hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
वक़्त के हाथों मजबूर--33
शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.
कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.
कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.
राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.
कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.
कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.
राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.
कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.
राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.
कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.
कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.
शाम के करीब 5 बज रहे थे. राधिका राहुल से मिलकर घर लौट रही थी. मौसम का भी मिज़ाज़ आज कुछ बदला बदला सा था. आसमान में गहरे घने बदल छाए हुए थे और बीच बीच में बिजली भी कड़क रही थी. थोड़े देर के बाद तेज़ बारिश शुरू हो गयी. ये जुलाइ महीने की पहली बारिश थी. राधिका घर आते आते पूरी तरह से भीग गयी थी. थोड़ी देर में कृष्णा भी घर आता हैं और वो भी पूरी तरह से भीग चुका था.
कृष्णा राधिका पर एक नज़र डालता हैं और फिर उसके नज़दीक आकर उसके अपने गोद में उठा लेता हैं और वो घर के पीछे आँगन में राधिका को उठा कर ले जाता हैं. बाहर बारिश बहुत तेज़ से हो रही थी.
राधिका- ये क्या कर रहे हो भैया. मैं पहले से ही भीग चुकी हूँ और आप फिर से मुझे बारिश में भीगा रहे हो.
कृष्णा- यही तो मज़ा हैं राधिका बारिश में भीगने का. मुझे बारिश में भीगना बहुत पसंद हैं.
राधिका- अच्छा तो आपको बारिश में भीगना पसंद हैं तो मुझे क्यों भिगो रहे हो.
कृष्णा कुछ बोलता नहीं और धीरे से राधिका को अपने गोद से उतार देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. राधिका भी मुस्कुरा कर कृष्णा का पूरा समर्थन करती हैं. पीछे की बाउंड्री चारो तरफ से घिरी हुई थी और इतनी उँची थी कि कोई बाहर का व्यक्ति नहीं देख सकता था.
कृष्णा धीरे धीरे बारिश में भीगते हुए राधिका के लिप्स को चूसे जा रहा था. राधिका के होंठों का स्वाद और बारिश की बूँदें दोनो के जिस्म में आग लगा रही थी. राधिका का दिल फिर से तेज़ी से धड़कने लगता हैं. कृष्णा एक हाथ धीरे से सरकते हुए वो राधिका के सीने पर रख देता हैं और अपनी उंगली से उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल्ने लगता हैं. कृष्णा तो वैसे ही आग लगा चुका था और उपर से ये बारिश रही सही कसर पूरा कर रही थी.
राधिका की आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. वो इस वक़्त पूरी मदहोशी में थी. कृष्णा फिर राधिका के पीछे आकर अपने होंठ राधिका के कंधे पर रखकर बड़े हौले हौले से चूसना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बंद कर लेती हैं और कृष्णा ऐसे ही धीरे धीरे बढ़ते हुए अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं . फिर वो एक हाथ नीचे लेजा कर वो राधिका की चूत को अपनी मुट्ठी में पकड़ का ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से लगातार सिसकारी निकल रही थी. कृष्णा द्वारा अपनी चूत को ज़ोर से भीचने पर वो ज़ोर से सिसक पड़ती हैं. वो इस वक़्त पूरी तरह से बेचैन थी. वो भी अपना एक हाथ कृष्णा के हाथ पर रखकर अपनी चूत पर दबाव देती हैं. फिर कृष्णा उसकी गर्देन पर जीभ फिराते हुए उसके कान तक जाता हैं और फिर से वही प्रक्रिया दोहराता हैं.
कृष्णा फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर वो उसकी लग्गि को धीरे धीरे सरकाते हुए उसके बदन से अलग करने लगता हैं. राधिका भी झुककर अपनी लग्गि उतार देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ लेजा कर राधिका की पैंटी पर रख देता हैं और फिर धीरे धीरे वो अपनी एक उंगली उसकी पैंटी के अंदर ले जाता हैं. और फिर धीरे धीरे उसको भी सरकने लगता हैं. और कुछ देर के बाद राधिका की पैंटी भी उसके बदन से अलग हो जाती हैं. इस वक़्त राधिका सिर्फ़ सूट में थी. और कमर के नीचे पूरी तरह से नंगी थी.
कृष्णा- आज तो इस बारिश ने और आग लगा दिया हैं. जी तो कर रहा हैं राधिका की आज मैं हद्द से गुजर जाऊ.
राधिका- आपको किसने रोका हैं. जो आपका दिल करे मेरे साथ कीजिए मैं आपको किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना करूँगी.
कृष्णा फिर धीरे से राधिका का सूट भी सरका कर उपर से निकलने लगता हैं और थोड़ी देर में बस राधिका के जिस्म में सिर्फ़ ब्रा बचा हैं. कृष्णा फिर झट से वो ब्रा का स्ट्रॅप्स भी खोल कर उसे भी अलग कर देता हैं. इस वक़्त राधिका खुले मौसम में बाहर बरामदे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी कृष्णा के सामने.
कृष्णा- आज तू मेरे कपड़े खुद उतारेगी. मैं आज हाथ भी नही लगाने वाला.