Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 55 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

"भाभी जी मुझे आपके इस जगह की सफायी करनी होगी क्योंकी हो सकता है सफायी न करने की वजह से फिर से आपको तकलीफ हो" रवि ने रेखा को देखते हुए कहा।
"डॉ जीईई तो करिये न किसने रोका है मुझे बस आराम मिलना चाहिये" रेखा ने बड़ी बेशरमी से कहा।
"मगर भाभी इसके लिए आपको यह पेंटी भी उतारनी होगी" रवि ने रेखा की आँखों में देखते हुए कहा।
"ओहहहह डॉ जी इसका मतलब मुझे आपको अपनी चूत दिखानी होगी। चलो कोई बात नहीं आप डॉ ही तो हैं देख लेंगे तो क्या हो गया वैसे भी आप दिन में जाने कितनी चूतें देखते होंगे" रेखा ने रवि को देखकर बड़ी बेशरमी से हँसते हुए कहा।

"भाभी जी आप भी न। कुछ भी हो आप हैं बड़ी ख़ूबसूरत तीन जवान बच्चों की माँ होते हुए भी आप बिलकुल कुँवारी लड़की के जैसे ही लगती हैं" रवि ने भी रेखा की तारीफ करते हुए कहा।
"ओहहहह डॉ जी आप मेरी झूठी तारीफ मत करें। आपको तो डेली बुहत जवान औरतें देखने को मिलती होंगी भला आप मुझ जेसी बुढी की की तारीफ कर सकते है" रेखा ने रवि को देखते हुए कहा।
"नही भाभी जी भगवन कसम आप बुहत ज्यादा हसीन है" रवि ने रेखा को देखते हुए कहा।
"आप कहते हैं तो मान लेती हूँ अब चलिये मेरा इलाज करिये" रेखा ने रवि से मुस्कराते हुए कहा।
"भाभी निकाल दिजिये न इस पेंटी को" रवि ने अपने हाथ को रेखा की गीली पेंटी पर रखते हुए कहा।
"आप ही उतार दिजिये वैसे भी अब आपके सामने मुझे नंगा ही होना है" रेखा ने रवि की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।

"ठीक है भाभी जी जैसे आपकी मर्जी" रवि ने रेखा को देखते हुए कहा और अपने दोनों हाथों से उसकी पेंटी को पकडते हुए उसकी टांगों से निकालकर उसे बेड पर रख दिया।
"ओहहहहह भाभी जी यहाँ तो बुहत गन्दगी है" पेंटी के उतरते ही रवि ने रेखा की नंगी गोरी फूली हुयी चूत को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह डॉ जी" रेखा अपनी नंगी चूत पर रवि के हाथ को महसूस करके मज़े से सिसक उठी और उसका जिस्म फिर से गरम होने लगा।
"भाभी क्या इस मैं अपनी जीभ से साफ़ कर सकता हूँ क्योंकी जीभ की थूक लगने से आपको बुहत फ़ायदा होगा" रवि ने रेखा की चूत को वैसे ही सहलाते हुए कहा।
"ओहहहहहह डॉ जीईई जैसे आपको ठीक लगे। मुझे बस आराम मिलना चाहिए मुझे बुहत अजीब लग रहा है वहां" रेखा ने फिर से सिसकते हुए कहा।
 
"ठीक है भाभी बस अब आप को आराम ही आराम मिलेंगा" रवि ने रेखा की चूत को आखरी बार देखा और नीचे झुकते हुए अपने हाथ से उसकी झाँटों को चूत के छेद से थोडा हटाते हुए अपनी जीभ को निकालकर वहाँ पर रख दिया और रेखा की चूत के छेद को ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ से चाटने लगा।
"उईई डॉ जीईई आअह्ह्ह्हह्ह" रेखा अपनी चूत में रवि की जीभ के लगने से ही उछलते हुए ज़ोर से सिसकने लगी।
"क्या हुआ भाभी आराम मिला की नही" रवि ने अपनी जीभ को रेखा की चूत से हटाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्हह्ह बुहत अच्छा लग रहा है" रेखा ने रवि के बालों में हाथ डालकर उसके मुँह को वापस अपनी चूत पर रखते हुए कहा । रवि कुछ देर तक वैसे ही रेखा की चूत को अपनी जीभ से चाटता रहा।


"भाभी इस गन्दगी को तो अंदर से साफ़ करना होगा वरना यह ज्यादा खतरा बन सकती है" रवि ने कुछ देर बाद फिर से अपने मुँह को रेखा की चूत से हटाते हुए कहा।
"ओहहहहहह डॉ जी करो न अंदर से साफ़ मुझे वहां पर कुछ हो रहा है" रेखा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा। वह मन ही मन में रवि को गालियां देर ही थी क्योंकी वह झडने के बिलकुल क़रीब थी।
"भाभी उसके लिए मुझे कोई बड़ी चीज़ आपकी चूत में घुसानी होगी" रवि ने रेखा को देखते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह तो घुसेडो डॉ जी । बस मुझे सुकून मिलना चहिये" रेखा ने आह भरते हुए कहा।
"भाभी इस वक्त और कुछ तो नहीं सुझ रहा है अगर आप कहें तो मैं अपने इसका उपयोग कर सकता हुँ" रवि ने मौका देखकर चौका मारते हुए अपने लंड को पेण्ट की ज़िप खोलकर बाहर निकालते हुए कहा।
"आह्ह्ह्हह्ह डॉ जी यह तो बुहत बड़ा है" रेखा ने रवि के खड़े 9 इंच लम्बे लंड को देखते हुए नशीले अंदाज़ में सिसकते हुए बोली।
"भाभी बड़ा है इसीलिए तो कह रहा हूँ यह बुहत अंदर तक आपकी सफाई करेगा" रवि ने इस बार रेखा का हाथ पकडकर अपने लंड पर रखते हुए कहा।
 
रेखा जो पहले से बुहत गरम हो चुकी थी। वह अचानक अपने हाथ को रवि के लंड पर महसूस करते ही सिसक उठी। उसका पूरा शरीर बुहत ज़ोर से काँपने लगा और उसका हाथ अपने आप रवि के लंड पर आगे पीछे होने लगा।
"आह्ह्ह्हह भाभी" रवि का लंड जो पहले से बुरी तरह तना हुआ था। वह रेखा का नरम हाथ लगते ही ज़ोर से उछलने लगा । रवि रेखा के ऊपर ही झुक गया और अपने होंठ रेखा के गुलाबी होंठो पर रख दिये। रेखा रवि के होंठ अपने होंठो पर महसूस करते ही उत्तेजना के मारे पागल हो गई । वह रवि के लंड को अपने हाथ से बुहत तेज़ी के साथ आगे पीछे करते हुए रवि के होंठो को भी चूमने लगी।

रवि भी रेखा के होंठो को बुरी तरह से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा । रेखा ने अपनी जीभ को रवि के मुँह में डाल दिया जिसे रवि बड़े प्यार से चूसना लगा । रवि कुछ देर तक रेखा के होंठो को वैसे ही चूसने के बाद उसके ऊपर से उठ गया और अपने कपड़ों को उतारकर बिलकुल नंगा हो गया । रवि बिलकुल नंगा होकर फिर से रेखा के ऊपर चढ़ गया और इस बार वह रेखा की ब्रा को उसके बड़ी बड़ी चुचियों से हटाकर उसकी बड़ी बड़ी गोरी चुचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने और चाटने लगा।
"आह्ह्ह्हह ओहः" रेखा के मूह से उत्तेजना के मारे बस सिसकियाँ निकल रही थी और उसने अपनी टांगों को फ़ैला दिया था । जिस वजह से रवि उसकी टांगों के बीच आ गया था और उसका मुसल लंड रेखा की नंगी चूत को टक्कर मार रहा था।

रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी निकल रहा था और वह खुद भी गरम होकर अपने हाथों से रवि के बालों को सहलाते हुए अपने चूतडों को ज़ोर से रवि के लंड पर उछाल रही थी । रवि समझ गया था की रेखा बुहत ज्यादा गरम हो चुकी है मगर उसे रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां बुहत मजा दे रही इसीलिए वह उसकी चुचियों को अब अपने दांतों से हल्का हल्का काटने लगा।
"उईई आअह्ह्ह्हह डॉ जी दर्द हो रहा है" रवि की इस हरकत से रेखा के मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकलने लगी और उसकी चुचियों पर जगह जगह निशान बन गये।

रवि अब रेखा की चुचियों को छोडकर सीधा हो गया और अपने खड़े फनफनाते हुए लंड को अपने हाथ में पकडकर रेखा की चूत के लाल सिरे में घीसने लगा।
"डॉ जी डाल दिजिये ना क्यों तडपा रहे हो" रेखा ने अपने चूतड़ों को उछालकर रवि के लंड को अपनी चूत में लेने की नाक़ाम कोशिश करते हुए कहा।
"भाभी जी अभी डालता हूँ ज़रा सम्भालकर" रवि ने रेखा को देखते हुए कहा और अगले ही पल अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखकर एक करारा धक्का मार दिया।
 
"उईई माँ बुहत मोटा है आपका आहह आराम से" रवि का लंड एक ही धक्के में 6 इंच तक रेखा की चूत में घुस गया जिस वजह से वह दर्द के मारे तडपने लगी।
"भाभी क्या टाइट चूत है आपकी। भाई साहब आपको नहीं चोदते क्या?" रवि ने अपने लंड को बाहर खींचकर फिर से रेखा की चूत में पेलते हुए बोला।

"ओहहहहह चोदते हैं मगर उसका इतना मोटा और बड़ा नहीं है" रेखा ने सिसकते हुए कहा।
"ओहहहह अब समझा इसीलिए आपकी चूत अब तक इतनी टाइट है" रवि ने रेखा की बात सुनकर कहा और उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
"आआह्ह्ह्ह डॉ जी ऐसे ही ओह्ह्ह्हह्हह ज़ोर से धक्के लगाओ" रेखा भी कुछ ही धक्कों में दर्द भूलकर बुहत ज़ोर से अपने चूतडों को उछालते हुए रवि के लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसकते हुए कहने लगी।
"भाभी जी आप बुहत गरम हो मुझे अपना लंड किसी भट्टी में महसूस हो रहा है यह लो अब पूरा घुसाकर ही तुम्हरी गर्मी निकालता हू" रवि रेखा की बात सुनकर अपने लंड को बुहत ज़ोर से 2-3 धक्के मारते हुए रेखा की चूत में जड़ तक घुसा दिया।

"उईई डॉ जी ओहहहहहह फट गयी आपका तो बुहत लम्बा और मोटा है आहहह निकलो प्लीज" रेखा रवि का पूरा लंड घुसते ही ज़ोर से चिल्लाने लगी।
"भाभी जी बस अब घुस गया आप तो ऐसे चिल्ला रही हो जैसे कोई कुँवारी लड़की हो" रवि ने हँसते हुए कहा।
"ओहहहहहह डॉ जीईई आपका लंड तो मुझे अपने पेट में घुसा हुआ महसूस हो रहा है" रेखा ने वैसे ही सिसकते हुए कहा।
"बस भाभी अब देखना आपको कितना मजा आता है" रवि ने अपने लंड को वापस खींचकर फिर से उसकी चूत में जड़ तक घुसाते हुए कहा।
"आहहह आराम से" रेखा के मुँह से फिर से चीख़ निकल गयी । रवि वैसे ही फ़िलहाल धीरे धीरे अपना लंड रेखा की चूत में अंदर बाहर करने लगा । कुछ ही देर में रेखा का सारा दर्द ख़तम हो गया और वह अपने चूतडों को उछाल उछालकर रवि का पूरा लंड अपनी चूत में लेने लगी।

रवि भी रेखा को गरम होता देखकर अपने लंड को बुहत ज़ोर से रेखा की चूत में अंदर बाहर करने लगा।
"आह्ह्ह्ह ऐसे ही और तेज़" रेखा अपने चूतडों को ज़ोर से उछालते हुए रवि के लंड को अपनी चूत में लेते हुए बोली । रवि भी समझ गया की रेखा झडने वाली है इसीलिए वह अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर पूरी ताक़त के साथ रेखा की चूत में पेलने लगा। वह तूफ़ानी रफ़्तार के साथ रेखा की चूत को चोद रहा था।
"आह्ह्ह्ह डॉ जी ओह्ह्ह्हह्हह आहहह" रेखा का पूरा जिस्म अचानक काम्पने लगा और वह ज़ोर से चीखते हुए झडने लगी । रेखा ने झडते हुए अपनी आँखों को बंद कर दिया।
 
रवि तब तक रेखा की चूत में अपना लंड तेज़ी के साथ अंदर बाहर करता रहा जब तक उसकी चूत से पानी निकलता रहा । रेखा ने जैसे ही पूरी तरह झडने के बाद अपनी आँखें खोली रवि भी उसके ऊपर ही झुकते हुए उसके होंठो को चूमने लगा । रवि ने कुछ देर तक रेखा के होंठो को चूमने के बाद उसकी चूत से अपना लंड खींचकर निकाल लिया । लंड पच की आवाज़ के साथ रेखा की चूत से निकल गया और रेखा हैंरानी से रवि को देखने लगी, रेखा की चूत का छेद बिलकुल खुला हुआ था और उसकी चूत इतनी चुदाई से सूजकर लाल हो चुकी थी । रवि ने रेखा को कुतिया की तरह उल्टा कर दिया।



रवि ने भी रेखा के पीछे आते हुए अपना मुसल लंड पीछे से रेखा की चूत में घुसा दिया और रेखा को पूरी तेज़ी के साथ पीछे से चोदने लगा । रेखा भी फिर से गरम होने लगी और वह भी अपने चूतडों को पीछे की तरफ धकेलते हुए सिसक सिसककर रवि का लंड अपनी चूत में लेने लगी।
"भाभी जी आपने कभी भैया से अपनी गांड चुदवाई है?" रवि की नज़र अचानक रेखा के भारी चुतडो के बीच छुपे उसके गांड के भूरे छेद पर पर गयी और रवि अपने एक हाथ से रेखा की गांड के छेद को सहलाते हुए बोला।
"आहहह नहीं डॉ जी" रेखा रवि के हाथ को अपनी गांड पर लगने से सिसक उठी उसे अपने पूरे शरीर में ज़ोर की सिहरन होने लगी।

"भाभी जी क्या गांड है आपकी भैया कैसे आदमी है उसका दिल कभी आपकी गांड मारने पर नहीं गया। क्या मैं आपकी गांड को चोद सकता हूँ" रवि ने हैंरानी से रेखा की गांड को घूरते हुए कहा और अगले ही पल उसने अपने एक ऊँगली को थूक से गीला करते हुए रेखा की गांड में डाल दिया।
"उईई आहह नहीं तुम्हारा बुहत मोटा और लम्बा है वह मेरी चूत में ही दर्द कर रहा है। इससे मैं अपनी गांड नहीं चुदवा सकती" रेखा ने अपनी गांड में रवि की ऊँगली को महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"अरे भाभी कुछ नहीं होता बस थोड़ा सा ही दर्द होगा वैसे भी आपकी गांड बुहत बड़ी है इसमें तो मेरे लंड जैसे दो लंड भी समा जाएंगे" रवि ने अपनी ऊँगली को रेखा की गांड में डाले ही उसकी चूत को अपने लंड से चोदते हुए कहा।
"आह्ह्ह्हह्ह डॉ जी इस बार नहीं। अगली बार आप चोद लेना" रेखा ने उत्तेजना के मारे ज़ोर से सिसकते हुए कहा।

रवि रेखा की बात सुनकर उत्तेजना के मारे उसकी चूत को बुहत ज़ोर से चोदने लगा । वह रेखा की चूत को चोदते हुए अपनी ऊँगली को भी बुहत ज़ोर से उसकी गांड में अंदर बाहर कर रहा था । रवि की इस हरकत से रेखा का पूरा शरीर फिर से अकडने लगा। रवि समझ गया की रेखा फिर से झडने वाली है मगर इस बार वह खुद भी झरने के क़रीब था इसीलिए वह बुहत तेज़ी के साथ रेखा की चूत को चोदते हुए अपनी ऊँगली को भी ज़ोर से उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा।
 
"आह्ह्ह्ह भाभी मैं आने वाला हू" अचानक रवि ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहह डॉ जी मेरी चूत में ही छूटना मैं भी आने वाली हू" रेखा ने रवि की बात सुनकर ज़ोर से अपने चूतडों को पीछे की तरफ धकेलते हुए बोली।
"आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह ओहहहहह भाभी" रवि अचानक अपने लंड को बुहत ज़ोर से रेखा की चूत में जड़ तक घुसाकर हाँफते हुए झडने लगा।
"उईईई डॉ जी कितना गरम है आपका वीर्य आह्ह्ह्हह में भी गयी ओहहहः" रेखा भी रवि के लंड से निकलता हुआ गरम वीर्य सीधा अपनी बच्चेदानी में गिरने से ज़ोर से चिल्लाते हुए खुद भी झडने लगी । रेखा ने झडते हुए अपनी आँखों को बंद कर लिए । कुछ देर तक रवि और रेखा झडते रहे और फिर एक दुसरे से अलग होकर बेड पर सीधा लेटकर हाँफने लगे।

"भाभी जी आज तो मजा आ गया। ऐसे ही कभी इस गरीब को याद करती रहना" रवि ने बेड से उठकर अपने कपड़ों को पहनते हुए कहा।
"अब तो आपको याद करना ही पड़ेगा क्योंकी जो मजा आपसे मुझे मिला है वह तो मैं भुला ही नहीं सकती" रेखा ने भी बेड पर सीधी होकर बैठते हुए कहा । रेखा की चूत का छेद बिलकुल खुला हुआ था और उसकी चूत से अब भी रवि का वीर्य निकलकर बेड पर गिर रहा था । रेखा की चूत इतने बड़े लंड से चुदने के बाद सूजकर डबल रोटी की तरह मोटी और बिलकुल लाल हो चुकी थी।
"ओहहहह डॉ जी आपका इलाज तो बुहत अच्छा था मगर इस इलाज में मेरी चूत की क्या हालत हो गई है" रेखा ने अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
"हाँ भाभी लगता है इसका इलाज फिर से करना पडेगा" रवि ने रेखा की चूत को देखकर हँसते हुए कहा।


"ना बाबा न अब यह सह नहीं पायेगी पहले से ही इसकी हालत बुहत ख़राब है" रेखा ने रवि की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"ठीक है भाभी मै अब चलता हूँ । मेरा नंबर तो है आपके पास" रवि ने अपने पूरे कपडे पहनने के बाद अपने सामान को उठाते हुए कहा।
"ठीक है डॉ जी बुहत जल्द मैं आपको फिर से याद करूंग़ी" रेखा ने नंगी ही बेड से उठकर रवि से कहा और एक चुम्बन रवि के होंठो पर दे दिया, रवि वहां से निकलकर चला गया और रेखा भी बाथरूम में घुसकर फ्रेश होने लगी।
 
वापस महेश के घर चलते हैं। दोस्तों अब डेली का रूटीन बन चूका था रात के होते ही महेश अपनी बहु के कमरे में घुसकर उसकी शानदार चुदाई करता। समीर भी इसी तरह रोज़ अपनी बहन को चोदता था । आज सुबह समीर के जाने के बाद नीलम घर का काम काज करने में मसरुफ हो गई। महेश ने आज अपनी बेटी को चोदने का पूरा मन बना लिया था क्योंकी पिछले 2 दिनों से उसका लंड भूखा था, नीलम के पीरियड शुरू हो चुके थे इसीलिए वह महेश को अपने क़रीब भी भटकने नहीं दे रही थी।

दोपहर का खाना खाने के बाद सभी अपने कमरों में सोने चले गए। महेश अपने प्लान के मुताबिक सब के कमरों में जाते ही खुद अपने कमरे से निकलकर अपनी बेटी के कमरे में चला गया।
"बापु आपको क्या चाहिए?" ज्योति ने अचानक अपने पिता को कमरे में दाखिल होता देखकर बेड से उठते हुए कहा।
"कुछ नहीं बेटी आज तुमसे बाते करने का मन कर रहा था इसीलिए यहाँ चला आया" महेश ने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद करते हुए कहा । ज्योति जानती थी की उसके पिता की नज़र उस पर है इसीलिए वह यहाँ आये हैं मगर फिर भी वह कुछ बोल नहीं सकती थी । उसका दिल बुहत ज़ोर से धड़क रहा था, महेश दरवाज़ा बंद करने के बाद सीधा बेड पर जाकर बैठ गया । वह सिर्फ धोती में था।

ज्योति उस वक्त सोने वाली थी इसीलिए उसने नाइटी पहन रखी थी जो बुहत छोटी थी और ज्योति की टांगों को ढ़क नहीं पा रही थी।
"वाह बेटी आज तो बुहत सेक्सी लग रही हो" महेश ने अपनी बेटी को घूरते हुए कहा।
"वो पिता जी मैं सोने वाली थी इसीलिए नाइटी पहन ली" ज्योति ने शर्म से लाल होते हुए अपना कन्धा नीचे करते हुए कहा।
"कोइ बात नहीं मुझे तो तुम ऐसे ही कपड़ों में अच्छी लगती हो" महेश ने हँसते हुए कहा।
"पिता जी मुझे नींद आ रही है" ज्योति ने अपने पिता से जान छुड़ाने के लिए कहा।
"अरे बेटी तो आओ आज मेरी गोद में सर रखकर सो जाओ न । बचपन में भी तो तुम सोती थी" महेश ने ज्योति की बात सुनकर उसे देखते हुए कहा।

"नही पिता जी बस ठीक है" ज्योति ने जल्दी से इन्कार करते हुए कहा।
"अरे वाह बेटी यह क्या बात हुई आओ बडों से ज़िद नहीं करते" महेश ने आगे बढ़कर ज्योति को कलाई से पकडकर अपनी तरफ खींचते हुए कहा । ज्योति के पास अब और कोई रास्ता नहीं बचा था तो वह चुपचाप अपना सर अपने पिता की गोद में रखकर लेट गयी।
"आह्ह्ह्ह बेटी कितनी बड़ी हो गई है तू देख तुम्हारी चुचियां भी तो बुहत बड़ी हो गई हैं" महेश ने अपनी बेटी के गोद में सोते ही उसकी चुचियों को जो ऊपर से थोड़ा बाहर निकल आई थी घूरते हुए कहा।
 
"पिता जी मैं आपकी बेटी हूँ मुझसे गन्दी बाते मत करो" ज्योति ने अपनी पिता को समझाते हुए कहा।
"अरे बेटी क्या करू तुम्हारी जवानी को देखकर मुझे जाने क्या हो जाता है अब देखो यह कैसे खड़ा हो गया है" महेश ने अपनी धोती को आगे से थोड़ा खोलकर अपने मुसल लंड को हाथ में पकडकर अपनी बेटी के आँखों के सामने करते हुए कहा।

"पिता जी कुछ तो शर्म करें में आपकी सगी बेटी हू" ज्योति ने अचानक अपने पिता का नंगा लंड इतना नज़दीक से देखने पर उसकी गोद से उठकर सीधी बैठते हुए कहा। ज्योति की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी।
"बेटी तुम मेरे साथ कुछ करना नहीं चाहती तो ठीक है में तुमसे ज़बर्दस्ती नहीं करूँगा मगर मेरी एक खवाहिश पूरी कर दो जैसे उस दिन तुमने मेरे लंड को पकडा था वेसे ही एक दफ़ा इसे अपने हाथों से पकड लो" महेश ने अपनी बेटी को देखते हुए कहा।
"नही पिता जी यह ठीक नहीं है" ज्योति ने यों ही बैठते हुए कहा उसकी साँसें अब भी बुहत ज़ोर से चल रही थी जाने क्यों अपने पिता के लंड को देखने के बाद उसे अपने जिस्म में अजीब किस्म की सिहरन हो रही थी।

"बेटी बस एक बार" महेश ने ज्योति के एक हाथ को पकडकर अपने लंड पर रखते हुए कहा।
"आहाहहह पिता जी छोड़िये ना" ज्योति का पूरा जिस्म अपने हाथ को अपने पिता के गरम लंड पर रखने के बाद ज़ोर से कांप उठा और उत्तेजना के मारे उसकी चूत से पानी टपकने लगा मगर फिर भी उसने नखरा करते हुए अपने पिता से कहा । महेश ने ज्योति के हाथ को अपने हाथ से पकडकर अपने लंड पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ देर में ही ज्योति का हाथ अपने आप उसके पिता के लंड पर आगे पीछे होने लगा।
"आह्ह्ह्ह बेटी कितना नरम हाथ है तुम्हारा तुम मेरी गोद में लेटकर इसे सहलाओ ना" महेश ने अपने हाथ को अपनी बेटी के हाथ से हटाकर उसे कमर से पकडकर अपनी गोद पर लिटा दिया।

ज्योति का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था क्योकी अब उसके पिता का लंड ज्योति के मुँह के बिलकुल सामने था और इतने क़रीब से अपने पिता का मुसल लंड सहलाते हुए उसके मुँह में पानी आ रहा था।
"बेटी क्या तुम्हारा दिल इससे प्यार करने को नहीं हो रहा है आज सारी शर्म छोड दो और जी भरकर इससे प्यार करो" महेश ने अपने एक हाथ को अपनी बेटी की नंगी जाँघ पर रखकर उसकी जाँघ को सहलाते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह ओहहहह पिता जी यह आप क्या कर रहे है" अपने पिता के हाथ को अपनी नंगी जाँघ पर महसूस करते ही ज्योति की आँखें नशे से बंद होने लगी और उसने बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 
"बेटी कितना कोमल जिस्म है तुम्हारा" महेश ने अपनी बेटी को गरम होता देखकर अपने हाथ को उसकी जांघों से ऊपर करते हुए उसकी पेंटी तक ले जाते हुए कह
"ओहहहहह नही पिता जी। प्लीज वहां से हाथ हटाइये ना" ज्योति अपने पिता के हाथ को अपनी चूत के इतना क़रीब महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली। उसकी हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी ज्योति की चूत से पानी की नदी बह रही थी और उसका हाथ महेश के लंड पर बुहत ज़ोर से चल रहा था।
"ओहहहहहह बेटी एक बार इसे अपने मूह में ले लो ना" महेश ने अपने दुसरे हाथ से ज्योति के हाथ को पकड़ा जो उसके लंड पर आगे पीछे हो रहा था और उसे ज्योति के होंठो के बिलकुल नज़दीक रख दिया।

"आआह्ह्ह पिता जी" ज्योति अपने पिता के लंड का गुलाबी मोटा सुपाडा अपने होंठो के इतने नज़दीक देखकर सिसक उठी और अगले ही पल वह अपने होंठो से अपने पिता के लंड के मोटे सुपाडे को पागलो की तरह चूमने लगी। वह अपने पिता के लंड के गुलाबी मोटे सुपाडे को ऊपर से नीचे तक अपने होंठो से चूम रही थी।
"ओहहहहह बेटी इसे अपने मुँह में लो ना और जीभ से चाटो" महेश का पूरा जिस्म अपनी बेटी के गुलाबी नरम होंठ अपने लंड पर लगते ही ज़ोर से काम्पने लगा और वह उत्तेजना के मारे ज़ोर से सिसकते हुए बोला उसने अपने हाथ को अपने लंड से हटा दिया । ज्योति अपने पिता की बात सुनकर अपनी जीभ को निकालकर अपने पिता के लंड के गुलाबी मोटे सुपाडे पर फिराने लगी।
"उईईई आहहहह बेटी" महेश का पूरा बदन अपनी बेटी की जीभ अपने लंड के सुपाडे पर महसूस करते ही सिहर उठा और वह अपने एक हाथ से अपनी बेटी के बालों को पकडकर अपनी लंड पर दबाने लगा जबकी दुसरे हाथ को उसकी पेंटी पर रखकर उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा।

ज्योति अपने पिता के हाथ को पेंटी के ऊपर से ही अपनी चूत पर महसूस करके सिहर उठी और वह अपना मुँह खोलकर अपने पिता के लंड के गुलाबी मोटे सुपाडे को अपने मुँह में ले लिया । महेश के लंड का सुपाडा इतना मोटा था की ज्योति के पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाडा ही अंदर ले सकी । वह अपने होंठो को अपने पिता के लंड पर आगे पीछे करने लगी। इधर महेश भी ज़ोर से सिसकते हुए अपनी बेटी की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा । अपनी बेटी की चूत को सहलाते हुए महेश का हाथ गीला हो गया था क्योंकी ज्योति की चूत से उत्तेजना के मारे बुहत पानी निकल रहा था।
 
"बेटी एक काम करो तुम नाइटी को उतारकर मेरे ऊपर उलटी होकर लेट जाओ" महेश ने अपनी बेटी की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा और खुद सीधा होकर बेड पर लेट गया । ज्योति को उस वक्त हवस का नशा चढ़ चूका था । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था के वह क्या करे इसीलिए वह अपने पिता की बात को मानते हुए अपने मुँह से उनका लंड निकालकर अपनी नाइटी को उतारते हुए उनके ऊपर उल्टा होकर लेट गयी और अपने पिता के लंड को फिर से अपने हाथ से पकडकर अपने मूह में भर लिया।
"ओहहहहह अह्ह्ह्ह बेटी" महेश अपनी बेटी की नरम चुचियों को अपने पेट पर दबने और उसके भारी गोरे चूतड़ों को देखते हुए सिसका जो अब सिर्फ पेंटी में महेश के मुँह के सामने थे।


ज्योति अपने पिता के लंड को फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी । इधर महेश अपने हाथों से अपनी बेटी के चूतडों को दबाते हुए उसकी चूत को पेंटी के ऊपर से ही सहलाने लगा । ज्योति अपने पिता के हाथों को अपनी चूत पर महसूस करते ही उसके लंड को ज़ोर से चूसने लगी। महेश भी अपनी बेटी को गरम देखकर उसकी पेंटी को उसके चूतडों से अलग करने लगा। ज्योति ने भी अपने चूतडों को उठाकर अपने जिस्म से अलग करने में अपने पिता की मदद की, ज्योति की गुलाबी चूत अब बिलकुल नंगी होकर उसके पिता के सामने आ चुकी थी जिसे देखकर महेश अपने होंटों पर जीभ को फिराने लगा।

महेश ने अपने हाथ से अपनी बेटी की चूत को सहलाया और उसके चूतडों से पकडकर सीधा अपने होंठो पर रख दिया। महेश अपनी बेटी की चूत को अपने होंठो से चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर चाटने लगा । ज्योति का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो चुका था वह बुहत तेज़ी के साथ अपने पिता के लंड को अपने होंठो से चूस रही थी ।इधर महेश भी अपनी बेटी की नमकीन चूत को बड़े प्यार से चूस और चाट रहा था, अचानक ज्योति का बदन अकडने लगा जिसे देखकर महेश ने अपना मुँह उसकी चूत से हटा दिया।

ज्योति तडपते हुए अपने चूतडों को अपने पिता के मूह पर दबाने लगी मगर महेश ने अपने हाथों से उसके चूतडों को पकडकर अपने मुँह से दूर कर दिया।
"आहहह पिता जी चाटो न क्या हुआ आपको" ज्योति से बर्दाशत नहीं हो रहा था। वह झडने वाली ही थी की उसके पिता ने उसकी चूत से मुँह हटा दिया था। जिस वजह से ज्योति ने अपने पिता के लंड को अपने मुँह से निकालते हुए सिसकते हुए बोली।
"नही बेटी यह सब ठीक नहीं है तुम मेरी बेटी हो" महेश ने अपनी बेटी को अपने ऊपर से उठाते हुए कहा वह जानता था की ज्योति एक बार झडने के बाद उसे कभी भी चोदने नहीं देगी इसीलिए वह नाटक करने लगा।
 
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