Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 34 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

सूबह को मुकेश तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया और मुकेश के जाते ही रेखा फिर से अपने कमरे में आकर लेट गयी । घर के दुसरे सभी लोग भी सोये हुए थे इसीलिए रेखा ने भी कुछ देर और आराम करने का फैसला किया, रेखा कुछ देर आराम करने के बाद उठकर नहाने बाथरूम में चलि गयी और फ्रेश होकर घर के काम काज में लग गयी ।

रेखा ने घर का सारा काम किया और फिर सभी के लिए खाना बनाने लगी । जब खाना तैयार होने के क़रीब था तो रेखा किचन से निकलकर सभी को उनके कमरों से उठाने लगी, रेखा सभी को उठाने के बाद खाने को टेबल पर लगाने लगी ।
सभी खाना खाने के लिए आ चुके थे सिर्फ मनीषा नहीं आई थी।
"अरे यह दीदी अभी तक नहीं आई। मैं उसे देखती हूँ आप लोग नाश्ता शुरू करो" रेखा ने सभी से कहा और खुद मनीषा के कमरे में जाने लगी।

"दीदी क्या हुआ खाना नहीं खाना क्या?" रेखा ने मनीषा के कमरे में दाखिल होते ही उसकी तरफ देखते हुए कहा।
"वोह दीदी मैं नहाते हुए बाथरूम में गिर गयी थी। इसीलिए में ठीक तरीके से चल नहीं पा रही हूँ आप प्लीज मेरा खाना यहीं पर ले आओ ना" मनीषा को अपनी गांड मरवाने की वजह से बुहत दर्द था इसीलिए उसने बहाना बनाते हुए कहा ।

"क्या कहा दीदी आप बाथरूम में गिर गयी? दीदी कहाँ पर चोट लगी है" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"वो दीदी टाँग में" मनीषा ने रेखा का जवाब देते हुए कहा।
"दीदी मुझे तो कोई और ही चक्कर लगता है" रेखा ने मनीषा की बात सुनकर सोचते हुए कहा ।
"दीदी आप भी कोई चक्कर नहीं है" मनीषा ने रेखा पर गुस्सा करते हुए कहा।
"दीदी कहीं विजय ने तो आपकी हालत खराब नहीं की?" रेखा ने मनीषा की तरफ देखते हुए हैंरानी से कहा।

"दीदी आप क्या कह रही हो। विजय को मैंने देखा तक नहीं है" मनीषा ने फिर से गुस्सा करते हुए कहा।
"फिर किसने आपका यह हाल किया है" रेखा ने फिर से मनीषा पर शक करते हुए कहा।
 
"दीदी आपको तो पुलिस में होना चाहिए वह रात को बापू ने मेरी गांड मार दी थी" मनीषा समझ गयी की रेखा ऐसे मानने वाली नहीं । इसीलिए उसने अपना सर झुकाकर हार मानते हुए रेखा से कहा ।

"दीदी मैं भी कहुँ। इस उम्र में आपको तकलीफ कैसे हुई" रेखा ने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रखते हुए हैंरानी से कहा।
"दीदी मैंने पहले कभी वहां पर नहीं लिया था" मनीषा ने वैसे ही अपने सर को झुकाये झूठ बोलते हुए कहा।
"दीदी मैंने भी कभी वहां नहीं लिया। आप बताओ कुछ मजा भी आया या बस सिर्फ दर्द ही सहा?" रेखा ने मनीषा को घूरते हुए कहा ।
"दीदी मजा तो आया मगर जब वह वहां पर घुसा रहे थे तो दर्द के मारे मेरी जान ही निकल रही थी।" मनीषा ने रेखा का जवाब देते हुए कहा।
"ठीक है दीदी। मैं आपका खाना यहीं ले आती हू" रेखा ने वहां से जाते हुए कहा।

रेखा बाहर आकर मनीषा के लिए खाना अलग प्लेटस में भरने लगी।
"क्या हुआ बेटी। मनीषा बेटी नहीं आयी?" अनिल ने रेखा की तरफ देखते हुए कहा।
"बापु वह दीदी को पाँव में चोट लगी है। इसीलिए वह चल नहीं पा रही है" रेखा ने खाना उठाते हुए अपने ससुर की तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा ।
अनिल समझ गया की उसकी बेटी क्यों नहीं चल पा रही है इसीलिए वह खामोश हो गया । रेखा मनीषा को खाना देकर खुद वहीँ पर बैठकर सबके साथ खाना खाने लगी।

खाना खाने के बाद सभी अपने अपने कमरों में चले गए नरेश और विजय वही पर बैठे थे।
"क्या हुआ बेटों कोई बात है?" रेखा ने नरेश और विजय को एक साथ बैठे देखकर मुस्कराते हुए पुछा।
"नही माँ हम ऐसे ही बैठे थे आपसे बाते करने का मन हो रहा है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
"ठीक है बर्तन उठाने में मेरी मदद करो" रेखा ने विजय की बात सुनकर कहा । नरेश और विजय बर्तन उठाकर किचन की तरफ ले जाकर रखने लगे, सभी बर्तन रखने के बाद दोनों कुरसियाँ लेकर किचन में बैठ गए और रेखा से बाते करने लगे।

"क्या बात है आज दोनों लाडलों को एक साथ मेरी याद आ गई" रेखा ने बर्तनों को धोते हुए दोनों की तरफ देखकर कहा।
 
"मामी आपसे बातें करने का टाइम ही नहीं मिलता इसीलिए आज दोनों एक साथ आ गये" नरेश ने इस बार बोलते हुए कहा।
"हाँ भाई जब जवान बहनों से फुर्सत मिले तभी तो इस बुढ़ी की याद आएगी" रेखा ने नरेश की बात सुनकर मुँह बनाते हुए कहा ।

माँ आप और बुढ़ी । आज भी आपका जिस्म हमें जवान लड़कयों से ज्यादा सेक्सी दीखता है" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तारीफ करते हुए कहा।
"छोड़ो बेटा यह झूटी तारीफ किसी और से करना" रेखा ने वैसे ही बर्तनों को धोते हुए कहा ।
"मामी विजय सच कह रहा है मुझे तो साले से जलन होती है की मेरी माँ आप जीतनी सेक्सी क्यों नही" नरेश ने रेखा की बात सुनकर कहा।
"भान्जे वह भी कम सेक्सी नहीं है । साली ने रात को ही अपने बापू से गांड फडवाई है" रेखा ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा।

"क्या कहा मामी। माँ ने नाना से गांड मरवाई हम क्या मर गए थे" नरेश ने रेखा की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"हाँ भान्जे इसीलिए तो वह चल ही नहीं पा रही है" रेखा ने नरेश को देखते हुए कहा।
"मामी मगर उस बूढ़े का लंड अब भी इतना उठता है की उसने माँ की गांड फाड़ दी" नरेश ने वैसे ही हैंरानी से पुछा ।

"भान्जे वह बूढा ज़रूर है मगर उसका लंड आज भी तुम्हारे लन्डों की तरह बुहत ज्यादा उछलता रहता है" रेखा ने नरेश को उसके नाना के बारे में बताते हुए कहा।
"नरेश तेरी माँ से पहले यह भी उस बूढ़े का लंड चख चुकी है" विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए कहा ।
"क्या कहा विजय। साला यह बूढा तो हमसे भी तेज़ निकला" नरेश ने विजय की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"नरेश तुम्हारी माँ हमारे पिता से भी चुदवा चुकी है" विजय ने नरेश को आगे बताते हुए कहा।

"यार विजय यह मेरी माँ तो साली बुहत बड़ी छिनाल निकली हर किसी का लंड लेती रहती है" नरेश ने विजय की बात सुनकर कहा।
"मगर साले उसने अभी तक मेरा लंड नहीं चखा है" विजय ने नरेश की बात सुनकर कहा।
"साले जाकर अभी उसकी चूत में अपना लंड घुसा। मुझे तो सिर्फ अपनी मामी अच्छी लगती है" नरेश ने विजय की बात सुनकर अपनी मामी की तरफ देखते हुए कहा ।
 
"साले मेरे सामने मेरी माँ को लाइन मारते हो" विजय ने नरेश की बात सुनकर गुस्सा होते हुए कहा।
"साले मेरी माँ को तो मेरे सामने चोद लेना। गुस्सा क्यों होते हो" नरेश ने विजय की तरफ देखते हुए कहा।
"तुम दोनों को मेरे सामने ऐसी बातें करते हुए शर्म नहीं आती निकलो यहाँ से" रेखा ने बर्तन धोने के बाद उठकर गुस्से से दोनों की तरफ देखते हुए कहा ।

"मामी आप गुस्सा क्यों होती हो। जबसे आपने मेरी माँ की गांड मारने की बात की है मेरा लंड आपके इन बड़े बड़े बड़े चूतडों को देखकर आहें भर रहा है" नरेश ने अपनी कुर्सी से उठकर रेखा के पीछे खडा होकर अपनी पेण्ट में खडे लंड को उसके चूतडों पर दबाते हुए कहा ।

"साले तो जाकर अपनी माँ की गांड मार न। यहाँ क्या कर रहे हो" रेखा ने गुस्से से नरेश को धक्का देते हुए कहा।
"मामी मुझे उसकी नहीं आपकी गांड मारनी है प्लीज ना मत करना" नरेश ने रेखा से मिन्नत करते हुए कहा।

"साले कमीने । मेरी माँ की गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है" विजय ने अचानक कुर्सी से उठकर नरेश को अपनी माँ से परे धकेलते हुए कहा।
"यार तुम गुस्सा मत हो । पहले तुम ही मार लेना मगर मुझे मामी की गांड ज़रूर मारनी है" नरेश ने विजय को ठण्डा करते हुए कहा ।
"च तो तुम दोनों यहाँ इसीलिए आये थे। अब जाओ यहाँ से तुम दोनों में से किसी ने भी कुछ बकवास की तो आजके बाद में उससे बात नहीं करूँगी" रेखा ने दोनों की तरफ देखकर गुस्से से चीखते हुए कहा।

"माँ आप गुस्सा क्यों होती हैं ।साला यह सही कह रहा है जब आपके चूतड़ कपड़ों के ऊपर से ही इतने नरम और फूली हुई हैं तो जब हमारा लंड बेचारी के अंदर घुसेगा तो आप नहीं जानती हमें कितना मजा आयेगा" विजय ने अपनी माँ की बात सुनकर उसकी तरफ देखते हुए कहा ।
"विजय अपनी माँ से ऐसे बात करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती" रेखा ने गुस्से से अपने बेटे को घूरते हुए कहा।
"मामी आप गुस्सा क्यों कर रही हो। जब आप और मेरी माँ को शर्म नहीं आती किसी से भी चुदवाते हुए तो हमें कैसी शरम" नरेश ने रेखा के साड़ी के बीच अपना हाथ उसके नंगे पेट पर रखते हुए कहा।
 
ये तुम क्या कर रहे हो भांजे? मुझसे दूर हटो" रेखा ने नरेश के हाथ को अपने पेट से दूर झटकते हुए कहा।
"मामी क्या करुं आपके जिस्म को देखकर कण्ट्रोल ही नहीं होता" नरेश ने अपने लंड को पेण्ट के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
"साले फिर जाकर अपनी माँ को चोद न। मेरी मम्मी के पीछे क्यों पड़े हो" इस बार विजय ने अपनी माँ के पीछे आते हुए उसके चूतडों से चिपककर खडा होते हुए कहा ।

"साले उसे तो चोद चूका हूँ मगर अब मुझे मामी के नरम जिस्म को देखना है" नरेश ने विजय के बात सुनकर रेखा के सामने आते हुए उसकी साड़ी का पल्लु उसकी चुचियों से नीचे गिराते हुए कहा।
"तुम दोनों कहीं पागल तो नहीं हो गये हो । जाओ यहाँ से कोई आ गया तो अनर्थ हो जायेगा" रेखा ने चिल्लाते हुए कहा।
"मामी यहाँ पर कोई नहीं आएगा और अगर किसी ने देख भी लिया तो कुछ नहीं होगा" विजय ने इस बार अपने दोनों हाथों से अपनी माँ के नंगे पेट को पकडते हुए कहा ।

"मामी यह साला सही कह रहा है आप घबराओ मत यहाँ कोई नहीं आयेगा" नरेश ने रेखा के ब्लाउज के ऊपर उसकी चुचियों के उभार पर अपना एक हाथ रखते हुए कहा।
"साले कुतों तुम दोनों मिलकर मुझसे ज़बर्दस्ती करना चाहते हो हटो यहाँ से" रेखा ने कहा और अपने हाथ से नरेश के हाथ को पकडते हुए दूर झटक दिया।
"विजय यह साली बुहत नखरे कर रही है समझाओ इसे वरना सच्ची में कहीं हम इसका रेप न कर दें" नरेश ने गुस्से से विजय की तरफ देखते हुए कहा।
"साले चुदवाने से पहले औरत नखरे नहीं करेगी तो क्या हम मरद करेंगे" विजय ने नरेश की बात सुनकर हँसते हुए कहा।

विजय ने इस बार अपनी हाथों को अपनी माँ के पेट से हटाकर उसकी साड़ी को पकडते हुए उसके जिस्म से अलग करने लगा।
"बेटे अपने दोस्त के साथ मिलकर ऐसा मत करो" रेखा ने अपनी साड़ी को अपने हाथ से पकडते हुए कहा।
"अरे मामी आप तो ऐसे नाटक कर रही हो जैसे हमारे सामने पहली बार नंगी हो रही हो" नरेश ने रेखा के दोनों हाथों को पकडते हुए उसकी साड़ी से हटाते हुए कहा।
 
रेखा का हाथ साड़ी से हटते ही विजय ने अपनी माँ की साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया । रेखा अब सिर्फ पेटिकोट और ब्लाउज में अपने बेटे और भांजे के सामने खड़ी थी।
"ओहहहहह मामी आपके यह चूतड़ ही तो हमें पागल बना रहे है" रेखा की साड़ी हटते ही नरेश ने उसके नंगे चूतडों को देखकर आह्ह्ह्ह भरते हुए कहा ।
"साले जल मत मेरी माँ को देखकर मुझे तो सारी ज़िंदगी इनके नरम नरम जिस्म का मजा मिलता रहेंगा" विजय ने अपनी माँ के चूतडों को उसके पेटिकोट के ऊपर से ही थप्पड़ मारते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह बेटे प्लीज मुझे छोड दो। ऐसे क्यों ज़लील कर रहे हो मुझे" रेखा ने अपने बेटे के थप्पड़ लगने से चिल्लाते हुए कहा।

"माँ हम तो आपकी तारीफ कर रहे है" विजय ने अपनी पेण्ट के बेल्ट को खोलकर उसे अपनी टांगों से अलग करते हुए कहा।
"साले तेरा लंड तो तेरी माँ के चूतड़ो को देखकर ही झटके खा रहा है" नरेश ने विजय की पेण्ट के हटते ही उसके अंडरवियर में झटके खाते हुए लंड देखकर हँसते हुए कहा ।
विजय ने अपनी माँ के नज़दीक आते हुए उसके पेट में अपने दोनों हाथ ड़ालकर उसे अपने आप से सटा दिया,
"ओहहहहह बेटे प्लीज इस वक्त ऐसा मत करो" रेखा ने बेबसी से चिल्लाते हुए कहा ।।।। विजय के ऐसा करने से उसका खडा लंड उसकी माँ के पेटिकोट के ऊपर से ही रेखा के चूतड़ों में दब गया था।

"मामी चुपचाप हमें मजा लेने दो और खुद भी मज़े लो" नरेश ने भी अपनी पेण्ट को खोलते हुए कहा।
"भान्जे प्लीज इस वक्त ऐसा मत करो। रात को मैं खुद तुम दोनों के पास आ जाऊँगी" रेखा ने अखिरकार हार मानते हुए कहा ।
"मामी यह हुयी न बात चलो ठीक है मगर आपको इस वक्त हमें ठण्डा तो करना पडेगा" नरेश ने रेखा की बात सुनकर खुश होते हुए कहा।
"ठीक है भांजे मगर पहले जाकर किचन का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लो" रेखा ने नरेश को देखते हुए कहा।

नरेश ने रेखा की बात सुनकर अपनी पेण्ट को अपने पाँव से निकालकर भागते हुए जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया और वापस आकर अपनी मामी के क़रीब खडा हो गया । नरेश ने अपने अंडरवियर को भी नीचे सरका दिया और अपनी मामी का हाथ पकडकर अपने फडकते हुए लंड पर रख दिया ।
 
रेखा का पूरा जिस्म अपना हाथ अपने भांजे के गरम लंड पर पडते ही सिहर उठा और वह अपने भान्जे का गरम लंड अपने नरम हाथों से सहलाने लगी।
"आह्ह्ह्ह मामी आपका हाथ कितना नरम है" नरेश ने सिसकते हुए कहा और अपने हाथों से रेखा के ब्लाउज के आगे वाले बटन खोलने लगा।
"आहहह भान्जे इसे क्यों खोल रहे हो?" ब्लाउज के बटन खोलते हुए नरेश का हाथ अपनी चुचियों पर महसूस करते ही रेखा ने सिसकते हुए कहा।
"मामी आप चुपचाप मज़े लो और हमें भी लेने दो" नरेश ने रेखा के ब्लाउज के बटन खुलने के बाद उसे उसके जिस्म से जुदा करते हुए कहा।

अचनाक रेखा को अपना पेटिकोट उतरते हुए महसूस हुआ जब तक वह अपने हाथ से उसे पकडती वह उसके जिस्म से अलग हो चुका था।
"बेटे तुम मुझे नंगा क्यों कर रहे हो। मैंने कहा न रात को तुम्हें जो करना है कर लेना" रेखा ने अपने पेटिकोट के अलग होते ही अपने बेटे को समझाते हुए कहा ।
"मामी आप टेन्शन मत लो हम सिर्फ आपके जिस्म को नंगा देखकर ठण्डा होना चाहते है" नरेश ने अपनी मामी को समझते हुए कहा और अपने हाथ से उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से नीचे सरका दिया । ब्रा के नीचे होते ही रेखा की बड़ी बड़ी चुचियां बिलकुल नंगी होकर नरेश की आँखों के सामने झूमने लगी।

"वाह मामी आपकी चुचियां कितनी बड़ी और नरम है" नरेश ने रेखा की दोनों चुचियों को अपने हाथों में थामकर कहा । नरेश अपने दोनों हाथों से रेखा की चुचियों को बुहत ज़ोर से मसल रहा था।
"आहहहह भांजे आराम से" रेखा ने अपनी चुचियों पर नरेश के हाथों का दबाब पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा । रेखा का हाथ अब भी नरेश के लंड को अपनी मुठी में लेकर सहला रहा था ।
विजय ने अपनी माँ की पेंटी में हाथ ड़ाला और उसे भी रेखा के चूतड़ों से खींचकर नीचे कर दिया । विजय ने रेखा की पेंटी के उतरते ही उसे थोडा नीचे झुका दिया जिस वजह से उसकी गांड थोडा पीछे होकर विजय के आँखों के सामने आ गयी।
"आह्ह्ह्हह माँ साला नरेश सच कह रहा था आपकी भूरी गांड को देखकर तो अपना लंड वहां घूसाने का मन करता है" विजय ने अपनी माँ की पेंटी के नीचे होते ही रेखा की गांड के गोरे छेद को अपनी उँगलियों से सहलाते हुए कहा।
 
"ओहहहहहह बेटे अभी कुछ मत करना मैंने वहां कभी नहीं लिया" रेखा ने अपनी गांड पर अपने बेटे की उँगलियाँ का स्पर्श पाते ही ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"ओहहहहहह माँ आप तो ऐसे ही डर रही हैं आपके चूतड इतने बड़े हैं की हम दोनों के लंड एक साथ इस में समां जाएंगे" विजय ने नीचे झुकते हुए कहा और अपनी होंठ को अपनी माँ की भूरी गांड पर रखकर उसे चूमने लगा ।

"आह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह बेटे तुम भी न अपने गधे जितने लंड को देखा है यह चूत का ही बुरा हाल कर देता है तो गांड तो फ़ाड़ ही डालेगा" रेखा ने अपने बेटे के होंठ अपनी गांड पर पडते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"माँ मगर हम इसमें अपना लंड घुसाना चाहते है" विजय ने अपने होंठो को अपनी माँ की गांड से अलग करते हुए कहा और अपनी जीभ निकालकर रेखा की गांड के छेद पर फिराने लगा ।

"ओहहहह आअह्ह्ह्हह बेटे अभी नहीं रात को जो करना है कर लेना" रेखा ने अपनी गाँड पर अपने बेटे की जीभ के लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा । नरेश ने भी अपना मूह खोलते हुए रेखा की एक चूचि के एक कड़े दाने को अपने मूह में भर लिया और बुहत ज़ोर से चूसने लगा ।
रेखा का मज़े के मारे बुरा हाल था। एक तरफ नरेश उसकी चूचि चूस रहा था तो दूसरी तरफ उसकी गांड पर उसका बेटा अपनी जीभ फिरा रहा था । रेखा की चूत से उत्तेजना के मारे बुहत ज्यादा पानी टपक रहा था और उसके हाथ नरेश के लंड पर बुहत ज़ोर से चलने लगा।

नरेश रेखा की दोनों चुचियों को बारी बारी अपने मुँह में लेकर चूस और चाट रहा था वह कभी कभी रेखा की चूचि को अपने दांतों से काट भी रहा था। जिस वजह से उसके मूह से बुहत ज्यादा सिस्कियाँ और चीख़ें निकल रही थी । विजय ने अचानक अपनी जीभ को अपनी माँ की गांड से हटाते हुए अपनी एक ऊँगली को रेखा की गीली गांड पर रखकर दबाब देते हुए उसे उसकी गांड में आधा घुसा दिया ।
 
"उईईए आहह बेटे निकालो बदमाश वहां पर क्यों घुसायी" रेखा ने अचानक अपनी गांड में ऊँगली के घूसने से सिसकते हुए बोली । विजय अपनी माँ की बात को न सुनते हुए अपनी ऊँगली को उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा, रेखा को भी थोडी देर में बुहत ज्यादा मजा आने लगा और वह भी सिसकते हुए अपने भांजे के लंड को तेज़ी के साथ आगे पीछे करने लगी।

विजय ने देखा के उसकी माँ की चूत से बुहत ज्यादा पानी बह रहा है तो उसने अपने लंड को पकडकर उसकी चूत पर घीसने लगा और अपनी दूसरी ऊँगली को भी अपनी माँ की गांड में पेल दिया।

"उईई आअह्ह्ह बेटे" रेखा ने इतना ही कहा था की नरेश ने अपने मूह को उसकी चुचियों से हटाते हुए उसके होंठ पर रख दिया । नरेश रेखा के गुलाबी होंठो को बुहत ज़ोर से चूसने लगा, रेखा का पूरा जिस्म मज़े की शिद्दत से काम्पने लगा। उसे अब अपनी गांड के दर्द की अब कोई चिंता नहीं थी ।

रेखा ने मज़े से अपनी जीभ को अपने भान्जे के मुँह में डाल दिया। जिसे नरेश बुहत ज़ोर से चूसते हुए अपने हाथों से रेखा की चुचियों को दबाने लगा । विजय ने अब अपनी दोनों उंगिलयों को अपनी माँ की गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया था ।
विजय ने नरेश की तरफ देखते हुए उसे आँख मार दी। नरेश विजय का इशारा समझ गया और अपना मुँह रेखा के मुँह से हटाते हुए उसे बालों से पकडते हुए अपने लंड पर झुका दिया, रेखा ने नीचे होते ही कुछ देर तक अपनी जीभ को नरेश के लंड पर फिराने के बाद अपना मुँह खोलकर उसके लंड को आधा अपने मुँह में भरलिया।

रेखा नरेश का लंड चाटते हुए बुहत झुकी हुयी थी। जिस वजह से उसकी गांड और चूत बिलकुल पीछे की तरफ निकलकर उसके बेटे को दिख रही थी । विजय अपनी दो उँगलियों को वैसे ही रेखा की चूत में घुसाए हुए दुसरे हाथ से अपने लंड को अपनी माँ की चूत के छेद पर रख दिया और बुहत ज़ोर का धक्का मार दिया ।
 
आहहहहह बेटे तुमने कहा था कुछ नहीं करोगे फिर इसे क्यों मेरी चूत में घुसा दिया?" रेखा ने नरेश के लंड को अपने मुँह से निकालकर सिसकते हुए कहा।
"मामी हमने आपकी गांड न मारने का वादा किया है चूत का मज़ा तो हम लेंगे ही" नरेश ने अपनी मामी की बात सुनकर अपना लंड फिर से उसके मुह में ड़ालते हुए कहा ।

रेखा समझ गयी की यह दोनों उसे ऐसे नहीं चोदने वाले इसीलिए वह चुपचाप अपने भान्जे का लंड चूसते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होने का मजा लेने लगी । विजय अपना लंड अपनी माँ की चूत में बुहत ज़ोर से जोर से पेल रहा था ।
विजय की दो उँगलियाँ वैसे ही रेखा की गांड में घुसी हुयी थी। जिस वजह से उसे रेखा की चूत चोदते हुए बुहत टाइट लग रही थी और उसे अपनी माँ को चोदते हुए बुहत मजा भी आ रहा था।

विजय ने अचानक अपनी माँ की चूत में अपना लंड अंदर बाहर करते हुए अपनी उँगलियों को उसकी गांड में अंदर बाहर करने लगा । रेखा भी अपने एक छेद में अपने बेटे की उँगलियाँ और दुसरे छेद में उसका लंड अंदर बाहर होने से बुहत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी और उसका पूरा जिस्म अपने बेटे से चुदवाते हुए कांप रहा था ।

"ओहहहहहह बेटे ज़ोर से करो आअह्ह्ह मैं झरने वाली हूँ आहहहः" रेखा ने अचानक नरेश का लंड अपने मुँह से निकाल लिया और उसे अपने हाथ से सहलाते हुए ज़ोर जोर से बडबडाते हुए झरने लगी । विजय अपनी माँ को झडता हुआ देखकर उसकी चूत में अपना लंड बुहत ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा ।

रेखा ने झडते हुए अपनी आँखें बंद कर ली और वह मज़े से अपने चूतडों को उछालते हुए झरने का मजा लेने लगी।
"साले अब तो इधर आ और मुझे भी मामी की चूत का मजा लेने दे" रेखा ने झरने के बाद जैसे ही अपनी आँखें खोली नरेश ने विजय को देखते हुए कहा ।
विजय नरेश की बात सुनकर अपनी माँ की चूत से अपना लंड निकालकर उसके मुँह की तरफ आ गया ।नरेश वहां से उठकर अपनी मामी के पीछे आ गया और नीचे झुककर अपनी मामी की भूरी गांड का एक चुम्मा ले लिया।
 
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