Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान - Page 7 - SexBaba
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Indian Sex Kahani चुदाई का ज्ञान

मैडी- चुप कर क्या बकवास किए जा रहा है.. भूल गया क्या प्रिया कौन है.. साले दीपक की बहन है वो.. और दीपक को तू जानता है ना.. कितना अड़ियल दिमाग़ का है.. उसे पता चल गया ना, तेरा मुँह तोड़ देगा वो।

सोनू- क्या कर लेगा वो.. प्रिया कौन सी उसकी सग़ी बहन है और तू भूल गया.. जब मेरी बुआ की लड़की यहाँ आई थी.. तो उस पर सबसे पहले दीपक ने ही नियत खराब की थी.. उसको चोदने तक का प्लान बना लिया था.. क्या वो मेरी बहन नहीं थी?

मैडी- साले उसको तो तू भी चोदना चाहता था.. ये तो अच्छा हुआ वो यहाँ एक दिन भी नहीं रूकी और चली गई वरना सबसे पहले तू ही उसको चोदता।

सोनू- कुछ भी हो.. अगर दीपक उसके बारे में गंदा बोल सकता है तो मैं भी बोलूँगा और यार.. अगर दीपाली हाथ ना आई तो हम सारी जिंदगी क्या लण्ड हाथ से ही हिलाते रहेंगे.. प्रिया का कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है.. मौका अच्छा है पटा लेते है साली को.. यार, रंग पर मत जा.. उसका फिगर देख बस…

मैडी- शुभ-शुभ बोल साले, दीपाली के लिए तो दिन रात तड़फ रहा हूँ वो हाथ कैसे नहीं आएगी।

सोनू- अच्छा आ जाएगी.. बस मगर प्रिया भी फँस जाए तो इसमें बुराई क्या है? कभी-कभी उसको भी चोद लेंगे।

मैडी- साले, मैं कोहिनूर हीरा माँग रहा हूँ और तू कोयले की बात कर रहा है।

सोनू- बस.. बस.. इतनी भी काली नहीं है वो .. तू मान या ना मान मेरा तो प्रिया पर दिल आ गया.. अब मैं तो उसको फँसा कर रहूँगा.. तू साथ दे या ना दे ओके.. अब चलता हूँ।

मैडी- जा तुझे जो करना है कर.. मैं इस काम में तेरा साथ नहीं दूँगा ओके…

सोनू वहाँ से चला गया और मैडी भी अपने घर वापस आ गया।

(चलो दोस्तों, दीपाली के पास चलते हैं वो क्या कर रही है।)

दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन लगा दिया।

रिंग बजी ... सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।

दीपाली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर दीपक ना होने के कारण फ़ोन काट दिया। अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।

दीपाली काफ़ी देर बाद हड़बड़ा कर उठी.. शायद उसको कोई सेक्सी सपना आ रहा था क्योंकि उठते ही उसने अपनी चूत पर ऊँगली रखी और बड़बड़ाने लगी।

दीपाली- शिट.. ये तो सपना था मगर था अच्छा.. कैसे चूत पानी-पानी हो गई.. आज तो सर से खूब चुदवाऊँगी बहुत मन हो रहा है.. ओह्ह.. वक्त भी होने वाला है.. ऐसा करती हूँ तैयार हो जाती हूँ।

दीपाली बाथरूम गई और फ्रेश होकर बाहर आई.. कपड़े चेंज करने ही वाली थी कि फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. जब काफ़ी देर तक किसी ने नहीं उठाया तो वो बाहर गई और फ़ोन उठाया।

दीपाली- हैलो…

अनुजा- हैलो दीपाली.. मैं अनुजा बोल रही हूँ.. अच्छा किया तूने फ़ोन उठा लिया.. यार आज पढ़ने मत आना विकास की फैमिली आई हुई है.. आज वो वाला प्रोग्राम नहीं हो पाएगा।
 
दीपाली- उह्ह.. दीदी अपने तो सारा मूड ही खराब कर दिया.. आज बड़ा मन था मेरा…

अनुजा- अरे तो बूढ़ा किस दिन काम आएगा.. आज उसके पास चली जा..

दीपाली- कहाँ दीदी.. आज वो भी नहीं है.. दूसरे शहर किसी काम से गया है।

अनुजा- तो मेरी जान मैंने जो आइडिया बताया था.. आज वो ही आजमा ले शायद तेरी परेशानी भी ख़त्म हो जाएगी और चूत को आराम भी मिल जाएगा।

दीपाली- आप सही बोल रही हो.. मैं स्कूल से आई तब से ट्राइ कर रही हूँ मगर वो फ़ोन पर आ ही नहीं रहा.. कोई और ही उठा रहा है।

अनुजा- ट्राई करती रह.. ऐसा कर अब लगा… शायद काम बन जाए।

दीपाली- ठीक है दीदी, करती हूँ ओके बाय.. रखती हूँ.. अब कल ही बताऊँगी। पहले उसको फ़ोन तो कर लूँ।

अनुजा- ओके मेरी बहना.. बाय.. बेस्ट ऑफ फक हा हा हा हा…

दीपाली भी हँसने लगी और फ़ोन रख दिया। वो फ़ौरन अपने बैग के पास गई.. प्रिया ने जो नम्बर दिया था उसको देखा और उसको फ़ोन लगा दिया।

दीपाली की किस्मत अच्छी थी.. अबकी बार सामने से दीपक ने ही फ़ोन उठाया।

दीपाली- हाय दीपक.. कैसे हो.. क्या कर रहे हो…?

दीपक- मैं ठीक हूँ.. तुम कौन बोल रही हो…?

दीपाली- मैं दीपाली बोल रही हूँ।

दीपक- ओह्ह.. हाय दीपाली.. अच्छा हूँ यार.. मुझे यकीन नहीं हो रहा तुमने फ़ोन किया।

दीपाली- ओके ओके.. ठीक है ये बताओ क्या कर रहे हो.. फ्री हो क्या अभी…?

दीपक- अरे यार एकदम फ्री हूँ और अगर नहीं भी होता तो तुम्हारे लिए सब काम छोड़ कर फ्री हो जाता.. कहो क्या बात है?

दीपाली- मेरा घर जानते हो ना..?

दीपक- हाँ जानता हूँ।

बस उसी रास्ते पर एक बीएसएनएल का बड़ा सा बोर्ड लगा है.. उसके पास एक गली जा रही है.. तुम उस गली में अभी आ जाओ.. एक बहुत जरूरी बात करनी है।

दीपक की तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

दीपक- मैं अभी आया बस 10 मिनट लगेंगे।

दीपाली- और हाँ प्लीज़ अकेले ही आना.. अपने दोस्तों को साथ मत ले आना और उनको बिल्कुल भी मत बताना कि मैंने फ़ोन किया.. बहुत जरूरी बात है सिर्फ़ तुमको बतानी है.. प्लीज़ उनको बिल्कुल मत बताना।

दीपक- ठीक है.. मैं अकेला आ रहा हूँ.. बस अभी निकलता हूँ।

फ़ोन रखने के बाद दीपाली ने एक फोन और किया और फिर अपने कपड़ों में से क्या पहनूं ये सोचने लगी और आख़िर उसे एक ड्रेस पसन्द आई.. झट से उसको पहनने के लिए उठा लिया।

दीपक जल्दी से तैयार हुआ.. खूब सारा परफ्यूम लगा कर वो घर से निकल गया।

इधर दीपाली भी तैयार हो गई थी मगर वो अपने कमरे में बैठकर घड़ी की ओर देख रही थी।

कुछ देर बाद दीपाली ने अपने आप से बात की।

दीपाली- दस मिनट हो गए.. अब तक तो वो आ गया होगा.. अब मुझे भी निकलना चाहिए।

दीपाली अपनी मॉम को बाय बोलकर निकल गई।

(दोस्तों, आपको बताना भूल गई आज दीपाली ने पारदर्शी एकदम पतली सी ब्लॅक टी-शर्ट और उस पर सफ़ेद जैकेट पहना था.. जो बड़ा ही फैंसी था.. और नीचे एक गुलाबी शार्ट स्कर्ट पहना.. उसकी जांघें साफ दिख रही थीं। इस ड्रेस में कोई अगर उसको देख ले तो उस पर चोदने का जुनून सवार हो जाए। आजकल तो वैसे ही लोगों की सोच लड़की के लिए गंदी ही होती है.. अब दीपाली ने इतना सेक्सी ड्रेस पहन लिया तो ना जाने आज रास्ते में क्या क़यामत आने वाली है।)
 
दीपाली घर से निकल गई और जल्दी ही उस गली के मोड़ पर पहुँच गई.. दीपक वहाँ खड़ा उसका ही इन्तजार कर रहा था। जैसे ही उसकी नज़र दीपाली पर गई उसकी आँखें बाहर को निकल आईं और लौड़ा पैन्ट में तंबू बनाने लगा। क्योंकि दीपाली उसकी तरफ बड़े ही सेक्सी अंदाज में आ रही थी। उसके चूचे उसकी चाल के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे.. उसकी चिकनी जांघें दीपक को पागल बना रही थीं।

दीपाली उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो गई। वो पागलों की तरह बस उसको देखे जा रहा था।

दीपाली- हैलो किस सोच में डूबे हो?

दीपक- क्क्क..कुछ भी नहीं.. तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो आ…आज तक तुमको बस स्कूल ड्रेस में देखा.. आज तो एकदम प्प….

वो आगे कुछ बोलता.. दीपाली ने अपनी आँखें बड़ी कर लीं और थोड़ा सा गुस्से का इज़हार किया।

दीपक- ओह.. क..क्या कहना चाहती थी तुम.. जो मुझे यहाँ बुलाया…?

दीपाली- देखो बात बहुत जरूरी है.. मैं यहाँ नहीं बता सकती।

दीपक- त..तो कहाँ चलें…?

दीपाली- देखो मेरे पास एक सेफ जगह है.. जहाँ बात हो सकती है.. मैं चलती हूँ.. मुझ से दूरी बना कर पीछे चलो.. किसी को जरा भी शक ना हो कि हम साथ जा रहे हैं।

दीपक ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया और दीपाली के पीछे चलने लगा। जब दीपाली चल रही थी.. उन कपड़ों में उसकी गाण्ड कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी। बेचारा दीपक तो पागल हुआ जा रहा था। उसका लौड़ा आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था.. वासना उसके दिमाग़ में चढ़ गई.. एक अजीब सा नशा उस पर सवार हो गया। आज उसने मन में ठान लिया कि अगर मौका मिला.. तो आज दीपाली को ज़बरदस्ती ही सही.. चोद कर ही दम लेगा।

दीपाली चलती रही और दीपक किसी कठपुतली की तरह उसके पीछे चलता रहा। कुछ देर बाद सुधीर के घर के पास जाकर दीपाली ने जल्दी से दरवाजा खोला और अन्दर चली गई। दीपक को भी इशारे से जल्दी अन्दर आने को कहा.. दीपाली बाहर दोनों तरफ गौर से देख रही थी कि कहीं कोई उनको देख ना ले।

दीपक जल्दी से अन्दर आ गया और उसके चेहरे पर अचरज के भाव थे। बहुत से सवाल एक साथ उसके दिमाग़ में आ गए.. मगर वो कुछ बोलता उसके पहले दीपाली ने उसे सोफे पर बैठने को बोल दिया और खुद उसके सामने वाले सोफे पर पर पैर चढ़ा कर इस तरह बैठ गई कि दीपक जरा सा नीचे झाँके तो उसकी पैन्टी दिख जाए।

दीपक- ये किसका घर है और वो कौन सी जरूरी बात के लिए मुझे यहाँ बुलाई हो?

दीपाली कुछ नहीं बोली.. बस हल्की सी मुस्कान देती रही और अपनी टांग को हिलाती रही.. जिससे दीपक का ध्यान उस पर जाए और जो वो दिखाना चाहती थी.. उसको दिख जाए… और हुआ भी वही.. दीपक की नज़र उसकी जाँघों के बीच चली गई.. जहाँ से गोरी-गोरी जाँघों के बीच दीपाली की काली पैन्टी जो बड़ी ही सेक्सी थी उसकी झलक दिख गई.. उस बेचारे का तो पहले ही हाल बुरा था.. अब तो पैन्ट में लौड़ा कसमसाने लगा.. उसका हलक सूख गया।

दीपक- यार क..कुछ तो बोलो.. ऐसे चुप रहोगी तो कैसे पता चलेगा?

दीपाली- मैं भी उसी का इन्तजार कर रही हूँ आख़िर क्या बात है बोलो?

दीपक एकदम चौंक गया क्योंकि बात करने दीपाली ने उसे बुलाया था.. अब उसको क्या पूछ रही है?

दीपक- त..तुम ये क्या कह रही हो त.. तुमने मुझे यहाँ ब्ब..बुलाया है.. बात तुम बताओ…

दीपाली- अरे इतना घबरा क्यों रहे हो.. कूल यार.. मेरे कहने का मतलब है कि तुम तीनों मेरे करीब आने की कोशिश कर रहे हो.. खास मेरे लिए मैडी होटल में पार्टी दे रहा है.. इन सब के पीछे तुम लोगों का कुछ तो मकसद होगा.. बस वो ही जानना चाहती हूँ?

दीपक के पसीने निकल गए.. हमेशा चुपचाप रहने वाली लड़की आज इतनी सेक्सी ड्रेस पहन कर आई है.. वो भी एक ऐसी जगह.. जहाँ कोई नहीं है और बातें इतनी गहराई की कर रही है। वो चौंक सा गया कि अब क्या जबाव दे..

दीपक- यार ये तुम क्या कह रही हो होटल की बात तो मुझे पता भी नहीं और मेरा क्या मकसद होगा? ऐसा कुछ नहीं है जो तुम सोच रही हो।
 
दीपाली- मैं कुछ नहीं सोच रही हूँ सीधी सी बात पूछ रही हूँ लड़की को इतना इम्प्रेस करने का कोई तो कारण होता होगा ना.. अब बात को घुमाओ मत सीधे-सीधे पॉइंट पर आ जाओ।

दीपक को लगा.. अब सही मौका है ये खुद इतना बोल रही है तो क्यों ना अपने दिल की बात बोल दी जाए।

दीपाली- उफ़फ्फ़ गर्मी ज़्यादा है आज.. तुम बोलते क्यों नहीं बोलो ना यार…

दीपाली ने जैकेट के बटन खोल दिए उसकी जालीदार टी-शर्ट में से उसकी ब्रा की झलक दिखने लगी थी.. गोरा पेट भी साफ नज़र आ रहा था।

दीपक का लौड़ा पहले ही एकदम तना हुआ था और उसकी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। उसके लौड़े से पानी की कुछ बूँदें टपक आई थीं और आएं भी क्यों ना.. जिसने आज तक जिस लड़की के सपने देखे.. उसके नाम की मुठ मारता रहा हो.. आज वही लड़की अधनंगी हालत में उसके सामने बैठी उसको अपनी जवानी के जलवे दिखा रही है।

(दोस्तो, आप सोच रहे होंगे सीधी-साधी दीपाली को ये क्या हो गया.. तो आप शायद भूल गए अनुजा ने जो सब आइडिया बताया था.. वो सब यही है.आगे और भी कुछ ऐसे सीन आएँगे जो अनुजा ने बताए कि कैसे सब करना है।)
 
दीपक अपने आप से कहने लगा- साले बोल दे.. लड़की खुद नंगी होना चाहती है.. तू क्या सोच रहा है?

दीपक- द..दीपाली उई आई लव यू।

दीपक ने जल्दी से बोल दिया।

दीपाली- हा हा हा झूठ.. मैं जानती हूँ तुम मुझसे नहीं मेरे जिस्म से प्यार करते हो.. तुम तीनों की बात किसी ने सुन ली थी और मुझे बता दी कि तुम मेरे लिए क्या सोचते हो।

दीपक खड़ा हो गया और दीपाली के एकदम पास आकर उसके कंधे पकड़ लिए।

दीपक- हाँ, मानता हूँ कि मैं तुम्हारे जिस्म का दीवाना हूँ.. जब से तुम्हें देखा है.. रात-दिन तुम्हारे ही बारे में सोचता हूँ.. आज मौका मिला है तेरे इतने करीब आने का.. आज कुछ भी हो जाए.. मैं तुम्हें अपना बना कर रहूँगा।

दीपाली- खुल कर बोलो क्या करोगे आज मेरे साथ…

दीपाली ने ये बात बड़े सेक्सी अंदाज से अपने मम्मे को खुजाते हुए कही.. अब दीपक का हौसला बहुत बढ़ गया था।

दीपक- हाँ मैं डरता हूँ क्या? खुल कर सुनना है तुझे तो सुन, मैं तेरी चूत का दीवाना हूँ ... आज मैं तुझे चोद कर ही दम लूँगा.. तेरे इन रसीले चूचों का सारा रस पी जाऊँगा..

दीपाली- हा हा हा तो रोका किसने है.. पी जाओ और बना लो मुझे अपना..

दीपक को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि दीपाली खुद ‘हाँ’ बोल रही है.. ये सुन कर उसको झटका सा लगा.. उसने दीपाली को छोड़ दिया और पीछे हट गया।

दीपाली- अरे क्या हुआ मेरे आशिक.. मैं सच कह रही हूँ आ जाओ आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो.. चोद दो मुझे.. आ मैं भी बहुत प्यासी हूँ अब देर ना करो.. आ जाओ ना…

दीपक की तो जैसे लॉटरी निकल आई थी.. अब उसमें सोचने-समझने की ताक़त नहीं थी.. वो जल्दी से दीपाली के करीब गया और उसे अपनी बाँहों में ले लिया।

उसके सुलगते होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ज़बरदस्त चुसाई चालू हो गई। दीपक दीपाली के होंठ चूसने के साथ-साथ उसकी गाण्ड पर भी हाथ फिरा रहा था। वहीं दीपाली को अपनी चूत पर उसका लौड़ा चुभता हुआ महसूस हुआ तो उसने नीचे हाथ ले जाकर उसको पकड़ लिया। उसका दिल खुश हो गया, लौड़ा काफ़ी भारी-भरकम लग रहा था.. जैसा प्रिया ने बताया था। काफ़ी देर तक एक-दूसरे को चूमने के बाद वो दोनों अलग हुए।

दीपक- मैं सोच भी नहीं सकता था कि ऐसे अचानक तुम मुझे मिल जाओगी.. वो साला मैडी तो प्लान बनाता ही रह गया और तुम मेरी बाँहों में आ गईं। मुझे क्या पता था.. तेरी चूत में भी चुदने का तूफान उठ रहा है। नहीं तो कब का तुझे चोद चुका होता.. आह्ह… आ जाओ मेरी जानेमन, अब बर्दास्त नहीं होता। मेरा लौड़ा कब से पैन्ट से बाहर आने को बेताब हो रहा है।

दीपाली- मेरे राजा यहाँ नहीं.. कमरे में चलो वहाँ दिखाओ कि कैसा लौड़ा है तुम्हारे पास.. जो इतने दिनों से मेरे पीछे पड़े हो।

दीपाली उसको कमरे में ले गई और खुद बिस्तर पर बैठ गई..

दीपक- जान तुम खुद अपने हाथों से लौड़े को बाहर निकालो.. ये बहुत बेताब है तुम्हारे लिए।

दीपाली ने झट से पैन्ट का हुक खोल दिया और अंडरवियर के साथ नीचे कर दी। दीपक का लौड़ा फुफकारता हुआ आज़ाद हो गया।

दीपाली- वाउ क्या मस्त लौड़ा है.. एकदम वैसा ही जैसा उसने बताया था।

दीपक को आज झटके पे झटके लग रहे थे.. वो चौंक गया…

दीपक- क..किसने बताया था?

दीपाली- है कोई तुम्हारी दीवानी.. जैसे तुम मेरे सपने देखते हो.. वो भी तुम्हारे नाम से अपनी चूत ठंडी करती है।

दीपक- ओह..ह.. क्या कोई लड़की ने बताया.. मगर मैंने तो आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा.. तो उसने मेरे लौड़े की तारीफ कैसे कर दी.. कौन है वो?

दीपाली- बताऊँगी मेरे राजा.. सब्र करो पहले अपने लौड़े को मेरे हवाले तो करो.. आह्ह… कितना मस्त लग रहा है.. मन करता है खा जाऊँ इसको…

दीपक- उफ़फ्फ़ अब बर्दास्त नहीं होता ... खा ले मेरी जान, तेरे लिए ही तो इतना कड़क हुआ है ये.. आह्ह… वैसे वो लड़की है कौन.. प्लीज़ बता दे ना यार.. सोच-सोच कर दिमाग़ खराब हो रहा है.. अगर मैं ऐसे ही सोचता रहूँगा तो… चुदाई में मज़ा नहीं आएगा।

दीपाली- बता दूँगी.. अभी सोचना बन्द करो और एंजाय करो बस…

इतना बोल कर दीपाली ने लंड के सुपाड़े को मुँह में ले लिया और मज़े से उसे चूसने लगी।

दीपक- आह्ह… उफ़फ्फ़ आई लव यू दीपाली.. आह्ह… मज़ा आ गया.. आज पहली बार मेरे लौड़े ने आह.. नरम होंठों का अहसास किया है.. वरना आह्ह… आज तक तो बस हाथ से ही सहलाता रहा हूँ आह्ह… देखो कितना खुश है ये तेरे होंठों के स्पर्श से…

दीपाली ने लौड़ा मुँह से निकाल लिया और दीपक को देखने लगी।
 
दीपक- आह्ह… क्या हुआ मेरी जान निकाल क्यों दिया.. आह्ह… मज़ा आ रहा था।

दीपाली- तुम्हें बताने के लिए कि पहली बार नहीं दूसरी बार तुम्हारे लौड़े पर लड़की के होंठ टच हुए हैं. पहली बार तो ये उस बेचारी के मुँह में ही झड़ गया था।

दीपक- क्या बकवास कर रही हो.. मैंने बताया ना.. मैं किसी लड़की के पास नहीं गया.. कौन है वो.. जिसने तुम्हें ये झूठी बात बताई है.. प्लीज़ अब बता भी दो.. मत तड़पाओ.. सारा मज़ा खराब हो रहा है…

दीपाली- ये बात झूठ नहीं एकदम सच है.. वो तुम्हारी दीवानी है.. बस तुमसे डर रही है.. इसलिए सामने नहीं आई.. उसने मुझसे मदद माँगी.. इसी लिए तुमको मैंने यहाँ बुलाया है।

दीपक- आह्ह… कौन है वो.. नाम बताओ और मैं खुद चूत का प्यासा हूँ.. साली ऐसी कौन लड़की होगी.. जो मुझसे चुदना चाहती हो और मैं उसको चोद नहीं रहा.. बकवास बात है ये.. मैं नहीं मानता.. अगर तुम सच बोल रही हो तो नाम बताओ उस साली कुतिया का..

दीपाली मुस्कुराते हुए उसके लौड़े पर जीभ फेरती है और बड़े प्यार से बोलती है।

दीपाली- आह क्या लौड़ा है तुम्हारा.. वो लड़की प्रिया है मेरे राजा..

दीपक ने ज़ोर से धक्का मारा और गुस्सा हो गया।

दीपक- क्या बकवास कर रही हो.. प्रिया मेरी बहन है।

दीपाली- बकवास नहीं.. सच कह रही हूँ वो लड़की प्रिया ही है.. जिसने पहली बार तेरे लौड़े को चूसा है और अब तुझसे चुदने के लिए बेकरार हो रही है।

दीपक- चुप कर साली कुछ भी बोले जा रही है।

दीपाली- ओए हैलो.. जुबान को लगाम दो.. पहले शान्ति से मेरी बात सुन लो उसके बाद जो बोलना है बोलना.. तुम्हें याद होगा कि तू एक बार ज़्यादा नशे में घर गया था और तेरे पापा ने मार कर तुझे घर से निकाल दिया था। उस वक़्त तुझे प्रिया के पापा अपने घर ले गए थे और उसी रात प्रिया ने तेरे लौड़े को चूसा था समझे…

दीपक एकदम हक्का-बक्का रह गया।

दीपल- क्क्क..क्या बोल रही हो.. तत..तुम आह्ह… ऐसा कुछ नहीं हुआ था स..समझी…

दीपाली- तू तो नशे में था.. तुझे कहाँ कुछ याद होगा… प्रिया ने खुद मुझे सारी बात बताई हैं… समझे.. शुरू से सुन तब तुझे यकीन आएगा।

दीपाली ने प्रिया की कही सारी बातें विस्तार से दीपक को बताईं।

दीपक- ओ माय गॉड.. प्रिया ने ऐसा कैसे कर दिया… वो मेरी बहन है।

दीपाली- बहन हा हा हा.. अब सुन, तुझे एक ज्ञान की बात बताती हूँ.. जो मेरी गुरू ने मुझे बताई है.. गौर से सुनना.. इस दुनिया में बहुत से रिश्ते हैं मगर लौड़े का सिर्फ़ 4 चीजों से गहरा रिश्ता है.. उसके अलावा इसकी ना कोई माँ है.. ना बहन.. अब वो चार रिश्ते क्या हैं सुन… सबसे पहला और सबसे मजबूत रिश्तेदार हाथ से होता है.. क्योंकि जब लौड़ा जवान होता है या उत्तेज़ित होना सीखता है तो हाथ ही उसको सहला कर शान्त करता है.. जो काफ़ी सालों तक या मरते दम तक इसका साथ नहीं छोड़ता।

इसका दूसरा रिश्ता गाण्ड से होता है जब नई-नई जवानी आती है और कोई लड़की हाथ नहीं लगती है तब नसीब से किसी दोस्त की गाण्ड मारने को मिल जाती है.. मगर ये रिश्ता ज़्यादा दिन तक लौड़े का साथ नहीं देता।
 
लंड का सबसे प्यारा रिश्ता होता है चूत से ... ज़्यादातर लौड़ों को कच्ची और चिकनी चूत से मोहब्बत होती है। किसी-किसी को नसीब से जल्दी तो किसी को शादी के बाद चूत मिलती है.. मगर मिल जरूर जाती है।

लंड का चौथा रिश्ता मुँह से होता है जो इसको चूस कर मज़ा देता है ... मगर लड़की का मुंह किसी-किसी को ही नसीब होता है। कोई बीवी या गर्ल फ्रेंड लंड को मुँह में लेती है और कोई नहीं भी… तो अब समझ आया।

तुम्हें पता है कि प्रिया तुम्हारी बहन है मगर इस लौड़े को नहीं पता. तू तो होश में नहीं था मगर ये पूरे होश में था ... ये कड़क भी हुआ और इसने पानी भी उसके मुँह में निकाला ... अब बोल, ये ज्ञान की बात तेरे समझ में आई कि नहीं।

दीपक तो हक्का-बक्का रह गया। कल तक जिस लड़की को बहन मानता था आज उसकी ऐसी बात पता चल गई कि उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई।

दीपक- यह गलत है.. नहीं, प्रिया ने पाप किया है.. मगर मैं नहीं कर सकता.. ना, ऐसा नहीं होगा…

दीपाली- तो ठीक है.. मत कर.. मगर इतना सोच ले कि प्रिया ने लौड़े का स्वाद चख लिया है और उसकी चूत लौड़े के लिए तरस रही है ... तू नहीं तो कोई और सही ... वो चुदेगी जरूर और हाँ, दूसरा उसको कौन मिलेगा जानते हो? तुम्हारे खास दोस्त ही उसको चोद कर मज़ा लेंगे. उनके अलावा वो किसी के पास जा ही नहीं सकती। अब सोच ले, सील पैक चूत फ्री में मिल रही है. ऐसा मौका बार-बार नहीं आता. तेरे दोस्त मज़ा लेंगे और तू चूत के लिए तड़पता रहेगा ... मेरी चूत भी नहीं मिलेगी तुझे. पर हाँ, अगर तू प्रिया को चोद दे तो मैं तुझ से चुदवा सकती हूँ, वरना नहीं.


दीपक- साली, तू कैसे नहीं चुदवाएगी.. इस घर में तेरे और मेरे सिवा है ही कौन.. तुझे तो जबरदस्ती चोद लूँगा।

दीपाली- मुझे तो चोद लोगे पर प्रिया? क्या उसके सामने तुम मुझे चोद पाओगे?

दीपक- क्या.. प्रिया कहाँ है यहां?

तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और प्रिया अन्दर आ जाती है।

प्रिया- मैं यहाँ हूँ, भाई..
 
दीपक प्रिया को देखता रह जाता है वो सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी में खड़ी थी। उसके चूचे आधे से ज़्यादा बाहर को झाँक रहे थे.. चूत का फुलाव पैन्टी में से साफ नज़र आ रहा था और वो दीपक के लौड़े को देख कर होंठों पर जीभ फेर रही थी.. जो आधा-अधूरा खड़ा था या यूँ कहो सोया हुआ था।

दीपक- ये क्क्क..क्या है प्रिया.. छी: तुम्हें शर्म आनी चाहिए..

दीपक कुछ और बोलता तब तक प्रिया उसके एकदम करीब आकर खड़ी हो जाती है और दीपक के लौड़े को देखने लगती है.. जिसमें अब तनाव आना शुरू हो गया था।

प्रिया- भाई.. आपने मेरे पूरे जिस्म को अच्छे से देख लिया और आपके मन में मुझे चोदने की इच्छा भी जाग गई है.. जिसका सबूत यह कड़क होता लौड़ा है.. अब यह झूठा गुस्सा किसलिए?

दीपक का लौड़ा एकदम तन गया था और प्रिया को चोदने की दिल के किसी कोने में एक चाहत जाग उठी थी।

दीपक- तू बहन नहीं.. एक रंडी है! आ जा साली.. पहले तुझे ही चोदूँगा..

दीपक ने प्रिया को बाँहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। प्रिया भी उसका साथ देने लगी।

दीपाली वहीं खड़ी उन दोनों को देख कर मुस्कुराने लगी।

काफ़ी देर बाद दोनों अलग हुए. दीपक भूखे कुत्ते की तरह प्रिया के मम्मों को दबा रहा था और उसने ब्रा को खोल कर एक तरफ फेंक दिया था।

प्रिया- आह्ह… आई.. भाई आराम से करो ना आह्ह… दुख़ता है..

दीपक- साली छिनाल.. अपने भाई के बारे में गंदे ख्याल लाई.. तब नहीं सोचा तूने.. दुखेगा.. अब देख मैं कैसे तुझे मज़ा देता हूँ.. आज तो बहनचोद बन ही जाता हूँ.. जिस नाम से नफ़रत थी.. आज उसी को तूने मेरे से जोड़ दिया है।

दीपाली- ओके प्रिया, मैं अब जाती हूँ ... मेरा काम. हो गया. अब तुम दोनों मज़े करो।

ये सुनकर दीपक ने प्रिया को छोड़ दिया और दीपाली का हाथ पकड़ लिया।

दीपक- तू कहाँ जाती है मेरी बुलबुल.. तेरे चक्कर में तो आज मैं बहनचोद बनने जा रहा हूँ.. पहले तेरी चूत को फाड़ूँगा.. उसके बाद इस कुत्ती की ठुकाई करूँगा.. साली बहन के नाम पर कलंक है ये…

दीपाली- चूत तो मेरी भी खुजला रही है मगर मैंने प्रिया से वादा किया है उसकी सील तुम ही तोड़ोगे।

दीपक- अरे तो मैंने कब मना किया है.. पहले तेरी चूत का उद्घाटन करूँगा उसके बाद प्रिया की चूत का मुहूरत होगा।

प्रिया- नहीं भाई, पहले आप मेरे साथ करो ... मैं जानती हूँ मेरी तरह आप भी एकदम कुंवारे हैं. आपके लौड़े की पहली चुदाई है. तो आप मेरी सील के साथ अपनी भी शुरूआत करो। दीपाली कौन सी सील पैक है.. ये तो चुदी-चुदाई है।

दीपाली- तुम्हें मेरी कसम है प्रिया, इसके आगे मत बोलना।

दीपक- यस यस.. आई वाज राईट.. मुझे पता था साली तू चुद चुकी है.. वो साले नहीं मान रहे थे.. तेरी चाल देख कर ही मैं समझ गया था कि कोई तो है.. जो तेरी जवानी को लूट रहा है.. अब बता भी दे कौन है वो हरामी? जिसने हमारे माल पर हाथ साफ कर लिया।

दीपक की बात सुन कर दीपाली कुछ नहीं बोली।

प्रिया- भाई, क्यों बने-बनाए मूड को खराब कर रहे हो.. होगा कोई भी! आ जाओ, हम मज़े करते हैं।

दीपक- रूक, साली कुत्ती! तुझे बहुत जल्दी है चुदने की. इसे बोल यहीं रूके ... अगर ये रहेगी तभी तुझे चोदूँगा ... क्योंकि मैं आज इसकी चूत को नहीं छोड़ने वाला हूँ.
 
दीपाली- ठीक है, मैं यहीं हूँ ... अब हो जाओ शुरू और कर दो प्रिया की चूत का मुहूरत. उसके बाद मुझे भी चोद लेना ... मैं खुद लंड के लिए तरस रही हूँ।

दीपक- ऐसे नहीं.. तुम पूरी नंगी हो जाओ और बिस्तर पर हमारे साथ रहो।

दीपाली मान गई और कपड़े निकालने लगी.. साथ ही प्रिया भी पूरी नंगी हो गई। दीपक तो पहले से ही उत्तेजित था … उसके लंड का तनाव बढ़ता गया और उसे अहसास हो गया कि जल्दी वो झड़ जाएगा.. चूत का मुहूरत नहीं कर पाएगा।

दीपक- दीपाली, तूने मुझे बहुत उत्तेज़ित कर दिया है.. पहले तू मेरा लौड़ा चूस कर ठंडा कर ... दो मिनट में ही ये झड़ जाएगा.. उसके बाद प्रिया से शुरूआत करूँगा।

दीपाली मान गई और लौड़े को मुँह में लेकर मज़े से चूसने लगी। दीपक ने आँखें बन्द कर लीं और मुँह को चोदने लगा और कुछ ही देर में उसके लौड़े ने वीर्य की धार दीपाली के मुँह में मार दी। दीपाली पूरा पानी पी गई और लौड़े को चाट कर साफ कर दिया।

दीपक- आह.. ये हुई ना बात.. उफ्फ आज तक मेरे लौड़े ने इतना पानी नहीं छोड़ा जितना आज तेरे मुँह में निकाला है.. आह्ह… मज़ा आ गया।

प्रिया- भाई अब मेरी भी प्यास बुझा दो ना.. आपके लौड़े के लिए तो मैं कब से तड़फ रही हूँ.. लाओ मुझे चूसने दो.. इसे अब दोबारा खड़ा मैं करूँगी।

दीपक- हाँ.. क्यों नहीं मेरी रंडी बहना.. ले चूस ले.. अब तो तुझे चोद कर ही मुझे चैन आएगा और दीपाली तू भी मेरे पास लेट जा.. तेरे चूचे मुझे बहुत पागल बनाते थे.. आज इनका रस पीने दे मुझे.. प्रिया के चूचे भी बहुत मस्त हैं.. मगर ये तो घर का माल है.. जब चाहूँगा मिल जाएगी.. तू तितली की तरह उड़ती रहती है.. क्या पता दोबारा हाथ आए ना आए.. आजा तेरे निप्पल चूसने दे.. इन बड़े-बड़े सन्तरों को दबाने दे।

दीपाली- मैं तो पहले से ही बहुत गर्म हूँ और गर्म कर दे ताकि चूत तो ठंडी हो मेरी।

दीपक- अरे घबरा मत मैं हूँ ना.. आज दोनों की चूत बराबर ठंडी कर दूँगा।

प्रिया सोए हुए लौड़े को जड़ तक मुँह में लेकर चूस रही थी। इधर दीपक दीपाली के मम्मों को चूस कर मज़ा ले रहा था।

दीपाली- आह्ह… उह.. दबाओ मेरे राजा.. आह्ह… मज़ा आ रहा है आह्ह….

थोड़ी देर में ही लौड़ा तन कर अपने विकराल रूप में आ गया।

प्रिया- भाई, अब ये चूत में जाने के लिए तैयार है.. अब थोड़ा मेरी चूत को चाट कर गीला कर दो ताकि मुझे दर्द कम हो।

दीपक- चलो, दोनों सीधी हो जाओ. आज दोनों की चूत एक साथ चाट कर मज़ा देता हूँ।

दीपाली- आह्ह… दे दो राजा.. मेरी चूत सुलग रही है.. आह्ह… जल्दी…

दीपक बड़े प्यार से बारी-बारी से दोनों की चूत चाटने लगा।

प्रिया ने पहली बार इस मज़े को महसूस किया था कि चूत-चटाई क्या होती है.. अब तक तो उसने सिर्फ कहानियों में ही पढ़ा था।

प्रिया- आह ससस्स उह.. भाई मज़ा आ गया आह्ह… ज़ोर से चाटो…

दीपक- आह्ह… बहना.. तेरी चिकनी चूत क्या मस्त है.. कुँवारी चूत का स्वाद कैसा होता है.. आह्ह… आज पता चला।

प्रिया- आह्ह… उई.. जब से आपका लौड़ा देखा है.. आह्ह… आपके लिए ही चूत को साफ रखती हूँ.. क्या पता कब चुदने का ..उई.. मौका मिल जाए आह्ह… देखो आज मिल गया।

दीपक ने अपना मुँह अब दीपाली की चूत पर लगा दिया था और जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. माना कि दीपक नया खिलाड़ी था मगर जब ऐसी चिकनी चूत सामने हो तो अनाड़ी भी खिलाड़ी बन जाता है।

दीपाली- आह्ह… आई.. दीपक आह्ह… प्लीज़ अब हटना मत.. आह्ह… मैं झड़ने वाली हूँ आह्ह… पहले मुझे ..आई.. शान्त कर दो उसके बाद आह्ह… सी.. आराम से प्रिया की आह्ह… चुदाई करना..

दीपक ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा और होंठों में दबा कर चूसने लगा।
दीपाली का बदन अकड़ने लगा और वो गाण्ड को उठा-उठा कर मज़े लेने लगी। उसकी चूत ने रस छोड़ दिया जिसे दीपक चाट गया। उसको चूत-रस पी कर एक नशा सा हो गया।

दीपाली- आईईइ आह उफफफ्फ़ मज़ा आ गया आह अब मुझे आराम करने दे.. प्रिया की चूत में लौड़ा डाल.. कुँवारी चूत है, तुझे मज़ा आ जाएगा…
 
प्रिया भी पूरी गर्म हो गई थी। और दीपक भी चोदने के लिए बेताब हो रहा था। उसने प्रिया के पैर मोड़ दिए और लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर उसे चूत पर टिकाया. उसने धक्का मारा और लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया। दीपक ने कभी चूत देखी भी नहीं थी और आज उसे कुँवारी चूत मिल गई थी ... यह तो होना ही था ... एक-दो बार और कोशिश करने के बाद उसको समझ में आया कि लंड कैसे अन्दर जाएगा.. प्रिया बस सिसकारियाँ ले रही थी।

अब की बार दीपक ने सुपाड़े को चूत में फंसा कर ज़ोर से झटका मारा ... और आधा लंड चूत को फैलाता हुआ अन्दर घुस गया और प्रिया के मुँह से चीख निकली - बाप रे!

यह तो अच्छा हुआ कि दीपाली ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नहीं तो घर के बाहर भीड़ जमा हो जाती कि आख़िर ये कौन चिल्ला रहा है?

दीपक- आह साला बड़ी मुश्किल से घुसा है … दीपाली ऐसे ही मुँह बन्द रख. अभी आधा गया है. एक झटका और मारता हूँ … पूरा एक साथ अन्दर चला जाएगा तो सारा दर्द एक ही बार में खत्म हो जाएगा।

दीपाली- आराम से दीपक, सील टूटने पर बहुत दर्द होता है. देखो इसके आँसू निकल आए हैं।

दीपक- होने दो दर्द.. साली रंडी को निकालने दे आँसू.. बहन के नाम को गंदा कर दिया कुत्ती ने.. हरामजादी को चुदने बड़ा शौक था ना ... अब ले! आह…

दीपक को शायद प्रिया को चोदना अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसको जरा भी रहम नहीं आ रहा था। उसने तो लौड़े को पूरा जड़ तक घुसा दिया और अब दनादन झटके मारने लगा था। प्रिया जल बिन मछली की तरह तड़फ रही थी.. दीपाली ने अब भी उसका मुँह दबा रखा था।

दीपाली- ओफ.. क्या झटके मार रहे हो यार ... मेरी भी चूत में खुजली होने लगी ... अब आराम तो दो बेचारी को ... देखो कैसे आँखें पीली पड़ गई हैं।
 
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