hotaks444
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माँ का दुलारा पार्ट--7
गतान्क से आगे...............
"कर क्या करना है, तू मानेगा थोड़े, पर देख हाँ, तूने प्रामिस किया है" मोम की पैंटी निकालकर मैं उसकी चूत की पूजा मे लग गया. मोम बिलकुल गरमाई हुई थी, पाँच मिनिट मे ढेर हो गयी. मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाते हुए बोली "मैं मर गयी अनिल बेटे, बहुत अच्छा लग रहा है, तेरी जीभ तो जादू कर देती है मुझपर" मैंने मोम की जांघों से सिर उठाकर पूछा
"माँ, सच बताओ, सुबहा से तुम्हे चुदासि लगी है ना?"
"हाँ बेटे, तूने तो जादू कर दिया है मुझ पर, तेरी इस जवानी से दूर नही रहा जाता मुझसे, पर क्या करूँ, तेरी तबीयत का भी देखना है" मोम अपनी जांघों मे मुझे क़ैद करते हुए बोली.
"माँ, तुम मज़ा लो, मैं बस तुम्हारी बुर का रस चुसूँगा. मैंने सुना है औरते चाहे जितनी बार झाड़. सकती हैं, तो मेरे कारण तुम क्यों प्यासी रहो, ठीक नही है ये" मैंने फिर मोम की चूत मे जीभ डालते हुए कहा. मोम भी अब मूड मे आ गयी थी. उसने अपनी साड़ी नीचे की और मुझे उसके अंदर छुपा लिया. फिर मेरा सिर पकड़कर अपनी बुर पर कस कर दबाया और जांघों मे मेरे सिर को कैंची जैसा पकड़कर टांगे हिला हिला कर मेरे मुँहा पर हस्तमैथुन करने लगी.
जब मैं आधे घंटे बाद उठा तो मन भर कर मोम की बुर का पानी पी चुका था. मोम एकदमा तृपता हो गयी थी, सोफे मे पीछे लुढ़क गयी थी. मुझे खींच कर पास बिठाते हुए मुझे आलिंगन मे लेकर बोली
"अनिल, तूने मुझे जो सुख दिया है, उसकी मैं कभी कल्पना भी नही कर सकती थी." मेरे तन्नाए लंड को पैंट के उपर से टटोल कर वह बोली "अरे, यहा बेचारा तडप रहा है. बेटे, अभी चोदेगा मुझे? तेरी यहा प्यास मुझसे देखी नही जाती"
"नही माँ, रात को आरामा से बुझावँगा" मैंने कहा. मोम बहुत खुश थी
"आज रात जैसे चाहेगा मैं वैसे तुझे खुश करूँगी मेरे लाल" मेरे दिमाग़ मे एक ही बात घुम रही थी. मोम की गोद मे सिर छपाकर मैंने कहा
"माँ, आज ..."
"बोल ना रुक क्यों गया?"
"माँ, आज ...." उसके नितंबों पर हाथ रखकर मैंने कहा "आज पीछे से करने दो ना प्लीज़"
"अरे कल तो किया था पीछे से मुझे घोड़ी बनाकर" मोम ने कहा.
"हाँ माँ, वैसे ही पर तुम्हारी चूत मे नहीं, यहाँ पर.." मैंने उसके नितंबों के बीच उंगली जमा कर कहा.
"बदमाश, सीधे कहा ना मेरी गांद मारना चाहता है. क्या लड़का है! अभी बित्ते भर का है, अभी अभी जवान हुआ है, दो दिन हुए अपनी मोम को चोद कर और अब चला है उसकी गांद मारने. मैं नही मारने दूँगी जा, मुझे दुखेगा" मोम आज कितने कामुक मूड मे थी यहा उसके इन शब्दों के प्रयोग से सॉफ था. उसने मना ज़रूर किया था पर उसके लहजे मे डाँट नहीं, एक खिलाड़ीपन की भावना थी. याने शायद मान जाए, मैंने यह समझ लिया.
मोम को मनाने मे घंटा लग गया. वह खाना बना रही थी तब भी मैं उससे लिपट कर बार बार उससे इसी बात की मिन्नत कर रहा था. वह बस मंद मंद मुस्करा रही थी. उसे मेरे मनाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. आख़िर तक उसने हाँ नही बोला पर जिस तरह से वह मेरी ओर देख रही थी, मैं समझ गया की मैंने बाजी मार ली है.
रात को बेडरूम मे मोम के आने के पहले मैं कपड़े निकाल कर तैयार हो गया. पलंग पर नंगा पड़ा मोम का इंतजार करता रहा. वेसलिन की शीशी मैंने पहले ही पलंग के पास के टेबल पर रख दी थी.
जब घर के सब लाइट बुझा कर मोम आई तो एकदम नंगी थी. बाथरुम मे ही कपड़े उतार कर आई थी. पूरा नग्न चलते हुए मैंने उसे पहली बार देखा था. उसके गुदाज स्तन चलते समाया डोल रहे थे. वह दरवाजा लगाने को मूडी तो मैं उसके नितंबों को देखता रह गया. उनके भी ठीक से पूरे दर्शन मुझे आज ही हुए थे. एकदमा मोटे भारी भरकम थोड़े लटके नितंब थे उसके, गोरे गोरे, मैदे के दो विशाल गोलों के समान. आज मुझे उनमे जन्नत मिलने वाली थी.
मैं पूरा गरमा हो चुका था, मोम पर कब चॅढू ऐसा मुझे हो गया था. मोम आक़र मेरे पास बैठी. उसने नई स्लीपर पहनी हुई थीं. मेरा खड़ा लंड देखकर बोली
"एकदमा तैयार लगता है मेरा बेटा मेरी सेवा करने के लिए. चल, तू लेटा रहा, मैं तुझे चोदति हू" मैं घबराकर बोला
"माँ, ऐसा जुल्म ना करो, तुमने वायदा किया है कि आज मुझसे गांद मरवाओगि."
"मैंने कब ऐसा कहा" मोम मुझे चिढ़ाते हुए बोली. उसने झुक कर अपने पैरों मे की चप्पले निकाल लीं. फिर मेरे लंड को उनके दो नरम नरम पाटों मे रखकर बेलने लगी. मैं पागल सा हो गया. लगता था कि अभी झाड़. जवँगा. मेरी मोम खुद मुझे अपनी चप्पालों से रिझा रही थी.
"ममी, मई झाड़. जाउम्गा! प्लीज़ मत करो, आज एक ही बार झड़ना है मुझे, मुझे अपनी गांद मारने दो ना" मैं गिड-गिदाने लगा. मोम दुष्टता से बोली
गतान्क से आगे...............
"कर क्या करना है, तू मानेगा थोड़े, पर देख हाँ, तूने प्रामिस किया है" मोम की पैंटी निकालकर मैं उसकी चूत की पूजा मे लग गया. मोम बिलकुल गरमाई हुई थी, पाँच मिनिट मे ढेर हो गयी. मेरा सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाते हुए बोली "मैं मर गयी अनिल बेटे, बहुत अच्छा लग रहा है, तेरी जीभ तो जादू कर देती है मुझपर" मैंने मोम की जांघों से सिर उठाकर पूछा
"माँ, सच बताओ, सुबहा से तुम्हे चुदासि लगी है ना?"
"हाँ बेटे, तूने तो जादू कर दिया है मुझ पर, तेरी इस जवानी से दूर नही रहा जाता मुझसे, पर क्या करूँ, तेरी तबीयत का भी देखना है" मोम अपनी जांघों मे मुझे क़ैद करते हुए बोली.
"माँ, तुम मज़ा लो, मैं बस तुम्हारी बुर का रस चुसूँगा. मैंने सुना है औरते चाहे जितनी बार झाड़. सकती हैं, तो मेरे कारण तुम क्यों प्यासी रहो, ठीक नही है ये" मैंने फिर मोम की चूत मे जीभ डालते हुए कहा. मोम भी अब मूड मे आ गयी थी. उसने अपनी साड़ी नीचे की और मुझे उसके अंदर छुपा लिया. फिर मेरा सिर पकड़कर अपनी बुर पर कस कर दबाया और जांघों मे मेरे सिर को कैंची जैसा पकड़कर टांगे हिला हिला कर मेरे मुँहा पर हस्तमैथुन करने लगी.
जब मैं आधे घंटे बाद उठा तो मन भर कर मोम की बुर का पानी पी चुका था. मोम एकदमा तृपता हो गयी थी, सोफे मे पीछे लुढ़क गयी थी. मुझे खींच कर पास बिठाते हुए मुझे आलिंगन मे लेकर बोली
"अनिल, तूने मुझे जो सुख दिया है, उसकी मैं कभी कल्पना भी नही कर सकती थी." मेरे तन्नाए लंड को पैंट के उपर से टटोल कर वह बोली "अरे, यहा बेचारा तडप रहा है. बेटे, अभी चोदेगा मुझे? तेरी यहा प्यास मुझसे देखी नही जाती"
"नही माँ, रात को आरामा से बुझावँगा" मैंने कहा. मोम बहुत खुश थी
"आज रात जैसे चाहेगा मैं वैसे तुझे खुश करूँगी मेरे लाल" मेरे दिमाग़ मे एक ही बात घुम रही थी. मोम की गोद मे सिर छपाकर मैंने कहा
"माँ, आज ..."
"बोल ना रुक क्यों गया?"
"माँ, आज ...." उसके नितंबों पर हाथ रखकर मैंने कहा "आज पीछे से करने दो ना प्लीज़"
"अरे कल तो किया था पीछे से मुझे घोड़ी बनाकर" मोम ने कहा.
"हाँ माँ, वैसे ही पर तुम्हारी चूत मे नहीं, यहाँ पर.." मैंने उसके नितंबों के बीच उंगली जमा कर कहा.
"बदमाश, सीधे कहा ना मेरी गांद मारना चाहता है. क्या लड़का है! अभी बित्ते भर का है, अभी अभी जवान हुआ है, दो दिन हुए अपनी मोम को चोद कर और अब चला है उसकी गांद मारने. मैं नही मारने दूँगी जा, मुझे दुखेगा" मोम आज कितने कामुक मूड मे थी यहा उसके इन शब्दों के प्रयोग से सॉफ था. उसने मना ज़रूर किया था पर उसके लहजे मे डाँट नहीं, एक खिलाड़ीपन की भावना थी. याने शायद मान जाए, मैंने यह समझ लिया.
मोम को मनाने मे घंटा लग गया. वह खाना बना रही थी तब भी मैं उससे लिपट कर बार बार उससे इसी बात की मिन्नत कर रहा था. वह बस मंद मंद मुस्करा रही थी. उसे मेरे मनाने मे बहुत मज़ा आ रहा था. आख़िर तक उसने हाँ नही बोला पर जिस तरह से वह मेरी ओर देख रही थी, मैं समझ गया की मैंने बाजी मार ली है.
रात को बेडरूम मे मोम के आने के पहले मैं कपड़े निकाल कर तैयार हो गया. पलंग पर नंगा पड़ा मोम का इंतजार करता रहा. वेसलिन की शीशी मैंने पहले ही पलंग के पास के टेबल पर रख दी थी.
जब घर के सब लाइट बुझा कर मोम आई तो एकदम नंगी थी. बाथरुम मे ही कपड़े उतार कर आई थी. पूरा नग्न चलते हुए मैंने उसे पहली बार देखा था. उसके गुदाज स्तन चलते समाया डोल रहे थे. वह दरवाजा लगाने को मूडी तो मैं उसके नितंबों को देखता रह गया. उनके भी ठीक से पूरे दर्शन मुझे आज ही हुए थे. एकदमा मोटे भारी भरकम थोड़े लटके नितंब थे उसके, गोरे गोरे, मैदे के दो विशाल गोलों के समान. आज मुझे उनमे जन्नत मिलने वाली थी.
मैं पूरा गरमा हो चुका था, मोम पर कब चॅढू ऐसा मुझे हो गया था. मोम आक़र मेरे पास बैठी. उसने नई स्लीपर पहनी हुई थीं. मेरा खड़ा लंड देखकर बोली
"एकदमा तैयार लगता है मेरा बेटा मेरी सेवा करने के लिए. चल, तू लेटा रहा, मैं तुझे चोदति हू" मैं घबराकर बोला
"माँ, ऐसा जुल्म ना करो, तुमने वायदा किया है कि आज मुझसे गांद मरवाओगि."
"मैंने कब ऐसा कहा" मोम मुझे चिढ़ाते हुए बोली. उसने झुक कर अपने पैरों मे की चप्पले निकाल लीं. फिर मेरे लंड को उनके दो नरम नरम पाटों मे रखकर बेलने लगी. मैं पागल सा हो गया. लगता था कि अभी झाड़. जवँगा. मेरी मोम खुद मुझे अपनी चप्पालों से रिझा रही थी.
"ममी, मई झाड़. जाउम्गा! प्लीज़ मत करो, आज एक ही बार झड़ना है मुझे, मुझे अपनी गांद मारने दो ना" मैं गिड-गिदाने लगा. मोम दुष्टता से बोली