desiaks
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पूरे दिन सुभाष को नेहा नजर नहीं आई। वो बिना नेहा को देखे बोतलें भरने गया मजबूरन और घर के अंदर से नेहा उसको देख रही थी, और सिर्फ शाम को जिस वक्त सब अपने हाथ पैर धोने को गये तब नेहा उन लोगों के सामने चौखट पर नजर आई 'हाय' कहने के लिए।
सुभाष सबके सामने उसके करीब गया और उसके गाल पर किस करते हुए हेलो कहा नेहा को।
नेहा ने उसको अपने गाल पर किस करने दिया एक ग्रीटिंग की तरह।
जब सुभाष ने पूछा कि क्यों आज दिन भर वो नजर नहीं आई? तो नेहा ने कहा कि आज उसको कपड़े धोने को नहीं थे और उसका सर दर्द कर रहा था।
ज्ञान नजरें चुराते हुए नेहा को देख रहा था और नेहा भी चोरी-चोरी छुपके ज्ञान को देख रही थी सुभाष से बात करते वक्त।
जब सबने हाथ पैर धो लिए तो वापस गैरेज में गये कपड़े बदल के लिए। ज्ञान ने सबसे आखिर में वाश किया खुद को ताकी नेहा से अकेले में बात कर सके वो। तो जब सब चले गये तो ज्ञान ने नेहा से कहा- “मैं उन सबके साथ वापस नहीं जाऊँगा अभी। सबको जाने दूंगा और तब तुम्हारे पास आऊँगा, कुछ और वक्त तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ जानम..."
नेहा ने कहा- “तुम इस वक्त नहीं आ सकते यहाँ, मेरे सभी घरवाले आने वाले हैं..."
मगर ज्ञान ने कहा- “अरे वह सब तो 5:00 से 5:30 बजे आएंगे ना... तुमने कहा था। अभी तो सिर्फ 4:00 बजे हैं, एक घंटा और है हमारे पास, और लगे हाथ तुम्हारे घरवालों को भी देख लूँगा आज..."
पर नेहा ने कहा- “नहीं, कभी-कभि वो लोग 4:30 बजे भी वापस आ जाते हैं और क्या पता आज ही वह लोग उस वक़्त आ जाएं?”
तब ज्ञान ने कहा- "अगर वैसा हुआ तो हमको अंदर से आँगन में गाड़ी की आवाज आते हुए सुनाई देगी तब मैं पीछे के दरवाजे से निकल जाऊँगा..."
नेहा दरवाजे के पास चौखट पर खड़ी थी तो ज्ञान उसके पास गया, उसकी कमर पर अपना हाथ रखकर नेहा को अपनी तरफ खींचा और उसको मुँह में किस करने लगा, नेहा को बाहों में भरकर, और साथ-साथ अपने खड़े लण्ड को नेहा की जांघों पर दबा रहा था किस करते वक्त। फिर कहा- “देखो कैसे खड़ा हो गया है? इसको तुम्हारे अंदर फिर से डालना चाहता हूँ जानेमन..."
नेहा ने उसको अपने लण्ड को अपने ऊपर रगड़ने दिया और किस को अच्छी तरह से रेस्पांड भी किया, फिर गैरेज की तरफ देखते हुए कि उधर से कोई देख तो नहीं रहा। तब ज्ञान से कहा- “नहीं इस वक्त मत आना, मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, ठीक है कल सुबह को आना जैसे आज सुबह आए थे तुम..."
ज्ञान बहुत खुश हुआ। जिस तरह से नेहा ने उसको सुबह के लिए इन्वाइट किया, हालांकी वो इसी वक्त नेहा को फिर से चोदना चाहता था, फिर भी कल के लिए स्वीकार किया उसने।
तब सब गैरेज वाले वापस चले गये और नेहा अपने घरवालों का इंतेजार करने लगी। वो लोग शाम 6:00 बजे वापस आए। तो नेहा ने खुद से कहा- “आज यह सब इतनी देर से आए, वो मोटा पेट वाला काला ज्ञान रह सकता था और मजा कर सकता था...”
खैर, परिवार मेंबर्ज़ के बीच प्रवींद्र नेहा को पाना चाहता था आज। नेहा को वो बिल्कुल अकेली नहीं छोड़ रहा था, बार-बार वो अपने लण्ड को नेहा की गाण्ड पर दबा रहा था किचेन में। वो सिर्फ़ नेहा के पीछे-पीछे लगा हुआ था जबसे वापस आया था। कभी नेहा को बाहों में भर रहा था, कभी चूम रहा था, तो कभी अपना लण्ड दबा रहा था उसके जिश्म पर कपड़े के ऊपर से ही।
नेहा समझ रही थी के दो रातों को उसने कुछ नहीं किया था तो उसको जरूरत थी। मगर नेहा परेशान भी थी क्योंकी ससुर ने भी दो रातों को उसको नहीं लिया था, तो वो भी नेहा को लेने आ सकता है रात को। इसलिए नेहा उलझन में थी।
ससुर उस वक्त लाउंज में टीवी देख रहा था जिस वक्त प्रवींद्र किचेन में नेहा को परेशान कर रहा था। एक बार ससुर किचेन में पानी लेने आया तो तकरीबन उन दोनों को किस करते हुए पाकर लिया था। नेहा प्रवींद्र की बाहों में थी और दोनों एक पैशनेट किस में व्यस्त थे। ससुर किचेन में आया मगर उसने उन दोनों कि तरफ पीठ किया हआ था, उसने उन दोनों की तरफ देखा ही नहीं और सिर्फ एक ग्लास लिया पानी लेने के लिए। तब दोनों ने झट से एक दूसरे को छोड़ा उसको किचेन में देखकर। वरना आज तो प्रवींद्र का बाप नेहा को अपने दूसरे बेटे की बाहों में देख लेता किस करते हुए। नेहा का दिल उस वक्त ढोल की तरह बजने लगे और प्रवींद्र खुद कांप उठा, बड़े भाग्य से बचे दोनों।
सुभाष सबके सामने उसके करीब गया और उसके गाल पर किस करते हुए हेलो कहा नेहा को।
नेहा ने उसको अपने गाल पर किस करने दिया एक ग्रीटिंग की तरह।
जब सुभाष ने पूछा कि क्यों आज दिन भर वो नजर नहीं आई? तो नेहा ने कहा कि आज उसको कपड़े धोने को नहीं थे और उसका सर दर्द कर रहा था।
ज्ञान नजरें चुराते हुए नेहा को देख रहा था और नेहा भी चोरी-चोरी छुपके ज्ञान को देख रही थी सुभाष से बात करते वक्त।
जब सबने हाथ पैर धो लिए तो वापस गैरेज में गये कपड़े बदल के लिए। ज्ञान ने सबसे आखिर में वाश किया खुद को ताकी नेहा से अकेले में बात कर सके वो। तो जब सब चले गये तो ज्ञान ने नेहा से कहा- “मैं उन सबके साथ वापस नहीं जाऊँगा अभी। सबको जाने दूंगा और तब तुम्हारे पास आऊँगा, कुछ और वक्त तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूँ जानम..."
नेहा ने कहा- “तुम इस वक्त नहीं आ सकते यहाँ, मेरे सभी घरवाले आने वाले हैं..."
मगर ज्ञान ने कहा- “अरे वह सब तो 5:00 से 5:30 बजे आएंगे ना... तुमने कहा था। अभी तो सिर्फ 4:00 बजे हैं, एक घंटा और है हमारे पास, और लगे हाथ तुम्हारे घरवालों को भी देख लूँगा आज..."
पर नेहा ने कहा- “नहीं, कभी-कभि वो लोग 4:30 बजे भी वापस आ जाते हैं और क्या पता आज ही वह लोग उस वक़्त आ जाएं?”
तब ज्ञान ने कहा- "अगर वैसा हुआ तो हमको अंदर से आँगन में गाड़ी की आवाज आते हुए सुनाई देगी तब मैं पीछे के दरवाजे से निकल जाऊँगा..."
नेहा दरवाजे के पास चौखट पर खड़ी थी तो ज्ञान उसके पास गया, उसकी कमर पर अपना हाथ रखकर नेहा को अपनी तरफ खींचा और उसको मुँह में किस करने लगा, नेहा को बाहों में भरकर, और साथ-साथ अपने खड़े लण्ड को नेहा की जांघों पर दबा रहा था किस करते वक्त। फिर कहा- “देखो कैसे खड़ा हो गया है? इसको तुम्हारे अंदर फिर से डालना चाहता हूँ जानेमन..."
नेहा ने उसको अपने लण्ड को अपने ऊपर रगड़ने दिया और किस को अच्छी तरह से रेस्पांड भी किया, फिर गैरेज की तरफ देखते हुए कि उधर से कोई देख तो नहीं रहा। तब ज्ञान से कहा- “नहीं इस वक्त मत आना, मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, ठीक है कल सुबह को आना जैसे आज सुबह आए थे तुम..."
ज्ञान बहुत खुश हुआ। जिस तरह से नेहा ने उसको सुबह के लिए इन्वाइट किया, हालांकी वो इसी वक्त नेहा को फिर से चोदना चाहता था, फिर भी कल के लिए स्वीकार किया उसने।
तब सब गैरेज वाले वापस चले गये और नेहा अपने घरवालों का इंतेजार करने लगी। वो लोग शाम 6:00 बजे वापस आए। तो नेहा ने खुद से कहा- “आज यह सब इतनी देर से आए, वो मोटा पेट वाला काला ज्ञान रह सकता था और मजा कर सकता था...”
खैर, परिवार मेंबर्ज़ के बीच प्रवींद्र नेहा को पाना चाहता था आज। नेहा को वो बिल्कुल अकेली नहीं छोड़ रहा था, बार-बार वो अपने लण्ड को नेहा की गाण्ड पर दबा रहा था किचेन में। वो सिर्फ़ नेहा के पीछे-पीछे लगा हुआ था जबसे वापस आया था। कभी नेहा को बाहों में भर रहा था, कभी चूम रहा था, तो कभी अपना लण्ड दबा रहा था उसके जिश्म पर कपड़े के ऊपर से ही।
नेहा समझ रही थी के दो रातों को उसने कुछ नहीं किया था तो उसको जरूरत थी। मगर नेहा परेशान भी थी क्योंकी ससुर ने भी दो रातों को उसको नहीं लिया था, तो वो भी नेहा को लेने आ सकता है रात को। इसलिए नेहा उलझन में थी।
ससुर उस वक्त लाउंज में टीवी देख रहा था जिस वक्त प्रवींद्र किचेन में नेहा को परेशान कर रहा था। एक बार ससुर किचेन में पानी लेने आया तो तकरीबन उन दोनों को किस करते हुए पाकर लिया था। नेहा प्रवींद्र की बाहों में थी और दोनों एक पैशनेट किस में व्यस्त थे। ससुर किचेन में आया मगर उसने उन दोनों कि तरफ पीठ किया हआ था, उसने उन दोनों की तरफ देखा ही नहीं और सिर्फ एक ग्लास लिया पानी लेने के लिए। तब दोनों ने झट से एक दूसरे को छोड़ा उसको किचेन में देखकर। वरना आज तो प्रवींद्र का बाप नेहा को अपने दूसरे बेटे की बाहों में देख लेता किस करते हुए। नेहा का दिल उस वक्त ढोल की तरह बजने लगे और प्रवींद्र खुद कांप उठा, बड़े भाग्य से बचे दोनों।