hotaks444
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एक दिन कुणाल बॅग लेकर घर आया. उस बॅग में ड्रग्स के कुछ छोटे छोटे पॅकेट्स थे. शायद वो डेलिवरी देने के लिए लाया होगा. वो जैसे ही अलमारी में अपना बॅग रखा वैसे ही शायद उस बॅग का चैन खुला होगा ड्रग्स के के दो पॅकेट नीचे फर्श पर गिर गये. राहुल की नज़र उस ड्रग्स के पॅकेट पर पड़ चुकी थी. मगर उसे नहीं मालूम था कि वो क्या चीज़ हैं. कुणाल ने उसे झूठा बहाना बना दिया था. तभी दोपहर में जब सब कोई घर पर था पोलीस ने हमारे घर पर छापा मार दिया. और वे लोग कमरे की तलाशी लेने लगे. मेरे पिताजी तो पोलीस को देखकर चौंक पड़े. पोलीस वालों ने बताया कि तुम्हारा बेटा ड्रग्स का धंधा करता हैं और ड्रग्स भी लेता हैं. थोड़े देर तक वे लोग पूरे घर की तलाशी लेते रहे मगर उन्हें घर में कुछ नहीं मिला.
तभी पोलिसेवाले ने एक ड्रग्स का सॅंपल अपनी जेब से निकाला. प्लास्टिक के पॅकेट में सफेद पाउच था. वो उसे मेरे पापा को दिखाने लगा. तभी राहुल को भी सब समझ में आ गया कि सुबेह जो कुणाल के बॅग में वो पॅकेट था वो ड्रग्स ही था. तभी राहुल ने उस पोलिसेवाले को बताया कि आज ही वो कुणाल के पास ऐसा पॅकेट देखा था. फिर क्या था पोलीस वाले ने वहीं पर दो तीन डंडे लगाए तब जाकर कुणाल ने अपना गुनाह माना. फिर वो एक कमरे में (जहाँ पुरानी चीज़ें रखते हैं) उस कमरे में से वो बॅग निकाल का ले आया. फिर क्या था पोलीस ने मेरे बाप के सामने ही कुणाल को हथकड़ी लगा दी.
तभी मौके का फ़ायदा उठाकर वो एक पोलिसेवाले की कमर में बँधा रेवोल्वेर निकाल लिया और उन पोलिसेवालों पर रेवोल्वेर तान दी. ये सब देखकर तो मेरे बाप के होश उड़ गये. तभी एक हवलदार और वो इनस्पेक्टर आगे बढ़ कर कुणाल को पकड़ने के लिए आगे बढ़े ही थे कि कुणाल ने उन्दोनो पर फाइरिंग कर दी. हवलदार की तो ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी और उस इनस्पेक्टर ने भी कुछ देर में अपना दम तोड़ दिया. फिर कुणाल वहाँ से तेज़ी से घर के बाहर निकल गया. और उस दिन के बाद से जो वो घर से बाहर गया फिर आज तक नहीं लौटा. फिर ये सब देखकर तो मेरे बाप को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका अपना बेटा ऐसा काम भी कर सकता हैं. वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पाए और दूसरे दिन उन्होने पंखे से लटकार अपनी जान दे दी.
मैं चुप चाप बैठकर अपने घर की बर्बादी देखता रहा. ये सब उस राहुल की वजह से हुआ था. इतना सब कुछ होने के बावजूद मेरी मा ने उसको दोषी नहीं माना. फिर मुझसे भी नहीं बर्दास्त हुआ और मैने राहुल से एक दिन झगड़ा करके उसे अपने घर से निकाल दिया. कुछ दिन तक तो मेरी मा मेरे साथ रही मगर वो भी जान गयी थी कि मैं भी कुणाल की लाइन पर चल रहा हूँ. वो भी एक दिन मुझसे लड़कर अपने गाँव चली गयी और फिर आज तक नहीं आई. शायद मैने राहुल को अपने घर से अलग कर दिया था.
बाद मैं मैने राहुल से माफी माँगी मगर मेरा इरादा तो उससे प्रतिशोध लेने का था और समय भी मेरा ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए मैं उसके साथ बना रहा ताकि उसकी हर जानकारी लेता रहूं और कभी ऐसा मौका मिलेगा तो मैं वो मौका नहीं चुकुंगा. मैं ना जाने कितने सालों तक अपने भाई को खोजता रहा मगर वो कहीं नहीं मिला. बाद में पता चला कि वो एक प्राइवेट एजेंट हैं ड्रग्स का. मैं भी उससे मिलने वाला था मगर मेरी बदक़िस्मती कि मेरे पहुचने के पहले ही पोलीस उस तक पहुँच चुकी थी. बाद में पोलीस मुठभेड़ में वो मारा गया. और जानती हैं मेरे भाई को मारने वालो में तेरा आशिक़ भी शामिल था यानी राहुल मल्होत्रा. पोलीस की एक टीम ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हालाकी दो तीन पोलीस वाले भी ज़ख़्मी हुए थे मगर मेरे भाई के साथ उसके पाँच आदमी भी मारे गये थे.
मेरा अच्छा ख़ासा हँसता खेलता हुआ परिवार सब उस कमिने की वजह से तबाह हो गया था. फिर मैने भी धीरे धीरे अपने भाई की जगह ले ली और बाद में मुझे बिहारी का साथ मिल गया. उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि मैं राहुल को बर्बाद कर दूँगा. इसलिए आज भी मुझे उससे नफ़रत हैं.
राधिका विजय की बातो को बड़े ध्यान से सुनती है.- लेकिन मेरे ख्याल से तो इसमें राहुल की कोई ग़लती नहीं हैं. सब कुछ तो तुम्हारे भाई कुणाल का ही किया धरा था. और किसी की ग़लती किस पर थोपना ये तो सरासर बेवकूफी है.
विजय- अरे कितना भी है तो वो तेरा आशिक़ हैं और तू उसका पक्ष नहीं लेगी तो किसका लेगी. उसे तो मैं वो जख्म दूँगा कि वो मरते दम तक नहीं भूलेगा. उसे तो मैं अब ऐसा ज़ख़्म दूँगा कि वो जब तक ज़िंदा रहेगा तब तक वो हर पल मरता रहेगा.
विजय की बातो को सुनकर राधिका कुछ कह नहीं पाती क्यों कि वो जानती थी कि इस वक़्त बिहारी का पलड़ा भारी हैं. मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा. आज राधिका अपने आप को बिल्कुल मज़बूर और बेबस महसूस कर रही थी.
बिहारी- एक बात और तुझे बताना चाहता हूँ. अब तो तू ये बात जान ही गयी होगी कि विजय मेरा राइट हॅंड है और अब मैं तुझे अपने लेफ्ट हंड आदमी से मिलवाना चाहता हूँ. उसे तो तू अच्छे से जानती होगी. अरे वो तो एक बार तेरी ही वजह से जैल जा चुका हैं. मैं जानता हूँ तू उसे एक बार देख लेगी तो तुरंत पहचान लेगी.
राधिका का चेहरा फीका पड़ गया था बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- कौन हैं वो और तुम किसकी बात कर रहे हो और मैने किसको जैल भिजवाया था..................
बिहारी-बताता हूँ मेरी जान थोड़ा धर्य तो रख वो देख सामने फिर बिहारी अपनी एक उंगली से दरवाज़े की ओर इशारा कर देता हैं.
तभी दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शख्स अंदर कमरे में आता हैं. लंबे बाल हाथों में सिगरेट पकड़े हुए- कैसी हैं मेरी चिड़िया. अरे तूने तो मुझे बहुत तडपाया था तेरे लिए तो मैं कितना बेचैन था. तेरी वजह से मुझे पूरे तीन महीने की सज़ा भी हुई. मगर तुझे यहाँ पर देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. उस दिन तो तू बहुत उड़ रही थी ना. अब देख तेरे पंख हम सब बारी बारी मिलकर कुतेरेंगे.फिर देखता हूँ तू कैसे फुदक्ति हैं..............फिर मज़ा आएगा तेरा शिकार करने में.
राधिका को ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी. वो बड़े गौर से उस शास को देखने लगती हैं. जब उस शख्स पर राधिका की नज़र पड़ती हैं तो वो अपने मूह पर दोनो हाथ रखकर अस्चर्य से उस शख्स को देखने लगती हैं. नहीं ये नहीं हो सकता. राधिका के मूह से बस इतने ही शब्द निकल पाए थे............जग्गा.. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि ........................जग्गा था.
तभी पोलिसेवाले ने एक ड्रग्स का सॅंपल अपनी जेब से निकाला. प्लास्टिक के पॅकेट में सफेद पाउच था. वो उसे मेरे पापा को दिखाने लगा. तभी राहुल को भी सब समझ में आ गया कि सुबेह जो कुणाल के बॅग में वो पॅकेट था वो ड्रग्स ही था. तभी राहुल ने उस पोलिसेवाले को बताया कि आज ही वो कुणाल के पास ऐसा पॅकेट देखा था. फिर क्या था पोलीस वाले ने वहीं पर दो तीन डंडे लगाए तब जाकर कुणाल ने अपना गुनाह माना. फिर वो एक कमरे में (जहाँ पुरानी चीज़ें रखते हैं) उस कमरे में से वो बॅग निकाल का ले आया. फिर क्या था पोलीस ने मेरे बाप के सामने ही कुणाल को हथकड़ी लगा दी.
तभी मौके का फ़ायदा उठाकर वो एक पोलिसेवाले की कमर में बँधा रेवोल्वेर निकाल लिया और उन पोलिसेवालों पर रेवोल्वेर तान दी. ये सब देखकर तो मेरे बाप के होश उड़ गये. तभी एक हवलदार और वो इनस्पेक्टर आगे बढ़ कर कुणाल को पकड़ने के लिए आगे बढ़े ही थे कि कुणाल ने उन्दोनो पर फाइरिंग कर दी. हवलदार की तो ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी और उस इनस्पेक्टर ने भी कुछ देर में अपना दम तोड़ दिया. फिर कुणाल वहाँ से तेज़ी से घर के बाहर निकल गया. और उस दिन के बाद से जो वो घर से बाहर गया फिर आज तक नहीं लौटा. फिर ये सब देखकर तो मेरे बाप को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका अपना बेटा ऐसा काम भी कर सकता हैं. वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पाए और दूसरे दिन उन्होने पंखे से लटकार अपनी जान दे दी.
मैं चुप चाप बैठकर अपने घर की बर्बादी देखता रहा. ये सब उस राहुल की वजह से हुआ था. इतना सब कुछ होने के बावजूद मेरी मा ने उसको दोषी नहीं माना. फिर मुझसे भी नहीं बर्दास्त हुआ और मैने राहुल से एक दिन झगड़ा करके उसे अपने घर से निकाल दिया. कुछ दिन तक तो मेरी मा मेरे साथ रही मगर वो भी जान गयी थी कि मैं भी कुणाल की लाइन पर चल रहा हूँ. वो भी एक दिन मुझसे लड़कर अपने गाँव चली गयी और फिर आज तक नहीं आई. शायद मैने राहुल को अपने घर से अलग कर दिया था.
बाद मैं मैने राहुल से माफी माँगी मगर मेरा इरादा तो उससे प्रतिशोध लेने का था और समय भी मेरा ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए मैं उसके साथ बना रहा ताकि उसकी हर जानकारी लेता रहूं और कभी ऐसा मौका मिलेगा तो मैं वो मौका नहीं चुकुंगा. मैं ना जाने कितने सालों तक अपने भाई को खोजता रहा मगर वो कहीं नहीं मिला. बाद में पता चला कि वो एक प्राइवेट एजेंट हैं ड्रग्स का. मैं भी उससे मिलने वाला था मगर मेरी बदक़िस्मती कि मेरे पहुचने के पहले ही पोलीस उस तक पहुँच चुकी थी. बाद में पोलीस मुठभेड़ में वो मारा गया. और जानती हैं मेरे भाई को मारने वालो में तेरा आशिक़ भी शामिल था यानी राहुल मल्होत्रा. पोलीस की एक टीम ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हालाकी दो तीन पोलीस वाले भी ज़ख़्मी हुए थे मगर मेरे भाई के साथ उसके पाँच आदमी भी मारे गये थे.
मेरा अच्छा ख़ासा हँसता खेलता हुआ परिवार सब उस कमिने की वजह से तबाह हो गया था. फिर मैने भी धीरे धीरे अपने भाई की जगह ले ली और बाद में मुझे बिहारी का साथ मिल गया. उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि मैं राहुल को बर्बाद कर दूँगा. इसलिए आज भी मुझे उससे नफ़रत हैं.
राधिका विजय की बातो को बड़े ध्यान से सुनती है.- लेकिन मेरे ख्याल से तो इसमें राहुल की कोई ग़लती नहीं हैं. सब कुछ तो तुम्हारे भाई कुणाल का ही किया धरा था. और किसी की ग़लती किस पर थोपना ये तो सरासर बेवकूफी है.
विजय- अरे कितना भी है तो वो तेरा आशिक़ हैं और तू उसका पक्ष नहीं लेगी तो किसका लेगी. उसे तो मैं वो जख्म दूँगा कि वो मरते दम तक नहीं भूलेगा. उसे तो मैं अब ऐसा ज़ख़्म दूँगा कि वो जब तक ज़िंदा रहेगा तब तक वो हर पल मरता रहेगा.
विजय की बातो को सुनकर राधिका कुछ कह नहीं पाती क्यों कि वो जानती थी कि इस वक़्त बिहारी का पलड़ा भारी हैं. मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा. आज राधिका अपने आप को बिल्कुल मज़बूर और बेबस महसूस कर रही थी.
बिहारी- एक बात और तुझे बताना चाहता हूँ. अब तो तू ये बात जान ही गयी होगी कि विजय मेरा राइट हॅंड है और अब मैं तुझे अपने लेफ्ट हंड आदमी से मिलवाना चाहता हूँ. उसे तो तू अच्छे से जानती होगी. अरे वो तो एक बार तेरी ही वजह से जैल जा चुका हैं. मैं जानता हूँ तू उसे एक बार देख लेगी तो तुरंत पहचान लेगी.
राधिका का चेहरा फीका पड़ गया था बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- कौन हैं वो और तुम किसकी बात कर रहे हो और मैने किसको जैल भिजवाया था..................
बिहारी-बताता हूँ मेरी जान थोड़ा धर्य तो रख वो देख सामने फिर बिहारी अपनी एक उंगली से दरवाज़े की ओर इशारा कर देता हैं.
तभी दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शख्स अंदर कमरे में आता हैं. लंबे बाल हाथों में सिगरेट पकड़े हुए- कैसी हैं मेरी चिड़िया. अरे तूने तो मुझे बहुत तडपाया था तेरे लिए तो मैं कितना बेचैन था. तेरी वजह से मुझे पूरे तीन महीने की सज़ा भी हुई. मगर तुझे यहाँ पर देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. उस दिन तो तू बहुत उड़ रही थी ना. अब देख तेरे पंख हम सब बारी बारी मिलकर कुतेरेंगे.फिर देखता हूँ तू कैसे फुदक्ति हैं..............फिर मज़ा आएगा तेरा शिकार करने में.
राधिका को ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी. वो बड़े गौर से उस शास को देखने लगती हैं. जब उस शख्स पर राधिका की नज़र पड़ती हैं तो वो अपने मूह पर दोनो हाथ रखकर अस्चर्य से उस शख्स को देखने लगती हैं. नहीं ये नहीं हो सकता. राधिका के मूह से बस इतने ही शब्द निकल पाए थे............जग्गा.. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि ........................जग्गा था.