Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 6 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

वक़्त के हाथों मजबूर--18

ख़ान- आपने ठीक कहा सर!!! लाइफ ईज़ आ स्ट्रगल. यहाँ पर हर पल जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं.

राधिका भी चुप चाप उनकी बातें सुन रही थी. अब वो पहले से बेहतर महोसूस कर रही थी.

ख़ान- एक बात बोलू साहेब. ये आप पर पाँचवा हमला हुआ हैं. मुझे तो लगता हैं कि कोई आपसे दुश्मनी निकाल रहा हैं. और जो भी हो वो बहुत शातिर हैं क्यों कि वो आपकी पल पल की खबर रखता हैं. मुझे तो लगता हैं कि इन सब के पीछे कोई बहुत आपका करीबी आदमी हैं.

ख़ान की बातें सुनकर राधिका भी चौंक जाती हैं और राहुल भी गहरे विचार में डूब जाता हैं.

ख़ान- क्या सोच रहे हैं सर. आपको किसी पर शक हैं क्या???

राहुल एक नज़र राधिका के तरफ देखता हैं फिर वो ना में इशारा करता हैं. राधिका को इस बार राहुल पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आता हैं मगर अभी ऐसे हालत नहीं थे कि वो इस बारे में कुछ बहस करे. इसलिए वो चुप ही रहती हैं.

अभय- यार हम भी कैसे इंसान हैं. तेरी लवर तुझसे मिलने आई हैं और हम बीच में काँटा बने बैठे हैं. और फिर ख़ान और अभय रूम से बाहर निकल जाते हैं. राहुल भी मुस्कुरा देता हैं.

राहुल राधिका को अपने करीब आने को कहता हैं और जैसे ही राधिका उसके करीब बिस्तर पर बैठती हैं वो उसे अपनी बाहों में जाकड़ लेता हैं.

राधिका- ये क्या कर रहे हो राहुल. छोड़ो मुझे. तुम तो अब हॉस्पिटल में भी शुरू हो गये. शरम नही आती इतनी चोट लगी हैं और आपको रोमॅन्स सूझ रहा हैं.

राहुल- अरे जान इस दर्द का ही तो इलाज़ कर रहा हूँ. बस एक बार प्यार से अपने लब चूम लेने दो देखना मेरा आधा दर्द दूर हो जाएगा.

राधिका- अच्छा तो बचा हुआ आधा दर्द के लिए क्या करना पड़ेगा.

राहुल- वही जो कल हमने किया था. अगर बोलो तो मैं यहाँ पर भी वो सब करने को तैयार हूँ.

राधिका- बहुत बिगड़ गये हो. सुधेर जाओ नहीं तो....................

राहुल बोलो ना नही तो क्या यहीं पर अपने कपड़े निकाल दोगि क्या....और राहुल मुस्कुरा देता हैं.

राधिका- बेशरम कहीं के... जाओ मुझे तुमसे अब कोई बात नहीं करनी.

राहुल- दे दो ना जान एक किस ही तो माँग रहा हूँ. देखना मैं दो दिन में फिर से पहले जैसे हो जाऊँगा.

राधिका धीरे से अपना लब राहुल के लब पर रख देती हैं और उसे बड़े प्यार से चूम लेती हैं.

राहुल- बस इतना छोटा सा........... ये तो ना-इंसाफी हैं.

राधिकल- पहले ठीक हो जाओ फिर जैसे कहोगी वैसे दूँगी.

राधिका- एक बात बताओ राहुल तुमने ख़ान जी से झूट क्यों बोला. क्यों तुम्हें नहीं लगता कि इन सब के पीछे विजय का हाथ होगा.

राहुल- नही राधिका मैं उसपर शक नही कर सकता. और मेरे पास फिलहाल कोई सुबूत भी नही है. और एक बात बता दूँ कि मेरा ज़मीर भी मुझे कभी इसकी इज़ाज़त नही देगा कि मैं अपने ही दोस्त की एंक्वाइरी करवाउ. बहुत एहसान हैं उसके घरवालों और विजय का मुझपर. और मैं उनके खिलाफ कभी नही जा सकता.

राधिका- ठीक हैं राहुल मैं तुम्हारे दोस्ती के बीच में कभी नही ऑजी मगर दोस्त पर भी इतना विश्वास नही करनी चाहिए की कल को तुम्हें पछताना पड़े. और एक बात मैं कहना चाहूँगी की विजय की नियत मुझे ठीक नही लगती. और मेरा दिल कहता हैं कि उसकी नज़र मुझपर भी है. कहीं राहुल ऐसे ना हो जाए की जब तक तुम ये बात समझो तब तक बहुत देर हो जाए.............. इतना कहकर राधिका के मन में उस दिन वाले बात घूमने लगती हैं.
 
राहुल- छोड़ो ना जान तुम भी क्या लेकर बैठ गयी.

इतनी देर में ख़ान और अभय भी अंदर आ जाते हैं.

ख़ान- सर अब मुझे चलना चाहिए.

राहुल- ठीक हैं ख़ान आप एक काम कीजिए ज़रा राधिका को भी उसके घर पर ड्रॉप कर दीजिएगा.

ख़ान- आइए भाभी जी चलिए मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

राधिका भी ख़ान के मूह से भाभी जी सुनकर मुस्कुरा देती है और वो ख़ान के पीछे चल देती हैं.

राधिका के जाने के बाद वो फिर से उसकी कही हुई बातों उसके दिमाग़ में आने लगती हैं. तो क्या राधिका का शक सही है ,क्या इन सब के पीछे विजय का हाथ हैं. उस दिन भी तो विजय का मुझपर हमला होने के पहले फोन आया था. और आज भी ऐसा ही हुआ. लेकिन विजय तो रोज़ मुझसे ऐसी ही बात करता हैं. ऐसा कोई दिन नहीं गया जब उसका फोन ना आया हो. नही नही मैं अपने दोस्त पर शक नही कर सकता.

तभी एक बात उसके दिमाग़ में आती हैं. हां अगर विजय आज मुझसे मिलने यहाँ आता हैं तो वो ये सब में शामिल नही हो सकता.अगर वो यहाँ पर नहीं आया तो मैं कल से ख़ान को बोलकर उसकी एंक्वाइरी शुरू करवा दूँगा. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ कि कोई भी मुजरिम गुनाह करने के बाद वहाँ पर मौजूद नही होता.. इससे ये बात भी क्लियर हो जाएगा और मेरा शक भी दूर हो जाएगा.

ऐसे ही बहुत डियर तक उधेरबुन में राहुल की आँख लग जाती हैं. और वो सो जाता हैं.

करीब शाम को 4 बजे विजय भी वहाँ पर आ जाता हैं. और राहुल के पास जाकर बैठ जाता हैं. विजय को देखकर राहुल का बचा खुचा शक भी दूर हो जाता हैं.

विजय जैसे ही उसके पास बैठता हैं वो राहुल को अपने गले लगा लेता हैं.

विजय- ये सब क्या हो गया मेरे दोस्त. अच्छा ख़ासा तो तू ठीक था फिर ये सब.....................

राहुल- पता नहीं यार कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ हैं. समझ में नही आ रहा कि आख़िर मेरे से किसी की क्या दुश्मनी हो सकती हैं.

विजय- रिलॅक्स यार. ये सब तू टेन्षन मत ले. और वैसे भी तो तू पोलीस वाला हैं ना तू तो उसे पता कर ही लेगा.

राहुल- आख़िर जो भी हो वो मुझसे कब तक बचेगा.

विजय- ठीक हैं दोस्त तू आराम कर और अपना ध्यान रखना. अगर कोई भी चीज़ की परेशानी हुई तो तेरा ये दोस्त हैं ना. जब चाहे तू मुझे याद कर लेना. मैं हाजिर हो जाउन्गा.

राहुल- अरे यार तू इतना ही मेरे पास आ गया तो मेरे दिल से एक बहुत बड़ा बोझ उतर गया. चल मैं ठीक हूँ तुझे तो अपने क्लिनिक भी तो जाना हैं ना.

विजय- हां अब मैं चलता हूँ तू अपना ख्याल रखना. और विजय वहाँ से निकल जाता हैं.

विजय के चेहरे पर फिर से एक बार कुटिल मुस्कान तैर जाती हैं और मन ही मन सोचता हैं. साला इस बार भी बच गया. सला मेरी तो किस्मत ही खराब हैं. जब से इस कुत्ते के पीछे पड़ा हूँ इसकी किस्मेत भी अब बुलंद हो गयी हैं. कब तक आख़िर मुझसे बचेगा... आख़िर कब तक बकरा अपनी खैर मनाएगा. कभी ना कभी तो किसी कसाई के हाथों हलाल होगा ही..................................

राधिका जैसे ही घर पहुचती है उसके भैया घर पर आ चुके थे. आज वो पूरे नशे में थे. और राधिका के आने का ही इंतेज़ार कर रहे थे.

कृष्णा- आ गयी तू. इतनी देर कहाँ लगा दी. मैं कब से तेरा ही इंतेज़ार कर रहा था.

राधिका- भैया आज भी आपने शराब पी रखी हैं. और आज आप इतनी जल्दी काम से कैसे आ गये.

कृष्णा- वो बस ऐसे ही तू बता कहाँ रह गयी थी. क्या आज भी तू उस पोलिसेवाले से मिलकर आ रही हैं.

राधिका- भैया आज.....राहुल का आक्सिडेंट हो गया हैं. मैं बस हॉस्पिटल से ही आ रही हूँ.

कृष्णा- क्यों.....क्या हुआ उसे.

राधिका-वो किसी ट्रक वाले ने पीछे से ठोकर मार दी. थोड़ी ज़्यादा चोटें आईं हैं पर अब ख़तरे से बाहर हैं.

कृष्णा- अच्छा फिर ठीक हैं मैं कल काम पर जाउन्गा तो उससे मिलते हुए जाउन्गा.

राधिका भी बड़े प्यार से कृष्णा के गले लग जाती हैं.

राधिका- यकीन नहीं होता भैया की आप मेरे लिए इतनी भी बदल सकते हैं. सच में मैं बहुत खुस हूँ.

मगर शायद राधिका की खुशी ज़्यादा देर तक नही रहने वाली थी क्यों कि अब उसकी खुशी को जल्दी ही ग्रहण लगने वाला था.

कृष्णा- चल बहुत बातें करती हैं , मेरे लिए फटाफट चाइ बना कर ला, मैं थोड़ा हाथ मूह धो कर आता हूँ.

तभी उसके घर का बेल बजती हैं.कृष्णा जाकर मेन डोर खोलता हैं. सामने बिहारी था और साथ में उसके तीन आदमी भी थे.

बिहारी को देखकर कृष्णा के चेहरे का रंग बदल जाता हैं और वो एक साइड होकर खड़ा हो जाता हैं. बिहारी तो पहले उसे बड़े गौर से देखता हैं फिर वो घर के अंदर आ जाता हैं. वही सामने भी राधिका खड़ी थी.

कृष्णा- क्यों बिहारी जी कैसे आना हुआ मेरे घर पर कोई काम हैं क्या???

बिहारी- ज़ोर का एक लात कृष्णा के पट पर मारता हैं और कृष्णा वही पर दर्द से बैठ जाता हैं. हरामी कहीं का जब तक मेरे ख़ाता था तब तक मालिक बोलता था और आज नाम लेकर बुला रहा हैं. तू तो साला नमक हराम निकला रे. मैने तो तुझे अपने बच्चे की तरह चाहा था. तू तो आस्तीन का साँप हैं ...........

कृष्णा कुछ बोलता नहीं हैं बस वही पर चुप चाप बैठा रहता हैं. मगर राधिका को ये सब बर्दास्त नहीं होता और वो जाकर बिहारी के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मार देती हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था की बिहारी का सिर घूम जाता हैं.

राधिका- लगता हैं कि आप तमीज़ बिल्कुल भूल गये हैं. किसी के घर जाते हैं तो किसी से किश तरह पेश आया जाता हैं लगता हैं आपको नहीं मालूम. बेहतर यही होगा कि आप इस वक़्त यहाँ से चले जाइए.

बिहारी- तेरी हिम्मत कैसी हुई मुझपर हाथ उठाने की. लगता हैं कि तू मुझे अच्छे से नहीं जानती.

राधिका- तुझ जैसे लोग को जाने की भी ज़रूरत नही हैं. बेहतर यही हैं कि आप यहाँ से अभी इसी वक़्त चले जाओ.

बिहारी- तुझसे तो मैं बाद में बात करता हूँ पहले तेरे भाई से कुछ बात करनी हैं.
 
बिहारी फिर कृष्णा की तरफ अपना मूह करके बोलता हैं.

बिहारी- क्यों रे कुत्ता. आज कल तू मेरे चौखट पर अपने पाँव नही रखता .. बात क्या हैं. कहीं अपनी बेहन से तो तुझे इश्क़ नही हो गया ना...... वैसे भी तेरी बेहन तो पूरी पाताका हैं.

कृष्णा- बिहारी ज़ुबान संभाल कर बात कर. मैं अभी तक चुप हूँ इसका मतलब ये नहीं है कि मैं तुझसे डरता हूँ. मैं तो बस अब कोई भी बात आगे नहीं बढ़ाना चाहता. अच्छा होगा की अब तू मुझे भूल जा और कोई नया आदमी मेरी जगह पर रख ले.

बिहारी एक बार फिर कृष्णा को घूर कर देखता हैं.....

बिहारी- अपने साथी की ओर इशारा करते हुए- देखो कल तक ये मेरे आगे पीछे दुम हिलाता था और आज मुझसे ये कैसी बातें कर रहा हैं. मुझे समझ में नही आ रहा हैं कि तुझसे हो क्या गया हैं. तेरी बेहन ने तुझपर कौन सा जादू कर डाला हैं जो तू अपने बचपन के मालिक को ही भूल जाने की बात कर रहा हैं.

कृष्णा- बिहारी जी आप प्लीज़ यहाँ से चले जाइए. मैं इस बारे में अब कोई भी बात नहीं करना चाहता.

बिहारी- चले जाउन्गा. इतनी जल्दी भी क्या हैं. ज़रा मैं भी तो देखू कि तेरी बेहन में कितनी गर्मी हैं.

कृष्णा- नहीं बिहारी. जो बात करनी हैं मुझसे कर. मेरी बेहन को तू क्यों बीच में ला रहा हैं. उसका हम दोनो से कोई लेना देना नहीं हैं. और कृष्णा राधिका को अंदर जाने का इशारा करता हैं.

बिहारी के तीनों आदमी झट से आगे बढ़ते हैं और कृष्णा के दोनो हाथ पकड़कर दो तीन घूसा उसके मूह और पेट पर जड़ देते हैं. पंच इतना ज़ोरदार था कि कृष्णा का होंठ फट जाता हैं और उसके मुँह से खून निकलने लगता हैं. ये सब नज़ारा देखकर अब राधिका को बर्दास्त नही होता और वो दौड़कर कृष्णा के पास जाकर उससे लिपट जाती हैं और बिहारी के आदमी भी कृष्णा पेर हाथ उठाना अब बंद कर देते हैं.

राधिका- प्लीज़ मेरे भैया को मत मरो. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. प्लीज़ रुक जाइए आप सब.........

राधिका को ऐसे कृष्णा से लिपटा देखकर बिहारी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती हैं.

बिहारी- वाह!!! वाह!!! क्या नज़ारा हैं. भाई बेहन का ऐसा प्यार तो मैने आज तक नही देखा. देखो मार ये खा रहा है और दर्द इसे हो रहा है.
 
और बिहारी भी अंडू के एकदम करीब चला जाता है और अपना दाया हाथ आगे बढाकर राधिका के बाल को कसकर पकड़ लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. फिर वो राधिका को घसीटता हुआ कृष्णा से दूर लेजाता है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देता हैं. थप्पड़ इतना ज़ोरदार था कि राधिका के आँखों से आँसू निकल जाते हैं और उसकी आँखों के सामने कुछ पल के लिए अंधेरा छा जाता हैं.

ये सब देखकर कृष्णा ज़ोर से चिल्ला पड़ता हैं. अब इस वक़्त वो भी मज़बूर था उसके दोनो हाथ बिहारी के आदमियों ने कसकर पकड़ रखे थे इस लिए वो चाह कर भी अपना हाथ नही छुड़ा पा रहा था.

कृष्णा- छोड़ दे बिहारी मेरी बेहन को. तेरी बात मुझसे हैं. तू मेरी बेहन को क्यों बीच में ला रहा हैं.

तभी बिहारी का एक आदमी कहता हैं- मालिक ये लड़की तो आप पर हाथ उठाई हैं. साली को यही पर इसके भाई के सामने इसका बलात्कार करते हैं. कसम से बहुत मज़ा आएगा.

कृष्णा भी अगर होश में रहता तो शायद वो उन तीनो का अकेला सामना कर लेता मगर वो इस समय खुद ठीक से खड़ा भी नही हो पा रहा था. सामना क्या खाक करता.

बिहारी भी राधिका के करीब जाता हैं और उसके सीने से दुपट्टा को उतार कर फर्श पर फेंक देता हैं. ये सब देखकर कृष्णा की आँखों में खून समा जाता हैं. राधिका झट से अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख देती हैं और अपना सिर नीचे झुका कर रोने लगती हैं. आज तक उसे अपनी ज़िंदगी में कभी इस तरह से किसी ने हाथ भी नही उठाया था. और ना ही किसी ने ऐसा जॅलील किया था.

कृष्णा- तेरी दुश्मनी मुझसे हैं. अगर तूने अब की बार राधिका को हाथ भी लगाया तो मैं भूल जाउन्गा की तेरा मुझपर कोई एहसान भी हैं. फिर चाहे मुझे फाँसी ही क्यों ना हो जाए लेकिन तू भी ज़िंदा नही बचेगा.

राधिका के आँख से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे. और वो उसी अवस्था में नीचे फर्श पर बैठी हुई थी.

अपना सिर को झुकाए.

बिहारी- देख कृष्णा अगर मैं चाहू तो यही पर तेरी बेहन के साथ गॅंगरेप करवा सकता हूँ तेरे आँखों के सामने. और तू तो जानता हैं कि इस दुनिया में कोई भी भाई कितना भी गिरा क्यों ना हो अपनी ही बेहन का गॅंगरेप होते हुए अपनी आँखों के सामने कभी नहीं देख सकता. और मैं जांटा हूँ कि तू भी ये नही चाहेगा.

कृष्णा- देख बिहारी मेरी बेहन को बीच में मत घसीट. तुझे जो करना हैं मेरे साथ कर. .......

बिहारी हंसते हुए..... देख भाई मैं यहाँ पर तुझसे कोई दुश्मनी निकालने के लिए नहीं आया हूँ. मैं तो बस एक सौगात लेकर आया था मगर तुझे तो मेरी कोई भी बात सीधी तरह समझ में नहीं आती .

कृष्णा- कैसा सौगात.??? मैं कुछ समझा नहीं. ???

बिहारी फिर अपने आदमियों से कृष्णा का हाथ छोड़ने का इशारा करता है और तीनों आदमी एक साइड खड़े हो जाते हैं.

बिहारी- देख कृष्णा अब जो मैं तुझसे कहना चाहता हूँ वो तू ध्यान से सुन. तू मेरे यहाँ काम कर चाहे ना कर इस बारे मे मैं तुझे कुछ नही कहूँगा. पर.............

कृष्णा-पर............क्या बिहारी.

बिहारी- मैं तो तेरी बेहन से अपने ब्याह का प्रस्ताव लेकर आया हूँ. मैं तेरी बेहन से शादी करना चाहता हूँ.

राधिका ये सब सुनकर उसके होश उड़ जाते हैं और कृष्णा का भी मूह खुला रह जाता हैं.

कृष्णा- क्या............ ये......क्या कह रहे हो बिहारी.....ऐसा कभी नहीं हो सकता..

बिहारी- क्या करूँ कृष्णा तेरी बेहन हैं ही ऐसी. मेरा दिल उसपे आ गया हैं. सोच ले कोई जल्दी नहीं हैं. आराम से खूब सोच समझ कर बताना.

राधिका- भैया इनसे कह दो कि मैं मर जाउन्गि मगर इनसे कभी शादी नहीं करूँगी. अरे कम से कम अपनी उमर का तो लिहाज करो. मेरे बाप के उमर के हो और अपनी बेटी के बराबर लड़की से शादी करना चाहते हो.

बिहारी- अरे देख ना मुझे , क्या नहीं हैं मेरे पास. बंगला, गाड़ी, शोहरात, सब कुछ तो हैं. और तो और मैं इस सहर का एमएलए भी हूँ. बस तू हां कह दे फिर देखना तुझे रानी बनाकर रखूँगा. तुझे किसी भी चीज़ की तकलीफ़ नही होगी. यहाँ पर क्या रखा हैं. ये टूटा हुआ घर. तू कैसे ऐसे माहूल में रहती होगी. मेरे साथ चल तुझे मैं अपने पलकों पर बिठा कर रखूँगा.

कृष्णा- बिहारी , अगर तेरा मुझपर एहसान नहीं होता तो तू इस वक़्त यहाँ अपने कदमों पर खड़ा नही होता. तूने ये कैसे सोच लिया कि मैं अपनी बेहन का हाथ तुझे दूँगा. इससे पहले कि मैं सब कुछ भूल जाओं तू यहाँ से चला जा अपने आदमियों के साथ.

बिहारी- ठीक हैं अगर तुम दोनों का यही फैल्सा हैं तो यही सही. लेकिन एक बात जान ले अगर मुझे कोई भी चीज़ पसंद आ जाती हैं तो मैं उसे किसी भी तरह हासिल कर लेता हूँ. चाहे शाम................दाम ..........डंड................भेद......... अगर इन चारों नीति में से मुझे जो भी अपनाना पड़े , राधिका को अगर हासिल करने में तो.. मैं इससे पीछे नहीं हटूँगा. अगर राधिका मेरी नही हुई तो मैं उसे किसी और के लायक रहने भी नही दूँगा.

कृष्णा- बिहारी अबकी आखरी बार बोल रहा हूँ चुप चाप चल जा. वरना मैं भूल जाउन्गा कि ..................

बिहारी- जा रहा हूँ लेकिन कब तक तू अपनी बेहन को बचाता फ़िरेगा. देख लेना मुझसे दुश्मनी तुझे बहुत महँगी पड़ेगी.

और बिहारी अपने आदमियों से साथ बाहर निकल जाता हैं..

राधिका भी दौड़ कर कृष्णा के गले लग जाती हैं. आज वाकई में उसका दिन बहुत खराब बीता था. कृष्णा भी उसे बड़े प्यार से अपनी बाहों में ले लेता हैं और उसके सर पर अपना हाथ फेरता हैं.

राधिका- भैया मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दो. मैं सच में जीना नहीं चाहती. दुनिया में लोग खूबसूरत बनने के लिए ना जाने क्या क्या करते हैं. और आज मेरी सुंदरता ही मेरी दुश्मन बनती जा रही हैं. देख लेना किसी दिन ये मेरी जान लेकर ही रहेगी.

कृष्णा- वो तेरा कुछ नहीं बिगड़ पाएगा. मेरे जीते जी कोई तुझे आँख उठा कर भी देखेगा तो साले की आँखें निकाल लूँगा......

फिर दोनो की आँखें से आँसू बहने लगते हैं .................................

राधिका उसी तरह कृष्णा के बाहों में ऐसे ही लिपटी रहती हैं. फिर वो उठकर जाती हैं और डेटोल और रूई लेकर आती हैं और कृष्णा के होंठ पर लगाती हैं. कृष्णा भी एक टक राधिका को बड़े ही प्यार से देखने लगता हैं.

कृष्णा- रहने दे राधिका मैं इसी लायक हूँ. आज मेरी वजह से वो बिहारी तेरे पर हाथ उठा कर चला गया और मैं कुछ नहीं कर सका.

राधिका- इसमें आपकी कोई ग़लती नहीं हैं भैया. वो तो हैं ही कमीना.
 
कृष्णा के मन में कई सवाल उठ रहे थे. आज उसके दिल में अपनी ही बेहन के लिए डर बढ़ गया था. वो अच्छे से जानता था कि बिहारी किस हद्द का कमीना हैं. उसे जो भी चीज़ पसंद आ जाती हैं वो उसे किसी भी हाल में हासिल करना चाहता हैं. और जो वो धमकी देकर गया हैं वो बस बोलता ही नहीं हैं बल्कि करता भी हैं. ये सब सोचकर वो कुछ राधिका के लिए परेशान था.

कृष्णा-मैं तो ये सोच रहा हूँ कि हम ने बहुत बड़ी ग़लती की बिहारी से उलझकर. मैं उसको बहुत अच्छे से जानता हूँ वो बहुत ही कमीना हैं. मुझे तो बस तेरी चिंता हैं. अगर तुझे कुछ हो गया तो.......................

राधिका- कैसी बात करते हैं भैया. आपके रहते मुझे कुछ होगा क्या.

कृष्णा अपना हाथ प्यार से राधिका के सिर पर रख देता हैं और उसके माथे को चूम लेता हैं.

कृष्णा- मेरे रहते तुझे कोई छू भी नहीं सकता. जान दे दूँगा लेकिन तुझे कुछ नहीं होने दूँगा. आज से ये तेरा भाई तुझसे वादा करता हैं.

राधिका भी मुस्कुरा देती हैं. फिर कृष्णा उठकर बाहर जाता हैं और कुछ खाने का समान लेकर आता हैं.

कृष्णा- आज मैं तुझे अपने इन हाथों से खिलाउन्गा.

राधिका- हां भैया आपका मुझपर पूरा हक़ हैं. जो आपको अच्छा लगे मैं आज के बाद कभी आपको किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.

कृष्णा फिर बड़े प्यार से राधिका को अपने हाथों से खाना खिलाता हैं और राधिका भी अपने हाथों से कृष्णा को खाना खिलाती हैं. दोनो बड़े प्यार से एक दूसरे को देखते है.

कृष्णा- तुझे याद हैं आज पुर दस दिन बीत गये हैं. और अभी 4 दिन बाकी हैं. कृष्णा राधिका को कुछ याद दिलाते हुए बोला.

राधिका- क्या भैया आप भी ना........... नही सुधरोगे. एक तरफ तो मेरी हिफ़ाज़त करने को बोलते हो तो दूसरी तरफ मुझे सिड्यूस करने को. मैं सच में आभी तक आपको समझ नही पाई.

कृष्णा मुस्कुराते हुए- लगता हैं मैं ये शर्त हार जाउन्गा. अब तो लगता हैं की मेरा सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा.

राधिका- आप भी ना भैया.

कृष्णा- तो तू अपने मूह से बोल क्यों नहीं देती. बस मुझे और कुछ नहीं चाहिए.

राधिका- ठीक हैं भैया मैं खुद बोलूँगी, मगर अभी नहीं आज मैं पहले से ही बहुत डिस्टर्ब हूँ.

कृष्णा- ठीक हैं राधिका मुझे तुझपर पूरा भरोसा हैं. तेरे जवाब का मुझे पहले भी इंतेज़ार था आज भी हैं और कल भी रहेगा.

राधिका - चलिए भैया आज आप मेरे रूम में चलकर सो जाइए. इस वक़्त आप बहुत नशे में हैं और आज मुझे बहुत डर भी लग रहा हैं. मैं आपके बाजू में वही पर सो जाऊंगी.

कृष्णा- तू इतने यकीन से कैसे कह सकती हैं कि मैं तुझे हाथ भी नही लगाउन्गा. अगर रात में मैं तेरे साथ कुछ..............

राधिका- मुझे अपने आप से ज़्यादा आप पर भरोसा हैं. मैं जानती हूँ कि आप मेरी मर्ज़ी के बिना मुझे हाथ भी नही लगाएगे. फिर राधिका एक बार कृष्णा के गले लग जाती हैं.

फिर कृष्णा और राधिका आकर एक ही बिस्तेर पर सो जाते हैं . कृष्णा तो जैसे ही बिस्तेर पर आता हैं वो तुरंत सो जाता हैं मगर आज राधिका कुछ ज़्यादा ही परेशान और बेचैन थी. वो बड़े गौर से कृष्णा को देखने लगती हैं. आज ना जाने क्यों उसे अपने भैया के प्रति प्यार और बढ़ गया था. आज वो अपने आप को कृष्णा के लिए समर्पित करना चाहती थी.

थोड़े देर ये सब सोचने के बाद वो कृष्णा का दाया हाथ अपने हाथ मे लेकर उसे बड़े प्यार से देखने लगती हैं. मगर कृष्णा को कोई होश नहीं था. फिर राधिका कुछ सोचकर कृष्णा का हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए पहले अपने लब पर रख देती हैं फिर उसके उंगली को एक एक करके बड़े प्यार से चूसने लगती हैं. कुछ देर तक ऐसा करने के बाद वो उसका हाथ धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने पर रख देती हैं और अपने हाथ पर प्रेशर बढाने लगती हैं. अगर कृष्णा इस वक़्त जगा होता तो वो खुशी से पागल हो जाता.

फिर वो कृष्णा का हाथ को उसी तरह अपने सीने पर घुमाने लगती हैं और फिर अपना एक हाथ नीचे लेजा कर अपनी चूत को ज़ोर से मसल्ने लगती हैं. आज उसे ये भी होश नहीं था कि वो क्या कर रही हैं. इसी तरह कुछ देर बेचैन रहने के बाद वो उठ ती हैं और बाथरूम जाती हैं और फिर किचन में जाकर ठंडा पानी पीती हैं और फिर आकर कृष्णा की बाहों में अपना सिर रखकर उसके आगोश में सो जाती हैं. कृष्णा के बदन की गर्मी से राधिका के मन में फिर से बेचैन होने लगता हैं मगर वो नहीं चाहती थी कि आज वो कोई ऐसा वैसा काम करे. इसलिए बहुत कॉसिश करने के बाद वो कृष्णा से लिपटकर उसकी बाहों में सो जाती हैं...............

सुबह जब राधिका की नींद खुलती हैं तो कृष्णा का एक हाथ उसके सीने पर रहता हैं. वो भी बस मुस्कुरा देती है और बड़े प्यार से अपने भैया का माथा चूम लेती हैं. फिर वो उठकर फ्रेश होती है और किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगती हैं.

दूसरी तरफ......................

करीब 10 बजे विजय के घर पर...

विजय अपने घर में बस शर्ट पहने हुए अपना एक हाथ अपने लंड पर रखकर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था और बार बार राधिका का नाम ले रहा था. वो अपने में इतना मस्त था कि वो घर का मेन डोर बंद करना भी भूल गया था और वो अब अपने चरम पर पहुँचने वाला ही था कि किसी ने उसके घर पर आकर उसके मैन डोर को एक ज़ोरदार लात मरता हैं और दरवाज़ खुल जाता हैं.

सामने बिहारी था और बिहारी अंदर आते ही एक ज़ोरदार लात विजय के लंड पर मारता हैं और विजय के मूह से एक ज़ोरदार चीख निकल जाती हैं.....

बिहारी- मदर्चोद........ अपने गले में फाँसी का फँदा लगने वाला हैं और ये मदर्चोद यहाँ पर मूठ मार रहा हैं.

विजय- ज़ोर से चीखते हुए.........ये क्या बदतमीज़ी हैं बिहारी. तूने मुझे लात क्यों मारी.

बिहारी- लात नहीं मारू तो क्या तेरी आरती उतारू. मदर्चोद किसी दिन तू मुझे भी ले डूबेगा.

विजय कुछ देर में नॉर्मल होता हैं और फिर अपना पेंट पहन लेता हैं.

बिहारी- तुझे किसने कहा था उस इनस्पेक्टर पर हमला करने को. तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. अभी कल ही हमारे दो आदमी मारे गये हैं और उपर से तूने उसपर हमला करवा दिया. अब तो उसे पूरा यकीन हो गया होगा कि ज़रूर ये हमलावर उसी के ही आदमी होगे.

विजय- तो मैं और क्या करता. कब तक मैं अपना धंधा बंद करके बैठूं. मेरी तो प्लॅनिंग उसे जान से मारने की थी मागर साला उसकी किस्मत अच्छी हैं कि वो फिर से बच गया.

बिहारी- तुझे पता भी हैं राहुल और उसके डिपार्टमेंट के सारे पोलिकवले कुत्ते की तरह उस ट्रक को ढूँढ रहे हैं. और हो ना हो उन्हें एक दो दिन में वो ट्रक मिल ही जाएगा.

विजय- अगर मिल भी जाएगा तो कोई फायेदा नहीं होगा. पोलीस उनसे कुछ नही उगलवा पाएगी. क्योंकि वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. उनका काम ही हैं दूसरी पार्टी से पैसा लेना और काम ख़तम होते के बाद अपना पैसा लेकर चले जाना. ना तो उनलोगों ने मुझे देखा हैं ना ही मैं उन्हें पहचानता हूँ.

बिहारी- ठीक हैं लेकिन याद रखना अगली बार कोई ग़लती नहीं होना चाहिए. अगर इस बार हम से कोई चूक हुई तो हम इस बार दुनिया से ही चले जाएगे.

विजय- तू अपनी मौत से कितना डरता हैं बिहारी. एक ना एक दिन तो मरना ही हैं ना..........फिर डर कैसा.

बिहारी- तो इसका मतलब मैं जाकर मौत को अपने गले लगा लूँ क्या. अभी तो मुझे जीवन में बहुत मज़े करने हैं. और बिहारी और विजय हँसने लगते हैं
 
वक़्त के हाथों मजबूर--19

बिहारी- एक बात बता अगर तू राहुल को सच में जान से मारना ही चाहता था तो तू कल क्यों गया था उससे फिर मिलने.

विजय- ताकि उसको शक ना हो क़ि ये सब के पीछे मेरा मास्टरमाइंड हैं. अब मैं पूरे यकीन से कह सकता हूँ कि राहुल को मुझपर शक कभी नही होगा. और उससे दोस्ती का भी एक फ़ायदा हैं मुझे हर न्यूज़ अप टू डेट मिलती रहती हैं.

बिहारी- वाकई तू तो सच में समझदार हैं. चल मुझे माफ़ कर दे कहीं ज़्यादा ज़ोर की तो नहीं लगी ना.

विजय- मदर्चोद मार कर बोलता हैं कि ज़्यादा ज़ोर की नही लगी. मन तो किया था कि तुझे गोली मार डून. विजय अपने दाँत पीसते हुए बोला.

बिहारी- अरे हो गयी ना ग़लती. एक बात बता तू मेरे लिए लड़की लाने वाला था उसका क्या हुआ.

विजय- मिल गयी हैं. अगर तू कहे तो यहीं पर बुला लूँ. फिर हम दोनो मिलकर उसे चोदेन्गे.

बिहारी- यहाँ पर नहीं. अरे मेरी भी कोई इज़्ज़त हैं. अगर पकड़ा गया तो साला पार्टी में नाक कट जाएगी. और जनता मुझपर थूकेगी.

विजय- तो कहाँ पर ................

बिहारी- एक काम कर मेरे गेस्ट हाउस पर उसे बुला ले कल शाम को. पूरी रात उसे हम दोनो मिलकर चोदेन्गे. क्यों क्या ख़याल हैं.

विजय- कुत्ते का दुम सीधा हो सकता हैं मगर बिहारी सुधार जाए ये कभी नही हो सकता. इतना कहकर विजय और बिहारी हँसने लगते हैं.

...........................................

सुबह करीब 10 बजे निशा भी हॉस्पिटल पहुँच जाती हैं राहुल से मिलने के लिए. निशा भी अब राहुल से बे-इंतेहा प्यार करने लगी थी. उसके दिल दिमाग़ में बस राहुल था. मगर आज तक उसे कभी हिम्मत नही हुई थी कि वो जाकर राहुल को प्रपोज़ कर दे. मगर आज वो कुछ ऐसा ही सोचकर आई थी कि वो अपने प्यार का इज़हार करेगी.

जैसे ही वो राहुल को देखती हैं वो बड़ी मुश्किल से आपने आप को संभालती हैं और झट से जाकर राहुल के बगल में बैठ जाती हैं.

निशा- कैसे हो राहुल!! ये सब कैसे हो गया. और किसी ने मुझे बताना भी ज़रूरी नही समझा.

राहुल- नही निशा जी ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस एक ट्रक वाले ने पीछे से ठोकर मार दी.

निशा- मगर आटीस्ट मुझे तुम एक बार फोन तो कर ही सकते थे ना. वो भी तुमने ज़रूरी नहीं समझा.

राहुल- ओके बाबा आइ आम सॉरी. बात ही ऐसी थी कि मैं बताना नही चाहता था. तुम बेवजह परेशान होती. डॉन'ट माइन मैं अब ठीक हूँ. बस कल डिसचार्ज हो जाउन्गा. आज राधिका नही आई क्या तुम्हारे साथ.

निशा- नही आज मैं कॉलेज नही गयी. जब ये खबर सुनी तो झट से यहाँ चली आई. राधिका शायद आज कॉलेज में होगी. क्या वो ये बात जानती हैं.

राहुल- हां वो तो कल ही मुझसे मिलने आई थी.

निशा- क्या???? राधिका ये सब जानते हुए भी मुझे बताना ज़रूरी नहीं समझा. ठीक हैं अगर मिलेगी तो उसे बताती हूँ.

राहुल- अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड हैं. भूल गयी होगी. वैसे आप दोनो की दोस्ती भी कमाल की हैं. सच में मैने ऐसा दोस्त नहीं देखा जो हर पल एक दूसरे के लिए जान तक देने को तैयार रहते हैं.

निशा- मेरी राधिका हैं ही ऐसी. पर पता नहीं क्यों वो आज कल कुछ दिनों से बदली बदली सी लग रही हैं. समझ में नही आती की उसे क्या हो गया हैं. हमेशा कुछ टेन्षन में दिखती हैं.

राहुल- मुझे तो ऐसा बिल्कुल नही लगता. वो तो सच में आटम बॉम्ब है. पर जो भी हैं कमाल की हैं.

निशा- राधिका के मूह पर ये बात मत कहना वरना पता नहीं तुम्हारा क्या हाल करेगी.

फिर थोड़े देर तक ऐसी ही बातें होती हैं और फिर कृष्णा भी राहुल से मिलने आ जाता हैं.

कृष्णा- अरे साहेब सुना कि आपका आक्सिडेंट हो गया हैं और आप अड्मिट हैं तो सोचा कि आपसे मिलता चलूं.

राहुल- आपने अच्छा किया जो आप मुझसे मिलने आ गये. मैं भी आपसे कुछ बातें करना चाहता था राधिका के बारे में.

निशा ये बात सुनती है तो वो आश्चर्य से राहुल और कृष्णा की तरफ देखने लगती हैं.

कृष्णा- कहिए साहेब क्या बात करनी हैं.

राहुल- वो मैं ...............
 
कृष्णा- मैं जानता हूँ साहेब कि आप राधिका से बहुत प्यार करते हैं और आप उससे शादी करना चाहते हैं. राधिका ने मुझे सारी बातें बता दी हैं. मुझे इस बारें में कोई परेशानी नहीं हैं. बल्कि मुझे तो खुशी होगी कि आप जैसा काबिल ऑफीसर से मेरी बेहन की शादी होगी. आप जब चाहे मेरी बेहन से शादी कर सकते हैं.

निशा के लिए कृष्णा की एक एक बात किसी बॉम्ब के धमाके के समान थी. उसने तो कभी सोचा भी नहीं था की राहुल और राधिका का प्यार इस हद तक आगे बढ़ जाएगा कि वो शादी तक बात पहुँच जाएगी. आज उसके दिल पर एक गहरा धक्का लगा था. वो बहुत मुश्किल से आपने आँसुओ को रोके हुए थी.

राहुल- ठीक हैं मैं अगले महीने पंडितजी से बात करके कोई अच्छा सा डेट निकलवा देता हूँ. मैं सौभाग्य होगा कि राधिका जैसा लड़की मेरी बीवी बनेगी.

कृष्णा- ठीक हैं साहेब जैसी आपकी मर्ज़ी. अगर मेरी बेहन इसी में खुस हैं तो मुझे क्या परेशानी हो सकती हैं.

फिर कुछ देर में कृष्णा भी वहाँ से चला जाता हैं.

निशा- बहुत मुश्किल से आपने आप को संभालते हुए.- राहुल तुमने कभी बताया नहीं कि तुम राधिका से प्यार करते हो.

राहुल- आइ आम रियली सॉरी मैं तुम्हें बताने ही वाला था इस बारे में मगर........चलो कोई बात नही अब तो तुम जान ही गयी हो ना.

निशा बस रो ही नही पा रही थी मगर आज उसके दिल पर क्या बीत रही थी वो तो बस वही जानती थी.

निशा- अच्छा राहुल अब मैं चलती हूँ मुझे देर हो रही हैं........

फिर निशा जैसे ही बाहर निकलती हैं उसके आँखों से रुके हुए आँसू तुरंत फुट पड़ते हैं. राहुल की नज़र उसपर नही पड़ती वरना वो भी सोचने पर मज़बूर हो जाता.............

निशा वहाँ से अपने घर आती हैं और अपने कमरा बंद करके बिस्तेर पर धम्म से गिर पड़ती हैं और फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगती हैं. आज एक तरफ दो दिल मिल रहें थे तो एक दिल टूट गया था. शायद ये प्यार में अक्सर होता हैं. आज निशा भी खुल कर रोना चाहती थी आज वो अपना पूरा मन हल्का करना चाहती थी. 6 महीने से जिस प्यार को वो अपने दिल में सँजोकर रखी थी.... आज बताने का भी वक़्त आया तो .................

निशा - मेरे नसीब में किसी का प्यार नही हैं. मैने आज अपनी ज़िंदगी में किसी से प्यार भी किया तो वो भी अब मेरा नहीं हो सका. हे भगवान इससे अच्छा कि तू मुझे मौत दे दे.......... मैं सच में जीना नहीं चाहती....

निशा काफ़ी देर तक यूही रोती रही फिर वो बिना ख़ान खाए ही बिस्तेर पर सो गयी. और आने वाले वक़्त का इंतेज़ार करने लगी कि पता नहीं वक़्त उसके नसीब को कहाँ ले कर जाएगा..

हॉस्पिटल में..................

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान!! आओ मैं तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहा था. उस ट्रक का कुछ पता चला क्या????

ख़ान- हां सर मिल गया. और उसके ड्राइवर को भी हम ने हिरासत में ले लिया हैं. सर वो दो लोग हैं.

राहुल- तो कुछ पता चला क्या,, कौन हैं वो लोग और उनका गॅंग लीडर.

ख़ान- सर वो एक कांट्रॅक्ट किल्लर हैं. हम ने उनलोगों पर थर्ड डिग्री भी यूज़ किया मगर वो लोग कुछ बताने का नाम ही नही ले रहे.और शायद उन्हें कुछ नही मालूम. ना नाम, ना पता , वो तो बस यही कह रहे हैं कि हम अगला पार्टी से पैसे लेते हैं और काम ख़तम होते ही हम अपना पैसा लेकर चले जाते हैं. ना हमे मालिक से किल्लिंग का वजह जानते हैं और ना उसके पीछे किल्लिंग का राज़. बस.............

राहुल- इसका मतलब हमलावर बहुत चालाक हैं. चलो कोई बात नही कब तक आख़िर बचेगा.आज नहीं तो कल ज़रूर पकड़ा जाएगा..
 
राहुल- तो इसका मतलब जिन लोगों ने मुझपर हमला करवाया था और वो दोनो जो पोलीस मुठभेड़ में मारे गये थे हो ना हो इन सब के पीछे एक ही आदमी का हाथ है.

ख़ान- हां सर मुझे भी यही लगता हैं. खैर कोई सुराग मिलते ही वो ज़रूर पकड़ा जाएगा. और सर बताइए मेरे लायक कोई सेवा....

राहुल- क्यों शर्मिंदा करते हो ख़ान भाई!!!! बस आब तुम वापस पोलीस स्टेशन चले जाओ. फिलहाल कोई काम नहीं हैं. अगर कुछ होगा तो मैं तुम्हें इनफॉर्म करूँगा.

दोपहर में ..................

राधिका आज बहुत देर तक निशा को कॉलेज में ढूँढती हैं और उसके मोबाइल पर फोन भी करती हैं मगर निशा उसका फोन नही रिसेव करती हैं. ऐसा आज पहली बार हुआ था कि राधिका का फोन निशा ने रिसेव नही किया था.

फिर वो कुछ सोचकर वो निशा के घर चल देती हैं.

राधिका जैसे ही निशा के घर पहुँचती है उसकी मम्मी डोर ओपन करती हैं.

निशा की मम्मी सीता...

सीता- आओ राधिका बेटी कैसे आना हुआ.

राधिका- नमस्ते आंटी. कैसी हो आप............मैं ठीक हूँ.

सीता- आओ ना अंदर. निशा घर पर ही हैं. मैं उसे बुलाती हूँ.

राधिका वही पर सोफे पर बैठ जाती हैं. और निशा का इंतेज़ार करती हैं.

सीता- दरवाज़ा खोलो बेटी.. देखो राधिका तुमसे मिलने आई हैं...

निशा अपने आँखों से आँसू पोछते हुए..... आ रही हूँ मम्मी.

निशा फिर बाथरूम में जाती हैं और अपना मूह अच्छे से धोती हैं. उसकी आँखें पूरी लाल हो गयी थी. फिर वो आकर अपना मूह पोछती हैं और जाकर दरवाज़ा खोलती है और अपने मम्मी से बोलती है- मम्मी राधिका को मेरे रूम में ही भेज दो..

सीता नीचे जाती हैं और राधिका को निशा के रूम में जाने को कहती हैं. राधिका भी उठकर उपर निशा के रूम में जाती हैं...

राधिका जैसे ही निशा को देखती हैं वो बड़े गौर से उसे देखने लगती है.

राधिका- ये तूने अपना क्या हाल बना रखा हैं. और तेरी आँखें इतनी लाल क्यों हैं. और तू आज कॉलेज क्यों नही आई.

निशा- नही......वो मेरी तबीयात कुछ ठीक नही लग रही थी. इस वजह से......... निशा अपना सिर नीचे झुका कर बोली.

राधिका- पर मेरा फोन तो तू रिसेव कर ही सकती थी ना........ फिर............

निशा- आइ आम रियली सॉरी.... राधिका मेरी आँख लग गयी थी.....

राधिका घूर कर निशा को फिर से देखती हैं- क्या बात हैं निशा!!!! मुझसे कोई ग़लती हो गयी क्या???

निशा- नही राधिका ऐसी कोई बात नही हैं. बस यूँही .................

राधिका ज़ोर से उसका हाथ को झटकते हुए और उसके एक हाथ को अपने सिर पर रखते हुए--- खा कसम मेरी की कोई बात नही है.. तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

निशा- नही राधिका सच में कोई बात नही हैं. बस ऐसे ही............

राधिका- तो मेरी सिर की कसम खा कर कह दे ना कि .............कोई बात नहीं हैं.

निशा अपना हाथ झटकते हुए राधिका के सिर से हटा लेती हैं.. ये क्या कर रही है तू. हर बात के लिए कसम खाना ज़रूरी हैं क्या. मैने कहा ना................कोई बात नहीं हैं...

राधिका- तो फिर तेरी आँखो में ये आँसू कैसे हैं. क्यों तू रो.. रही हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका, .........मैं सच कह रही हूँ कोई बात नहीं हैं.......

राधिका- ठीक हैं निशा जैसी तेरी मर्ज़ी अगर तू नही बताना चाहती तो मैं तुझपर ज़्यादा दबाव नही डालूंगी पर एक बात कहना चाहती हूँ ..............जानती हैं निशा जब मैं छोटी थी तभी मैने अपनी मा को खो दिया था.फिर मैने अपनी मा के बगैर पूरे 11 साल ये दिन काटे हैं और आज भी काट रही हूँ. उस समय जब मैं 15 साल की थी तब मैं तुझसे पहली बार मिली थी. उस वक़्त मुझे सबसे ज़्यादा एक अच्छे दोस्त की ज़रूरत थी और जब से तू मुझे मिली मुझे मानो एक नयी ज़िंदगी मिल गयी.

मैने तुझे अपनी हर बात बताई हर एक राज़ को तेरे सामने खुली किताब की तरह रख दिया. हर सुख दुख में तू मेरे साथ रही. अगर आज भी मेरा कोई अपना हैं तो वो बस तू हैं. और आज भी मैं जब भी भागवान से कुछ मांगती हूँ तो बस यही कि तू जहाँ भी रहें हमेशा खुस रहें. मैने कभी अपने लिए कुछ भी नही चाहा ............

फिर आज ऐसी क्या बात हो गयी जो तू मुहसे छुपा रही हैं................................इतना कहते ही राधिका भी चुप हो जाती हैं.

निशा अपने आँसू नही रोक पाती और तुरंत वो राधिका से लिपटकर रोने लगती हैं. कुछ देर तक वो ऐसे ही राधिका से लिपटकर रोती रहती हैं.......

राधिका उसके आँखों से आँसू पोछती हैं और चुप करती हैं- बता ना निशा किसी ने तुझसे कुछ कहा क्या....

निशा को तो कुछ समझ में नही आ रहा था कि वो कैसे बताए कि वो राहुल से प्यार करती हैं और राहुल राधिका से प्यार करता हैं. वो उसे कैसे कहे कि वो उसकी सहेली भी जिसे जान से ज़्यादा चाहती हैं वो भी राहुल को उतना ही चाहती हैं. और वो अच्छे से जानती थी कि अगर ये बात राधिका जान गयी तो वो अपने दोस्ती के आगे अपना प्यार को भी कुर्बान कर देगी....... और वो आब राधिका और राहुल के बीच में कभी नही आना चाहती थी.
 
ऐसे ही कई सवाल से उलझी निशा उन्ही खामोश रहती हैं और उसे तो कुछ समझ में नही आता कि वो क्या जवाब दे राधिका को.....और वो ये भी जानती थी कि राधिका जब तक उसके मूह से जवाब नही सुन लेगी उसका पीछा इतनी आसानी से नही छोड़ने वाली..

निशा बहुत सोचकर आख़िर में जवाब देती हैं- मुझे किसी से प्यार हो गया है. मैं उससे बहुत प्यार करती हूँ मगर वो किसी और को चाहता हैं. इतना कहकर निशा चुप हो जाती हैं.........

राधिका- हां तो मेरी जान को भी आख़िर में कोई राजकुमार पसंद आ ही गया. लेकिन तू इतना विश्वास के साथ कैसे कह सकती हैं कि वो किसी और से प्यार करता हैं. जो भी होगा सच में स्पेशल ही होगा. बता ना निशा कौन हैं वो जो तेरा दिल ले गया...........

निशा- मैं तुझे अभी नहीं बता सकती. बस वक़्त आने पर तुझे सब पता चल जाएगा.

राधिका- ठीक हैं मत बता मगर बता देगी तो हो सकता है मैं तेरी कुछ मदद करू. आख़िर मेरी सहेली में क्या बुराई हैं जो वो किसी और के पीछे पड़ा हुआ हैं.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे आब बस इस बारे में कोई भी बात नहीं करनी...

राधिका ये नहीं जानती थी कि वो और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं. मगर अब वक़्त जल्दी ही आने वाला था जो राधिका की ज़िंदगी का रुख़ हमेशा हमेशा के लिए मोड़ने वाला था.

थोड़े देर में वो भी नीचे आ जाती हैं और निशा बाथरूम में फ्रेश होने चली जाती हैं. राधिका नीचे आकर सीता आंटी के पास बैठ जाती हैं.

सीता- पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया हैं. ना ठीक से खाना खा रही हैं, ना किसी से बोल रही हैं. बस चुप चाप एक कमरे में बैठ रहती हैं और ना जाने क्या क्या सोचती रहती हैं. अब तू ही समझा उसे वो तेरी बात तो कभी नहीं टालती.

राधिका- आप चिंता मत कीजिए आंटी जी. निशा एक दो दिन में पहले जैसे हो जाएगी..

सीता- मगर उसे हुआ क्या है. वो पूछने पर कुछ बताती भी नहीं. आज कॉलेज भी नही गयी थी. कह रही थी की उसके किसी दोस्त का आक्सिडेंट हो गया हैं. वो उससे मिलने हॉस्पिटल जा रही हैं. और जब से वहाँ से आई हैं तब से गुम्सुम सी हैं.

अब झटका लगने की बारी राधिका की थी. ये क्या कह रही हैं आप????

सीता- हां बेटा ये सच हैं. अगर तुझे यकीन नही होता तो तू खुद ही उससे पूछ ले...

राधिका का दिमाग़ एकदम से घूम जाता हैं और वो जल्दी से जल्दी वहाँ से निकल जाती हैं.....

रास्ते भर उसके दिमाग़ में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. तो क्या निशा भी कहीं राहुल से प्यार तो नही करती.......ऐसा कभी नही हो सकता...फिर एकदम से उसे कुछ याद आती हैं और उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं.............

हो सकता हैं. जब हम पहली बार कॉलेज के कॅंटीन में राहुल से मिले थे तब निशा ने राहुल को पहली ही नज़र में पसंद कर लिया था. वो उसे सच में चाहने लगी थी या मुझसे मज़ाक कर रही थी .पता नहीं...... ओह ............माइ...............गॉड ........ अगर ये सच हुआ तो......................राधिका के दिल में बेचैनी और घबराहट तुरंत बढ़ने लगती हैं.

वो कैसे भी घर पहुचती हैं, घर पर उसके भैया थे.

कृष्णा पीछे से जाकर राधिका की आँखों को अपने दोनो हाथों से मूंद लेता हैं और राधिका के करीब जाकर उससे एक दम चिपक जाता हैं.

राधिका- भैया.......... आप... आप कब आए..

कृष्णा- तुमने मुझे पहचान लिया.

राधिका- हां पहचानूँगी क्यों नहीं. अपने भैया को तो मैं बंद आँखों से भी पहचान सकती हूँ.

कृष्णा उसके सामने आता हैं और उसके गालों पर बड़े ही प्यार से अपने दोनो हाथ लेजाता हैं और अपनी तरफ उठाता हैं.

कृष्णा- जानती हैं आज सुबह मैं हॉस्पिटल गया था राहुल से मिलने. वो मुझसे मिलकर बहुत खुस हुआ. और जानती हैं वहाँ पर तेरी सहेली निशा भी आई थी. और एक बात तो मैं बताना भूल ही गया. मैं अपनी बेहन का हाथ राहुल से माँग लिया हैं और वो भी तुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं. उसने कहा हैं कि वो अगले महीने कोई अच्छा सा मुहूरत निकाल कर तुझसे ब्याह कर लेगा.

कृष्णा की बातों से जो बचा खुचा राधिका के मन में डाउट था वो भी आब क्लियर हो गया था.

राधिका- एक बात बताइए भैया कि आपने जब मेरी शादी की बात राहुल से की थी तब उस वक़्त क्या निशा भी वहाँ पर मौजूद थी...

कृष्णा- हां वो तो मुझसे पहले से ही वहाँ पर थी. और मैने तो उसके सामने ही ये सारी बातें की. और वो तो पहले हैरान हुई कि राहुल तुझसे प्यार करता हैं पर बाद में मुझे तेरी शादी की मुबाराक बाद भी दी. और फिर मुझे काम पर भी जाना था तो मैं वहाँ से चला आया.

राधिका को ऐसा लगा कि उसके शरीर से किसी ने पूरा खून निकाल लिया हो और वो तुरंत वहीं पर बेहोश होकर फर्श पर धम्म से गिर जाती हैं.

कृष्णा भी तुरंत घबरा जाता हैं और वो उसे उठाकर अपनी गोद में लेकर बिस्तर पर जाकर उसे सुला देता हैं और राधिका के दोनो हाथों को अपने हाथ में लेकर मलने लगता हैं. मगर जब राधिका को कोई होश नही आता तो वो झट से जाकर वही पास के एक डॉक्टर को बुला लता हैं. .

डॉक्टर- क्या हुआ हैं इन्हें??

कृष्णा-अभी कुछ देर पहले ही घर आई थी. बस ना जाने क्या हुआ कि अचानक बेहोश हो गयी.

डॉक्टर फिर एक इंजेक्षन राधिका को लगाता हैं और कुछ दवाई भी देता हैं.

डॉक्टर- घबराने की कोई बात नहीं है. ऐसा होता हैं कभी कभी, आदमी इतना स्ट्रेस में होता हैं कि वो बेहोश भी हो जाता हैं. मैने इंजेक्षन लगा दिया हैं हो सके तो इन्हें आप सुबह तक डिस्टर्ब मत करना. और इन्हें पूरी नींद सोने देना. कल सुबह तक ये बिल्कुल ठीक हो जाएगी....

इतना कहकर डॉक्टर बाहर चला जाता हैं और कृष्णा भी दरवाज़ा बंद करके राधिका के एकदम करीब आता हैं और उसके बाजू में बैठ जाता हैं और अपना एक हाथ राधिका के बाल पर प्यार से फिराता हैं...

कृष्णा- मैं तो ये सोचकर खुस था कि ये खबर सुनकर तू खुशी से झूम उठेगी मगर ..............और इतना कहकर वो राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं और उसका माथा चूम लेता हैं. आज वाकई में कृष्णा की आँखों में अपनी बेहन के लिए आँसू छलक पड़े थे. जिस भाई बेहन का प्यार को वो आज तक कभी समझ नही सका था आज उसने वो पहली बार महसूस किया था. आज वो राधिका के लिए सच में बेचैन था. और उसकी बेकरारी इस बात को ज़ाहिर कर रही थी कि आज उसके दिल में राधिका के लिए कितना प्यार , कितनी इज़्ज़त हैं......................................और ये सब सोचकर आज उसकी आँखें भी नम हो गयी थी. वो उसी हालत में राधिका को अपनी बाहों में लिए बस बैठा हुआ था..
 
वक़्त के हाथों मजबूर--20

कृष्णा काफ़ी देर तक राधिका को ऐसे ही अपनी बाहों में लिए रहता हैं जैसे कोई मा अपने बच्चे को अपनी गोद में रखती हैं. आज कृष्णा की आँखों से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे. वो तो बस राधिका को ऐसे ही एक टक देख रहा था. आज राधिका का दर्द भी उसे अपना दर्द महसूस हो रहा था.

रात में वो भी बिना खाना खाए ही राधिका को अपनी बाहों में लेकर सो जाता हैं..

सुबह जब राधिका की आँख खुलती हैं तो सामने उसके भैया बैठे हुए थे, और अपना हाथों से उसके बालों को प्यार से फिरा रहें थे.

राधिका की आँखो से आँसू तुरंत निकल पड़ते हैं और वो एक टक कृष्णा को देखने लगती हैं.

कृष्णा उसके आँखों से आँसू पोछते हुए- ऐसे क्या देख रही हो राधिका.

राधिका बिना कुछ बोले तुरंत अपना लब कृष्णा के लब पर रख देती है और उसे बड़े प्यार से चूम लेती हैं. आज राधिका के लब खामोश थे मगर आज उसकी आँखे सब कुछ बयान कर रही थी और कृष्णा भी कुछ पल के लिए राधिका की आँखों में खो सा जाता हैं.

फिर कुछ देर में राधिका उठकर फ्रेश होती हैं और जाकर नाश्ता बनाती हैं. कृष्णा भी आज चाह कर राधिका से कुछ नही बोल पा रहा था.और जाकर वो वही दूसरे रूम में चुप चाप बैठ जाता हैं.

थोड़ी देर में वो भी तैयार होकर काम पर निकलने लगता हैं तभी राधिका जाकर कृष्णा का हाथ पकड़ लेती हैं..

राधिका- भैया प्लीज़ आज आप कहीं मत जाओ ना... मैं आज आपके साथ कुछ पल बिताना चाहती हूँ. भला कृष्णा कैसे मना कर पता. और वो भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.

पता नहीं क्यों पर आज कृष्णा भी देख रहा था कि राधिका के व्याहरार में काफ़ी बदलाव आया हैं. वो उसके बदले हुए रूप को नहीं समझ पा रहा था. उसे तो अब तक समझ नही आया था कि राधिका बेहोश कैसे हो गयी थी. उसके पीछे क्या थी वजह???

राधिका- भैया कहीं आपको बुरा तो नहीं लगा कि मैने आपको आज काम पर जाने से रोक लिया.

कृष्णा- अरे राधिका तू भी कैसी बातें करती हैं. तुझसे ज़रूरी थोड़ी ही हैं मेरे लिए काम.

राधिका- भैया मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.

कृष्णा- हां बोल ना राधिका क्या बात हैं.

राधिका कुछ देर गहरी आहें भरती हैं फिर वो कृष्णा की आँखों में देखकर बोलती हैं- भैया........भैया वो मैं आज अपने आपको ................आपके हवाले करनी चाहती हूँ. आज आप शर्त जीत गये भैया आज मैं आपको किसी भी चीज़ के लिए मना नही करूँगी........आइए आज राधिका अपना बदन आपको सौपति हैं. कर लीजिए जो करना हैं अब इस बदन पर आपका पूरा हक़ हैं.....................

कृष्णा ने कभी राधिका से ऐसी उम्मीद नही की थी. जो वो चाहता था वो आज राधिका ने खुद अपने मूह से बोल दिया था.

राधिका- ऐसे क्या देख रहे हैं भैया.............यही तो आप चाहते थे ना की मैं खुद अपने मूह से ये सब बोलू...... आज मैं खुद ये बात बोल रही हूँ. आब किस बात की देर हैं............

कृष्णा धम्म से वही सोफे पर बैठ जाता हैं और एक गहरे विचारो में डूब जाता हैं.

ये आज उसके साथ क्या हो रहा हैं. वो तो खुद यही चाहता था कि वो राधिका को सिड्यूस करे. आज खुद राधिका ने भी उसे अपनी तरफ से ग्रीन सिग्नल दे दी थी. लेकिन आज कृष्णा के कदम आगे नहीं बढ़ रहें थे. वो भी सोच रहा था कि एक तरफ तो वो अपनी बेहन की इज़्ज़त की लाज़ बचा रहा हैं तो दूसरी तरफ वो खुद उसे लूटने के पीछे पड़ा हुआ हैं. आज पहली बार कृष्णा के ज़हन में ये सारी बातें आ रही थी वो इसी उधेरबुन में फँसा हुआ था और चाह कर भी कोई फ़ैसला नही ले पा रहा था.

राधिका- अब क्या सोच रहे हो भैया आज मैं तैयार हूँ आपके साथ वो सब कुछ करने के लिए जो आप बहुत पहले से मुझसे चाहते थे. आज आपके कदम क्यों रुक रहे हैं. इतना कहकर राधिका अपना दुपट्टा नीचा फर्श पर गिरा देती हैं....
 
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