Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - Page 23 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत

रात साडे बारह बाज चुके थे....और जब मैं कमरे में दाखिल हुआ तो माँ को शादी के जोड़ो में पाया....उसने हल्का सा घूँघट कर रखा था....वो गहनो में जैसे लदी हुई थी....उसके हसीन चेहरे को देख एका एक मैं उसके पास आया उसने नज़रें झुकाए रखा था फिर उसने मुझे देखा और
हल्का सा मुस्कुराया..उसने अपने पाओ को पीछे कर लिया जैसे मुझे छूने ना देना चाह रही हो

आदम : अंजुम आज तो तुम कमाम्ल की लग रही हो तुम्हें इस दुल्हन के जोड़े में देख तो ऐसा लग रहा है जैसे कोई 25 वर्षीए लड़की की नयी नयी शादी हुई है

अंजुम : अच्छा जी अब मैं तुझे 25 वर्ष की लगने लगी हूँ और अब तू मुझे मेरे नाम से पुकार रहा है

आदम : और नही तो किस नाम से तुझे पुकारू?

अंजुम : हट बेशरम शादी का मतलब ये नही कि तू मेरी उमर का हो गया है

आदम : हा हा हा हा

मैं हंस पड़ा तो माँ भी खिलखिलाए हंस पड़ी...फिर उसने कहा कि सोफीया और समीर सो गये....तो मैने कहा हां अपने कमरे में चले गये है.....अंजुम ने कहा देख आदम अब तो तेरी सारी ख्वाहिश मैने क़बूल कर ली अब तुझे ये अहसास होना चाहिए कि तू अब अकेला नही रहा अब तुझपे मेरा और ज़्यादा हक़ हो गया है...

आदम : बीवी की हैसियत से

अंजुम शर्मा गई फिर मैने धीरे धीरे उसकी घूँघट को खोले पूरा सरका दिया....फिर उसके जेवरातो को उसके गले और हाथो से उतारने लगा....माँ के हाथो पे काफ़ी सुंदर मेहेन्दि का रंग चढ़ा हुआ था....धीरे धीरे मैने माँ की साड़ी धीरे धीरे उसके बदन से अलग कर दी जिससे माँ अब सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में आ गयी..

माँ ने कस कर मुझे अपने बाहों में भीच लिया और मुझे बेतहाशा चूमने लगी....उसके होंठो पे लगी लिपस्टिक गले गाल नाक माथे जहाँ जहाँ उसने चूमा वहाँ वहाँ लग गया था....मैने कस कर उसके चेहरे को दोनो हाथो से थामा और उसके तपते होंठो पे अपने होंठ रख दिए.....हम दोनो एकदुसरे को दीवानो की तरह स्मूच करने लगे....एकदुसरे के मुँह में ज़ुबान धकेलने लगे....एकदुसरे के होंठो को चाटने और चूसने लगे....
 
अंजुम : म्‍म्म्मम आराम से बाबू

आदम : म्‍म्म्मम वाहह माँ तेरे रसीले होंठो का तो मैं जीवन भर रस्पान करना चाहता हूँ (माँ के होंठो से होंठ अलग करते हुए)

अंजुम ने अपने होंठो को पोंच्छा फिर हम दोनो दुबारा से एकदुसरे के होंठो से होंठ सटाये दुबारा किस करने लगे....माँ का इस बीच मेरे
पाजामे के उभार पे हाथ आया और उसने उपर से ही मेरे लिंग को पकड़ लिया....मैने अंजुम के ब्लाउस के उपरी सिरे से ही उसकी दोनो
नरम छातियो को दबाना शुरू कर दिया....माँ ने मेरे होंठो से अपने होंठ हटाए....फिर हान्फ्ते हुए आहें भरने लगी...

आदम : माँ तुझे ये रात कैसी लग रही है?

अंजुम : बहुत ही ख़ास और प्यार भरी (माँ ने एकदम से आँखे मूंद ली क्यूंकी ब्लाउस के बटन लगभग टूट चुके थे और उसके अंदर उसने
कुछ पहन नही रखा था जिस वजह से उसकी छातिया बाहर निकल आई मैने उसके दोनो चुचियो को अब मुट्ठी में लेते हुए दबाया)

आदम : उफ़फ्फ़ तेरी ये नरम चुचियाँ काश इनमें से दूध निकल पाता

अंजुम शरमाई उसने प्यार से बेटे के बालों पे हाथ फेरा और उसे अपने छातियो से सटा लिया....आदम बारी बारी से दोनो चुचियो को मुँह में लिए चूसने लगा....दोनो के मोटे ब्राउन निपल्स को घपप से मुँह में लेके उसे खीचते हुए मुँह में भर लेता....जिससे माँ मदहोश हो जाती...

अंजुम : अहः उःम्म्म्मम (उसने बेटे को जैसे अपने छातियो पे जैसे दबा लिया)

आदम का साँस घुटने लगा और वो माँ की छातियो के बीच जैसे चेहरा लगाए दब गया जब माँ की पकड़ ढीली हुई तब उसने अपना चेहरा उन खरबूजो से हटाया और साँस लेने लगा....माँ खिलखिलाके उसके गुलाबी चेहरे को देखके हंस पड़ी...आदम मुस्कुराया फिर चुचि को मुँह
में लेके चुस्सना शुरू कर दिया....माँ एकदम गरम हो चुकी थी उसकी साँसें गहरी चल रही थी...
 
आदम ने चुचियो को दबाते ही दबाते हाथ को नीचे ले जाना शुरू किया फिर गोल गहरी नाभि को सहलात हुए वो उसकी चूत के मुआने पे आया....आज वहाँ पे झान्टे नही थी जब उसने माँ के पेटिकोट की डोरी खोल कर उसे आइडियो तक नीचे खिसकाई तो माँ की चिकनी चूत उसके सामने प्रस्तुत थी....

आदम ने माँ को लेटा दिया फिर नाभि पे अपनी जीब चलाते हुए वहाँ कुछ देर तक चूमा....अंजुम ने खुद पे खुद उसके सर को नीचे धकेलना शुरू किया....जिससे धीरे धीरे आदम चूत के सिरे पे आया और फिर उसने अपनी गीली ज़ुबान से चूत की फांको में जीब डालना शुरू कर
दिया...गीली लपलापाई ज़ुबान से अंजुम को भरपूर मज़ा मिल रहा था उसकी चूत का हिस्सा जैसे कुलबुला सा गया....एक उंगली आदम ने
फुरती से उसकी गान्ड को खोलने के लिए छेद में घुसा दिया था...

वो जीब से माँ के दाने के साथ साथ चूत पे भी मुँह रख उसे चूसे जा रहा था...माँ की पवरोटी जैसी चूत पनिया गयी...अंजुम ने अपने टाँगों को
मोड़ते हुए बेटे की गर्दन पे लपेट ली...आदम मुँह चूत में घुसाए उसे सूँघता हुआ पागलो की तरह उसे चाटें जा रहा था..

अंजुम : ओह्ह्ह आहह उम्म्म्मम ससस्स (खुद ही अपने छातियो को दबाए जा रही थी)

आदम ने जब चूत के उपर से मुँह हटाया तो उसने उसे मुट्ठी में लेके भीच दिया....अंजुम सिसक उठी उसने मुँह पे हाथ रख लिया आदम ने एक उंगली गान्ड के भीतर से बाहर निकाली और सिकुड़ी उस छेद पे भी अपनी ज़ुबान चलाई...माँ के गुप्तांगो में जैसे टीस उठ रही थी चुदाई
के लिए...वो बेटे के उठने का इन्तिजार करने लगी....

आदम ने जब चूत को चुसते चुसते एकदम से छोड़ा...तो अंजुम जैसे हाँफने लगी....आदम ने मुस्कुरा कर अपना मोटा लंड चूत की दरारो पे फिराया...फिर उसने तीन उंगली अंदर करते हुए बड़े अहेतियात से चार और फिर पाँचवा यानी अंगूठा अंदर तक सरका दिया...धीरे धीरे वो पूरे हाथ को अंजुम की चूत में दाखिल करने लगा...अंजुम का शरीर मारे उत्तेजना के काँपा और उसने बेटे के हाथ को कस कर पकड़ा...उसका मुँह एकदम सख़्त हो गया उसने अपने दाँतों को भीच लिया...बेटे से जैसे गुहार की बस अब उसे और ये दर्द सहा ना जाएगा...

आदम लापरवाह ही रहा....उसने धीरे धीरे अपने पूरे हाथ को चूत की गहराइयो में जैसे ही डाला तो माँ का पूरा शरीर वाइब्रट हुआ और उसने पेशाब की एक मोटी धार छोड़ दी "आआआआहह उउऊईईईई".....आदम ने चूत से हाथ बाहर निकाला जो तरबतर था गीलेपन से....आदम ने
चूत पे मुँह रखके गीली चूत को चाटा फिर अपना मोटा लंड माँ की दरारो में घुसाने लगा...

अंजुम ने कस कर बेटे के दोनो बाज़ुओं को उठते हुए पकड़ा पर बेटे ने उसे फिर बिस्तर पे धकेलते हुए लेटा दिया....उसने अपने मोटे लंबे लंड को चूत की गहराईयो में जैसे एक ही बार में दाखिल कर दिया....चूत गीली थी और चिकनी भी....अंजुम फिर झरने लगी...चूत से रस बहने लगा....उसने कस कर बेटे के लंड को अपने भीतर जैसे जाकड़ लिया...

आदम ने उसके शांत होते ही उसके होंठो से होंठ सटाये और उससे लिपटते हुए अपने कुल्हो को आगे पीछे किए हिलाने लगा..जिससे लंड
गहराईयो तक दाखिल होके वापिस बाहर की ओर निकल आता...चूत से फ़च फ़च्छ की आवाज़्ज़ आ रही थी...
 
अंजुम : ओह्ह स ओह्ह्ह आहह उम्म्म्म ऑश

आदम : आहह उम्म्म सस्स (आदम सिसकता हुआ माँ की छातियो से अपना सीना दबाए उस पर एकदम सवार था)

दोनो माँ-बेटे एकदुसरे की आँखो में जैसे झाँक रहे थे....आदम ने फुरती से लंड आगे पीछे डालना बाहर करना शुरू कर दिया...चूत का मुआना जैसे पूरी तरह से खुल चुका था अंजुम ने खुद ही अपनी आपस में टकराती हिलती छातियो को पकड़ लिया...वो चुदते हुए जैसे लज़्जत पा रही थी...

बेटे को चरम सुख का आनंद प्राप्त हो रहा था उसने माँ के होंठो से अपने होंठ लगा लिए और दोनो आलिंगन में जकड़े एकदुसरे को किस करने लगे...जब आदम बुरी तरह थक गया तो वो माँ के उपर से उतर गया...और सीधा लेट गया...माँ ने उसकी कमर पे चढ़ते हुए उसके
लंड\ को घपप से अपनी चूत की गहराईयो में डालना शुरू किया...उसने हल्का सा अपने कुल्हो को उठाया और हल्के हल्के से लिंग पे बैठना शुरू किया....

कुछ ही देर में वो बेटे के पूरे 8 इंच के लंड को अपने भीतर महसूस कर रही थी...उसे काफ़ी चुभन हो रही थी...पर अब तो उसे इसकी आदत पड़ भी चुकी थी.....उसने बेटे पे कूदते हुए उसके सीने को जैसे दबाना शुरू किया...उसने झुकके एक बार बेटे के निपल्स पे भी ज़ुबान लगाई\ और उसे मुस्कुरा कर देखते हुए चाटा....आदम हंस पड़ा

उसने माँ को फिर सीधा बिठाया और उसकी चुचियो को दबाते हुए बीच बीच में उसे अपने ऊपर झुकाए निपल्स को चूस लेता....फिर उसे
उठाता और नीचे से धक्के लगाता...माँ बेटे की जैसे चुदाई कर रही थी..वो काफ़ी ज़ोर ज़ोर से उछल रही थी...उसके कूल्हे अंडकोषो पे
घिस्सते हुए फिर हवा में थोड़ा उपर उठते जिस बीच लिंग का हिस्सा उसकी चूत की दरारो में बुरी तरह फँसा दिखता और फिर उसके बैठने से जैसे वो कही गुम हो जाता...

अंजुम : ओह्ह सस्स आहह आहह ससस्स सस्स्स्स्सस्स उम्म्म ?(आँखे मूंदते हुए सिसकते हुए होंठो पे होंठ चढ़ाए)

आदम : ओह्ह माँ सस्स आहह तेरी चूत बहुत ज़्यादा गरम है ससस्स (माँ की चुचियो को दबाते हुए)

अंजुम ने फिर कस्स कस कर उपर नीचे कूदना शुरू किया...तो बेटे ने कस कर उसके नितंबो को भीच लिया और उसके जड़ तक जैसे लंड को घुसाए उसे जकड़े ही रहा...जब आदम को लगा की उसका निकल जाएगा तो उसने माँ को खुद अपने उपर से हटाया...

पुकच्छ से लंड उसकी चूत से अलग होते हुए बाहर निकाला...आदम ने उस पर थोड़ा थूक लगाया और उसे अच्छा ख़ासा चिकना किया....उसने माँ की तरफ इज़ाज़त भरी नज़रों से देखा और इशारा किया.....माँ मुस्कुराई उसके गाल को चूमते हुए घुटने मोडके अपना चेहरा लंड के पास लाई और फिर उसे अपने हाथो में भीचते हुए उसकी चमड़ी को सुपाडे के हिस्से से दूर किए उसे पूरा का पूरा अपने मुँह में लिया....
!
 
ये दृश्य बाहर दोनो माँ-बेटे समीर और सोफीया खड़े कब्से देख रहे थे.....अंदर उसका दोस्त आदम अपनी माँ के साथ सुहागरात मना रहा था...उन्हें मालूम नही था कि बाहर समीर और सोफीया खिड़की से उन्हें झाँकके देख रहे है....समीर का हाथ अपनी माँ की पेटिकोट के अंदर
था और वो उसके गुप्तांगो को सहलाए उसके होंठो को चूमते हुए बार बार....दोनो कसमसाए अंजुम को बेटे का लंड चुस्सता देख रहे थे...

समीर तो जैसे घूर्र घूर्र के अंजुम के झुके हुए नंगे बदन को जैसे घूर्र रहा था और आदम का लंड जो उसके मुँह में था उसे....सोफीया की भी नज़र आदम के लंड पे थी..जो कि उसके बेटे के लंड से काफ़ी हद तक बड़ा और उसे टक्कर देता था...उसने बेटे के कान में धीरे से कहा कि यहाँ से अब चलते है वरना पकड़े जाएँगे ....

."हां माँ वैसे भी मेरा बहुत टाइट हो गया है अब सहा ना जाएगा"........ये बात सुनके सोफीया शरमा गयी उसने बेटे के गाल खीचे फिर उसका हाथ पकड़े दोनो खिदको को अच्छे से लगाए दूसरे कमरे में चले गये...शायद सोफीया को भी अपनी खुजली मिटानी थी इसलिए वो बेटे के लंड को बिना लिए रह नही पा रही थी

अंजुम : म्‍म्म्मम स्लूर्रप्प म्‍म्म्ममम एम्म्म (लंड को मुँह से बाहर निकाले फिर उसे घपप से मुँह में लेके चुसते हुए)

आदम : ओह्ह माँ और लो और लो ना (धीरे धीरे अंजुम ने लंड को जैसे गले तक ले लिया उसकी आँखे बड़ी बड़ी हो गयी)

आदम ने कस कर उसके सर को पकड़ लिया अंजुम बिना साँस के तड़पने लगी....उसने आँखे आँखे बड़ी किए छूटने का प्रयास किया....क्यूंकी अंडकोषो तक उसके होंठ दबे हुए थे."अओउू अओउू अओउूउ".....अंजुम माँ के मुख मैथुन से खुद ब खुद उसके मुँह को
उपर नीचे करने लगा पकड़े.माँ उसे हलक तक चुस्से फिर उसे अपने मुँह से उगल दी....फिर उस पर गले से खाँसते हुए थुक्क्कर उसे हाथो में लिए गीले चिपचिपे लंड को हिलाने लगी...

आदम से अब हो ना पा रहा था...उसने माँ को झुकाए ही रखा और उसके छेद को छेड़ते हुए अपना लंड उसकी गान्ड की दरारो में रखा और धीरे धीरे सुपाडे को अंदर सरकाया..माँ हान्फ्ते हुए आँखे मूंद चुकी थी...आदम ने कस कर एक करारा धक्का पेला तो आधे से ज़्यादा लंड
उसकी गान्ड की दरारो में जैसे दाखिल हो गया....उसने माँ के बालों को सेमेटा और उसके सर को उपर उठाते हुए उसके दोनो बाज़ुओं को जैसे अपने हाथो में पकड़ते हुए खीचा

नीचे से वो माँ के नितंबो के भीतर तक अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था...."ऑश आहह आहह हाहह आहहा अहह"........"आआहह श उम्म माँह ससस्स वाहह क्या टाइट है माँ तेरी? अफ अंजुमम आज तुम्हें साबित करना है कि तू पूरी तरह से सम्पूर्न मेरी है"........
 
."ओह्ह हाए कमीने और कितना हाँसिल करेगा मुझे मैं तो स्वयं तेरी ही हूँ सस्स हाए अल्लह बहुत गढ़ रहा है आहह धीरी सस्स".........माँ-बेटे दोनो आहें भरते हुए जैसे चरम सीमा पे थे...

आदम लगातार धक्के मारे जा रहा था और माँ गान्ड से बेटे के लंड को अंदर बाहर होते महसूस कर रही थी....उसकी घिसाई इतनी तेज़ थी कि जैसे उसकी गान्ड पूरी तरीके से छिली जा रही थी...उसने कस कर चादर को दोनो हाथो से पकड़ा और जैसे चीख उठी..."आआआआअहह"............साथ ही साथ आदम से भी और दर्द ना बर्दाश्त हुआ और उसने झट से लंड को बाहर खीचा

और माँ को सीधा लेटाए उसके चेहरे पे अपने वीर्य की पिचकारिया छोड़ने लगा...."आहह ऑश हमम्म आहह सस्स मामा"..........आदम काँपते हुए अपने लंड को आगे पीछे मसल रहा था और उसका लंड वीर्य की धार बार बार छोड़े जा रहा था...माँ को अपने चेहरे छाती पे बेटे के गरम वीर्य के लगने का अहसास हुआ...जब बेटा पूरी तरह से संतुष्ट हो गया तो वो हान्फते हुए एक ओर जैसे ढेर हुए गिर पड़ा..माँ ने तुरंत उठके
वॉशबेसिन पे जाके कुल्ला किया और आयने की तरफ देखते हुए चेहरे से बेटे का लगा चिपचिपा वीर्य जैसे हाथो से सॉफ करते हुए धोया....

जब वो वापिस आई तो बेटे का लंड अब भी आकड़ा हुआ था....उसने चादर अपने और बेटे के उपर रखी और उससे कस कर लिपट गयी...

____________________________

रात कोई 1 बजे आदम पेशाब किए गुसलखाने से बाहर आया....एक बार उसने समीर के कमरे में झाँका तो पाया सोफीया आंटी खर्राटे भर रही थी उसके बदन पे सिर्फ़ एक पतली सी चादर ही धकि हुई थी जिस वजह से उसकी करवट लेने से उसके चुचियाँ ठीक आदम के सामने
आ प्रस्तुत हुई उन्हें देखते हुए आदम ने जैसे नज़र फेर लिया....

जब खामोशी की उस रात आदम अपने कमरे में आकर खिड़की से बाहर देख रहा था..तो इतने में उसे किसी की आहट हुई उसने पीछे
मूड कर देखा समीर मुस्कुराए खड़ा था उसने भी महेज़ एक ढीला पाजामा पहना हुआ था उसका लिंग भी उभरा हुआ दिख रहा था

समीर : और मना ली सुहागरात (आदम मुस्कुराया समीर ने उसके कंधे पे हाथ रखा)

आदम : हां यार वो तो रोज़ ही मनाता हूँ

समीर : पर आज ख़ास रात हुई क्यूंकी आज माँ नही बल्कि आज से तेरी बीवी भी बन गयी है

आदम : हाँ समीर अच्छा स्विट्ज़र्लॅंड की ट्रिप कैसी रही मैने तो पूछा ही नही अब शादी की वजह से इतनी गफलत में थे हम

समीर : हाहहा पूछ मत हमने बहुत एंजाय किया तस्वीरें देख ये ले ?(आदम तस्वीर स्मार्ट्फोन पे देखता हुआ वाक़ई समीर की तारीफ करने लगा)
 
समीर : अच्छा आदम एक बात बता अभी तो तेरे पिता जी को मालूम नही अब तुम लोग कैसे रहोगे

आदम : देख समीर ये शादी गुप्त शादी है और इसका ढिंढोरा पीटना आसान नही क्यूंकी मेरे उपर के मामले पे हमारे पड़ोसी राजीव दा और
\ उनकी वाइफ ज्योति भाभी रहते है उन्हें तक मालूम नही हमे तो ये बात सारी ज़िंदगी के लिए छुपाए रखना ही होगा

समीर : कोई बात नही आदम बस ये याद रखना कि किसी को पता ना चले?

आदम : ह्म्‍म्म्म

समीर : चल भाई अब आराम से रहियो अब तो तेरी ज़िम्मेदारी दुगनी हो गयी....

आदम : ह्म मेरी छोड़ तू बता तू कहाँ जा रहा है इतनी जल्दी...

समीर : भाई मुंबई में बिज़्नेस का बहुत काम पेंडिंग पड़ा है नही गया तो सिगमेंट कॅन्सल हो जाएगा और लाखो का नुकसान भी वैसे भी स्विट्ज़र्लॅंड के वक़्त बहुत बिज़्नेस पे प्रभाव पड़ा

आदम : हाहाहा ज़िम्मेदारी पे भी ध्यान दिया कर माँ कहाँ भागी जा रही है सारी ज़िंदगी पड़ी है उससे प्यार करने को

समीर सिर्फ़ मुस्कुराया दोनो दोस्त कुछ देर तक इधर उधर की बातें करते रहे...फिर उसके बाद दोनो अपने अपने कमरे में चले गये सोने के लिए....

2 दिन तक समीर और सोफीया आदम के घर पर रहे.....इस बीच आदम और अंजुम ने जमके उनके साथ गपशप लगाए घमे फिरे २ दिन बाद समीर अपनी माँ को लेके चला गया....

समीर और उसकी माँ के जाने के बाद....दिन पानी की तरह गुज़रने लगे....और इस बीच माँ और बेटे का यह संबंध अब एक नये हाल से था...जिसमें माँ बेटे की संपूर्ण पत्नी बनके उसके साथ वक़्त काट रही थी...आदम भी उसका पति बनके जैसे खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा था....

अंजुम निखर गयी थी बेटे के हन्ब से...उसका फिगर भी काफ़ी सुडोल हो गया अक्सर बेटा उसके नितंबो को पाजामे के बाहर से ही नोटीस करता था....आजकल माँ घर में काफ़ी साज़ सिंगार से रहती थी....और आजकल बालों में गजरा भी मनपसंदीदा मोगरे या संतरी रंग का लगाया करती थी...जिसमें वो काफ़ी हॉट लगती थी...

घर में चूकि अब दो ही मिया बीवी ही रहते थे इसलिए दोनो को किसी से भी परदा शरम या हया करने की कोई ज़रूरत या कोई दिक्कतें नही होती थी...वो जब चाहते एकदुसरे के करीब आ जाते ....10 दिन बाद गाओं से लाजो वापिस घर को लौटी तो उसने घर को एक नया हाल में ही पाया..

आदम दफ़्तर में होगा ज़ाहिर है दोपहर का वक़्त था 12 बज रहा था...उसने दरवाजे को खोला और अंदर आई.....जैसे ही उसकी नज़र
रसोईघर में चूल्हा चढ़ाए खाना बनाती अंजुम पे पड़ी तो जैसे उसे ऐसा लगा जैसे कोई नयी नवेली दुल्हन घर में आ गयी हो....

लाजो : अरे वाह काकी आप तो कितनी सुंदर हो गई देखने में ये हाथो में लाल लाल चूड़ियाँ उफ्फ कितनी सुंदर साड़ी है आपकी और ये बालों में गजरा उफ्फ क्या बात है काकी ? क्या है ये सब (जैसे जीब पे दाँत रखते हुए लाजो को ख्याल आया आदम ने मना किया था कि उसकी माँ को मालूम नही की वो उन दोनो का राज़ जानती है)

अंजुम ने उसे गौर से देखा और कहा क्या तेरा मतलब?.....

लाजो मुस्कुराइ फिर उसने पहलू बदलते हुए कहा हाहाहा मुझे लगा काकु के लिए आपने ये सब!
!
 
अंजुम ने जैसे मुस्कुराइ..."हाहाहा तेरे काकु में कुछ नही है उनके लिए मैने कभी कुछ नही किया एक तो उमर में मुझसे 20 साल बड़े थे और उन्हें मेरा साज़ सिंगार करना पसंद नही था"........

."ऐसा क्यूँ?"........

.अंजुम थोड़े देर के लिए साग की सब्ज़ी एक ओर किए सोचते हुए बोली....."क्यूंकी उनके साथ मैं सोती नही थी वो मुझे संतुष्ट नही कर पाते थे और अब तो उमर निकल गयी अब क्या फायेदा?".......अंजुम ने सब्ज़ी की टोकरी से साग के पत्तो को तोड़ते हुए कहा

लाजो : जो भी रहे आप दिख बड़ी सुंदर रही है मुझे लगा शायद कोई रिश्तेदार आया हुआ है पीछे से मालूम ही नही चल रहा था

अंजुम : हा हा हा हा ऐसा नही है मैं जैसी थी वैसी हूँ

लाजो से क्या छुपता? वो तो मंद मंद मुस्कुरा रही थी की जैसा उसके बेटे ने वादा किया ठीक वैसा ही उसने किया भी...उसने अंजुम से सीधे निक़ाह कर लिया....शायद ये बाद सकपकाई अंजुम भेद ना खुलने से छुपा रही हो..पर वो तो जानती थी इसलिए तो छुट्टी आदम ने उसकी करवाई थी

लाजो ने आते ही काम संभाल लिया.....अंजुम ने उसे कपड़े धोने का बोल गुसलखाने भेज दिया...लेकिन उसे कमरा सॉफ करने से मना किया क्यूंकी वो पहले ही सॉफ सफाई घर की कर चुकी थी....लेकिन लाजो से रहा ना गया उसने कमरे में दोनो के दाखिल होके एक बार बिस्तर और चारो तरफ के चीज़ो पे निगाह दौड़ाई....

उसने पाया ठीक बिस्तर के उपर मॅन्फार्स कॉंडम का एक डिब्बा रखा हुआ था जिसे देखते ही उसके गाल शरम से लाल हो गये...वो दबे पाँव
वापिस कमरे से बाहर आई और गंदे कपड़े जो बाल्टी में थे उसे उठाए गुसलखाने में ज़मीन पे पाँव मोड बैठके धोने लगी.....

वो मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि आदम बाबू ने लगता है अपनी माँ के साथ सुहागरात भी मना ली होगी....काश वो ये सब नज़ारा और शादी
अपनी आखो से देख पाती....वो दोनो की चुदाई के ख्यालो में खोई कपड़ों को निचोड़ते हुए उसे वहीं आँगन के रस्सी पर सुखाने लगी....
 
अंजुम को एकपल को ख्याल आया कि कमरे में कॉंडम का डिब्बा कल रात का छूटा पड़ा है....कही लाजो की नज़र ना पड़ जाए...वो सकपकाई और दौड़ी कमरे में आई तो पाया कि बिस्तर के उपर कॉंडम का डिब्बा है और लाजो कपड़े आँगन में सूखने के लिए टाँग रही
है...उसने झट से कॉंडम के डिब्बे को उठाया और उसे पलंग के नीचे फ़ैक् दिया..."अफ ये लड़का भी ना और मैं भी कम नही एक बार भी
\ ध्यान ना गया"......अंजुम बार बार मूड कर लाजो की तरफ निगाह किए कमरे से बाहर निकल गयी....

लाजो जब बाहर आई तो वो उसके गाल शरम से बेहद लाल लाल हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे माँ-बेटे के वाक़यो को याद करके उसके तन बदन में कामवासना की आग भड़क उठी थी..उस दिन तो आदम कुछ कर ना पाया था..यही सोचते हुए वो फिर अंजुम के साथ बैठी बात करने लगी...

अंजुम बार बार आदम की बात करने में जैसे लज्जा पा रही थी...मानो जैसे एक पत्नी अपने पति की चर्चा किए शर्मा रही है उसकी शरम और
लज्जा से लाजो मन ही मन खुश हो रही थी

इतने में बाइक की आवाज़ आई फिर आदम सीढ़ियाँ चढ़ता हुआ घर में दाखिल हुआ.....उसने लाजो कोदेखके मुस्कुराया फिर अपनी माँ को उसी के सामने हग किया...ये सब देखके लाजो मुस्कुराइ....अंजुम ने उसे दूर धकेलते हुए कहा ये क्या कर रहा है तू? जा जल्दी हाथ मुँह धो
ले...आदम ने कहा हाहाहा अरे लाजो तू कब आई?....जैसे उसे चिड़ा रहा हो और माँ की तरफ देख आँख मारते हुए....

लाजो : बस आज ही लौटी हूँ गाओं से बाबू आप कैसे है?

आदम : बस ठीक ही चल रहा हूँ अच्छा लाजो तुझसे कुछ बात करनी थी


लाजो : क्या बाबू ?


इतने में अंजुम बीच में उठके बोली कि उसे दाल चौखने जाना है इतना कहते हुए वो बिना लाजो और आदम पे ध्यान दिए वहाँ से चली
गयी.....अंजुम के जाते ही जैसे लाजो ने हिम्मत से उसके करीब आके मुस्कुराया


लाजो : निक़ाह की ढेरो मुबारकबाद आपको



आदम : हाहाहा थॅंक्स लाजो



लाजो : वैसे सुहागरात तो मना लिए होंगे?



आदम : हाहाहा तो वो तो मैं माँ के साथ शादी से पहले ही मनाते आ रहा हूँ अच्छा ये लो


लाजो : ए का बाबूजी अड्वान्स?


आदम : तूने मेरी वजह से छुट्टी कर ली थी ना बस उसी लिए ये तेरी चुट्टियो को कवर करने के लिए दे रहा हूँ क्यूंकी छुट्टी तूने नही मैने करवाई और काम धंधे में कॉंप्रमाइज़ मैं करना पसंद नही करता वैसे भी तू लगातार मेरे यहाँ घर आए काम करके जाती है और अब तो तू मेरी ख़ास है
 
लाजो शरमाये लहज़े आदम की तरफ देखने लगी.....आदम ने कहा कि इस वक़्त तो माँ घर में मौज़ूद है पर वक़्त जैसे हाथ लगेगा वैसे ही वो लाजो को बुला लेगा....लाजो समझ रही थी उसके बुलावे का मतलब


लाजो : आप तो अब फिरसे शादी शुदा हो गये और अभी से हमपर निगाहें डाले हुए है बाबू


आदम : हाहाहा तूने खुद मज़बूर किया मुझे अपनी ओर निगाह डालने को कि मैं अब खुद को चाह कर भी रोक नही पा रहा वैसे अगर उस दिन का अधूरा अधूरा ही रह जाए तो मुझे कोई दुख नही लेकिन रज़ामंदी और राज़ी खुशी से किए काम ही मज़ा आता है


लाजो : हाहाहा अरे आदम बाबू भला आपसे हम दूर हो सकते है आप इतने जवान शहरी गोरे चिट्टे पैसेवाले आदमी और हम कहाँ जो नखरे करने की भी गुस्ताख़ी करे वैसे आराम से कीजिएगा जैसे आप अपनी बेगम को करते है (एका एक आदम का खड़ा होने लगा उसने लाजो को देखके अपने होंठ काटते हुए मुस्कुराया)


अंजुम जैसे ही घर में आई फ़ौरन लाजो सकपकाई उसने अंजुम और आदम से विदा लिया और वहाँ से रुखसत हो गयी..."क्या कह रहा था उसको?"......

."कुछ नही माँ बस ऐसे ही की कोई पैसो की दिक्कत तो नही 10 दिन तक नही आई उसे लगा कि मैं पैसे काटुन्गा"......

.."नही नही उसका पगार उसे पूरी पूरी दे दिया कर बेचारी कुछ कहती भी नही औरो की तरह नही है".......

.."ये तो है"......मैने मसूकुरा कर कहा


___________________________
!
 
Back
Top