hotaks444
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डीएनडी के बटन प्रेस करने का बाद मैं अपने कमरे मे चली आई. थोड़ी देर सोचती रही कि आख़िर ये क्या हुआ मुझ से. कैसे मैने बिना सोचे अपने आप को किसी और औरत के सामने नंगा कर दिया.
क्या मैं एक सस्ती रंडी की तरहा बर्ताव कर रही थी. मुझे अपने से थोड़ी घिन हो गयी. ये अलग बात है कि किसी ने नहाते हुए मुझे बुलाया और मैने इत्तेफ़ाक़ से किसी और नंगी औरत को देखा जैसे साना और अपनी सास को लेकिन यहाँ माजरा दूसरा था. मैं इन्ही ख़यालों मे गुम थी कि डोर पर नॉक हुआ और इनायत की आवाज़ आई, मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने को कहा. मैं अब भी उलझन मे डूबी हुई थी. मुझे इस तरहा खोया हुआ देख कर इनायत ने मेरे हाल के बारे मे पूछा. दर असल इनायत और शौकत एक हफ्ते बाद का रिज़र्वेशन करवा कर आए थे. अब दिन चढ़ आया था और हमफिर बाहर चलने के लिए तैयार थे. मैने अब सलवार कमीज़ पहना था. कमीज़ काफ़ी लो कट था, ये इतना लो कट था कि ज़्यादा झुकने पर मेरे निपल्स भी नज़र आ सकते थे. मैने यहाँ आकर ब्रा पहेनना छोड़ दिया था. कमीज़ वाइट रंग की थी और ट्रॅन्स्ल्यूसेंट थी यानी अगर इसपर पानी पड़े तो मेरे ब्रेस्ट सबके सामने नुमाया हो जाए. बारिश को कोई मौसम ना था इसलिए मैने ये पहेनना सूटेबल समझा. हम ने एक रेस्टोरेंट के खाना खाया. मैं शौकत के आगे बैठी थी और ताबू के बगल मे. ये एक राउंड टेबल था. शौकत की नज़रे मेरे क्लीवेज पर थी और मुझे ना जाने क्यूँ उसके इस तरहा मेरे क्लीवेज पर नज़र गढ़ाना मुझे रोमांच से भर रहा था.
इनायत की नज़रें ताबू पर थी, ताबू भी ना जाने उससे नज़रो ही नज़रो मे क्या खेल रही थी. हम ने खाना खाया और एक पार्क मे आकर बैठ गये. ये एक फॅमिली पार्क था. यहाँ बड़े बड़े फूल के पौधे और हरी हरी ग्रास सबको भा रही थी. यहाँ हम लोग थोड़ी ही देर बैठे थे. हम लोग बातों मे इस कदर खोए थे कि कब बादल छा गये, कब अंधेरा हो गया और कब बारिश होने लगी पता ही नही चला. मौसम किस तरहा बदल जाता है, ये यकीन नही होता. हम लोगो ने दौड़ कर टॅक्सी करनी चाही, हम लोगो काफ़ी देर सड़क पर खड़े रहे और मैं बिल्कुल भीग गयी थी, मुझे बाद मे ख़याल आया कि मेरी कमीज़ बिल्कुल ट्रंपारेंट हो गयी है और मेरे बूब्स अब बिकुल सॉफ झलक रहे हैं.
इनायत मे मुझे काम मे इसके बारे मे बताया. वो मुस्कुरा कर बोला कि क्यूँ शौकत को छेड़ रही हो तो मैने उससे कहा कि मुझे इसका ख़याल ही नही था. फिर एक टॅक्सी आकर रुकी और शौकत टॅक्सी ड्राइवर के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.
ताबू मेरे साइड मे थी और मैं बीच में, इनायत मेरी साइड पर था. हम लोग बातें करने लगे. शौकत पीछे मूड कर बात कर रहा था और मेरे सीने पर बार बार चोरी छिपे नज़र रखे था.
थोड़ी ही देर में हम होटेल पहुँच गये. मैने जल्दी से जाकर नहाना ठीक समझा और मैं टॉवेल मे ही बाहर आ गयी. मुझे ऐसे देखकर इनायत के अरमान जाग गये. मैने उससे कहा कि नहा लो और कपड़े चेंज कर लो वरना सर्दी लग जाएगी. वो भी नहाने चला गया. जब वो नहा कर आया तो वो बिल्कुल नंगा ही चला आया. उसने मुझे पकड़ कर मेरी टॉवेल खेंच ली और मुझे नंगा बिस्तर पर फेंक दिया. मैं भी मूड मे थी, शौकत की नज़रो ने मुझे सिड्यूस कर दिया था.इनायत मेरी टाँगो के बीच में आकर मेरी नज़रो मे नज़रे डाले देख कर बोला.
इनायत:"मेरी जान आज तो तुम किसी बिजली की तरहा लग रही थी, शौकत तो बिल्कुल तुम्हारी चूचियो पर ही नज़रे गढ़ाए था"
मैं:"और तुम आज दिन भर ताबू पर नज़रे जमाए थे, क्यूँ क्या हुआ दूसरी औरत देख कर फिसल रहे हो क्या" ये बात मैने मुस्कुरा कर कही
इनायत:"नहीं मेरी जान, लेकिन वो थोड़ा अट्रॅक्ट कर ही लेती हैं पर ना जाने क्यूँ उसमे वो बात हरगिज़ नही है जो तुममे है"
मैं:"टॉपिक बदल रहे हो, ह्म्म्म्म म पकड़े गये तो बीवी की तारीफ़ शुरू कर दी"
इनायत:"नही मेरी जान ऐसा नही है, तुम तो जानती हो मुझे"
मैं:"हां जानती तो हूँ, वैसे वो चीज़ ही कुछ ऐसी है"
फिर मैने सुबह हुए इन्सिडेंट का पूरा डिस्क्रिप्षन उसको दे दिया. उसको यकीन नही हुआ. मैने उससे कहा कि अभी शायद शौकत भी ताबू की चूत मार रहा होगा.
इनायत:"तुम्हे कैसे पता"
मैं:"क्यूंकी बरसात मे शौकत मेरी भी चूत मारता था,उसको बरसात बड़ी रोमॅंटिक लगती है"
इनायत:"ह्म्म्मा तो मेरी जान दोनो के राज़ जानती है "
क्या मैं एक सस्ती रंडी की तरहा बर्ताव कर रही थी. मुझे अपने से थोड़ी घिन हो गयी. ये अलग बात है कि किसी ने नहाते हुए मुझे बुलाया और मैने इत्तेफ़ाक़ से किसी और नंगी औरत को देखा जैसे साना और अपनी सास को लेकिन यहाँ माजरा दूसरा था. मैं इन्ही ख़यालों मे गुम थी कि डोर पर नॉक हुआ और इनायत की आवाज़ आई, मैने दरवाज़ा खोल कर उसको अंदर आने को कहा. मैं अब भी उलझन मे डूबी हुई थी. मुझे इस तरहा खोया हुआ देख कर इनायत ने मेरे हाल के बारे मे पूछा. दर असल इनायत और शौकत एक हफ्ते बाद का रिज़र्वेशन करवा कर आए थे. अब दिन चढ़ आया था और हमफिर बाहर चलने के लिए तैयार थे. मैने अब सलवार कमीज़ पहना था. कमीज़ काफ़ी लो कट था, ये इतना लो कट था कि ज़्यादा झुकने पर मेरे निपल्स भी नज़र आ सकते थे. मैने यहाँ आकर ब्रा पहेनना छोड़ दिया था. कमीज़ वाइट रंग की थी और ट्रॅन्स्ल्यूसेंट थी यानी अगर इसपर पानी पड़े तो मेरे ब्रेस्ट सबके सामने नुमाया हो जाए. बारिश को कोई मौसम ना था इसलिए मैने ये पहेनना सूटेबल समझा. हम ने एक रेस्टोरेंट के खाना खाया. मैं शौकत के आगे बैठी थी और ताबू के बगल मे. ये एक राउंड टेबल था. शौकत की नज़रे मेरे क्लीवेज पर थी और मुझे ना जाने क्यूँ उसके इस तरहा मेरे क्लीवेज पर नज़र गढ़ाना मुझे रोमांच से भर रहा था.
इनायत की नज़रें ताबू पर थी, ताबू भी ना जाने उससे नज़रो ही नज़रो मे क्या खेल रही थी. हम ने खाना खाया और एक पार्क मे आकर बैठ गये. ये एक फॅमिली पार्क था. यहाँ बड़े बड़े फूल के पौधे और हरी हरी ग्रास सबको भा रही थी. यहाँ हम लोग थोड़ी ही देर बैठे थे. हम लोग बातों मे इस कदर खोए थे कि कब बादल छा गये, कब अंधेरा हो गया और कब बारिश होने लगी पता ही नही चला. मौसम किस तरहा बदल जाता है, ये यकीन नही होता. हम लोगो ने दौड़ कर टॅक्सी करनी चाही, हम लोगो काफ़ी देर सड़क पर खड़े रहे और मैं बिल्कुल भीग गयी थी, मुझे बाद मे ख़याल आया कि मेरी कमीज़ बिल्कुल ट्रंपारेंट हो गयी है और मेरे बूब्स अब बिकुल सॉफ झलक रहे हैं.
इनायत मे मुझे काम मे इसके बारे मे बताया. वो मुस्कुरा कर बोला कि क्यूँ शौकत को छेड़ रही हो तो मैने उससे कहा कि मुझे इसका ख़याल ही नही था. फिर एक टॅक्सी आकर रुकी और शौकत टॅक्सी ड्राइवर के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.
ताबू मेरे साइड मे थी और मैं बीच में, इनायत मेरी साइड पर था. हम लोग बातें करने लगे. शौकत पीछे मूड कर बात कर रहा था और मेरे सीने पर बार बार चोरी छिपे नज़र रखे था.
थोड़ी ही देर में हम होटेल पहुँच गये. मैने जल्दी से जाकर नहाना ठीक समझा और मैं टॉवेल मे ही बाहर आ गयी. मुझे ऐसे देखकर इनायत के अरमान जाग गये. मैने उससे कहा कि नहा लो और कपड़े चेंज कर लो वरना सर्दी लग जाएगी. वो भी नहाने चला गया. जब वो नहा कर आया तो वो बिल्कुल नंगा ही चला आया. उसने मुझे पकड़ कर मेरी टॉवेल खेंच ली और मुझे नंगा बिस्तर पर फेंक दिया. मैं भी मूड मे थी, शौकत की नज़रो ने मुझे सिड्यूस कर दिया था.इनायत मेरी टाँगो के बीच में आकर मेरी नज़रो मे नज़रे डाले देख कर बोला.
इनायत:"मेरी जान आज तो तुम किसी बिजली की तरहा लग रही थी, शौकत तो बिल्कुल तुम्हारी चूचियो पर ही नज़रे गढ़ाए था"
मैं:"और तुम आज दिन भर ताबू पर नज़रे जमाए थे, क्यूँ क्या हुआ दूसरी औरत देख कर फिसल रहे हो क्या" ये बात मैने मुस्कुरा कर कही
इनायत:"नहीं मेरी जान, लेकिन वो थोड़ा अट्रॅक्ट कर ही लेती हैं पर ना जाने क्यूँ उसमे वो बात हरगिज़ नही है जो तुममे है"
मैं:"टॉपिक बदल रहे हो, ह्म्म्म्म म पकड़े गये तो बीवी की तारीफ़ शुरू कर दी"
इनायत:"नही मेरी जान ऐसा नही है, तुम तो जानती हो मुझे"
मैं:"हां जानती तो हूँ, वैसे वो चीज़ ही कुछ ऐसी है"
फिर मैने सुबह हुए इन्सिडेंट का पूरा डिस्क्रिप्षन उसको दे दिया. उसको यकीन नही हुआ. मैने उससे कहा कि अभी शायद शौकत भी ताबू की चूत मार रहा होगा.
इनायत:"तुम्हे कैसे पता"
मैं:"क्यूंकी बरसात मे शौकत मेरी भी चूत मारता था,उसको बरसात बड़ी रोमॅंटिक लगती है"
इनायत:"ह्म्म्मा तो मेरी जान दोनो के राज़ जानती है "