hotaks444
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"पिता जी अचानक आपको क्या हुआ आप ही तो मुझे पाना चाहते थे" ज्योति ने अपने पिता को हैंरानी से देखते हुए कहा।
"हाँ मगर मैं तुम्हें पूरी तरह से हासील करना चाहता हूँ" महेश ने सीधी बात करते हुए कहा।
"तो आइये न मैं तैयार हूँ आप मेरे जिस्म से खेलिये ना" ज्योति ने तडपते हुए कहा।
"नही मैं तुम्हारे जिस्म से सिर्फ खेलना नहीं तुम्हें चोदना भी चाहता हूँ" महेष ने ज्योति को देखते हुए कहा।
"पिता जी" ज्योति ने शरमाकर अपनी नज़रों को झुकाते हुए कहा।
"बताओ अगर तुम तैयार हो तो ठीक है वरना मैं जा रहा हू" महेश ने अपनी बेटी को ब्लैकमेल करते हुए कहा।
"नही पिता जी मैं तैयार हू" ज्योति ने चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहहह बेटी तुम कितनी अच्छी हो मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा है" महेश ने अपनी बेटी के ऊपर चढते हुए कहा और ज्योति के होंठो को बड़े प्यार से चाटने लगा।
ज्योति भी अपने पिता के चुम्बनों का जवाब देने लगी और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठो और जीभ से खेलने लगे । महेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी के होंठो और जीभ को चाटने के बाद नीचे होते हुए उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से अलग किया और बारी बारी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को चूसने और चाटने लगा। अपने पिता से अपनी चुचियों को चुसवाते हुए ज्योति के मुँह से भी ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी और वह अपने पिता के बालों को सहलाते हुए अपनी चुचियों को चुसवाने लगी, महेश भी अपनी बेटी की चुचियों से खूब खेलने के बाद नीचे होते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया और अपनी बेटी की टांगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया । ऐसा करने से ज्योति की चूत बिलकुल खुलकर महेश की आँखों से सामने आ गयी और वह अपने फनफनाते हुए लंड को पकडकर अपनी बेटी की चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह पिता जी" ज्योति अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत पर घिसता महसूस करके अपने चूतड़ो को उछालते हुए ज़ोर से सिसकने लगी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा, महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकडकर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।
"हाँ मगर मैं तुम्हें पूरी तरह से हासील करना चाहता हूँ" महेश ने सीधी बात करते हुए कहा।
"तो आइये न मैं तैयार हूँ आप मेरे जिस्म से खेलिये ना" ज्योति ने तडपते हुए कहा।
"नही मैं तुम्हारे जिस्म से सिर्फ खेलना नहीं तुम्हें चोदना भी चाहता हूँ" महेष ने ज्योति को देखते हुए कहा।
"पिता जी" ज्योति ने शरमाकर अपनी नज़रों को झुकाते हुए कहा।
"बताओ अगर तुम तैयार हो तो ठीक है वरना मैं जा रहा हू" महेश ने अपनी बेटी को ब्लैकमेल करते हुए कहा।
"नही पिता जी मैं तैयार हू" ज्योति ने चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहहह बेटी तुम कितनी अच्छी हो मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा है" महेश ने अपनी बेटी के ऊपर चढते हुए कहा और ज्योति के होंठो को बड़े प्यार से चाटने लगा।
ज्योति भी अपने पिता के चुम्बनों का जवाब देने लगी और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठो और जीभ से खेलने लगे । महेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी के होंठो और जीभ को चाटने के बाद नीचे होते हुए उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से अलग किया और बारी बारी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को चूसने और चाटने लगा। अपने पिता से अपनी चुचियों को चुसवाते हुए ज्योति के मुँह से भी ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी और वह अपने पिता के बालों को सहलाते हुए अपनी चुचियों को चुसवाने लगी, महेश भी अपनी बेटी की चुचियों से खूब खेलने के बाद नीचे होते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया और अपनी बेटी की टांगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया । ऐसा करने से ज्योति की चूत बिलकुल खुलकर महेश की आँखों से सामने आ गयी और वह अपने फनफनाते हुए लंड को पकडकर अपनी बेटी की चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह पिता जी" ज्योति अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत पर घिसता महसूस करके अपने चूतड़ो को उछालते हुए ज़ोर से सिसकने लगी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा, महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकडकर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।