desiaks
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फिर इस बात से आश्वस्त होकर कि उसकी कार को कोई क्षति नहीं पहुंची थी वो सामने देखने लगा ।
राज ने घूमकर पीछे देखा । उस घड़ी पायर पर कई लोग मौजूद थे । उनमें से एक लड़की एकाएक जोर-जोर से उनकी तरफ हाथ हिलाने लगी । राज ने अपने दायें-बायें घूमकर देखा तो पाया कि जवाब में बजड़े पर से कोई हाथ नहीं हिला रहा था । लिहाजा वो हाथ हिलाने लगा ।
“कोई दोस्त है तुम्हारा पायर पर ।” - डॉली फुसफुसाती-सी बोली ।
“नहीं ।” - राज ने भी वैसे ही स्वर में जवाब दिया ।
“तो हाथ क्यों हिला रहे हो ?”
“यूं ही । मुझे लगा कि कोई मेरी तरफ हाथ हिला रहा था, सो मैंने भी हिला दिया ।”
“खामखाह !”
“हां ।”
“अजीब आदमी हो ।”
“हां । तभी तो तुम्हारे साथ हूं ।”
“पछता रहे हो ?”
“जरा भी नहीं । मेरा तो कयामत के दिन तक तुम्हारा साथ छोड़ने का इरादा नहीं ।”
“सच कह रहे हो ?”
“नहीं ।”
“मेरा भी यहां ख्याल था ।”
“हां ।”
“पहला ही जवाब ठीक था ।”
“पहला जवाब जुबान से निकला था । दूसरा दिल से ।”
“ऐसी लच्छेदार बातें हर किसी से करते हो ?”
“नहीं । हर किसी से नहीं । सिर्फ एक्स फैशन माडल्स और करेंट पॉप सिंगर्स से ।”
वो हंसी ।
“धीरे । तुम्हारी खनकती हंसी की आवाज उसने सुनी तो वो पशोपेश में पड़ जायेगा कि आखिर आवाज आयी तो कहां से आयी !”
उसने होंठ भींच लिये ।
“वैसे उसने झांका तक नहीं था तुम्हारी तरफ ।”
“झांक सकता तो था ।”
बजड़ा चलने लगा ।
“हम कहां जा रहे हैं ?” - राज बोला ।
“उन दो में से एक आइलैंड पर जा रहे हैं जिनका मैंने अभी जिक्र किया था लेकिन कौन-से पर, ये पहुंचने पर ही पता चलेगा ।”
“क्यों ?”
“अरे, मैं सिर उठाकर बाहर झांकूंगी तो कुछ जांनूंगी न !”
“ओह !”
तभी एक व्यक्ति उनके करीब पहुंचा ।
“तीस रुपया ।” - वो बोला ।
“तीस रुपया !” - राज ने मूर्खों की तरह दोहराया ।
“फेयर । किराया ।”
“ओह ! किराया ।”
“बीस रुपया कार का । दस रुपया दो पैसेंजर्स का ।”
राज ने उसे तीस रुपये सौंपे ।
“थैंक्यू ।” - वो बोला और उसने उन्हें तीन टिकटें थमा दीं ।
“हम कहां जा रहे हैं ?” - राज ने पूछा ।
“आपको नहीं मालूम ?”
“नहीं । हम टूरिस्ट हैं ।”
“टिकट पर लिखा है ।”
वो आगे बढ गया ।
राज ने एक टिकट पर निगाह डालीं । उस पर लिखा था फिगारो - ओल्ड रॉक - फिगारो ।
“ओल्ड रॉक ।” - वो बोला - “दो में से एक आइलैंड का नाम ओल्ड रॉक है ?”
“हां ।” - डॉली बोली ।
“हम वहीं जा रहे हैं ।”
“वो बहुत करीब है । पांच मिनट में पहुंच जायेंगे ।”
“तुम्हें याद आया उस आदमी का नाम ?”
“नहीं ।”
“या कुछ और ?”
“नहीं ।”
“बस इतना हो याद आया कि ये आदमी कभी पायल पर मरता था ?”
“हां ।”
तभी उस आदमी की बीवी ने एक केला छीलकर उसकी तरफ बढाया । आदमी ने बहुत गुस्से से आंखें तरेरकर उसकी तरफ देखा । तत्काल बीवी केला खुद खाने लगी ।
“केलों से नफरत मालूम होती है उसे ।” - राज बोला - “इससे कुछ याद आया हो ?”
“तुम मेरा मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हो ?”
“नो । नैवर । कई बार आदमी की शिनाख्त उसकी किसी छोटी-मोटी आदत से या खास पसन्द-नापसन्द से भी हो जाती है, इसीलिये जिक्र किया ।”
वो खामोश रही ।
बजड़ा ओल्ड रॉक आइलैंड के पायर पर यूं जाकर लगा कि राज को पहले अपनी गाड़ी उतारनी पड़ी ।
“हम तो आगे हो गये ।” - राज बोला - “उसका पीछा कैसे करेंगे ?”
“कोई टाइम पास वाला काम करो ।” - डॉली बोली - “नीचे उतरकर टायरों की हवा वगैरह चैक करने लगो या बोनट उठाकर कुछ देखने लगी ।”
राज ने वैसा ही किया ।
फियेट बजड़े से उतरकर पायर पर पहुंची और फिर एकाएक यूं वहां से भागी जैसे तोप से गोला छूटा हो ।
राज भी लपककर जीप में सवार हुआ । उसने तत्काल जीप फियेट की पीछे दौड़ाई ।
“बीवी को घर पहुंचाने की जल्दी मालूम होती है इसे ।” - डॉली बोली ।
“हां । सोच रहा होगा जितनी जल्दी घर पहुंचेगी, उतनी ही जल्दी पीछा छूटेगा । केले और बीवी बराबर नापसन्द मालूम होते हैं इसे ।”
डॉली हंसी ।
फियेट मेन रोड छोड़कर एक साइड रोड पर मुड़ी ।
राज ने जीप उस सड़क पर मोड़ी तो पाया कि उस पर जगह-जगह पर खड्डे थे और उसकी हालत आगे-आगे और भी खराब थी ।
राज ने घूमकर पीछे देखा । उस घड़ी पायर पर कई लोग मौजूद थे । उनमें से एक लड़की एकाएक जोर-जोर से उनकी तरफ हाथ हिलाने लगी । राज ने अपने दायें-बायें घूमकर देखा तो पाया कि जवाब में बजड़े पर से कोई हाथ नहीं हिला रहा था । लिहाजा वो हाथ हिलाने लगा ।
“कोई दोस्त है तुम्हारा पायर पर ।” - डॉली फुसफुसाती-सी बोली ।
“नहीं ।” - राज ने भी वैसे ही स्वर में जवाब दिया ।
“तो हाथ क्यों हिला रहे हो ?”
“यूं ही । मुझे लगा कि कोई मेरी तरफ हाथ हिला रहा था, सो मैंने भी हिला दिया ।”
“खामखाह !”
“हां ।”
“अजीब आदमी हो ।”
“हां । तभी तो तुम्हारे साथ हूं ।”
“पछता रहे हो ?”
“जरा भी नहीं । मेरा तो कयामत के दिन तक तुम्हारा साथ छोड़ने का इरादा नहीं ।”
“सच कह रहे हो ?”
“नहीं ।”
“मेरा भी यहां ख्याल था ।”
“हां ।”
“पहला ही जवाब ठीक था ।”
“पहला जवाब जुबान से निकला था । दूसरा दिल से ।”
“ऐसी लच्छेदार बातें हर किसी से करते हो ?”
“नहीं । हर किसी से नहीं । सिर्फ एक्स फैशन माडल्स और करेंट पॉप सिंगर्स से ।”
वो हंसी ।
“धीरे । तुम्हारी खनकती हंसी की आवाज उसने सुनी तो वो पशोपेश में पड़ जायेगा कि आखिर आवाज आयी तो कहां से आयी !”
उसने होंठ भींच लिये ।
“वैसे उसने झांका तक नहीं था तुम्हारी तरफ ।”
“झांक सकता तो था ।”
बजड़ा चलने लगा ।
“हम कहां जा रहे हैं ?” - राज बोला ।
“उन दो में से एक आइलैंड पर जा रहे हैं जिनका मैंने अभी जिक्र किया था लेकिन कौन-से पर, ये पहुंचने पर ही पता चलेगा ।”
“क्यों ?”
“अरे, मैं सिर उठाकर बाहर झांकूंगी तो कुछ जांनूंगी न !”
“ओह !”
तभी एक व्यक्ति उनके करीब पहुंचा ।
“तीस रुपया ।” - वो बोला ।
“तीस रुपया !” - राज ने मूर्खों की तरह दोहराया ।
“फेयर । किराया ।”
“ओह ! किराया ।”
“बीस रुपया कार का । दस रुपया दो पैसेंजर्स का ।”
राज ने उसे तीस रुपये सौंपे ।
“थैंक्यू ।” - वो बोला और उसने उन्हें तीन टिकटें थमा दीं ।
“हम कहां जा रहे हैं ?” - राज ने पूछा ।
“आपको नहीं मालूम ?”
“नहीं । हम टूरिस्ट हैं ।”
“टिकट पर लिखा है ।”
वो आगे बढ गया ।
राज ने एक टिकट पर निगाह डालीं । उस पर लिखा था फिगारो - ओल्ड रॉक - फिगारो ।
“ओल्ड रॉक ।” - वो बोला - “दो में से एक आइलैंड का नाम ओल्ड रॉक है ?”
“हां ।” - डॉली बोली ।
“हम वहीं जा रहे हैं ।”
“वो बहुत करीब है । पांच मिनट में पहुंच जायेंगे ।”
“तुम्हें याद आया उस आदमी का नाम ?”
“नहीं ।”
“या कुछ और ?”
“नहीं ।”
“बस इतना हो याद आया कि ये आदमी कभी पायल पर मरता था ?”
“हां ।”
तभी उस आदमी की बीवी ने एक केला छीलकर उसकी तरफ बढाया । आदमी ने बहुत गुस्से से आंखें तरेरकर उसकी तरफ देखा । तत्काल बीवी केला खुद खाने लगी ।
“केलों से नफरत मालूम होती है उसे ।” - राज बोला - “इससे कुछ याद आया हो ?”
“तुम मेरा मजाक उड़ाने की कोशिश कर रहे हो ?”
“नो । नैवर । कई बार आदमी की शिनाख्त उसकी किसी छोटी-मोटी आदत से या खास पसन्द-नापसन्द से भी हो जाती है, इसीलिये जिक्र किया ।”
वो खामोश रही ।
बजड़ा ओल्ड रॉक आइलैंड के पायर पर यूं जाकर लगा कि राज को पहले अपनी गाड़ी उतारनी पड़ी ।
“हम तो आगे हो गये ।” - राज बोला - “उसका पीछा कैसे करेंगे ?”
“कोई टाइम पास वाला काम करो ।” - डॉली बोली - “नीचे उतरकर टायरों की हवा वगैरह चैक करने लगो या बोनट उठाकर कुछ देखने लगी ।”
राज ने वैसा ही किया ।
फियेट बजड़े से उतरकर पायर पर पहुंची और फिर एकाएक यूं वहां से भागी जैसे तोप से गोला छूटा हो ।
राज भी लपककर जीप में सवार हुआ । उसने तत्काल जीप फियेट की पीछे दौड़ाई ।
“बीवी को घर पहुंचाने की जल्दी मालूम होती है इसे ।” - डॉली बोली ।
“हां । सोच रहा होगा जितनी जल्दी घर पहुंचेगी, उतनी ही जल्दी पीछा छूटेगा । केले और बीवी बराबर नापसन्द मालूम होते हैं इसे ।”
डॉली हंसी ।
फियेट मेन रोड छोड़कर एक साइड रोड पर मुड़ी ।
राज ने जीप उस सड़क पर मोड़ी तो पाया कि उस पर जगह-जगह पर खड्डे थे और उसकी हालत आगे-आगे और भी खराब थी ।