hotaks444
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कृष्णा- तू मुझसे इतना प्यार करती हैं और मैने कभी तेरी कद्र नही की. सच में राधिका में तेरे लायक नहीं हूँ. मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूँ.
राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.
कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.
राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.
कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.
जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..
कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.
राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.
कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.
राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.
कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.
करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.
राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.
राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.
कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.
राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.
राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.
राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.
राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.
कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.
राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.
कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.
जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..
कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.
राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.
कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.
राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.
कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.
करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.
कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.
राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.
राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.
कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.
राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.
राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.
राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.