hotaks444
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मैडी- चुप कर क्या बकवास किए जा रहा है.. भूल गया क्या प्रिया कौन है.. साले दीपक की बहन है वो.. और दीपक को तू जानता है ना.. कितना अड़ियल दिमाग़ का है.. उसे पता चल गया ना, तेरा मुँह तोड़ देगा वो।
सोनू- क्या कर लेगा वो.. प्रिया कौन सी उसकी सग़ी बहन है और तू भूल गया.. जब मेरी बुआ की लड़की यहाँ आई थी.. तो उस पर सबसे पहले दीपक ने ही नियत खराब की थी.. उसको चोदने तक का प्लान बना लिया था.. क्या वो मेरी बहन नहीं थी?
मैडी- साले उसको तो तू भी चोदना चाहता था.. ये तो अच्छा हुआ वो यहाँ एक दिन भी नहीं रूकी और चली गई वरना सबसे पहले तू ही उसको चोदता।
सोनू- कुछ भी हो.. अगर दीपक उसके बारे में गंदा बोल सकता है तो मैं भी बोलूँगा और यार.. अगर दीपाली हाथ ना आई तो हम सारी जिंदगी क्या लण्ड हाथ से ही हिलाते रहेंगे.. प्रिया का कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है.. मौका अच्छा है पटा लेते है साली को.. यार, रंग पर मत जा.. उसका फिगर देख बस…
मैडी- शुभ-शुभ बोल साले, दीपाली के लिए तो दिन रात तड़फ रहा हूँ वो हाथ कैसे नहीं आएगी।
सोनू- अच्छा आ जाएगी.. बस मगर प्रिया भी फँस जाए तो इसमें बुराई क्या है? कभी-कभी उसको भी चोद लेंगे।
मैडी- साले, मैं कोहिनूर हीरा माँग रहा हूँ और तू कोयले की बात कर रहा है।
सोनू- बस.. बस.. इतनी भी काली नहीं है वो .. तू मान या ना मान मेरा तो प्रिया पर दिल आ गया.. अब मैं तो उसको फँसा कर रहूँगा.. तू साथ दे या ना दे ओके.. अब चलता हूँ।
मैडी- जा तुझे जो करना है कर.. मैं इस काम में तेरा साथ नहीं दूँगा ओके…
सोनू वहाँ से चला गया और मैडी भी अपने घर वापस आ गया।
(चलो दोस्तों, दीपाली के पास चलते हैं वो क्या कर रही है।)
दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन लगा दिया।
रिंग बजी ... सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।
दीपाली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर दीपक ना होने के कारण फ़ोन काट दिया। अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।
दीपाली काफ़ी देर बाद हड़बड़ा कर उठी.. शायद उसको कोई सेक्सी सपना आ रहा था क्योंकि उठते ही उसने अपनी चूत पर ऊँगली रखी और बड़बड़ाने लगी।
दीपाली- शिट.. ये तो सपना था मगर था अच्छा.. कैसे चूत पानी-पानी हो गई.. आज तो सर से खूब चुदवाऊँगी बहुत मन हो रहा है.. ओह्ह.. वक्त भी होने वाला है.. ऐसा करती हूँ तैयार हो जाती हूँ।
दीपाली बाथरूम गई और फ्रेश होकर बाहर आई.. कपड़े चेंज करने ही वाली थी कि फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. जब काफ़ी देर तक किसी ने नहीं उठाया तो वो बाहर गई और फ़ोन उठाया।
दीपाली- हैलो…
अनुजा- हैलो दीपाली.. मैं अनुजा बोल रही हूँ.. अच्छा किया तूने फ़ोन उठा लिया.. यार आज पढ़ने मत आना विकास की फैमिली आई हुई है.. आज वो वाला प्रोग्राम नहीं हो पाएगा।
सोनू- क्या कर लेगा वो.. प्रिया कौन सी उसकी सग़ी बहन है और तू भूल गया.. जब मेरी बुआ की लड़की यहाँ आई थी.. तो उस पर सबसे पहले दीपक ने ही नियत खराब की थी.. उसको चोदने तक का प्लान बना लिया था.. क्या वो मेरी बहन नहीं थी?
मैडी- साले उसको तो तू भी चोदना चाहता था.. ये तो अच्छा हुआ वो यहाँ एक दिन भी नहीं रूकी और चली गई वरना सबसे पहले तू ही उसको चोदता।
सोनू- कुछ भी हो.. अगर दीपक उसके बारे में गंदा बोल सकता है तो मैं भी बोलूँगा और यार.. अगर दीपाली हाथ ना आई तो हम सारी जिंदगी क्या लण्ड हाथ से ही हिलाते रहेंगे.. प्रिया का कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है.. मौका अच्छा है पटा लेते है साली को.. यार, रंग पर मत जा.. उसका फिगर देख बस…
मैडी- शुभ-शुभ बोल साले, दीपाली के लिए तो दिन रात तड़फ रहा हूँ वो हाथ कैसे नहीं आएगी।
सोनू- अच्छा आ जाएगी.. बस मगर प्रिया भी फँस जाए तो इसमें बुराई क्या है? कभी-कभी उसको भी चोद लेंगे।
मैडी- साले, मैं कोहिनूर हीरा माँग रहा हूँ और तू कोयले की बात कर रहा है।
सोनू- बस.. बस.. इतनी भी काली नहीं है वो .. तू मान या ना मान मेरा तो प्रिया पर दिल आ गया.. अब मैं तो उसको फँसा कर रहूँगा.. तू साथ दे या ना दे ओके.. अब चलता हूँ।
मैडी- जा तुझे जो करना है कर.. मैं इस काम में तेरा साथ नहीं दूँगा ओके…
सोनू वहाँ से चला गया और मैडी भी अपने घर वापस आ गया।
(चलो दोस्तों, दीपाली के पास चलते हैं वो क्या कर रही है।)
दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन लगा दिया।
रिंग बजी ... सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।
दीपाली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर दीपक ना होने के कारण फ़ोन काट दिया। अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।
दीपाली काफ़ी देर बाद हड़बड़ा कर उठी.. शायद उसको कोई सेक्सी सपना आ रहा था क्योंकि उठते ही उसने अपनी चूत पर ऊँगली रखी और बड़बड़ाने लगी।
दीपाली- शिट.. ये तो सपना था मगर था अच्छा.. कैसे चूत पानी-पानी हो गई.. आज तो सर से खूब चुदवाऊँगी बहुत मन हो रहा है.. ओह्ह.. वक्त भी होने वाला है.. ऐसा करती हूँ तैयार हो जाती हूँ।
दीपाली बाथरूम गई और फ्रेश होकर बाहर आई.. कपड़े चेंज करने ही वाली थी कि फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. जब काफ़ी देर तक किसी ने नहीं उठाया तो वो बाहर गई और फ़ोन उठाया।
दीपाली- हैलो…
अनुजा- हैलो दीपाली.. मैं अनुजा बोल रही हूँ.. अच्छा किया तूने फ़ोन उठा लिया.. यार आज पढ़ने मत आना विकास की फैमिली आई हुई है.. आज वो वाला प्रोग्राम नहीं हो पाएगा।