hotaks444
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नहाना धुलाना
अब तक
" और इस का एक ख़ास फायदा , यार को पटाने का। बस कोई भी चीज , बैगन , गाजर जो तू अपने यार को खिलाना चाहे उसे अपनी चूत में घुसेड़ ले , कम से कम तीस चालीस मिनट , ... लेकिन जितना देर डालेगी न उतना असर ज्यादा होगा। बार बार अपनी चूत को सिकोड़ उस पे , सोच तेरे यार का लण्ड तेरी चूत में है। जितना चूत का रस निकलेगा , चूत का रस वो सोखे रहेगा न उसका असर और ज्यादा होगा। हाँ और एक बात , अगर लौंडे को उस चीज के नाम से भी नफ़रत होगी न , तो अगर तेरे चूत के रस से डूबा है तो तुरंत खाने को मुंह खोल देगा। "
मेरे सामने बार बार रविंद्र का चेहरा घूम रहा था , अब देखना बच्चू , कैसे बचता है मेरे चंगुल से। उसे आम एकदम पसंद नहीं है। बस ,दशहरी आम की खूब लम्बी लम्बी मोटी फांके अंदर डाल के , ... सब खिला डालूंगी।
और तबतक कामिनी भाभी ने एक मंत्र भी मेरे कान में फूंका ,
" ॐ नमो गुरु का आदेश ,पीर में नाथ ,प्रीत में माथ ,जिसे खिलाऊं मोहित करूँ ,... "
" बस जब तक बुर में भींचे रहूं ये मन्त्र थोड़ी थोड़ी देर में पढ़ती रहूं मन में , जिसे पटाना हो उसका नाम सोच के , और खिलाते समय भी ये मन्त्र बोलना होगा , हाँ साथ में कच्ची सुपाड़ी की एक बहुत छोटी सी डली , "
और उन्होंने ये भी बोला की उनके पास कामरूप की कच्ची सुपारी रखी है वो मुझे दे देंगी।
उसके साथ ही और बहुत सी ट्रिक्स , कल उन्होंने पिछवाड़े के बारे में बताया था आज अगवाड़े के बारे में ,
आधे घंटे में उन्होंने बैगन बाहर निकाला ,एकदम रस से भीगा और फिर उसका भुर्ता मुझसे बनवाया।
खाना बन गया था , मैंने बोला भाभी मैं नहा लेती हूँ , तो वो बोलीं एकदम लेकिन मैं भी चलती हूँ साथ में , तुझे अच्छी तरह से नहला दूंगी।
आगे
View attachment 1shower 10.jpg[/attachment]
भाभी की उंगलियां एकदम जादू ,
और कैसे कैसे नहलाया उन्होंने , सिर्फ मुल्तानी मिटटी , काली मिटटी ,...
न साबुन ,न शैम्पू ,... हाँ गुलाब की सूखी पंखुड़िया और भी कुछ मिटटी में ही उन्होंने मिला रखा था ,
पहले पूरी देह में , फिर बालों में , ... और जब पानी डाल के साफ़ किया उन्होंने , ...
मैं बता नहीं सकती कितनी हलकी लग रही थी मैं।
जैसे हवा में उड़ रही हूँ ,
ये तो नहीं बदमाशी नहीं की हो उन्होंने ,लेकिन सिर्फ ऊपर की मंजिल पे , और जितनी उन्होंने की उससे ज्यादा मैंने की।
भाभी के जोबन थे भी एकदम गजब के और ऊपर से उनके सैयां और भैय्या ने तो रात बाहर सिर्फ जोबन का मजा लूटा था , तो भाभी के उभार दबाने का रगड़ने का मसलने काम तो ननद के ही जिम्मे आयेगा न।
जैसे उन्होंने मुझे नहलाया , फिर उसी तरह मैंने भी उन्हें ,
हाँ कुछ खेल तमाशा भी हुआ , कामिनी भाभी हों उनकी छुटकी ननदिया हो और खेल तमाशे न हो ,
लेकिन वो ट्रेनिंग भी थी साथ साथ में,
उन्होंने मुझसे कहा उनकी बुर में ऊँगली करने के लिए , और वो जाँघे फैलाके बैठ गयी।
मैंने गचाक से अपनी मंझली ऊँगली पेल दी , सटाक से अंदर।
इतना चुदवाने के बाद भी भाभी की बुर काफी कसी थी।
थोड़ी देर तक गचागच मैं पेलती रही , सटासट वो लीलती रहीं।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और जड़ तक मंझली ऊँगली ठेल के मैं रुक गयी।
अब तक
" और इस का एक ख़ास फायदा , यार को पटाने का। बस कोई भी चीज , बैगन , गाजर जो तू अपने यार को खिलाना चाहे उसे अपनी चूत में घुसेड़ ले , कम से कम तीस चालीस मिनट , ... लेकिन जितना देर डालेगी न उतना असर ज्यादा होगा। बार बार अपनी चूत को सिकोड़ उस पे , सोच तेरे यार का लण्ड तेरी चूत में है। जितना चूत का रस निकलेगा , चूत का रस वो सोखे रहेगा न उसका असर और ज्यादा होगा। हाँ और एक बात , अगर लौंडे को उस चीज के नाम से भी नफ़रत होगी न , तो अगर तेरे चूत के रस से डूबा है तो तुरंत खाने को मुंह खोल देगा। "
मेरे सामने बार बार रविंद्र का चेहरा घूम रहा था , अब देखना बच्चू , कैसे बचता है मेरे चंगुल से। उसे आम एकदम पसंद नहीं है। बस ,दशहरी आम की खूब लम्बी लम्बी मोटी फांके अंदर डाल के , ... सब खिला डालूंगी।
और तबतक कामिनी भाभी ने एक मंत्र भी मेरे कान में फूंका ,
" ॐ नमो गुरु का आदेश ,पीर में नाथ ,प्रीत में माथ ,जिसे खिलाऊं मोहित करूँ ,... "
" बस जब तक बुर में भींचे रहूं ये मन्त्र थोड़ी थोड़ी देर में पढ़ती रहूं मन में , जिसे पटाना हो उसका नाम सोच के , और खिलाते समय भी ये मन्त्र बोलना होगा , हाँ साथ में कच्ची सुपाड़ी की एक बहुत छोटी सी डली , "
और उन्होंने ये भी बोला की उनके पास कामरूप की कच्ची सुपारी रखी है वो मुझे दे देंगी।
उसके साथ ही और बहुत सी ट्रिक्स , कल उन्होंने पिछवाड़े के बारे में बताया था आज अगवाड़े के बारे में ,
आधे घंटे में उन्होंने बैगन बाहर निकाला ,एकदम रस से भीगा और फिर उसका भुर्ता मुझसे बनवाया।
खाना बन गया था , मैंने बोला भाभी मैं नहा लेती हूँ , तो वो बोलीं एकदम लेकिन मैं भी चलती हूँ साथ में , तुझे अच्छी तरह से नहला दूंगी।
आगे
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भाभी की उंगलियां एकदम जादू ,
और कैसे कैसे नहलाया उन्होंने , सिर्फ मुल्तानी मिटटी , काली मिटटी ,...
न साबुन ,न शैम्पू ,... हाँ गुलाब की सूखी पंखुड़िया और भी कुछ मिटटी में ही उन्होंने मिला रखा था ,
पहले पूरी देह में , फिर बालों में , ... और जब पानी डाल के साफ़ किया उन्होंने , ...
मैं बता नहीं सकती कितनी हलकी लग रही थी मैं।
जैसे हवा में उड़ रही हूँ ,
ये तो नहीं बदमाशी नहीं की हो उन्होंने ,लेकिन सिर्फ ऊपर की मंजिल पे , और जितनी उन्होंने की उससे ज्यादा मैंने की।
भाभी के जोबन थे भी एकदम गजब के और ऊपर से उनके सैयां और भैय्या ने तो रात बाहर सिर्फ जोबन का मजा लूटा था , तो भाभी के उभार दबाने का रगड़ने का मसलने काम तो ननद के ही जिम्मे आयेगा न।
जैसे उन्होंने मुझे नहलाया , फिर उसी तरह मैंने भी उन्हें ,
हाँ कुछ खेल तमाशा भी हुआ , कामिनी भाभी हों उनकी छुटकी ननदिया हो और खेल तमाशे न हो ,
लेकिन वो ट्रेनिंग भी थी साथ साथ में,
उन्होंने मुझसे कहा उनकी बुर में ऊँगली करने के लिए , और वो जाँघे फैलाके बैठ गयी।
मैंने गचाक से अपनी मंझली ऊँगली पेल दी , सटाक से अंदर।
इतना चुदवाने के बाद भी भाभी की बुर काफी कसी थी।
थोड़ी देर तक गचागच मैं पेलती रही , सटासट वो लीलती रहीं।
कुछ देर बाद भाभी ने मुझे रुकने का इशारा किया और जड़ तक मंझली ऊँगली ठेल के मैं रुक गयी।