hotaks444
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लड़कियो का ख़याल आते ही उसकी नज़रों के सामने प्रीति का चेहरा आ गया और किस तरह उसने उसे अपनी चुचि की झलक दीखाई थी.. वो और जोश मे ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.. 'ऑश मोहन आहह हाआँ चोदो और ज़ोर ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ आज तो मज़ा आ गया " नेहा उसके धक्कों से सिसक पड़ी. मोहन ने और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा अपना वीर्य नेहा की चूत मे छोड़
दिया.. और उसकी बगल मे लेट गया.. 'आज तो तुमने मुझे चौका ही दिया.." मोहन ने अपनी पत्नी से कहा.. "मुझे इस तरह तुम्हे चौंकाने मे मज़ा आता है" नेहा ने हंसते हुए कहा. और हॉल के बाहर चली गयी.. मोहन ने उससे कहा कि वो थोड़ी देर टीवी देख कर आएगा.. थोड़ी देर टीवी
देखने के बाद वो वापस अपने कंप्यूटर के पास आया और प्रीति की भेजी कहानी को पूरी करने लगा.. फिर इससे पहले कि उसका इरादा बदले उसने वो कहानी प्रीति को इमैल कर दी.. और अपने बेडरूम मे
आकर लेट गया..
अब तो जैसे वसुंधरा और नेहा के पीछले दिन वापस लौट आए थे.. अब दोनो अक्सर मिलने लगे और अपनी काम अग्नि को शांत करने लगे. अब तो फोन पर बात करीब करीब रोज़ ही होने लगी...और अक्सर दोनो साथ साथ राज का लंड वेब कॅम पर देखती और उसके लंड से छूटते वीर्य का मज़ा लाती.. वहीं मोहन और प्रीति के बीच ईमेल का आदान प्रदान बढ़ गया.. मोहन कहानी लीख कर प्रीति को मैल करता तो प्रीति उस कहानी को थोड़ा आगे बढ़ा वापस मैल कर देती. और मोहन उस कहानी को और आगे बढ़ाने लगता... इन सब के साथ प्रीति अब अपने पिता को और चिढ़ाने लगी.. उसे जब भी मौका मिलता वो अपने पिता की काम उत्तेजना को बढ़ाने से बाज नही आती... पर उसके समझ मे नही आ रहा था कि वो कब और कैसे अपने बाप के लंड का मज़ा चखे....
एक दिन जब राज अपनी मम्मी की अलमारी और ड्रॉयर को तलाशी लेने लगा.. कहने को तो प्रीति ने कहा था कि उसने नकली लंड या डिल्डो के बारे मे ऐसे ही कह दिया था लेकिन राज अपने आप को रोक नही पाया
और वो जानना चाहता था.... कि प्रीति की बात कहाँ तक सही है... आख़िर राज की कोशिश रंग लाई और अलमारी के अंदर कपड़ों के नीचे छुपे डिब्बे मे उसे सब मिल गया जिसे वो तलाश रहा था...उसने देखा कि डिब्बे मे कई प्रकार के खिलोने के लंड रखे हुए थे... उसने एक डिल्डो को उठा लिया और देखने लगा साथ ही सोच रहा था कि उसकी मा की बिना बालों की चूत जो उसने वीडियो कमरे पर देखी थी.. अगर ये नकली लंड उसमे घुसेगा तो कैसा लगता होगा.... उसने उनसब खिलोनो को उठा कर अछी तरह देखा कि कही उन पर उसकी मा की चूत के रस के कुछ निशान मिल जाए...उसने उन्हे सूंघ कर
भी देखा की कहीं उनमे चूत की खुश्बू ना बसी हो.. बल्कि ऐसा कुछ नही मिला.. उन खिलोनो को वापस डिब्बे मे रखते हुए वो सोचने लगा कि जब उसकी मा इन खिलोनो को अपनी चूत मे इस्तामाल कर रही हो तो वो किस तरह उस द्रिश्य को अपने कमेरे मे क़ैद करे... तभी उसके दिल मे एक ख़याल आया कि क्यों ना इन डिल्डो मे से एक वो प्रीति पर इस्तेमाल करे और देखे कि उसका क्या कहना है.. वो वापस झुक कर डिब्बे मे से एक डिल्डो उठाने लगा कि उसकी आँखे फटी रह गयी...
उसके सामने ठीक वैसा ही एक डिल्डो पड़ा हुआ था जिसे गीली चूत ने पीचली बार उसके सामने वेब कॅम पर इस्टामाल किया. था... वो उस डिल्डो को उठाकर देखने लगा.. डिल्डो काफ़ी लंबा और मोटा था लेकिन उसके खुद के लंड से कहीं कम... वो सोचने लगा कि क्या गीली चूत उसकी ही मा हो सकती है... फिर खुद ही अपनी सोच पर हँसने लगा.. कि ऐसा कैसा हो सकता है वो गीली चूत की तो चूत और गंद भी मार चुका है.... आख़िर उस तरह का वो इकलौता डिल्डो तो नही है जो बाज़ार मे बिकता है.. ऐसे ना जाने कितने डिल्डो बेज़ार मे बिकते होंगे.. एक दूसरे गुलाबी रंग के डिल्डो को उठा वो अपने कमरे मे आ
गया..
दिया.. और उसकी बगल मे लेट गया.. 'आज तो तुमने मुझे चौका ही दिया.." मोहन ने अपनी पत्नी से कहा.. "मुझे इस तरह तुम्हे चौंकाने मे मज़ा आता है" नेहा ने हंसते हुए कहा. और हॉल के बाहर चली गयी.. मोहन ने उससे कहा कि वो थोड़ी देर टीवी देख कर आएगा.. थोड़ी देर टीवी
देखने के बाद वो वापस अपने कंप्यूटर के पास आया और प्रीति की भेजी कहानी को पूरी करने लगा.. फिर इससे पहले कि उसका इरादा बदले उसने वो कहानी प्रीति को इमैल कर दी.. और अपने बेडरूम मे
आकर लेट गया..
अब तो जैसे वसुंधरा और नेहा के पीछले दिन वापस लौट आए थे.. अब दोनो अक्सर मिलने लगे और अपनी काम अग्नि को शांत करने लगे. अब तो फोन पर बात करीब करीब रोज़ ही होने लगी...और अक्सर दोनो साथ साथ राज का लंड वेब कॅम पर देखती और उसके लंड से छूटते वीर्य का मज़ा लाती.. वहीं मोहन और प्रीति के बीच ईमेल का आदान प्रदान बढ़ गया.. मोहन कहानी लीख कर प्रीति को मैल करता तो प्रीति उस कहानी को थोड़ा आगे बढ़ा वापस मैल कर देती. और मोहन उस कहानी को और आगे बढ़ाने लगता... इन सब के साथ प्रीति अब अपने पिता को और चिढ़ाने लगी.. उसे जब भी मौका मिलता वो अपने पिता की काम उत्तेजना को बढ़ाने से बाज नही आती... पर उसके समझ मे नही आ रहा था कि वो कब और कैसे अपने बाप के लंड का मज़ा चखे....
एक दिन जब राज अपनी मम्मी की अलमारी और ड्रॉयर को तलाशी लेने लगा.. कहने को तो प्रीति ने कहा था कि उसने नकली लंड या डिल्डो के बारे मे ऐसे ही कह दिया था लेकिन राज अपने आप को रोक नही पाया
और वो जानना चाहता था.... कि प्रीति की बात कहाँ तक सही है... आख़िर राज की कोशिश रंग लाई और अलमारी के अंदर कपड़ों के नीचे छुपे डिब्बे मे उसे सब मिल गया जिसे वो तलाश रहा था...उसने देखा कि डिब्बे मे कई प्रकार के खिलोने के लंड रखे हुए थे... उसने एक डिल्डो को उठा लिया और देखने लगा साथ ही सोच रहा था कि उसकी मा की बिना बालों की चूत जो उसने वीडियो कमरे पर देखी थी.. अगर ये नकली लंड उसमे घुसेगा तो कैसा लगता होगा.... उसने उनसब खिलोनो को उठा कर अछी तरह देखा कि कही उन पर उसकी मा की चूत के रस के कुछ निशान मिल जाए...उसने उन्हे सूंघ कर
भी देखा की कहीं उनमे चूत की खुश्बू ना बसी हो.. बल्कि ऐसा कुछ नही मिला.. उन खिलोनो को वापस डिब्बे मे रखते हुए वो सोचने लगा कि जब उसकी मा इन खिलोनो को अपनी चूत मे इस्तामाल कर रही हो तो वो किस तरह उस द्रिश्य को अपने कमेरे मे क़ैद करे... तभी उसके दिल मे एक ख़याल आया कि क्यों ना इन डिल्डो मे से एक वो प्रीति पर इस्तेमाल करे और देखे कि उसका क्या कहना है.. वो वापस झुक कर डिब्बे मे से एक डिल्डो उठाने लगा कि उसकी आँखे फटी रह गयी...
उसके सामने ठीक वैसा ही एक डिल्डो पड़ा हुआ था जिसे गीली चूत ने पीचली बार उसके सामने वेब कॅम पर इस्टामाल किया. था... वो उस डिल्डो को उठाकर देखने लगा.. डिल्डो काफ़ी लंबा और मोटा था लेकिन उसके खुद के लंड से कहीं कम... वो सोचने लगा कि क्या गीली चूत उसकी ही मा हो सकती है... फिर खुद ही अपनी सोच पर हँसने लगा.. कि ऐसा कैसा हो सकता है वो गीली चूत की तो चूत और गंद भी मार चुका है.... आख़िर उस तरह का वो इकलौता डिल्डो तो नही है जो बाज़ार मे बिकता है.. ऐसे ना जाने कितने डिल्डो बेज़ार मे बिकते होंगे.. एक दूसरे गुलाबी रंग के डिल्डो को उठा वो अपने कमरे मे आ
गया..