Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 10 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

हाँ हाँ आपका यह तो अपनी ख़ूबसूरत बहु का ही दीवाना है, किसी और को कहाँ देखेगा" मनीषा ने हँसते हुए अपने बाप के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा ।अनिल का ख्याल पहली बार अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसके जिस्म की तरफ गया ।
अनिल अपनी बेटी को पहली बार गौर से एक औरत के रूप में देखने लगा । मनीषा भी कोई कम ख़ूबसूरत नहीं है तीन बच्चों की माँ होकर भी उसकी बॉडी बिलकुल किसी २० साल की लड़की की तरह था, अनिल अपनी बेटी को गौर से देखने के बाद मन ही मन में सोचने लगा।

"बेटी ऐसी कोई बात नहीं तुम भी किसी से कम नही" अनिल ने अपनी बेटी की तारीफ करते हुए कहा।
"बापु जी झूठ मत बोलो आपको तो भाभी ही अच्छी लगती हैं" मनीषा ने अपनी तारीफ सुनकर अनिल से कहा ।
"बेटी सच कह रहा हूँ तुम बुहत ख़ूबसूरत हो" अनिल ने अपनी बेटी की तारीफ करते हुए कहा।
"सच बापू मैं आपको अच्छी लगती हू" मनीषा ने अपनी तारीफ सुनकर शरमाते हुए कहा।
"हा बेटी तुम किसी से कम नहीं हो" अनिल ने अपनी बेटी की आँखों में देखते हुए कहा ।

"बापु मेरी वजह से आज आप प्यासे ही रह गये" मनीषा ने हँसते हुए कहा।
"सही कहा बेटी बहु को तो तुमने भगा दिया अब यह बेचारा तो सारी रात तडपता रहेंगा" अनिल ने अपनी बेटी की गोरी जांघों की तरफ देखते हुए कहा जो नाइटी के हट जाने से नंगी हो गई थी ।
"बापु जी क्या यह एक दिन का सबर भी नहीं कर सकता बदमाश" मनीषा ने हँसकर अपने हाथ से अपने बाप के लंड को पकडकर दबाते हुए कहा।
"हाहहह बेटी यह कहाँ रुकेगा एक दिन, इसे हाथों से ही शांत करना पडेगा" अपनी बेटी का हाथ अपने लंड पर लगते ही अनिल ने सिसकते हुए कहा।

"नही बापू जी जब हमने भाभी को भगाया है तो इसका इलाज भी हम करते हैं" यह कहते हुए मनीषा ने अपने बापू की धोती को उतार दिया ।
"वाह बापू जी आपका लंड तो बुहत तगड़ा है तभी तो भाभी आपकी दीवानी हो गई है" मनिषा ने अपने बाप की धोती उतरते ही उसका नंगा तगड़ा लंड देखकर थूक गटकते हुए कहा।
मानिषा ने अपना हाथ आगे बढाते हुए अपने बाप के तगडे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी ।
 
"हाहह बेटी मेरे लिए तुम्हें तकलीफ करनी पड़ रही है" अपनी बेटी का हाथ अपने लंड पर पड़ते ही अनिल ने सिसकते हुए कहा।
"इस में तकलीफ की क्या बात है हमारी वजह से आपका नुकसान हुआ अब उसकी भरपाई तो हमें ही करनी पडेगी" मनीषा ने अपने बाप के लंड को तेज़ी के साथ सहलाते हुए कहा ।
"ओहहह बेटी तुम बुहत अच्छी हो" अनिल ने सिसकते हुए कहा।
"बापु जी आप बेड पर सीधे लेट जाओ" मनीषा ने अपना हाथ अपने बाप के लंड से हटाते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर सीधा लेट गया।

"बापु जी इसे उतार देते कहीं आपके लंड के वीर्य से खराब न हो जाए" मनीषा ने अपने बाप के लेटते ही अपनी नाइटी को उतारते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी का गोरा जिस्म सिर्फ एक ब्रा और पेंटी में देखकर पागल हो गया ।
अनिल का लंड अपनी बेटी की आधि नंगी चुचियों और उसके मांसल चूतडों को देखकर फूलकर और ज़्यादा मोटा हो गया । मनीषा भी अपने बाप के लंड को देखकर बुहत ज़्यादा गरम हो गई थी और उत्तेजिना के मारे उसकी चूत से पानी टपक रहा था ।

मानिषा ने अपने नरम हाथों से अपने बापू का लंड आगे पीछे करते हुए अचानक अपना मूह नीचे करते हुए उसके गुलाबी सुपाडे को चूम लिया।
"आह्ह्ह्ह बेटी यह क्या कर रही हो" अपनी बेटी के होंठ अपने लंड पर पड़ते ही अनिल ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"ऐसा करने से आपका जल्दी निकल जाएगा" मनीषा ने इस बार अपना मूह खोलते हुए अपने बाप के लंड का सुपाड़ा अपने मुँह में लेते हुए कहा ।

"ओहहह हाँ बेटी सही कह रही हो, बुहत मजा आ रहा है" अपने लंड का सुपाड़ा अपनी बेटी के मूह में जाते ही अनिल ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । मनीषा अपने बाप के लंड के सुपाडे को कुल्फ़ी की तरह चाटने लगी और अपने हाथ से अपने बाप के लंड के नीचे लटकती गोटियों को सहलाने लगी ।

"आआह्ह्ह इसशहहह बेटी मेरा निकलने वाला है ओह्ह्ह्ह" अनिल यह कहते हुए झरने लगा और उसके लंड से निकलता हुआ वीर्य उसकी बेटी के मुँह में गिरने लगा । मनीषा ने जितना हो सकता था अपने बापू का वीर्य गटक लिया और बाकी का उसके होंठो से टपकता हुआ नीचे गिरने लगा ।
 
बेटी यह क्या तुम्हारा तो सारा चेहरा ही ख़राब हो गया" अनिल ने कुछ देर तक सिसकते हुए झरने के बाद कहा।
"बापु जी कोई बात नहीं मैं साफ़ कर देती हूँ" मनीषा ने अपने होंठो पर लगे अपने बाप के वीर्य को अपनी जीभ से चाटते हुए कहा और अपनी नाइटी से अपने मूह को साफ़ कर दिया ।
"बेटी तुम बुहत अच्छी हो मुझे सारी रात तडपने से बचा लिया" अनिल ने बेड से उठते हुए अपनी धोती को पहनते हुए कहा।
"बापु जी आपके वीर्य का स्वाद तो बुहत शानदर था" मनीषा ने भी अपनी नाइटी को पहनते हुए कहा।

"बेटी तुम्हारी माँ भी मेरे वीर्य की एक बूँद तक नहीं गिरने देति थी, तुमने तो आज उसकी याद दिला दी" अनिल ने धोती पहनने के बाद बेड पर बैठते हुए कहा।
"बापु जी आप तो शांत हो गये अब मैं जाती हूँ आप सो जाओ" मनीषा ने बेड से उठते हुए अपने बाप से कहा ।

"बेटी जैसे तुम्हारी मर्जी" अनिल भी अपनी बेटी के साथ उठकर खडा हो गया । अनिल अपनी बेटी के साथ दरवाज़े तक आ गया, मनीषा ने दरवाज़े तक पुहंचकर अपने बापू से लिपटकर गले लग गयी और फिर वहां से जाने लगी ।

अनिल अपनी बेटी के जाने के बाद दरवाज़ा बंद करके बेड पर आकर लेट गया । अनिल का लंड फिर से तन चुका था क्योंकी जब मनिषा ने जाते हुए अपने बापू को गले लगाया था तो उसकी चुचियां अनिल के सीने में दब गयी थी जिन्हें अनिल अब भी अपने सीने पर महसूस कर रहा था ।
अनिल अपनी बेटी के बारे में सोचते हुए अपने लंड को हिलाने लगा । अनिल लंड को हिलाते हुए अपनी बेटी की चुचियों और चूतडों को ज़हन में ला रहा था, अनिल को अचानक ज़हन में आया की उसकी बेटी की चूत कैसी होगी और यह ख़याल आते ही अनिल का लंड पानी छोड़ने लगा।

अनिल दो बार झरने के बाद आराम से सो गया । मनीषा की हालत बुहत बिगड चुकी थी उसने अपने कमरे में आते ही अपनी नाइटी और पेंटी को उतार दिया और अपनी चूत में दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी ।
मानिषा की चूत कुछ ही देर में पानी छोड़ने लगी और वह भी कपड़े पहनकर सो गयी । रेखा को मनीषा पर बुहत गुस्सा और उसे अपने ससुर के लंड से बुहत मजा आ रहा था और वह झरने ही वाली थी की वह आ गयी थी ।
 
रेखा अपने कमरे में आकर उंगली से अपनी चूत का पानी निकाल दिया और बेड पर लेट गयी ।।।। रेखा को अचानक नरेश की याद आ गयी जब वह उसके गले लगी थी तो उसका लंड उसको अपनी चूत पर महसूस हुआ था।
रेखा जान चुकी थी की उसके भांजे का लंड तगड़ा है और वह उसकी फिगर को देखकर गरम भी हो गया था तभी तो उसे गले लगते वक्त उसका लंड खडा था, रेखा ने सोच लिया की नरेश से चुदवायेगी ज़रूर मगर पहले उसको थोडा तडपायेगी और वह यह सोचते हुए सो गयी।

सूबह हर रोज़ की तरह रेखा ने सब से पहले उठकर अपने पति और बच्चों को उठा दिया । नरेश रात को पेशाब करने के लिए उठा था तो उसने अंडरवियर पहन लिया था और विजय को भी उठाकर अंडरवियर पहनने के लिए कह दिया था ।
मुकेश तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया ।।।। और विजय और उसकी दोनों बहनें कॉलेज के लिए निकल गए । रेखा ने मनीषा और उसके बच्चों को नहीं उठाया था, रेखा कुछ देर तक अपने घर का काम करती रही जब वह फ़ारिग हुयी तो सुबह के ९:३० हो चुके थे।

रेखा सीधे अपने बेटे के कमरे में चली गयी जहाँ नरेश सोया हुआ था, रेखा जैसे ही कमरे में आई तो देखा नरेश सिर्फ अंडरवियर में सीधा लेटा हुआ था और नींद में ही उसका लंड खडा होकर अंडरवियर में बुहत बड़ा उभार बनाये हुए था ।
रेखा अंदर आकर नरेश के अंडरवियर पर हाथ फेरने लगी, नरेश के अंडरवियर पर हाथ रखते ही रेखा के पूरे जिस्म में करंट जैसे झटका लगा । रेखा ने अपना हाथ वहां से हटा लिया। वह जान चुकी थी की नरेश का लंड लम्बा होने के साथ बुहत मोटा भी है।

रेखा ने खडे होते हुए अपनी साड़ी का पल्लु नीचे गिरा दिया और थोडा झुकते हुए अपनी चुचियां जो उसके ब्लाउज में से आधी बाहर थी नरेश के मूह के पास कर दी और नरेश को झंझोरते हुए उठाने लगी ।
नरेश ने जैसे ही अपनी ऑंखें खोलि उसकी आँखों के सामने दो बड़ी बड़ी चुचियों के उभार थे । नरेश की ऑंखें वहीँ अटक गई।
"सुबह सुबह किसी गर्लफ्रेंड का सपना देख रहे थे भांजे" तभी रेखा ने सीधे होते हुए अपनी चुचियों पर पल्लु रखते हुए कहा ।

"किसी का नहीं मामी" नरेश ने अपने सामने सुबह सुबह जन्नत जैसे मजा देने वाली चुचियों के हटते ही निराश होते हुए कहा।
"फिर यह जनाब किसको याद करके सुबह सुबह उछल रहा है" रेखा ने मुसकुराकर नरेश के अंडरवियर पर हलकी चपत लगाते हुए कहा ।
रेखा की इस हरकत नरेश हडबडाकर उठ गया और चादर को उठाकर अपने ऊपर कार दिया।
"अरे भांजे इतना शर्मा क्यों रहे हो, मैं जा रही हूँ फ्रेश हो जाओ " रेखा हँसते हुए यह कहकर वहां से जाने लगी।
 
रेखा वहां से जाते हुए सब को उठाते हुए किचेन में चलि गयी और नाश्ता तैयार करने लगी । आधे घंटे में ही नाश्ता तैयार हो गया और वह टेबल पर लगाने लगी, सब उठकर टेबल पर आ चुके थे और साथ में नाश्ता करने लगे ।
नाश्ता ख़तम होने के बाद रेखा बर्तन उठाकर किचन में रखने लगी, मनीषा अपने बापू और उसकी दोनों बेटियां आपस में मिलकर अपने कमरों में जाकर बातें करने लगे।
"भान्जे कुर्सी लेकर किचन में आ जाओ बातें करते है" रेखा ने नरेश को अकेला देखकर कहा ।


नरेश कुर्सी लेकर किचन में जाकर बैठ गया।
"भान्जे तुम हो तो बुहत शरमीले कॉलेज में कोई गर्लफरैंड वगैरह है या नही" नरेश के बेठते ही रेखा ने उसे छेडते हुए कहा।
"मामी मेरे जैसे उल्लु से कौन सी लड़की दोस्ती करेगी" नरेश ने अपनी मामी का जवाब देते हुए कहा ।
"क्यों क्या कमी है तुममें?" रेखा ने हैंरानी से पुछा और वहां बैठते हुए बर्तन धोने लगी।
"ऐसा है ही क्या मुझ में जो लड़कियाँ मुझसे दोस्ती करे" नरेश ने अपनी मामी की बड़ी बड़ी चुचियों की तरफ देखते हुए कहा जो उसका पल्लु बर्तन धोते वक्त उसकी चुचियों से सरकने की वजह से नंगी हो गई थी।

"भान्जे आजकल की लड़कियाँ तो शकल सूरत देखती नहीं उनको तो बस लम्बा और मोटा चाहिए जो उनकी खुजलि सही तरीके से मिटा सके और तुम्हारा तो मोटा और लम्बा होने के साथ तुम हॅंडसम भी हो" रेखा ने नरेश को अपनी चुचियों की तरफ घूरता हुआ देखकर बर्तन को अपने हाथ से तेज़ी के साथ धोते हुए कहा। जिस वजह से उसकी चुचियां ज़ोर से हिलते हुए नरेश के आँखों के सामने लहराने लगी।

"मामी आप भी तो एक औरत हो । अगर हर लड़की लम्बे और मोटे लंड की दीवानी होती है तो आप भी होगी, क्यों नहीं आप मेरी गर्लफरैंड बन जाती" नरेश ने अपनी मामी के मुँह से खुली बातें सुनकर खुद भी हँसते हुए उसको सीधा कह दिया ।
"नालायक अपनी मामी पर बुरी नज़र रखते हो । मैं तुम्हारी कॉलेज की लड़कयों की बात कर रही थी, इस उम्र में मुझमें क्या रखा है जो ऐसा कह रहे हो" रेखा ने उठकर बर्तनो को उठाकर ऊपर रखते हुए कहा । रेखा के ऐसा करने से उसकी आधी से ज़्यादा चुचियां नरेश को कुछ देर के लिए देखने को मिल गयी।
 
रेखा ने कुछ बर्तन नीचे रखने के बाद बाकी के ऊपर रखने की कोशिश करने लगी मगर उसका हाथ वहां तक नहीं पुहंच पाया।
"नरेश मुझे बर्तन रखने में मदद करो" रेखा ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा ।
रेखा आज जानबूझ कर वहां बर्तन रखने की कोशिश कर रही थी । नरेश उठकर अपनी मामी के पास पुहंच गया। मगर उसका हाथ भी वहां तक पुहच नहीं पाया।
"मैं स्टूल लेकर आता हूँ" नरेश ने सोचते हुए कहा ।

"भान्जे एक काम करो तुम मुझे उठा कर थोडा ऊपर कर लो, में बर्तन रख दूंग़ी" रेखा ने नरेश से कहा।
"ठीक है मामी" नरेश जो पहले से ही अपनी मामी के गठीले बदन को देखकर आँखें सेक रहा था, उसने अपनी मामी की बात को सुनते ही जल्दी से कहा ।

नरेश के क़रीब आते ही रेखा ने उसे दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया और खुद कुछ बर्तन उठा लिये और अपने दोनों बाज़ू ऊपर कर लिए । नरेश ने अपनी मामी के दोनों चूतडों में हाथ ड़ालते हुए उसे ऊपर उठा लिया।
"आजहहह शह" रेखा अपने भांजे के हाथ अपने मोटे चूतडों पर पड़ते ही सिसक उठी।

क्या हुआ मामी" नरेश अपनी मामी के नरम चूतड़ों को अपने हाथों पर महसूस करके मज़े लेते हुए बोला।
"कुछ नहीं भांजे" रेखा ने बर्तन रखते हुए कहा ।
रेखा ने वह बर्तन रखने के बाद जैसे ही नीचे झुककर दुसरे बर्तन उठाने लगी उसकी साड़ी का पल्लु उसकी चुचियों से हट गया और उसकी चुचियों का ऊपर वाला नंगा उभार सीधा नरेश के मुँह में दब गया । नरेश को तो अपनी मामी की चुचियों को अपने मूह पर महसूस करके ही जन्नत का मजा आने लगा ।
रेखा की भी हालत बुरी थी उसने दुसरे बर्तन उठा तो लिए थे मगर उसे अपनी चुचियां अपने भांजे के मूह पर रगडने से इतना मजा आ रहा था के उसका मन बर्तन ऊपर रखने का ही नहीं हो रहा था ।

रेखा अपनी चुचियों के उभार नरेश के मुँह पर रगडते हुए बर्तनों को इधर उधर कर रही थी की अचानक कीचन में शीला दाखिल हुयी जिसे देखकर रेखा जल्दी से बर्तन उठाकर ऊपर रख लिये और नरेश ने अपनी मामी को नीचे उतार दिया ।
 
शीला बेटी क्या बात है?" रेखा ने नीचे उतारते ही अपनी साड़ी को सीधा करते हुए कहा ।
"वो मामी मैं भाई को ढून्ढ रही थीं" शीला ने रेखा से कहा।
"हा दीदी क्या बात है?" नरेश ने अपने माथे से पसीना साफ़ करते हुए कहा जो रेखा के भारी भरकम जिस्म को उठाने से निकला था ।
"भइया मुझे कुछ मंगवाना है प्लीज हमारे कमरे में चलो" शीला ने अपने भाई से कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसके साथ जाने लगा, शीला नरेश के आगे चल रही थी।

नरेश अपनी बहन की गांड को चलते हुए बड़े गौर से देख रहा था । उसकी बहन की गांड चलने से कभी एक तरफ तो कभी दूसरी तरफ झटके खा रही थी जिसे देखकर नरेश का दिल भी ज़ोर से धक धक कर रहा था।
"भइया मेरे लिए पैंटीन शम्पू लेकर आओ मुझे यह अच्छा नहीं लग रहा" शीला ने कमरे में पुहंचकर अपने पर्स से पैसे निकालकर अपने भाई को देते हुए कहा।
"मेरे पास पैसे हैं तुम इन्हें अपने पास रखो मैं अभी लेकर आता हूँ" नरेश यह कहता हुआ वहां से चला गया।

शीला अपने भाई के जाने के बाद सीधे बाथरूम में घुस गयी जहाँ पर उसने पहले से अपने कपड़े रख लिये थे। शीला अपने भाई का ख्याल अपनी जवानी की तरफ दिलवाना चाहती थी इसीलिए उसने बाथरूम में जाने से पहले अपने जिस्म पर पहनी हुयी ब्रा और पेंटी बेड पर रख दी थी ।
शीला बेफिक्र होकर अपने पूरे कपडे उतारकर शावर के नीचे खड़ी होकर नहाने लगी । नरेश जैसे ही शम्पू लेकर कमरे में दाखिल हुआ उसे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनायी दी।
"दीदी शेम्पू लेकर आ गया" नरेश ने तेज़ आवाज़ में कहा।

"भइया प्लीज शम्पू मेरे पास ले आओ" शीला ने बाथरूम से ही आवाज़ दी । नरेश का लंड बाथरूम से अपनी दीदी की आवज़ सुनकर खडा होने लगा ।
"अभी आया दीदी" यह कहते हुए नरेश बाथरूम की तरफ बढ्ने लगा, नरेश का दिल बाथरूम की तरफ जाते हुए ज़ोर से धडक रहा था ।
"कहाँ है शम्पू भइया" नरेश बाथरूम के दरवाज़े तक पुहंचा ही था के शीला ने दरवाज़ा खोलते हुए कहा। अपने भाई को सामने देखकर शीला ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया ।

शीला दरवाज़ा बंद करके नरेश की हालत के बारे में सोचकर हँस रही थी । क्योंकी उसे पता था की उसका भैया उसको नंगा देख चूका है । नरेश को जो झटका दरवाज़ा खुलने से लगा था इतना बड़ा झटका उसे ज़िंदगी में कभी नहीं लगा था ।
 
नरेश की साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थीं और उसका लंड पेण्ट में खडा होकर उथल पुथल मचा रहा था, नरेश वहीँ बूत बनकर खडा था । शीला ने दरवाज़े से अपना हाथ निकालते हुए अपने भैया के हाथ से शम्पू ले लीया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

नरेश की आँखों के सामने अपनी बहन का नंगा जिस्म घूम रहा था, वह वहां से चलते हुए बेड पर आकर बैठ गया । नरेश मन ही मन में सोचने लगा उसकी बहन शीला तो इतनी सूंदर है आज तक उसका धयान अपनी बहन की तरफ कभी क्यों नहीं गया ।
नरेश ने अपनी बहन की गोरी चुचियां और काले काले बालों वाली चूत देखि थी जिसे याद करके उसके हाथ बेड पर चलने लगे जैसे वह अपनी बहन की रसीली चुचियों और चूत को सहला रहा हो, ऐसा करते हुए उसके हाथ में अपने बहन की पेंटी और ब्रा आ गयी ।

अपनी छोटी बहन की पेंटी और ब्रा अपने हाथ में आते ही नरेश का पूरा बदन उत्तेजना के मारे काम्पने लगा। नरेश अपनी बहन की छोटी पेंटी देखकर पागल हो चुका था, उसने अपनी बहन की पेंटी को देखते हुए उसे अपने नाक पर रख दिया ।
नरेश अपनी बहन की पेंटी से आने वाली गंध अपने नाक में जाते ही समझ गया की यह पेंटी उसकी बहन की चूत से अभी उतरी हुयी है क्योंकी नरेश को पेंटी में से मदहोश करने वाली गंध आ रही थी । नरेश का लंड उसकी पेण्ट के अंदर इतना तन गया था की उसे अपने लंड में दर्द होने लगा था।

शीला जो दरवाज़े को हल्का खोलकर सब कुछ देख रही थी वह अपना प्लान कामयाब होता देखकर बुहत खुश होगई ।
शीला ने अपने प्लान के मुताबिक जान बूझकर एक टॉवल लपेट कर दरवाज़े को ज़ोर से खोल दिया । दरवाज़े की आवज़ से नरेश के हाथों से उसके बहन की पेंटी नीचे गिर गयी और उसने जैसे ही दरवाज़े की तरफ देखा तो उसकी बहन सिर्फ एक छोटे से टॉवल में खड़ी थी, शीला ने जैसे ही देखा की उसका भाई उसे घूर रहा है वह बाथरूम में चलि गयी ।

"भइया आप अभी तक यहीं हो, मैं अपने कपड़े वहीँ भूल गयी थी प्लीज उठाकर दो" शीला ने बाथरूम में जाते ही कहा । नरेश के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, उसने अपनी बहन को दूसरी बार नंगा देखा था ।
शीला जो टॉवल लपेट कर बाहर निकली थी उसमें उसकी आधी चुचियां और उसकी पूरी टाँगें नंगी नरेश को दिखाई दी थी । नरेश अपनी बहन की पेंटी और ब्रा को लेकर बाथरूम की तरफ जाने लगा, नरेश का लंड बिलकुल ठोस होकर उसकी पेण्ट को टक्कर मार रहा था।
 
नरेश जैसे ही दरवाज़े के क़रीब पुहंचा शीला ने दरवाज़ा खोल दिया और अपने भाई से पेंटी और ब्रा लेने लगी, दरवाज़े के खुलते ही नरेश की आँखें फिर से अपनी बहन के जिस्म पर जो सिर्फ टॉवल में लपेटा हुआ था उस पर टिक गयी ।
"क्या हुआ भैया?" शीला ने ब्रा और पेंटी को लेते हुए मुसकुराकर कहा । नरेश जो पहले से अपनी बहन की जवानी को देखकर पागल हो चुका था । अपनी बहन को मुस्कराता हुआ देखकर वह अपने पूरे होश हवास खो बैठा और आगे बढकर बाथरूम में घुस गया ।

शीला अपने भाई को अपने प्लान के मुताबिक अपने हुस्न का दीवाना बना चुकी थी मगर वह अपने भाई के बाथरूम में घूसने से डरने का नाटक करते हुए पीछे हटने लगी । नरेश हवस की आग में जल कर बिलकुल पागल हो चुका था ।
शीला जैसे जैसे पीछे हो रही थी नरेश वेसे ही आगे चलते जा रहा था, पीछे हटते हटते शीला की पीठ बाथरूम की दीवार से जा टकरायी । शीला के पास अब पीछे हटने का कोई रास्ता नहीं था उसकी साँसें उत्तेजना और अनजाने दर के अहसास से बुहत ज़ोर से चल रही थी जिस वजह से शीला की चुचियां भी बुहत ज़ोर के साथ ऊपर नीचे हो रही थी।

शीला के बदन पर सिर्फ एक टॉवल लपेटा हुआ था जिसे उसने अपने हाथ से पकड रखा था । नरेश अब आगे बढ़कर बिलकुल अपनी बहन के पास पुहंच चूका था । नरेश ने अपने दोनों हाथों से अपनी बहन के दोनों बाज़ू पकड लिया और उन्हें ऊपर करते हुए दीवार से सटा दिया ।
शीला के हाथ ऊपर होते ही उसके बदन पर लपेटा हुआ टॉवल उसके मख़मली बदन से सरकता हुआ नीचे गिर गया।

नरेश के सामने उसकी सगी छोटी बहन उसके इतना नज़दीक बिलकुल नंगी खडी थी, नरेश ने अपनी बहन के भीगे हुए गुलाबी लबों को देखते हुए अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये । नरेश और शीला के होंठ आपस में मिलते ही दोनों एक दुसरे में खो गये ।
दोनों तरफ आग बराबर लगी हुयी थी इसीलिए कभी नरेश के होंठ शीला के मूह में होते तो कभी शीला के होंठ नरेश के मूह में । उस वक्त वह दोनों अपने होश खो बैठे थे वह दुनिया से बेखबर एक दुसरे के रसीले होंठो का रस पीने में मगन थे।
 
दोनों भाई बहन के हाथों की उँगलियाँ एक दुसरे के हाथों में फँसी हुयी थी, नरेश अचानक अपनी बहन के होंठो को छोडते हुए उसके काँधे को चूमने लगा । शीला को अपने पूरा जिस्म में चींटियां रेंगते महसूस हो रही थी और उसका पूरा जिस्म टूट रहा था ।
नरेश अपनी बहन के काँधे को चूमते हुए नीचे होता हुआ जैसे ही उसकी चुचियों की तरफ बढ़ने लगा शीला ने अनोखे मज़े के अहसास को बर्दाशत न करते हुए अपने बड़े भाई के हाथों से अपने हाथों को छुड़ाते हुए उसे गले लगा दिया ।

शीला के गले लगते ही उसकी नरम नरम चुचियाँ नरेश के सीने में दब गयी । नरेश की हालत पहले से बुहत ख़राब थी । अपनी बहन की नरम नरम चुचीयों के अहसास से ही उसकी हालत और ज़्यादा बिगड गयी।
नरेश ने थोडा पीछे हटते हुए शीला को दीवार से थोडा आगे सरकाते हुए बुहत ज़ोर से अपने गले लगा लिया ।वह अपनी बहन को चूमने चाटने लगा।
"आहहहह ईश भइया" नरेश ने अपनी बहन को इतनी ज़ोर से अपनी बाँहों में भरा था की उसके मूह से मज़े और मीठे दर्द की वजह से हलकी चीख़ निकल गई।

शीला की चुचियां नरेश के सीने में दब गयी और उसकी चूत सटकर नरेश की पेण्ट में तने हुए लंड के उभार पर दब गई, नरेश को अपने लंड के दबने से इतना मजा आया की उसने अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी बहन के चुतडों को पकड कर अपने लंड पर दबाने लगा ।

"आहहह शीला" दो चार झटको में ही नरेश के मूह से एक चीख़ निकली और उसका लंड उसकी पेण्ट में ही झरने लगा, नरेश को झरने के बाद अहसास हुआ की वह अपनी नंगी सगी बहन के साथ खडा है । वह जल्दी से अपनी बहन को अपने बाँहों से आज़ाद करते हुए वहां से बाहर चला गया, शीला बेचारी अपने भाई के अचानक चले जाने से वहां पर तडपति हुयी अकेली रह गयी ।
 
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