Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 4 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

नीचे से मेरा लण्ड खड़ा हो गया था, जो खाला की जांघ के अंदर की तरफ छू रहा था। मैंने कहा "खाला मुझे आपके होठ बहुत नरम लगते हैं। इसलिए चूसने को दिल किया और चूस लिया। खाला और चूसने दें ना अपने होंठ मुझे.."

खाला मान गई और कहा- "अच्छा चूस ली लेकिन बताना नहीं किसी को की खाला को यहां किस करते हो.."

मैंने कहा- "ठीक है खाला, नहीं बताता। खाला आप बहुत अच्छी हो..."

खाला मुश्कुराई। मैं फिर खाला का निचला होंठ पकड़ा और चूसने लगा। एक अलग ही टेस्ट आ रहा था खाला के होंठा से, फीका सा लेकिन मुझे क्या था। मैं उनके ऊपरी होंठ को भी होंठों में लिया और चूसता रहा। फिर मैंने देखा की खाला की आँखें बंद हैं, उन्होंने अपने साथ मुझे दबाया हुवा था।

मैंने अपने होंठ हटाए तो खाला ने आँखें खोली और पूछा- "क्या हुवा बेटा?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं खाला.." और मेरे चेहरे पे शरारती मुश्कान थी। मैंने फिर खाला के नरम और सुर्ख गाल अपने होंठ में दबाए और उनको चूसने लगा, साथ में अपनी जुबान भी टच कर देता बीच-बीच में उनके गाल पे।

खाला ने कहा "गंदा... बहुत शैतान हो गये हो तुम। सुधार जाओ अभी..."

मैंने दोनों गालों पे ऐसा किया। रूम में इस वक्त अंधेरा था बस हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी बाहर से। मैंने अपने लण्ड को हरकत दी और खाला की फुद्दी पे दबा दिया और खाला के जांघ पे हाथ रख दिया जो मेरे ऊपर रखा हवा था खाला ने। मेरी उंगली धस गई खाला के मोटे गोस्त से भरी हुई जांघ में।

खाला थोड़ी सी आगे हई जिससे मेरा लण्ड अच्छी तरह उनकी फुद्दी पे दब गया। मुझे अपने लण्ड पे खाला की फुद्दी की गमी अच्छी खासी महसूस हो रही थी। मैं बहुत खुश हवा की खाला ने काई रोक-टोक नहीं की अभी। मैंने चहरा नीचें किया और खाला के मम्मों में किस की। मैंने कहा- "खाला मुझे आपकी बनियान में किस करनी है." बनियान वाला वाकिया आप ऊपर पढ़ा होगा इसलिए मैंने जानबूझ के बनियान कहा।

खाला ने कहा "अच्छा बेटा... आज तो तुम मुझसे खूब बदला ले रहे हो रात की नाराजगी का..."

में हंसा और कहा- "अब नाराज हुई तो इससे भी ज्यादा करणगा.."

खाला ने कहा "मेरी तौबा जो अब किया तुमको नाराज.."

मैंने खाला की कमीज ऊपर की जिसमें खाला ने भी हेल्प किया थोड़ा उठकर। खाला ने आज पिंक वा पहना हवा था। मैंने कहा- "खाला आज तो बहुत खूबसूरत बनियान पहनी है अपनें..." और अपने होंठ उनकी वा पे रख दिए,

और अपना एक हाथ भी उनके गरम मम्मे पे रख दिया। ब्रा के ऊपर खाला के आधे मम्मे नंगे थे। मैंने वहां होंठ लगाए और गोस्त को होंठ में दबाया और चूसने लगा।

खाला ने कहा "ना करो बेटा, गुदगुदी होती है."

खाला सिमकियों को दबाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मुझे दबी-दबी सिसकियां सुनाई दे रही थी। मैंने खाला के आधे नंगे मम्मे चूक से गीले कर दिये थे। मैंने ऊपर चेहरा किया और दुबारा खाला के होंठ चूसने लगा। इस बार खाला ने भी जवाब दिया मुझे, शायद वो भी गरम हो गई थी। मेरा हाथ जो मम्मे पर था उस हाथ से खाला का मम्मा पकड़ कर दबाने लगा। खाला का मम्मा इतना बड़ा था शायद दो हाथों में पूरा आता। मैं इस वक़्त पूरा मजे में था। लण्ड फटने वाला हो रहा था। मैं अब जोर-जोर से लण्ड रगड़ने लगा खाला की फुद्दी पे। इस वक़्त खाला मुझे रोक नहीं रही थी, बल्की खुद भी मजा कर रही थी।

हम दोनों सेक्स में मस्त थे की अचानक नानी की चारपाई चरचराई, शायद नानी उठ रही थी। खाला को एकदम जैसे होश आया। वो मुझसे अलग हुई और उठकर बाहर चली गई। मैं इस बार वक़्त को कोसता रह गया, जो बीच में ही में रह गया था। मजबूरन थोड़ी देर बाद में भी उठ गया। टाइम देखा तो शाम के 6:00 बज रहे थे। बाहर निकला हाथ मुँह धोया, और सहन में बैठ गया। खाला मुझे शरारती नजरों से देख रही थी।

में मुश्कुराया और खाला के पास उठकर गया और पूछा- "क्या हवा खाला, बड़ी हैंसी निकल रही है आपकी?"

खाला ने कहा "कुछ नहीं बेटा, बस तुमको खुश देखकर में भी खुश हो रही हैं."

मैं भी फिर मुश्कुरा दिया। रात तक बातें होती रही। दोनों माम् भी आ गये हुये थे। लेकिन बड़े माम को खेतों पे वापस जाना था। क्योकी आज रात पानी की बारी थी उनकी खेतों पे। इसलिए फैसला हबा की में आज ऊपर लेट्गा मामी जूबिया और लुबना के साथ। बाजी अमीना और खाला नीचे दादी के पास। छोटे माम और मामी राबी को आलरेडी रूम में सोना था उनको।
 
मैं भी फिर मुश्कुरा दिया। रात तक बातें होती रही। दोनों माम् भी आ गये हुये थे। लेकिन बड़े माम को खेतों पे वापस जाना था। क्योकी आज रात पानी की बारी थी उनकी खेतों पे। इसलिए फैसला हबा की में आज ऊपर लेट्गा मामी जूबिया और लुबना के साथ। बाजी अमीना और खाला नीचे दादी के पास। छोटे माम और मामी राबी को आलरेडी रूम में सोना था उनको।

जब खाना खाकर फारिग हमें तो बाजी अमीना ने कहा- "चलो बाहर टहलकर आयें..."

खाला ने तो मना कर दिया और लबना ने भी।

बाजी ने कहा- "अली, चलो तुम और मैं चलते हैं...

मैंने कहा- "ठीक है.."
हम घर से बाहर निकल आए। बाहर गलियों में अंधेरा था। अभी हम गली को नुक्कड़ पे पहुँचे तो सामने से एक लड़का आ रहा था। जब करीब आया तो हमको देखकर रुक गया, और बाजी में हाय हेला की और कुछ इशारे भी किए बाजी को। जो मुझे तो समझ में नहीं आई लेकिन बाजी समझ गई। वो लड़का निकल गया आगें, और हम भी चल पड़े।

मैंने बाजी से पूछा, "ये कौन था?"

बाजी ने कहा- "मेरी दोस्त का भाई है..."

मैंने हाँ में सिर हिलाया। गाँव के आखीर में पहुँचें जहां से आगे फसलें शुरू होती थी।

वहां बाजी अचानक रुकी और कहा- "अली तुम रुको एक मिनट... मुझे बहुत तेज पेशाब आया है मैं करके आई."
और बाजी एक तरफ चल दी।

वहां कुछ दूर एक झोपरी टाइप कच्चा कमरा बना हवा था। बाजी उस तरफ गई। अंधेरा बहुत था मुझे इर भी लग रहा था इतने अधेरे में अकेला खड़ा रहकर। जब कुछ देर तक बाजी नहीं आई तो मैं उस तरफ चल दिया झोपड़ी की तरफ, क्योंकी अब तक उनको आ जाना चाहिए था। मैं अभी झोपड़ी से 10-12 कदम दूर ही था की मुझे झोपड़ी से कुछ आवाजें आने लगी। मेरे कान खड़े हो गये की यहां कौन है बाजी के इलावा और? मैं करीब गया उस कमरे के। दरवाजा दूसरी तरफ था लेकिन पीछे से दो-तीन जगह सुराख थे बड़े-बड़े। मैंने वहां से अंदर देखा तो मेरा दिल उछलकर गले में आ गया, दिल 100 की स्पीड से धड़कने लग। क्योंकी दृश्य ही ऐसा था।

अंदर बाजी दीवार के साथ घोड़ी बनी हुई थी। उनकी सलवार घुटनों तक नीचे थी और एक लड़का पीछे खड़ा उनकी फुदी मार रहा था। मुझे हल्का-हल्का सा नजर आ रहा था, वो भी चाँद की रोशनी की वजह से। लड़के ने अपने हाथ बाजी की कमीज में डाले हमें थे, और शायद उनके मम्मे पकड़े ही थे। मैं हैरान परेशान बाजी का चुदता हुवा देखता रहा। मैं समझ गया ये पहले भी यहां मिलते रहते होंगे। यहां तो दिन में भी कोई नहीं आता होगा, क्योंकी वीरन सी जगह थी। मुझे होश तब आया जब उन दोनों की सिसकियों की आवाज तेज हो गई।

बाजी ने कहा- "जल्दी कर लो पार, बाहर अली खड़ा है, वो कहीं आ ही ना जाए."

इसके साथ है लड़के ने लण्ड बाहर निकाला और अपना पानी गिराने लगा। इस दौरान लड़के का चेहरा मुझं बगल से दिखा और में पहचान गया क्योंकी ये वहीं लड़का था जो वहां हमें गली की नुक्कड़ पे मिला था। मैं फटाफट निकला वहां से और तेज-तेज चलता अपनी जगह पै पहुँच गया। मंरा रंग उड़ा हबा था। लेकिन अंधेरे की वजह से पता नहीं चल सकता था किसी को।

बाजी आई और कहा- "चला चलते हैं.."

मैंने कहा- "बहुत देर लगा दी। मुझे यहां डर लग रहा था.."

बाजी ने कहा- "वो झाड़ियों में दुपट्टा फंस गया था निकलने में टाइम लगा.."

मैंने दिल में सोचा- "हाँ मुझे पता है क्या कहाँ से निकाला है." हम घर आ गये। तब तक में रिलैक्स हो चुका था काफी हद तक

बाजी बहुत चहक रही थी। वो आते ही टायलेट गई थी। मैं समझ गया अपनी सफाई करने गई हैं। फिर मेरे पास
आई और धीरे से कहा- "आज तो तुम्हारी मौज है ऊपर ही साना है तुमने..."

मैं अंजान बनकर पूछा- "कैसी मौजा."
 
बाजी बोली- "लुबना के साथ कर लेना जो करना होगा..'

मैंने कहा- "मामी होती हैं वहां। में तो नहीं करूंगा.."

बाजी बोली- "कल तो फिर कर लिया था तुमने... तब तो तुम्हारे मामू भी ऊपर थे."

मैं हकलाया और कहा- "वो तो बस ऐसे ही हो गया था.'

बाजी मुश्कुराती हुई उठकर अंदर चली गईं। मैं सहन में बैठा आज की वारदात के बारे में सोचता रहा, जो बाजी ने की थी बाहर। मैं अब समझ रहा था बाजी इतनी फुदकती क्यों है? क्योंकी वो लण्ड ले चुकी थी अब उसकी झिझक दूर हो गई हुई थी।

खैर, मैं उठा और किचन में गया। वहां मामी जबिया बर्तन धो रही थी। मैं उनके पास गया और कहा- "मामी आज मैंने भी ऊपर सोना है आपके साथ...'

मामी ने कहा- "मेरे साथ तो नहीं। हौं अलग चारपाई पे सोना है तुमनें..." और हँस दी।

मैं भी शमिंदा सा हँस दिया, और कहा- "मेरा वा मतलब नहीं था। मैं भी यही कह रहा था मतलब साना तो अलग ही है..."

मामी बोली- बेटा, मैं भी वैसे ही कह रही थी। बेशक मेरे साथ सो जाना तुम.."

मैं खुश हो गया और पीछे से मामी को झप्पी लगाकर गाल पे किस कर दी और नीचे से लण्ड को उनकी भारी चूतड़ों में टिका दिया। किस करके अलग हवा और कहा- "मामी फिर तो मैं आपके साथ ही साऊँगा "."

मामी बोली- "अच्छा सो जाना बेटा... लेकिन लुबना पहले सा जाए फिर तुम आ जाना मेरी चारपाई ..."

मैंने कहा- "ठीक है मामी.." और पीछे होते हुये मैंने मामी की मोटी और नरम गाण्ड पे चुटकी काट दी।

मामी आगे हई और कहा- "बहत शैतान हो गये हो तुम। तुम्हारा इलाज करना पड़ेगा..."

मैं हँसता हुवा बाहर निकल आया। बाहर सहन में खाला बैठी हुई थी और कोई भी नहीं था। खाला को अकेला देखकर लण्ड ने अंगड़ाई ली। मेरा दिल किया खाला को झप्पी लगाऊँ, लेकिन जगह नहीं थी वहां। मुझे अचानक एक खयाल आया। बैठक सहन से कुछ दूर बाहर गेट के साथ थी।

मैं खाला के पास गया और उनको कहा- "खाला एक मिनट बैठक में आना आप मेरे साथ.."

खाला ने कहा, "क्यों वहां क्या है?"

मैंने कहा- "खाला आओ तो सही, फिर बताता हूँ आपको... मैंने नजर भी रखी हुई थी इधर-उधर।

मैंने खाला का हाथ पकड़ा उनको उठाया, तो खाला मेरे साथ चल पड़ी। खाला में भी एक बार पूरा घर पे नजर डाली, शायद उनको आइडिया हो गया था। हम दोनों बैठक में चले गये लाइट आफ ही रहने दी। दरवाजे के साथ ही खड़े हो गये। मैं आगे बढ़ा और खाला को बाहों में ले लिया, और उनको एक किस कर दी गाल पे। लण्ड मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था उत्तेजना के मारे। जो इस वक़्त खाला की जांघों में दबा हवा था।

खाला ने कहा, "ये काम था क्या?"

मैंने कहा- "हाँ खाला, यही काम था.."

खाला ने कहा "बड़े तेज हो तुम वैसे। इस बात किसी को भी नहीं पता हम यहां हैं.." और खाला ने मुझे अपने बाजू में दबा लिया।
 
मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था जैसे कुछ होने वाला हो। मैंने हिम्मत करके खाला के होठों पे किस कर दी। फिर खाला ने मुझे भी की। मेरी हिम्मत बढ़ी में खाला के होंठों को चूसने लगा, और हाथ नीचे ले गया खाला के नरम चूतर पकड़ लिए। मैंने मुँह हटाया और कहा- "खाला ये बहुत नरम हैं आपके.."

खाला ने कहा- "बेशर्म... ऐसी बात नहीं करतंसाथ ही मुझे उनके हँसने की आवाज आईं- "चला वहां में हाथ हटाओ.."

मैंने कहा- "नहीं खाला, मुझे अच्छा लग रहा है यहां आपको हाथ लगाकर..."

खाला ने कहा "देख लो बेटा, तुम मुझसे नाजायज चीजें भी मनवा रहे हो। मैं सिर्फ तुम्हारे प्यार में मान जाती है। लेकिन ये किसी को बताना नहीं, जो तुम करते हो मेरे साथ.."

मैंने कहा- "नहीं बताता खाला। मैं आपका भला कैसे बदनाम कर सकता है."

खाला चुप हो गई। मैं दुबारा खाला को किस करने लगा खाला भी जवाब दे रही थी। नीचे मैं खाला की पूरी गाण्ड पे हाथ फेरने लगा। आगे मेरा लण्ड उनकी जांघों पे रगड़ खा रहा था।

फिर खाला ने कहा- "चलो अब चलते हैं कोई आ ना जाए इस तरफ?" खाला ने बाहर देखा पहले। किसी को ना पाकर बाहर चली गई। मैं भी पीछे-पीछे बाहर आ गया।

कुछ देर बातों में गुजारा और सब सोने के लिये उठाने लगे। मैं ऊपर चला गया पहले हो।

लुबना ऊपर आई उसने मुझे कहा "अली आज प्लीज... कुछ ना करना। मामी पास ही हैं। उनको पता चल जायेगा."

मैंने कहा- "ठीक है मेरी जान ... जैसे तुम चाहो.."

लुबना ने मुझे किस की और बिस्तर बिछाने लगी। मैं बीच में लेट गया चारपाई पे। लुबना सीदियों के साथ और आखीर में मामी की चारपाई थी। फिर मामी ऊपर आई और दुपट्टा उतारा और लेट गई चारपाई पे।

मामी ने मुझसे कहा- "बेटा टोंगे दबा दो, बहुत दुख रही हैं."

में बड़ा खुश हुवा की मामी के जिश्म को हाथ लगाने का मौका मिल रहा है। मैं उठा उनकी चारपाई पे बैठ गया लुबजा की तरफ पीठ करके ताकी उसको कुछ नजर ना आए। में लुबना और मामी बातें भी कर रहे थे साथ साथ। मैंने मामी की टांगें घुटनों के नीचे से दबाना शुरू किया, और धीरे-धीरे ऊपर आ गया उनकी जांघों पें।

मामी एक बार हिली, और कहा- "बेटा यहां से ही दबाओं जरा जोर से। यही से दख रही हैं."
 
में बड़ा खुश हुवा की मामी के जिश्म को हाथ लगाने का मौका मिल रहा है। मैं उठा उनकी चारपाई पे बैठ गया लुबजा की तरफ पीठ करके ताकी उसको कुछ नजर ना आए। में लुबना और मामी बातें भी कर रहे थे साथ साथ। मैंने मामी की टांगें घुटनों के नीचे से दबाना शुरू किया, और धीरे-धीरे ऊपर आ गया उनकी जांघों पें।

मामी एक बार हिली, और कहा- "बेटा यहां से ही दबाओं जरा जोर से। यही से दख रही हैं."

मेरे हाथों में खाला की दायी जांघ थी जो अच्छी खासी मोटी थी। मुझे अपने हाथों में मामी की गरम जांघ का स्पर्श महसूस हो रहा था। नीचे सलवार में मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैं एक टांग नीचे और एक टांग उठाकर मोड़कर बैठा हवा था। जो टांग नीचे थी वो मामी की तरफ थी। मामी ने अपना हाथ मेरी जांघ पे रख दिया। थोड़ी देर बाद मामी मुझे शाबाश दे देती। मेरे हाथ मामी की फुद्दी से कुछ इंच ही दूर था। मेरी उंगली मामी की जांघ के अंदरूनी भाग में छू रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मामी को जांघ इस वक़्त मेरे हाथों में थी।

कुछ देर बाद मामी ने कहा- "बेटा दूसरी टांग भी दबा दो.."

मैं थोड़ा आगे को झुक के मामी की बायीं जांघ दबाने लगा। मेरा लण्ड हल्का सा मामी की दायीं जांघ से टकरा रहा था। मेरा इस बढ़त मजे से बुरा हाल था। मामी ने कुछ देर बाद अपनी टांग थोड़ी हिलाई जिस वजह से मेरा लण्ड अब अच्छी तरह उनकी जांघ में च भने लगा, और मैं जानबूझ के उनकी फुद्दी के पास जांघ को दबाजे लगा।

मामी ने कहा- "बेटा जब थक जाओ ता बस कर देना " और मुझे अजीब स्माइल से देखती रही।

मेरा डर भी कम हो रहा था, मैंने अब अपना लण्ड थोड़ा ऊँचा किया और उनकी जांघ के ऊपर कर दिया। अब ऊपरी सतह पे लण्ड रगड़ रहा था। लण्ड झटके भी मार रहा था, जो मामी को साफ पता चल रहा था, लेकिन वो कुछ कह नहीं रही थी।

लुबना सो चुकी थी। उसने दूसरी तरफ मुँह किया हुवा था।

मामी ने कहा- "बेटा लुबना तो सो गई है."

मेरा दिल तेजी से धड़का क्योंकी मामी ने ये बात कही इस अंदाज में थी जैसे हमने कुछ करना हो। मैंने हाँ में मिर हिलाया, और नीची आवाज में मामी से कहा- "यही लेट जाऊँ आपके साथ?

मामी ने भी नीची आवाज में कहा- "हौं बेटा लेट जा ना.." अब हम नीची आवाज में बात कर रहे थे।

मेरी अपनी गाण्ड का छेद खल बंद हो रहा था इस वक़्त। मामी के साथ जिस पोजीशन में था मैं, ऐसे लग रहा था जैसे कोई तूफान आने वाला हो। मुझे मामी के बात करने का अंदाज इतना सेक्सी लग रहा था की क्या बताऊँ आपको।

मामी ने अपना हाथ दापी जांघ पे रखा और उसकी उंगली मेरे लण्ड को टच हई।

मैंने कहा- "मामी आप मोटी इतनी हो चारपाई पे जगह काम है। मैं कैसे लेट्गा?"

मामी ने कहा- "बेटा में लिटा लूंगी तुमको, चाहे तुमको अपने ऊपर क्यों ना लिटाना पड़े। आखीर कार, मेरे सबसे प्यारे भान्जे हो..." और अब मामी की आधी उंगली मेरे लण्ड पर थी।

मैं अब उनकी उंगली में लण्ड दबाने लगा।

मामी ने कहा- "बेटा क्या हवा, बेचैन लग रहे हो। खैर तो है?"

मैंने मामी की तरफ देखा तो मामी मुझे सेक्सी नजरों से देख रही थी। इसी दौरान मामी ने मेरा लण्ड एक बार हल्का सा दबाया तो मेरी सिसकी निकल गईं। मामी के होंठों में शरारती मुश्कुराहट आ गई। मुझे भी शरारत सूझी। मैंने मामी की जांघ को जोर से दबा दिया।

मामी ने कहा- "ना करो बेटा दर्द होता है... मामी का हाथ अभी भी मेरे लण्ड के ऊपर रखा हवा था।

मैंने मामी को कहा- "मामी जगह दो, मैंने लेटना है.."
 
मामी ने करवट लो मेरी तरफ और जगह दी। मैं भी मामी की तरफ मुँह करके लेट गया। जगह कम थी इसलिए मामी से जुड़ गया। मुझे अब कोई डर नहीं था लग रहा था। मैंने खाला को झप्पी लगा ली। नीचे से लण्ड को प्रेशर दिया उनकी फुद्दी पें। मामी ने टांगें खोली और लण्ड सीधा घुसता चला गया। मुझे लण्ड पे मामी की सलवार गाली-गोली लगी। मैं मजे से पागल हो गया की मामी की फुद्दी गीली हो गई है मेरी वजह से। मेरे अंदर सेक्स की लहर उठी और मामी को किस करने लगा उनके होंठों पे। मामी के होंठों आम औरतों से मोटे थे जो बहुत अच्छे लगते थे उनके चेहरे पे। मैंने एक हाथ मामी के मम्मे पर रख दिया और उसको दबाने लगा। मामी भी इस बात आँखें बंद किए मुझे किस कर रही थी।

मेरा लण्ड फटा जा रहा था। मामी ने मेरे लण्ड को जांघों में दबाया हवा था फुद्दी के ऊपर। अचानक मामी में मुझे अपने ऊपर कर लिया। टांगें खोलकर मुझे अपनी टांग में फंसा लिया। मेरा लण्ड उनकी फुद्दी से लगा और सिर मेरा उनके मम्मों तक जा रहा था। मैं मामी को अब धक्के मार रहा था फुद्दी पे। मामी आँखें बंद किए आहे भर रही थी।

अचानक चारपाई चरचराई और एक तरफ का पावा टूट गया। आवाज हुई तो लुबना भी हिली। मैं फटाफट अपने बिस्तर पे पहुँचा, और जोर से पूछा- "मामी किया हुबा?

इतनी देर में लुबना भी उठ गई भि शोर की वजह से।
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कड़ी_13

मामी ने कहा- "बेटा पावा टूट गया है...'

लुबना हँस पड़ी फिर हम तीनों हँस पड़े। मामी ने अंदर से दूसरी चारपाई निकाली और लेट गई। दुबारा मामी के पास जाना खतरनाक था। इसलिए मैं लेटा रहा और फिर सो गया।

सुबह आँख अपने टाइम पे खुली। मैंह हाथ धोकर नाश्ता दिया मुझे खाला ने। मैं नाश्ता करने लगा। नाश्ते से फारिग हवा और मैं बाहर निकाल आया। दरवाजे में खड़े होकर टाइम गुजारा कुछ इधर-उधर देखते। फिर मैं अंदर आ गया। नानी के रूम में गया। खाला वहां अकेली थी और बैग में से कपड़े निकाल रही थी। मैंने पीछे से जाकर उनको झप्पी लगा ली।

खाला ने मुड़कर मुझे देखा और कहा- "मेरी तो जान ही निकाल दी तुमनें... देख लिया करो। ऐसे ही चिमट जाते हो, काई देखेंगा तो क्या कहेगा?"

मैंने कहा- "कोई कुछ नहीं कहेगा.." और खाला को किस कर ली। नीचे से खाला की मोटी और बाहर को निकाली हुई गाण्ड में दबाओं डाला। लेकिन खाला ने कुछ नहीं कहा मुझे। मुझे अपनी जांघों पे खाला के नरम चूतड़ महसूस हो रहे थे। मैंने अच्छी तरह वहां लण्ड को रगड़ा और खाला से मस्ती करता रहा।

फिर में बाहर आ गया। किताबें पकड़ी और लिखने बैठ गया। जब सारे बच्चे आ गये तो बाजी मेरे पास पड़ी चयर में आकर बैठ गईं। बाजी को देखते मुझे रात को वारदात याद आ गई की बाजी ने कैसे चुदवाया उस झोपड़ी में। मुझे अचानक एक आइडिया आया।

मने कापी पे लिखा- "बाजी रात को मजा आया आपको झोपड़ी में?" साथ ही बाजी को मैंने कहा- "बाजी जरा देखना मैंने ठीक लिखा काम?"

बाजी ने कापी पकड़ी और जब कापी पे नजर गई तो मुझे बाजी के तोते उड़ते नजर आए चेहरे पे। लेकिन जल्द कंट्रोल किया उन्होंने और मेरी तरफ देखा। बाजी मुझे सीरियस नजरों से घर रही थी। एक बार तो मैं भी अंदर में डर गया कि कहीं बाजी मुझे फैटी हो ना लगा दें। लेकिन अचानक बाजी के चेहरा में स्माइल नजर आई मुझे।

बाजी ने कहा- "अच्छा तो तुम जासूसी करते रहे मेरी?"

मैंने कहा- "बाजी टाइम बड़ा हो गया था। मैं ऐसे ही देखने उस तरफ आ गया था। आप मुझे पहले बता देती। मैं कौन सा बताना था किसी को। ऐसे मेरी जगह कोई और आ जाता तो फिर?"

बाजी ने कहा- "चलो अब तो पता चल गया ना तेरे को। अब ध्यान रखना अगर वहां जाऊँगी तो?" और हँस दी।

में भी मुश्कुराता हुवा दुबारा काम लिखने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी टांग पे बाजी का पैर लगा। मैंने इग्नोर किया। लेकिन अब पैर धीरे-धीरे मेरी जांघ के ऊपर आ रहा था। मेरे लण्ड में सरसराहट होने लगी। क्योंकी मैं समझ गया था बाजी क्या कर रही हैं। झाले में बुक और कापी लेकर बैठा था। आगे बैंग था सो काफी जगह थी। बाजी ने किताबें के नीचे से धीरे से पैर मेरे लण्ड पे रख दिया जो इस वक़्त खड़ा हो चुका था।

मैंने ऊपर नजर की। बाजी को देखा। बाजी मुझे सेक्सी स्माइल से देख रही थी। मैंने इधर-उधर देखा सब करचे काम कर रहे थे। वो थे भी छोटे थे। घर वाले अंदर थे। बाजी अच्छी तरह मेरे लण्ड पे पैर रगड़ रही थी। मेरा दिल कर रहा था बाजी मेरा लण्ड हाथ में पकड़कर दबायें। बाजी इप्रेस हो रही थी क्योंकी उन्होंने पैर से अंदाजा
कर लिया था की मेरा लण्ड कैसा है?

फिर एक बच्चा उठा और बाजी के पास आया। बाजी ने पैर निकाल लिया। मैं थोड़ी देर और काम लिखा और उठ गया। बैग अंदर रखा। बरांडे में खाला और दाना मामियां बैठी बातें कर रही थी। मैं मामी के साथ चारपाई में बैठ गया और उनकी बातें सुनने लगा।

खाला ने कहा "पट लिया मेरे बेटे ने?"

मैंने कहा- "जी खाला..."
 
मामी ने कहा- "मेरा पुत्तर तो बहुत अच्छा है। सबका खयाल रखता है.." और नजर बचाकर मुझे आँख मार दी। बगल से मुझे गले लगाया और चूमा।

खाला ने कहा "वाह... बड़ा प्यार है मामी भान्जे में... सब हँस दिए।

ऐसे ही बातें हई। फिर लंच का टाइम हो गया।

लंच करके फारिग हुये तो बाजी ने कहा- "मैं सहेली के घर जा रही हूँ लुबना के साथ.."

मामी ने इजाजत दे दी। फिर मुझसे कहा- "जाओं बँटा इनको छोड़ आओ..."

में बाजी लोगों को छोड़कर घर आया तो सब अपने-अपने रूम में जा चुके थे आराम करने। मामी मुझे टायलेट से निकलती नजर आई। मामी जब हाथ धो रही थी मैं पास गया और मामी को कहा- "मामी झाप्पी लगाने को दिल कर रहा आपको..

मामी ने कहा- "यहां कहा लगाओगे झप्पी?"

मैंने कहा- "बैठक में चलते हैं, सब सो रहे होंगे..."

फिर मैं और मामी बैठक में आ आ गये धड़कते दिल के साथ। मेरा दिल मचले जा रहा था तन्हाई में मामी में मिलने से। बैठक में जाकर मैंने मामी को झप्पी डाल ली। मामी ने भी बाजू डाल दिए मेरी कमर में। पहले मैं और मामी एक दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने मामी को गाल पे किस की। मामी ने मुझे दो-तीन किस की। मैंने हिम्मत करते हुये मामी के होंठों पे किस की। मामी ने मुझे की। फिर मैंने मामी के मोटे होंठ अपने होंठों में लिए और चूसने लगा। मामी के होंठ बहुत नरम मुलायम थे। मामी पूरा साथ दे रही थी मेरा। नीचे मेरा लण्ड सहत होकर उनकी फुद्दी पे चुभ रहा था।

किस करते-करतं मैंने मामी के दोनों मम्मे पकड़ लिए, और दबाने लगा। मामी के मम्में बड़े साइज के थे जो मेरे दो हाथों में भी ना आते। मैं मजे से उनको किस कर रहा था और मम्मे दबा रहा था। मुझको कोई होश नहीं था इर्द-गिर्द का। अचानक मुझे अपनी सलवार में मामी का हाथ घुसता महसूस हवा, जो सीधा लण्ड पे गया। मामी ने मुठी बनाकर मेरा अकड़ा हवा लण्ड पकड़ लिया, जो इस वक़्त उनके हाथ में पूरा आ रहा था। मामी उसको दबाने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल हो गया।

सेक्स के जोश में मैंने मामी की कमीज में हाथ डाला और बा ऊपर करके नंगे मम्मे पकड़ लिए मामी के। उफफ्फ... क्या नरम और गरम मम्मे थे मामी के। निपल इस बात टाइट हो रहे थे, जो मेरी हथेली में चुभ रहे थे मुझे। में जोर-जोर से मामी के मम्मे दबाने लगा। नीचे मामी मेरे लण्ड को मसल रही थी। मैंने फिर मामी की कमीज ऊपर की गले तक। और उनका बाउन निपल मुझे नजर आया। मम्में अपने पूरा यौवन पे थे मामी के। मेरी आँखें जम गई उनके मम्मों पे।

मामी ने कहा- "देखते ही रहोगे या चूमोगें भी?"

मैं आगे बढ़ा और एक निपल मुह में लेकर मम्मा चूसने लगा मामी का। साथ-साथ दबा भी रहा था।

मामी लण्ड दबाने के साथ मेरे टटें भी हाथ में पकड़कर उनको धीरे-धीरे दबा रही थी। जिससे मेरा लण्ड झटके खाने लगता था। मैंने अपना एक हाथ नीचें किया और मामी की सलवार में घुसा दिया। सीधा हाथ फुद्दी पे गया जो इस बात पानी से लाबालब भरी हुई थी। जैसे ही फुद्दी पे मेरा हाथ लगा, मामी की सिसकियां बुलंद हो गई। मामी की फुद्दी क्लीन शेव्ड थी। एक भी बाल नहीं था इस वक़्त उनकी फुद्दी पे। मैं उनकी फुद्दी की लकार में उंगली फेर रहा था।
 
मामी लण्ड दबाने के साथ मेरे टटें भी हाथ में पकड़कर उनको धीरे-धीरे दबा रही थी। जिससे मेरा लण्ड झटके खाने लगता था। मैंने अपना एक हाथ नीचें किया और मामी की सलवार में घुसा दिया। सीधा हाथ फुद्दी पे गया जो इस बात पानी से लाबालब भरी हुई थी। जैसे ही फुद्दी पे मेरा हाथ लगा, मामी की सिसकियां बुलंद हो गई। मामी की फुद्दी क्लीन शेव्ड थी। एक भी बाल नहीं था इस वक़्त उनकी फुद्दी पे। मैं उनकी फुद्दी की लकार में उंगली फेर रहा था।

मुझे मामी की फुद्दी के हॉट मोटे-मोटे लगे और अंदर को मुड़े हरे थे। मैंने अपनी बड़ी उंगली उनकी फुद्दी में डाल दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। मामी आँखें बंद किए सिसकियां कंट्रोल कर रही थी, क्योंकी में देख रहा था होंठ उन्होंने दबाए हुये थे अपने दांतों में।

मामी ने कहा- "बेटा जल्दी कर लो जो करना है। टाइम काफी हो गया है.'

मैं चुप रहा। मामी ही फिर आगे बढ़ी, और सोफे के पास चली गई। वहां जाकर बैठ गई और मुझे इशारे से पास बुलाया। मैं गया तो मामी में मरी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी। और मेरा तना हुवा लण्ड एक हाथ में पकड़ा और उसकी मूठ मारने लगी। दूसरे हाथ से मेरे टट्टे सहलाने लगी। मजे की इंतेहा से मेरी आँखें बंद हो गई, और मैं गाण्ड को दबाकर लण्ड को आगे करने लगा।

फिर मामी ने लण्ड को छोड़ा और अपनी सलवार उतार दी, और सोफे में लेट गई। अपनी टांग उठा ली और मुझे कहा- "इधर आओ बेटा."

मैं उनकी टांगें में बैठ गया और लण्ड को हाथ में पकड़कर उनकी चिकनी गीली फुद्दी पे लण्ड रगड़ने लगा ताकी उनके पानी से लण्ड गीला हो तो अंदर डालू। चार-पाँच बार ऐसा करके जब देखा की मेरा लण्ड गीला हो गया है,

तो गौर से मामी की फुददी देखने लगा जो साइज में बड़ी और होंठ मोटे थे उसके। मामी की चिकनी जांघों के बीच उनकी फुद्दी अपना नजारा दिखा रही थी मुझे।

मैंने सुराख पे लण्ड सेट किया और लण्ड को पुश किया अंदर की तरफ। मेरा लण्ड आसानी से अंदर चला गया। मामी की फुद्दी अंदर से जलती हई भटठी का मंजर पेश कर रही थी। अचानक बाहर का दरवाजा जोर-जोर से खड़का। हम दोनों के रंग उड़ गये।

मामी ने मुझे पीछे को जल्दी से धक्का दिया और कहा- "अंदर चले जाओ जल्दी करो.."

मैंने सलवार ऊपर की और खड़े लण्ड के साथ अंदर चला गया। बरामदे में चारपाई पे लेट गया और साता बन गया। दिल में आने वाले को गालियां निकालने लगा। मुझे कदमों की आवाज सुनाई दी बाहर की तरफ से, और पता चला बाजी और लुबना आई हैं। दिल में इनको गाली दी- "बहनचोद अभी आना था इनको। पाँच मिनट लेट आ जाती, तो मेरा तो काम बन जाता.."

इसी तरह सोचते-सोचते मेरी आँख लग जाती है। शाम 6:00 बजे उठा मैं।
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शाम को जब उठा मुँह हाथ धोकर फ्रेश हुवा। इस बक्त सब लोग सहन में बैठे गप्पें मार रहे थे। लेकिन खाला ऊपर छत पे थी। मैं भी ऊपर चला गया। खाला टहल रही थी।

खाला ने मुझे देखा और कहा- "उठ गया मेरा बेटा.."

मैंने कहा- "जी खाला। इस बात आपके सामने ही हैं.."

खाला मुश्कुराई. "ही मुझं नजर आ रहा है तुम सामने ही हो...

फिर हम चारपाई पे बैठ गये।

खाला ने पूछा- "बोर तो नहीं हुये यहां आकर? हुये हो तो बता दो हम जल्दी चले जाते हैं."

मैंने कहा- "नहीं खाला, दिल लगा है यहां। मैं ठीक है। मैं तो यहां आकर गुजरीवाला से भी ज्यादा एंजाय कर रहा है." और खाला को आँख मार दी।

खाला हँसी और मुझे चपत लगाई. "बदतमीज हो तुम। यहां आकर तुम तेज हो गये हो, वहां ठीक थे तुम... ऐसे बातें करते शाम का अंधेरा गहरा होने लगा।

मैंने खाला को कहा- "उधर बाँड्री वाल के पास जाते हैं, और बाहर खेत देखते हैं.."

फिर मैं और खाला उठे, बौंड्री वाल के पास खड़े हो गये। में खाला से सटकर खड़ा हो गया था। हम बाहर का नजारा कर रहे थे। किसान अपने घरों को वापस आ रहे थे। थोड़ी देर बाद अंधेरा ज्यादा हो गया तो मैंने बगन से खाला को झप्पी लगाया, और खाला से लाड़ करने लगा।

खाला ने मुझे रोका भी की कोई देख लेगा।

मैंने कहा- "अंधेरा है, किसी को नजर नहीं आता... फिर मैं झप्पी लगाए घूमा और खाला के पीछे आ गया।

अब पोजीशन में थी। खाला दीवार पे बाजू रखें थोड़ा झुकी हुई थी। उनकी मोटी गाण्ड बाहर को निकली हुई थी। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया, जो अभी नीम जान था। खाला चुपचाप खड़ी रही। आगे मैंने खाला के पेट पे हाथ रख दिया।
 
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