मुर्गर मुर्रर सुर्रर... सुरूल टम्म..."
म सीन देखकर मेरी चुदाई का मह फिर बन गया, और मैं उसके पास आकर चुदाई करने लगा। वो बार-बार मना कर रही थी। पर मैं कहां रुकने वाला था और अलग-अलग पोज में चोदने लगा और 40 मिनट चोदने के बाद साथ में दोनों पानी छोड़ दिए।
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