Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 16 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

आज वो जिस अंदाज़ में फारिग हुई थी ऐसा वो कभी नहीं हुई थी. आज उसे मालूम हुआ कि जिस्म की आग इंसान को कितना मज़बूर और लाचार बना सकती हैं. आज भी पहले की तरह राधिका के आँखों में आँसू थे पछतावे के...... मगर आज राधिका खुद इतनी आगे बढ़ चुकी थी की उसका लौटना ना-मुमकिन था. और शायद उसको ये एहसास हो चुका था कि अब वो राहुल के लायक नहीं............बस ऐसे ही कई सारे ख्याल उसके मन में आते हैं मगर अब पछताने से भी क्या होने वाला था. थोड़ी देर के बाद बिहारी जग्गा और विजय फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल खेलते हैं और ऐसे ही ये सब मिलकर बारी बारी से राधिका की चूत गान्ड की रात भर चुदाई करते हैं. राधिका भी उन सब का पूरा साथ देती हैं और पूरा मज़ा लेती हैं. रात भर चुदाई के दौरान राधिका करीब तीन बार फारिग हुई थी.



करीब सुबेह के 5 बजे वो तीनों उठते हैं और वहाँ से अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल जाते हैं. राधिका के जिस्म पर अब भी एक कपड़ा इस वक़्त मौजूद नहीं था. वो बिल्कुल नंगी हालत मे अभी भी वहीं बिस्तेर पर लेटी हुई थी. करीब 1 घंटे के बाद उसके कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शक्श फिर से कमरे में अंदर दाखिल होता हैं. कदमों की आहट सुनकर राधिका की आँखें खुल जाती हैं और वो उस आने वाले शक्ष को बड़े गौर से देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो सख्श अंदर आकर उसके सामने वहीं उसके पास खड़ा हो जाता हैं और बड़े गौर से राधिका को उपर से नीचे तक देखने लगता हैं. राधिका शरामकर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं मगर अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश बिल्कुल नहीं करती. उसके हाथों में एक बड़ा सा शौल (चद्दर) था. राधिका बड़े गौर से उस सख्श को देखने लगती हैं. पता नहीं ये शख़्श आख़िर उससे क्या चाहता हैं ना ही उसने कुछ उससे कहा बस एक टक वो राधिका को बड़े गौर से देख रहा था. पता नहीं ये शख़्श उसके लिए मसीहा बनकर आया था या फिर एक दरिन्दा....ये तो आने वाला वक़्त बता सकता था .




राधिका के मन में अभी भी कई सारे सवाल उठ रहे थे कि आख़िर कौन हैं ये आदमी जो इस तरह आकर उसके सामने खड़ा है और क्या उसका भी यही मकसद हैं कि वो भी उसके जिस्म को भोगेगा.... ऐसे ही कई सारे सवाल राधिका के मन में घूम रहे थे. तभी सोच में डूबी राधिका के कानों में उस सख्श की आवाज़ गूँजती हैं जिसे सुनकर वो ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं...वो शक्श और कोई नहीं बल्कि बिहारी का बहुत पुराना नौकर शंकर था. उसकी उमर करीब 60 साल के आस पास थी. सिर पर हल्के सफेद बाल और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी. वो बिहारी का बहुत ही ख़ास नौकर था..



शंकर- बेटी ऐसे क्या मुझे देख रही हो... मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ. ये लो शॉल और अपने नंगे बदन को इससे ढक लो. फिर शंकर वो शॉल राधिका को थमा देता हैं. राधिका एक टक शंकर को देखने लगती हैं फिर वो शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं.



राधिका- कौन हैं आप और इस तरह से मेरे लिए इतनी हमदर्दी किस लिए और मैं तो आपको जानती भी नहीं???



शंकर वहीं राधिका के पास बिस्तेर पर बैठ जाता हैं और अपने हाथों से बड़े ही प्यार से राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं- मुझे ग़लत मत समझना बेटी. मेरा नाम शंकर है और मैं बिहारी का पुराना नौकर हूँ. बरसो से यहाँ पर रहकर इस घर की सेवा की हैं. तुम मुझे नहीं जानती मगर मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. तुम्हारा नाम राधिका हैं ना....



राधिका सवाल भरे नज़रे से फिर से शंकर को देखने लगती हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आप को मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों हैं. अगर आपको मेरा जिस्म चाहिए तो आप बे-झीजक मुझसे कह सकते हैं. मैं आपको मना नहीं करूँगी जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. आख़िर अब मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे एक के साथ सोयूँ या...... दस के साथ. अब तो मैं एक रंडी बन ही चुकी हूँ..मेरे माथे पर तो कलंक का टीका लग ही चुका हैं. थोड़ा सा और नीचे गिर जाने से मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा....चिंता मत करो काका आपकी जो इच्छा हो मुझे बता दो मैं उसे ज़रूर पूरा करूँगी....
 
शंकर- बेटी तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मेरा इरादा तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं हैं. आख़िर तुम मेरी बेटी जैसी हो..



राधिका- बेटी जैसी हूँ पर आपकी बेटी तो नहीं... काका बहुत फ़र्क होता हैं अपनों में और गैरों में. इंसान चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले फिर भी वो दूसरों की बहू बेटी को बुरी नज़र से देखने से अपने आप को नहीं रोक सकता..ये जिस्म का नशा और ये हवस में इंसान सब कुछ भूल जाता हैं.



शंकर- मैं जानता हूँ बेटी कि जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ वो बहुत ग़लत हुआ. और बिहारी ने तुम्हारी हँसती खेलती ज़िंदगी तबाह कर दी. उसकी तरफ से मैं तुमसे माफी माँगता हूँ. वो जैसा दिखता हैं वो ऐसा हैं नहीं.. बस उसकी संगत ग़लत हैं इस वजह से वो आज सच झूट में फ़ैसला नहीं कर पा रहा ...मैं उससे इस बारे में बात करूँगा वो मेरी बात कभी नहीं टालेगा.. क्यों कि वो मुझे आपने बाप के समान मानता हैं.



राधिका- नहीं काका अब शायद बहुत देर हो चुकी हैं. मैं अब इस बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहती... आप हो सके तो यहाँ से चले जाइए. मेरा अब इंसानियत से भरोसा उठ गया हैं. ज़िंदगी में मेरे भावनाओं के साथ बहुत खिलवाड़ किया गया. आब मुझ में ताक़त नहीं कि मैं और कोई भी सदमा बर्दास्त कर पाऊ..आब शायद मेरे दिल में भरोसे नाम की अब कोई जगह नहीं...



शंकर राधिका के कंधे पर अपने हाथ रख देता हैं - बेटी एक बार बस मुझपर भरोसा करके देखलो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारा भरोसा कभी नहीं तोड़ूँगा.



राधिका- काका मैं इन सब की वजह जान सकती हूँ कि आप मुझपर इतनी दया क्यों दिखा रहे हैं..भला आपसे मेरा क्या संबंध हैं???



शंकर- संबंध...........वही संबंद हैं बेटी जो एक बाप का अपनी बेटी से होता है. तुझमें मुझे अपनी बेटी नज़र आती हैं. वो भी तेरी ही तरह थी मासूम.... मगर उसकी मासूमियत इस दुनिया को देखी नहीं गयी इसलिए शायद अब वो भी मुझे छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए मुझसे दूर चली गयी...



राधिका- दूर चली गयी ..........कहाँ ???



शंकर- वहीं जहाँ से कोई दुबारा लौट कर नहीं आता... और इतना कहते कहते शंकर की आँखों में आँसू निकल पड़ते हैं..



राधिका- क्या हुआ काका आपकी आँखों में आँसू... क्या हुआ आपकी बेटी को..और ये सब कैसे???



शंकर- रहने दे बेटा जो अब इस दुनिया में हैं ही नहीं भला उस के बारे में जानकार क्या हासिल होगा...



राधिका- अगर आप मुझे अपनी बेटी समझते हैं तो बताइए मुझे कि आपकी बेटी के साथ क्या हुआ था??



शंकर कुछ देर सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं- बात 4 साल पहले की हैं मेरी बेटी का नाम पूजा था. वो भी करीब 20 साल की थी बिल्कुल तेरे जैसी. खूबसूरत और चुलबुली. हमेशा जब देखो तब बक बक करती रहती थी. जब वो 19 साल की हुई तो उसने इंटर पास की. पूजा की मा तो उसे आगे पढ़ाना नहीं चाहती थी मगर मेरी ज़िद्द की वजह से उसे झुकना पड़ा. फिर मैने बिहारी से कुछ पैसे उधार लिए और उसकी फीस भरी और उसका दाखिला कॉलेज में करवा दिया. कुछ दिन तक तो सब ठीक से चलता रहा मगर एक दिन उसको कुछ बदमाशों ने उसके साथ बदतमीज़ी कर दी. बस वो भी चुप नहीं बैठने वाली थी और सीधा जाकर पोलीस में उनके खिलाफ कंप्लेंट कर दी. बस उन बदमाशों को दो दिन की सज़ा मिली और तीसरे दिन उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया.
 
ऐसे ही कुछ दिन और बीते और एक दिन वही हुआ जिसका मुझे डर था. एक दिन उन सब लोगो ने मेरी बेटी को कॉलेज से ही उठवा लिया और उसको एक सहर के बाहर फार्म हाउस पर लेजा कर उन चारों ने उसके साथ ................मेरी बेटी को कहीं का नहीं छोड़ा. और वो बहुत देर तक वहीं पड़ी रोती रही और अपनी रहम की भीख मांगती रही मगर उन दरिंदों को ज़रा भी उसपर दया नहीं आई..आख़िरकार उसने अपने आप को ख़तम कर दिया..मैं उस दिन बहुत रोया था मगर मैने भी उन लोगों को सज़ा दिलवाने का फ़ैसला कर लिया. मैं कितनी बार क़ानून और वकीलों के चक्कर काटता रहा मगर किसी ने मेरी एक ना सुनी. फिर मैने ये सारी बातें बिहारी से कही और दूसरे ही दिन बिहारी ने उन चारों को मेरे कदमों में उनकी लाशें बिछवा दी. उस दिन से मेरे दिल में बिहारी के लिए इज़्ज़त और बढ़ गयी. बस इस वजह से बिहारी भी मुझे अपने बाप की तरह मानता हैं और मेरी बात को वो कभी मना नहीं करता..



राधिका - जो कुछ हुआ पूजा के साथ वो ठीक नहीं हुआ काका. ये दुनिया ऐसी ही हैं..



शंकर- हां बेटी किस्मेत की लकीरों को कौन बदल सकता हैं. बस उसी दिन के बाद से मेरे अंदर का आदमी हमेशा हमेशा के लिए मर गया और आज मेरे दिल में किसी भी लड़की या औरत के प्रति कोई बुरा ख्याल नहीं आता और ना ही मैं इन सब के बाते में कभी सोचता हूँ. क्यों कि हर मासूम लड़की में मुझे अपनी बेटी की तस्वीर नज़र आती हैं..तुम्हें भी मैने आज बिन कपड़ों के देखा मगर एक भी पल के लिए मुझे तुम्हारे प्रति कोई ग़लत भावना नहीं आई. और तुम में मेरी बेटी की छवि मुझे दिखाई देती हैं.



राधिका- लेकिन काका अब तो बहुत देर हो चुकी हैं. अब मेरा वापस लौटना दुबारा ना-मुमकिन हैं. मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए. मैं यू ही ठीक हूँ..



शंकर उठकर दूसरे कमरे में जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो वापस आता हैं. उसके हाथ में गरम पानी और साथ में कॉटन का एक कपड़ा था. फिर वो आकर वहीं राधिका को ज़मीन पर बैठने का इशारा करता हैं.



शंकर- बेटी मैं जानता हूँ कि इन सब लोगो ने तेरे साथ रात भर तेरे जिस्म को नोचा हैं. और मैने तेरी चीखने की आवाज़ रात भर सुनी हैं. तू भले ही कितना मुझसे छुपा ले मगर मैं जानता हूँ कि तेरे बदन में तकलीफ़ हैं. अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं तुम्हारे बदन की सिकाई कर देता हूँ जिससे तुम्हें बहुत आराम मिल जाएगा ..अगर मुझपर भरोसा हो तो..



राधिका एक नज़र शंकर की ओर देखती हैं फिर वो अपने जिस्म से शॉल अलग कर देती हैं. फिर से वो पूरी नंगी हालत में शंकर के सामने वहीं फर्श पर अपनी आँखें बंद कर लेट जाती हैं. शंकर भी अपनी आँखें बंद कर लेता हैं और थोड़ी देर तक वो राधिका के बदन की सिकाई करता हैं. और गरम पानी से उसके बदन को पोछता हैं. राधिका को उससे काफ़ी राहत मिलती हैं. फिर वो वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं. और शंकर उसे एक पेन किल्लर दवाई देता हैं. और साथ में दूध में हल्दी मिलाकर उसे पीने को कहता हैं.



शंकर- तू बहुत थक गयी होगी बेटी. तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं तेरे लिए जाकर खाना बना देता हूँ फिर जब तेरी नींद खुलेगी तो तू उठ कर खाना खा लेना. और फिर शंकर वहाँ से उठ कर कमरे के बाहर निकल जाता हैं...



राधिका बड़े गौर से उस बूढ़े शंकर को जाता हुआ देख रही थी..आज राधिका के दिल में उस शंकर काका के प्रति प्यार उमड़ पड़ा था. आज उसे एक सच्ची इंसानियत का उदाहरण के रूप में उसे शंकर काका मिले थे.. अब देखना ये था कि वो वहाँ पर राधिका की उन सब से कैसे उसकी रक्षा करते हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--42





थोड़ी देर के बाद राधिका फ्रेश होकर वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं और करीब शाम 4 बजे उसकी नींद खुलती हैं. तभी शंकर काका फिर से कमरे में आते हैं और उसके लिए खाना लेकर आते हैं. राधिका बिना कुछ कहें चुप चाप खाना खाने लगती हैं और कुछ देर के बाद शंकर काका वो बर्तन उठा कर किचन में ले जाता हैं..बर्तन धोने के बाद शंकर काका फिर से राधिका के पास आते हैं ..



शंकर- बेटी अब तुम्हें कैसा लग रहा हैं..



राधिका एक टक शंकर की ओर देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं- मैं ठीक हूँ काका..



शंकर- ठीक हैं बेटी मुझे और भी काम हैं शाम को मालिक आएँगे तो मैं उनसे तुम्हारे बारे में बात करूँगा. मुझे यकीन हैं कि वो मेरी बात कभी नहीं टालेंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और बस बड़े प्यार से शंकर काका को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो अपना बॅग खोलती हैं और उसमें अपनी डायरी निकाल कर लिखने बैठ जाती हैं. ये उसकी रोज़ की हॅबिट थी डायरी लिखना. वो सारी बातें जो कुछ भी उसके साथ हुई थी वो सब चीज़ उस डायरी में लिखती हैं. करीब 5.30 बजे के आस पास वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं और फिर कमरे में बिहारी, जग्गा और विजय अंदर आते हैं.



बिहारी- कैसी हैं मेरी जान. नींद पूरी हुई कि नहीं. आज भी तुझे पूरी रात जागना हैं. अगर नहीं सोई है तो जा कर थोड़ी देर सो ले.. फिर हम तुझे रात भर सोने नहीं देंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर बिहारी और वो दोनो कमरे से बाहर निकल जाते हैं.



बिहारी सीधे शंकर काका के पास जाता हैं- काका राधिका ने कुछ खाया हैं कि नहीं.



शंकर- मलिक अभी थोड़ी देर पहले मैने उसे खाना दिया था.



बिहारी- ठीक हैं आज भी खाने में चिकन ही बनाना हैं आपको....



शंकर- मालिक मुझे आपसे कुछ बात कहनी थी.. अगर आप बुरा ना माने तो मैं कहूँ????



बिहारी- हां शंकर काका बोलो क्या बात हैं..



शंकर- मालिक मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ पर कहना तो नहीं चाहता मगर बड़ी हिम्मत जुटा कर आपसे ये बात कह रहा हूँ..ये आप ठीक नहीं कर रहें हैं. उस मासूम लड़की के साथ बहुत ग़लत हो रहा हैं. बस मुझे आपसे यही गुज़ारिश हैं कि आप उसे यहाँ से आज़ाद कर दें. वो तो आपकी बेटी समान हैं.



बिहारी- तुम किसकी बात कर रहे हो काका. मैं कुछ समझा नहीं???



शंकर- मालिक मैं राधिका की बात कर रहा हूँ जो इस वक़्त आपके पास हैं.



बिहारी- काका आपको कोई हक़ नहीं बनता कि आप मेरे निज़ी मामले में दखलअंदाजी करें. मैं उस लड़की के साथ कुछ भी करूँ इसी आपको कोई लेना देना नहीं हैं. ये मत भूलिए कि आप इस घर के नौकर हैं और मैं आपका मालिक.. मुझे तुम्हारे सलाह मशवरे की ज़रूरत नहीं हैं. और आपके लिए भी ये अच्छा होगा कि आप अपने काम से काम रखें.



शंकर- छोटा मूह और बड़ी बात मगर इसमें मेरा कोई स्वार्थ नहीं हैं मालिक. मैं जो कुछ भी कह रहा हूँ वो आपकी भलाई के लिए कह रहा हूँ. कहीं ऐसा ना हो कि उस लड़की की वजह से आपका वजूद मिट जाए. इतिहास गवाह हैं .......सदियों से इस संसार में जितने भी धर्म युद्ध हुए हैं उन सब की वजह औरत ही रही हैं..सतयुग में रावण ने सीता का हरण किया था तो भगवान राम ने रावण की लंका जलाकर राख की थी. उसी तरह महाभारत भी होने के पीछे औरत ही वजह थी ना द्रौपदी का चीर हरण होता और ना ही कौरवों का विनाश होता... जो बरसों से चली आ रही अधर्म पर धर्म की जीत .मालिक उसे तो नहीं बदला जा सकता..
 
शंकर की बातो को सुनकर बिहारी गुस्से से चीख पड़ता हैं- शंकर तुम अपनी हद्द भूल रहे हो. तुम्हें पता भी हैं तुम किससे बात कर रहे हो. मैं इस सहर का एमएलए हूँ. आज मेरे हाथ में पॉवर हैं दौलत हैं रुतबा हैं.. मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. तुम्हें क्या लगता हैं कि वो दो टके की लौंडिया मेरा वजूद को मिट्टी में मिला पाएगी. और उसका वो आशिक़ राहुल भले ही वो आज एसीपी बन गया हो मगर रहेगा तो मेरी ही अंडर में ना. और रही बात सतयुग और द्वापर्युग की तो उस समय की बात अलग थी. देवताओं ने भी चाल से ही रक्षासों पर जीत हासिल किया था. और आज कलयुग हैं. जीत यहाँ पर हिंसा और अधर्म की होती हैं. ना की ईमानदारी और सत्य की..



इस युग में मैं आज का रावण हूँ और मैने इस राधिका नाम की सीता को पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं. अब तो वो बेचारी उस राम की होने से रही. और वैसे भी अब उसका आशिक़ उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा.. तुम चिंता मत करो काका इस युग में जीत मेरी ही होगी. ये बिहारी पूरे दावे से कह सकता हैं...



शंकर- मालिक ठंडे दिमाग़ से एक बार मेरी बातो को सोचकर देखिएगा. शायद आपको मेरी बातो में थोड़ी सी भी सच्चाई नज़र आयें...तो मैं उन सब से आपके किए की माफी माँग लूँगा.



बिहारी- तेरा दिमाग़ फिर गया हैं काका. अब तू भी बूढ़ा हो चुका हैं. ऐसा कर दो चार दिन की छुट्टी लेकर अपने घर चल जा.. जब थोड़ा तेरा दिमाग़ सही हो जाए तो फिर वापस आ जाना. फिर बिहारी तेज़ी से कमरे के बाहर निकल जाता हैं और शंकर चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं..



मालिक आप मानो या ना मानो पर मैने उस मासूम के आँखों में दर्द और तड़प देखी हैं. अगर किसी औरत की हाय लगती हैं तो उसका विनाश होना तय हैं. पर आपको कौन समझायें. आप खुद अपनी बर्बादी की राह पर जा रहें हैं..मैं तो ईश्वार से यही दुवा करूँगा कि आपको समय रहते आप सम्भल जायें... इसी तरह के विचार इस वक़्त शंकर के मन में आ रहें थे...



उधेर आभी भी बिहारी इस वक़्त गुस्से में था वो तुरंत राधिका के पास जाता हैं और उसके सिर के बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींच लेता हैं और एक ही झटके में उसके बदन से लिपटा शॉल खींच कर अलग कर देता हैं. राधिका के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. फिर बिहारी राधिका के गाल पर दो तीन थप्पड़ कस कर जड़ देता हैं... राधिका की आँखों से आँसू आ जाते हैं. बिहारी के बदले तेवर को वो बिल्कुल समझ नहीं पाती कि क्यों बिहारी उसके साथ ऐसे पेश आ रहा हैं.



बिहारी- अब तक मैं तेरे साथ नर्मी से पेश आ रहा था क्यों कि मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचाना चाहता था. मगर आज तूने मुझे मज़बूर कर दिया हैं मुझे दरिन्दा बनने के लिए. देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.



राधिका- आख़िर मेरा कसूर क्या हैं. मैने क्या बिगाड़ा हैं तुम्हारा जो तुम मेरे साथ ऐसे पेश आ रहे हो.



बिहारी- रंडी कहीं की..... अगर तुझे मेरी शर्त मंज़ूर नहीं थी तो तूने शंकर काका से मुझसे सिफारिश क्यों करवाई. कल तो तू मुझसे कह रही थी कि मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी तो फिर एक ही रात में तेरा सारा नशा कैसे उतर गया. अभी चिंता मत कर अभी पूरे 6 दिन बचे हैं इन 6 दिनों में तेरा वो हाल करूँगा कि तू हर रोज़ अपनी मौत की मुझसे भीख माँगेगी...मगर तू चाह कर भी नहीं मर सकेगी. फिर बिहारी झट से अपने कपड़े निकालने लगता हैं और एक एक कर अपने पूरे कपड़े उतार देता हैं. फिर वो राधिका के पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को अपनी मुट्ठी में कसकर भीच लेता हैं. राधिका दर्द से फिर से चीख पड़ती हैं. तभी बिहारी अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के मूह में डाल देता हैं और बिना रुके अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं.



बिहारी का लंड करीब पूरा राधिका के हलक में समा गया था और बिहारी बहुत तेज़ गति से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके बालो को भी अपनी मुट्ठी में जकड़ा हुआ था. राधिका की आँखो में आँसू थे मगर वो इस वक़्त पूरी तरह बेबस थी. इसी तरह बिहारी एक झटके में अपना लंड बाहर निकालता हैं और उतनी ही तेज़ी से फिर से राधिका के हलक में फिर से पूरा लंड डाल देता हैं और इस बार तब तक पीछे नहीं हटता जब तक उसका कम राधिका के गले ने नीचे नहीं उतर जाता. फिर से राधिका एक बार तड़प उठती हैं.



फिर वो झट से राधिका से दूर हो जाता हैं और वहीं रखा टवल लपेटकर बाथरूम में घुस जाता हैं.. राधिका की आँखों में इस वक़्त भी आँसू थे. वो तो ये भी नहीं जानती थी कि शंकर काका और बिहारी में ऐसी क्या बातें हुई हैं जो बिहारी आज इतने गुस्से में हैं. और उसने तो कोई सिपराश नहीं की थी बिहारी से ...तो फिर क्या शंकर काका ने ही उसकी रिहाई की बात उससे की थी. इसी तरह सवालों में उलझी राधिका ना जाने कितनी देर तक रोती रहती हैं. आज उसका दर्द समझने वाला कोई नहीं था.आज वो इन सब दरोंदों के बीच बिल्कुल अकेली थी.........................एक दम अकेली.........
 
राधिका की आँखों में अब भी आँसू थे..तभी कमरे में जग्गा और विजय आते हैं.



विजय- क्या हुआ मेरी जान आज तेरी आँखों में आँसू. विजय की बातो को सुनकर राधिका नफ़रत से अपना मूह दूसरी तरफ फेर लेती हैं. तभी बिहारी भी कमरे में आता हैं.



बिहारी- आज तुम सब इसे जैसा चाहो वैसा रगाडो और इसकी बदन की सारी गर्मी निकालो.. साली पर कोई रहम मत करना. तब तक इसे चोदना जब तक तुम सब के लंड का आखरी कतरा ना निकल जायें. आज इसे भी तो पता चलना चाहिए कि ये एक पेशावॉर रंडी से कम बिल्कुल नहीं हैं. बिहारी की बातो को सुनकर विजय और जग्गा हैरत से बिहारी की ओर देखने लगते हैं.



जग्गा- क्या बात हैं बिहारी. कल तक तो तुझे इससे बड़ा प्यार था. आज क्या हुवा ऐसा लगता हैं अब तेरा मन इससे भर गया हैं. खैर इस लौंडिया से तो हमारा दिल कभी नहीं भर सकता..फिर जग्गा राधिका के पास जाता हैं और उसके दोनो बूब्स को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच देता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं..



विजय वहीं ड्रॉयर के पास जाता हैं और फिर से एक ड्रग्स का इंजेक्षन री-फिल करता हैं. आज ड्रग्स की क्वांटिटी कल से ज़्यादा थी. वो तुरंत राधिका के पास आता हैं और वो इंजेक्षन राधिका के हाथों में लगाता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के अपने हाथ आगे बढ़ा देती हैं. थोड़ी देर के बाद राधिका वहीं फर्श पर बैठ जाती हैं धीरे धीरे वो ज़हर उसकी रगों में घुलना शुरू हो जाता हैं और उसपर फिर से नशा छाने लगता हैं.



बिहारी जग्गा और विजय फिर से अपने सारे कपड़े एक एक कर निकाल देते हैं और कुछ देर में वो तीनों पूरी तरह नंगे हो जाते हैं और फिर से राधिका की दर्दनाक चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाता हैं. सबसे पहले विजय अपना लंड धीरे धीरे राधिका के मूह में पेलता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड राधिका के हलक में नहीं पहुँच जाता. विजय तो पहले से ही वाइल्ड सेक्स करता था. आज उसे पूरा छूट मिल गयी थी इसलिए वो आज अपने वहशीपने पर उतर जाता हैं..इधेर जग्गा भी उसके बूब्स और निपल्स को बुरी तरह से मसल रहा था और उधेर बिहारी बड़े गौर से उन दोनो के एक एक हरकतों को देख रहा था. राधिका भी अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी और फिर जग्गा नीचे झुक कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर देता हैं. और आज फिर उस कंडीशन पर रुक जाता हैं जहाँ राधिका ऑर्गॅनिसम के बहुत करीब थी. जग्गा के तुरंत हटने से एक बार फिर राधिका तड़प उठती हैं. तभी बिहारी उसके पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भीच लेता है..राधिका के मूह से फिर से दर्द भरी सिसकारी निकलती हैं मगर विजय का लंड उसके मूह में होने की वजह से उसकी आवाज़ अंदर ही घुट जाती हैं..



थोड़ी देर के बाद विजय अपना पूरा लंड उसके हलक से बाहर निकलता हैं..और राधिका ज़ोर ज़ोर से अपनी साँसें लेती हैं. आज उसे पता था कि ये सब रात भर उसपर रहम नहीं करेंगे..खास तौर से बिहारी...



राधिका- बिहारी मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ मुझे कहीं से ज़हर लाकर दे दो. सच में अब मैं जीना नहीं चाहती ...



बिहारी- अरे मेरी जान सुना हैं कि तू बड़ी हिम्मत वाली लड़की हैं और आज इतनी जल्दी हिम्मत हार गयी. अभी तो पूरे 6 दिन बचे हैं यहाँ गुजारने के लिए .. अभी से तू ऐसे हिम्मत हारेगी तो कैसे काम चलेगा...राधिका कुछ नहीं कहती और बस अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं वो अब समझ चुकी थी की इन दरिंदों के बीच उसकी फरियाद सुनने वाला आज कोई नहीं हैं. वो भी चुप चाप अपने आप को उन सब के आगे पूरा समर्पण कर देती हैं. फिर से राधिका का जिस्म उन तीनों बरी बारी नोचते हैं और एक के बाद ...एक एक कर उसकी चूत गान्ड की छुदाई करते हैं. फिर बाद में तीनों एक साथ एक ही समय पर राधिका की तीनों मिलकर चुदाई करते हैं. अब राधिका भी धीरे धीरे इन सब की आदि होती जा रही थी. उपर से ड्रग्स का नशा उसकी रही सही सोचने और समझने की शक्ति को ख़तम कर रही थी. इसी तरह फिर से राधिका के साथ वाइल्ड सेक्स होता हैं ...मगर अब राधिका किसी भी चीज़ का विरोध नहीं करती थी..



रात रात भर जग्गा ,विजय और बिहारी तीनों वियाग्रा की गोली खा खा कर राधिका की चूत और गान्ड की ठुकाइ करते और उसके साथ नन्गपन का खेल खेलते. राधिका के अंदर की अब शरम लगभग ख़तम हो चुकी थी. वक़्त बीतता जा रहा था और दिन गुज़रते जा रहे थे. इधेर राधिका की हालत दिन ब-दिन बुरी और बुरी होती जा रही थी. हर पल वो मर रही थी. ना जाने कितनी तकलीफ़ वो चुप चाप सहती मगर वो किसी से कुछ नहीं कहती. ज़हर का हर घुट वो बस अपने चाहने वालों के लिए हर पल पी रही थी.. हर शाम को राहुल का फोन आता और राधिका राहुल को इस बात का बिल्कुल एहसास नहीं होने देती कि वो आज किस हालत में हैं. बस चुप चाप दो चार बातें करके वो फोन रख देती.. कभी कभी निशा का भी फोन आता निशा भी कई दिनों से उसके घर नहीं आ पा रही थी. वजह थी उसकी मम्मी की कुछ दिनों से तबीयत खराब और दूसरी बात निशा का एग्ज़ॅम्स भी नज़दीक आने वाला था.
 
दो दिन तक बिहारी राधिका के साथ कड़ा रुख़ अपनाता रहा मगर जब राधिका उसकी किसी भी बात का विरोध नहीं करती तो वो अब धीरे धीरे उसके साथ नर्मी से पेश आने लगा था..कहते हैं ना अगर किसी के साथ जिस्मानी तालुकात बन जाए तो इंसान की उसके प्रति चाहत बढ़ जाती हैं चाहे वो रंडी ही क्यों ना हो.आज ठीक वही स्थिति बिहारी की भी थी..वो अब राधिका को धीरे धीरे चाहने लगा था ..अब वो राधिका का ख्याल भी रखने लगा था मगर इधेर विजय कमीनपन का एक जीती जागती मिसाल था. उसके अंदर कोई प्रेम भावना किसी के प्रति नहीं थी...



उधेर हर सुबेह शंकर काका राधिका के पास आते और उसके दर्द पर मलहम का काम करते. मगर अब राधिका पूरी तरह से टूट गयी थी. ना उसके अंदर किसी चीज़ की अब चाहत रह गयी थी और ना कुछ पाने की इच्छा ... बस वो हर घड़ी हर पल अपने राहुल के आने का इंतेज़ार करती ये जानते हुए भी कि अब राहुल उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा..शायद उसके पीछे उसका निस्वार्थ प्रेम था...



ऐसे ही दिन गुज़रते गये और आज पूरे 5 दिन बीत चुके थे.. हर रात जग्गा, विजय और बिहारी तरह तरह के एक्सपेरिमेंट उसके साथ करते मगर राधिका कभी कुछ नहीं कहती. शायद आब उसके अंदर का इंसान पूरी तरह से मर चुका था. अब वो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी. और उन तीनों के लिए बस एक चुदाई की मशीन...राधिका का शरीर के साथ साथ उसकी हिम्मत और हौसला भी पूरी तरह से टूट गया था. हँसना तो वो पूरी तरह से भूल चुकी थी. बस शंकर काका हर सुबेह उसके जिस्म की सिकाई करते और उसका पूरा ख्याल रखते. आज शायद शंकर काका के बस में अगर कुछ होता तो वो राधिका के लिए ज़रूर कुछ करते. मगर वो भी मज़बूर थे..इन 5 दिनों में राधिका की इतनी बार चुदाई हुई थी कि उसकी कोई गिनती नहीं थी. हर रात शंकर काका उसकी चीखे सुनते मगर वो भी ज़हर का घुट पीकर रह जाते...



आज 6वा दिन था और राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी. उसकी आँखो के नीचे कालापन सॉफ नज़र आ रहा था जिससे ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि उसके साथ कितना ग़लत हुआ हैं...मगर दिन ब दिन राधिका की खामोशी बढ़ती ही जा रही थी. अब वो किसी से एक शब्द कुछ नहीं कहती. ना किसी से किसी बात के लिए मना करती.. वो हर रोज़ मर रही थी..और यही बात अब बिहारी को पल पल सता रही थी. राधिका की ये खामोशी अब उसे देखी नहीं जा रही थी. शायद उसको ऐसा पहली बार महसूस हुआ था. आज बिहारी को ऐसा लगने लगा था कि वो आज जीत कर भी हार गया हैं.



उसी शाम को जब राधिका पूरी नंगी हालत में बिहारी , विजय और जग्गा के सामने थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. बिहारी झट से एक टवल लपेट कर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका नौकर खड़ा था..



नौकर- साहेब आपसे मिलने काजीरी मेम्साब आई हैं. काजीरी का नाम सुनकर बिहारी के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं..



बिहारी फिर उस नौकर को कहता हैं कि उसे अंदर भेज दो. थोड़ी देर के बाद जग्गा, विजय , और बिहारी शॉर्ट्स कपड़े पहन लेते हैं और राधिका को वहीं शॉल दे देते हैं. वो बिना कुछ कहें वो शॉल अपने जिस्म पर डाल लेती हैं. तभी काजीरी की कमरे में एंट्री होती हैं.



काजीरी की उमर करीब 45 साल , मोटी और रंग उसका काला था. चेहरे पर गाढ़ा लिपस्टिक लगाए, और बालों में फूलों का गजरा. माथे पर बड़ी गोल लाल रंग की बिंदी. और कानों में बड़े बड़े झुमके... मूह में पान चबाते हुए ओए नीले रंग की साड़ी में वो कमरे में प्रवेश करती हैं..



बिहारी- आओ आओ काजीरी इतने दिनों के बाद तुम यहाँ पर कैसे आई...कहो कैसे आना हुआ.



काजीरी- बिहारी मर्द तो सच में बड़े हरामी होते हैं. और तू तो सच में बड़ा हरामी चीज़ हैं. पहले मुझसे ज़रूरत पड़ता था तब तू मेरे पास कुत्ते जैसे दुम हिलाते हुए आता था. जब से तेरी कुर्सी उँची हो गयी हैं तब से तू तो काजीरी को भूल ही गया. चल कोई बात नहीं तू भले ही भूल गया हो मगर मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी. आख़िर तू हमारा ख़ास कस्टमर हैं.. तभी काजीरी की नज़र राधिका पर पड़ती हैं और काजीरी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो फिर राधिका के पास जाती हैं..
 
काजीरी- अरे ये कौन हैं. और इस नगीना को तुमने हम से इतने दिनों तक छुपा कर रखा हुआ है. तभी मैं कहूँ कि तू मेरे दरवाज़े पर क्यों नहीं आ रहा आज कल.. कहाँ से लाया ये नगीना. अगर ये मार्केट में आ जाए तो ये हमारे धंधे की शोभा बढ़ा देगी.. सच में ये नगीना हैं नगीना....



बिहारी- तू मुझे ग़लत समझ रही हैं काजीरी. जो तू समझ रही हैं ये वो नहीं हैं. ये एक शरीफ लड़की है ना कि रंडी...



काजीरी- शरीफ लड़की..........तो ये यहाँ क्या कर रही हैं तेरे पास. क्या तुझसे अपनी गान्ड मरवाने आई हैं ..अरे तेरे संपर्क में कोई लड़की आ जाए तो वो तो पूरी रंडी ही बनकर निकलेगी यहाँ से.. खैर अगर ये मार्केट में आ जाए तो हमारे धंधे में चार चाँद लग जायें. बोल इस लड़की की तू एक रात की कितनी कीमत मुझसे लेगा. एक बहुत मालदार पार्टी आई हुई हैं और उन्हें ऐसी ही लड़की चाहिए.



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी ये ऐसी लड़की नहीं हैं. अगर कोई नयी माल आती हैं तो मैं तेरे पास भेज दूँगा. मगर इसे नहीं..



काजीरी- क्या बात हैं बिहारी... लगता हैं तेरा इस लड़की पर दिल आ गया हैं. मगर पैसे के आगे आदमी की क्या बिसात.. बोल ना एक रात की कितनी कीमत लेगा.. एक लाख.. दो लाख या पूरे 5 लाख...इसी ज़्यादा मैं नहीं दे सकती..



बिहारी- मैने कहा ना काजीरी कि ये लड़की रंडी नहीं हैं. अगर मेरे पास नयी कोई माल आएगी तो मैं तेरे पास भिजवा दूँगा. तभी विजय बीच में बोल पड़ता हैं. काजीरी अगर तू इस लड़की के पूरे 5 लाख देने को तैयार हैं तो मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं.



बिहारी- विजय ...ये क्या मज़ाक हैं. मैने कहा ना ये लड़की धंधे में नहीं उतरेगी.. मुझे इस लड़की का कोई सौदा नहीं करना हैं.. तू यहाँ से जा सकती हो काजीरी..अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी..



विजय- एक तो तेरी वजह से मेरा धंधा बंद हैं उपर से 5 लाख हाथ में आ रहें है तो तू अब मना कर रहा हैं. बोल तू देगा क्या..मुझे 5 लाख ...



बिहारी- ज़ुबान संभाल कर बात कर विजय. भले ही मैने इसके साथ ग़लत किया हैं मगर मैं इसको प्रॉस्टियुयेशन के धंधे में नहीं धकेल सकता. और राधिका कोई रंडी नहीं हैं. और मैं तुझे नहीं देने वाला कोई रुपये..



काजीरी- बिहारी... ठंडे दिमाग़ से सोच..जो आज पार्टी आ रही हैं वो अरब की हैं और तू आच्छे से जानता हैं कि वो लोग लड़की देखकर मूह माँगी पैसे लूटाते हैं. बस एक रात की तो बात हैं. मैं वादा करती हूँ कि सुबेह ये लड़की तेरे पास पहुँच जाएगी..



बिहारी- काजीरी तो तू ये भी जानती होगी कि जिन लोगों के बीच तू इसी भेजने को कह रही हैं वो इसके साथ क्या सुलूख करेंगे. उनके आगे तो अच्छी से अच्छी रंडिया भी टिक नहीं पाती तो इस लड़की की क्या औकात हैं. मुझे ये सौदा मंज़ूर नहीं..



विजय- तो फिर मुझे 5 लाख चाहिए इस वक़्त. अगर तू इस लड़की के बदले दे देगा तो मैं कुछ नहीं बोलूँगा. बोल देगा मुझे ...



बिहारी को विजय पर आज बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो आज सब उसकी की वजह से हुआ था इस वजह से वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. बिहारी के चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ छलक रही थी.. वो किसी भी हाल में राधिका को उन सब के बीच भेजना नहीं चाहता था..वो अच्छे से जानता था कि राधिका किसी भी कीमत पर उनके सामने टिक नहीं पाएगी...बिहारी को ऐसे चिंता में डूबा देखकर राधिका बोल पड़ती हैं..



राधिका- मैं जाउन्गि बिहारी ... कह दो इन्हें मुझे ये सौदा मंज़ूर हैं..



बिहारी हैरत से राधिका को देखने लगता हैं- राधिका ये बात तुम कह रही हो.. तुम कोई रंडी नहीं हो और तुम्हें मालूम भी हैं वो लोग तुम्हारे साथ कैसे पेश आएँगे... तुम उन सब का सामना नहीं कर पाओगी..



राधिका- रंडी.......तुम भूल रहे हो बिहारी कि अब मुझ में और रंडी में कोई फ़र्क नहीं हैं. मैं तो पहले से ही एक ज़िंदा लाश बन चुकी हूँ मुझे अब क्या वो लोग मारेंगे.. मार तो तुमने मुझे दिया हैं..



बिहारी ना चाहते हुए भी कुछ नहीं कह पाता और अपना अपनी गर्देन नीचे झुका लेता हैं.. आज राधिका की कही हुई बातो का उसके पास कोई जवाब नहीं था. आज बिहारी सारी बाज़ी जीत कर भी हार गया था आज राधिका की वजह से उसे ज़िंदगी में सबसे बड़ी शिकस्त मिली थी
 
बिहारी तो ये बात नहीं जानता था कि राधिका ने ऐसा क्यों किया मगर इतना वो ज़रूर समझ चुका था कि वो अब अपने आप को बर्बाद करने पर तुली हुई हैं चाहे उसके पीछे कोई और वजह क्यों ना हो.. मगर आज वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था...थोड़ी देर के बाद विजय राधिका की ब्लॅक साड़ी लाकर उसे पहनने को देता हैं और राधिका के मोबाइल को वो अपने पास ही रख लेता हैं और उसे स्विच ऑफ कर देता हैं...विजय ने अंजाने में या जान बूझकर राधिका का मोबाइल स्विच ऑफ किया था शायद अब यही उसने सबसे बड़ी ग़लती कर दी थी. क्यों कि राहुल अच्छे से जानता था कि राधिका अपना मोबाइल कभी स्विच ऑफ नहीं करती और जाने अंजाने में राहुल को ज़रूर इस बात पर शक होना ही था..राधिका अपने कपड़े पहन कर कजरी के साथ निकल पड़ती हैं तभी बिहारी काजीरी को चेतावनी की तौर पर कहता हैं..



बिहारी- ठीक हैं काजीरी तू राधिका को ले कर जा रही हैं मैं तुझे रोकुंगा नहीं..मगर इतना याद रखना अगर इस लड़की को कुछ हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा. मैं भूल जाउन्गा की तेरे से मेरा कोई रिश्ता भी हैं..



कजरी कुछ नहीं कहती और वो राधिका को लेकर अपने साथ चली जाती हैं..राधिका के दिल में अब किसी तरह का डर और घबराहट नहीं थी. और वो अच्छे से जानती थी कि जहाँ वो जा रही हैं वे लोग उसके साथ बहुत बुरा सुलूक करेंगे मगर उसे सब मंज़ूर था. इन सब के पीछे वजह ये थी कि वो बिहारी के मूह पर एक करकरा जवाब देना चाहती थी और आज उसके इस फ़ैसले से बिहारी उसके सामने अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था..



थोड़ी देर के बाद वो कार एक सुनसान घर के सामने रुकती हैं और फिर काजीरी राधिका को अपने साथ लेकर उस घर में जाती हैं. अंदर एक बड़ा सा हॉल था. और कमरे में कोई नहीं था. काजीरी फिर एक फोन कॉल करती हैं और बस इतनी ही कहती हैं कि इंतज़ाम हो गया हैं और कुछ पैसों का बात भी करती हैं. उधेर से जवाब आता हैं कि वी लोग 1/2 घने में आ रहें हैं. करीब 1/2 घंटे में दो कार वहाँ तेज़ी से आकर रुकती हैं. उस कार में से 6 व्यक्ति निकलते हैं और सीधा कमरे में एंटर होते सब की हाइट करीब 6 फीट के आस पास थी.सभी का उमर लगभग 40 से 50 साल के आस पास था.. कमरे में वो लोग एंटर होते हैं जब उनकी नज़र राधिका पर पड़ती हैं तो उन सब के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं..



तभी पहला राधिका की ओर देखकर बोलता हैं- ओपन युवर क्लॉत बेबी... यू डो'न्ट नो दा रूल्स. इन दिस रूम व्हेन यू एंटर फर्स्ट.... यू हॅव टू रिमूव ऑल दा क्लोद्स...देन एंटर इनसाइड.. आइ थिंक यू अंडरस्टॅंड बेबी...



राधिका बिना किसी बहस के अपने कपड़े उन सब के सामने उतारने लगती हैं..



तभी दूसरा बोलता हैं- हे...काजीरी यू गो आउट साइड... वी हॅव पे 10 लख्स रुपीज़ फॉर वन नाइट फॉर दिस बेबी.. सो यू कम ....ऑन टुमॉरो मॉर्निंग... कजरी कुछ नहीं बोलती और चुप चाप बाहर निकल जाती हैं..



तभी तीसरा बोलता हैं- वॉट'स युवर नेम बेबी...



राधिका..... मेरा नाम राधिका हैं...



तभी चौथा बोलता हैं- वॉट ईज़ युवर फिगर साइज़ बेबी..



राधिका- 36,24,32.. इसी तरह के भद्दे सवालों का सिलसिला शुरू हो जाता हैं..और राधिका हर एक सवालों का जवाब बिना शरमाये देती हैं.



थोड़ी देर के बाद वो उन सब के सामने एक एक कर पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाती हैं.. तभी एक और आदमी जाकर दरवाज़ा बाहर से लॉक कर देता हैं और एक बड़ा सा रस्सी लेकर आता हैं.. फिर वो राधिका के पीछे जाकर उसके दोनो हाथों को पीछे से कसकर बाँध देता हैं...
 
फिफ्थ वन- यू नो बेबी दिस ईज़ गंगबॅंग सूयीट... आंड इन तीस सूयीट देर ईज़ नो रेस्टिक्षन्स आंड नो मर्सी...सो वी गिव ऑर्डर्स आंड यू मस्ट हॅव टू फॉलो इट... अदरवाइज़ इट ईज़ नोट गुड फॉर यू.... आइ थिंक यू गॉट इट. व्हाट आइ वॉंट टू से... राधिका बस हां में अपना सिर हिला देती हैं...



फिर एक एक कर सभी अपने कपड़े उतारना शुरू करते हैं और कुछ देर में उन सब के लंड राधिका के सामने होते हैं. सभी के लंड करीब 10 इंच के आस पास थे... फिर शुरू होता हैं राधिका की चुदाई का सिलसिला. जैसे राधिका ने सोचा था उससे कहीं ज़्यादा वो लोग दरिंदे थे. सबसे पहले तो उसका लंड चुसाइ का सिलसिला शुरू होता हैं. हाथ पीछे बँधे होने की वजह से जैसे वे लोग चाहते राधिका के मूह में अपना लंड डालकर उससे चुस्वाते और हर पोज़ीशन में उसके मूह में अपना पूरा लंड डालते और अपना कम उसे पिलाते.. अगर एक बूद भी नीचे गिरता तो वे सब उससे फर्श चाट कर सॉफ करने को कहते... करीब 1 घंटे तक लंड चूसने का खेल चलता रहता हैं. फिर कभी दो लंड एक साथ उससे एक ही समय पर चुस्वाते. ऐसे ही बीच बीच में उसको छड़ी से भी उसके गान्ड पर मारते हैं जैसे कि ब्लू फ़िल्मो में होता हैं. राधिका चुप चाप उनसब के ज़ुल्म सहती रहती...



फिर धीरे धीरे एक एक कर राधिका की गान्ड और चूत की चुदाई का सिलसिला चालू हो जाता हैं वैसे तो राधिका इन सब की आदि हो चुकी थी मगर ये लोग एक्सपर्ट थे भला इन सब के आगे राधिका की क्या बिसात... एक एक आदमी एक एक घंटे तक उसकी चूत गान्ड मारता हैं और फिर बारी बारी से उसके तीनों छेदों में एक साथ लंड डाला जाता हैं और करीब रात 12 बजे तक तो राधिका बड़ी आसानी से उन सब को हॅंडल कर लेती हैं मगर इसके बाद जो दौर चालू होता हैं वो राधिका कभी सपने में भी नहीं सोचती थी.. जिन्हें वो इंसान समझ रही थी वो तो पूरे दरिंदे थे...दरिंदे..



अब जो दौर चालू हुआ उसमें राधिका की हालत बहुत बिगड़ने वाली थी. एक ही समय पर दो दो लंड उसकी चूत में डाला गया जिससे एक बार तो राधिका दर्द की वजह से बेहोश हो गयी थी मगर फिर उसके मूह पर पानी मार मार कर उसे होश में लाया जाता. ऐसे ही सभी बदल बदल कर एक समय पर उसकी चूत में दो दो लंड एक साथ डालते. फिर वैसे ही उसकी गान्ड में डबल लंड का दौरा चला. हर बार दो आदमी एक साथ उसकी चूत तो कभी उसके गान्ड में दो दो लंड डालते.. इस बीच राधिका तीन बार बेहोश हो चुकी थी..



पूरी रात भर उसकी इसी तरह से चुदाई का दौरा चलता रहा और राधिका दर्द से रात भर चीखती और चिल्लाति रही...उसे आज मालूम चल गया था कि गंगबॅंग सूयीट क्या होता हैं..सच में उन सभी के अंदर दया नाम की कोई चीज़ नहीं थी..जहाँ राधिका उन सब के अगेन्स्ट जाती या उनका कहा मानने में थोड़ी भी देर करती उसको छड़ी की मार सहनी पड़ती..ऐसे ही करीब सुबेह तक ये दौरा चलता रहा और सुबेह के करीब 4 बजे तक राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी..फिर भी करीब 5 बजे तक उसकी चुदाई का दौर चलता रहा और सुबेह के 5:30 बजे वे सब अपने कपड़े पहन कर निकल जाते हैं और वहीं राधिका फर्श पर अभी भी बेहोसी की हालत में पड़ी हुई थी... और राधिका की चूत और गान्ड से धीरे धीरे ब्लीडिंग भी अब हो रही थी...



इसी बीच शाम को निशा बार बार राधिका के मोबाइल पर अपना फोन ट्राइ कर रही थी मगर हर बार यही जवाब आता .....स्वित ऑफ... जब निशा को नहीं रहा गया तो वो फ़ौरन राधिका के घर के लिए निकल पड़ती हैं. उसके दिल में भी एक डर बैठ गया था कि आख़िर क्या वजह हैं जो राधिका इतने दिनों से उससे मिलने भी नहीं आई और आज उसका फोन भी बंद हैं.. दिल में हज़ारों सवाल लिए जब वो राधिका के घर के पास पहुँचती हैं तो घर पर ताला लगा देखकर उसका डर और बढ़ जाता हैं..



थोड़ी देर तक वो वहीं आस पास घूमती हैं और साथ ही साथ वो राधिका का फोन भी ट्राइ करती हैं मगर हर बार एक ही जवाब आता हैं . निशा को इस वक़्त राधिका पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था..और और बार बार बड़बड़ा रही थी..... समझती क्या हैं अपने आप को आज घर पर भी ताला लगा हुआ हैं और अपना मोबाइल भी बंद कर रखी हैं. आने दे आज उसे बताउन्गि....मुझे इतने दिनों तक मिलने भी नहीं आई... लेकिन वो गयी तो गयी कहाँ???



तभी वहीं पड़ोस में एक आंटी निशा को परेशान घूमते हुए इधेर उधेर देखती हैं तो वो उसके पास आती हैं.. निशा की जब नज़र उस आंटी पर पड़ती हैं तो वो उसे नमस्ते कहती हैं और राधिका के बारे में उससे पूछती हैं...



निशा- आंटी क्या आपको मालूम हैं कि राधिका कहाँ गयी हुई हैं..



तभी वो आंटी जो बात उससे कहती हैं वो निशा के होश उड़ जाते हैं-- कमाल हैं बेटी मैं तो समझ रही थी कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यह्न गयी होगी ..आज उसको गये हुए करीब 6 दिन बीत गये हैं मुझे लगा कि वो तेरी अच्छी दोस्त हैं तो तुझे बता कर गयी होगी...



निशा- आंटी प्लीज़ जो कहना हैं सॉफ सॉफ कहिए...मेरा दिल बैठा जा रहा हैं.. कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया ...



फिर वो आंटी कहती हैं- बेटी अभी 6 दिन पहले एक स्कॉर्पियो गाड़ी यहाँ पर आई थी. और मैने राधिका को उस गाड़ी में जाते हुए देखा मुझे लगा कि वो अपने किसी रिस्तेदार के यहाँ गयी होगी शायद वो सब हादसा उसके घर जो हुआ था... तब से वो अब तक घर नहीं लौटी....



निशा- क्या घर नहीं लौटी.. मगर दो दिन पहले ही तो मेरी उससे बात हुई थी. कहाँ जा सकती हैं वो... तभी वो तुरंत राहुल के पास फोन करती हैं और राधिका की सारी बातें उसे बताती हैं... राहुल के भी होश उड़ जाते हैं और वो तुरंत मुंबई से उसी शाम फ्लाइट पकड़ कर मनाली आ जाता हैं और करीब रात 9 बजे वो ख़ान और अपने आदमियों को लेकर राधिका की तलाशी शुरू कर देता हैं... राधिका के लिए तो राहुल आकाश पाताल एक कर देगा और कहीं भी राधिका होगी वो उसे ढूँढ निकालेगा..
 
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