Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 13 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

बिरजू भी चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था. वो तो चाह कर भी कुछ नहीं बोल पा रहा था. आज कृष्णा की आँखों में भी आँसू थे पस्चाताप के. आब उसे लगने लगा था की उसने आज कितनी बड़ी भूल की हैं मगर आब शायद बहुत देर हो चुकी थी. थोड़ी देर में राहुल भी आ जाता हैं. साथ में ख़ान और एक हवलदार भी था.

राहुल अंदर आता हैं और अंदर का नज़ारा देखकर वो भी थितक जाता हैं. अंदर राधिका आभी भी फर्श पर बैठी हुई रो रही थी और कृष्णा और बिरजू चुप चाप वही खड़े थे. राहुल राधिका के नज़दीक जाकर उसे अपने मज़बूत हाथों से उसे सहारा देकर उठाता हैं और फिर उसके आँसू पोछता हैं.

राहुल- क्या बात हैं जान. आज तुम्हारे इन आँखों में आँसू. सब ठीक तो हैं ना. और तुम ऐसे क्यों रो रही हो.

राधिका- सब ख़तम हो गया राहुल. सब कुछ बर्बाद हो गया. और इतना कहकर राधिका राहुल के सीने से लिपटकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं.

राहुल- क्या हुवा बताओ तो सही. मेरा दिल बैठा जा रहा हैं. मैं तुम्हारे इन आँखों में आँसू नहीं देख सकता.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- तुम जानना चाहते थे ना पार्वती के कातीलो के बारे में. वो देखो तुम्हारे सामने मौजूद हैं और राधिका अपने हाथों से अपने भैया और बापू की ओर इशारा करती हैं. राहुल के भी होश उड़ जाते हैं राधिका के मूह से ये सब सुनकर.

राधिका- और ये देखो सबूत फिर वो बॅग राहुल को थमा देती हैं जिसमें हथियार और नक़ाब थे और साथ में पैसे भी. राहुल एक एक कर सारे समान को देखने लगता हैं.

राहुल- ऐसा कैसे हो सकता हैं. भैया आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. मुझे तो बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता. फिर राधिका जो भी बात हुई थी सारी बातें वो राहुल को बता देती हैं.

राहुल- ये सब आप लोगों ने अच्छा नही किया. इतना भी नहीं सोचा की आपके ये सब करने के बाद राधिका का क्या होगा.

राहुल- तो ये सब बिहारी की चाल थी. साला बहुत बड़ा हरामी चीज़ हैं. लेकिन वो कब तक बचेगा मुझसे. मैं उसे नहीं छोड़ूँगा. ख़ान सबसे पहले उस आदमी का पता लगाओ जिसने कृष्णा और बिरजू काका को पैसे दिए थे. अगर वो आदमी मिल गया तो बिहारी कल जैल के सलखो के पीछे होगा. उसका हमारे हाथ लगना बहुत ज़रूरी हैं. फिर मज़बूरन राहुल कृष्णा और बिरजू के हाथों में हथकड़ी लगा देता हैं.

राहुल- मुझे अपना फ़र्ज़ तो निभाना पड़ेगा ना राधिका. चाहे इस राह में मेरा अपना ही क्यों ना आयें.
राधिका- मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी राहुल. तुम अपना फ़र्ज़ पूरा करो. ये सज़ा के ही हक़दार हैं.

कृष्णा हाथ जोड़ कर राधिका के पास आता हैं- राधिका आखरी बार मुझे हंस कर विदा कर दे. मुझे अब किसी से कोई शिकायत नहीं हैं. तू जैसे रहना खुस रहना बस उपर वाले से यही दुवा करूँगा. और कृष्णा और उसके बापू फिर घर से बाहर निकल कर पोलीस की जीप में बैठ जाते हैं. और ख़ान उन्हें लेकर पोलीस थाने की ओर चल पड़ता हैं. बस कमरे में राधिका के सिसकने की आवाज़ें आ रही थी. आज वो बिल्कुल तन्हा हो गयी थी. हर रोज़ उसे अपने भाई के लौटने का इंतेज़ार रहता था मगर शायद अब ये इंतेज़ार आब यहीं ख़तम हो गया था. वो जानती थी कि उसके भैया और बापू कम से कम 10 साल के बाद ही जैल से छूटेंगे. राहुल फिर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और ना जाने राधिका कितनी देर तक राहुल के सीने से लिपटकर रोती रहती हैं.

राहुल- एक काम करो राधिका तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो. शायद तुम्हारा यहाँ मन नहीं लगेगा. और इस वक़्त तुम बिल्कुल अकेली हो. वहीं तुम रहना और वहाँ पर रामू काका तो हैं ही वो तुम्हारी देखभाल करेंगे.

राधिका- नहीं राहुल मैं ठीक हूँ. और बस 10 दिन की तो बात हैं. फिर हमारी शादी हो जाएगी तो मैं वैसे भी तुम्हारे साथ ही रहूंगी. और अगर मैं अभी तुम्हारे साथ रहूंगी तो ये दुनियावाले ना जाने क्या क्या कहेंगे.

राहुल- मुझे कोई फरक नहीं पड़ता. तुम बस मेरे साथ चलो. मैं तुम्हें ऐसे अकेला नहीं छोड़ सकता.

राधिका- मुझपर अगर कोई कीचड़ उछालेगा तो मैं बर्दास्त कर लूँगी मगर कोई तुमपर उंगली उठाएगा मैं ये नहीं से पाउन्गि. मुझे इस वक़्त अकेला रहना चाहती हूँ. प्लीज़ मुझे कुछ दिन अकेला छोड़ दो. राहुल भी कुछ कह नहीं पता और उसके माथे को चूम लेता हैं.

राहुल- ठीक हैं राधिका जैसी तुम्हारी मर्ज़ी मगर अपना ख्याल रखना तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी हैं. मैं बराबर तुमसे मिलने आता रहूँगा. और इतना बोलकर राहुल भी पोलीस स्टेशन चला जाता हैं.

राधिका इस वक़्त चुप चाप अपने बिस्तेर पर पड़ी हुई थी. ऐसे ही बहुत देर तक वो इन्ही सब बातें को सोचती हैं फिर वो उठकर अपने भैया के कमरे में जाकर शराब की बॉटल लेकर आती हैं फिर पीने लगती हैं. ना जाने कितनी देर तक वो पीती रहती हैं और वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं. आब तो लगता था कि राधिका के गम का सहारा भी अब शराब मात्र थी. वो अपना गम भूलने के लिए शराब पी रही थी. दिन बा दिन उसके गम बढ़ते ही जा रहे थे.

ऐसे ही वक़्त बीतता जाता हैं. राधिका सुबेह शाम नशे ही हालत में बेसूध रहती थी. उसे तो किसी भी चीज़ का होश नहीं रहता था. जब ये बात निशा को पता लगती हैं तो उसे भी बड़ा झटका लगता हैं. वो भी राधिका को बहुत समझाती है मगर राधिका उसकी एक बात नहीं सुनती. शायद अब राधिका भी पूरी तरह से टूट चुकी थी. और अब उसे कहीं से कोई उमीद नज़र नहीं आ रही थी.

दो दिन बाद..........................

राधिका करीब 10 बजे अपने घर से कॉलेज के लिए निकलती हैं. आज उसके एग्ज़ॅम्स का टाइम टेबल मिलने वाला था. वो इसलिए घर से तैयार होकर निकली थी. मन तो उसे नहीं था मगर वो फिर भी कॉलेज जाती हैं. आज फिर वो उसी रास्ते से होकर जा रही थी जहाँ पर पार्वती का कतल हुआ था. जब वो उस जगह पहुचती हैं तब उसको उस दिन वाला सारी घटना उसके आँखों के सामने घूमने लगते हैं. फिर से उसकी आँखें नम हो जाती हैं मगर वो वहाँ रुकती नहीं और आगे बढ़ जाती हैं.

थोड़ा दूर जाने पर वो मुड़कर फिर से उसी जगह को देखने लगती हैं फिर वो आगे चलने लगती हैं. राधिका अभी कुछ 10 कदम ही चली थी कि उसके पीछे से एक स्कॉर्पियो कार तेज़ी से आती है. जब वो स्कॉर्पियो उसके नज़दीक आती हैं तभी उसके सामने आकर रुक जाती हैं. राधिका इसी पहले की कुछ समझती दो बदमाश स्कॉर्पियो में से तेज़ी से उतरते हैं और राधिका को उठाकर गाड़ी में डाल देते हैं. पहला बदमाश उसकी आँखों पर काली पट्टी बाँध देता हैं और दूसरा उसकी हाथों को पीछे करके उसे रस्सी से बाँध देता हैं. फिर एक कपड़ा उसके मूह में डाल कर उसके मूह को भी बंद कर देते हैं. और फिर तेज़ी से वो गाड़ी वहाँ से रवाना हो जाती हैं.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ये लोग कौन हैं और उसे उठाकर ज़बरदस्ती कहाँ ले जा रहे हैं. करीब 45 मिनिट बाद वो गाड़ी एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं. फिर वो दोनो राधिका को गाड़ी से निकाल कर उसे वही सामने वाले घर में ले जाते हैं. राधिका के चेहरे पर डर सॉफ दिखाई दे रहा था. पता नहीं कौन हैं ये लोग और उसे ऐसे क्यों उठाकर लाए हैं. मगर राधिका के सारे सवालों का जवाब जल्दी ही उसे पता चलने वाला था.

थोड़ी देर के बाद वो राधिका को लेजा कर एक बड़े से हाल में बैठा देते हैं. और फिर दोनो उस कमरे को बंद करके वहाँ से बाहर निकल जाते हैं. करीब 10 मिनिट बाद फिर से उस कमरे का दरवाजा खुलता हैं और साथ में दो तीन कदमों की आहट भी सुनाई देती हैं. जैसे जैसे वो आहट की आवाज़ तेज़्ज़ होती जाती है वैसे वैसे राधिका के दिल में डर और चेहरे पर पसीने सॉफ दिखाई देने लगते हैं.

फिर पहला शख्स उसके पीछे आता हैं और उसके हाथों का रस्सी खोलता हैं. और फिर उसके आँखों पर लगा पट्टी भी हटा देता हैं. फिर वो उसके मूह पर रखा कपड़ा भी अलग कर देता हैं. जब राधिका अपनी आँख खोलती हैं और जब उसकी नज़र उस शख्स पर पड़ती हैं तो वो नफ़रत से उसे देखने लगती हैं. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि बिहारी था.

राधिका- बिहारी मैं जानती थी कि तुम बहुत नीच हो. मगर तुम मुझे पाने के लिए ऐसी गिरी हुई हरकत भी करोगे ये मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. शरम आती हैं मुझे तुम पर.

बिहारी- आभी पता चल जाएगा कि मैने तुझे ऐसे यहाँ पर क्यों बुलाया हैं. याद हैं मैने तुझे कहा था कि अभी तो मैने तुझे आधी पिक्चर दिखाई हैं आधी बाद में दिखाउन्गा. अब तुझे वो आधी पिक्चर दिखाने का वक़्त आ गया हैं........
 
राधिका सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं. उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था. उसे तो डर लग रहा था कि कहीं बिहारी उसके साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे. राधिका के चेहरे का एक्सप्रेशन्स देखकर बिहारी समझ जाता हैं कि इस वक़्त राधिका क्या सोच रही होगी.

बिहारी- घबरा मत राधिका मैं यहाँ पर तेरा बलात्कार करने के लिए तुझे नहीं लाया हूँ. और मैं तेरा बलात्कार करूँगा भी नहीं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से अपने आप को मेरे हवाले करेगी. ये बात बिहारी पुर दावे से कह सकता हैं.

राधिका- तुझे क्या लगता हैं कि मैं तेरे जैसे आदमी को अपना जिस्म सौपुंगी. राधिका मर जाना पसंद करेगी मगर ऐसा काम कभी नहीं करेगी.

बिहारी- हः हहा हा........ ये तो कुछ देर में पता चल ही जाएगा. जब मैं तुझे आधी पिक्चर दिखाउन्गा. फिर देखता हूँ कि तू क्या फ़ैसला करती हैं. फिर बिहारी अपने सारे आदमियों को कमरे से बाहर जाने के लिए बोल देता है और बाहर से दरवाज़ा लॉक करवा देता हैं.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं. तुम किस पिक्चर की बात कर रहे हो.

बिहारी- समझ जाएगी इतनी जल्दी भी क्या हैं. चल यहीं आराम से सोफे पर बैठ जा तुझे अभी बहुत कुछ दिखाना हैं.

राधिका ना चाहते हुए भी वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं. तभी बिहारी दीवार पर लगा एलसीडी टी.वी ऑन करता हैं और फिर एक पेनड्राइव उस टी.वी में इनसर्ट करता हैं. थोड़े देर के बाद कुछ फाइल्स वो सेलेक्ट करता हैं और फिर उसे प्ले कर देता हैं.

स्क्रीन पर सबसे पहले एक फोटो आता हैं वो फोटो बिरजू का था. वो उस फोटो को पॉज़ कर देता हैं.

बिहारी स्क्रीन की ओर देखते हुए बोलता हैं- ये था मेरा सबसे ख़ास वफ़ादार नौकर. यानी तेरा बाप बिरजू. सालों से मेरा यहाँ पर नौकरी किया. मेरे हर सुख दुख में मेरा साथ दिया. मगर आख़िरकार तेरी ही वजह से इसने मेरे से यानी अपने मालिक तक को छोड़ने को राज़ी हो गया. पहले तेरा बाप मेरे हर इशारों पर नाचता था मगर तेरी वजह से वो मेरे यहाँ काम तक छोड़ने का फ़ैसला कर बैठा और आज मेरे ही खिलाफ वो खड़ा हो गया. खैर कोई बात नहीं. मुझे इसका कोई गम नहीं हैं.

राधिका- लेकिन तुम ये सब मुझे क्यों बता रहे हो. इन सब से मेरा क्या लेना देना हैं.

बिहारी- तू सवाल बहुत पूछती हैं. चिंता मत कर आज तेरे सारे सवालों का जवाब मिल जाएगा. बस चुप चाप देखती जा.

बिहारी आगे बोलना शुरू करता हैं- तेरे बाप की एक आदत मुझे बहुत पसंद थी वो कभी कुछ बोलता नहीं था जो भी मैं कुछ कह देता था वो इनकार नहीं करता था. इसलिए वो मुझे पसंद था.

बिहारी फिर टी.वी स्क्रीन पर अगला इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. अगला इमेज कृष्णा का था.

बिहारी- ये भी मेरा ख़ास नौकर था कृष्णा यानी कि तेरा भाई. बरसों से इसने भी अपने बाप की तरह ईमानदारी से मेरी हर बात मानी. मगर इसकी कमज़ोरी थी औरत. ये औरत के लिए कुछ भी कर सकता था. और इसे सबसे ज़्यादा तू पसंद थी. अगर तू इसकी बेहन नहीं होती तो ये तुझसे ही शादी कर लेता. मैने कई बार तेरे बाप से तुझसे शादी की बात कही मगर ये तेरा भाई नहीं चाहता था कि तू मेरी बीवी बने. एक दो बार तो मुझसे भी ये लड़ाई कर बैठा था तेरे कारण. खैर कोई बात नहीं इसके अंदर भी बेईमानी आ गयी थी जब से तू इसका ख्याल रखने लगी. जानती हैं ना मैं किस ख्याल की बात कर रहा हूँ. बिहारी के ऐसे पूछे गये सवाल से राधिका शरम से अपनी गर्देन नीचे कर लेती हैं.

खैर मुझे कृष्णा का भी अफ़सोस नहीं हैं. मगर इसमें कृष्णा की भी कोई ग़लती नहीं हैं. शायद मैं भी इसकी जगह होता तो यही करता. आख़िर तू हैं ही ऐसी चीज़. खैर आगे बढ़ते हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं. ये वही आदमी था जो बिरजू और कृष्णा को पैसे दिया था पार्वती का मर्डर करवाने के लिए.

बिहारी- इसे तो तू नहीं जानती होगी. ये भी मेरा ही आदमी हैं. मगर ये कांट्रॅक्ट पर काम करता हैं. इसका नाम इक़बाल हैं. बहुत दिनों से पोलीस इसकी तलाश कर रही हैं. और अब ये आदमी मेरे लिए भी ख़तरा बन चुका हैं. क्यों कि मैं जानता हूँ कि अगर ये राहुल के हाथ लग गया तो मेरा भी खेल ख़तम. इसलिए मैने इसका भी बंदोबस्त कर दिया हैं. ये जल्दी ही राहुल के हाथ लगेगा मगर इससे राहुल को कोई फ़ायदा नहीं होने वाला. खैर आगे बढ़ते हैं.

बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं- इसे तो तू आच्छे से जानती होगी तन्या .............उर्फ मोनिका.. ये मेरी ही रखैल हैं. बेचारी किस्मत की मारी हैं. इसके पति का मौत हो चुका हैं वो ट्रक ड्राइवर था. पति के मौत के बाद इसके घर वालों ने भी इसे अपने पास रखने से इनकार कर दिया. फिर ये अपने ससुराल गयी वहाँ भी इसके ससुराल वालों ने इसे बाहर का रास्ता दिखाया. तब से ये मेरी शरण में हैं. और अब मेरे ही इशारों पर काम करती हैं. मैने ही इसे तेरे पास भेजा था कि ये तेरे बारे में मुझे सारी जानकारी बताती रहेगी. और इसने अपना काम बखूबी निभाया..

राधिका- लेकिन क्यों. क्यों किया तुमने मेरे साथ ऐसा.???

बिहारी- बस तेरी चाहत की वजह से. मैं तुझे पाना चाहता था. बस इसी दीवानगी ने मुझे ये सब करने पर मज़बूर कर दिया.

राधिका- तुम जिस चाहत की बात कर रहे हो बिहारी वो चाहत नहीं हवस हैं. तुम्हारा चाहत बस मेरी जिस्म हैं और कुछ नहीं.

बिहारी- जिस्म जब मिलते हैं तभी तो चाहत भी पूरी होती हैं. तुझे क्या पता कि मैं तेरे लिए कितना बेचैन रहता हूँ. खैर ये तो बाद की बात हैं. फिर बिहारी टी.वी स्क्रीन पर नेक्स्ट इमेज फॉर्वर्ड करता हैं.

सामने राहुल का फोटो था. ये हैं तेरी मोहब्बत और मेरे लिए सबसे बड़ा काँटा. ये तो अपने फ़र्ज़ की राह पर चलना नहीं छोड़ेगा और दिन ब दिन मेरे लिए मुसीबत बनता जाएगा. मैं तो चाहता तो इसको मरवा चुका होता मगर मुझसे ये तेरा दुख देखा नहीं जाएगा इसलिए मैने अभी तक राहुल पर कोई आक्षन नहीं लिया.
 
राधिका- तो इसका मतलब अब तक राहुल पर जो भी हमले हुए थे इन सब के पीछे तुम नहीं थे.

बिहारी- नहीं मेरी जान .अगर मुझे ये सब करना होता तो शायद अब तक राहुल इस दुनिया में ज़िंदा नहीं होता. हां लेकिन मैं जानता हूँ की राहुल के उपर किसने हमला करवाया था. खैर तुझे बहुत जल्द मैं उस शख्स से भी मिल्वाउन्गा. इतना समझ ले आज अगर राहुल ज़िंदा हैं तो बस तेरी वजह से. अगर तू चाहती हैं कि मैं राहुल को कोई नुकसान ना पहुन्चाऊ तो बस अब जो मैं कहूँगा तू मेरी बात मानती जाना. विश्वास कर मेरा बिहारी जान दे देगा मगर अपनी ज़ुबान से नहीं फ़िरेगा.

राधिका कुछ बोल नहीं पाती और चुप चाप टी.वी स्क्रीन की ओर देखने लगती हैं. नेक्स्ट इमेज में दो नकाबपोश की फोटोस थी.

इसे तू नहीं जानती ये शार्प शूटर हैं. और ये कांट्रॅक्ट लेकर मर्डर करते हैं. इनका निशाना इतना पर्फेक्ट है कि ये बस आवाज़ सुनकर भी अपने शिकार को पल भर में मार सकते हैं. और एक बात तुझे बता देता हूँ मैने राहुल को मरवाने के लिए इन्हें 5 लाख रूपीए दिए हैं. बस मेरे हां करने की देर हैं फिर तेरा राहुल इस दुनिया से ख़तम.

राधिका के दिल में डर बैठ जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी- बिल्कुल हो सकता है अब सब कुछ तेरे हाथ में हैं अब सब कुछ तेरे फ़ैसले पर निर्भर हैं. अगर तू चाहे तो राहुल बच सकता हैं नहीं तो...................

बिहारी फिर अगला फोटो फॉर्वर्ड करता हैं. सामने निशा की तस्वीर थी.

बिहारी- इसे तो तू अच्छे से जानती होगी . ये तेरी सहेली निशा हैं. तेरे ही तरह मस्त आइटम. जितनी खूबसूरत तू हैं उतनी ये भी हैं. और मैं जानता हूँ कि तू इसे अपनी जान से ज़्यादा चाहती हैं या यू कह सकता हूँ कि ये तेरी जान हैं. अगर इसे दर्द होगा तो तुझे तकलीफ़ होगी. वैसे तुम्हारी जोड़ी और दोस्ती तो कमाल की हैं. हरदम एक दूसरे के लिए जान देने को तैयार रहते हो. अगर सोच अगर यही तेरी निशा को कुछ हो गया तो तू इसके बिना कैसे रह पाएगी.

राधिका- नहीं बिहारी निशा को कुछ मत करना. भगवान के लिए मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ. उसे इन सब में मत घसीटो.

बिहारी- मैं जानता था कि तू निशा को कुछ भी बुरा होते हुए नहीं देख सकती. खैर मैं भी तेरे से उतना ही प्यार करता हूँ जितना तू निशा और राहुल से करती हैं.

राधिका- मगर तुम इन सब का फोटो मुझे क्यों दिखा रहे हो. आख़िर क्या जताना चाहते हो तुम.

बिहारी- सब्र कर मेरी जान आभी तो तुझे बहुत कुछ दिखाना हैं. थोड़ा अपने दिल और मज़बूत कर ले.

बिहारी फिर दूसरा फ़ाइल खोलता हैं और कुछ वीडियो क्लिप्स उस फोल्डर में रहता हैं वो एक एक कर उन्हें प्ले कर देता हैं. जब राधिका की नज़र उस वीडियो पर पड़ती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं. उस वीडियो में राधिका पूरी तरह से नंगी हालत में अपने भाई से चुदवा रही थी. ये सब देखकर उसका गला सूख जाता हैं. इसी तरह वो कई सारी फिल्म्स के छोटे छोटे क्लिप्स उसे दिखाता हैं.

बिहारी थोड़ी देर तक ऐसे ही कई सारे वीडियोस प्ले करता हैं फिर वो उसे बंद कर देता हैं- अभी तो मैने बस तुझे ये तेरा ट्रेलर दिखाया हैं. तेरी ऐसी नंगी वीडियो का मेरे पास पूरा आल्बम रखा हुआ हैं. सोच अगर ये वीडियो मैं अगर राहुल को दे दिया तो या फिर इसे नेट पर डाल दिया तो........................

राधिका- नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकते.

बिहारी हंसते हुए- बिल्कुल कर सकता हूँ अगर तू चाहती हैं कि मैं ये वीडियो किसी को ना दिखाऊ तो जो मैं चाहता हूँ वो तुझे करना होगा.

राधिका- तो तुम मुझे ब्लॅकमेलिंग कर रहे हो.

बिहारी- नहीं मैं ब्लॅकमेलिंग नहीं तुझसे एक डील कर रहा हूँ. और मैं जानता हूँ कि तू मेरे साथ कोओपरेट करेगी.

राधिका- मैं कुछ समझी नहीं???

बिहारी- तो फिर सुन- अब तक मैने जितने भी फोटोस तुझे दिखाए हैं इनका सब के साथ तेरा कनेक्षन हैं. और इन सब की ज़िंदगी भी अब तेरे ही हाथों में हैं.

राधिका- मेरे हाथों में...... मतलब???

बिहारी- अगर तू चाहती हैं कि मैं तेरे बापू और कृष्णा को जैल से आज़ाद करवा दूँ, फिर से तेरा परिवार एक हो जाए. अगर तू चाहती हैं कि तेरा राहुल ज़िंदा रहे और मैं तेरी वो नंगी वीडियोस उसे कभी ना दिखाऊ और या फिर तू ये नहीं चाहती कि अब निशा भी इस प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में ना आए तो फिर मैं जो भी चाहता हूँ तुझे वो सब मेरे लिए करना होगा. बोल मंज़ूर हैं.

राधिका- तो मुझे क्या करना होगा. क्या......... तुमसे शादी.

बिहारी- शादी नहीं तुझे मेरी रखैल बनना पड़ेगा वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए. क्यों कि तेरी जैसी मस्त आइटम के लिए एक रात तो बहुत ही छोटी हैं. मैं तुझे पूरे एक हफ्ते तक अपनी रखैल बनाकर रखना चाहता हूँ. अगर तुझे मेरी ये डील पसंद ना आए तो फिर मैं तेरी अब कोई भी मदद नहीं कर सकता.

राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.

बिहारी- एक बात तो मैं जानता हूँ कि अगर किसी को दिल से चाहो तो वो किसी भी हाल में मिल जाती हैं चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती से. और मैं अब जानता हूँ कि तू मुझे निराश नहीं करेगी. एक बात जान ले राधिका मैं तुझपर कभी भी दबाव नहीं दूँगा. मैने फ़ैसला तेरे हाथों छोड़ दिया हैं. और तू चाहे तो इन सब की ज़िंदगी बचा सकती हैं और चाहे तो मिटा सकती हैं. फ़ैसला तुझे करना हैं आगे तेरी मर्ज़ी.

राधिका- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम मुझे एक हफ्ते के बाद आज़ाद कर दोगे और राहुल निशा और मेरे भैया इन सब को छोड़ दोगे.

बिहारी- विश्वास तो तुझे मुझ पर करना ही पड़ेगा. अगर तू चाहे तो मैं एक कांट्रॅक्ट लेटर पर लिख देता हूँ तुझे इस बात की तसल्ली मिल जाएगी. अगर तेरा दिल इस बात की गवाही दे तो तू मेरा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर सकती हैं. वरना अपनी आँखों से अपने चाहने वालों की बर्बादी देख लेना.

राधिका समझ चुकी थी कि अब चाहे जो हो जाए आब उसे बिहारी के सामने अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगानी ही पड़ेगी .आज वो बहुत बुरी तरह से फँस चुकी थी.

बिहारी- सोच क्या रही हैं राधिका अगर तुझे टाइम चाहिए तो मैं तुझे एक दो दिन की मोहलत दे सकता हूँ. खूब सोच समझ कर फ़ैसला करना. और एक बात मैं ये बात भी जानता हूँ कि तेरी ये सहेली भी अब राहुल से ही प्यार करती हैं और तू भी राहुल को ही चाहती हैं. आज तेरे पास यही एक मौका हैं अपनी दोस्ती और प्यार दोनो को बचाने का. और वैसे भी अब राहुल तुझे कभी आक्सेप्ट नहीं करेगा जब वो जान जाएगा कि तेरे भाई के साथ तेरा नाजायज़ संबंध हैं. और तू दुनिया वालों की नज़र से कितना भी छुपा ले मगर तू अपने आप से झूट कभी नहीं बोल पाएगी. तेरी आत्मा भी इस बात की कभी गवाही नहीं देगी. और हो ना हो ये बात तो राहुल को कभी ना कभी तो पता लगेगी ही. फिर सोच ले तेरा क्या हश्र होगा.

वैसे एक बात मैं कहूँगा............... गीता में भी ये बात कही गयी हैं कि अगर पृथ्वी पर यदि कोई बड़ा संकट आए तो अगर एक देश को मिटा देने से बाकी देशों को बचाया जा सकते हैं तो नीति के अनुसार हमें उस देश की कुर्बानी दे देनी चाहिए.. ठीक उसी प्रकार अगर 10 सहर को मिटा कर 40 सहर बच सकता हैं तो उन 10 सहरों को बलिदान कर देना चाहिया. ताकि वो 40 सहर सुरक्षित रहे.आज तेरे सामने भी कुछ ऐसा ही परिस्थिति हैं. अगर तेरी बलिदानी से तेरा राहुल , कृष्णा तेरा बापू और तेरी सहेली निशा इन सब की ज़िंदगी आबाद हो सकती हैं तो धरम के अनुसार तेरा बलिदान देना ही सही हैं. वरना आगे तू खुद समझदार हैं.

बिहारी की ऐसी बातें सुनकर राधिका की कई सारी मुश्किलों का हल तो मिल गया था मगर उसका दिल इस बात की गवाही नहीं दे रहा था.वो तो खुद यही चाहती थी कि वो निशा और राहुल के बीच से हमेशा के लिए हट जाए. और इसके बदले चाहे खुद को ही क्यों ना नीचे गिरना पड़े.आज शायद उसे ये मौका मिल गया था. वो इसी उधेड़ बुन में फँसी हुई थी मगर फिलहाल कोई भी फ़ैसला लेने की स्तिथि में नहीं लग रही थी.

बिहारी- आराम से सोच ले राधिका. कोई जल्दी नहीं हैं. अगर तू कहे तो मैं तुझे दो दिन का टाइम दे सकता हूँ. और हां ये सब बातें अगर तूने किसी को भी बताई तो याद रखना तू तो वैसे भी बर्बाद होगी और साथ साथ तेरे चाहने वाले भी तेरी आँखो के सामने बे-मौत मारे जाएँगे. और ये मत समझना कि तू ख़ुदकुशी कर के इन सारे प्रॉब्लम्स से छुटकारा पा लेगी. अगर तूने ऐसी ग़लती की तो समझ लेना तेरे साथ साथ सब कुछ ख़तम हो जाएगा. तो अब जो भी कदम उठना सोच समझ कर उठाना.

राधिका के चेरे पर पसीने सॉफ छलक रहे थे. उसके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. मगर वो चाह कर भी कोई फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. आज उसका ये प्यार ही उसके लिए अभिशाप बन गया था. और वो ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वला समय उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं अब सब कुछ राधिका के फ़ैसले पर टिका हुआ था. देखना ये था कि राधिका के फ़ैसला से उन सब की ज़िंदगी पर इसका क्या असर होता हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--37

राधिका- मैं तुमसे दो बातें पूछना चाहती हूँ.

बिहारी- बेशक पूछो राधिका. क्या पूछना हैं??

राधिका- पहला तो ये कि जैसे तुमने बताया था कि मोनिका को तुमने ही मेरे पीछे लगाया था ताकि तुम मेरी सारी इन्फर्मेशन जान सको. तो क्या वो फोन कॉल भी मोनिका ने ही तुम्हारे कहने पर किया था जिस वक़्त मेरे भैया एक वैश्या के पास थे और मैने उनको रंगे हाथों पकड़ा था.

बुहरी- कमाल का दिमाग़ पाया हैं तुमने राधिका. तुम जो सोच रही हो वही सच हैं. वो कॉल मोनिका ने ही किया था मगर मैने उसे नहीं कहा था ये सब करने के लिए. उसने तो बस अपनी आज़ादी और जान बचाने के लिए उसने ऐसा किया होगा.

राधिका- आज़ादी..........मैं कुछ समही नहीं???

बिहारी- हां मैने ही उसके साथ डील की थी कि वो तुम्हें मेरे पास ले आएगी एक महीने के अंदर और इसके बदले मैं उसे आज़ाद कर दूँगा बस इसी वजह से उसने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हें फँसाया.

राधिका- तुम इतने भी नीचे गिर सकते हो ये मैने कभी सोचा नहीं था. मैं जानती थी कि तुम कमिने हो मगर इतने बड़े कमिने निकलोगे मुझे इसका बिल्कुल अंदाज़ा भी नहीं था.

बिहारी- अभी तुमने मेरा कमीनपन देखा ही कहाँ हैं. खैर मैने तुझे एक बार कहा था कि तुझे पाने के लिए मुझे चाहे कोई भी नीति क्यों ना अपनानी पड़े मैं तुझे किसी भी हाल में हासिल ज़रूर करूँगा. और देख आज तू मेरे सामने हैं.

राधिका- और दूसरी बात ये कि चलो मान लिया कि तुम मुझे अपनी रखैल बनाकर रखना चाहते हो वो भी पूरे एक हफ्ते के लिए तो तुमने ये कैसे सोच लिया कि राहुल के होते हुए तुम ऐसा कर पाओगे. वो तो मुझसे हर रोज़ मिलने आता हैं. और अगर मैं उससे एक दिन भी नहीं मिली तो वो ये पूरा सहर छान मारेगा. फिर भला ये कैसे मुमकिन हैं.

बिहारी- उसकी चिंता तू मत कर. भले ही राहुल तुझे रोज़ क्यों ना मिलता हो पर अगर वो इस सहर में रहेगा तभी तो तुझसे मिलने आएगा. मैं उसे कहीं एक हफ्ते के लिए इस सहर से बाहर भेज दूँगा. आख़िर मैने भी इतने सालों से पॉलिटिक्स में झक नहीं मारा हैं. आख़िर मेरा भी सोर्स और पवर हैं वो किस दिन काम आएगा. बस तू अपना फ़ैसला बता दे मुझे तेरे फ़ैसले का इंतेज़ार हैं.

राधिका के चेहरे पर चिंता और गहरी हो जाती हैं. आज वो इतनी कमजोर हो गयी थी कि आज वो बिहारी के सवालो का भी जवाब नहीं दे पा रही थी. कल तक ना जाने कितनो का मूह बंद करने वाली आज खुद को बिहारी के आगे बेबस महसूस कर रही थी.

राधिका- मुझे थोडा वक़्त चाहिए बिहारी. मैं इस वक़्त कोई भी फ़ैसला नहीं ले सकती.

बिहारी- ठीक हैं मैं तुझे दो दिन की मोहलत देता हूँ. अगर इन दो दिनों में तूने अपना फ़ैसला नहीं बताया तो अपनी बर्बादी का ज़िम्मेदार तू खुद होगी. आगे तू खुद समझदार हैं. और हां जो भी फ़ैसला लेना खूब सोच समझ कर लेना. क्यों कि तेरे उस फ़ैसले पर ना जाने कितनों की ज़िंदीगियाँ टिकी हुई हैं. फिर बिहारी जाकर रूम का दरवाज़ा खोल देता हैं और अपने आदमियों से राधिका को उसके घर अपने गाड़ी से भेजवा देता हैं. थोड़े देर के बाद राधिका अपने घर आती हैं और आकर तुरंत बिस्तेर पर फुट फुट कर रोने लगती हैं. वो बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाले हुई थी. ना जाने कितनी देर तक उसकी आँखों से आँसू बहते रहे.

थोड़ी देर के बाद वो फ्रेश होती हैं और फिर तैयार होकर पोलीसेस्टेशन चली जाती हैं. पोलीसेस्टेशन पहुँचने के बाद वो राहुल से मिलती हैं और राहुल की जब नज़र उसपर पड़ती है तो राधिका की हालत से अंदाज़ा लगा लेता हैं कि राधिका के दिल पर इस वक़्त क्या बीत रही होगी. वो तुरंत जाकर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- राधिका इस वक़्त तुम यहाँ पर. कहो कैसे आना हुआ.

राधिका- राहुल मैं अपने भैया और बापू से मिलना चाहती हूँ इसी वक़्त मगर अकेले में. अगर तुम इसकी इज़ाज़त दो तो.

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं - ये तुम कैस बातें कर रही हो. भला आब तुम्हें मुझसे इजाज़त लेनी पड़ेगी वो भी अपने भाई और बाप से मिलने की. फिर राहुल एक हवलदार को राधिका के साथ भेज देता हैं और वो हवलदार उसे लेकर बिरजू और कृष्णा के पास ले जाता हैं. फिर एक दूसरा हवलदार जाकर कृष्णा और बिरजू को बुलाकर लता हैं.

राधिका- कैसे हो भैया.

कृष्णा- तुझसे अलग रहकर मैं कैसा हो सकता हूँ राधिका. क्या ये भी बताना पड़ेगा.
 
राधिका- भैया जो हुआ वो ठीक नहीं हुआ. ना जाने हमारी इन खुशियों को किसकी नज़र लग गयी. अब तो सब कुछ अच्छे से चल रहा था ...मगर शायद किस्मेत को कुछ और ही मंज़ूर था..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका ये सब मेरी ही ग़लती से हुआ. दुख तो मुझे इस बात का हैं कि मैं एक अच्छे भाई का फ़र्ज़ अदा नही कर सका. और अब तो तेरी शादी होने वाली हैं राहुल के साथ और मैं जानता हूँ कि राहुल तुझे बहुत खुस रखेगा. आच्छा यही होगा राधिका की तू हमे भूल जाना.

राधिका- पता नहीं भैया अब तो मुझे ज़िंदगी से ही डर लगने लगा हैं. ना जाने कब क्या हो जाए. और आज मैं इस लिए आपसे मिलने आई हूँ कि मुझे खुद नहीं मालूम कि आने वाला वक़्त मुझे कहाँ ले जाएगा. पता नहीं कल को मैं आपसे दुबारा मिल पाउन्गि भी की नहीं. इसलिए सोचा मरने से पहले एक बार आपसे मिल लूँगी तो मुझे अपनी ज़िंदगी से कोई शिकवा गिला नहीं रहेगा. और इतना कहते कहते राधिका के आँखों में आँसू आ जाते हैं. कृष्णा भी रोने लगता हैं.

कृष्णा- ये तू कैसी बातें कर रही हैं. तुझे कुछ नहीं होगा. अगर तुझे कुछ हो गया तो ये तेरे भाई भी इस दुनिया में नहीं रहेगा. ये कृष्णा का वादा हैं. नहीं जी पाउन्गा मैं तेरे बगैर. और भगवान के लिए ऐसी बातें मत कर. आज मैं जानता हूँ कि मैने तेरे दिल को कितना दुखाया हैं. और मैने जो किया हैं वो माफी के लायक भी नहीं. फिर भी अगर हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना.

बिरजू- बेटा कृष्णा सही कह रहा हैं. आज जो कुछ भी हुआ हैं इन सब का ज़िम्मेदार मैं हूँ. अगर मैने अपने परिवार की ज़िम्मेदारी बहुत पहले अपने कंधे पर उठाया होता तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता. हो सके बेटा तो तू मुझे माफ़ कर देना. राधिका अपने आँसू पोछती हैं और एक नज़र अपने भैया और बाप को देखती हैं फिर वो बाहर निकल जाती हैं.

राहुल- रिलॅक्स राधिका. जितना तुम्हें दुख हैं उतना मुझे भी दुख हैं मगर मैं अपनी फ़र्ज़ की राह से अपना मूह तो नहीं मोड़ सकता. तुम कहो तो मैं इसी वक़्त तुम्हरे साथ अपने घर चलता हूँ इसी तुम्हारा थोड़ा मूड भी फ्रेश हो जाएगा.

राधिका- नहीं राहुल मैं इस वक़्त अपने घर जाना चाहती हूँ मैं कुछ देर अकेले रहना चाहती हूँ. फिर राहुल ख़ान को बुलवाकर राधिका को उसके घर तक छोड़ देता हैं.

राधिका इस वक़्त वही सब बातें सोच रही थी. उसे तो समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो करे क्या. आज एक तरफ उसके भैया, बाप, उसका प्यार और दोस्ती सब कुछ दाँव पर लगा था और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. वो तो कभी नहीं चाहेगी कि उसकी वजह से किसी को कोई तकलीफ़ हो. फिर वो शराब लेकर पीने लगती हैं शायद वो अपने गम थोड़ा भुला सके. काफ़ी देर तक वो यही सब सोचती हैं और ना जाने कब उसकी आँख लग जाती हैं उसे पता ही नहीं चलता.

दूसरे दिन.......................

करीब 3 बजे बिहारी का कॉल आता हैं राधिका के मोबाइल पर. राधिका जब बिहारी का नंबर देखती हैं तो उसकी दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और उसका गला सूखने लगता हैं. वो अपने काप्ते हाथों से फोन रिसेव करती हैं.

राधिका- हेलो..

बिहारी- अरे मेरी जान आज तेरी आवाज़ में वो जोश नहीं हैं जो पहले था. घबरा मत मैने तेरे पास ये जानने के लिए फोन किया था कि तूने क्या फ़ैसा लिया हैं. अगर तेरा जवाब हां हैं तो मैं कल अपने आदमी भेज दूँगा 12 बजे तक तुझे लेने के लिए. और अगर नहीं हैं तो फिर तेरे घर पर 12 बजे तक तेरे चाहने वालों की लाशें पहुँच जाएगी. अब बता तू क्या चाहती हैं.

राधिका- मैने अभी ...........कुछ सोचा नहीं हैं.....मुझे एक घंटे का टाइम दो मैं तुम्हें बता दूँगी की मेरा फ़ैसला क्या हैं..

राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. आज वो कोई भी फ़ैसला नहीं ले पा रही थी. उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि वो बिहारी को क्या जवाब दे. एक तरफ उसके चाहने वाले और दूसरी तरफ उसकी बर्बादी. उसे अपनी चिंता नहीं थी वो बस राहुल को खोना नहीं चाहती थी. काफ़ी देर तक वो इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं फिर अचानक से उसके मन में कुछ ख्याल आता हैं और वो ये सोचकर अपने इरादे मज़बूत कर लेती हैं. थोड़े देर के बाद बिहारी का दुबारा से फोन आता हैं. राधिका वो फोन रिसीव करती हैं.

बिहारी- कुछ सोचा कि नहीं मेरी जान. या अभी तुझे और वक़्त चाहिए.

राधिका- बिहारी मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंज़ूर हैं जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी मगर...........

ये सुनकर बिहारी ख़ुसी से झूम उठता हैं- मगर क्या............

राधिका- मैं चाहती हूँ कि ये सब के बारे में तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे और मेरी जितनी भी तुमने फिल्म शूट की हैं वो सब तुम मुझे एक हफ्ते के बाद लौटा दोगे और उसके बाद तुम मुझसे ना कभी मिलोगे और ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई दखल अंदाज़ी करोगे. और निशा राहुल मेरे भैया और बापू इन सब की भी ज़िंदगी में कोई हस्तक्षेप नहीं करोगे. अगर मेरी ये सारी शर्तें तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं तुम्हारे साथ वो सब करने को तैयार हूँ.

बिहारी- ठीक हैं राधिका मैं तुझे वचन देता हूँ कि मैं तेरा ये राज़ कभी किसी को नहीं बताउन्गा और एक हफ्ते के बाद तू बिल्कुल आज़ाद हैं. मुझे तेरी सारी शर्तें मंज़ूर हैं मैं कभी किसी के ज़िंदगी में कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करूँगा. और हां कल दोपहर तक मैं अपनी गाड़ी भेज दूँगा और हां मैं जो कपड़े भेजूँगा तुझे वही पहन कर मेरे पास आना हैं मुझे अब तेरा बेसब्री से इंतेज़ार हैं...और बिहारी इतना कहकर फोन रख देता हैं.
 
राधिका के चेहरे पर चिंता की लकीरे और गहरी हो जाती हैं. वो आचे से जानती थी कि आज जो उसने कदम उठाया हैं वो उसे सीधा मौत के मूह तक लेकर जाएगा. मगर उसके पास और कोई चारा भी तो नहीं था. और वो ये बात भी अच्छे से जानती थी कि आने वाला वो पल उसके लिए कितना भयानक होने वाला हैं मगर आज उसको इन सब हालातों से अकेले सामना करना था शायद अपनों की ज़िंदगी बचाने के लिए...........

शाम को राहुल राधिका से मिलने आता हैं. राधिका राहुल को देखकर दौड़ कर उसके सीने से लिपट जाती हैं और फफक फफक कर रोने लगती हैं. राधिका को ऐसे रोता देखकर राहुल भी थोड़ा घबरा जाता हैं. और उसके सिर पर बड़े प्यार से अपने हाथ फिराता हैं.

राहुल- क्या हुआ जान. किसी ने कुछ कहा क्या ????

राधिका- नहीं राहुल कुछ अच्छा नहीं लग रहा. मुझे बहुत घबराहट हो रही हैं. पता नहीं एक डर सा लग रहा हैं. आज हो सके तो तुम यहीं पर मेरे पास रुक जाओ. आज की रात मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ फिर पता नहीं कब दुबारा ये मौका मिले ना मिले..

राहुल एक नज़र राधिका को देखता हैं- क्या बात हैं राधिका तुम ऐसी बाते क्यों कर रही हो. कहीं कोई बुरा ख्वाब तो नहीं देखा ना.

राधिका अपने ज़ज्बात को काबू में करती हैं- हां शायद..............कोई बुरा सपना ही देखा होगा.

राहुल- क्या करू जान मैं तो यही सोचकर आया था कि आज मैं तुम्हारे साथ रहूँगा मगर अभी डीजीपी सर का फोन आया था मुझे आज रात में ही मुंबई निकलना पड़ेगा. वहाँ पर एक केस फँसा हुआ हैं और डीजीपी सर का आदेश हैं कि वो केस मैं ही हॅंडल करूँ.

राधिका समझ गयी थी कि ये सब बिहारी ने ही करवाया हैं -कितना वक़्त लग जाएगा राहुल तुम्हें आने में.

राहुल- मैं बहुत जल्द कोशिश करूँगा जान फिर भी एक हफ़्ता तो लग ही जाएगा. और जैसे ही मैं आउन्गा हम दोनो तुरंत शादी कर लेंगे. आख़िर 8 दिन ही तो बचे हैं हुमारी शादी को. फिर मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.

राधिका के चेहरे पर मायूसी छा जाती हैं मगर वो राहुल को रोकने की कोशिश नहीं करती.

राहुल बड़े प्यार से राधिका के लिप्स को चूम लेता हैं और उसकी आँखों में बड़े प्यार से देखने लगता हैं. अब भी राधिका की आँखों में आँसू थे.

राहुल- क्या हुआ जान तुम्हारे चेहरे पर ऐसी उदासी अच्छी नहीं लगती. बस एक हफ्ते की तो बात हैं मेरा भी बिल्कुल मन नहीं कर रहा जाने को मगर क्या करें ये नौकरी साली हैं ही ऐसी चीज़. जहाँ ले जाए जाना पड़ता हैं. और चिंता मत करो मैने आने से पहले ही निशा को फोन कर दिया था. वो अब थोड़ी देर में आती ही होगी. आज वो तुम्हारे पास रुक जाएगी फिर तुम्हें मेरी याद भी नहीं आएगी.

राधिका- ठीक हैं राहुल जैसा तुम्हें ठीक लगे.

राहुल- अब मैं चलता हूँ जान. मैं पहले घर जाउन्गा फिर मुझे समान भी तो पॅक करना हैं. और वैसे भी फोन से बराबर तुमसे बात होती ही रहेगी. बस अपना ख्याल रखना. और राहुल इतना बोलकर वो बाहर जाने के लिए मुड़ता हैं तभी राधिका दौड़ कर राहुल के पीछे से लिपट कर रोने लगती हैं. राहुल फिर राधिका की ओर मूह करता हैं फिर उसे अपने सीने से लगा लेता हैं.

राहुल- बस करो जान. मैं कोई हमेशा के लिए थोड़ी ही ना जा रहा हूँ. बस एक हफ्ते की तो बात हैं. देख लेना एक हफ़्ता यू ही गुजर जाएगा. फिर मैं प्रॉमिस करता हूँ कि उसके बाद तुमसे कभी दूर नहीं जाउन्गा.

राधिका- जा रहे हो राहुल मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी मगर इतना याद रखा कि राधिका हर पल हर घड़ी तुम्हारे लौटने का इंतेज़ार करेगी. मुझे तुम्हारा इंतेज़ार रहेगा मगर इतना ज़रूर याद रखना कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारी राह देखते देखते कहीं मेरी जान ना निकल जाए. मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतेज़ार करूँगी राहुल........आइ लव यू.
 
राहुल राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं फिर वो तेज़ी से घर के बाहर निकल जाता हैं. वो जानता था कि और वो थोड़ी देर राधिका के पास रुका तो वो भी रो देगा. बड़े मुश्किल से वो अपने ज़ज्बात को काबू में रखता हैं और सीधा अपने घर की ओर निकल जाता हैं. राधिका वहीं बुत की तरह खड़ी चुप चाप राहुल को जाता हुआ देख रही थी. अब भी उसकी आँखों में आँसू थे. राहुल को तो इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि आज राधिका कितनी बड़ी मुसीबत में हैं. शायद यही तो वो प्यार और समर्पण की भावना थी राधिका के अंदर जो अपनी परवाह किए बगैर बस वो अपने प्यार पर कोई आँच तक नहीं आने देना चाहती थी.

राधिका कुछ देर तक ऐसे ही गुम सूम सी बैठी रहती हैं फिर वो जाकर शराब की बॉटल निकाल कर पीने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद निशा भी आ जाती हैं.

निशा जब राधिका के हाथों में शराब की बॉटल देखती हैं तो वो कुछ कह नहीं पाती . वो जानती थी कि आज राधिका कितनी टूट चुकी हैं. वो उसे और दुखी नहीं करना चाहती थी.

निशा- राधिका कभी तो ये शराब को अपने से दूर रखा कर. देख अपने आप को क्या हालत बना रखी हैं. अगर ऐसे ही पीती रहेगी तो मर जाएगी एक दिन.

राधिका- अच्छा तो हैं निशा और वैसे भी अब जीने में क्या रखा हैं. लेकिन भगवान मेरे जैसे को मौत भी इतनी आसानी से नहीं देगा.

निशा- चुप कर राधिका. हर वक़्त उल्टी सीधी बातें करती रहती हैं. मैं जानती हूँ कि आज तेरे दिल पर क्या गुजर रही होगी मगर ये कोई तरीका नहीं हैं अपने गम भूलने का.

राधिका- तू फिर शुरू हो गयी. ठीक हैं आज तू भी अपनी भडास निकाल ले. और वैसे अब तू ही तो हैं जो अब मेरे पास है.

निशा कुछ नहीं कहती और राधिका को अपने सीने से लगा लेती हैं. कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे रहते हैं.

निशा- चल तू आराम कर मैं तेरे लिए खाना बना देती हूँ. फिर निशा जाकर खाना बनाने लगती हैं. फिर थोड़ी देर के बाद वो राधिका के पास आती हैं फिर दोनो खाना खाते हैं.

राधिका- एक बात कहूँ निशा तू बुरा तो नहीं मानेगी ना.

निशा- हां पूछ मैं तेरी बातो का क्यों बुरा मानूँगी.

राधिका- कहीं ऐसा तो नहीं हैं ना कि तू भी राहुल से ही प्यार करती हैं. अगर ऐसा हैं तो मुझे बता देना मैं राहुल से तेरे लिए बात करूगी. वो अक्सर तेरी तारीफ़ करता हैं.

निशा को राधिका की ऐसी बातो को सुनकर एक झटका लगता हैं- तू ये सब क्या बोल रही हैं........राहुल मेरा अच्छा दोस्त हैं मैं उससे कोई प्यार व्यार नहीं करती. और तेरी शादी होने वाली हैं राहुल से भला तू ऐसी बातें कैसे कर सकती हैं.

राधिका- आइ आम सॉरी निशा मुझे ऐसा लगा कि तू भी राहुल को चाहती होगी इस लिए पूछ लिया. पर तूने बताया नहीं कि तेरे बाय्फ्रेंड का क्या हुआ.

निशा- वो इस वक़्त सहर के बाहर हैं. अगर आ जाएगा तो मैं उससे बात करूँगी. चल तू भी अब सो जा बहुत रात हो गयी हैं और नशे में तू कुछ भी बके जा रही हैं. फिर राधिका और निशा वहीं एक ही बेड पर सो जाते हैं. मगर निशा को कहाँ नींद आने वाली थी वो तो बस राधिका की बातो को सोचने लगती हैं. ये बात तो निशा समझ रही थी कि राधिका ने उससे मज़ाक में कहीं हैं मगर राधिका ने आज उससे कोई मज़ाक नहीं किया था.

निशा के दिमाग़ में इस वक़्त कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो यही सोच रही थी अगर राधिका को ये बात पता चल जाएगी कि वो भी राहुल को चाहती हैं तो राधिका के दिल पर क्या बीतेगी. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि राहुल की ज़िंदगी में कौन आता हैं........राधिका ....या फिर.....निशा.

उधेर राहुल भी तैयार होता हैं और राधिका का एक पासपोर्ट साइज़ फोटो वो अपने पर्स में रख लेता हैं. और वहीं एक बड़ा सा राधिका का फोटो फ्रेम पर दो गुलाब को फूल रखकर वो मुस्कुरा उठता हैं. ....बहुत जल्द तुम इस घर की रानी बनोगी............. दिल में राधिका के लिए कई तरह के सपने सँजोकर वो अपनी जीप में बैठकर अपने घर से बाहर मुंबई के लिए निकल पड़ता हैं.

सुबेह निशा उठती हैं फिर फ्रेश होकर वो अपने घर के लिए निकल जाती है. राधिका भी उठकर फ्रेश होती हैं. राधिका के दिल में बेचैनी और डर का मिला जुला रूप था. उसका मन सुबह से कहीं नहीं लग रहा था वो बार बार बिहारी की बातो को सोच रही थी. तभी बिहारी का कॉल आता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी वो फोन रिसीव करती हैं.
 
बिहारी- मेरा आदमी अभी थोड़ी देर में तेरे पास आ जाएगा. उसके हाथों से मैं तेरे लिए कपड़े भिजवा रहा हूँ. तू वो ही पहन कर आएगी. और हां जिस तरह से तू अपने भैया के लिए तैयार हुई थी आज तुझे भी उसी तरह तैयार होकर मेरे पास आना हैं. और एक बात तेरी गर्देन के नीचे तेरे शरीर पर कहीं बाल नहीं होना चाहिए. तू समझ रही हैं ना कि मेरा इशारा किस तरफ हैं. अगर नहीं समझी तो बोल खुल कर समझा देता हूँ.

बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका का चेहरे शरम से लाल हो जाता हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- मैं समझ गयी.........तुम्हारा इशारा किस तरफ हैं...जैसे तुम चाहते हो वैसा ही होगा. फिर बिहारी फोन रख देता हैं. और राधिका एक बार फिर से गहरे विचारों में डूब जाती हैं. थोड़ी देर के बाद वो बाथरूम में जाकर अपने जिस्म के सभी हिस्सों के बाल सॉफ करती हैं. फिर वो बाथ लेती हैं.

करीब 11.30 बजे राधिका के घर के सामने एक क्ष्य्लो कार आकर रुकती हैं. उसमें से एक आदमी बाहर निकलता हैं और अपने हाथ में एक पॅकेट लेकर दरवाजे पर दस्तक देता हैं. दस्तक की आहट सुनकर राधिका का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता हैं. राधिका थोड़ी सी हिम्मत करके वो जाकर दरवाज़ा खोलती हैं. सामने एक आदमी काला चस्मा पहने हुए हाथों में एक पार्सल लेकर खड़ा था. वो तुरंत राधिका को देखकर बोल पड़ता हैं-मुझे बिहारी ने आपके पास भेजा हैं. आपको लेने के लिए. और इसमें आपके लिए कपड़े हैं. फिर वो पार्सल राधिका को थमा देता हैं.

राधिका- ठीक हैं तुम यहीं पर बैठो मैं थोड़ी देर में तैयार होकर आती हूँ. फिर राधिका बाथरूम में जाकर अपने सारे कपड़े उतार देती हैं. फिर वो पार्सल खोलती हैं. उसके मन में ये सवाल बार बार आ रहा था कि पता नहीं बिहारी ने मेरे लिए कैसे कपड़े भेजे होंगे. कहीं वो शॉर्ट कपड़े होंगे तो...........कपड़े चाहे जैसे भी हो मगर उसे तो वो पहेने ही थे. जब राधिका पार्सल खोलती हैं तो उसमें एक ट्रॅन्स्परेंट ब्लॅक कलर की साड़ी थी और एक डीप कट ब्लाउस, एक पेटिकोट, साथ में ब्लॅक ब्रा और पैंटी. या यू कहा जाए कि सारे कपड़ों का कलर ब्लॅक था. मगर कपड़े बहुत ही कीमती थे.

वो सबसे पहले पैंटी पहनती हैं फिर ब्रा और बाद में साड़ी. बिहारी ने जो कपड़े राधिका के लिए भेजवाए थे उसमें राधिका पूरी कयामत लग रही थी. गोरी तो पहले से ही थी और उपर से ब्लॅक स्लेवेललेस उसकी खूबसूरती को और रंग बिखेर रहा था. उसे तो उमीद नहीं थी कि बिहारी उसके लिए साड़ी भेजवाएगा. फिर वो बाथरूम से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाती हैं और जाकर एक मॅचिंग कलर का बिंदी , हल्का पिंक कलर का लिपस्टिक, और कान में झुमके कुल मिलाकर वो एक बला की खूबसूरत लग रही थी. फिर वो जाकर अपने अलमारी में से अपनी डायरी और पेन रख लेती हैं. वो कहीं भी जाती थी मगर अपनी डायरी साथ रखती थी. वो उसे अपने बॅग में रख लेती हैं और साथ में अपना मोबाइल भी. फिर वो उस आदमी के साथ अपने घर को लॉक करके वो उस गाड़ी में जाकर बैठ जाती हैं.

थोड़ी देर में वो क्ष्य्लो कार तेज़ी से वहाँ से रवाना हो जाती हैं. जैसे जैसे वक़्त बीतता जाता हैं राधिका की घबराहट और बेचैनी बढ़ने लगती हैं. करीब 1/2 घंटे के सफ़र के बाद वो क्ष्य्लो सहर के बाहर जंगल में जाती हुई दिखाई देती हैं. जंगल में करीब 5 किमी. अंदर जाने पर वो क्ष्य्लो वहीं रुक जाती हैं. राधिका आस पास इधेर उधेर देखने लगती हैं मगर उसे कहीं कुछ दिखाई नहीं देता सिवाए घने पेड़ों के..

राधिका- ये तुम मुझे कहाँ ले जा रहे हो. और तुमने यहाँ जंगल के बीचों बीच गाड़ी क्यों रोक दिया.

ड्राइवर- मालिक ने आपको यहीं पर लाने को कहा था. आप गाड़ी से उतार जाइए यहाँ पर एक अंडरग्राउंड गेस्ट हाउस हैं. मैं आपको वहाँ लेकर चलता हूँ. और वैसे भी इस जगह के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. फिर वो ड्राइवर एक बड़े से पेड़ के नीचे गाड़ी पार्क करता हैं. फिर उसे पेड़ की पत्तियों से धक देता हैं. फिर वो राधिका को अपने साथ चलने का इशारा करता हैं. थोड़ी दूर जाने पर एक लता से घिरा एक ख़ुफ़िया दरवाज़ा मिलता हैं. वो नौकर वो दरवाज़ा खोलता हैं. फिर वो अंडरग्राउंड रास्ते से होते हुए ज़मीन के नीचे एक तहख़ाने में वो जाता हैं और एक मेन गेट ओपन करता हैं. जब दरवाज़ा खुलता हैं तो राधिका की आँखें चौधया जाती हैं.
 
वो जगह बेहद सुन्दर था. ऐसा लग रहा था जैसे वो स्वर्ग में आई हो. अंदर एक बड़ा सा हाल था और अंदर कम से कम तीन चार कमरे थे. चारों तरफ लाइट की रोशनी कुल मिलाकर वो एक आलीशान महल जैसा लग रहा था. राधिका ने तो सोचा भी नहीं था कि इस ज़मीन के अंदर ऐसा भी घर हो सकता हैं. फिर वो बड़े गौर से उन सब चीज़ों को देखने लगती हैं. और वो ड्राइवर उसे वहीं सोफे पर बैठकर वो बाहर निकल जाता हैं.


थोड़ी देर में उस कमरे का दरवाज़ा खुलता हैं और राधिका की धड़कनें फिर से तेज़ हो जाती हैं. सामने बिहारी था. वो मुस्कुराता हुआ राधिका के पास आता हैं और वही सोफे पर बैठ जाता हैं.


बिहारी- कैसा लगा मेरा ये छोटा सा आशियाना. और तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ना यहाँ तक आने में.


राधिका कुछ नहीं कहती और बस चुप चाप बिहारी को देखने लगती हैं.


बिहारी- वैसे एक बात कहूँ राधिका आज तू पूरी क़यामत लग रही हैं. जैसा मैने इन कपड़ों में जैसा सोचा था तू उससे कहीं ज़्यादा सुंदर लग रही हैं. मैं बहुत दिनों से तुझे इन कपड़ो में देखना चाहता था. और मैं जानता था कि तू इन कपड़ों में बेहद खूबसूरत लगेगी. और वैसे भी मेरे पसंदीदा कलर काला ही हैं. क्या हैं ना बचपन से काले काम करते करते मेरी चाय्स ही काली हो गयी.


राधिका एक नज़र बिहारी को देखती हैं फिर अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं.


बिहारी- जानती हैं ये जगह ........ये मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. और उन ख़ास आदमियों में अब तू भी शामिल हैं. क्या हैं ना जब कोई लफडा होता हैं तो मुझे कभी कभी अंडरग्राउंड भी होना पड़ता हैं. इस वजह से मैं कुछ दिन यहाँ आकर रुक जाता हूँ.


राधिका- हां बिहारी तूने तो कमाल की जगह ढूंढी हैं छुपने के लिए. वैसे ये जगह बहुत खूबसूरत हैं.


बिहारी- मगर तुमसे ज़्यादा खूबसूरत नहीं. और वैसे भी मेरा सपना तुझे पाने का आज पूरा हो गया खैर..............


बिहारी- तो अब मुद्दे पर आते हैं. जैसा कि तू जानती हैं कि आज के बाद तू मेरी रखैल बनकर रहेगी. जो मैं चाहूँगा वो तू सब कुछ करेगी बिना सवाल के. या यू समझ ले तू एक हफ्ते तक मेरी गुलाम रहेगी. अगर तूने मेरे किसी भी बात का विरोध किया तो मैं तुझे दुबारा मौका नहीं दूँगा बाकी तू खुद समझदार हैं.


राधिका- हां मैं जानती हूँ तुम मेरी तरफ से बेफिकर रहो बिहारी. मैं तुम्हें किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करूँगी. बस तुम अपनी शर्त याद रखना और मैं अपनी. बोलो अब मैं अपने कपड़े यहीं उतारू या कहीं और ....


बिहारी हंसते हुए- नहीं मेरी जान इतनी जल्दी भी क्या हैं. वैसे भी आज तारीख तुझे पता ही होगा. वैसे तेरी जानकारी के लिए बता देता हूँ. 13-जून-2010. यानी 21-जून को तेरी शादी राहुल से होने वाली हैं और 20 जून को तू यहाँ से आज़ाद हो जाएगी. अब तेरे पास पूरा एक हफ़्ता हैं. और हां मैं चाहता हूँ कि तू हम सब का पूरा साथ देगी कहीं मुझे ऐसा ना लगे कि मैं तेरा बलात्कार कर रहा हूँ.


राधिका- हम सब का.....................मतलब. और कौन कौन लोग होंगे तुम्हारे साथ.


बिहारी- यार तू सवाल बहुत पूछती हैं. चल आज तुझे एक ऐसे शख्स से मिलवाता हूँ जिससे मिलकर तेरे पाँव तले ज़मीन खिसक जाएगी. तू जानना चाहती थी ना कि राहुल के पीछे जो हमले हुए थे उसका मास्टरमाइंड कौन था. अगर तू उसे एक बार देख लेगी तो तू कभी विश्वास नहीं करेगी. ये देख तेरे सामने हैं वो........तभी बिहारी अपने हाथ से डरवज़े की ओर इशारा करता हैं. और तभी दरवाज़ा खुलता हैं. सामने एक शख्स खड़ा हुआ था. वो अपने बढ़ते कदमों से राधिका के करीब आता हैं और जब राधिका उस सख्स के चेहरे को पहचान लेती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.


राधिका- ऐसा नहीं हो सकता.......................इतना बड़ा फरेब......इतना बड़ा विश्वासघात...
 
वक़्त के हाथों मजबूर--38



बिहारी- क्यों झटका लगा ना. मैं जानता था कि तुझे बिल्कुल यकीन नहीं होगा. पर जो तेरे सामने हैं वही सच हैं चाहे तू मान या मत मान.


राधिका के मूह से एक ही शब्द निकल पाया और वो था............................विजय!!!!!


विजय- कैसी हो मेरी जान तुझे यहाँ पर देखकर मुझे आज कितनी खुशी हो रही हैं इसका मैं तुझे बयान नहीं कर सकता. कहते हैं ना अगर किसी चीज़ के पीछे जी जान से लग जाओ तो दुनिया की कोई भी ताक़त उससे उसको पाने से नहीं रोक सकती. और देख आज ना जाने कितने महीनों के बाद आज हमने तुझे हासिल कर ही लिया.


राधिका- धोका.............धोका किया हैं तुम लोगों ने मेरे साथ. आख़िर मैं पूछती हूँ तुम लोगों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया. किस गुनाह की सज़ा मुझे दे रहे हो तुम सब. आख़िर मेरा कसूर क्या हैं...


विजय- कसूर तेरा नहीं बल्कि तेरी ये खूबसूरती का हैं जो तू हमे पहली ही नज़र में भा गयी. कसूर तेरा नहीं बल्कि उस कमिने राहुल का हैं जिसकी तू अब बीवी बनने वाली हैं. कसूर उस राहुल का हैं जिसकी वजह से आज मेरी ये हालत हुई हैं. आज उस कमिने राहुल की वजह से मेरा आज सब कुछ बर्बाद हो गया. और जिस इंसान की वजह से मैं बर्बाद हुआ हूँ उसे मैं कैसे आबाद होता हुआ देख सकता हूँ. मैं जानता हूँ कि उस कमिने की जान तेरे में बसी हैं. और तुझे कोई तकलीफ़ होगी तो उसे दर्द होगा. और मैं उसे वो जख्म दूँगा कि साला ना कभी चैन से जी पाएगा और ना ही मर पाएगा. और जब तक जीयेगा तड़प्ता ही रहेगा.


राधिका के चेहरे का रंग फीका पड़ गया था विजय की ऐसी बातो को सुनकर- क्या.............क्या करोगे तुम मेरे राहुल के साथ...


विजय- चिंता मत कर वक़्त आने दे सब पता चल जाएगा.


राधिका- आख़िर तुम्हारी दुश्मनी क्या हैं राहुल से. क्यों तुम उसके पीठ पीछे ये सब कर रहे हो. शक तो मुझे तुम पर बहुत पहले से था कि राहुल पर जितने हमले हुए हैं उन सब के पीछे तुम्हारा ही हाथ है. मगर अब यकीन हो गया. तुम सच में दोस्त के नाम पर एक गाली हो.


विजय हंसते हुए- चल सबसे पहले तो तेरे मन में उठ रहे सारे सवालों का जवाब दे देता हूँ. तुझे बता दूँगा तो मेरा भी मन थोड़ा हल्का हो जाएगा. जानना चाहती हैं ना कि आख़िर मैं तेरे आशिक़ को क्यों मारना चाहता हूँ और उससे मेरी दुश्मनी की वजह क्या हैं तो सुन..................................


बात तब की हैं जब मैं 8 साल का था. उस समय राहुल भी मेरी ही उमर का था. उसके पिताजी और मेरे पिताजी एक अच्छे दोस्त थे. रोज़ रोज़ आना जाना उठना बैठना सब होता था. ऐसे ही दिन अच्छे से बीत रहे थे. राहुल के पापा एक सर्जिन थे. वो अक्सर ट्रीटमेंट के लिए मनाली से बाहर जाया करते थे. और जब भी जाते वो अपनी पत्नी को साथ लेकर जाते और राहुल को हमारे घर छोड़ जाते. क्यों कि वो अभी पड़ाई कर रहा था जिसके वजह से बार बार जाने आने से उसकी पड़ाई डिस्टर्ब होती थी. ऐसे ही एक रोज़ वो दोनो अपनी कार में बैठकर एक एमर्जेन्सी ऑपरेशन के लिए निकल पड़े तभी तेज़ी से उनके सामने से एक ट्रक आता हुआ दिखाई दिया. वो इसी पहले की कुछ समझ पाते ट्रक बुरी तरह से उनके कार से टकरा चुकी थी. आक्सिडेंट इतना ज़बरदस्त था कि राहुल के मम्मी पापा की ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी थी. और वो ट्रक ड्राइवर भी उस आक्सिडेंट में मारा गया था.


जब ये खबर मेरे पापा और मम्मी को पता लगी तो उनको बहुत बड़ा झटका लगा. उन्हें फिर राहुल की चिंता सताने लगी. वो नहीं समझ पा रहे थे कि राहुल को इस बारे में कैसे बतायें. फिर एक दिन मेरे पिताजी ने हिम्मत कर के ये बात राहुल को बता दी. राहुल का तो रो रो कर बुरा हाल था. ना वो खाना ख़ाता था और ना ही स्कूल जाता था. बस दिन रात रोता रहता था. इसकी सदमे की वजह से उसकी तबीयात बिगड़ने लगी. तभी डॉक्टर ने राहुल को सदमे से बाहर निकालने की बात कही. मेरे पिताजी ने उसे अपने बेटे का दर्जा दे दिया. उस दिन के बाद से वो हमारे साथ हमारे ही घर पर रहने लगा.


राहुल बचपन से ही सीधा साधा लड़का था. वो ज़्यादा ना बेवजह किसी से बात करता और ना ही किसी से ज़्यादा दोस्ती रखता. राहुल धीरे धीरे पढ़ाई पर कॉन्सेंट्रेट करने लगा और समय के साथ साथ मेरे पिताजी और मम्मी की चाहत उसके प्रति बढ़ती गयी. मेरा शुरू से ही पढ़ाई में मन नही लगता था और धीरे धीरे मेरे कुछ आवारा लड़कों से मेरी दोस्ती हो गयी. मेरा एक छोटा भाई भी था उसका नाम कुणाल था. वो मुझ से दो साल छोटा था. वक़्त बीतता गया और मैं धीरे धीरे नशे का अडिक्ट हो गया. वहीं मेरा छोटा भाई भी मुझसे दो कदम आगे निकल गया. वो तो यहाँ तक ड्रग्स भी छुप छुप के लेने लगा था और कभी कभी घर से पैसे भी चुराता था.


ये सब करते हुए एक दिन राहुल ने देख लिया था और जाकर मेरे पापा को सारी बातें बता दी. बस फिर क्या था हम दोनो की खूब पिटाई हुई. मगर ड्रग्स का लत इतनी आसानी से कहाँ छूटती है. मेरा भाई धीरे धीरे ग़लत काम में अडिक्ट हो गया. वहीं दूसरी तरफ राहुल दिन ब दिन स्कूल और सारी चीज़ों में टॉप करता रहा. जिसके वजह से मेरे मा बाप की नज़र में वो सबका लाड़ला बन गया और उसके वजह से हमारे प्रति चाहत मेरे मा बाप की कम होने लगी. यही सब देखकर मुझे अब राहुल से जलन होने लगी थी. मगर मैं उसके खिलाफ जा भी तो नहीं सकता था. अगर वो कोई ग़लत काम करता तभी तो मैं उसकी कमी निकालता. मैं भी बस मौके की तलाश में रहता मगर कभी सफल नहीं हो पाया.


राहुल को हमारे घर रहते करीब 10 साल हो चुके थे. और इधेर कुणाल ड्रग्स का सप्लाइयर बन गया था. और मैं भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. अपने भाई की वजह से मैं भी धीरे धीरे ड्रग्स लेने लगा था. और या यू कह लो कि मैं भी ड्रग्स का अडिक्ट हो चुका था. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी.
 
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