hotaks444
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जुली को मिल गई मूली-21
गतान्क से आगे.....................
हम ने, मैने और मेरे पति ने अपनी छुट्टियाँ शिमला मे मनाने का निस्चय किया. मेरे पति ने वहाँ शिमला मे हमारे रहने के लिए एक बंगला किराए पर ले लिया था. हम दोनो बाहुत ही खुश थे और शिमला के ठंडे और खूबसूरत मौसम मे, साथ साथ समय बिताने और मज़ेदार चुदाई करने के लिए बेताब थे. हम पहले भी वहाँ जा चुके थे , पर उस वक़्त हम एक होटेल मे रुके थे. इस बार ज़्यादा मज़े के लिए, ज़्यादा एकांत के लिए और ज़्यादा चुदाई के लिए हमने बांग्ला बुक किया था.
हम वहाँ शाम के वक़्त पहुँचे. हमारा विचार वहाँ दो दिन तक रहने का था. मेरे पति ने बंगले के सामने कार रोकी और निस्चित किया कि हम सही जगह पहुँचे हैं. हम कार से निकले तो ठंडी हवा का झोंका हमारे बदन से टकराया. मेरे पति तब तक बंगले के दरवाजे तक पहुँच चुके थे और जेब से चाबी निकाल कर उसका दरवाजा खोल चुके थे. मैं थोड़ा रुकी और फिर अपना बेग उठाए बंगले की तरफ बढ़ी. मेरे पति वहाँ, बंगले के दरवाजे पर खड़े मुझे ही देख रहे थे. मैं भी उनकी तरफ देखते हुए आगे बढ़ रही थी.
वो मुस्कराए और उन्होने मुझे अंदर आने का इशारा किया. जब मैं उनके बगल से गुज़री तो मेरे खुले बाल उनके चेहरे से टकराए. उन्होने मेरे बालों को लंबी साँस ले कर सूँघा. दरवाजा बंद कर के वो भी अंदर आ आगाए. हम बाहरी कमरे मे थे जहाँ उन्होने मुझे बैठने को कहा. मैं वहाँ रखे सोफे पर बैठ गई और चारों तरफ देखने लगी. वो एक बहुत ही खूबसूरत, सॉफ सुथरे और अच्छे रख रखाव वाला रहने के लिए तय्यार बांग्ला था. वो भी मेरे पास बैठे और मुझे बाहों मे भर लिया. हमेशा की तरह उनकी मज़बूत बाहों मे आ कर मैं सब कुछ भूल गई.
आख़िर मैने चुप्पी तोड़ी और मैं बोली की मुझे यहाँ पहुँच कर, इस खूबसूरत मौसम मे बहुत अच्छा लग रहा है. उन्होने अपनी आँखें मटकाई और बोले कि उनको कुछ करना है. और उन्होने मुझे फिर से खींच कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. एक दूसरे को बाहों मे जकड़े हम अपनी थकान मिटाने लगे.
ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनो के जिस्म एक दूसरे की गर्मी से पिघल जाएँगे. मेरी चुचियाँ उनके चौड़े सीने मे दब रही थी. चुदाई की गर्मी हमारे सिर पर सवार हो चुकी थी. हमारे हाथ एक दूसरे का बदन टटोलने लगे और मेरा हाथ जब उनकी पॅंट के सबसे खास हिस्से पर पहुँचा तो मैने उनका चुदाई का औज़ार, उनके लंबे लौडे को पॅंट के अंदर खड़े हो कर हलचल मचाते पाया. मैने अपनी नरम उंगलियों से जैसे उनके लंड को मालिश की.
उनके दोनो हाथों मे मेरी दोनो चुचियाँ आ चुकी थी जिसे वो मेरे टी-शर्ट के उपर से ही मसल्ने और दबाने लगे जिस से मैं और भी गरम हो गई. उन्होने अपने गरम होंठ मेरे गरम होंठों पर रखे और हम एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए चुंबन करने लगे. मैने उनके पंत की ज़िप खोलते हुए उनके लंबे लौडे को बाहर निकाला तो वो जैसे मेरे हाथ मे नाचने लगा.
मैं उनका लंड पकड़ कर हिलाने लगी. उन्होने अपने काँपते हाथों से मेरी टी-शर्ट उतार दी. मेरी गोल गोल चुचियाँ मेरी काली ब्रा से झाँकने लगी. जब उन्होने मेरी ब्रा का हुक खोला तो मेरी ब्रा मे क़ैद दोनो चुचियाँ आज़ाद हो कर बाहर निकल आई. उनके हाथों ने तुरंत ही मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया और दबाने लगे.
मैं उनका लंड पकड़ कर हिला रही थी और वो मेरी चुचियाँ दबा रहे थे तो हम दोनो के मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी. मेरे हाथ की पकड़ उनके तने हुए लौडे पर और मज़बूत हुई और मैं उसको आगे पीछे करने लगी. उनके लंड के छेद से गर्मी का रस निकलने लगा. उन्होने आगे हो कर मेरी चुचि को मूह मे लिया और मेरी निप्पल पर अपनी जीभ फिराई. मेरी दोनो निप्पलें तन कर खड़ी हो गई. वो मेरी चुचि और निप्पल चूस रहे थे और मैं उनका लंड पकड़ कर मुठिया मार रही थी. यहाँ मैं आप को बता दूं कि रास्ते मे, वहाँ आते समय, मैं काफ़ी देर तक, बार बार, कार मे उनके लंड से खेलती रही थी जिसकी वजह से वो पहले से ही काफ़ी गरम थे. मैने उनके लंड पर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारनी शुरू की ताकि उनके लंड का पानी निकल जाए. मैने उनके बदन मे हलचल महसूस की और मुझे पता चल गया कि उनके लंड से लंड रस की बौछार होने वाली है. मैं और ज़ोर ज़ोर से, और कस कर, और जल्दी जल्दी अपना हाथ चलाती गई और अचानक ही उनके लंड ने अपने प्रेम रस की बौछार करनी शुरू कर दी. मैं तब तक उनके लंड को हिलाती हुई आगे पीछे, उपर नीचे करती रही जब तक कि उनके लंड के पानी की आख़िरी बूँद नही निकल गई.मेरा हाथ और नंगा पेट उनके लंड से बरसाए रस से गीले हो गये थे. वो सोफा पर पीठ टिका कर बैठ गये और लंबी लंबी साँसे लेने लगे.
गतान्क से आगे.....................
हम ने, मैने और मेरे पति ने अपनी छुट्टियाँ शिमला मे मनाने का निस्चय किया. मेरे पति ने वहाँ शिमला मे हमारे रहने के लिए एक बंगला किराए पर ले लिया था. हम दोनो बाहुत ही खुश थे और शिमला के ठंडे और खूबसूरत मौसम मे, साथ साथ समय बिताने और मज़ेदार चुदाई करने के लिए बेताब थे. हम पहले भी वहाँ जा चुके थे , पर उस वक़्त हम एक होटेल मे रुके थे. इस बार ज़्यादा मज़े के लिए, ज़्यादा एकांत के लिए और ज़्यादा चुदाई के लिए हमने बांग्ला बुक किया था.
हम वहाँ शाम के वक़्त पहुँचे. हमारा विचार वहाँ दो दिन तक रहने का था. मेरे पति ने बंगले के सामने कार रोकी और निस्चित किया कि हम सही जगह पहुँचे हैं. हम कार से निकले तो ठंडी हवा का झोंका हमारे बदन से टकराया. मेरे पति तब तक बंगले के दरवाजे तक पहुँच चुके थे और जेब से चाबी निकाल कर उसका दरवाजा खोल चुके थे. मैं थोड़ा रुकी और फिर अपना बेग उठाए बंगले की तरफ बढ़ी. मेरे पति वहाँ, बंगले के दरवाजे पर खड़े मुझे ही देख रहे थे. मैं भी उनकी तरफ देखते हुए आगे बढ़ रही थी.
वो मुस्कराए और उन्होने मुझे अंदर आने का इशारा किया. जब मैं उनके बगल से गुज़री तो मेरे खुले बाल उनके चेहरे से टकराए. उन्होने मेरे बालों को लंबी साँस ले कर सूँघा. दरवाजा बंद कर के वो भी अंदर आ आगाए. हम बाहरी कमरे मे थे जहाँ उन्होने मुझे बैठने को कहा. मैं वहाँ रखे सोफे पर बैठ गई और चारों तरफ देखने लगी. वो एक बहुत ही खूबसूरत, सॉफ सुथरे और अच्छे रख रखाव वाला रहने के लिए तय्यार बांग्ला था. वो भी मेरे पास बैठे और मुझे बाहों मे भर लिया. हमेशा की तरह उनकी मज़बूत बाहों मे आ कर मैं सब कुछ भूल गई.
आख़िर मैने चुप्पी तोड़ी और मैं बोली की मुझे यहाँ पहुँच कर, इस खूबसूरत मौसम मे बहुत अच्छा लग रहा है. उन्होने अपनी आँखें मटकाई और बोले कि उनको कुछ करना है. और उन्होने मुझे फिर से खींच कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. एक दूसरे को बाहों मे जकड़े हम अपनी थकान मिटाने लगे.
ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनो के जिस्म एक दूसरे की गर्मी से पिघल जाएँगे. मेरी चुचियाँ उनके चौड़े सीने मे दब रही थी. चुदाई की गर्मी हमारे सिर पर सवार हो चुकी थी. हमारे हाथ एक दूसरे का बदन टटोलने लगे और मेरा हाथ जब उनकी पॅंट के सबसे खास हिस्से पर पहुँचा तो मैने उनका चुदाई का औज़ार, उनके लंबे लौडे को पॅंट के अंदर खड़े हो कर हलचल मचाते पाया. मैने अपनी नरम उंगलियों से जैसे उनके लंड को मालिश की.
उनके दोनो हाथों मे मेरी दोनो चुचियाँ आ चुकी थी जिसे वो मेरे टी-शर्ट के उपर से ही मसल्ने और दबाने लगे जिस से मैं और भी गरम हो गई. उन्होने अपने गरम होंठ मेरे गरम होंठों पर रखे और हम एक दूसरे के होंठों को चूस्ते हुए चुंबन करने लगे. मैने उनके पंत की ज़िप खोलते हुए उनके लंबे लौडे को बाहर निकाला तो वो जैसे मेरे हाथ मे नाचने लगा.
मैं उनका लंड पकड़ कर हिलाने लगी. उन्होने अपने काँपते हाथों से मेरी टी-शर्ट उतार दी. मेरी गोल गोल चुचियाँ मेरी काली ब्रा से झाँकने लगी. जब उन्होने मेरी ब्रा का हुक खोला तो मेरी ब्रा मे क़ैद दोनो चुचियाँ आज़ाद हो कर बाहर निकल आई. उनके हाथों ने तुरंत ही मेरी नंगी चुचियों को पकड़ लिया और दबाने लगे.
मैं उनका लंड पकड़ कर हिला रही थी और वो मेरी चुचियाँ दबा रहे थे तो हम दोनो के मूह से आनंद भरी आवाज़ें निकलने लगी. मेरे हाथ की पकड़ उनके तने हुए लौडे पर और मज़बूत हुई और मैं उसको आगे पीछे करने लगी. उनके लंड के छेद से गर्मी का रस निकलने लगा. उन्होने आगे हो कर मेरी चुचि को मूह मे लिया और मेरी निप्पल पर अपनी जीभ फिराई. मेरी दोनो निप्पलें तन कर खड़ी हो गई. वो मेरी चुचि और निप्पल चूस रहे थे और मैं उनका लंड पकड़ कर मुठिया मार रही थी. यहाँ मैं आप को बता दूं कि रास्ते मे, वहाँ आते समय, मैं काफ़ी देर तक, बार बार, कार मे उनके लंड से खेलती रही थी जिसकी वजह से वो पहले से ही काफ़ी गरम थे. मैने उनके लंड पर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारनी शुरू की ताकि उनके लंड का पानी निकल जाए. मैने उनके बदन मे हलचल महसूस की और मुझे पता चल गया कि उनके लंड से लंड रस की बौछार होने वाली है. मैं और ज़ोर ज़ोर से, और कस कर, और जल्दी जल्दी अपना हाथ चलाती गई और अचानक ही उनके लंड ने अपने प्रेम रस की बौछार करनी शुरू कर दी. मैं तब तक उनके लंड को हिलाती हुई आगे पीछे, उपर नीचे करती रही जब तक कि उनके लंड के पानी की आख़िरी बूँद नही निकल गई.मेरा हाथ और नंगा पेट उनके लंड से बरसाए रस से गीले हो गये थे. वो सोफा पर पीठ टिका कर बैठ गये और लंबी लंबी साँसे लेने लगे.