hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
"आह्ह्ह्ह बेटी क्या कर रही हो अपनी माँ की चूत को जीभ से चाट" रेखा ने अपनी चूत पर अपनी बेटी के होंठ महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुय कहा । कंचन के पास अब कोई रास्ता नहीं था । इसीलिए वह अपनी जीभ निकालकर अपनी माँ की चूत पर फेरने लगी, पहले तो कंचन को अपनी माँ की चूत का स्वाद कुछ अजीब लगा मगर थोड़ी देर बाद ही उसे अपनी माँ की चूत को चाटते हुए मजा आने लगा ।
"ओहहहह बेटी हाँ ऐसे ही" रेखा ने अपनी बेटी की जीभ अपनी चूत पर लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"शाबास दीदी अब आओ मेरे लंड को भी चाट कर गीला कर दो " विजय ने अपनी बहन को वैसे ही बालों से पकड़कर अपनी माँ की चूत से अलग करते हुए कहा।
"ओहहहह भैया मेरे बालों को तो छोड़ो" कंचन ने इस बार चीखते हुए कहा ।
"ओहहहह सॉरी दीदी" विजय ने कंचन की बात सुनकर उसके बालों से अपने हाथ को हटाते हुए कहा । कंचन अब अपने भाई के फनफनाते हुए लंड को अपने हाथ में पकडकर अपनी जीभ से चाटने लगी।
"आजहहह दीदी इसका सुपाडा मुँह में लो ना" विजय ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । कंचन अपने भैया की बात सुनकर उसके लंड के सुपाडे को मुँह में ले लिया और अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगी ।
"आहहह बस साली यहीं पर झड़ा देगी क्या?" विजय ने अपनी बहन के सर को पकड़कर अपने लंड से हटाते हुए कहा और खुद अपनी माँ की टांगों के बीच आ गया।।
"इधर आओ और मेरे लंड को पकड़कर अपनी माँ की चूत में डालो दीदी" विजय ने कंचन को देखते हुए कहा । कंचन की हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी वह बुरी तरह से हवस की आग में जल रही थी ।
कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर नशीले अन्दाज़ में ऊपर होते हुए अपने भाई के लंड को पकड़कर अपनी माँ की छूट के छेद पर रख दिया । विजय ने अपने लंड को एक हल्का धक्का मारा उसका मुसल लंड रेखा की गीली चूत में आधा ग़ायब हो गया।
"आह्ह्ह्ह बेटा" अपने बेटे का आधा लंड घुसते ही रेखा के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल गयी ।
"ओहहहह बेटी हाँ ऐसे ही" रेखा ने अपनी बेटी की जीभ अपनी चूत पर लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"शाबास दीदी अब आओ मेरे लंड को भी चाट कर गीला कर दो " विजय ने अपनी बहन को वैसे ही बालों से पकड़कर अपनी माँ की चूत से अलग करते हुए कहा।
"ओहहहह भैया मेरे बालों को तो छोड़ो" कंचन ने इस बार चीखते हुए कहा ।
"ओहहहह सॉरी दीदी" विजय ने कंचन की बात सुनकर उसके बालों से अपने हाथ को हटाते हुए कहा । कंचन अब अपने भाई के फनफनाते हुए लंड को अपने हाथ में पकडकर अपनी जीभ से चाटने लगी।
"आजहहह दीदी इसका सुपाडा मुँह में लो ना" विजय ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा । कंचन अपने भैया की बात सुनकर उसके लंड के सुपाडे को मुँह में ले लिया और अपने होंठो के बीच लेकर चूसने लगी ।
"आहहह बस साली यहीं पर झड़ा देगी क्या?" विजय ने अपनी बहन के सर को पकड़कर अपने लंड से हटाते हुए कहा और खुद अपनी माँ की टांगों के बीच आ गया।।
"इधर आओ और मेरे लंड को पकड़कर अपनी माँ की चूत में डालो दीदी" विजय ने कंचन को देखते हुए कहा । कंचन की हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी वह बुरी तरह से हवस की आग में जल रही थी ।
कंचन ने अपने भाई की बात सुनकर नशीले अन्दाज़ में ऊपर होते हुए अपने भाई के लंड को पकड़कर अपनी माँ की छूट के छेद पर रख दिया । विजय ने अपने लंड को एक हल्का धक्का मारा उसका मुसल लंड रेखा की गीली चूत में आधा ग़ायब हो गया।
"आह्ह्ह्ह बेटा" अपने बेटे का आधा लंड घुसते ही रेखा के मुँह से ज़ोर की सिसकी निकल गयी ।