hotaks444
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तकरीबन आधे घंटे तक सूरज अंकल शीला की माँ को लण्ड डालकर चोदते रहे.. उसके बाद वे दोनों शांत हो गए। इसी के साथ उनकी पायलों की ‘छुन-छुन’ भी बंद हो गई थी। शायद सूरज अंकल झड़ चुके थे।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी सूरज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली चुदाई के सारे वीर्य साफ़ को किया।
सूरज अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब जय अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं सूरज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. मनिषा..’
सूरज अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
शीला सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
शीला की माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।
सूरज अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे सूरज..’
‘बस बस मनिषा.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. सूरज अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की चूत की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
मनिषा- प्लीज सूरज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या तुम्हारा पति तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता हैं?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे मालूम था सूरज कि तुम्हारा लौड़ा इतना मज़ा देता है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
सूरज अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। सूरज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे सूरज अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।
वह दोनों काफ़ी देर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे.. उसके बाद फिर वो दूसरी बार के लिए तैयार हुए।
कुछ देर बाद उन्होंने माँ को फिर से चूमना-चाटना शुरू कर दिया। माँ ने भी सूरज अंकल के लण्ड को मुँह में लेकर उनके लौड़े को चूसना शुरू किया। पहली चुदाई के सारे वीर्य साफ़ को किया।
सूरज अंकल माँ को फिर से प्यार करने लगे। उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। अब जय अंकल का लौड़ा फिर से हाहाकारी हो गया था। इस बार उन्होंने माँ को उल्टा किया.. मतलब अंकल ने माँ को कुतिया बना दिया।
‘ऐसे पीछे नहीं सूरज…’
‘तुम जानती हो मुझे कुतिया बना कर तुम्हारी गाण्ड मारना बहुत अच्छा लगता है.. मनिषा..’
सूरज अंकल ने अपना मूसल माँ की गाण्ड के छेद में लगाया और उनके चूतड़ों पर एक थपकी दी।
शीला सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी माँ आज पूरी रंडी बनी हुई थीं।
शीला की माँ समझ गईं कि अब ये थपकी देने का मतलब है कि उनकी गाण्ड में लौड़े की शंटिंग शुरू होने वाली है। उन्होंने खुद को गाण्ड मराने के लिए तैयार कर लिया था।
सूरज अंकल ने माँ की गाण्ड में शॉट मारा.. ‘आआह्ह्ह.. धीरे-धीरे सूरज..’
‘बस बस मनिषा.. हो गया..’
माँ के हलक से एक घुटी सी चीख निकली.. सूरज अंकल का हाहाकारी लण्ड माँ की चूत की सहेली उनकी गाण्ड में पूरा घुस चुका था।
मनिषा- प्लीज सूरज.. धीरे-धीरे दर्द हो रहा है..
माँ के चेहरे पर दर्द साफ़ झलक रहा था।
‘क्यों.. क्या तुम्हारा पति तुम्हारी गाण्ड नहीं मारता हैं?’
‘नहीं.. वह गाण्ड मारने के शौक़ीन नहीं हैं.. मुझे इन्हीं धक्कों का और तुम्हारे लण्ड का बड़ी बेसब्री से इन्तजार था। मुझे मालूम था सूरज कि तुम्हारा लौड़ा इतना मज़ा देता है.. आह्ह.. चोदो मुझे और जोर से चोदो..’
सूरज अंकल माँ के ऊपर कुत्ते जैसे चढ़े थे.. माँ की गाण्ड पर जैसे ही चोट पड़ती.. उनके दोनों चूचे बड़ी तेजी से हिलते। सूरज अंकल ने उनके हिलते हुए दुद्धुओं को अपने हाथों से पकड़ लिया.. जैसे सूरज अंकल ने माँ की चूचियों का भुरता बनाने की ठान ली हो।
उनकी गाण्ड को करीब दस मिनट तक ठोकने के बाद वे माँ की पीठ से उतरे और फिर उन्होंने माँ को चित्त लेटा दिया। अब उन्होंने माँ की कमर के नीचे तकिया लगाया और उनके पैर फैला कर उनकी चूत में अपने मूसल जैसे लौड़े को घुसेड़ दिया।