Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 10 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

कृष्णा- तू मुझसे इतना प्यार करती हैं और मैने कभी तेरी कद्र नही की. सच में राधिका में तेरे लायक नहीं हूँ. मैं सच में बहुत बुरा इंसान हूँ.

राधिका -नहीं भैया मैं तो आपके लिए जान भी दे सकती हूँ. अगर यकीन ना आए तो एक बार आजमा के देख लो. राधिका मर जाएगी मगर अपने ज़ुबान से पीछे नहीं हटेगी.

कृष्णा- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब चल कर कुछ खाना खा लेते हैं. मुझे बहुत ज़ोरों की भूक लग रही हैं.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं और ऐसी ही नंगी हालत में किचन में जाकर खाना निकालने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो खाना वही टेबल पर रखा रहता हैं. थोड़ा सा चिकन वो अपने थाली में रखकर बाकी बचा सारा अपने भैया के थाली में पलट देती हैं.

कृष्णा हैरत भरी नजरो से राधिका को देखने लगता हैं. उसे तो समझ नही आ रहा था कि राधिका भला कैसे वो चिकन खाएगी. जो आज तक कभी भी माँस को हाथ नहीं लगाया था सोचो वो इंसान के लिए खाना कितना मुश्किल होगा. राधिका बहुत देर तक अपनी थाली में देखती रहती हैं फिर एक चिकन का टुकड़ा धीरे से उठाकर अपने मूह के पास ले जाती हैं और फिर अपनी आँखें बंद कर वो टुकड़ा को अपने मूह में रख कर धीरे धीरे उसे अपने गले के नीचे उतारने लगती हैं. कृष्णा हैरत भरी नज़रों से राधिका की सारी गतिविधियों को देख रहा था. उसे तो अब भी यकीन नही हो रहा था कि राधिका सच में चिकन खा सकती हैं.

जैसे ही राधिका चिकन को अपने गले के नीचे उतारती हैं उसे एक ज़ोर की उल्टी आती हैं और वो दौड़ कर बाथरूम में चली जाती हैं. कृष्णा को भी ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो राधिका के पीछे पीछे बाथरूम में चला जाता हैं. राधिका की उल्टी बंद नहीं हो रही थी. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही वॉम्टिंग करती हैं फिर अपना हाथ मूह धोकर बाथरूम से बाहर निकलती हैं..





कृष्णा- जब तू ये जानती हैं कि तू नोन-वेज नही खाती तो क्या ज़रूरत थी तुझे ये सब करने की. मुझे इसका जवाब दे कृष्णा गुस्से से राधिका को घूर कर बोला.

राधिका जवाब में बस एक स्माइल देती हैं- बस अपनी भैया की खुशी के लिए.

कृष्णा- नहीं चाहिए मुझे ऐसी खुशी जिसमें तुझे तकलीफ़ हो. इतना कहकर कृष्णा राधिका को अपने गले लगा लेता हैं. मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ. और मैं कभी नहीं चाहूँगा कि तुझे कोई तकलीफ़ हो.

राधिका- आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं भैया. ये चिकन क्या चीज़ हैं अगर आप कहे तो मैं आपके लिए ज़हर भी पी सकती हूँ.

कृष्णा बस गुम्सुम सा राधिका को देखने लगता हैं. राधिका आगे बढ़कर उसके लिप्स को चूम लेती हैं. और जवाब में कृष्णा भी अपना मूह खोलकर राधिका के नरम लिप्स को चाटने लगता हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहते हैं और फिर राधिका आगे बढ़कर टेबल पर रखा खाना कृष्णा को अपने हाथों से खिलाने लगती हैं. जवाब में कृष्णा भी सोचता हैं कि वो राधिका को खिलाए या नहीं वो बहुत देर तक इसी अस्मन्झस में डूबा रहता हैं. राधिका उसकी परेशानी को समझ जाती हैं और अपना मूह खोल कर खाना खिलाने का इशारा करती हैं. कृष्णा डरते डरते पहला कौर राधिका के मूह में डालता हैं. राधिका को फिर से उल्टी महसूस होता हैं मगर इस बार वहाँ रखा पानी का ग्लास में पानी डालकर वो झट से पी लेती हैं.

करीब 1 घंटे तक वो बड़ी मुश्किल से खाना फिनिश करती हैं. जो ज़िंदगी में पहली बार नॉन वेज खाती हैं वो जानता हैं कि ये कितना मुश्किल काम हैं. राधिका भी खाना ख़तम करती हैं और जाकर टेबल सॉफ करती हैं. कृष्णा फिर पीछे से जाकर राधिका के दोनो बूब्स को कसकर भींच लेता हैं और राधिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.

कृष्णा- अब रहने दो ना. कल सॉफ कर लेना. अभी मुझे तुम्हारी सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैं.

राधिका भी जवाब में मुस्कुरा देती हैं और कृष्णा को प्यार भरी नज़रों से देखने लगती हैं. कृष्णा भी राधिका को गोद में उठाकर सीधा बेडरूम में ले जाता हैं और वही राधिका को बिस्तेर पर सुला देता हैं.

राधिका- तो आज आप कुछ ज़्यादा ही बेकरार हैं. लगता हैं आपका कुछ इलाज़ करना पड़ेगा.

कृष्णा- तो करो ना मेरा इलाज़ मैं तो कब से यही चाहता हूँ कि तुम मेरी बीमारी को ठीक करो.

राधिका- अच्छा तो आपको क्या हुआ हैं. अच्छे भले तो लग रहे हैं.
कृष्णा- मुझे हर जगह बस लड़की की चूत और गान्ड दिखाई देती हैं. बस तुम भी अपनी चूत और गान्ड मुझे दे दो समझ लो मेरा बीमारी ठीक हो जाएगी.

राधिका भी अब कृष्णा से पूरी तरह से खुल गयी थी. उसे भी ऐसी बातों में मज़ा आ रहा था. और वो भी अब ओपन वर्ड्स अपने भैया के सामने यूज़ कर रही थी.

राधिका- तो ठीक हैं अगर तुम्हारी बीमारी मेरी चूत और गान्ड पाने से ठीक हो सकता हैं तो मैं तुम्हें ये दोनो दे देती हूँ. अब तुम्हारी मर्ज़ी हैं मेरे इन दोनो छेदों का तुम जैसे चाहे वैसे उपयोग करो.
 
कृष्णा झट से राधिका को अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसका लब चूम लेता हैं.
कृष्णा- तू सच में बहुत बिंदास है राधिका मैने आज तक तेरे जैसे लड़की नहीं देखी. सच में राहुल बहुत किस्मत वाला हैं.

राधिका- और आप नहीं हो क्या . राधिका धीरे से मुस्कुरा देती हैं.
कृष्णा- सच में तेरी जैसे बहन पाकर तो मेरा भी नसीब खुल गया. और इतना कहकर वो राधिका की गान्ड को कसकर अपने दोनो हाथों से भीच लेता हैं.

कृष्णा- राधिका मेरा लंड को पूरा खड़ा कर ना. फिर मैं तेरी चूत मारूँगा.

राधिका फिर कृष्णा के लंड को मूह में लेकर चूसने लगती हैं और कुछ देर तक ऐसे ही चुस्ती रहती हैं. कृष्णा उसको अपने टिट्स को चाटने का इशारा करता हैं. राधिका फिर नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स को बारी बारी चुस्ती है और काफ़ी देर तक अपने होंठो पर फिराती हैं.कृष्णा का लंड पूरा तन गया था. वो भी राधिका को अपने नीचे लेटाता हैं और झट से अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखकर हल्का हल्का धक्का लगाना शुरू करता हैं. राधिका अपनी आँखें बन्द किए हुए बस लेटी थी और आने वाले सुख का मज़ा लेने के लिए बेताब थी.

कृष्णा फिर एक हल्का सा धक्का देता हैं और उसका लंड का सुपाडा राधिका की चूत में समा जाता हैं. राधिका के मूह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ती हैं. धीरे धीरे कृष्णा अपने लंड पर दबाव बनाते जाता हैं और राधिका की चूत में दर्द शुरू हो जाता हैं. फिर कृष्णा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और एक झटके से पूरा अंदर पेल देता हैं. इस बार लंड सरसराता हुआ राधिका की चूत में पूरा समा जाता हैं. राधिका के मूह से तेज़्ज़ चीख निकल जाती है और उसकी चूत से कुछ खून भी बाहर निकलने लगता हैं. शायद राधिका की चूत कृष्णा के बड़े लंड को पहली बार अड्जस्ट कर रही थी. राधिका की आँखों में फिर से आँसू आ जाते हैं और वो दर्द से चिल्ला पड़ती हैं.

राधिका-अया...............अया...... प्लीज़ भैया रुक जाओ. मुझे बहुत दर्द हो रहा हैं. पता नहीं क्यों पर ऐसा लग रहा हैं जैसे आज मैं पहली बार मैं चुदवा रही हूँ.

कृष्णा- शायद राहुल का मेरे जितने बड़ा नहीं होगा इस वजह से तुझे दर्द हो रहा है. और फिर वो राधिका के बूब्स को अपने मूह में लेकर चूसने लगता हैं और राधिका को कुछ देर में थोड़ी राहत महसूस होती हैं. कृष्णा फिर धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना शुरू करता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह पर मज़ा आना शुरू हो जाता हैं.

जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं कृष्णा वैसे वैसे अपनी रफ़्तार बढ़ाता हैं और राधिका की हालत खराब होने लगती हैं. कृष्णा बिना रुके लगभग 35 मिनिट तक लगातार राधिका की चूत मारता हैं इस बीच राधिका 2 बार झाड़ चुकी थी मगर उसके भैया ना जाने किश मिट्टी के बने थे . वजह ये थी जब कृष्णा झरने के करीब होता वो झट से अपना लंड राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता और अपने हाथों से राधिका के चूत का पानी को सॉफ करता. इस बीच वो अपनी दो उंगली राधिका के गान्ड में भी डाल चुका था और लंड से उसकी चूत मार रहा था. राधिका सच में कृष्णा के आगे अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. उसे ऐसे लग रहा था कि वो जल्दी ही उसकी हिम्मत जवाब दे देगी.

आख़िर अब वक़्त आ गया जब कृष्णा ने एक तेज़ हुंकार के साथ अपना कम राधिका की चूत में डिसचार्ज कर दिया. और वो राधिका के उपर ही पसर जाता हैं. और राधिका भी फिर से फारिग हो जाती हैं. आज वो करीब 6 बार झर चुकी थी. इतना तो वो कभी अपनी ज़िंदगी में नहीं फारिग हुई थी. दोनो की साँसें पूरी तरह से कंट्रोल के बाहर थी और कमरे में बस दोनो की हाफ़ने की आवाज़ें आ रही थी.

करीब 15 मिनिट के बाद कृष्णा का लंड फिर से तैयार हो जाता हैं और वो किचन में जाकर तेल की शीशी लेकर आता हैं. राधिका जब कृष्णा के हाथ में तेल की सीसी देखती हैं तो उसकी हालत बिगड़ जाती हैं. उसने तो बोल दिया था कि वो अपने भैया से अपनी गान्ड मर्वायेगि मगर इतना मोटा और लंबा लंड को वो अपनी गान्ड में कैसे बर्दास्त कर पाएगी ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था. कृष्णा फिर तेल की शीशी खोलता हैं और थोड़ा सा तेल लेकर राधिका की गान्ड के छेद पर गिरा देता हैं और अपनी दोनो उंगली में अच्छे से तेल लगाकर वो उसकी गान्ड में धीरे धीरे पेलना शुरू कर देता हैं. कुछ देर के बाद वो अपनी दोनो उंगली को राधिका की गान्ड में डालकर अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. राधिका फिर से गरम होने लगती हैं.

राधिका को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. कृष्णा फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को राधिका की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे राधिका की गान्ड में डालने लगता हैं. राधिका के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने भैया को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही कृष्णा का सूपड़ा अंदर जाता हैं राधिका की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने भैया के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं और फिर कृष्णा धीरे धीरे अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता. राधिका की हालत बहुत खराब थी. वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही अपना लंड को राधिका के गान्ड में रहने देता हैं.
 
फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है. राधिका के मूह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता हैं और कृष्णा तब तक नहीं रुकता जब तक वो राधिका की गान्ड में अपना कम नहीं निकाल लेता. करीब 30 मिनिट के ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार राधिका का बदन भी जवाब दे देता हैं और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झरने लगती हैं और वही दोनो भाई बेहन वही बिस्तेर पर एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं. और राधिका अपने भैया को अपने सीने से चिपका लेती हैं. कृष्णा भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर सो जाता हैं मगर आज राधिका की आँखों में नींद कोसो दूर था.

बस उसकी आँखों से आँसू निकल जाते हैं और वो ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही रोती रहती हैं.वजह थी कि वो आज अपने प्यार को भूलने की नाकाम कोशिश कर रही थी. जितना वो राहुल को भूलना चाहती थी उतना ही वो उसे याद आता था. और आज राधिका ने अपने भैया की ख़ुसी के लिए भाई बेहन जैसे पवित्र रिश्ते को भी कलंकित कर दिया था और वो जानती थी कि आज उसने अपनी ज़िंदगी में सबसे बड़ा गुनाह किया था जिसका प्रायश्चित उसे बहुत महँगा पड़ने वाला था...

ऐसे ही सोचते सोचते ना जाने कब राधिका की आँख लग जाती हैं. मगर राधिका ने ये ज़रूर तय कर लिया था चाहे कुछ भी हो जाए अब वो दुबारा से अपने भैया के साथ जिस्मानी संबंध नही बनाएगी. ये सब पाप हैं और वो अब और नीचे नहीं गिर सकती. सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो कृष्णा को बिस्तेर पर ना पाकर उसके दिल में बेचैनी सी बढ़ जाती हैं. वो इस वक़्त भी पूरे नंगे हालत में थी. झट से वो उठती हैं और अलमारी में रखा ट्राउज़र और टी-शर्ट निकाल कर पहन लेती हैं. जब उसकी नज़र बिस्तेर पर पड़ती हैं तो बिस्तेर पर खून देखकर वो थोड़ी सहम जाती हैं.

ये खून कल रात उसकी चूत और गान्ड की चुदाई के दौरान निकाला था. वो झट से चादर हटा ती हैं और सीधा बाथरूम में जाकर उसे धोने के लिए डाल देती हैं. उसकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी शायद गान्ड के दर्द से. फिर थोड़ी देर में वो फ्रेश होकर अपने कमरे में आती हैं. थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी हाथ में एक ट्रे और कुछ स्नॅक्स ले आता हैं...

कृष्णा- गुड मॉर्निंग राधिका. कैसी हैं तू.

राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. ठीक हूँ पर थोड़ा दर्द हो रहा हैं. और आप सुबेह सुबेह ये सब क्या कर रहे हैं और नाश्ता किसके लिए??

कृष्णा- सोचा जब तक तू सो रही हैं आज मैं अपनी बेहन को अपने हाथों का नाश्ता बनाकर करा देता हूँ.

राधिका- आपने ये क्यों तकलीफ़ की. मैं बना देती.

फिर कृष्णा अपने हाथों से राधिका को स्नॅक्स खिलाता हैं और वो बड़े गौर से राधिका के चेहरे को देखने लगता हैं.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हो भैया. पहले मुझे कभी नहीं देखा क्या.

कृष्णा- आज तेरे चेहरे पर एक अलग सा निखार आ गया हैं जिससे तेरी खूबसूरती और बढ़ गयी हैं. सच में चुदाई के बाद औरत का रूप रंग और निखर जाता हैं.

कृष्णा की बातों से राधिका शर्मा जाती हैं और कुछ सोचकर कृष्णा को बोलती हैं.

राधिका- भैया अब मैं आपके साथ जिस्मानी संबंध नही बना सकती. मेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती. ये सब ग़लत हैं भैया. कल जो मैने किया वो सब आपकी खुशी के लिए किया. अब मुझसे ये पाप नही होगा. राधिका के बोलते बोलते उसकी आवाज़ में कुछ भारी पन आ जाता हैं.

कृष्णा- इतना सब कुछ होने के बाद अब हमारे बीच कुछ बचा हैं क्या राधिका. अब तो तू जब चाहे मेरे साथ सेक्स कर सकती हैं. अब तो तेरे मेरे बीच में अब कोई परदा भी नही हैं. ऐसा मत बोल मेरा दिल टूट जाएगा.

राधिका- नहीं भैया ये ग़लत हैं. मुझे आप माफ़ कर दीजिए मैं अब ये सब नहीं कर सकती. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं. कृष्णा भी उसके पीछे पीछे किचन में आ जाता हैं.

कृष्णा अच्छे से जानता था कि राधिका इस वक़्त प्रायश्चित की आग में जल रही हैं.और उससे ये सब बारे में बात करने से कोई फ़ायदा नहीं हैं. वो भी राधिका के पीछे सॅट कर खड़ा हो जाता हैं और अपना जीभ राधिका की गर्देन पर रख देता हैं. फिर उसी अंदाज़ में वो एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका एक दम से सहर जाती हैं पर कोई विरोध नही करती. कृष्णा फिर पीछे से अपना दोनो हाथ राधिका के दोनो बूब्स पर रखकर उसे कस कर मसल्ने लगता हैं. राधिका की साँसें एक दम तेज़ हो जाती हैं.

राधिका कुछ विरोध करती उसके पहले ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसने लगता हैं. राधिका बस एक बुत की तरह कृष्णा की हरकतों को चुप चाप देखते रहती हैं. धीरे धीरे कृष्णा भी उसके निपल्स को अपनी उंगल से मसलना शुरू कर देता हैं और राधिका सब कुछ भूल कर अपने आप को कृष्णा के हवाले कर देती हैं. फिर वो अपना एक हाथ नीचे सरका कर उसके ट्राउज़र्स का नाडा खोल देता हैं. ट्राउज़र झट से नीचे उसके पैरों में गिर पड़ता हैं. अब राधिका कमर से नीचे पूरी नंगी थी. वो पैंटी नहीं पहनी हुई थी.

कृष्णा अपनी दोनो मोटी उंगली राधिका की चूत के पास ले जाता हैं और उसे धीरे धीरे अपनी दोनो उंगलियो को राधिका की चूत में डालकर उसे उंगली से चोदना शुरू कर देता हैं. राधिका भी जवाब में अपनी दोनो टाँगें फैला देती हैं जिससे कृष्णा को उंगली अंदर बाहर करने में आसानी हो जाती हैं. राधिका की सिसकारी फिर से तेज़ हो जाती हैं.कृष्णा उसी रफ़्तार से अपनी उंगली चलाता हैं और दूसरे हाथों से उसके निपल्स को मसलता हैं और अपने होंठ भी राधिका के होंठो पर रखकर फिर से चूसने लगता हैं.

आख़िरकार राधिका का भी सब्र टूट जाता हैं और वो तेज़्ज़ सिसकारी के साथ झरने लगती हैं. जिससे कृष्णा की उंगली पूरी तरह से भीग जाती हैं. मगर कृष्णा अब भी नहीं रुकता और उसी रफ़्तार से अपनी उंगली का कमाल दिखाता हैं.

राधिका- बस...............करो.......ना .........भैया...........क्यों................मुझे......पागल ............करने .......पर ....तुले ...हो.

कृष्णा भी झट से अपनी उंगली निकाल देता हैं और राधिका कृष्णा की ओर मूड कर तुरंत कृष्णा के सीने से लिपट जाती हैं.राधिका की साँसें बहुत ज़ोर से चल रही थी. वो अपने साँसों को संभालने की कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर के बाद कृष्णा बाथरूम में चला जाता हैं और राधिका अपना ट्राउज़र उपर करके पहन लेती हैं.
 
जो बात अभी कुछ देर पहले वो दावे से कह रही थी शायद कृष्णा ने उसका जवाब दे दिया था. राधिका का मज़बूत इरादा भी अब अपने जिस्म की आग के सामने बिल्कुल फीका पड़ने लगा था. वो इसी ख्यालों में थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. कृष्णा जाकर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका बाप बिरजू था.

कृष्णा भी चुप चाप नाश्ता करता हैं और झट से काम पर निकल जाता हैं और राधिका भी अपने बाप से नज़रें नहीं मिला पाती हैं. शायद कल की वजह से उसको ऐसा लग रहा था कि वो अपने बाप की नज़रों में भी गिर गयी हैं. वो भी चुप चाप जाकर अपनी किताबें लेकर पढ़ने बैठ जाती हैं. करीब 11 बजे बिरजू भी खाना खा कर घर से बाहर निकल जाता हैं.

बिरजू के जाते ही राधिका को थोड़ा राहत महसूस होती हैं. पता नहीं क्यों पर उसे आज सब कुछ ऐसा लग रहा था कि वो गुनेहगार हैं इस वजह से वो अपने आप को इन सब चीज़ों में दोषिन मान रही थी. हो ना हो राधिका के जीवन में अभी तूफान कहाँ थमा था. अभी तो कुछ ऐसा होने वाला था जो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदलने वाली थी और उससे जुड़े ना जाने कितनो की और ज़िंदगियाँ पर भी इसका असर होने वाला था. बस इंतेज़ार था उस समय का...
 
वक़्त के हाथों मजबूर--29



करीब 12 बजे उसके घर का डोर बेल बजता हैं. राधिका जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने मोनिका थी. मोनिका को ऐसे सामने देखकर राधिका लगभग चौंक जाती हैं.

राधिका- आप यहाँ पर कैसे ?? आपको मेरा घर का अड्रेस किसने बताया??

मोनिका- अंदर आने को नहीं कहोगी. मोनिका मुस्कुराते हुए बोली.

राधिका- यस प्लीज़ कम इनसाइड. और मोनिका अंदर आकर सोफे पर बैठ जाती हैं. फिर वो पूरे घर पर एक नज़र डालती हैं. फिर बोलती हैं.

मोनिका- दर-असल मैं आज बिल्कुल फ्री हूँ तो सोचा क्यों ना तुमसे मिल लिया जाए. इसी मेरा थोड़ा दिल भी बहल जाएगा और शायद तुमको भी अच्छा लगे. तो मैं तुम्हारा नाम पूछते पूछते लोगों से सीधा यहाँ पर आ गयी.

राधिका- थॅंक्स तान्या जी. मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई.

मोनिका अपने साथ एक गिफ्ट पॅक लाई थी. वो राधिका को थमाते हुए बोली- ये रख लो राधिका ये तुम्हारे लिए हैं. सोचा पहली बार तुम्हारे घर आई हूँ तो खाली हाथ जाना ठीक नहीं लगेगा. इसलिए ये छोटा सा तोहफा मेरी ओर से. राधिका मुस्कुरा कर वो तोहफा वही टेबल पर रख देती हैं और अंदर जाकर चाइ बनाने लगती हैं.

थोड़ी देर के बाद वो चाइ और कुछ स्नॅक्स लेकर मोनिका के पास आती हैं और फिर दोनो में बहुत देर तक इधेर उधेर की बातें होती हैं. अंत में वो मोनिका को अपना पूरा कमरा दिखाती हैं और अपने साथ लाया हुआ तोहफा भी राधिका को खोलने को कहती हैं. राधिका जब वो तोहफा खोलती हैं तो उसमें एक बेबीडॉल था. वो उसे देखकर बहुत खुश होती हैं और वो अपने बेडरूम में उसे सज़ा कर रख देती हैं. करीब 2 बजे मोनिका भी अपना प्लान को अंजाम देकर मुस्कुराते हुए वहाँ से निकल जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद राहुल का फोन आता हैं. आज वो एसीपी बनने वाला था इसलिए वो राधिका को बुलाने के लिए उसने फोन किया था.

राहुल- हां तो जान याद हैं ना आज शाम 4 बजे पोलीस थाने में तुम्हें आना हैं. आज मैं सब-इनस्पेक्टर से एसीपी बनने वाला हूँ.

राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ आइ आम सॉरी. मेरे सिर में बहुत दर्द हैं.

राहुल- नहीं जान ऐसा मत बोलो. मेरा दिल टूट जाएगा. अगर तुम कहो तो मैं ख़ान को भेज देता हूँ तुम्हें लेने. फिर मैं तुम्हें हॉस्पिटल ले चलूँगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं नहीं आ सकती. प्लीज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मुझे बेहद खुशी हैं राहुल लेकिन मैने तुम्हें आज तक किसी भी बात के लिए मना थोड़ी ही ना किया हैं. और वैसे भी निशा तो आ ही रही हैं ना. और वो भी तो तुम्हारी दोस्त हैं.

राहुल- निशा में और तुममें बहुत फरक हैं राधिका. निशा बस मेरी दोस्त हैं. पर तुम मेरी जान हो. और अगर तुम नहीं आओगी तो ............ राहुल मायूस होकर बोला.

राधिका- प्लीज़ आइ आम सॉरी राहुल मेरा दिल दुखाने का इरादा बिल्कुल भी नहीं था. चलो कल मुझे अपने प्रमोशन की पार्टी दे देना. मैं कल पक्का आ जाउन्गि.

राहुल- ठीक हैं जान अपना ख्याल रखना. लव यू टू और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

राधिका की आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं. वो लाख कोशिशों के बावजूद अपने राहुल को भुला नहीं पा रही थी. फिर वो उठती हैं और अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. और साथ में सिग्रेट भी लेती हैं. शायद उसे यही तरीका ठीक लग रहा था राहुल को भूलने का. मगर प्यार एक ऐसी लत हैं तो छूटे नहीं छूटती. वो भी ऐसी ही गुम्सुम सी नशे की हालत में बेड पर पड़ी रहती हैं.

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पोलीस स्टेशन में.

वहाँ पर करीब करीब सब लोग पहुँच चुके थे. डीएम, एसडीएम, और साथ साथ बिहारी ,विजय भी वहाँ पर मौजूद थे. और भी बड़ी बड़ी हस्ती वहाँ पर आई हुई थी. निशा भी टॉप और जीन्स में कयामत लग रही थी. मगर उसे कहीं भी राधिका नज़र नहीं आ रही थी. वो बहुत देर तक इधेर उधेर राधिका को ढूँढती रही मगर राधिका उसे कहीं दिखाई नहीं दी. फिर वो राहुल के पास जाकर उसे मुबारकबाद देती हैं और राधिका के बारे में पूछती हैं. राहुल उसे फोन वाली सारी बात बता देता हैं.
 
निशा का माथा घूम जाता हैं. वो समझ जाती हैं कि बात कुछ और हैं. फिर कार्यक्रम शुरू हो जाता हैं और करीब 7 बजे तक चलता हैं. राहुल का शपथ ग्रहण होता हैं और फिर एसीपी की पदवी उसे दी जाती हैं और साथ में वीरता और ईमानदारी का मेडल भी मिलता हैं. राहुल तो आज राधिका के वहाँ नहीं जा सकता था क्यों कि आज रात में डिन्नर का भी प्रोग्राम था. वो सीधा निशा के पास आता हैं और आकर उससे कहता हैं.

राहुल- निशा थॅंक्स जो तुम यहाँ पर आई. मगर राधिका नहीं आई इसका मुझे दुख हैं. तुम एक काम करो अगर थोड़ा फ्री हो तो जाते वक़्त राधिका के घर चली जाना उसका तबीयात में अगर सुधार नही हुआ होगा तो मैं ख़ान को बोलकर राधिका को हॉस्पिटल भेजवा दूँगा. जैसे हो मुझे फोन करके बताना.

निशा- ठीक हैं राहुल मैं ज़रूर जाउन्गि.

और इतना कहकर निशा वहाँ से निकल पड़ती हैं. आज निशा के मन में हज़ार सवाल उठ रहे थे. उसका दिल बार बार इस बात को नहीं मान रहा था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया. वो तो राहुल से बे-इंतेहाः प्यार करती हैं. उसे तो सबसे ज़्यादा खुश होना चाहिए. मगर क्या वजह हैं जो वो यहाँ पर नहीं आई. क्या हैं इसके पीछे

निशा ऑटो करके थोड़ी देर में राधिका के घर पहुँच जाती हैं. शाम के करीब 7:30 बज रहे थे. वो डोरबेल बजती हैं. राधिका अभी भी नशे की हालत में बे-सुध बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. जब 3 बार निशा बेल बजाती हैं तब जाकर राधिका को होश आता हैं. और वो उठती हैं और अपना मूह धोकर दरवाजा खोलने चली जाती हैं. नशे की हालत में उसके पाँव डगमगा रहे थे.

जैसे ही वो दरवाजा खोलती हैं सामने निशा को देखकर राधिका चौंक जाती हैं.

राधिका- निशा.....त....तुम.???

निशा जब राधिका की हालत देखती हैं तो उसके पाँव तले ज़मीन खिसक जाती हैं.

निशा- ये तुमने अपनी क्या हालत बना रखी हैं राधिका. और तुमने तो शराब पी रखी हैं. ओह माइ गॉड. आइ कॅन'ट बिलीव. और इतना कहकर निशा राधिका को सहारा देकर उसे उसके बेडरूम में ले आती हैं.

राधिका- बता ना निशा कैसे आना हुआ. राहुल की पार्टी ठीक रही ना. अरे आने से पहले कम से कम एक फोन तो कर दिया होता.

निशा का गुस्सा सातवे आसमान पर था उसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होता और वो कसकर एक जोरदार थप्पड़ राधिका के गाल पर जड़ देती हैं. राधिका के आँख से आँसू छलक पड़ते हैं. राधिका अपने गाल पर हाथ रखकर अपना सिर नीचे झुका लेती हैं.

निशा- और कितना नीचे गिरगी तू राधिका. बदल तो तुम बहुत पहले ही चुकी हो. मगर इतना बदल जाओगी मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. कल तक जो राधिका अच्छे बुरे में फ़र्क समझती थी आज तुमने उस राधिका को मार डाला हैं. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि राहुल के इतना बुलाने पर भी तुमने वहाँ जाना ज़रूरी क्यों नही समझा. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि तुमने शराब को हाथ क्यों लगाया. क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आख़िर तुम अपने आप को किस बात की सज़ा दे रही हो. मुझे इसका जवाब चाहिए.

राधिका चुप चाप गम्सम सी रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती. तभी राहुल का फोन आता हैं. निशा फोन रेसीव करती हैं.

राहुल- कैसी हैं मेरी राधिका. अगर तुम उसके पास हो तो मुझे उससे बात करवाओ.

निशा एक नज़र राधिका को देखती हैं फिर बोलती हैं- राहुल मैं इस वक़्त राधिका के पास ही हूँ. वो बिल्कुल ठीक हैं. घबराने की कोई बात नहीं है. अभी दवाई ली हैं और आब वो सो रही हैं. तुम्हारे पार्टी का क्या हुआ.??

राहुल- ठीक हैं निशा वेरी वेरी थॅंक्स तुमने मेरी टेन्षन ख़तम कर दी. चलो मैं कल राधिका से मिल लूँगा. और अभी गेस्ट्स आए हुए हैं. पार्टी देर रात तक चलेगी. तुम भी अपने घर चली जाना. इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

फिर निशा एक कॉल अपने घर पर करती हैं और अपने मम्मी को बता देती हैं कि वो आज रात घर नहीं आएगी. वो आज राधिका के पास रुकेगी उसकी तबीयत खराब हैं. उसकी मम्मी भी उसको पर्मिशन दे देती हैं और निशा फोन रख देती हैं.

राधिका एक नज़र निशा को देखती हैं फिर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.

राधिका- तुमने झूट क्यों बोला राहुल से. राधिका सवालियों नज़र से निशा की ओर देखते हुए बोली.

निशा- तो ये बता देती कि तुम इस वक़्त शराब के नशे में हो. और तुमने शराब पी रखी हैं. अगर ये बात राहुल को पता लगती तो जानती हो उसके दिल पर क्या बितति. मुझे समझ नही आ रहा तुम ऐसा क्यों कर रही हो.
 
थोड़ी देर तक राधिका खामोश रहती हैं तो निशा भी बाथरूम में चली जाती हैं तभी कृष्णा भी घर आ जाता हैं. मेन डोर खुला हुआ था इस लिए वो सीधा घर के अंदर आता हैं और राधिका के पास जाकर उसके बाजू में बैठ जाता हैं. फिर वो राधिका के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे बड़े प्यार से देखता हैं. कृष्णा ये बात नहीं जानता था कि इस वक़्त निशा भी उसके घर में मौजूद हैं.

कृष्णा- आज भी तुमने शराब पी रखी हैं. राधिका क्या मैं तेरी शराब पीने की वजह जान सकता हूँ.

राधिका मंन हो मंन माना रही थी कि उसके भैया कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे जिससे निशा को पता चल जाए. वो जैसे ही निशा के बारे में कुछ बोलने के लिए अपना मूह खोलती हैं वैसे ही कृष्णा अपने होंठ राधिका के होंठो पर रख देता हैं. ये राधिका की बदक़िस्मती ही थी कि कृष्णा अपना होंठ राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं तभी निशा भी कमरे में आ जाती हैं. निशा के कदमों की आहट सुनकर कृष्णा चौक कर राधिका से दूर हट जाता हैं मगर निशा सब कुछ अपनी आँखों से देख चुकी थी. कृष्णा निशा को अपने आँखों के सामने देखकर वो झट से घर के बाहर निकल जाता हैं.

मगर राधिका के दिल में निशा के प्रति दोस्ती का डर बैठ जाता हैं. वो अब जानती थी कि आब निशा उसपर बरस पड़ेगी. जो वो बात छुपाना चाहती थी अब वो निशा के सामने खुल चुकी थी.

निशा- तो ये वजह हैं. मैं भी कितनी बेवकूफ़ हूँ इतना भी नही समझ सकी कि तू ये सब अपने भैया के लिए ही तो कर रही हैं. मैं ठीक कह रही हूँ ना.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा. सारा कसूर मेरा हैं. इसमें मेरे भैया का कोई दोष नहीं. मैं ही बहक गयी थी.

निशा- शरम आती हैं राधिका मुझे तुझ पर. जिस भाई बेहन के रिशे को लोग पूजते हैं. उसको पवित्रता की मिसाल देते हैं. तूने उन्ही रिश्तों की धज्जियाँ उड़ा दी और तो और तुमने उन पवित्र रिश्तों को कलंकित भी कर दिया. समझ में नही आता कि मैं तुझसे क्या कहु. और इतना कहते कहते निशा के आँखों से आँसू आ जाते हैं......

राधिका फिर आगे बढ़कर निशा के बहते आँसू को पोछती हैं- हाथ मत लगा मुझे अब मेरा तेरे से कोई वास्ता नहीं. मैं जा रही हूँ हमेशा हमेशा के लिए तेरी ज़िंदगी से दूर. ये समझ लेना कि निशा कभी तेरी ज़िंदगी में आई ही नही थी. मैं अब तेरे लिए मर चुकी हूँ और तू अब मेरे लिए. हां और एक बात अच्छा होगा कि तू राहुल को सब कुछ सच सच बता देना शायद वो तेरी नादानी को माफ़ कर दे. इतना बोलकर निशा कमरे से निकलने लगती हैं.

राधिका- रुक जा निशा. भगवान के लिए मत जा मुझे ऐसे छोड़ कर. मेरी ग़लती की इतनी बड़ी सज़ा मत दे मुझे . इससे अच्छा तो तू मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दे. मैं तो खुद जीना नहीं चाहती. अगर तू एक भी कदम आगे बढ़ाई तो मैं सच में अपनी जान दे दूँगी. राधिका वही रखा ब्लेड उठा लेती हैं और जैसे ही वो अपने हाथों की नस पर रखती हैं निशा का एक और ज़ोर का थप्पड़ उसकी गालों पर पड़ता हैं और ब्लेड उसकी हाथों से छूट कर नीचे गिर जाता हैं.

निशा ज़ोर से चिल्लाते हुए- तू क्या समझती हैं कि तुझे ही सिर्फ़ जान देना आता हैं. ये काम मैं भी कर सकती हूँ मगर मरने से किसी भी प्राब्लम का सल्यूशन नहीं निकलता.

इस वक़्त दोनो की आँखों में आँसू थे. निशा आगे बढ़कर राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं और एक हाथ बढ़कार उसकी आँखों से बहते आँसू पोछ देती हैं.

निशा- ठीक हैं मैं कहीं नही जाउन्गि मगर तुझे फिर से पहले वाली राधिका बनना होगा. बोल तू मेरे लिए इतना कर सकती हैं.

राधिका भी निशा के सीने लग जाती हैं और फुट फुट कर रोने लगती हैं.......

दोनो की आँखें नम थी. ना राधिका कुछ बोल पा रही थी और ना ही निशा. थोड़ी देर तक वो दोनो ऐसे ही गुम्सुम रहते हैं. फिर राधिका उठकर किचन की ओर जाने लगती हैं. राधिका को ऐसे जाते देखकर निशा बोलती हैं

निशा- कहाँ जा रहीं हैं राधिका.

राधिका- आज क्या भूका रहने का इरादा हैं. मैं तेरे लिए खाना बनाने जा रही हूँ.

निशा- तू ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रही हैं और तू मेरे लिए खाना बनाएगी. चल तू आराम कर मैं आज बना देती हूँ.
 
फिर निशा राधिका को बिस्तेर पर सुला देती हैं और जाकर किचन में खाना बनाने लगती हैं. थोड़े देर में कृष्णा भी आ जाता हैं. वो चुप चाप अपने कमरे में बैठा रहता हैं. उसकी हिम्मत नहीं होती की वो निशा का सामना भी करे. थोड़ी देर में निशा खाना रेडी करके कृष्णा को खाना खाने के लिए बोलती हैं. वो भी चुप चाप खाना खाने बैठ जाता हैं. वही निशा भी आकर बैठ जाती हैं.

निशा को सामने बैठा देखकर कृष्णा की दिल की धड़कन बढ़ जाती हैं और वो चुप चाप अपनी गर्देन झुका कर खाना खाने लगता हैं.

निशा- भैया आपसे एक बात कहनी थी मुझे. अगर आप बुरा ना मानो तो.....................

कृष्णा निशा की तरफ़ सवालियों नज़र से देखने लगता हैं फिर हां में इशारा करता हैं.

निशा- राधिका ने शराब पीना कब से शुरू किया. और इन सब के पीछे उसकी क्या मजबूरी हैं. वो क्यों ऐसा कर रही हैं. और मैं जानती हूँ कि राधिका ने आपसे जिस्मानी संभंध भी कायम कर लिया हैं . क्या हैं इसके पीछे वजह जो वो अपने भाई के साथ.......मुझे सारे सवालों का जवाब चाहिए. अभी इसी वक़्त. निशा कृष्णा की आँखों में देखकर बोली.

कृष्णा कुछ पल खामोश रहता हैं मगर वो भी अब जान चुका था कि निशा से अब कोई भी बात छुपाने से फ़ायदा नहीं हैं.

कृष्णा- बात कुछ दिन पहले की हैं एक दिन राधिका के पास एक अननोन नंबर से कॉल आया. और कृष्णा धीरे धीरे निशा को वो सारी बातें बता देता हैं जब वो एक रंडी के साथ राधिका द्वारा रंगे हाथों पकड़ा गया था. जो कुछ भी बातें थी वो सब कृष्णा निशा के सामने एक एक कर खुली किताब की तरह रख देता हैं. निशा भी कुछ देर यूँ ही खामोश रहती हैं .

निशा- आपने ये ठीक नहीं किया. दुनिया की कोई भी औरत ये कभी बर्दास्त नही कर सकती कि उसका भाई या पिता किसी रंडी के साथ ऐसी अवस्था में मिले.शायद यही वजह हैं कि राधिका को गहरा धक्का लगा. आपने तो ना सिर्फ़ उसके विश्वास को तोड़ा हैं बल्कि उसकी आत्मसामान को भी ठेस पहुँचाई हैं. वो इसी सदमे की वजह से उसने शराब को अपनाया हैं. आज राधिका की हालत के ज़िम्मेदार आप हैं. मगर राधिका ने इतना सब कुछ होने की वजह से भी आपके साथ जिस्मानी रिस्ता क्यों कायम किया. क्या आपको इसकी वजह मालूम हैं.

कृष्णा- नहीं मैने भी कई बार उससे पूछने की कोशिश की मगर उसने मुझे कुछ नहीं बताया.

निशा के सामने हज़ारों सवाल खड़े हो गये थे. कौन थी वो औरत जिसने राधिका के पास फोन करके उसे अपने ही भैया की करतूत को उसके सामने दिखाया. इसका मतलब वो जो कोई भी हैं वो हर पल राधिका पर नज़र लगाए बैठी हुई हैं. आख़िर उसे ये सब करने से क्या हासिल होगा. कहीं ये कोई साजिश तो नही रची जा रही राधिका के खिलाफ. हे भागवान ये सब करने के पीछे पता नहीं कहीं किसी की कोई गहरी चाल तो नहीं. ये भी तो हो सकता हैं कि वो औरत सिफ्र मोहरा हो और उसके पीछे कोई और हो.

निशा का अंदाज़ा काफ़ी हद तक सही था मगर सिर्फ़ अंदाज़ लगाने से किसी भी प्राब्लम की जड़ तक नहीं पहुँचा जाता. थोड़ी देर में निशा भी खाना खा लेती हैं और राधिका को भी खाना देती हैं. राधिका खाना खाकर तुरंत सो जाती हैं. नशे की वजह से उसे कुछ भी होश नहीं रहता . निशा भी राधिका की बगल में लेट जाती हैं और बहुत देर तक वो इन सब सवालों के जवाब ढूँडने में लगी रहती हैं. मगर उसे कुछ समझ नहीं आता. फिर थोड़ी देर के बाद वो भी सो जाती हैं.

सुबेह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो निशा भी उसके बाजू में सोई रहती हैं. वो झट से उठती हैं और जाकर फ्रेश होती हैं. थोड़े देर में निशा भी उठ जाती हैं. थोड़ी देर में वो नाश्ता करती हैं और फिर निशा अपने घर के लिए निकल पड़ती हैं. कृष्णा भी एक कमरे में चुप चाप बैठा रहता हैं और कुछ सोचता रहता हैं. कृष्णा को ऐसे गहरे विचारों में खोया देखकर राधिका उसके पास जाती हैं और जाकर उसके लिप्स को चूम लेती हैं.

राधिका- गुड मॉर्निंग भैया. क्या बात हैं आज आप बड़े गुम्सुम से लग रहे हैं. निशा ने कहीं आपसे कुछ कहा तो नहीं.

कृष्णा- नहीं राधिका ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राधिका- तो क्या मैं जान सकती हूँ कि आपके चेहरे पर उदासी की वजह. आपको इतना सीरीयस मैने कभी नहीं देखा.

कृष्णा- राधिका मुझे लगता हैं अब जो हमारे बीच हो रहा हैं वो ठीक नही हैं.शायद हम अपनी हद भूल गये हैं.

राधिका- आपको क्यों ऐसा लगने लगा. आब सब कुछ करने के बाद पछताना कैसा. जो हो रहा हैं वो होने दो. अब मुझे किसी भी चीज़ से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. आपकी खुशी में मेरी खुशी हैं. और मैं तो यही चाहती हूँ कि मेरे भैया जैसे रहे वो खुश रहें.

कृष्णा- मुझे लगता हैं कि तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं. राधिका तुझे मेरी कसम सच सच बता क्या मेरे से जिस्मानी रिस्ता बनाने के पीछे तेरी कौन सी वजह हैं. मैं सच जानना चाहता हूँ.

राधिका थोड़े देर चुप रहती हैं - मैं आपको फिलहाल अभी नहीं बता सकती मगर यकीन मानिए भैया वक़्त आने पर आपको पता चल जाएगा. इतना बोलकर राधिका किचन में चली जाती हैं...
 
वक़्त के हाथों मजबूर--30

थोड़ी देर के बाद कृष्णा भी अपने काम पर चला जाता हैं. राधिका बहुत देर तक इसी सोच में रहती हैं कि आज जो भी हो वो अपना नाजायाज़ रिश्ता (अपने भैया के साथ) को अब राहुल को बता देगी. चाहे अंजाम जो भी हो. तभी राहुल का फोन आता हैं.

राहुल- मैं आभी तुम्हारे घर पर तुम्हें लेने आ रहा हूँ. तैयार रहना. बस इतना बोलकर राहुल फोन रख देता हैं और राधिका चाह कर भी कुछ नहीं बोल पाती. वो तो राहुल से दूरी बनाना चाहती थी मगर इश्क़ के रोग का कोई इलाज़ नहीं. एक तरफ राधिका राहुल से दूरी बनाना चाहती थी वही दूसरी तरफ हर पल उसे राहुल का इंतेज़ार रहता था.

थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं और राधिका भी फ्रेश होकर तैयार रहती हैं. अंदर आते ही राहुल राधिका को अपनी गोद में उठा लेता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रख कर उसे बड़े प्यार से चूसने लगता हैं. जवाब में राधिका भी अपनी आँखें बंद कर के राहुल का पूरा साथ देती हैं.

राधिका- ओ.ह ....मिस्टर. आशिक़ अब तो मुझे नीचे उतारो. या यूँही ही मुझे अपनी गोद में उठाए रहोगे.

राहुल- यार तुम तो पहले से भारी हो गयी हो. पिछली बार उठाया था तो तुम्हारा वजन कम था. बोलो ना क्या खाती हो. मैं भी अपना वजन बढ़ाउंगा. साला पोलीस की नौकरी जब से जाय्न की हैं सब चीज़ तो बढ़ गया मगर वजन घट गया. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- हरी सब्ज़ी खाया करो और साथ में दूध पिया करो. देख लेना कुछ दिन में तुम्हारा वजन भी बढ़ जाएगा और ताक़त भी.

राहुल- हरी सब्ज़ियाँ तो मैं खा लूँगा पर दूध का इंतज़ाम कहाँ से करूँगा. मैं तो शुद्ध दूध पीता हूँ.

राधिका- अरे इस सहर में कितने सारे डेरी फार्म हैं. वहाँ से किसी के यहाँ से मंगवा लेना.

राहुल- मैं उस दूध की बात थोड़ी ना कर रहा हूँ. मैं तो तुम्हारे दूध की बात कर रहा हूँ. अपना दूध मुझे डेली पिलाया करो. देख लेना मैं एकदम हेल्ती हो जाउन्गा. राहुल मुस्कुरा कर बोला.

राधिका शरम से अपनी नज़रें झुका लेती हैं और उसका चेहरा शरम से लाल हो जाता है.

राधिका- सच में राहुल तुम बहुत बे-शरम हो गये हो. तुम्हें तो हर वक़्त ये सब बातें ही सुझति रहती हैं.

राहुल- अरे भाई बीवी से शरमाउंगा तो कैसे काम चलेगा. आदमी शादी इसलिए ही तो करता हैं कि वो जल्द से जल्द बे-शरम बने. नहीं तो ज़िंदगी भर अपने आप को नंगा देखने में भी शरमाएगा. और शादी के बाद तो आदत सी हो जाती हैं बिना कपड़ों के रहने की. सच कहा ना.

राधिका- तुम नहीं सुधरोगे. वैसे आज क्या प्लान हैं.

राहुल- तुम्हारी तबीयात तो अब ठीक हैं ना. फिर चलो आज तुम्हें एक जगह ले चलता हूँ. और राहुल राधिका को अपने कार में बैठा कर निकल जाता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल एक जगह अपनी कार पार्क करता हैं. राधिका की नज़र सामने बने होटेल पर पड़ती हैं तो वो अस्चर्य से राहुल की ओर देखने लगती हैं. होटेल ले-कपरिकूस. ये वही होटेल था जब राधिका प्रशांत को सबक सिखाने के लिए उसे यहाँ पर लाई थी. मगर राहुल उसे इतने महँगे होटेल में ले जाएगा उसने कभी सोचा नहीं था.

राहुल- तुम यहाँ पहले भी आ चुकी हो. आओ आज मेरे साथ चलकर इस आलीशान होटेल में खाना खाते हैं. राधिका राहुल के साथ होटेल में एंटर होती हैं और वही पुराना वेटर उसे वहाँ पर दिखाई देता हैं. वेटर एक नज़र राधिका को देखता हैं फिर राहुल को बड़े गौर से देखने लगता हैं. राहुल और राधिका जाकर एक सीट पर बैठ जाते हैं. थोड़े देर में वही वेटर राधिका के पास आता हैं और उसके कान के पास धीरे से बोलता हैं-- क्या मेडम आज भी आप इस बकरे को फँसा कर लाई हैं. क्या इसकी भी ऐसी ही सेवा करनी हैं जैसे की पिछली बार की थी.
 
राधिका- आप जो समझ रहे हैं वैसा कुछ नहीं हैं. और वैसे भी ये एसीपी हैं. और ये मेरे होने वाले पति हैं. राधिका मुस्कुराते हुए बोली.

इतना सुनकर वेटर वहाँ से चला जाता हैं और दूसरा वेटर आकर ऑर्डर लेता हैं. राहुल मेमो राधिका को थमा देता हैं.

राहुल- जो दिल में आए वो ऑर्डर करो. आज मैं तुम्हारी पसंद का खाना खाउन्गा.

राधिका- सोच लो राहुल कहीं पिछली बार वाले लड़के की तरह तुम्हें भी महँगा ना पड़ जाए.

राहुल- अरे लोग तो प्यार में जान तक दे देते हैं. मैं तुम्हारे लिए बर्तन भी नहीं सॉफ कर सकता.

राधिका राहुल के जवाब से झेप जाती हैं और चुप चाप मेनू को देखने लगती हैं. फिर थोड़ी देर में वेटर आता हैं और ऑर्डर ले जाता हैं.

राहुल- मैं तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करना चाहता हूँ.

राधिका एक नज़र राहुल को देखते हुए- क्या बात हैं राहुल???

राहुल- हम अगले महीने शादी कर रहे हैं. मैने पंडितजी से मुहूरत भी निकलवा लिया हैं. 21 जून को पंडित जी ने डेट फिक्स किया हैं. और तुम्हारी मेरी कुंडली भी मिल गयी हैं. बस शादी के कार्ड्स एक दो दिन में मिल जाएँगे.

राधिका- राहुल इतनी जल्दी क्या है शादी की. मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं अभी इन सब चीज़ों के लिए तैयार नहीं हूँ.

राधिका के मूह से ऐसा जवाब सुनकेर राहुल हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- क्या जान तुम खुश नही हो. मैं तो समझा था कि तुम ये खबर सुनकर खुशी से फूली नहीं समाओगी. आख़िर किस बात के लिए तुम तैयार नहीं हो. जो सब पति पत्नी के बीच होता हैं वो सब कुछ तो हमारे बीच हो चुका हैं. बस मैं उन रिश्तों को नाम दे रहा हूँ. और तुम्हारे भैया भी तो हमारी शादी के लिए राज़ी हैं. फिर क्या वजह हैं.

राधिका- वो सब तो ठीक हैं राहुल पर प्लीज़ मुझे थोड़ा और वक़्त चाहिए. मैं तुम्हारे फ़ैसले से बहुत खुस हूँ.

राहुल- ठीक हैं तो मैं पंडित जी से बात करके शादी की तारीख आगे बढ़वा देता हूँ.

राधिका- नहीं राहुल ऐसा करने की कोई ज़रूरत नहीं हैं. फिर ठीक हैं जैसे तुम्हें अच्छा लगे. मुझे कोई ऐतराज़ नहीं हैं. तुम जब बोलॉगे मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ.

राहुल खुशी से झूम उठता हैं. फिर वो दोनो खाना कहते हैं और राहुल पेमेंट करके राधिका को अपनी कार में जाने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद राहुल राधिका को अपने घर ले जाता हैं और सीधा उसे अपने बेडरूम में ले जाता हैं.

राहुल- अपने कपड़े उतारो. मुझे आज कल तुम इन कपड़ों में बिल्कुल अच्छी नहीं लगती. राहुल मुस्कुराते हुए बोला.

राधिका- कुछ तो शरम करो. दिन ब दिन तुम्हारी बे-शर्मी बढ़ती जा रही हैं.

राहुल राधिका के करीब आता हैं और कसकर अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स मसल देता हैं और अपना लिप्स राधिका के लिप्स पर रखकर उसे चूसने लगता हैं.

राहुल- मैं अपने प्रमोशन का गिफ्ट ही तो माँग रहा हूँ. बस एक बार उतार दो ना अपने सारे कपड़े.

राधिका- अच्छा गिफ्ट का शौक भी हैं और गिफ्ट खोलने से डरते भी हो. अगर यही तुम्हारा गिफ्ट हैं तो खुद ही आकर अपना गिफ्ट खोल लो. दूसरे का तोहफा कोई दूसरा नहीं खोलता. राधिका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली. राहुल राधिका की बात समझ जाता हैं और झट से राधिका के पास आकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं और अपना होंठ राधिका के होंठ पर रखकर उसे धीरे धीरे चूसने लगता हैं...................................
 
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