Long Sex Kahani सोलहवां सावन - Page 14 - SexBaba
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Long Sex Kahani सोलहवां सावन

नहाना धुलाना 

अब तक 



" और इस का एक ख़ास फायदा , यार को पटाने का। बस कोई भी चीज , बैगन , गाजर जो तू अपने यार को खिलाना चाहे उसे अपनी चूत में घुसेड़ ले , कम से कम तीस चालीस मिनट , ... लेकिन जितना देर डालेगी न उतना असर ज्यादा होगा। बार बार अपनी चूत को सिकोड़ उस पे , सोच तेरे यार का लण्ड तेरी चूत में है। जितना चूत का रस निकलेगा , चूत का रस वो सोखे रहेगा न उसका असर और ज्यादा होगा। हाँ और एक बात , अगर लौंडे को उस चीज के नाम से भी नफ़रत होगी न , तो अगर तेरे चूत के रस से डूबा है तो तुरंत खाने को मुंह खोल देगा। "


मेरे सामने बार बार रविंद्र का चेहरा घूम रहा था , अब देखना बच्चू , कैसे बचता है मेरे चंगुल से। उसे आम एकदम पसंद नहीं है। बस ,दशहरी आम की खूब लम्बी लम्बी मोटी फांके अंदर डाल के , ... सब खिला डालूंगी। 

और तबतक कामिनी भाभी ने एक मंत्र भी मेरे कान में फूंका ,

" ॐ नमो गुरु का आदेश ,पीर में नाथ ,प्रीत में माथ ,जिसे खिलाऊं मोहित करूँ ,... " 

" बस जब तक बुर में भींचे रहूं ये मन्त्र थोड़ी थोड़ी देर में पढ़ती रहूं मन में , जिसे पटाना हो उसका नाम सोच के , और खिलाते समय भी ये मन्त्र बोलना होगा , हाँ साथ में कच्ची सुपाड़ी की एक बहुत छोटी सी डली , " 

और उन्होंने ये भी बोला की उनके पास कामरूप की कच्ची सुपारी रखी है वो मुझे दे देंगी। 

उसके साथ ही और बहुत सी ट्रिक्स , कल उन्होंने पिछवाड़े के बारे में बताया था आज अगवाड़े के बारे में , 

आधे घंटे में उन्होंने बैगन बाहर निकाला ,एकदम रस से भीगा और फिर उसका भुर्ता मुझसे बनवाया। 

खाना बन गया था , मैंने बोला भाभी मैं नहा लेती हूँ , तो वो बोलीं एकदम लेकिन मैं भी चलती हूँ साथ में , तुझे अच्छी तरह से नहला दूंगी।










आगे 


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भाभी की उंगलियां एकदम जादू ,

और कैसे कैसे नहलाया उन्होंने , सिर्फ मुल्तानी मिटटी , काली मिटटी ,... 

न साबुन ,न शैम्पू ,... हाँ गुलाब की सूखी पंखुड़िया और भी कुछ मिटटी में ही उन्होंने मिला रखा था , 

पहले पूरी देह में , फिर बालों में , ... और जब पानी डाल के साफ़ किया उन्होंने , ... 

मैं बता नहीं सकती कितनी हलकी लग रही थी मैं। 

जैसे हवा में उड़ रही हूँ ,
ये तो नहीं बदमाशी नहीं की हो उन्होंने ,लेकिन सिर्फ ऊपर की मंजिल पे , और जितनी उन्होंने की उससे ज्यादा मैंने की। 

भाभी के जोबन थे भी एकदम गजब के और ऊपर से उनके सैयां और भैय्या ने तो रात बाहर सिर्फ जोबन का मजा लूटा था , तो भाभी के उभार दबाने का रगड़ने का मसलने काम तो ननद के ही जिम्मे आयेगा न। 

जैसे उन्होंने मुझे नहलाया , फिर उसी तरह मैंने भी उन्हें ,

हाँ कुछ खेल तमाशा भी हुआ , कामिनी भाभी हों उनकी छुटकी ननदिया हो और खेल तमाशे न हो ,

लेकिन वो ट्रेनिंग भी थी साथ साथ में,

उन्होंने मुझसे कहा उनकी बुर में ऊँगली करने के लिए , और वो जाँघे फैलाके बैठ गयी। 

मैंने गचाक से अपनी मंझली ऊँगली पेल दी , सटाक से अंदर। 

इतना चुदवाने के बाद भी भाभी की बुर काफी कसी थी। 

थोड़ी देर तक गचागच मैं पेलती रही , सटासट वो लीलती रहीं। 

कुछ देर बाद भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और जड़ तक मंझली ऊँगली ठेल के मैं रुक गयी।
 
ऊँगली दीक्षा 



View attachment 1fingering gif.gif[/attachment]मैंने गचाक से अपनी मंझली ऊँगली पेल दी , सटाक से अंदर। 

इतना चुदवाने के बाद भी भाभी की बुर काफी कसी थी। 

थोड़ी देर तक गचागच मैं पेलती रही , सटासट वो लीलती रहीं। 

कुछ देर बाद भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और जड़ तक मंझली ऊँगली ठेल के मैं रुक गयी। 
….
भाभी मुझे देख के मुस्करा रही थीं , फिर अचानक मुझे लगा जैसे किसी अजगर ने अपनी कठिन कुंडलिका में मुझे लपेट लिया है और जोर जोर से , जैसे कड़क कर टूट जायेगी। 

उन्होंने आँख से इशारा किया की मैं अपनी ऊँगली बाहर निकाल लूँ , मैंने लाख कोशिश की , लेकिन टस से मस नहीं हुयी और ऊपर ये लग रहा था ,की बस अब ऊँगली की हड्डियां चरमरा के टूट जाएंगी। 

भाभी जोर से मुस्कराने लगीं , हंस के बोली , " चल गुड्डी निकाल ले। "और अपनी पकड़ ढीली कर दी। 

मैंने निकालने की कोशिश की तो सूत भर भी नहीं निकली होगी की फिर वही पकड़ ,और अबकी भाभी की बुर की अंदर की मसल्स , ... जैसे लग रहा था सड़क पर जो गन्ने निचोड़ने वाली जो मशीन होती है ,मैंने उसमें अंगुली डाल दी है। ऐसी जबरदस्त रगड़ाई हो रही थी ,और बिना ऊँगली पर पकड़ ढीली किये भौजी ने उसके फायदे समझाए। 

" देख इससे चूत , कितना भी चुदवाना , कित्ते भी मोटे लण्ड से , चाहे मैं कभी मुट्ठी ही डाल दूँ , ... लेकिन ऐसे ही कसी रहेगी। हफ्ते भर पहले जब तू ,छुई मूई बनी कच्ची कोरी इस गाँव में आई थी , जब ढंग से ऊँगली भी तेरी सोन चिरैया ने नहीं लीला था , वैसे ही रहेगी। लेकिन असली फायदा दूसरा है ,

मैं कान पारे सुन रही थी , 

" देख कभी मरद थका हो , लेकिन तेरा और उसका मन कर रहा हो , ...या दो बार वो जबरदस्त चोद चुका हो और तीसरी बार तुम ऊपर चढ़ के ,... बस उसे कुछ करने की जरूरत नहीं है , न धक्के लगाने की न ठेलने की ,न पेलने की। बस तुम सिर्फ चूत सिकोड़ सिकोड़ के , तुम्हे भी ज्यादा थकान नहीं लगेगी और चुदाई का पूरा मजा। "

मैं चीख पड़ी , 

" भौजी मुझे सीखना है। "

" नहीं ये मैंने आज तक किसी को नहीं सिखाया ,मेरा ट्रेड सीक्रेट है और दूसरी बात रोज रोज प्रैक्टिस करनी पड़ेगी बिना नागा। "

" मैं कर लुंगी , प्लीज भौजी मेरी अच्छी भौजी। सिखाओ न। "

" लेकिन , अच्छा चलो ,पर ये ट्रेनिंग फ्री नहीं मिलेगी , बड़ी कड़ी फ़ीस लुंगी मैं इसकी। ' कामिनी भौजी आँख नचाते हुए बोलीं। 

" मंजूर ,मैं आप की गुलाम बन जाउंगी , आप की सब बात मानूंगी। भौजी प्लीज। " मैं बस उनके पाँव नहीं पड़ी और भौजी पसीज गईं। 

उन्होंने एक एक चीज बताई किस मसल्स की कैसे एक्सरसाइज की जाती है , और रोज ,.. फिर मेरी चूत में ऊँगली डाली उन्होंने। 

पहले दो बार तो मैं कुछ नहीं कर पायी ,लेकिन तीसरे बार से कुछ मसलस् पर , चार पांच मिनट में इतना सीख गयी की भौजी की ऊँगली भींचने लगी। 

" चल बहुत अच्छी है तू ,मान गयी मैं , अभी सात आठ दिन है न तुझे गाँव में आधे घंटे रोज मेरे साथ प्रैक्टिस करना होगा , जाने तक काफी सीख लेगी। उसके बाद बस शहर पहुँच के रोज दो बार , नहाते समय और सोते समय ,... एक ऊँगली अंदर डाल के , और किसी लड़के के लण्ड के बारे में सोच सोच के , ... और उसके अलावा जब क्लास में रहो , टीवी देखती रहो ,कभी भी हर घंटे पे ,कम से कम पांच मिनट ,चूत को धीरे धीरे खूब सिकोडो और वैसे ही १०० की गिनती तक पूरी ताकत से भींचे रही , फिर धीमे धीमे छोडो , चार पांच बार ,... और उस समय भी लण्ड का ध्यान जरूर करो। 

तब तक भौजी को एक बात याद आ गई ,

" तुझे कल रात पिछवाड़े वाली एक एक्सरसाइज बताई थी , नहाते समय करने की , चल कर के दिखा। "
 
ऊँगली पिछवाड़े भी 



तब तक भौजी को एक बात याद आ गई ,

" तुझे कल रात पिछवाड़े वाली एक एक्सरसाइज बताई थी , नहाते समय करने की , चल कर के दिखा। "

याद तो मुझे अच्छी तरह थी ,पर उन के सामने ,.. लेकिन भौजी के आगे मेरी कुछ चलती क्या ? 
और अपने छोटे चूतड़ उचका के , एक ऊँगली मुंह में डाल के थूक से गीली कर के , पिछवाड़े के छेद पे हलके से दबा के , 

" हाँ ऐसे ही , कलाई के जोर से और ताकत लगा के दबा ,.. " कामिनी भाभी की निगाह वहीँ पे थी। 

गचाक , थोड़ी सी ऊँगली घुसी। 

अभी और ठेलों , जायेगी जायेगी। भौजी ने हिम्मत बढ़ाई। 

एक पोर से थोड़ा सा ज्यादा घुसा , तो कामिनी भाभी बोलीं , अब बस , खाली गोल गोल घुमाओ , हाँ ऐसे ही। 

कुछ देर मैं गोल गोल घुमाती रही , तो वो बोलीं ,अरे दूसरी ऊँगली भी ठेलों अंदर और खुद तरजनी में कड़ुआ तेल लगा के उसे चिकना कर दिया। और खुद ही उसे गांड के छेद पे सटा दिया। 

" ठेलों इसे भी ठेलों। "

मुश्किल से दूसरी ऊँगली घुसी वो भी एक पोर। 

" चलो पहली बार के लिए इतना काफी है , कल से दोनों के दो पोर ,... " भाभी ने थोड़ी छूट दे दी। पर ये जोड़ दिया , गिन के पचास बार गोल गोल घुमाओ ,खूब धीरे धीरे ,


थोड़ी देर में ही मुझे अहसास हो गया अंगुली अब थोड़ी आसानी से घूम रही है। 

और जब मैं ने ऊँगली बाहर निकाली तो , बस सम्हलते सम्हालते भाभी ने ऊँगली की टिप को हलके से अपने होंठों से , ... 

मैं घबड़ा गयी बोली अरे भौजी ये क्या।
आँख नचा के चिढ़ाते वो मुस्करा के बोलीं , " अरी छिनरो बुरचोदी , तेरे सारे खानदान क भोसड़ा मारुं , सबेरे सबेरे भूल गयी, हमार उंगरी से जम के मजा ले ले के ,..."

मैं जोर से शर्मा गयी ,सुबह की बात याद कर के। भौजी भी न , पहले तो जबरदस्ती , ...दो ऊँगली मेरे पिछवाड़े हचक के पेल दीं ,चार पांच मिनट गोल गोल घुमाती रहीं फिर मेरे मुंह में जबरन डाल के मंजन कराया ,खूब रगड़ रगड़ के , और मुंह भी नहीं धोने दिया और अब ऊपर से कह रही हैं की , मैंने ,.... 

भौजी ने तबतक मुझे कस के अंकवार में भर लिया और तौलिए से मेरी देह रगड़ते पोंछते बोलीं ,
 
'देह दर्शन '




मैं जोर से शर्मा गयी ,सुबह की बात याद कर के। भौजी भी न , पहले तो जबरदस्ती , ...दो ऊँगली मेरे पिछवाड़े हचक के पेल दीं ,चार पांच मिनट गोल गोल घुमाती रहीं फिर मेरे मुंह में जबरन डाल के मंजन कराया ,खूब रगड़ रगड़ के , और मुंह भी नहीं धोने दिया और अब ऊपर से कह रही हैं की , मैंने ,.... 

भौजी ने तबतक मुझे कस के अंकवार में भर लिया और तौलिए से मेरी देह रगड़ते पोंछते बोलीं , 
………..
" बोल तुझे ये तेरा जोबन कैसा लगता है , है न लौंडो को ललचाने के लायक , सारा गाँव मरता है इस पे , बोल है न दिखाने के लायक। "

मेरे गाल शर्म से गुलाल हो रहे थे , फिर भी मैंने हामी में सर हिलाया। 

" अब बोलो ये बाला जोबना दिखाओगी की दुपट्टे में छिपा के रखोगी? " कामिनी भाभी ने फिर पूछा। 

कल ही तो उन्होंने सिखाया था मैं चट से बोली , " अरे भौजी अब दुपट्टा अगर डालूंगी भी तो एकदम गले से चिपका के , आखिर ये जोबन दिखाने ललचाने की तो ही उम्र है। "

एकदम सही , और बोल तुझे मैं कैसी लगती हूँ , 


" बहुत प्यारी मस्त माल " चिढ़ाते हुए मैंने उन्हेंभींच के चूम लिया। 
और भौजी ने देह का दर्शन समझाना शुरू कर दिया। 

" देखो सब कितना ख्याल करते है दे, ह का , तेल फुलेल , लिपस्टिक ,पाउडर , गहना ,कपड़ा ,सब कुछ तो एहि देह को सजाने के लिए , जिसे देह अच्छी लगे , सुन्दर लगे ,... और जितना सुख है न सब इसी देह से है , चाहे स्वाद का मजा हो , चाहे अच्छी चीज देखने का मजा , छूने का मजा हो , सुनने का मजा हो सब तो इसी देह से , इसी देह को मिलता है। तो फिर देह को देखने में , दिखाने कौन शरम लाज। और जब ई शर्म लाज टूटती है न तभी असली मजा खुल के आता है। "

बात में भाभी के दम था , यहां आने तक मैं एकदम छुईमुई थी , कोई इधर उधर हाथ भी लगाता था मैं बिदक जाती थी। कोई लड़का सामने से गुजर भी जाता था तो बस मुझे लगता की कहीं मेरे कच्चे टिकोरों को तो नहीं , और मैं दुपट्टे से अच्छी तरह छोटे छोटे नए आये जोबन को , लेकिन पहले ही दिन भाभी के गाँव में जब सोहर हो रहा था तो सब लोग इतने खुल के गालियां गा रहे थे , मुझसे भी कम उमर की लड़कियां एक दम खुल के मजा ले रही थीं , और झूले पे तो कितनी भाभियों ने मेरे उभारों पे हाथ डाला, अंदर भी। रही सही झिझक मेरी सहेली चन्दा ने रात में जब वो मेरे पास सोई तब खत्म कर दी और फिर रतजगे , जब बिना उमर ,रिश्ते का लिहाज किये रतजगे में सबके कपडे उतरे और सबने खूब मजे लिए ,... 

भाभी की बातें खाते समय भी जारी रही। 

" सबसे बड़ा मजा जानती हो का है , ... " 

" चुदाई ,... " खिलखिलाते हुए मैं बोली , अब मैं अपनी भौजी की पक्की ननद हो गयी थी। 

" एकदम , हँसते हुए कामिनी भाभी बोलीं , और इसलिए की इसमें देखने का , चखने का ,छूने का , सुनने का सब मजा मिलता है। और असली चुदाई भी यही है जिसमें ई कुल हो। अच्छा एक बात बताओ , जब झड़ते समय तोहार भैय्या कटोरा भर रबड़ी तोहरी चूत में डलले रहलें तो मजा मिला था की नहीं , 

और जब तक मैं उनकी बात का जवाब देती भौजी ने दूसरा सवाल दाग दिया , 

" और जब तोहरे पिछवाड़े आपन पिचकारी से मलाई छोड़ले रहें तब ?"

मैं खिलखिला पड़ी , " अरे भौजी ई कौन पूछने की बात है। सबसे ज्यादा मजा तो ओहि टाइम आता है। और उस मलाई का स्वाद भी कितना मीठा होता है। "

मुझे गाँव के लड़कों की याद आ गयी , अजय , सुनील ,दिनेश सब ने अपनी मलाई चखाई थी। 

" और उस मलाई का एक फायदा और है ? " कामिनी भाभी का क्विज टाइम चल रहा था। 

कुछ देर मैंने सर खुजाया , सोचा ,फिर मेरी चमकी। 

" अरे भौजी अगर उसको ,... ओहि से तो दुनिया चलती है। मरद देता है , औरत घोंटती है तभी तो केके हाँ केहाँ होता है स्रष्टि चलती है , उ तो अमरित है। " मैं भी कामिनी भाभी की तरह बोलने लगी थी। " 

भौजी बड़ी जोर से मुस्कार्ईं , " तू और तोहार सारे खानदान वाली , मजा ले ले के लण्ड चूसती हो , उसकी मलाई गटकती हो , तो उँहा से निकलने वाली बाकी चीज में ,... और फिर अपने खुद की देह से निकली ,...काहें मुंह बिचकाती हो। "

मैं समझ गयी ,कामिनी भाभी का इशारा ,... सुबह भइया ने मेरे पिछवाड़े कटोरी भर मलाई निकालने के बाद अपना खूंटा मेरे मुंह में ,... मैं बहुत ना नुकुर कर रही थी , लेकिन भला हो भोजी और भैया का ,, जबरदस्ती उन्होंने ,... और उसके बाद भौजी ने मंजन भी ,... 


मैंने ऐसा भोला सा चेहरा बनाई थी , जैसे मानो कह रही हो ऊप्स भाभी गलती हो गयी ,आगे से नहीं होगी। और भाभी ने गुरुज्ञान दे दिया ,

" अरे जउने देह से मजे ही मजे है , उससे निकलने वाली चीज भी ,... "

भौजी की बात में ब्रेक लग गया था क्योंकि वो एक दूसरे काम में लग गयी थीं , खाने के बाद।
 
सिंगार 

अब तक 



भाभी की बातें खाते समय भी जारी रही। 

" सबसे बड़ा मजा जानती हो का है , ... " 

" चुदाई ,... " खिलखिलाते हुए मैं बोली , अब मैं अपनी भौजी की पक्की ननद हो गयी थी। 

" एकदम , हँसते हुए कामिनी भाभी बोलीं , और इसलिए की इसमें देखने का , चखने का ,छूने का , सुनने का सब मजा मिलता है। और असली चुदाई भी यही है जिसमें ई कुल हो। अच्छा एक बात बताओ , जब झड़ते समय तोहार भैय्या कटोरा भर रबड़ी तोहरी चूत में डलले रहलें तो मजा मिला था की नहीं , 

और जब तक मैं उनकी बात का जवाब देती भौजी ने दूसरा सवाल दाग दिया , 

" और जब तोहरे पिछवाड़े आपन पिचकारी से मलाई छोड़ले रहें तब ?"

मैं खिलखिला पड़ी , " अरे भौजी ई कौन पूछने की बात है। सबसे ज्यादा मजा तो ओहि टाइम आता है। और उस मलाई का स्वाद भी कितना मीठा होता है। "

मुझे गाँव के लड़कों की याद आ गयी , अजय , सुनील ,दिनेश सब ने अपनी मलाई चखाई थी। 

" और उस मलाई का एक फायदा और है ? " कामिनी भाभी का क्विज टाइम चल रहा था। 

कुछ देर मैंने सर खुजाया , सोचा ,फिर मेरी चमकी। 

" अरे भौजी अगर उसको ,... ओहि से तो दुनिया चलती है। मरद देता है , औरत घोंटती है तभी तो केके हाँ केहाँ होता है स्रष्टि चलती है , उ तो अमरित है। " मैं भी कामिनी भाभी की तरह बोलने लगी थी। " 

भौजी बड़ी जोर से मुस्कार्ईं , " तू और तोहार सारे खानदान वाली , मजा ले ले के लण्ड चूसती हो , उसकी मलाई गटकती हो , तो उँहा से निकलने वाली बाकी चीज में ,... और फिर अपने खुद की देह से निकली ,...काहें मुंह बिचकाती हो। "

मैं समझ गयी ,कामिनी भाभी का इशारा ,... सुबह भइया ने मेरे पिछवाड़े कटोरी भर मलाई निकालने के बाद अपना खूंटा मेरे मुंह में ,... मैं बहुत ना नुकुर कर रही थी , लेकिन भला हो भोजी और भैया का ,, जबरदस्ती उन्होंने ,... और उसके बाद भौजी ने मंजन भी ,... 


मैंने ऐसा भोला सा चेहरा बनाई थी , जैसे मानो कह रही हो ऊप्स भाभी गलती हो गयी ,आगे से नहीं होगी। और भाभी ने गुरुज्ञान दे दिया ,

" अरे जउने देह से मजे ही मजे है , उससे निकलने वाली चीज भी ,... "

भौजी की बात में ब्रेक लग गया था क्योंकि वो एक दूसरे काम में लग गयी थीं , खाने के बाद।




आगे 










भौजी की बात में ब्रेक लग गया था क्योंकि वो एक दूसरे काम में लग गयी थीं , खाने के बाद।

मेरी कुछ खास जगहों का साज सिंगार करने में , वो मुझे उस जगह ले गयी जहाँ उनके लेप ,लोशन ,क्रीम , मलहम , सौंदर्य प्रसाधन ,जड़ी बूटियां , वटी ,लेप आदि रहते थे। 

सबसे पहले उन्होंने मेरे जोबन पे उरोज कल्प नामक लेप किया ,स्तनों सुदृढ़ और बड़ा करने वाला ,

और फिर उनकी अपनी बनायी कुछ खासी जड़ी बूटियों से बनी एक क्रीम , मेरी दोनों जाँघे अच्छी तरह फैला के मेरी योनि में जड़ तक भरा। कुछ लेप फिसल कर बाहर भी आ गया। भौजी ने उसे चूत के चारो ओर फैला के रगड़ दिया ,और मुझे बोला की मैं कस के अपनी बुरिया भींच लूँ। और फिर यही काम उन्होंने पलट कर पिछवाड़े के छेद में भी किया ,एकदम बुचोबच ऊपर तक क्रीम भर दिया ,और उसे भी मैंने भींच लिया। 

कुछ ही देर में एक अजब सनसनाहट ,ठंडक और चुनचुनाहट आगे पीछे महसूस होने लगी। 

भौजी मेरी हालत देख कर मुस्करा रही थीं , चिढ़ाते हुए बोलीं , कैसा लग रहा है। फिर उन्होंने समझाया ,

" इसका असर होने में टाइम लगता है , मैंने अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ही तेरा सील कर दिया है। कल सुबह तक कुछ भी नहीं जाना चाहिए इसके अदंर , फिर चाहे जम के मूसल चलवाना। जो भी रगड़ा रगड़ी में अंदर गडबड हुआ होगा , छिल विल गया होगा सब कुछ ठीक हो जाएगा कल सुबह तक। उसके अलावा एकदम टाइट कर देगी। '

असर अब धीरे धीरे मेरी पूरी देह पर हो रहा था , एक अजीब मस्ती , गनगनाहट, आँखे मुंदी जा रही थी ,

" अरे तुझे खाने के बाद कुछ मीठा तो खिलाया नहीं , भाभी बोलीं ,और खिंच के मुझे पलंग पे। 

हाँ इस बार धान के खेत और अमराई वाली खिड़की अच्छी तरह बंद थी।
 
मिठाई : कामिनी भाभी की 







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" अरे तुझे खाने के बाद कुछ मीठा तो खिलाया नहीं , भाभी बोलीं ,और खिंच के मुझे पलंग पे। 

हाँ इस बार धान के खेत और अमराई वाली खिड़की अच्छी तरह बंद थी।
' मिठाई' भाभियाँ मुझे पहले भी चखा चुकी थीं , गांव में आने के बाद , चंपा भाभी ,बंसती भौजी। और मुझको भी शहद से भरी उस 'मिठाई 'को खाने की लत लग गयी थी। 

पल भर में हम दोनों बिस्तर पर थे , आज खिड़की दरवाजे सब बंद थे , इसलिए एक मखमली अँधेरा छाया था। 

भाभी ने मुझे एक साथ अपनी ओर खींचा ,टाँगे फैलाई और साडी ऊपर। 

( गाँव में आके साडी का यही फायदा मैंने सीखा भी और उठाया भी , बस मौका पाते ही , जैसे टांग उठाओ , साडी अपने आप खुल के प्रेम गली का रास्ता दिखा देती है। और जब शटर डाउन करना हो तो बस ,उठ जाइये , साडी अपने आप सब कुछ ढक लेती है। )

और मेरे होंठ सीधे भौजी के शहद के छत्ते पे। 

पहले थोड़ा खेल तमाशा , इधर उधर चुम्मी और फिर सीधे ,थोड़ा लिकिंग , फिर किसिंग और अंत में सकिंग ,


कामिनी भाभी मान गईं ,उनकी छुटकी ननदिया उतनी नौसिखिया नहीं है। मेरा सर पकड़ के कस कस के उन्होंने अपने बुर पे दबाया ,मैंने जीभ बुर की दोनों फाँको को फैला के अंदर घुसेड़ा , और अपने दोनों होंठो के बीच भौजी की गद्देदार , मांसल बुर की पत्तियों को भर के जोर जोर से चूसना शुरू किया , और भौजी कुछ ही देर में चूतड़ पटकने लगीं। 

बुर उनकी पनिया गयी। 

लेकिन ऐसा नहीं है इस खेल में कामिनी भाभी ने मुझे कुछ नहीं सिखाया ,कभी हाथों के इशारे से कभी पैरों के सहारे से ,... तो कभी बुदबुदाकर कभी बोल कर , कभी उकसाकर , कभी रोक कर , कभी पेंग लगाके तो कभी ब्रेक लगा के ,... 

और मैं समझ गयी , चाहे चुदाई हो या चुसाई एम जीतना नहीं मजा लेना होना चाहिए। टारगेट अगले को जल्दी झाड़ना नहीं ,बल्कि साथ साथ कितनी देर तक ,कितने अलग ढंग से ,कितने तरह से मजा दे सकते हैं ,ले सकते है ,होना चाहिए। 

और ट्रिक भी सीखी नयी नयी , कैसे सिर्फ जीभ के टिप से सुरसुरी कर के , टीज कर के आग लगा सकते हैं किसी मर्द से भी बेहतर सिर्फ जीभ से बुर को कैसे चोद सकते है, ... 
दो चार बार भाभी को मैं झड़ने के करीब ले गयी ,फिर रुक गयी। यही तो वो चाहती थीं , उन्होंने इशारे से मुझे बुर और पिछवाड़े की बीच की जगह को लिक करने को कहा ,

दोनों हाथ से उनके बड़े बड़े चूतड़ उठा के मैंने कस कस के लिक करना शुरू कर दिया।
' वहां 'से इंच दो इंच ही तो दूर थी मैं , मेरा मतलब ,मेरी लालची ,नदीदी ,शरारती जीभ। 

आज कितना हचक हचक के मेरे पिछवाड़े मूसल चला था , रात में भी और आज सुबह सुबह भी। मान मूसल मेरे भैय्या का था , लेकिन उन्हें उकसाने वाली तो मेरी ये प्यारी प्यारी भाभी ही थीं। और फिर मेरे हाथ बांधने से लेकर , कुशन तकिए लगा के चूतड़ उठाने , उसमे आधी बोतल कडुवा तेल डालने से लेकर मेरे मुंह को अपनी मोटी मोटी चूंची से बंद करने तक का सारा काम तो कामिनी भाभी ने ही किया था। 

बस। 

मेरी जीभ उधर की ओर मुड़ चली , लिक करते हुए मैंने अब पीछे की ओर जीभ , ... लेकिन पिछवाड़े के छेद से , दो चार मिलीमीटर दूर ही मैं रुक जा रही थी। 
साथ में मेरी ऊँगली गोल दरवाजे के चारो ओर ,हलके हलके गोल गोल घूम रही थी। 

भौजी पे असर जो हो रहा था मैं महसूस कर रही थी , फिर अचानक लिक करते करते मेरी जीभ ने जैसे गलती से पिछवाड़े का छेद छू लिया , वहां टच कर दिया। 

कुछ देर में ये गलती बार बार हो रही थी। पिछवाड़े के छेद के आर पार , मेरी जीभ महसूस कर रही थी , भौजी की गांड कैसे दुबदुबा रही थी। 

मुझे बहुत मजा आ रहां था उन्हें छेड़ने में , और जो काम मेरी ऊँगली कर रही थी वह अब जीभ की टिप ने शुरू कर दिया। पहले हलके हलके फिर जोर से ,... 


लेकिन मन तो मेरा भी कर रहा था , और अब बहुत हो गई थी छेड़छाड़ , 

मुझसे नहीं रहा गया , मैंने दोनों हाथ से कस के भाभी के कटे तरबूज ऐसे चूतड़ों को पूरी ताकत से फैलाया ,

और अब उनका भूरा भूरा छेद साफ़ दिख रहा था , थोड़ा खुला ,
 
मजा पिछवाड़े का 



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लेकिन मन तो मेरा भी कर रहा था , और अब बहुत हो गई थी छेड़छाड़ , 

मुझसे नहीं रहा गया , मैंने दोनों हाथ से कस के भाभी के कटे तरबूज ऐसे चूतड़ों को पूरी ताकत से फैलाया ,

और अब उनका भूरा भूरा छेद साफ़ दिख रहा था , थोड़ा खुला ,

पुच पुच , मैंने अपने रसीले किशोर होंठ वहां सटाए और चार पांच चुम्मी जोर जोर से ले ली , और फिर एक थूक का बड़ा सा गोल बना के सीधे उस छेद में , 

जीभ की नोक जो कुछ देर पहले किनारे किनारे चक्कर काट रही थी , अब गहराई में उतर गयी थी और जोर से उस कुएं की दीवारों पे चक्कर काट रही थी। 


बिचारी भौजी , अब सिसक रही थीं , तड़प रही थी , चूतड़ पटक रही थीं और मैं ,

मैं उनकी ननद उन्हें तड़पा रही थी। 

कभी चूमती थी , कभी चाटती थी और रह रह के जोर जोर से चूस लेती थी ,पिछवाड़ा 
मौक़ा भी था , भौजी ने खुद मेरे आगे पीछे क्रीम लगा के बोला था अब ये कल सुबह के लिए सील हो गयी उंगली तक नहीं , 

मतलब मेरे ऊपर कोई ख़तरा नहीं था ,भौजी किसी तरह बदला नहीं ले सकती थीं। 

लेकिन भौजी तो भौजी थीं , 

" साल्ली छिनार, हरामी की जनी , गांड चट्टो , बहुत गांड चाटने का सौक है न चल चटवाती हूँ गांड तुझे , तेरा ये शौक भी पूरा हो जाए। "

और जब तक मैं सम्हलती समझती , उन्होंने खींच के मुझे अपने बगल में लिटा लिया , और वो मेरे ऊपर ,उनकी मोटी मोटी जाँघे मेरे चेहरे के दोनो ओर , कुछ उन्होंने एडजस्ट किया और 

भौजी की गांड का छेद सीधे मेरे होंठों के ऊपर ,

" खोल मुंह ,भडुए की औलाद ,रंडी की जनी , कुत्ताचोदी,... खोल वरना ,... "

और मैंने मुंह खोल दिया। मुझे मालूम था भाभी बिना मुंह खुलवाए मानेंगे नहीं , 

थोड़ा और सरकी वो दोनों हाथों से पूरी ताकत से उन्होंने अपने बड़े बड़े ३८ ++ साइज के चूतड़ फैलाए और अब 

उनकी खुली गांड का छेद सीधे मेरे मुंह में ,फंसा ,उसके ऊपर मैं टस से मस भी नहीं हो सकती थी। 

" ले चाट , चाट कस के , जीभ ननद रानी ,एकदम अंदर तक जानी चाहिए समझ लो , बाहर बाहर से न तुझे मजा आयेगा न मुझे , तुझे बहुत शौक है तो पक्की गांडचट्टो तुझे बना के छोडूंगी चल चाट।“
कुछ देर तक तो मेरे समझ में नहीं आया , 

लेकिन मेरे समझ में न आने से क्या होता है , मेरी जीभ को तो समझ में आ गया था , भौजी का हुकुम क्या है। 

और कुछ देर बिचकने , हिचकिचाने के बाद , जीभ की टिप ,हलके हलके , सम्हलते सम्हलते , गोलकुंडा के अंदर प्रवेश और उसकी दीवालों को ,


भौजी खुश। 

और लगीं आशिसने 

" मस्त चाट रही है , साली छिनार , खानदानी गांड चट्टो है ,लगता है पेट से सीख के आई है हां ,अरे भोंसड़ी के और अंदर , पूरा , और डाल गदहे की जनी। '

मैंने और कोशिश की ,.. कुछ , ...ऐसा वैसा , ..मन गिनगिना सा गया। 

एक पल के लिए की लिए रुकी की भौजी फिर , ऐसा हड़काया उन्होंने की ,

" रुक क्यों गयी साल्ली , तेरे सारे खानदान की गांड मारुं , अरे सबेरा अपना तो ,भैया के लण्ड से सपड सपड , तो मेरे में ,... जब तक भौजाई का ,... ननद को , चल और अंदर डाल घुमा गोलगोल ,"

और उसके साथ ही , जैसे कोई अति अनुभवी खेली खायी प्रौढा किसी नयी उमर की नयी फसल टाइप लड़के पे , खुद चढ़के ,उसके बांस पे उछल उछल के ,... 

कामिनी भाभी ने उसी तरह बागडोर अपने हाथ में ले ली। मेरी जीभ जैसे उस नौसिखिए लड़के का खूंटा हो , बस ,

कभी गोल गोल , तो कभी आगे पीछे ,उनके चूतड़ 

और उनकी गांड में घुसी जीभ ने धीमे धीमे उसी सुर ताल पे 

चाटना , चूसना ,... 

" जिस दिन गुलबिया के हाथ पडोगी न , बिना भर पेट खिलाए पिलाए वो छोड़ेगी नहीं। चार चार बच्चों की माँ ननदें , होली में उससे पनाह मांगती है। और इस बात की गारण्टी ,तुम्हे तो छोड़ेगी नहीं वो , और उस की क्या गलती , माल ही तुम इतनी नमकीन हो। कितनो चिंचियाओगी ,चूतड़ पटकोगी न , गुलबिया के आगे ,... "

तब तक दरवाजे पर खटखट हुयी। 

मैं और कामिनी भाभी झट से पलंग के नीचे , खड़े हो गए। 

मैंने पहले ही कहा था साडी का यही फायदा , सब कुछ ढँक गया।
 
गुलबिया 

अब तक 



लेकिन भौजी तो भौजी थीं , 

" साल्ली छिनार, हरामी की जनी , गांड चट्टो , बहुत गांड चाटने का सौक है न चल चटवाती हूँ गांड तुझे , तेरा ये शौक भी पूरा हो जाए। "

और जब तक मैं सम्हलती समझती , उन्होंने खींच के मुझे अपने बगल में लिटा लिया , और वो मेरे ऊपर ,उनकी मोटी मोटी जाँघे मेरे चेहरे के दोनो ओर , कुछ उन्होंने एडजस्ट किया और 

भौजी की गांड का छेद सीधे मेरे होंठों के ऊपर ,

" खोल मुंह ,भडुए की औलाद ,रंडी की जनी , कुत्ताचोदी,... खोल वरना ,... "

और मैंने मुंह खोल दिया। मुझे मालूम था भाभी बिना मुंह खुलवाए मानेंगे नहीं , 

थोड़ा और सरकी वो दोनों हाथों से पूरी ताकत से उन्होंने अपने बड़े बड़े ३८ ++ साइज के चूतड़ फैलाए और अब 

उनकी खुली गांड का छेद सीधे मेरे मुंह में ,फंसा ,उसके ऊपर मैं टस से मस भी नहीं हो सकती थी। 

" ले चाट , चाट कस के , जीभ ननद रानी ,एकदम अंदर तक जानी चाहिए समझ लो , बाहर बाहर से न तुझे मजा आयेगा न मुझे , तुझे बहुत शौक है तो पक्की गांडचट्टो तुझे बना के छोडूंगी चल चाट।“
कुछ देर तक तो मेरे समझ में नहीं आया , 

लेकिन मेरे समझ में न आने से क्या होता है , मेरी जीभ को तो समझ में आ गया था , भौजी का हुकुम क्या है। 

और कुछ देर बिचकने , हिचकिचाने के बाद , जीभ की टिप ,हलके हलके , सम्हलते सम्हलते , गोलकुंडा के अंदर प्रवेश और उसकी दीवालों को ,


भौजी खुश। 

और लगीं आशिसने 

" मस्त चाट रही है , साली छिनार , खानदानी गांड चट्टो है ,लगता है पेट से सीख के आई है हां ,अरे भोंसड़ी के और अंदर , पूरा , और डाल गदहे की जनी। '

मैंने और कोशिश की ,.. कुछ , ...ऐसा वैसा , ..मन गिनगिना सा गया। 

एक पल के लिए की लिए रुकी की भौजी फिर , ऐसा हड़काया उन्होंने की ,

" रुक क्यों गयी साल्ली , तेरे सारे खानदान की गांड मारुं , अरे सबेरा अपना तो ,भैया के लण्ड से सपड सपड , तो मेरे में ,... जब तक भौजाई का ,... ननद को , चल और अंदर डाल घुमा गोलगोल ,"

और उसके साथ ही , जैसे कोई अति अनुभवी खेली खायी प्रौढा किसी नयी उमर की नयी फसल टाइप लड़के पे , खुद चढ़के ,उसके बांस पे उछल उछल के ,... 

कामिनी भाभी ने उसी तरह बागडोर अपने हाथ में ले ली। मेरी जीभ जैसे उस नौसिखिए लड़के का खूंटा हो , बस ,

कभी गोल गोल , तो कभी आगे पीछे ,उनके चूतड़ 

और उनकी गांड में घुसी जीभ ने धीमे धीमे उसी सुर ताल पे 

चाटना , चूसना ,... 

" जिस दिन गुलबिया के हाथ पडोगी न , बिना भर पेट खिलाए पिलाए वो छोड़ेगी नहीं। चार चार बच्चों की माँ ननदें , होली में उससे पनाह मांगती है। और इस बात की गारण्टी ,तुम्हे तो छोड़ेगी नहीं वो , और उस की क्या गलती , माल ही तुम इतनी नमकीन हो। कितनो चिंचियाओगी ,चूतड़ पटकोगी न , गुलबिया के आगे ,... "

तब तक दरवाजे पर खटखट हुयी। 

मैं और कामिनी भाभी झट से पलंग के नीचे , खड़े हो गए। 

मैंने पहले ही कहा था साडी का यही फायदा , सब कुछ ढँक गया। 










आगे 







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दरवाजा शायद ठीक से नहीं बंद था , दरवाजा खुल गया। 

फटाक। 


गुलबिया अंदर।





" अरे हम्मे कौन याद कर रहा था। " घुसते ही गुलबिया ने पूछा। 

और मुस्कराते हुए कामिनी भाभी ने सवाल का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया। 

" और कौन,इहे हमार तोहार छिनार ननदिया। बहुत गुस्सा हो तुमे " उन्होंने गुलबिया से बोला। 

गुलबिया ने मुझे अंकवार में भर लिया और वो कुछ मुझसे पूछ पाती की उसके अनबोले सवाल का जवाब खुद कामिनी भाभी ने खुद दिया। सदर्भ और प्रसंग वही था ,जस्ट गुलबिया के आने के पहले का। 

कामिनी भाभी ने आँख नचाकर गुलबिया से बोला ," हमार ननद तोहसे इसलिए गुस्सा हौ की , वो कह रही है की , भौजी हमको आपन स्पेसल हलवा अबहीं तक नहीं नहीं खिलायीं ,लागत है हमको आपन ननद नहीं मानती है। "

गुलबिया ने तुरंत मेरे गाल पे एक जोर का चुम्मा लिया अपने एक हाथ से साडी के ऊपर से ही मेरे चूतड़ भींचे और हंस के बोलीं ,

" अरे ई तो हमार सबसे पक्की असली छिनार ननद हौ। बकि इसकी शिकायत तो सही है लेकिन अबहीं तोिंके शहर जाय में ७-८ दिन है न। एक बार क्यों ,बार बार खिलाऊंगी। बल्कि भरोटी में बुलायके दावत दूंगी , घबड़ा जिन। और अगर तनिको चूं चपड़ किहु न तो बस जबरदस्ती , हाथ गोड़ बाँध के। "

और साथ ही उसकी समझदार उंगलियां साडी के ऊपर से ही मेरी गांड की दरार में दबा के हलके से घुसा के , हालचाल पता कर रही थीं। 

और गुलबिया की आँखों की चमक से पता चल गया की वो समझ गयी है की रात भर पिछवाड़े जम कर हल चला है। 

और रात भर क्यों सुबह सबेरे भी ,... अभी भी मक्खन मलाई दोनों छलक रही थी। 

मैंने बात बदलने की कोशिश करते हुए ,अपनी भाभी के लौटने के बारे में पूछा। 

पता चला की भाभी और माँ देर शाम तक आ जाएंगी। वो दोनों लोग पड़ोस के गाँव में गयी थीं। घर पे बसंती और चंपा भाभी हैं। और उन दोनों लोगों ने गुलबिया को भेजा है मुझे लाने के लिए। वो अपने साथ मेरे लिए कपडे भी लायी है , और उसने कपडे मुझे दे दिए। 

एक टॉप , जिसकी सबसे निचली बटन को छोड़के सब टूटी ( या तोड़ दी गयी थीं , और मुझे सोचने की जरुरत नहीं थी की ये हरकत बसंती भौजी की थी ). जिसे मैं दो साल पहले पहनना छोड़ चुकी थी और अब बहुत मुश्किल से घुस सकती थी। और कपडा भी बहुत पतला सा , साथ में एक स्कर्ट , वो भी दो साल पहले की , अब घुटनों से कम तीन बित्ते ऊपर ,.. 

और मैं कपडे बदलने के लिए अंदर मुड़ी तो कामिनी भाभी ने मुझे रोक लिया ,

" अरे हमसे सरमाय रही हो की गुलबिया से ,हम तो कुल देखी चुकी हैं और ,... "

बात काट के गुलबिया बोली ," और हम भी देख लेंगे ".
गुलबिया बात में नहीं हाथ में विशवास करती थी और जब तक मैंने कुछ समझू मेरी साडी का आँचल उसके हाथ में , और सरर , 

" अरे ननदों की साडी खोलने की बहुत ट्रेनिंग है हमको , " हँसके चिढ़ाते गुलबिया बोली। 

" और क्या छिनार रंडी ननदें अपने भाइयों के सामने तो चट्ट से खोल देती हैं तो भौजाइयों से का सरम। " कामिनी भाभी ने गुलबिया की हाँ में हाँ मिलाई। मेरी झिझक का नुक्सान ये हुआ की साडी तो उतार के गुलबिया ने दूर फेंक दी, मुझे जो वो टॉप स्कर्ट लायी थी वो भी नहीं मिली। 

पहले तो कामिनी भाभी अकेली थीं अब गुलबिया भी शामिल हो गयी थी छेड़ने में ,

और जब तक तीन तिरबाचा नहीं भरवाया , कसम नहीं खिला दी , पता नहीं क्या किस किस बात की , जिसे बोलने बताने में भी शरम लगे , हाँ उसमें ये भी शामिल था की मैं एक दिन पूरा उसके साथ भरोटी में बिताऊंगी। 
और उसके साथ गुलबिया ने पूरा मौका मुआयना भी किया , सिर्फ आँखों से नहीं , उँगलियों से भी ,.. पहले ऊपर की मंजिल का ,मेरी चूचियों पे जो भैया के दांतों के निशान थे , भौजी के नाखूनों की खरोचें थी ,सब एक एक , ...और उसके बाद नीचे की मंजिल भी ,आगे भी ,पीछे भी ,... 

और खूब खुश हो के गुलबिया ने पहले मुझे देखा और फिर कामिनी भाभी को अचानक झप से अंकवार में भरते , दबोचते बोलीं। 

" अब हो गयी हो मस्त माल , हमार असली ननद , ... अब तो तोहरे ऊपर चार चार मरद एक साथ चढ़ने चाहिए ,आगे पीछे एक साथ , रात भर , दो चोदे , दो मुठियावत खड़ा रहें , एक निकारे दूसरा डारे , एको पल खाली न रहे , ... " 
 
कामिनी भाभी ,गुलबिया 



और खूब खुश हो के गुलबिया ने पहले मुझे देखा और फिर कामिनी भाभी को अचानक झप से अंकवार में भरते , दबोचते बोलीं। 

" अब हो गयी हो मस्त माल , हमार असली ननद , ... अब तो तोहरे ऊपर चार चार मरद एक साथ चढ़ने चाहिए ,आगे पीछे एक साथ , रात भर , दो चोदे , दो मुठियावत खड़ा रहें , एक निकारे दूसरा डारे , एको पल खाली न रहे , ... " 

" अरे तो जिम्मेदारी भी तुम्हारी है हलवा खिलाने के साथ ",खिलखिलाती कामिनी भौजी बोलीं। 

" अरे हमार ख़ास ननद है , हलवा खिलाऊंगी भीऔर इसका हलवा बनवाऊंगी भी। " 


कपडे मुझे अपने हाथ से पहनाते गुलबिया बोली ,हाँ टॉप का जो सबसे निचला बचा खुचा बटन था वो भी उसने नहीं बंद किया , नतीजा ये थे की सिर्फ मेरी गहराइयाँ बल्कि गोलाईयाँ भी साफ़ साफ़ नजर आ रही थीं और जरा सा झुक जाऊं तो कंचे की तरह कड़े कड़े गोल निपल भी झलक जाते थे। 

मैं गुलबिया के साथ निकलने वाली थी की कामिनी भाभी को कुछ याद आया और बोलीं ,

" अरे तेरे लिए एक झोले में लगाने बाली क्रीम और बाकी सब रखा सामान ,.. " उनकी बात पूरी होने के पहले ही मैं अंदर चली गयी थी। 

झोले में क्या क्या नहीं था और साथ में एक पुर्जे पे खाने का टाइम , नहाने के बाद और सोने के पहले नीचे आगे पीछे लगाने वाली क्रीम , उरोज कल्प ,रोज रात में और कहीं बहार निकलने के पहले और लड्डू ख़ास जड़ी बूटी पड़ा , रात में और एक सुबह खाने का , ... 

लेकिन मेरे कान बाहर चिपके थे , कामिनी भौजी ने सब कुछ ,... यहां तक की कैसे भइया ने सुबह सुबह मेरी गांड मारने के बाद सीधे मेरे मुंह में , और कुछ जोरजबरदस्ती के बाद मैंने सब चाट चूट के साफ़ कर दिया और कैसे भाभी ने मुझे स्पेसल वाला मंजन अपनी ऊँगली से ,... 

मैं सरमा भी रही थी लेकिन मस्ती भरी गुदगुदी भी हो रही थी। 

मैं जब बाहर निकली तो वो गुलबिया को चेता रही थीं की मेरे आगे पीछे , दोनों छेद उन्होंने सील कर दिए हैं , स्पेसल क्रीम से तो कल सुबह तक चिड़िया कोई चारा वारा नहीं खायेगी ,ऊँगली भी नहीं। कल भोर भिनसारे तक का उपवास है , और ये बात वो बसंती और चंपा भौजी को बता दे। 



झोला गुलबिया ने मेरे हाथ से ले लिया और जब हम दोनों बाहर निकले क्या मस्त मौसम था।
धरती ने धानी चूनर जैसे ओढ़ ली हो , चारो ओर हरियाली के इतने शेड्स , धुली धुली भोर की बारिश के बाद ,टटकी अमराई , जैसे रात भर पिया के संग जगने जगाने के बाद , दुल्हन नहा धो के एक दम ताज़ी ताज़ी , बालों से पानी की बूंदे टपकती हुयी , बस उसी तरह अमराई के पत्तो से अभी भी बूंदे रह रह कर चू रही थीं। 
 
धान के खेत में 



View attachment 1paddy fields 2.jpg[/attachment]धरती ने धानी चूनर जैसे ओढ़ ली हो , चारो ओर हरियाली के इतने शेड्स , धुली धुली भोर की बारिश के बाद ,टटकी अमराई , जैसे रात भर पिया के संग जगने जगाने के बाद , दुल्हन नहा धो के एक दम ताज़ी ताज़ी , बालों से पानी की बूंदे टपकती हुयी , बस उसी तरह अमराई के पत्तो से अभी भी बूंदे रह रह कर चू रही थीं। 

पानी तेज बरसा था , जगह जगह कीचड़ हो गया था। दूर दूर तक हरे गलीचे की तरह दिखते धान के खेतों में अभी भी बित्ते भर से ज्यादा ही पानी लगा था। मेंडो पर कतार से ध्यान में लींन साधुओं की तरह , सारसों की पांते , और आसमान जो कुछ देर तक एकदम साफ़ था ,अब फिर गाँव के आवारा लौंडो की तरह धूम मचाते कुछ बादल के टुकड़े , जैसे धानी चुनरी पहने जमीन को ललचाई निगाहों से देख रहे हों , 

हलकी हलकी पुरवाई भी चल रही थीं , नमी से भरी। 

मैं इसी में खोयी थी की मुझे पता ही नहीं चला की मुझे आगे के रास्ते के बजाय , गुलबिया ,पिछवाड़े के रास्ते ले आई , जिस कमरे में कल मैं सोई थी और सुबह भी भैय्या के साथ , ... उस के पीछे , जहाँ खुली खिड़की से धान के खेत दिख रहे थे और रोपनी करने वालों के मीठे गाने सुनाई पड़ रहे थे , उसी ओर ,

मैंने उसकी ओर देखा तो मुस्करा के वो बोली , " अरे एहर से ननद रानी जल्दी पहुँच जाबू। लेकिन हमार हाथ पकडले रहा , वर्ना बहुत कीचड़ हौ। '
रास्ता तो कुछ दिख नहीं रहा था , धान के दूर तक फैले खेत, बगल में घनी अमराई और उसके पास ही गन्ने के खेत। 

लेकिन मैंने गुलबिया का हाथ पकड़ लिया , गनीमत था की कामिनी भाभी ने जो पिछवाड़े अंदर तक उंगली डाल डाल के जो अपनी स्पेशल क्रीम लगाई थी , उससे दर्द करीब करीब खत्म हो गया था। बस एक थोड़ी सी फटन सी बाकी थी और ऊंच नीच पैर पड़ने पर हलकी सी चिलखन हो जाती थी। 

गुलबिया लगभग मुझे खींचते हुए धान के खेत की ओर के गयी, जिधर रोपनी वाली औरतें अभी भी रोपनी कर रही थी ,और उनके गाने की आवाजें अब एकदम साफ़ साफ़ सुनाई थी। 

मैं किसी तरह बचती बचाती चल रही थी ,मुझे इस बात का कोई ध्यान भी नहीं था की सुबह सुबह भैया ने जो मेरी पिछवाड़े वाली ओखली में अपना मोटा मूसल चलाया था , खुली खिड़की से उनमें से कुछ ने देखा भी होगा और मेरी चीखने की आवाजें तो शर्तिया सब ने सुनी होंगी। ऊपर से भौजी ने उस समय मुझसे क्या क्या नहीं कबुलवाया था वो भी खूब जोर जोर से ,

" भइया मेरी गांड मारो हचक हचक के , पूरे गाँव से मरवाऊँगी ,सबको अपनी गांड दूंगी , पता नहीं क्या क्या। ' वो कान बंद रखने पर भी सुनाई पड़ता। 

लेकिन मैं बस उस समय किसी तरह कीचड़ से बचाते अपने को ,सम्हल सम्हल के चल रही थी। गुलबिया की ऊँगली जोर से थामे , ... कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। 


तभी एक मेंड़ दिखी , दो तिहाई सूखी थी , दोनो ओर वो रोपनी वालियां , और गुलबिया मुझे उधर ही खींच के ले गयी , मैं पीछे पीछे , बस बस नीचे देखते , एक पैर के ठीक पीछे दूसरा पैर ,,... 

और एक रोपनी वाली गुलबिया से बोली , पहचानती मैं भी उसको थी , गाँव के रिश्ते से मेरी भाभी ही लगती थी , रतजगा" कहाँ ले जा रही हो ई मस्त माल फांस के , पिछवाड़ा तो बहुते मस्त है ,क्या चूतड़ मटका रही है। "

तब तक एक दूसरी जो गाँव की लड़की यानि गाँव के रिश्ते से गुलबिया की छुटकी ननद लगती थी , चुलबुली , तीखी मिर्ची की तरह , मुझे छेड़ती बोली ,

" तभी सबेरे सबेरे , कामिनी भौजी के मरद तभी सटासट गपागप पिछवाड़े , और इहो चूतड़ उठाय उठाय के , ... "

" अरे हमार भईय्या क कौन गलती है , ऐंकर गांडिये अइसन मस्त है , ... भैय्या क छोड़ा ,गाँव क कुल लौंडन बौरा गए हैं। " दूसरी लड़की बोली। 

मैं शर्म से लाल हो रही थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था की कैसे उनसे आँखे मिलाउ इसका मतलब सुबह की बात , ...सबको मालूम हो गयी थी। 

ऑंखें जमींन से गड़ी हुयी थीं , अचानक पता नहीं , पैर में कुछ कांटा सा गड़ा या पता नहीं कीचड़ लगा या , किसी ने हलके से धक्का दिया। 

मैं थोड़ा सा झुक गयी , और , फिर तो , स्कर्ट मेरी वैसे भी मुश्किल से दो बित्ते की भी नहीं रही होगी , पैंटी पहनना तो गाँव पहुँचते ही छूट गया था , बस चुनमुनिया और गोलकुंडा दोनों की झलक ,

लेकिन गुलबिया भी उसने पीछे से दबा के मुझे निहुरा दिया , अच्छी तरह , बस ज़रा सा इधर उधर उठने की कोशिश करती तो पक्का चपाक से कीचड़ में गिरती। 


और गुलबिया ने स्कर्ट उठा के सीधे मेरी कमर पे और सबको दावत दे दी ,

" अरे तानी नजदीक से देख ला न। " 

एक रोपनी कर रही लड़की जो मेरी उम्र की ही रही होगी और खूब बढ़ चढ़ के बोल रही थी , पास आई और खनकती आवाज में बोली ,

" एतना मस्त , पूरे गाँव जवार में आग लगावे वाली हौ , हमरे भैय्या क कौन दोष जो सबेरे भिनसारे चांप दिहलें इसको। "
जो औरत गुलबिया को टोक रही थी , और रतजगे में आई थी उसने थोड़ी देर तक मेरे पिछवाड़े हाथ फिराया , और अपने दोनों हाथों से पूरी ताकत से मेरे कटे गोल तरबूजों ऐसे चूतड़ों को फ़ैलाने की पूरी कोशिश की , लेकिन गोलकुंडा का दर्रा ज़रा भी न खुला। एक हाथ प्यार से मारती बोली,

" अभी अभी मरवाई है , एतना मोट मूसल होती है साल्ली , तबहियों , एतना कसा ,.. "

गुलबिया ने और आग लगाई , " तबै तो पूरे गाँव क लौंडन और मरदन क लिए चैलेन्ज है ये , ई केहू क मना नहीं करेगी ,"

एक लड़की बोली, " अरे ई तो हम अपने कान से सुने थे , अभी थोड़ी देर पहिले। "

दूसरी औरत बोली , " अरे एक गाँव क लौंडन सब नंबरी गांड मारने वाले हैं जब ई लौटेंगी न अपने मायके तो ई गांड का भोसड़ा हो जाएगा , पूरा पांच रुपैया वाली रंडी के भोसड़ा की तरह। पोखरा की तरह छपर छपर करीहें सब , एस चाकर होय जाई। "

पहले तो मुझे बड़ा ऐसा वैसा लग रहा था लेकिन अब उनकी बातें सुनने में मजा आ रहा था। सोचा की बोलूं इतनों को देख लिया ,उनका भी देख लुंगी। कामिनी भाभी की कृमउर मंतर पे मुझे पूरा भरोसा था , उन्होंने असीसा था की मैं चाहे दिन रात मरवाऊं , आगे पीछे , न गाभिन होउंगी , न कोई रोग दोष और अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ऐसे ही कसा रहेगा , जैसा तब जब मैं गाँव में छुई मुई बन के आई थी। 

लेकिन चुप ही रही , तबतक गुलबिया ने मुझे पकड़ के सीधा कर दिया और हम लोग फिर मेंड़ मेड चल पड़े। 

पीछे से कोई बोली भी की कहाँ ले जा रही हो इसे तो गुलबिया ने भद्दी सी गाली देके बात टाल दी। 

जहाँ धान के खेत खत्म होते थे उसके पहले ही गन्ने के खेत शुरू होगये थे और गुलबिया मुझे ले के उसमें धंस गयी।
 
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