Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 14 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

एक दिन कुणाल बॅग लेकर घर आया. उस बॅग में ड्रग्स के कुछ छोटे छोटे पॅकेट्स थे. शायद वो डेलिवरी देने के लिए लाया होगा. वो जैसे ही अलमारी में अपना बॅग रखा वैसे ही शायद उस बॅग का चैन खुला होगा ड्रग्स के के दो पॅकेट नीचे फर्श पर गिर गये. राहुल की नज़र उस ड्रग्स के पॅकेट पर पड़ चुकी थी. मगर उसे नहीं मालूम था कि वो क्या चीज़ हैं. कुणाल ने उसे झूठा बहाना बना दिया था. तभी दोपहर में जब सब कोई घर पर था पोलीस ने हमारे घर पर छापा मार दिया. और वे लोग कमरे की तलाशी लेने लगे. मेरे पिताजी तो पोलीस को देखकर चौंक पड़े. पोलीस वालों ने बताया कि तुम्हारा बेटा ड्रग्स का धंधा करता हैं और ड्रग्स भी लेता हैं. थोड़े देर तक वे लोग पूरे घर की तलाशी लेते रहे मगर उन्हें घर में कुछ नहीं मिला.


तभी पोलिसेवाले ने एक ड्रग्स का सॅंपल अपनी जेब से निकाला. प्लास्टिक के पॅकेट में सफेद पाउच था. वो उसे मेरे पापा को दिखाने लगा. तभी राहुल को भी सब समझ में आ गया कि सुबेह जो कुणाल के बॅग में वो पॅकेट था वो ड्रग्स ही था. तभी राहुल ने उस पोलिसेवाले को बताया कि आज ही वो कुणाल के पास ऐसा पॅकेट देखा था. फिर क्या था पोलीस वाले ने वहीं पर दो तीन डंडे लगाए तब जाकर कुणाल ने अपना गुनाह माना. फिर वो एक कमरे में (जहाँ पुरानी चीज़ें रखते हैं) उस कमरे में से वो बॅग निकाल का ले आया. फिर क्या था पोलीस ने मेरे बाप के सामने ही कुणाल को हथकड़ी लगा दी.


तभी मौके का फ़ायदा उठाकर वो एक पोलिसेवाले की कमर में बँधा रेवोल्वेर निकाल लिया और उन पोलिसेवालों पर रेवोल्वेर तान दी. ये सब देखकर तो मेरे बाप के होश उड़ गये. तभी एक हवलदार और वो इनस्पेक्टर आगे बढ़ कर कुणाल को पकड़ने के लिए आगे बढ़े ही थे कि कुणाल ने उन्दोनो पर फाइरिंग कर दी. हवलदार की तो ऑन दा स्पॉट डेत हो गयी और उस इनस्पेक्टर ने भी कुछ देर में अपना दम तोड़ दिया. फिर कुणाल वहाँ से तेज़ी से घर के बाहर निकल गया. और उस दिन के बाद से जो वो घर से बाहर गया फिर आज तक नहीं लौटा. फिर ये सब देखकर तो मेरे बाप को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनका अपना बेटा ऐसा काम भी कर सकता हैं. वो ये सदमा नहीं बर्दास्त कर पाए और दूसरे दिन उन्होने पंखे से लटकार अपनी जान दे दी.


मैं चुप चाप बैठकर अपने घर की बर्बादी देखता रहा. ये सब उस राहुल की वजह से हुआ था. इतना सब कुछ होने के बावजूद मेरी मा ने उसको दोषी नहीं माना. फिर मुझसे भी नहीं बर्दास्त हुआ और मैने राहुल से एक दिन झगड़ा करके उसे अपने घर से निकाल दिया. कुछ दिन तक तो मेरी मा मेरे साथ रही मगर वो भी जान गयी थी कि मैं भी कुणाल की लाइन पर चल रहा हूँ. वो भी एक दिन मुझसे लड़कर अपने गाँव चली गयी और फिर आज तक नहीं आई. शायद मैने राहुल को अपने घर से अलग कर दिया था.


बाद मैं मैने राहुल से माफी माँगी मगर मेरा इरादा तो उससे प्रतिशोध लेने का था और समय भी मेरा ठीक नहीं चल रहा था. इसलिए मैं उसके साथ बना रहा ताकि उसकी हर जानकारी लेता रहूं और कभी ऐसा मौका मिलेगा तो मैं वो मौका नहीं चुकुंगा. मैं ना जाने कितने सालों तक अपने भाई को खोजता रहा मगर वो कहीं नहीं मिला. बाद में पता चला कि वो एक प्राइवेट एजेंट हैं ड्रग्स का. मैं भी उससे मिलने वाला था मगर मेरी बदक़िस्मती कि मेरे पहुचने के पहले ही पोलीस उस तक पहुँच चुकी थी. बाद में पोलीस मुठभेड़ में वो मारा गया. और जानती हैं मेरे भाई को मारने वालो में तेरा आशिक़ भी शामिल था यानी राहुल मल्होत्रा. पोलीस की एक टीम ने मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था. हालाकी दो तीन पोलीस वाले भी ज़ख़्मी हुए थे मगर मेरे भाई के साथ उसके पाँच आदमी भी मारे गये थे.


मेरा अच्छा ख़ासा हँसता खेलता हुआ परिवार सब उस कमिने की वजह से तबाह हो गया था. फिर मैने भी धीरे धीरे अपने भाई की जगह ले ली और बाद में मुझे बिहारी का साथ मिल गया. उस दिन के बाद मैने ठान लिया कि मैं राहुल को बर्बाद कर दूँगा. इसलिए आज भी मुझे उससे नफ़रत हैं.


राधिका विजय की बातो को बड़े ध्यान से सुनती है.- लेकिन मेरे ख्याल से तो इसमें राहुल की कोई ग़लती नहीं हैं. सब कुछ तो तुम्हारे भाई कुणाल का ही किया धरा था. और किसी की ग़लती किस पर थोपना ये तो सरासर बेवकूफी है.


विजय- अरे कितना भी है तो वो तेरा आशिक़ हैं और तू उसका पक्ष नहीं लेगी तो किसका लेगी. उसे तो मैं वो जख्म दूँगा कि वो मरते दम तक नहीं भूलेगा. उसे तो मैं अब ऐसा ज़ख़्म दूँगा कि वो जब तक ज़िंदा रहेगा तब तक वो हर पल मरता रहेगा.


विजय की बातो को सुनकर राधिका कुछ कह नहीं पाती क्यों कि वो जानती थी कि इस वक़्त बिहारी का पलड़ा भारी हैं. मेरे चाहने या ना चाहने से कुछ नहीं होगा. आज राधिका अपने आप को बिल्कुल मज़बूर और बेबस महसूस कर रही थी.


बिहारी- एक बात और तुझे बताना चाहता हूँ. अब तो तू ये बात जान ही गयी होगी कि विजय मेरा राइट हॅंड है और अब मैं तुझे अपने लेफ्ट हंड आदमी से मिलवाना चाहता हूँ. उसे तो तू अच्छे से जानती होगी. अरे वो तो एक बार तेरी ही वजह से जैल जा चुका हैं. मैं जानता हूँ तू उसे एक बार देख लेगी तो तुरंत पहचान लेगी.


राधिका का चेहरा फीका पड़ गया था बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर- कौन हैं वो और तुम किसकी बात कर रहे हो और मैने किसको जैल भिजवाया था..................


बिहारी-बताता हूँ मेरी जान थोड़ा धर्य तो रख वो देख सामने फिर बिहारी अपनी एक उंगली से दरवाज़े की ओर इशारा कर देता हैं.


तभी दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शख्स अंदर कमरे में आता हैं. लंबे बाल हाथों में सिगरेट पकड़े हुए- कैसी हैं मेरी चिड़िया. अरे तूने तो मुझे बहुत तडपाया था तेरे लिए तो मैं कितना बेचैन था. तेरी वजह से मुझे पूरे तीन महीने की सज़ा भी हुई. मगर तुझे यहाँ पर देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. उस दिन तो तू बहुत उड़ रही थी ना. अब देख तेरे पंख हम सब बारी बारी मिलकर कुतेरेंगे.फिर देखता हूँ तू कैसे फुदक्ति हैं..............फिर मज़ा आएगा तेरा शिकार करने में.


राधिका को ये आवाज़ जानी पहचानी लग रही थी. वो बड़े गौर से उस शास को देखने लगती हैं. जब उस शख्स पर राधिका की नज़र पड़ती हैं तो वो अपने मूह पर दोनो हाथ रखकर अस्चर्य से उस शख्स को देखने लगती हैं. नहीं ये नहीं हो सकता. राधिका के मूह से बस इतने ही शब्द निकल पाए थे............जग्गा.. वो शख्स और कोई नहीं बल्कि ........................जग्गा था.
 
जग्गा- कुछ याद आया मेरी जान वो कॉलेज का कॅंपस जहाँ मैने तुझे एक बार छेड़ा था और बदले में तूने मेरी इज़्ज़त सारे कॉलेज के सामने उतारी थी. आज मैं अपनी बेइज़्ज़ती का बदला तुझसे एक एक कर लूँगा. आज मैं तेरी इज़्ज़त यहाँ इन सब के सामने उतारूँगा फिर तुझे भी पता चलेगा कि इज़्ज़त उतरते समय कैसा महसूस होता हैं.


राधिका गुस्से से चीख पड़ती हैं- बिहारी ये क्या तमाशा लगा रखा हैं तुमने. मैं कोई रंडी नही हूँ कि तुम जिसके साथ जैसा चाहो मुझे ये सब करने को कहोगे और मैं करूँगी. अगर तुम्हारा इरादा मेरे साथ इन सब के साथ सेक्स करवाने का हैं तो मुझसे ये सब नहीं होगा.


बिहारी बड़े प्यार से राधिका की ओर देखने लगता हैं- नाराज़ क्यों होती हो मेरी जान बात ये हुई थी कि मैं जो तुझसे कहूँगा तू वही करेगी चाहे मैं तुझे जिसके साथ भी सेक्स करने को क्यों ना कहूँ. और हां ये तेरी नादानी को मैं आख़िरी बार माफ़ कर रहा हूँ अगर दुबारा उँची आवाज़ में मुझसे बात की तो तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे अपनी परछाई से भी डर लगेगा.


राधिका चुप चाप अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं तभी विजय उसके पास आता हैं और राधिका के पीछे खड़ा होकर अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में थाम लेता हैं और पूरी ताक़त से उसे मसल देता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. वो इस अचानक हमले से वो चौंक जाती हैं तभी बिहारी ज़ोर से विजय को गाली देता हैं और राधिका से दूर हटने को बोलता हैं.


बिहारी- ये क्या तरीका हैं विजय. मैने कहा राधिका से दूर हट जाओ. और अब राधिका को दुबारा छूने की कोशिश भी मत करना. और हां अब मेरी मर्ज़ी के बिना अब कोई भी राधिका को हाथ नहीं लगाएगा.


विजय एक नज़र घूर कर बिहारी को देखता हैं मगर कुछ नहीं कहता. गुस्सा तो उसे बिहारी पर बहुत आता हैं मगर वो जानता था कि अगर बिहारी से इस समय बहस हुआ तो राधिका उसके हाथ से निकल जाएगी और वो किसी भी हाल में राधिका जैसी आइटम को अपनी हाथों से जाने नहीं देना चाहता था.


बिहारी- ये मेरा घर हैं और अब यहाँ पर मैं जैसा चाहूँगा वैसा ही होगा. अगर मेरी बात तुम सबको बुरी लगती हैं तो तुम सब बेशक यहाँ से जा सकते हो. मगर जब तक यहाँ पर रहोगे जो मैं बोलूँगा जैसा बोलूँगा तुम सब को मेरी बात मानना पड़ेगा. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.


बिहारी की चेतावनी से विजय और जाग्गा वहीं चुप चाप खामोशी से वहीं पर बैठ जाते हैं. दोनो अच्छे से जानते थे कि अब बिहारी की बात मानने में ही भलाई हैं.


तभी बिहारी एक नौकर को बुलाता हैं और राधिका के लिए जूस लाने को बोलता हैं. थोड़े देर में वो नौकर राधिका के लिए जूस लेकर आता हैं. साथ में कुछ नमकीन भी थी.


बिहारी- चिंता मत कर राधिका अब कोई भी मेरी मर्ज़ी के बिना तुझे हाथ नहीं लगाएगा. फिर बिहारी राधिका को वो जूस पीने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल के वो जूस से भरा काँच का ग्लास उठाती हैं और फिर धीरे धीरे पूरा पी जाती हैं.


बिहारी- क्या करूँ राधिका पता नहीं क्यों तुझ में कोई तो बात हैं जो मेरा ध्यान बार बार तेरी ओर खीच लेती हैं. चल आज तुझे मैं एक मौका देता हूँ तेरी आज़ादी के लिए. और दुवा करूँगा कि तू यहाँ से आज़ाद हो जाए.


राधिका फिर से सवालियों नज़र से बिहारी को देखने लगती हैं- मैं कुछ समझी नहीं बिहारी तुम आख़िर क्या कहना चाहते हो.


बिहारी- चल आज एक गेम खेलते हैं. अगर इस खेल में तू जीती तो मैं तुझे पूरेय इज़्ज़त के साथ इसी वक़्त यहाँ से तुझे अपने घर जाने दूँगा अगर तू हार गयी तो फिर तू पूरे एक हफ्ते के बाद यहाँ से जाएगी और मेरी गुलाम बनकर रहेगी. बोल मज़ूर हैं तुझे एक आखरी बाज़ी..............खेलना चाहेगी क्या ये खेल???


राधिका के चेहरे पर थोड़ी खुशी आ जाती है और वो तुरंत हां में इशारा करती हैं- मुझे मंज़ूर हैं. राधिका के पास इस वक़्त यहाँ से निकलने का कोई दूसरा ऑप्षन नहीं था. इसलिए वो बिना सोचे समझे झट से हां कह देती हैं.


बिहारी के मूह से ऐसी बातें सुनकर विजय और जग्गा दोनो गुस्से से बौखला जाते हैं. वो अच्छे से जानते थे कि बिहारी ज़ुबान का पक्का इंसान हैं. और अगर राधिका ये गेम जीत गयी तो वो सच में उसे हाथ नहीं लगाएगा और इतना अच्छा मौका राधिका को चोदने का हाथ से निकल जाएगा. अपने हाथ से ये मौका निकलता देखकर विजय गुस्से से पागल हो जाता हैं.


विजय- मुझे अब कोई गेम नहीं खेलना है. अरे इतना अच्छा मौका मिला हैं और तुम अब राधिका को बिना कुछ किए बगैर कैसे जाने दे सकते हो मुझे तुम्हारे इस खेल में कोई शौक नहीं हैं.


बिहारी- मैने पहले भी कहा था और अब भी कहता हूँ अगर तुम मेरे हिसाब से नहीं चल सकते तो बेसक तुम यहाँ से जा सकते हो. आइन्दा मैं दखल अंदाज़ी बिकुल बर्दास्त नहीं करूँगा.


विजय ना चाहते हुए भी पैर पटक कर वहीं गुस्से से बैठ जाता हैं.
 
बिहारी- देख इस वक़्त घड़ी में 3 बज रहे हैं. गेम ये हैं की मैं तुझे दो घंटे का टाइम दूँगा. यानी 5 बजे तक. गेम के हिसाब से हम सब तुझे सिड्यूस करेंगे इन दो घंटों में. अगर तू इन दो घंटों के अंदर मेरे कदमों में गिरकर तू मुझसे सेक्स के लिए भीक नहीं माँगेगी तो तू शाम के 5 बजे तक बिल्कुल आज़ाद हैं. और अगर इन दो घंटों के अंदर तूने मेरे सामने अपने घुटने टेक दिए तो फिर मैं तुझे जो कुछ कहूँगा तू वो सब करेगी. जिसके साथ सेक्स के लिए कहूँगा तू उसके साथ सेक्स करेगी. बोल तुझे मंज़ूर हैं.


राधिका के चेहरे पर खुशी के भाव छलकने लगते हैं. वो तुरंत बोल पड़ती हैं- ठीक हैं बिहारी मुझे मंज़ूर हैं.


बिहारी के चेहरे पर एक बार फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं. वो अच्छे से जानता था कि राधिका जिस गेम को जितना आसान समझ रही हैं बिहारी उस खेल का मँज़ा हुआ खिलाड़ी हैं. वो तो उसके जैसी लड़की को 1/2 घंटे के अंदर सिड्यूस रखने की ताक़त रखता था. अब यहाँ पर राधिका के सहन शक्ति और धर्य का इम्तिहान होना था. और देखना ये था कि राधिका को इस खेल में जीत मिलती है या फिर हार. ये तो आने वाला वक़्त ही बताने वाला था कि ये दो घंटे राधिका पर भारी पड़ने वाले थे या उन तीनों पर..


राधिका कुछ देर तक सोचती हैं फिर बिहारी से कहती हैं- ठीक हैं बिहारी मैं ये गेम खेलने को तैयार हूँ मगर मेरी भी एक शर्त है अगर तुम्हें मंज़ूर हो तो मैं कहूँ.............


बिहारी बड़े प्यार से एक नज़र राधिका को देखता हैं- बोलो राधिका कैसी शर्त हैं तुम्हारी. बिहारी तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करेगा.


राधिका- शर्त ये हैं कि मैं चाहती हूँ कि तुम और तुम्हारे ये दोनो साथी मुझे इन दो घंटों तक मेरे बदन को हाथ नहीं लगाएँगे. तुम मुझे सिड्यूस बेशक करो मगर बिना मेरे बदन को हाथ लगाए. अगर तुम्हें मेरी ये शर्त मज़ूर हो तो..


बिहारी थोड़ी देर तक सोचता हैं फिर कहता हैं- ठीक हैं राधिका मुझे तेरी ये शर्त भी मंज़ूर हैं तू यही चाहती हैं ना कि इन दो घंटों में तुझे हम में से कोई भी तेरे बदन को हाथ नहीं लगाएगा मुझे मंज़ूर हैं मगर मेरी भी एक शर्त हैं.


राधिका- बोलो बिहारी क्या हैं तुम्हारी शर्त.


बिहारी अपने जेब से एक वाइट कलर का डिल्डो निकालकर राधिका को दिखाता हैं. डिल्डो करीब 3 इंच मोटा और 9 इंच लंबा था- तू तो ये जानती होगी कि ये क्या हैं और इसका इस्तेमाल कहाँ पर किया जाता हैं. अगर नहीं जानती तो बोल दे मैं तुझे बता देता हूँ.


राधिका बिहारी की बातो से शरमा जाती हैं और अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं- मैं जानती हूँ ये क्या है.


बिहारी- तो फिर ठीक हैं शर्त के मुताबिक इसे तू तब तक नहीं निकालेगी जब तक मैं ना कहूँ. इसे तुझे पूरे दो घंटे तक अपने चूत में रखना हैं. बोल मंज़ूर हैं तुझे.


राधिका शरम से हां में अपनी गर्देन नीचे झुका लेती हैं.


बिहारी- तो फिर देर किस बात की हैं चल फटाफट तू इस डिल्डो को सही जगह पर रख जहाँ इसे होना चाहिए.


राधिका- यहाँ पर.............क्या इन सब के बीच???


बिहारी- अगर तुझे शरम आ रही हैं तो तू बाथरूम में जा सकती हैं मगर इतना ध्यान रहे हमारे साथ धोका करने की कोशिश मत करना. वैसे भी मुझे पता चल ही जाएगा. फिर सोच लेना तेरा अंजाम क्या होगा अगर तूने ज़रा भी हम से चालाकी करने की कोशिश की तो...


राधिका वो डिल्डो बिहारी से ले लेती हैं और झट से बाथरूम में चली जाती हैं. राधिका के जाते ही विजय और जग्गा अपने गुस्से की भडास बिहारी पर निकालते हैं.


विजय- तेरा दिमाग़ फिर गया हैं. एक तो तू ऐसा चूतियापा खेल खेल रहा हैं और उपर से ऐसी घटिया शर्त. मैं दावे से कहता हूँ कि राधिका अब हमारे हाथ से निकल जाएगी और अगर ऐसा हुआ तो फिर मुझसे बुरा कोई नहीं होगा.


जग्गा- अरे उसको बिना हाथ लगाए तो हम उसे सिड्यूस कर चुके. वो अब हमारे हाथ नहीं आने वाली. इस बाज़ी में हमे सिर्फ़ हार मिलेगी.


बिहारी- अरे यार तुम लोग बेवजह परेशान हो रहे हो. देख लेना राधिका बस एक घंटे के अंदर मेरे कदमों में गिरकर अपनी चुदाई की भीक माँगेगी. और ये बात मैं पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ. मैने भी कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं. आज मुझे 20 साल हो गये इस धंधे में और मैं अच्छे से जनता हूँ कि किसी भी लड़की को सिड्यूस कैसे किया जाता हैं. तुम लोग बस देखते जाओ और जैसा मैं बोलूँगा वैसे ही करना.


विजय- लेकिन मुझे ये समझ में नहीं आया कि इस गेम से क्या होगा. और इसी हमे क्या फ़ायदा होने वाला हैं.
 
बिहारी- बताउन्गा सब कुछ बताउन्गा धीरे धीरे सब समझ में आ जाएगा. और एक बात तुम्हें मैं बता देता हूँ शायद तुम्हारे चेहरे पर थोड़ी मुस्कान आ जाए. अभी मैने राधिका को जूस पीने को कहा था वो कोई नॉर्मल जूस नहीं था. उसमें मैने वायग्रा मिलाया हुआ था. अब बस आधे घंटे के बाद उसके जिस्म में वो वियाग्रा इतनी गर्मी भर देगा कि राधिका बिना कुछ सोचे समझे अपनी चूत खुद ही हमे सौंप देगी. फिर वो अपने हाथ में एक छोटा सा रिमोट विजय और जग्गा को दिखाता हैं..


जग्गा- ये कैसा रिमोट हैं बिहारी तेरे हाथों में.


बिहारी के चेहरे पर फिर से कुटिल मुस्कान तैर जाती है- यू समझ ले कि ये राधिका की चूत को कंट्रोल करने का रिमोट है. नहीं समझे ठीक हैं मैं समझाता हूँ. अभी अभी जो मैने राधिका को जो डिल्डो दिया हैं ये उसका कंट्रोलर हैं. और तुम लोग जिसे वो डिल्डो समझ रहे हो वो डिल्डो नहीं बल्कि एक वाइब्रटर हैं. और अभी थोड़े देर के बाद मैं तुम्हें उसका कमाल दिखाउन्गा जब राधिका उस वाइब्रटर को अपने चूत में रखी होगी. यहाँ से मैं उस वाइब्रटर की स्पीड को कम या ज़्यादा कर सकता हूँ और सोच लो अगर ये वाइब्रटर को मैं पूरे दो घंटे तक ऑन रखूँगा तो राधिका की क्या दशा होगी इसका तुम अनुमान नहीं लगा सकते. सोचो थोड़ी देर के बाद वियाग्रा अपना असर दिखना शुरू कर देगा और इधेर ये डिल्डो राधिका की चूत के अंदर घी में आग का काम करेगा और हम सब उससे इतनी नंगी बातें करेंगे कि वो कुछ देर के अंदर अपने आप को हमारे कदमों में सौप देगी. बिहारी के मूह से ऐसी बातो को सुनकर जग्गा और विजय के होंठो पर मुस्कान तैर जाती हैं.


विजय- वाह बिहारी वाह तेरा जवाब नहीं अब तू देखते जा आज साली से ऐसी गंदी गंदी बातें करूँगा कि खुद ही शरम से डूब मरेगी और उसके बाद उसकी ऐसी चुदाई होगी कि वो हमे कभी नहीं भूल पाएगी. आज आख़िर तूने फिर से अपना कमीनपन दिखा ही दिया...


बिहारी- हां विजय मैने जीवन में किसी भी चीज़ को हासिल करना सीखा है चाहे छल से या बल से. और राधिका को पाने के लिए तो मैं सारे साम दाम लगा दूँगा. तुम सब देखते जाओ आगे आगे क्या होता हैं....


इन सब से बेख़बर राधिका बाथरूम में अपनी पैंटी नीचे सरका कर उस वाइब्रटर को अपनी चूत में डाल रही थी. थोड़ी मुश्किल के बाद वो वाइब्रटर उसकी चूत में पूरा चला जाता हैं फिर वो अपनी पैंटी उपर करके दुबारा पहन लेती हैं. उसे पता नहीं क्यों पर आज अपने आप पर तो उसे भरोसा था मगर उसका जिस्म उसका साथ देगा उसे इसी बात को लेकर थोड़ी चिंता थी फिर भी वो कुछ सोचकर और अपने इरादे मज़बूत करके वो बाथरूम से बाहर निकलती हैं. और कुछ देर में वो उन तीनों के पास मौजूद होती हैं.


बिहारी- शर्त के मुताबिक देख घड़ी में 3:15 बज रहे हैं और ये गेम पूरे 2 घंटे तक चलेगा यानी 5:15 तक. और इन दो घंटों में कोई तेरे बदन को हाथ नहीं लगाएगा मगर तुझसे हम अश्लियल बातें बेशक कर सकते हैं. तो फिर चलो गेम शुरू करते हैं. राधिका भी सहमति में अपनी गर्देन हां में हिला देती हैं.फिर बिहारी का नंगा खेल शुरू हो जाता हैं..
 
वक़्त के हाथों मजबूर--39


बिहारी- वैसे राधिका तू सच में पूरी क़यामत लग रही हैं. मैं जानता था कि ये ब्लॅक साड़ी तेरे पर बहुत जचेगि इसलिए मैने तेरे लिए ख़ास ये स्पेशल साड़ी भेजवाया था. वैसे तूने बताया नहीं अब तक कि तेरा फिगर का साइज़ क्या हैं.


राधिका अच्छे से जानती थी कि अभी तो ये शुरूवात हैं ऐसे कई अश्लील सवाल ये सब मिलकर करेंगे और उसे उन सारे सवालों के जवाब देने पड़ेंगे.


राधिका- 36-28-32 यही हैं मेरी फिगर का साइज़.


बिहारी- थोड़ा डीटेल में बता ना राधिका मुझे ऐसे समझ में नहीं आता.


राधिका थोड़ा हिम्मत करके फिर से कहती हैं- मेरे सीने का साइज़ 36 और मेरी कमर का साइज़ 28 और मेरी आस का साइज़ 32 हैं.


विजय- अच्छे से बोल ना राधिका पूरे सॉफ सॉफ लफ़्ज़ों में और सरल हिन्दी भाषा में. हमे ज़्यादा अँग्रेज़ी समझ में नहीं आती.


राधिका ना चाहते हुए भी कहती हैं- मेरे बूब्स का साइज़ 36.....................


बिहारी- क्या जानेमन बूब्स तो इंग्लीश वर्ड हैं शुद्ध हिन्दी में बोल. और हां अब दुबारा से ग़लती मत करना वरना तुझसे एक ग़लती के बदले एक और सवाल.


राधिका इस बार फिर थोड़ी हिम्मत करके बोलती हैं- मेरे दूध का साइज़ 36 है ,मेरी कमर का साइज़ 28 और मेरी गान्ड का साइज़ 32 है. राधिका ही जानती थी कि ये शब्ध उसने कैसे बोले थे. उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी.


बिहारी- तुझे पता हैं आदमी और औरत में क्या फ़र्क होता हैं?? कॅन यू एक्सप्लेन????


राधिका शरम से अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं. और कुछ देर तक यूँ ही खामोश रहती हैं तभी बिहारी अपनी उंगली को थोड़ी सी हरकत करता हैं और अगले ही पल राधिका वही उछल पड़ती हैं. राधिका की चूत में रखा वो वाइब्रटर ऑन हो जाता हैं और राधिका को ऐसा लगता हैं कि किसी ने उसकी चूत में ड्रिलिंग मशीन चला दी हो. फिर बिहारी वो वाइब्रटर की स्पीड तुरंत फुल कर देता है और राधिका अपनी चूत पर दोनो हाथ रखकर वही बैठ जाती हैं. थोड़ी देर के बाद बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड कम करता हैं मगर बंद नहीं करता.


राधिका को अब समझ में आ गया था कि उस वाइब्रटर को अपनी चूत में रखकर कितनी बड़ी ग़लती की हैं- उसकी चूत ने अब धीरे धीरे पानी छोड़ना शुरू कर दिया था. और उपर से वियाग्रा का असर राधिका आब धीरे धीरे गरम होने लगी थी.


बिहारी- तूने मेरे सवालों का जवाब नहीं दिया. मैं तुझसे कुछ पूछ रहा हूँ राधिका.


राधिका फिर धीरे से खड़ी होती है फिर बड़ी मुश्किल से बोलती हैं- आदमी और औरत में बस उसका लिंग अलग होता हैं. लिंग से ही पहचान होती हैं कि वो इंसान आदमी है या औरत.


जग्गा- तो क्या मेरी पहचान करने के लिए क्या मुझे हर जगह अपना लिंग दिखाना पड़ेगा कि मैं आदमी हूँ कि औरत. अगर मैं तेरे से कहूँ कि तू औरत हैं तो क्या तू भी अपनी चूत दिखाएगी. जवाब दे मेरे सवालो का.


जग्गा की बातो से राधिका का चेहरा शरम से लाल पड़ जाता हैं- मेरा............... वो कहने का मतलब नहीं था.


बिहारी- अरे मेरी जान हम से इतना शरमाएगी तो कैसे काम चलेगा. सॉफ सॉफ क्यों नहीं कह देती कि आदमी के पास लंड होता हैं और औरत के पास चूत होती हैं.
 
राधिका भी अब समझ चुकी थी कि उसने खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी हैं अभी तो मुश्किल से केवल 5 मिनिट ही गुज़रे थे और इतने सारे गंदे सवाल पता नहीं आने वाले दो घंटे में ये लोग उसे तो सवालो से पूरा नंगा कर देंगे मगर अब कुछ भी नहीं हो सकता था इस लिए राधिका भी सोच लेती हैं जो होगा देखा जाएगा.


बिहारी- देख राधिका मैं जानता हूँ कि ऐसे शरमाने से काम नहीं चलेगा. तुझे हम सब का पूरा साथ देना पड़ेगा अगर तूने हम सब का पूरा साथ नहीं दिया तो फिर आइ अम सॉरी मैं कुछ नहीं कर सकता. ये बात जान ले हम सब तेरी बेशर्मी देखना चाहे हैं और हम तुझसे अब यही उम्मीद करेंगे कि तू हमसे अपनी पूरी तरह से खुल कर बातें करे. फिर से बिहारी वो वाइब्रटर की स्पीड बढ़ा देता हैं और राधिका की चूत में फिर से आग लग जाती हैं.


राधिका- ठीक हैं बिहारी प्लीज़ इसे कम करो मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा.


बिहारी- तो फिर हमारे सारे सवालो का जवाब देती जा और अगर तूने हमे जवाब नहीं दिया तो ये वाइब्रटर का स्पीड भी अब कम नहीं होगा.


राधिका बड़ी मुश्किल से आपने आप को कंट्रोल कर रही थी- आदमी के पास लंड होता हैं और औरत के पास चूत होती हैं.


विजय- अगर मैं कहूँ कि तू एक औरत हैं तो तू ये बात कैसे साबित करेगी कि तू एक औरत हैं. जवाब दे...


राधिका को कुछ बोलते नहीं बनता और उधेर बिहारी फिर से वाइब्रटर की गति धीरे धीरे बढ़ाने लगता हैं- मुझे इसका जवाब नहीं मालूम.


विजय- और ये तेरे दो बड़े बड़े दूध हैं वो किस लिए हैं क्या आदमी के दूध होते हैं.


राधिका तो इस वक़्त भगवान से यही दुआ कर रही थी कि काश उसे इस वक़्त मौत आ जाए मगर मौत भी इतनी आसानी से कहाँ मिलती है.


जग्गा- अच्छा छोड़ इन सब बातो को क्यों बेचारी की गान्ड मार रहा हैं चल ये बता चुदाई किसे कहते हैं???


राधिका की हालत अब ऐसी थी कि ना उससे कुछ बोलते बन रहा था और ना ही वो किसी बात का विरोध कर पा रही थी- जब मर्द एक औरत के साथ सोता हैं उसे चुदाई कहते हैं...


राधिका के जवाब सुन कर तीनों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते हैं तभी बिहारी वाइब्रटर की गति फिर से तेज़ कर देता हैं और तब तक उसी स्पीड में रखता हैं जब तक राधिका का धैर्य नहीं टूट जाता.


राधिका- बस करो बिहारी ...............बस मैं जवाब दे रही हूँ ना. जब एक मर्द का लंड औरत की चूत में जाता है और वो उस लंड से उसकी चुदाई करता हैं उसे चोदना कहते हैं.


बिहारी- अरे वाह तू तो बहुत समझदार निकली. अगर यही जवाब पहले दे देती तो तुझे इतनी तकलीफ़ तो नहीं सहनी पड़ती. खैर गान्ड मरवाना तो तुझे पता ही होगा ज़रा खुल के बता. अपने यार और भाई से तो तू खूब गान्ड मरवाती थी ना.


राधिका इस बार बिना रुके कहती हैं- जब आदमी का लंड औरत की गान्ड में जाता हैं और वो अपने लंड से उसकी गान्ड को चोदता हैं उसको गान्ड मारना कहते हैं. इसी तरह से राधिका से बिहारी और वो दोनो नन्गपन भरे सवाल पूछ रहे थे और राधिका भी धीरे धीरे उनके जवाब देती जा रही थी.


बिहारी- तो बता ना राधिका जब तेरे भाई का लंड तेरी गान्ड में गया तो तुझे कैसा महसूस हुआ.


राधिका को मानो ऐसा लगा कि अब उसके आँसू निकल पड़ेंगे मगर बड़ी मुश्किल से वो अपने आप को संभाले हुई थी.- अच्छा लगा थोड़ा दर्द हुआ ...................बस अब मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ मुझे और नीचे मत गिराव. अब मुझसे ये सब नहीं होगा.


बिहारी- अभी तो तू कहाँ नीचे गिरी हैं आज तुझे हम बताएँगे कि असली चुदाई किसे कहते हैं.


ऐसे ही वक़्त बीत रहा था और करीब 1/2 घंटे के अंदर राधिका उन तीनों से पूरी तरह खुल के बातें कर रही थी. इधेर वियाग्रा का असर भी उसपर हावी होता जा रहा था और उधेर वो वाइब्रटर भी हर पल उसकी चूत में आग लगा रहा था. धीरे धीरे राधिका का धैर्य भी जवाब देता जा रहा था. उसे अब ऐसा लगने लगा था कि ऐसा ही कुछ पल और चलता रहा तो वो बिहारी के सामने पूरी तरह बेबस हो जाएगी...


जग्गा, बिहारी और विजय ने उससे ऐसा कोई सवाल नहीं छोड़ा था जो वो उससे ना पूछा गया हो.


बिहारी- राधिका मेरी तो यही ख्वाहिश हैं कि मैं तेरी चूत और गान्ड में अपना लंड डालकर तुझे रगड़ता रहूं कसम से बहुत मज़ा आएगा बस तू एक बार तू मेरे नीचे आ जा फिर देखना तुझे चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि तू सारी दुनिया को भूल कर तू मेरे पास आ जाएगी. फिर बिहारी वहीं एलसीडी टीवी ऑन करता हैं और उसमें कई सारी ब्लू फिल्म्स वो एक एक कर छोटे छोटे क्लिप्स राधिका को दिखाने लगता हैं. करीब 1/2 घंटे तक वो टी.वी में नंगी वीडियोस उसे दिखाता हैं..


करीब एक घंटे के बाद राधिका का सब्र टूट जाता हैं वो भी बस ज़मीन पर वहीं बैठ जाती हैं. उसकी आँखों में आँसू थे. एक तरफ बिहारी ने पिछले एक घंटे से वो वाइब्रटर को बंद नहीं किया था जिससे उसकी चूत और पैंटी पूरी तरह से गीली हो गयी थी. और उस वाइब्रटर की वजह से उसकी चूत की आग को और भड़का रही थी और इधेर वियाग्रा का असर अपने चरम पर था वो लाख कोशिशों के बावज़ूद अपने आप को बेबस महसूस कर रही थी. और उपर से बिहारी विजय और जग्गा की अश्लील बातें रही सही कसर पूरा कर रही थी. और बाद में बिहारी ने राधिका की थोड़ी बची हुई हिम्मत को भी तोड़ दिया था उसको ब्लू फिल्म्स दिखा कर.
 
राधिका का जिस्म इस वक़्त आग की भट्टी की तरह तप रहा था और उसकी आँखें पूरी तरह लाल हो चुकी थी. हवस उसकी आँखों में सॉफ दिखाई दे रहा था आज वो भी समझ चुकी थी कि जिस्म की आग क्या होती हैं और जब जिस्म की आग इंसान पर हावी होती है तो इंसान को कुछ दिखाई नहीं देता. आज राधिका भी वही आग में जल रही थी वो तो चाह रही थी कि कैसे भी वो फारिग हो जाए मगर बिहार मँज़ा हुआ खिलाड़ी था जब राधिका अपने चरम पर पहुचती तो वो वाइब्रटर की स्पीड बिल्कुल कम कर देता ऐसे ही पिछले एक घंटे से वो उसके साथ ये खेल खेल रहा था. आख़िर कब तक राधिका का धैर्य जवाब देता वो भी वही बेबस होकर जग्गा, विजय और बिहारी के पास वहीं ज़मीन पर बैठ जाती हैं.


बिहारी- क्या हुआ मेरी जान अभी टाइम की ओर देख अभी पूरा एक घंटा बाकी हैं. तू इतनी जल्दी अगर हिम्मत हार जाएगी तो क्या होगा.


राधिका चुप चाप वही ज़मीन को टकटकी लगाए बैठी देख रही थी अब हवस उसके उपर इस कदर हावी हो चुका था कि उसे क्या सही क्या ग़लत वो अब कोई भी फ़ैसला लेने की स्थिति में नज़र नहीं आ रही थी. बस कैसे भी करके अपने अंदर सुलग रही आग को दबाने की कोशिश कर रही थी मगर ये आग दबाने से और भी भड़कती जा रही थी. राधिका के दिल और दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे मगर आज वो अपने जिस्म के आगे बेबस थी.


ऐसे ही सिलसिला चलता रहा और ठीक 15 मिनिट के बाद राधिका का सब्र पूरी तरह से टूट गया और वो ना चाहते हुए भी बिहारी के कदमों में आख़िर गिर ही पड़ती हैं. ये देखकर विजय, जग्गा और बिहारी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. आज राधिका फिर से अपने बदन की आग से एक बार फिर हार गयी थी. आज उसका सारा मनोबल टूट गया था.


राधिका- मैं हार गयी बिहारी.................आख़िरकार तुम जीत ही गये आज मेरे अपने जिस्म ने मेरे मनोबल को तोड़ दिया.मैं आज अपना जिस्म तुम्हें सौपति हूँ बिहारी कर लो जो करना हैं. आज के बाद तुम जो मुझसे कहोगे वो मैं सब कुछ करूँगी मैं आज के बाद तुम्हारी रखैल बनकर रहूंगी. तुम मुझे जिसके साथ कहोगे जैसे कहोगे मैं उससे चुदवाउंगी और राधिका वहीं फुट फुट कर रोने लगती हैं. बिहारी उसको बड़े प्यार से उसको सहारा देता हैं फिर उसे वही सोफे पर बैठा देता हैं..


बिहारी- मुझे खुशी हुई कि आज तूने खुद ही अपने आप को मेरे हवाले कर दिया मगर इस बात का दुख भी हुआ कि मैने तेरे सामने एक सुनेहरा मौका दिया था और तूने उसको गवाँ दिया. खैर अब शर्त के मुताबिक आज के बाद तू पूरे एक हफ्ते तक मेरी रखैल बनकर रहेगी. मेरी मर्ज़ी मैं तुझे जहाँ चाहूं जिससे चाहूं तुझे चुदवाउन्गा और तू अब आज के बाद मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करेगी.


राधिका ये बात अच्छे से जानती थी कि आने वाला समय कितना भयानक होने वाला है. पता नहीं बिहारी उससे क्या क्या करवाएगा मगर आज उसकी बदनसीबी कि वो अपनी मर्ज़ी से अपनी जान भी नहीं दे सकती थी शायद उसे और जल्लत सहना बाकी था. पता नहीं आने वाला वक़्त राधिका की ज़िंदगी में क्या सितम ढाने वाला था. पर इतना ज़रूर तय था कि जो कुछ भी राधिका के साथ होगा वो उसके लिए अच्छा नहीं होगा


राधिका अभी भी बेबस वहीं बिहारी के कदमों के पास बैठी हुई थी. कल तक सब का मूह तोड़ जवाब देने वाली लड़की आज खुद को एक कमज़ोर महसूस कर रही थी. तभी जग्गा उसके पास आता हैं और अपनी मुट्ठी में राधिका के सिर के बाल को कसकर पूरी ताक़त से भीच देता हैं. राधिका के मूह से एक दर्द भरी सिसकारी निकल पड़ती हैं.


जग्गा- क्या हुआ मेरी रानी सारी गर्मी ठंडी पड़ गयी क्या. अभी तो खेल शुरू हुआ हैं और अभी से तू कमज़ोर पड़ गयी.


राधिका एक नज़र जग्गा की ओर देखती हैं फिर वो अपनी नज़रें झुका लेती है. वो भी अच्छे से जानती थी कि इन हैवानो के दिल में उसके लिए कोई हमदर्दी नहीं हैं.


बिहारी- देख ध्यान से इस समय को अभी पूरे 45 मिनिट बाकी हैं. खैर जब तू हार मान ही चुकी हैं तो अब आज के बाद हम जो भी कहेंगे तू वो सब कुछ करेगी बिना किसी सवाल जवाब के. बोल करेगी ना. राधिका हां में अपनी गर्देन हिला देती हैं.


बिहारी फिर जग्गा को राधिका से दूर हटने का इशारा करता हैं और जग्गा तुरंत राधिका के बाल छोड़ देता हैं.- बोल राधिका तू हमारे लिए क्या कर सकती हैं. तू समझ रही होगी कि मेरा इशारा किस ओर हैं. बिहारी फिर से राधिका से वही गंदे सवालों का सिलसिला शुरू कर देता हैं.


राधिका- मैं कुछ भी कर सकती हूँ जो तुम कहोगे... तभी बिहारी धीरे धीरे वाइब्रटर का स्पीड बढ़ाने लगता हैं और फिर से राधिका तड़प उठती हैं. उसके मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.


विजय- क्या हुआ डार्लिंग. तेरी चूत में आग लगी हैं क्या. अगर ऐसी बात हैं तो कह दे हम तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल देंगे.


राधिका- बस.......करो बिहारी अब मुझसे बर्दास्त नहीं होता. मैने खुद को तुमलोगों के हवाले तो कर ही चुकी हूँ और अब तुम सब मुझसे क्या चाहते हो. अगर कहो तो मैं अपने पूरे कपड़े तुम सब के सामने उतार देती हूँ. यही चाहते हो ना तुम सब.
 
बिहारी- वो तो तेरे कपड़े उतारेंगे ही कुछ देर में इतनी भी क्या जल्दी हैं. सब्र का फल मीठा होता हैं और मैं जानता हूँ कि इस वक़्त तेरी क्या हालत हो रही है. मगर थोड़ा सब्र कर ले फिर देखना मेरी जान तुझे कितना सुकून मिलेगा. राधिका को अब धीरे धीरे बिहारी पर गुस्सा भी आ रहा था. मगर वो अच्छे से जानती थी कि होगा वही जो वो सब चाहते हैं.


इस वक़्त भी वाइब्रटर राधिका की चूत में चल रहा था और उपर से वो वियाग्रा का असर. राधिका का दिमाग़ अब काम करना बिल्कुल बंद कर चुका था. वो बस अब अपनी प्यास को बुझाने के बारे में सोच रही थी चाहे कैसे भी क्यों ना बुझे.


बिहारी- चल एक नया खेल खेलते हैं इस खेल में हम सब तुझे कोई टास्क देंगे वो तुझे पूरा करना होगा अगर तू समय रहते वो काम पूरा कर लेगी तो तू हम से जो काम चाहे करवा लेना और अगर तू हारी तो हम तुझसे जो कहेंगे वो तुझे करना होगा. राधिका कुछ कह नहीं पाती और चुप चाप हां में अपनी गर्देन नीचे कर लेती है. वो अच्छे से जानती थी कि ये सब उसके साथ पूरे नंगेपन का खेल खेलेंगे.


बिहारी- तो खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब के कपड़े उतारने हैं इसके लिए तुझे हम पूरे 30 मिनिट का समय देंगे. मगर उसमें कुछ शर्त भी रहेगा.


राधिका का दिमाग़ घूम जाता हैं बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर. -कैसी कंडीशन्स..


बिहारी- सबसे पहले तो तेरे हाथ बँधे होंगे. और तू हम सब के कपड़े अपने हाथों से नहीं बल्कि अपने मूह से खोलेगी. और हां जब हमारा पेंट खोलेगी तो तुझे घुटनो के बल खड़े होकर हमारे पेंट उतारने होंगे. और इस बीच हम तेरे बदन को जहाँ चाहे वहाँ हाथ लगा सकते हैं जहाँ चाहे छू सकते हैं.


राधिका को तो ऐसा लगने लगा था कि ये लोग अगर उसको जान से मार देते तो ज़्यादा अच्छा होता. वो तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बिहारी उससे ऐसा गंदा काम भी करवाएगा. तभी विजय एक रस्सी लेकर आता हैं और राधिका के दोनो हाथ पीछे करके आचे से बाँध देता हैं.


बिहारी- युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ.........................


राधिका सबसे पहले बिहारी के पास आती हैं और कुछ देर तक वो वही खड़ी रहती हैं फिर वो आगे बढ़कर अपने दाँतों से बिहारी के कुर्ते का बटन खोलना शुरू करती हैं. राधिका अच्छे से जानती थी कि ये काम इतना आसान नहीं हैं मूह से कपड़े का एक बटन खोलने में ही कम से कम 5 मिनट तो लग ही जाएगे. इस हिसाब से उसके पास 12 मिनिट में एक आदमी के कपड़े निकालने हैं. वो तेज़ी से अपने होंठो को हरकत देती हैं और इधेर बिहारी अपने हाथों को भी हरकत देता हैं. बिहारी का हाथ सबसे पहले राधिका की कमर पर जाता हैं और फिर वो अपने दोनो हाथ सरकाते हुए राधिका की गान्ड पर रख देता हैं और दोनो हाथों से राधिका की गान्ड को पूरी ताक़त से मसल देता हैं. राधिका के मूह से तेज़ सिसकारी निकल जाती हैं. वो अपने बदन की ओर ध्यान ना देते हुए वो जल्दी जल्दी बिहारी के कुर्ते के बटन खोलने लगती हैं.


बिहारी पूरी मस्ती से अपने हाथ राधिका की गान्ड पर फिरा रहा था फिर वो धीरे धीरे एक हाथ उसके सीने पर ले जाता हैं और और उसके दूध पर अपने हाथ रख देता हैं. और फिर एक दम धीरे धीरे फिराने लगता हैं. राधिका इन सब की परवाह ना करते हुए वो तेज़ी से अपने दाँतों को हरकत करती हैं मगर अभी तक एक भी बटन नहीं खुला था. फिर बिहारी अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राधिका की चूत पर रख देता हैं और साड़ी के उपर से ही अपनी मुट्ठी में उसकी चूत को भीच लेता हैं. राधिका ना चाहते हुए भी सिसक पड़ती हैं. इधेर उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी जिससे वो अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पा रही थी और उधेर बिहारी का हाथ तेज़ी से हरकत कर रहा था. करीब 10 मिनिट के बाद राधिका बड़ी मुश्किल से एक बटन खोलने में कामयाब हो जाती हैं. फिर वो घुटनो के बल बैठकर बिहारी की सलवार का नाडा अपने दाँतों में फँसाकर आहिस्ता आहिस्ता खोलने लगती हैं.


बिहारी की सल्वार का नाडा खुल जाता हैं और उसका पायजामा उसके कदमों के पास गिर जाता हैं. फिर वो खड़ी होती है और फिर तेज़ी से उसके कुर्ते का दूसरा बटन खोलती हैं. करीब 12 मिनट के बाद बिहारी उसको टाइम की ओर इशारा करता हैं.


बिहारी- अरे मेरी जान अभी तक तो तू मेरे कुर्ते का एक ही बटन खोल पाई हैं. और अभी विजय और जग्गा भी लाइन में हैं. जा जल्दी से उनके भी कपड़े उतार.


राधिका फिर विजय के पास जाती हैं और वो अपने दाँतों से उसके शर्ट के बटन खोलने लगती हैं. इधेर विजय भी कस कर उसकी गान्ड मसल्ने लगता हैं. और अपने दोनो हाथों को वो तेज़ी से हरकत करता हैं. राधिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाल पा रही थी. उसका ध्यान बस बटन पर था. तभी विजय अपने दोनो हाथ नीचे ले जाकर वो राधिका की साड़ी थोड़ा उपर कर देता हैं और झट से अपने दोनो हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाल देता हैं फिर वो उसकी चूत को अपने हाथों में कसकर भींच लेता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँखें बंद किए हुए विजय के शर्ट का बटन खोल रही थी. मगर बार बार उसका ध्यान विजय की हर्कतो पर था. करीब 10 मिनिट तक विजय उसकी चूत और गान्ड से खेलता हैं और फिर जब राधिका एक भी बटन नहीं खोल पाती तो वो नीचे झुक कर विजय की पॅंट अपने दानों से खोलने लगती हैं. और अब विजय के दोनो हाथ राधिका के बूब्स पर आ जाते हैं और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूध को मसल्ने लगता हैं. राधिका इस वक़्त पूरी तरह बेख़बर हो चुकी थी. अब उसे भी वो सब अच्छा लगने लगा था. वो भी सिसक रही थी. उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मगर आब तक वो एक भी बार झड नहीं पाई थी. उधेर वो डिल्डो भी अपनी स्पीड में उसकी चूत में चल रहा था. बड़े मुश्किल से वो अपने दाँतों से उसके पेंट का चैन ही खोल पाती हैं.


ऐसे ही वक़्त बीत रहा था अब बस 10 मिनिट ही बच गये थे वो अब जग्गा के पास जाती हैं और फिर से वही प्रकिया दोहराती हैं. जग्गा भी अपने हाथों की हरकत करता हैं और राधिका की सिसकारी पूरे कमरे में गूँज रही थी. आख़िरकार 30 मिनिट पूरे हो जाते हैं और राधिका किसी के भी कपड़े निकालने में नाकाम साबित होती हैं. फिर विजय आकर उसके बँधे हाथों को खोल देता हैं.


बिहारी- ये क्या जानेमन तू तो हम में से किसी के भी कपड़े नहीं उतार पाई. और मैने तो सुना था कि तूने हारना कभी नहीं सीखा.


राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--40






बिहारी- बोल मेरी जान तुझे क्या सज़ा दिया जाए....



राधिका- बिहारी अगर मुझे सज़ा देना ही चाहते हो तो मुझे मौत दे दो. मैं अब जीना नहीं चाहती.



बिहारी फिर से मुस्कुरा देता हैं- नहीं मेरी जान मैं तुझे ये सज़ा कभी नहीं दे सकता.



राधिका की इस वक़्त जो हालत थी वो किसी घायल शेरनी की तरह थी. वो पूरे 2 घंटे से फारिग नहीं हो पा रही थी और इस वक़्त उसके दिमाग़ का लगभग काम करना बंद हो गया था. वो तो बस अपनी हवस मिटाना चाहती थी इसके बदले अगर बिहारी आज उससे जो चाहे वो करवा ले वो बे झि-झक करती. उसे तो अब ये भी होश नहीं था कि वो आब अपने ही दुश्मनों के आगे अपनी चुदाई की भीक माँग रही है.



राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मेरी आग को बुझा दो. अब मुझ में थोड़ी भी ताक़त नहीं हैं. प्लीज़.......................



बिहारी के चेहरे पर फिर से मुस्कान तैर जाती हैं- थोड़ा सब्र कर मेरी जान आज तेरी चूत की आग हम सब ऐसा भुजाएँगे कि तू भी क्या याद रखेगी...



बिहारी अपनी साथियों की ओर देखने लगता हैं फिर उनसब से कहता हैं- राधिका तो ये गेम हार गयी बोलो इसको क्या सज़ा मिलनी चाहिए...



विजय और जग्गा भी अब बिहारी का पूरा खेल समझ चुके थे और उनके होंटो पर कुटिल मुस्कान थी.



विजय- तेरी ये सज़ा हैं कि तू अपने ब्लाउज उतार कर हमारे हवाले कर दे.



राधिका भी कुछ नहीं कहती और फिर धीरे धीरे अपने ब्लाउस का बटन खोलने लगती हैं तभी जग्गा उसके पीछे जाकर उसके पीठ पर अपने होंठ रख देता है और बहुत धीरे धीरे अपने जीभ फिराने लगता हैं.राधिका की एक बार फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं मगर वो अपने हाथों को नहीं रोकती. फिर जग्गा अपने दाँतों से उसके ब्लाउज के डोरी को अपने मूह में लेता हैं और उसे धीरे धीरे सरकाने लगता हैं. थोड़ी देर में ब्लाउज का धागा खुल जाता हैं. मगर जग्गा अभी भी उसके पीठ पर अपने जीभ फिरा रहा था. थोड़ी देर तक राधिका भी अपनी आँखें बंद करके वही चुप चाप जग्गा को अपनी मनमानी करने देती है. फिर बिहारी उसको वो ब्लाउज अपने से अलग करने को कहता हैं. थोड़ी देर के बाद जग्गा भी हट जाता हैं और वहीं बिहारी के पास खड़े हो जाता हैं. राधिका उन तीनों मर्दों के सामने अपनी ब्लाउज उतार रही थी. वो अब जान गयी थी कि ये सब ऐसे ही उसके कपड़े एक एक कर उतरवाएँगे.



मगर इस वक़्त उसकी आँखों में शरम नहीं बल्कि हवस तैर रही थी. वो भी झट से अपने ब्लाउज अपने जिस्म से अलग कर देती है और अंदर काले रंग का ब्रा उसकी खूबसूरती को और बढ़ा देता हैं. फिर से वो अपनी साड़ी का आँचल अपने सीने पर लगा लेती हैं और अपना ब्लाउज बिहारी को थमा देती हैं.



बिहारी- वाह मेरी जान तो सच में एक क़यामत हैं.



विजय- चल फिर से वही खेल खेलते हैं मगर इस बार खेल का तरीका दूसरा रहेगा. राधिका फिर से सवाल भरी नजरो से विजय को देखने लगती हैं. उसकी चूत से भी लगातार पानी बह रहा था और वो इस वक़्त बड़ी मुश्किल से उन सब के बीच खड़ी थी. पर जो भी हो उसे अब ये सब अच्छा लग रहा था. क्यों कि अब राधिका किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.



राधिका- बिहारी मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ. तुम जो भी मेरे साथ खेल खेलना चाहो जी भर कर खेलो मगर मैं ये सब अब होश में रहकर नहीं करना चाहती. मुझे इस वक़्त शराब की ज़रूरत हैं. और तुम अच्छे से जानते हो कि आदमी नशे की हालत में वो सब कुछ कर सकता हैं जो वो होश में रहकर कभी नही कर सकता. मैं बस इतना ही चाहती हूँ कि तुम मुझसे जो भी करवाना चाहो करवा लो मगर मैं अब होश में नहीं रहना चाहती.



राधिका की बातों को सुनकर बिहारी मुस्कुरा देता हैं- ठीक हैं मेरी जान जैसी तेरी मर्ज़ी. आज तुझे हम एक ख़ास किस्म का नशा देंगे जिससे तुझे ऐसा लगेगा कि तू वाकई जन्नत में है. और ये नशे के आगे तो शराब भी कुछ नही हैं. फिर वो विजय को कुछ आँखों ही आँखों में इशारा करता हैं और विजय भी मुस्कुरा कर वो वही रखा ड्रॉयर खोलता हैं और उसमें एक इंजेक्षन और एक ड्रग्स की शीशी रखी हुई थी. वो उसे उठा कर ले आता हैं और वहीं वो ड्रग्स का इंजेक्षन फिल करने लगता हैं. राधिका बड़े ध्यान से विजय को देख रही थी मगर वो नहीं जानती थी कि विजय के हाथों में जो चीज़ हैं वो ड्रग्स हैं.
 
फिर विजय उसके करीब आता हैं और राधिका को अपने हाथ आगे करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपना हाथ आगे बढ़ा देती हैं. विजय वैसे तो एक डॉक्टर था वो जानता था कि राधिका को इस वक़्त ड्रग्स का कितना डोज देना चाहिए. फिर वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगा देता हैं और कुछ देर में वो ज़हर उसकी रगों में समा जाता हैं. इस वक़्त ऐसे भी राधिका कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं थी इस लिए वो किसी भी बात का विरोध नहीं करती और थोड़ी देर के बाद वो वही फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं. शायद ड्रग्स का नशा पहली बार साधारण इंसान उसे बर्दास्त नहीं कर पाता. कुछ देर तक वो वहीं फर्श पर पड़ी रहती हैं और धीरे धीरे ड्रग्स अपना असर दिखाना शुरू कर देता हैं.



थोड़ी देर के बाद वो उठती हैं और फिर उसे ऐसा लगता हैं कि वो अब दुबारा गिर पड़ेगी मगर जग्गा उसे तुरंत अपनी बाहों में थाम लेता हैं और अपना होन्ट राधिका के होंठो पर रखकर उसे चूसना शुरू कर देता हैं. राधिका भी अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी होंटो को हरकत करना शुरू कर देती हैं फिर जग्गा अपना एक हाथ राधिका के सीने पर रखकर वो अपने हाथों पर दबाव बढ़ाने लगता हैं. राधिका पर भी ड्रग्स का नशा धीरे धीरे हावी होता जा रहा था. उसकी आँखे अभी भी बंद थी ऐसे ही काफ़ी देर तक जग्गा उसके होंटो को चूस्ता हैं.



यहाँ पर राधिका का पतन अब इतना नीचे हो चुका था कि अब उसका दुबारा लौटना ना-मुमकिन था. और आज जो कुछ भी हो रहा था वो इन सब की ज़िम्मेदार वो खुद थी. जहाँ अब उसको प्रायश्चित करने का भी मौका नहीं मिलने वाला था.




राधिका अभी भी बेसूध जग्गा की बाहों में थी और जग्गा उसके होंटो को चूस रहा था और साथ ही साथ राधिका के निपल्स को भी अपने दोनो उंगलियों से बारी बारी मसल रहा था. होंटो पर होंठ सटे रहने की वजह से राधिका की सिसकारी उसके अंदर ही घुट रही थी. वो अभी भी पूरी मदहोशी की हालत में थी. तभी बिहारी जग्गा को हटने का इशारा करता हैं. और जग्गा राधिका से दूर हो जाता हैं.



बिहारी- अरे मेरी जान चुदाई का खेल तो चलता ही रहेगा चल सबसे पहले तू कुछ खा पी ले. और वैसे भी मैने आज तेरे लिए स्पेशल डिश बनवाया हैं. तुझे ज़रूर पसंद आएगा. राधिका फिर से बिहारी की ओर सवाल भरे नज़रो से देखने लगती हैं. फिर बिहारी वहीं टेबल पर जग्गा को खाना निकालने को कहता हैं.



बिहारी- आजा मेरी जान आज मैं तुझे अपनी गोद में बिठा कर खिलाउन्गा. राधिका की इस वक़्त ऐसी हालत थी कि उसे कुछ ग़लत सही में फ़र्क नहीं नज़र आ रहा था वो चुप चाप वहीं बिहारी के पास खड़ी रहती है तभी बिहारी उसको अपने नज़दीक खींच लेता हैं और उसे अपनी गोदी में बिठा देता हैं. राधिका कोई विरोध नहीं करती और चुप चाप बिहारी की गोद में बैठ जाती हैं. बिहारी का लंड इस वक़्त पूरी तरह से खड़ा था और राधिका के गोद में बैठने से उसका लंड उसकी गान्ड को टच कर रहा था. फिर जग्गा एक प्लेट में चिकन निकालता हैं और उसे बिहारी और राधिका की तरफ बढ़ा देता है. बिहारी एक पीस चिकन का टुकड़ा लेकर राधिका के मूह के पास लता हैं और राधिका का मूह खुलने का इंतेज़ार करता हैं.



बिहारी- ऐसा क्या देख रही हैं मेरी जान. एक दिन तो तूने खुद अपने भैया के लिए ये चिकन खाई थी आज हम सब के लिए खा ले. राधिका ना चाहते हुए भी बिहारी को मना नहीं कर पाती और अपना मूह खोलकर वो चिकन धीरे धीरे खाने लगती हैं. उसे फिर से तेज़ ओमिटिंग आती हैं मगर बिहारी उसे झट से पानी दे देता हैं पीने के लिए. बड़ी मुश्किल से वो चिकन का पीस खाती हैं. ऐसे ही करीब 1/2 घंटे तक बिहारी उसको अपने हाथों से खिलाता है.



खाना खाने के बाद बिहारी अपनी जेब से तीन वियाग्रा की गोली निकालता हैं और पहले विजय फिर जग्गा और आखरी में खुद वियाग्रा की गोली ख़ाता हैं. (वियाग्रा का यूज़ सेक्स पवर बढ़ाने के लिए होता हैं और अपने पार्ट्नर को गरम करने के लिए भी वायग्रा का यूज़ किया जाता हैं) राधिका उन तीनों को बड़े ध्यान से देख रही थी मगर वो ये नहीं समझ पा रही थी कि ये लोग कैसी दवाई ले रहे हैं. करीब 1/2 घंटे के बाद फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल शुरू हो जाता हैं. इस वक़्त भी वो वाइब्रटर उसकी चूत में था मगर उसकी स्पीड बहुत कम थी. राधिका की आँखों में इस वक़्त हवस और ड्रग्स का नशा सॉफ छलक रहा था.



बिहारी फिर से राधिका के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसकी नंगी पीठ पर अपने होंठ रख देता हैं और बहुत धीरे धीरे अपना जीभ उसके पीठ पर फिराने लगता हैं. राधिका के मूह से फिर से तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. बिहारी अपना एक हाथ आगे लेजा कर राधिका के दोनो दूध पर रख देता हैं और पहले धीरे धीरे फिर ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो दूधो को मसल्ने लगता हैं. राधिका की आँखें फिर से बंद हो जाती हैं. राधिका के अंदर अब किसी भी चीज़ का विरोध ख़तम हो गया था वो आब उनसब को अपनी मनमानी करने दे रही थी. शायद उसकी हालत इस वक़्त ऐसी थी इस वजह से.



विजय- चल मेरी जान आब खेल शुरू करते हैं. खेल ये हैं कि तुझे हम सब का लंड बारी बारी चूसना हैं और तुझे इसके लिए 15 मिनिट का समय मिलेगा. अगर इन 15 मिनिट में तूने हम तीनों को फारिग कर दिया तो तू जीती वरना हार गयी तो अब तेरे जिस्म पर एक भी कपड़े नहीं रहेंगा. और फिर तुझे ये कपड़े पूरे एक हफ्ते के बाद ही मिलेंगे. एक हफ्ते तक तू हम सब के सामने बिना कपड़ों के रहेगी. इस लिए कोशिश करना कि इस बार तेरी हार ना हो....
 
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