hotaks444
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ये बात अम्मा ने बड़ी तल्खी से कही थी और खलू को ये थोड़ी नागवार गुज़री थी लेकिन वो फिर चुप ही हो गये.
बाबा: "तो आप चाहते हैं कि हम अपनी बच्ची को फिर वहीं जहन्नुम मे धकेल दें ताकि वो फिर वही अज़ाब
झेले, दुनिया का क्या है वो तो बातें बनाने के लिए ही होती है, हम अपनी बच्ची को दोबारा क्या वही फेंक
आयें, ना जाने कितनी तकलीफो से गुज़री है बेचारी"
ये कहते कहते बाबा ने अपने सीना पकड़ किया और वो चारपाई से ज़मीन मे धदाम से गिर पड़े. अम्मा की
चीख निकल पड़ी कि हाए जल्दी से कोई डॉक्टर को ले आओ. बाबा को शायद दिल का दौरा पड़ा था. पास के मोहल्ले
से मेरे छोटा भाई डॉक्टर को ले आया.
डॉक्टर ने काफ़ी देर तक जाँच की, ये डॉक्टर हमारा फॅमिली डॉक्टर था बाकी के मोहल्ले वॉलो की तरहा. ये एक एमबीबीएस
था जो हार्ट स्पेशलिस्ट था. शहेर के अपने क्लिनिक से हफ्ते मे दो बार यहाँ आया करता था. कमाई इतनी नही होती थी
लेकिन इस डॉक्टर को लोगो की दुआ लेने का बड़ा शौक था.
डॉक्टर ने कहा "इनको मैं पहली बार भी कह चुका था कि टेन्षन मत लो, लेकिन ये मानते ही नही, ये इनका दूसरा
और आख़िरी दौरा था इसके बाद आख़िरी होगा, आप लोग इनका ध्यान रखा कीजिए और इनको टेन्षन की बात से दूर
रखें और चेक अप के लिए इनको मेरे क्लिनिक मे ले आए"
ना जाने कैसे मेरी किस्मत मे फिर काले काले बदल छा गये थे. मैने बहुत सोचा और कुछ दिनो बाद बाबा
से कहने लगी कि मैं शौकत के निकाह मे फिरसे जाना चाहती हूँ. बाबा मेरी तरफ देखते रहे लेकिन कुछ बोले
नही.अम्मा ने मुझे आँखो से इशारा किया कि मैं इस बात को ना छेड़ू लेकिन मैने ठान लिया था कि मैं एक बार
फिर क़ुरबान हो जाउन्गि और अपने घर के लोगो को और दुखी नही रखूँगी. मैने दोबारा बाबा से कहा "बाबा, इंसान
को एक मौका और मिलना चाहिए, शौकर बुरा इंसान नही है लेकिन उससे बड़ी ग़लती हो गयी, अब तो मैने सुना है
कि वो शराब छोड़ चुका है, वो शर्मिंदा है और हमेशा मेरी याद मे रोता ही रहता है, मुझे लगता है कि
मुझे और आपको उसको मौका देना ही चाहिए आप जाकर कुछ करें और ज़्यादा टेन्षन ना ले, आप और मैं सब
ऊपरवाले के बंदे है और उसके दिए हुए से भाग नही सकते"
पता नही मैं वो सब बातें कहे जा रही थी जो मेरे दिल मे ना थी, ये ऐसा ही था कि कोई बकरी का बच्चा अपनी
मा से कह रहा हो कि उसको कसाई के पास भेज दे ताकि उसकी मा की जान बच जाए. मैं सोच रही थी कि किस्मत
को मैं पूरी आज़ादी दे दूं मुझे बर्बाद करने के लिए.
मेरे बाबा पर ये बात किसी दवाई की तरहा असर कर गई और कुछ ही दिनो मे वो चलने फिरने लगे. मेरी मा
जानती थी कि मैं घरवालो की खातिर एक क़ुर्बानी देने जा रही हूँ,क्यूंकी हमारे समाज मे सिर्फ़ लड़की ही क़ुर्बानी देती
है. लड़को से ये उम्मीद नही होती.
खाला फिर अपना काला साया लेकर हमारे घर आई और मुझे समझाने लगी कि मुझे पहले शौकत के छोटे भाई
इनायत से ब्याह होगा और फिर मैं उससे अलग कर दी जाउन्गि यहाँ तक कि मैं फिर शौकत से निकाह के काबिल हो
जाउ. मेरी समझ मे सॉफ सॉफ नही आया लेकिन मैने कोई सवाल करना मुनासिब ना समझा.
मेरी उलझन को देख कर मेरी खाला ज़ाद बहेन मुझे कोने मे ले गयी और मुझसे कहने लगी कि "पहले तुम्हे
इनायत से ब्याह दिया जाएगा, वो तुम्हारे साथ जिस्मानी ताल्लुक कायम करेगा और फिर तुम्हे निकाह से अलग कर देगा
और फिर तुम अपनी इद्दत ख़तम करने के बाद शौकत से ब्याह दी जाओगी"
मैं सोचने लगी कि ये कितनी बड़ी सज़ा है उस इंसान के लिए जो ग़लती से अपनी बीवी को गुस्से मे छोड़ दे और वापिस
पाने के लिए उसे इतना ज़लील होना पड़े. मुझे लगा कि इससे बड़ी क्या सज़ा हो सकती है शौकत के लिए.
खैर वो दिन भी किसी बिन बुलाए मेहमान की तरहा आ गया जब बिना शोर शराबे के मुझे इनायत की दुल्हन बना
दिया गया. मेरे सास ससुर ने एक पास के शहेर मे मेरे और इनायत के रहने का इंतेज़ाम कर दिया था. ये सब
इसलिए कि शौकत के सामने मैं किसी और की बीवी बन कर ना रहू.
बाबा: "तो आप चाहते हैं कि हम अपनी बच्ची को फिर वहीं जहन्नुम मे धकेल दें ताकि वो फिर वही अज़ाब
झेले, दुनिया का क्या है वो तो बातें बनाने के लिए ही होती है, हम अपनी बच्ची को दोबारा क्या वही फेंक
आयें, ना जाने कितनी तकलीफो से गुज़री है बेचारी"
ये कहते कहते बाबा ने अपने सीना पकड़ किया और वो चारपाई से ज़मीन मे धदाम से गिर पड़े. अम्मा की
चीख निकल पड़ी कि हाए जल्दी से कोई डॉक्टर को ले आओ. बाबा को शायद दिल का दौरा पड़ा था. पास के मोहल्ले
से मेरे छोटा भाई डॉक्टर को ले आया.
डॉक्टर ने काफ़ी देर तक जाँच की, ये डॉक्टर हमारा फॅमिली डॉक्टर था बाकी के मोहल्ले वॉलो की तरहा. ये एक एमबीबीएस
था जो हार्ट स्पेशलिस्ट था. शहेर के अपने क्लिनिक से हफ्ते मे दो बार यहाँ आया करता था. कमाई इतनी नही होती थी
लेकिन इस डॉक्टर को लोगो की दुआ लेने का बड़ा शौक था.
डॉक्टर ने कहा "इनको मैं पहली बार भी कह चुका था कि टेन्षन मत लो, लेकिन ये मानते ही नही, ये इनका दूसरा
और आख़िरी दौरा था इसके बाद आख़िरी होगा, आप लोग इनका ध्यान रखा कीजिए और इनको टेन्षन की बात से दूर
रखें और चेक अप के लिए इनको मेरे क्लिनिक मे ले आए"
ना जाने कैसे मेरी किस्मत मे फिर काले काले बदल छा गये थे. मैने बहुत सोचा और कुछ दिनो बाद बाबा
से कहने लगी कि मैं शौकत के निकाह मे फिरसे जाना चाहती हूँ. बाबा मेरी तरफ देखते रहे लेकिन कुछ बोले
नही.अम्मा ने मुझे आँखो से इशारा किया कि मैं इस बात को ना छेड़ू लेकिन मैने ठान लिया था कि मैं एक बार
फिर क़ुरबान हो जाउन्गि और अपने घर के लोगो को और दुखी नही रखूँगी. मैने दोबारा बाबा से कहा "बाबा, इंसान
को एक मौका और मिलना चाहिए, शौकर बुरा इंसान नही है लेकिन उससे बड़ी ग़लती हो गयी, अब तो मैने सुना है
कि वो शराब छोड़ चुका है, वो शर्मिंदा है और हमेशा मेरी याद मे रोता ही रहता है, मुझे लगता है कि
मुझे और आपको उसको मौका देना ही चाहिए आप जाकर कुछ करें और ज़्यादा टेन्षन ना ले, आप और मैं सब
ऊपरवाले के बंदे है और उसके दिए हुए से भाग नही सकते"
पता नही मैं वो सब बातें कहे जा रही थी जो मेरे दिल मे ना थी, ये ऐसा ही था कि कोई बकरी का बच्चा अपनी
मा से कह रहा हो कि उसको कसाई के पास भेज दे ताकि उसकी मा की जान बच जाए. मैं सोच रही थी कि किस्मत
को मैं पूरी आज़ादी दे दूं मुझे बर्बाद करने के लिए.
मेरे बाबा पर ये बात किसी दवाई की तरहा असर कर गई और कुछ ही दिनो मे वो चलने फिरने लगे. मेरी मा
जानती थी कि मैं घरवालो की खातिर एक क़ुर्बानी देने जा रही हूँ,क्यूंकी हमारे समाज मे सिर्फ़ लड़की ही क़ुर्बानी देती
है. लड़को से ये उम्मीद नही होती.
खाला फिर अपना काला साया लेकर हमारे घर आई और मुझे समझाने लगी कि मुझे पहले शौकत के छोटे भाई
इनायत से ब्याह होगा और फिर मैं उससे अलग कर दी जाउन्गि यहाँ तक कि मैं फिर शौकत से निकाह के काबिल हो
जाउ. मेरी समझ मे सॉफ सॉफ नही आया लेकिन मैने कोई सवाल करना मुनासिब ना समझा.
मेरी उलझन को देख कर मेरी खाला ज़ाद बहेन मुझे कोने मे ले गयी और मुझसे कहने लगी कि "पहले तुम्हे
इनायत से ब्याह दिया जाएगा, वो तुम्हारे साथ जिस्मानी ताल्लुक कायम करेगा और फिर तुम्हे निकाह से अलग कर देगा
और फिर तुम अपनी इद्दत ख़तम करने के बाद शौकत से ब्याह दी जाओगी"
मैं सोचने लगी कि ये कितनी बड़ी सज़ा है उस इंसान के लिए जो ग़लती से अपनी बीवी को गुस्से मे छोड़ दे और वापिस
पाने के लिए उसे इतना ज़लील होना पड़े. मुझे लगा कि इससे बड़ी क्या सज़ा हो सकती है शौकत के लिए.
खैर वो दिन भी किसी बिन बुलाए मेहमान की तरहा आ गया जब बिना शोर शराबे के मुझे इनायत की दुल्हन बना
दिया गया. मेरे सास ससुर ने एक पास के शहेर मे मेरे और इनायत के रहने का इंतेज़ाम कर दिया था. ये सब
इसलिए कि शौकत के सामने मैं किसी और की बीवी बन कर ना रहू.