Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 56 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

"पिता जी अचानक आपको क्या हुआ आप ही तो मुझे पाना चाहते थे" ज्योति ने अपने पिता को हैंरानी से देखते हुए कहा।
"हाँ मगर मैं तुम्हें पूरी तरह से हासील करना चाहता हूँ" महेश ने सीधी बात करते हुए कहा।
"तो आइये न मैं तैयार हूँ आप मेरे जिस्म से खेलिये ना" ज्योति ने तडपते हुए कहा।
"नही मैं तुम्हारे जिस्म से सिर्फ खेलना नहीं तुम्हें चोदना भी चाहता हूँ" महेष ने ज्योति को देखते हुए कहा।
"पिता जी" ज्योति ने शरमाकर अपनी नज़रों को झुकाते हुए कहा।
"बताओ अगर तुम तैयार हो तो ठीक है वरना मैं जा रहा हू" महेश ने अपनी बेटी को ब्लैकमेल करते हुए कहा।
"नही पिता जी मैं तैयार हू" ज्योति ने चिल्लाते हुए कहा।
"ओहहहहह बेटी तुम कितनी अच्छी हो मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं आ रहा है" महेश ने अपनी बेटी के ऊपर चढते हुए कहा और ज्योति के होंठो को बड़े प्यार से चाटने लगा।

ज्योति भी अपने पिता के चुम्बनों का जवाब देने लगी और दोनों बाप बेटी एक दुसरे के होंठो और जीभ से खेलने लगे । महेश ने कुछ देर तक अपनी बेटी के होंठो और जीभ को चाटने के बाद नीचे होते हुए उसकी ब्रा को उसकी चुचियों से अलग किया और बारी बारी अपनी बेटी की दोनों चुचियों को चूसने और चाटने लगा। अपने पिता से अपनी चुचियों को चुसवाते हुए ज्योति के मुँह से भी ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी और वह अपने पिता के बालों को सहलाते हुए अपनी चुचियों को चुसवाने लगी, महेश भी अपनी बेटी की चुचियों से खूब खेलने के बाद नीचे होते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया और अपनी बेटी की टांगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया । ऐसा करने से ज्योति की चूत बिलकुल खुलकर महेश की आँखों से सामने आ गयी और वह अपने फनफनाते हुए लंड को पकडकर अपनी बेटी की चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह पिता जी" ज्योति अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत पर घिसता महसूस करके अपने चूतड़ो को उछालते हुए ज़ोर से सिसकने लगी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी टपकने लगा, महेश ने अपने लंड को अपनी बेटी की चूत से निकलते हुए पानी से गीला किया और उसे पकडकर अपनी बेटी की चूत के छेद पर रख दिया।
 
आह्ह्ह्ह पिता जी डालिये ना" ज्योति ने अपने पिता के लंड को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके सिसकते हुए कहा।
"क्या डालों बेटी?" महेश ने अपनी बेटी की बात सुनकर अपने लंड के मोटे सुपाडे को उसकी छूट के छेद पर घिसते हुए कहा।
"पिता जी अपना वह डाल दो ना" ज्योति ने फिर से तडपते हुए कहा।
"वो क्या बेटी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है" महेश ने फिर से अपनी बेटी की चूत पर अपना लंड घिसते हुए कहा।
"उईई आह्ह्ह्ह पिता जी अपना लंड डाल दो ना अपनी बेटी की चूत में" ज्योति ने इस बार अपने चूतडों को उछालकर ज़ोर से सिसककर बोली।
"ओहहह बेटी तुम अपने पिता के लंड से चुदना चाहती हो तो कहो पिता जी अपना मोटा और लम्बा लंड मेरी चूत में घुसेडो और मेरी चूत को जमकर चोदो।
"आजहहह पिता जी आप क्यों मुझसे गन्दी बातें बुलवा रहे हो?" ज्योति ने फिर से सिसककर कहा।
"बेटी जितना तुम खुलकर गन्दी बाते करोगी तुम्हें चुदवाने में उतना ही मजा आयेगा" महेश ने अपनी बेटी को समझाते हुए कहा।
"ओहहहह पिता जी डाल दो अपना मोटा मुसल लंड मेरी चूत में और खूब जमकर मेरी चूत का कचूमर बनाओ अब बर्दाशत नहीं होता" ज्योति ने इस बार पूरी बेशरमी से अपने पिता को देखकर सिसकते हुए कहा।

"आआह्ह्ह्ह लो अपने पिता के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करो" महेश ने एक ज़ोर का धक्का मारकर अपने लंड को आधे से ज्यादा अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया।
"उईई माँ बुहत मोटा है आपका पिताजी आह दर्द हो रहा है" एक ही धक्के में अपने पिता का आधा लंड अपनी चूत में घुसते ही ज्योति ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
"आहहह बेटी कितनी गरम चूत है तुम्हारी बस थोड़ा दर्द ही होगा फिर तो मज़े ही मज़े होंगे" महेश ने अपने लंड को बाहर खींचकर फिर से अंदर ड़ालते हुए कहा।
"ओहहहह पिता जी ऐसे ही बुहत मजा आ रहा है" ज्योति ने अपने पिता के मोटे लम्बे लंड को अपनी चूत में अंदर बाहर होता महसूस करके ज़ोर से सिसककर अपने चूतडों को उछालते हुए कहा । अब ज्योति को दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था । महेश भी अपनी बेटी को गरम होता देखकर अपने लंड को ज़ोर से ज्योति की चूत में अंदर बाहर करने लगा और ज्योति भी अपने चूतड उछाल उछालकर अपने पिता से चुदवाने लगी।

"आजहहह पिता जी बुहत टाइट और मोटा है आपका आअह्ह्ह मैं झडने वाली हूँ ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को" ज्योति ने अचानक अपने पिता से ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा । महेश को भी इसी मोके की तलाश थी वह अपनी बेटी को तूफ़ानी रफ़्तार से चोदते हुए उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारने लगा।
 
"ओहहहह पिता जी उईईई आह्ह मैं गई" ज्योति का जिस्म अचानक अकडने लगा और वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करके झडने लगी । महेश ने ज्योति को झडता देखकर उसकी चूत में ज़ोरदार धक्के मारते हुए अपने लंड को जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया। ज्योति की चूत से पानी निकल रहा था जिस वजह से उसे ज्यादा तकलीफ न हुयी जब तक ज्योति झडती रही महेश उसकी चूत में वैसे ही धक्के मारते रहा।
"आहहह पिता जी आज मुझे झडते हुए जो मजा आया उतना पहले कभी नहीं आया था। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मैं जन्नत की सैर कर रही हूँ" ज्योति ने पूरी तरह झडने के बाद अपनी आँखें खोलकर अपने पिता को देखते हुए ज़ोर से हाँफते हुए कहा।

"बेटी अभी तो तुम मेरे आधा लंड से चूदी हो अब मैं तुम्हें अपने पूरे लंड का मजा दूंगा" महेश ने अपनी बेटी के ऊपर झुकते हुए कहा और अपनी बेटी की चुचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए उसके होंठो को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा । ज्योति भी अपने पिता की हरक़तों से फिर से गरम होते हुए उसका साथ देने लगी उसने अपनी जीभ को अपने पिता के मुँह में डाल दिया और अपनी जीभ को अपने पिता के होंठो से चुसवाते हुए अपने चूतडों को भी उछालने लगी, महेश भी अपनी बेटी के चूतडों को हिलता देखकर अपने लंड को उसकी चूत में आगे पीछे करना शुरू कर दिया। वह अपने लंड को ज्योति की चूत में अंदर बाहर करते हुए उसकी जीभ को भी चूस रहा था। ज्योति का उस वक्त मज़े के मारे बुरा हाल था वह मज़े से हवा में उड़ रही थी।

"बेटी अब बताओ कैसा महसूस हो रहा है तुझे?" महेश ने अपनी बेटी की जीभ को अपने मूह से निकालकर सीधा होकर अपनी बेटी की चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए कहा।
"यआह्ह्ह्ह पिता जी बुहत मजा आ रहा है आपका लंड मुझे अपने पेट तक घुसता महसूस हो रहा है" ज्योति ने अपने पिता की बात का जवाब सिसकते हुए दिया।

"ओहहहह बेटी मैं तो कब से तुझे मजा देने के लिए तैयार था मगर तुम ही नखरे कर रही थी" महेश अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर एक ज़ोरदार धक्के के साथ उसे फिर अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाते हुए कहा।
"उईई पिता जी आपके लंड ने तो मेरी चूत को पूरी तरह फ़ैला रखा है" ज्योति अपने चूतडों को उछालते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत में जड़ तक अंदर घुसवाते हुए बोली।
 
"हाँ बेटी मेरा लंड बुहत मोटा है और इसी वजह से तुम्हें इतना मजा आ रहा है क्योंकी लंड जितना ज्यादा लम्बा और मोटा होता है वह औरत की चूत को उतना ही ज्यादा मजा देता है" महेश ने अब अपने लंड को पूरी तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर करते हुए कहा।
"ओहहहह पिता जी ऐसे ही आअह्ह्ह बुहत मजा आ रहा है" ज्योति अपने पिता के लंड को तेज़ी के साथ अपनी चूत में अंदर बाहर होता महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए कहने लगी । महेश अपने लंड को इतने तेज़ी के साथ अपनी बेटी की चूत में अंदर बाहर कर रहा था की उसके धक्कों के साथ पूरा कमरा फच फच की आवाज़ से गूँज रहा था।

"आह्ह्ह्ह पिता जी मैं झडने वाली हू" अचानक एक बार फिर ज्योति का पूरा जिस्म अकडने लगा और वह ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"ओहहहह बेटी बस मैं भी आने वाला हू" महेश अपनी बेटी की बात सुनकर ज़ोर से चिलाते हुए बोला और वह अपनी बेटी की दोनों टांगों को अपने हाथों से पकडकर उसकी चूत में बुहत ज़ोर के धक्के मारने लगा।
"उईई आह्ह्ह पिता जी ओह्ह्ह्ह" ज्योति का पूरा जिस्म अचानक काम्पने लगा और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपनी आँखें बंद करके झडने लगी।
"आह्ह्ह्ह बेटी मैं भी आया" महेश भी अपनी बेटी के झडने की वजह से उसकी चूत के सिकुड़ने से अपने आप को रोक न सका और वह अपने लंड को अपनी बेटी की चूत में जड़ तक घुसाकर झडने लगा।
"आहहह पिता जी" ज्योति अपने पिता के गरम वीर्य को अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए अपने पिता से लिपट गयी और मज़े से सिसकते हुए अपने पिता के गरम वीर्य को अपनी चूत में गिरता हुआ महसूस करने लगी।

महेश पूरी तरह से झडने के बाद अपनी बेटी के ऊपर ही ढेर हो गया। उसका लंड अभी तक ज्योति की चूत में ही पड़ा हुआ था जो अब ढीला पड़ चूका था।
"बेटी देखा तुम्हें मुझसे से चुद्वाते हुए कितना मजा आया अब हर रोज़ मैं तुम्हें ऐसे ही मजा दूंगा" ज्योति ने जैसे ही कुछ देर तक हाँफने के बाद अपनी आँखें खोली महेश ने उसे देखते हुए कहा।
"पिता जी" ज्योति ने भी प्यार से अपने पिता को एक चुम्बन दिया और अपने ऊपर से हटाने लगी । महेश अपनी बेटी के ऊपर से हट गया। उसका ढीला लंड जैसे ही ज्योति की चूत से निकला ढेर सारा वीर्य ज्योति की चूत से नीचे गिरने लगा, अपने पिता के मोटे और लम्बे लंड से चुदवाने की वजह से ज्योति की चूत का छेद उस वक्त बुरी तरह से खुला हुआ था और ज्योति की पूरी चूत सूजकर लाल हो चुकी थी।
 
ज्योति बेड से उठकर बाथरूम में चलि गयी और थोड़ी देर बाद वह जैसे ही वापस आई महेश ने उसे फिर से अपनी बाहों में दबोच लिया।
"पिता जी छोड़िये न अब" ज्योति ने शरमाते हुए अपने पिता से छूटने की कोशिश करते हुए कहा।
"क्या करुं बेटी तुम्हारे जिस्म को देखकर यह कम्बख्त फिर से खड़ा हो गया है" महेश ने ज्योति का हाथ अपने लंड पर रखते हुए कहा जो फिर से खड़ा होने लगा था।
"नही पिता जी मैं दूसरी बार यह मुसल नहीं झेल पाऊँगी" ज्योति ने अपने हाथ को महेश के लंड से हटाते हुए कहा।
"क्यों बेटी क्या हुआ?" महेश ने हैंरान होते हुए कहा।
"वो पिता जी एक बार में ही मेरी चूत की हालत ख़राब हो चुकी है इसीलिए कह रही हू" ज्योति ने झिझकते हुए कहा।
"अरे बेटी क्या कह रही हो ज़रा दिखाओ अपनी चूत" महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फ़ैलाते हुए कहा।
"अरे नहीं पिता जी छोड़िये ना" ज्योति ने शर्म से अपनी टांगों को सिकोडते हुए कहा।

"बेटी ज़िद छोड़ो ज़रा देखने दो कहीं ज़ख़्म तो नहीं हो गया है" महेश ने अपनी बेटी की टांगों को फिर से फ़ैलाते हुए कहा । इस बार ज्योति ने भी अपनी टांगों को फिरसे नहीं सिकोड़े और महेश अपनी बेटी की फूली हुई चूत को गौर से देखते हुए उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।
"बेटी तुम्हारी चूत की हालत तो सच में ख़राब हो चुकी है लगता है मुझे ही कुछ करना होगा" महेश ने अपने मुँह को अपनी बेटी की चूत की तरफ ले जाते हुए कहा।
"आहहह कितनी अच्छी गंध आ रही है" महेश ने अपने नाक को ठीक अपनी बेटी की चूत के क़रीब करते हुए कहा।
"आहहह पिता जी आप यह क्या कर रहे हैं" ज्योति भी अपने पिता के मुँह से निकलती हुयी साँसों को अपनी चूत पर महसूस करके सिसकते हुए कहने लगी।
"कुछ नहीं बेटी मैं तुम्हारी चूत को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर देता हूँ ताकी अगर कोई ज़ख़्म वगैरह हो तो वह ज्यादा न बढे" महेश ने यह कहते हुए अपनी जीभ को निकालकर अपनी बेटी की चूत पर रख दिया ।और उसे अपनी बेटी की पूरी चूत पर फिराने लगा।

ज्योति भी अपने पिता की जीभ अपनी चूत पर लगते ही फिर से गरम हो गई और वह अपने हाथों से महेश के बालों को पकडकर अपनी चूत पर दबाने लगी । महेश ने कुछ देर तक वैसे ही अपनी बेटी की चूत को चाटने के बाद उसे उल्टा कुतिया की तरह कर दिया और खुद उसके पीछे आकर फिर से उसकी चूत को चाटने लगा। महेश अब अपनी बेटी की चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को उसकी गांड के भूरे छेद तक ले जाकर चाट रहा था । जिस वजह से ज्योति के मूह से कामुक सिसकियाँ निकल रही थी । महेश ने कुछ देर तक ऐसा करने के बाद अपने लंड को फिर से अपनी बेटी की चूत में घुसा दिया और उसे चूतडों से पकडकर ज़ोर के धक्के मारने लगा, ज्योति भी पीछे से अपनी चूत में इतना बड़ा लंड घूसने से ज़ोर चिल्ला उठी मगर महेश बिना रुके उसे चोदता रहा। कुछ ही समय बाद ज्योति का दर्द ख़तम हो गया और वह भी मज़े से अपने चूतडों को पीछे की तरफ धकेलते हुए अपने पिता के लंड को अपनी चूत की गहराईयों में महसूस करने लगी।

ज्योति और उसके पिता के बीच का यह खेल 30 मिनट तक चला जिसमें ज्योति फिर से दो दफ़ा झडी। अब ज्योति की हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी। वह ठीक तरीके से चल भी नहीं पा रही थी और उसकी चूत तो सूजकर डबल रोटी की तरह मोटी हो चुकी थी । महेश वहां से निकलकर चला गया और ज्योति अपने पिता के जाने के बाद दरवाज़ा अंदर से बंद करके अपनी चूत को देखने लगी, अपनी चूत को देखते ही ज्योति के मूह से हंसी निकल गयी क्योंकी उसकी चूत उस वक्त बिलकुल सूजकर लाल हो चुकी थी और उसकी चूत का छेद बिलकुल खुला का खुला रह गया था । ज्योति भी कुछ देर तक अपनी चूत को देखने के बाद बाथरूम में घुस गयी और फ्रेश होकर वापस बेड पर आकर लेट गई।
 
दोस्तों आज मनीषा के घर की तरफ चलते हैं याद है न आपको मनिषा, उसकी बेटी शीला और पिंकी उसका बेटा नरेश, पति महादेव रमेश और आखरी प्राणी उसके पति का बॉस मनीषा का यार शीला और पिंकी का असल पिता सुरज।

मानिषा के घर पुहंचते ही दूसरी रात को उसका यार सूरज उससे मिलने आ गया था । मनीषा के पति को उसने फिर से किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में बाहर भेज दिया था।
"मानिषा डार्लिंग अब तो मेरी दोनों बेटियाँ बुहत बड़ी हो गई हैं कब दिलवा रही मुझे उनकी कमसीन वर्जिन चूत" सूरज ने मनीषा को बुहत ज़ोर से चोदते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह डार्लिंग तुम्हारी बड़ी बेटी की सील तो किसी ने पहले ही तोड़ी है" मनीषा ने भी अपने चूतडों को उछालकर अपने यार से चुद्वाते हुए कहा।
"क्या कहा तूने किस साले ने मेरी बेटी की सील तोड़ी?" सूरज ने मनीषा की बात सुनकर हैंरान होते हुए कहा।
"डालिंग कोई और नहीं उसके भाई नरेश ने ही शीला की जवानी लूटी है" मनीषा ने सूरज को देखते हुए कहा।
"साला बहनचोद कोई और नहीं मिली उस कुते को चोदने के लिये" सूरज ने नरेश को गाली देते हुए कहा।


"साली तेरी चूत भी कुछ खुली खुली लग रही है । किस किससे चुदवाकर आई हो" सूरज ने मनीषा की चूत में तेज़ धक्के मारते हुए कहा।
"तुमने ही तो मुझे नए लन्डों से चुदवाने की कला सिखाई थी तो मैंने भी बस अपने पिता और बेटे से चुदवा लिया" मनीषा ने सूरज को बताते हुए कहा।
"साली तुम तो बड़ी रंडी निकली अपने पिता और बेटे से चुदवा लिया" सूरज ने गुस्से और उत्तेजना के मारे मनीषा को तेज़ी के साथ चोदते हुए कहा।
"हाँ और अपने भैया से भी और भतीजे से भी चुदवा लेती अगर एक दो दिन और मिल जाता" मनीषा ने जानबूझकर सूरज को जोश दिलाते हुए कहा।
"साली कुतिया तेरी चूत है या कोई रंडी की चूत।जिसमें हर किसी ने इसमें डुबकी लगा ली" सूरज ने पागलोँ की तरह मनिषा की चूत को बुहत तेज़ी के साथ चोदते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह ऐसे ही मैं झरने वाली हू" मनीषा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा और अपनी टांगों को सूरज की कमर में डाल दिया।
"ले साली कुतिया मैं भी झरने वाला हू" सूरज ने मनीषा के ऊपर झुककर उसे तेज़ी के साथ चोदते हुए कहा।


"उई इसशहहह आह्ह" मनीषा सूरज के भयानक चुदाई से चिल्लाते हुए झरने लगी उसने झरते हुए अपनी आँखों को बंद कर दिया और अपने नाखुनो को सूरज के पीठ में गडा दिया।
 
"ओहहह साली रंडी आअह्ह्ह मैं भी आया" सूरज मनीषा के नाख़ून अपनी पीठ पर गडने से चीख़ पड़ा। मगर अगले ही पल वह हाँफते हुए मनीषा की चूत में वीर्य गिराने लगा । सूरज झडते हुए मनीषा की चूत में तेज़ धक्के मारने लगा । मनीषा ने भी अपनी चूत में गरम वीर्य को गिरता हुआ महसूस करके सूरज को कसकर पकार लिया, सूरज पूरी तरह झरने के बाद मनीषा के ऊपर ही ढेर हो गया।
"साली छिनाल मुझे अपनी बड़ी बेटी को चोदना है। जल्दी से कोई रास्ता निकाल" सूरज ने कुछ देर तक अपनी साँसों को ठीक करने के बाद मनीषा के ऊपर से हटकर बेड पर सीधा लेटते हुए कहा।
"ना बाबा मैं अपने पाँव पर खुद ही कुलहाड़ी क्यों मारू। अगर शीला का जवान जिस्म तुम्हें मिल गया तो फिर मुझे तो भूल ही जाओगे" मनीषा ने सूरज को देखकर कहा।

"साली कुतिया तेरी चूत की खुजलि भी मैं ही मिटाता रहूँगा और तु जो मांगेगी तुझे दूँगा।" सूरज ने गुस्से में मनीषा को गाली देते हुए कहा।
"ठीक है मैं कुछ करती हूँ। तुम अभी चले जाओ मगर कल सुबह आ जाना और दो दिन तक यहीं रहना" मनीषा ने सूरज को समझाते हुए कहा।
"ठीक है मैं कल आ जाऊँगा" सूरज ने बेड से उठते हुए कहा और अपने कपडे पहनकर वहां से निकल गया। ।शीला ने अपने घर आने के बाद एक दो बार नरेश के साथ सेक्स किया था मगर जाने क्यों शीला का मन अब सेक्स में कम ही लगता था। आज भी वह अपने कमरे में सोयी हुयी थी वह पिछले दो दिनों से नरेश के पास नहीं गयी थी, इधर नरेश का भी वही हाल था। वह बस अपनी हवस मिटाने के लिए ही शीला को चोदता था उसका लगाव भी सेक्स में कम हो चुका था।

मानिषा ने हर रोज़ की तरह सुबह सवेरे उठकर सबके लिए नाश्ता बनाया जिसे सभी मिलकर खाने लगे।
"शीला तुम आज कॉलेज मत जाना तुम्हारे पिता के बॉस आने वाले हैं। वह दो रोज़ तक यहीं रहेंगे तो काम में मेरी कुछ मदद कर देना" मनीषा ने शीला की तरफ देखते हुए कहा।
"ठीक है माँ" शीला ने अपनी माँ को जवाब दिया।
"माँ पहले कभी तो वह यहाँ नहीं आये है?" नरेश ने अपनी माँ को देखते हुए कहा।
"हाँ लेकिन इस बार उसे कोई ज़रूरी काम है दो दिन यहाँ रहकर वह उसी काम के सिलसिले में चले जाएंगे" मनीषा ने सफेद झूठ बोलते हुए कहा । मनीषा की बात सुनकर नरेश चुप हो गया और अपनी छोटी बहन पिंकी के साथ कॉलेज के लिए निकल गया।

"शीला तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो। जब सूरज आ जायेंगे मैं तुम्हें बुला लुंगी" मनीषा ने शीला को देखते हुए कहा।
"जी माँ" शीला अपनी माँ की बात सुनकर वहां से उठकर कमरे में चलि गयी । सूरज 10 बजे वहां पर पुहंच गया उसके हाथ में एक बैग भी था। मनीषा उसे बाहर बिठाकर शीला को ले आई।
 
सुरज भी अपना बदन पोंछने के बाद वैसे ही एक अंडरवियर पहना हुआ सीधा शीला के पास सोफ़े पर जा बैठा । शीला का जिस्म सूरज को नंगा ही अपने पास बैठता देखकर सिहरने लगा और वह चोरी चोरी सूरज के बदन को देखने लगी। शीला को यकीन नहीं हो रहा था की इतनी ज्यादा उम्र के बावजूद सूरज का बदन बिलकुल गठीला था। एक सेहतमन्द नौजवान की तरह।
"बेटी किस कॉलेज में हो?" सूरज ने अपने एक हाथ को शीला की जाँघ पर रखते हुए कहा।
"जी मैं आचार्य नरेन्दर देव कॉलेज में हूँ" शीला ने हकलाते हुए कहा उसका पूरा जिस्म सूरज के हाथ लगने से काँप रहा था।
"गूड़ और सुनाओ पढ़ाई के बाद क्या इरादा है" सूरज ने इस बार अपने हाथ को शीला की जाँघ पर आगे पीछे करते हुए कहा।
"जी फ़िलहाल कुछ सोचा नहीं है" शीला के मुँह से बड़ी मुश्किल से निकला । उसका जिस्म से पसीना निकलने लगा था । अचानक शीला की नज़र सूरज के अंडरवियर पर पड़ी। जिस में अब उसका मुसल लंड खड़ा होकर झटके मार रहा था।
"अंकल एक मिनट में अभी आई" शीला सूरज के लंड को देखकर पानी पानी हो गई और वह सोफ़े से उठकर बहाना बनाकर बाहर निकल गयी।


"कब तक भागेगी बेटी अब तो तुझे मेरे लंड से चुदना ही है" शीला के जाते ही सूरज ने हँसते हुए कहा और चाय पीने लगा । शीला भगती हुयी अपने कमरे में आ गयी थी । उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या करे । वह बेड पर बैठे हुए तेज़ साँसें ले रही थी । आज कई दिन बाद शीला को फिर से अपने जिस्म में वही गर्मी महसूस हो रही थी जो उसे अपनी मामी के घर में महसूस होती थी, शीला को अचानक सूरज के अंडरवियर का उभार याद आया जिसे देखकर वह यहाँ भाग आई थी। बुहत ही बड़ा और मोटा था शायद उसका यह सब सोचते हुए अचानक ही शीला खुद ही शर्म के मारे हंसने लगी की वह क्या सोच रही है।

शीला कुछ देर बाद फिर से उठकर सूरज के कमरे में चलि गयी कप और ट्रे उठाने । इस बार शीला ने दरवाज़ा नहीं खटखटाया और सीधे ही अंदर घुस गयी ।शीला को सूरज कहीं भी नज़र नहीं आया। वह कप और ट्रे उठाकर जाने ही वाली थी की उसका ध्यान बाथरूम की तरफ गया। जहाँ से पानी की आवाज़ आ रही थी। वह समझ गयी के सूरज नहा रहा है मगर वह अभी तो नहाकर निकला था यही सोचकर वह बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी। बाथरूम का दरवाज़ा भी खुला हुआ था। वह जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े के पास पुहंची उसने देखा सूरज सीधा खड़ा होकर हाँफते हुए अपने हाथ से कुछ हिला रहा है सूरज का पीठ शीला की तरफ नहीं था जिस वजह से वह उसे देख नहीं पाया।

शीला को पहले तो कुछ समझ में नहीं आया मगर अगले ही पल वह समझ गयी की सूरज मुठ मार रहा है और वह जल्दी से वहां से जाने लगी। जाते हुए उसे आवाज़ सुनायी दी " ओह्ह्ह शीला मेरी बेटी आहहह्ह्ह्ह्ह् शायद सूरज झड रहा था । मगर वह उसका नाम क्यों ले रहा था ओहहहह भगवान कहीं वह उसे याद करके तो मुठ नहीं मार रहा था। यह सब सोचकर शीला का जिस्म फिर से गरम होने लगा । उसके जिस्म से पसीना निकलने लगा । वह जल्दी से कमरे से निकलकर किचन में आ गई।
 
कुछ देर के बाद जब सभी अपने अपने रूम में आराम करने चले गए तब शीला भी अपने रूम में आकर आराम करने लगी।जब मनीषा ने शीला को बेड पर लेटे देखा तो वह सूरज के कमरे में घुस गई।रुम में घुसते ही सूरज ने मनिषा को अपनी बाहोँ में भरकर चूमने लगा।शीला की जांघो पर हाथ फेरकर उसे बहुत मज़ा आया था।

इधर शीला जब पेशाब करने बाथरूम जा रही थी तो अपने अंकल का दरवाजा बंद देखकर उसने खिड़की से देखा जो थोड़ी सी खुली हुई थी। जिसे देखकर वो पूरी तरह से गरम होने लगी।

शीला खिड़की से झांकते हुए अपनी माँ को अपने पापा के बॉस से किस करते हुए देख रही थी।
उन दोनों ने तकरीबन दस मिनट तक किस किया।दोनों एक दूसरे के जीभ को चूस चाट रहे थे।उसकी माँ कितनी बेशर्म बन गई थी.. वह बहुत गरम हो गई थीं और अंकल का भरपूर साथ दे रही थीं।
अंकल उनके गाल के बाद उनके चूचियों पर चुम्बन करने लगे, इससे वो उत्तेजित हो गईं। वह उनके चूचियों को सहला रहे थे.. और उनके चूचुकों को अपनी उँगलियों से दबा कर मसल रहे थे.. उसकी माँ पूरी तरह गर्म हो गई थीं।
यह सब देख कर शीला के दिल में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी। उसका हाथ खिड़की पर खड़े हुए ही अपनी सलवार के अन्दर न चाहते हुए भी चला गया था।
उधर अंकल ने अपना हाथ उसकी माँ के पेट के ऊपर से सहलाते हुए उनकी सलवार में सरका दिया था.. शायद उनका हाथ उसकी माँ की चूत पर था।
‘आह्ह्ह.. सूरज..’
माँ मचल उठी थीं.. फिर अंकल उसकी माँ को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गए। उनको बिस्तर पर लेटा कर पीछे से उनकी कुर्ती खोलने लगे।
उसकी माँ ने फिर से थोड़ी ना-नुकुर की..
पर अंकल ने कहा- अब मुझे मत रोको.. जब भी मैं तुम्हारे जिस्म को मज़ा देता हूँ, हर बार तुम ऐसे करती हो कि जैसे मैं पहली बार तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा होऊँ? हर बार तुम ना नुकुर करती हो?
शीला की माँ की चूत पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी.. इसलिए सूरज अंकल को भी कोई दिक्कत नहीं हुई। पाँच मिनट बाद सूरज अंकल बिस्तर पर माँ के ऊपर जा पहुँचे और माँ के पीठ की चुम्मियाँ लेने लगे।
शीला यह सब देख रही थी.. लेकिन उसने खिड़की अधखुली थी इसलिए माँ.. अंकल को कोई शंका नहीं हुई।
 
सूरज अंकल धीरे धीरे उसकी माँ के दूध दबाने लगे.. उसकी माँ के मुँह से आवाजें निकलनी शुरू हो गई थीं।सूरज अंकल ने धीरे से उसकी माँ की गुलाबी सलवार का नाडा खोल दिया और धीरे से कुर्ती भी ऊपर सरका दी। शीला की माँ अब अधनंगी हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी कमर पर एक काली डोरी बांधी हुई थी। सूरज अंकल के द्वारा अपनी माँ की चुदाई को देख कर शीला पागल हो रही थी।
सूरज अंकल ने इतनी जोर से उसकी माँ के दूध दबाए और चूसे कि उसकी माँ ‘आ.. आहा.. अआ.. हह्हा..आआह्ह.. धीरे से..’ करने लगीं।
सूरज अंकल ने धीरे-धीरे उसकी माँ की सलवार घुटनों तक सरका दी और उनकी काली चड्डी के ऊपर से ही उसकी माँ के चूतड़ दबाने और चूमने लगे।उसकी माँ ने करवट बदली और खुद ही अपने जम्पर को उतार कर फेंक दिया।शीला की माँ अब ब्रा और पैंटी में थीं।
शीला ने आज पहली बार अपनी माँ का गोरा जिस्म नंगा देखा था। ब्रा-पैंटी में वो शीला को उस समय बहुत ही कामुक.. सुन्दर और मासूम लग रही थीं, वे 38 साल की होने के बावजूद इस वक़्त जवान लड़की लग रही थीं।


अंकल उसकी माँ को अपनी बाँहों में लेकर.. उनके होंठों को चूसने लगे, अब वो भी अंकल का साथ दे रही थीं।
शीला के लिए यह अनुभव जन्नत से कम नहीं था। सूरज अंकल ने उठकर उसकी माँ के पाँव सहलाने शुरू कर दिए और उसमें गुदगुदी करने लगे। माँ अपना पाँव हटाने लगीं।
वह दोनों किसी प्रेमी जोड़े की तरह एक-दूसरे से खेल रहे थे, उनके अन्दर कोई जल्दबाजी नहीं थी, दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
सूरज अंकल उनकी पायल को चूमने लगे और हाथ से पाँव पर मालिश करने लगे। सूरज अंकल धीरे से माँ की पैंटी की तरफ पहुँचे और उसे उतार कर किनारे रख दी।
उनका लण्ड जो इतना खड़ा हो चुका था कि चड्डी फाड़ रहा था। अंकल पूरे नंगे हुए और माँ की टांगें ऊपर करके अपना 9 इंच का लण्ड माँ की फूली हुई चूत में डाल दिया।
माँ सिसकार उठीं- अअह आआ.. आआह.. अहह..हाहा आआहह्ह..हा सूरज धीरे-धीरे.. शीला उठ जाएगी.. अहह्ह..सिइइइ..
माँ ने शीला के जाग जाने के डर से अपनी आवाजें बंद कर लीं। सूरज अंकल धीरे-धीरे चुदाई की गति तेज करने लगे। माँ की चूड़ियाँ खन-खन कर रहीं थीं।
अंकल उनको तेज-तेज चोदने लगे।
शीला की माँ भी अंकल के कंधे को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रही थीं.. वैसे ही सूरज अंकल भी तेज स्पीड में उनकी चूत में धक्के लगा रहे थे। उनका 9 इंच का लण्ड माँ की चूत में पूरा पेवस्त हो रहा था। माँ अपनी टांगें ऊपर किए हुए बिस्तर पर पड़ी लम्बी-लम्बी साँसें भर रहीं थीं।
 
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