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- Dec 5, 2013
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छत पर आते ही बंटी ने देरी नहीं किया और तुरंत ही पूनम नंगी हो गयी और उसकी चुदाई होने लगी। अभी बंटी ने वीर्य पूनम के मुँह में दिया और जब पूनम कपड़े पहनकर वापस नीचे आने लगी तो बंटी ने उसे एक टेबलेट दिया खाने को। पूनम नीचे आकर टेबलेट खा ली। अब वो निश्चिन्त थी और फिर से गहरी नींद में सो गयी।
अगले दिन एक होटल में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी थी जिसमे वो लोग गए और फिर अगली सुबह पूनम अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर आ गयी, रास्ते में सोचती हुई की वो गुड्डू से कब और कहाँ चुदेगी।
पूनम अपने घर पहुँच गयी। एक तरफ तो वो शादी की और दूसरी ओर बंटी से चुदाई की थकी हुई थी, लेकिन उसके मन में उत्साह भी था की वो जवानी का भरपूर मज़ा लूट कर आई थी। बंटी ने उसे जीवन के अनमोल सुख से परिचय करवा दिया था। वो वहाँ ठीक से कभी सो ही नहीं पायी थी। दिन भर तो शादी की तैयारी और रात में पहले ज्योति और बंटी की पहरेदारी और फिर बाद में खुद की चुदाई। लेकिन उसके मन में अब इतना उत्साह था कि इतने थके होने के बाद भी अगर अभी गुड्डू उसे कहीं भी बुला लेता तो वो तुरंत जाने के लिए और चुदवाने के लिए तैयार थी। अब वो जान गयी थी की चुदाई कितनी मजेदार चीज़ है और गुड्डू का तो हक है उसके बदन पर। उसी ने तो सिखाया की जवानी की मस्ती क्या होती है। उसकी चुत रास्ते भर भी गीली ही रही थी और वो सोंचती आ रही थी की गुड्डू उसे कैसे कैसे चोदेगा। बंटी ने तो हर उस तरह से उसके बदन को मज़ा दिया था जैसे जैसे वो सोची थी या चाही थी, अब गुड्डू और विक्की की बारी थी। पूनम उत्साहित थी की दोनों एक साथ कैसे चोदेंगे उसे। उसे वो पिक्स याद आ रहे थे जिसमें वो गोरी सी लड़की दो लड़कों से एक साथ चुदवा रही थी।
पूनम रात में अपने कमरे में सोने पहुंची तो वो गुड्डू को कॉल लगायी ताकि उसे बता दे की वो लौट आई है और अब वो जब चाहे तब उसकी चूत में अपना लंड घुसा सकता है। और वो विक्की के लिए भी अपनी चूत के दरवाज़े खोलने के लिए तैयार थी। उसे अब इस चीज़ का भी मज़ा लेना था कि दो लोगों से एक साथ चुदवाने में कैसा लगता है। लेकिन गुड्डू का फ़ोन लगा नहीं। पूनम उदास हो गयी। वो रास्ते से भी गुड्डू को फ़ोन की थी लेकिन तब भी उसका फोन नहीं लगा था। पूनम की चुत गीली ही थी। उसे पर्सों रात छत पर बंटी से हुई अपनी चुदाई याद आ गयी। जिस जगह पर दो दिन पहले ज्योति चुदवा रही थी, उसी जगह पर उसी लड़के से पूनम पुरे मस्ती से चुदी थी।
बंटी ने उसे हर बार पहले से ज्यादा मज़ा दिया था और वो रात तो सबसे ज्यादा मज़ेदार थी। शादी की रात बंटी ने उसे फसा कर मजबूर कर दिया था और दिन में वो नींद में थी। लेकिन रात में वो अपनी मर्ज़ी से छत पर गयी थी और .....। पूनम उस पल को याद करने लगी तो उसकी चूत और गीली हो गयी। वो बहुत दिन बाद अपने कमरे में थी और अकेली थी। वो अपने सारे कपड़े उतार दी और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी और अपनी गीली चूत सहलाते हुए कल रात को याद करने लगी।
बंटी के फ़ोन आने के बाद वो छत पर गयी थी तो छत पर अँधेरा था लेकिन आसपास के घरों की रौशनी से वो देख पा रही थी की बंटी पूरा नंगा होकर एक हाथ से अपने लंड को सहलाता हुआ और दूसरे हाथ से पूनम को आने का इशारा करता हुआ खड़ा था और उसका इंतज़ार कर रहा था। पूनम जब उसके करीब गयी तब उसे बंटी की हालत का एहसास हुआ और शर्म से उसकी ऑंखें नीची झुक गयी। इसी मोटे मुसल लंड से वो दो बार खुद चुद चुकी थी और तीन बार अपनी बहन ज्योति को चुदवाते देख चुकी थी, लेकिन अभी जिस तरह से बंटी खड़ा था उसे शर्म आने लगी की वो भी गुड्डू की उन्ही रंडियों की तरह हो गयी है जिनकी वो फोटो भेजता था। वो भी उसी तरह नीचे अपने घरवालों को सोता छोड़ कर छत पर चुदवाने आ गयी थी, बिल्कुल बेशर्म बनकर, रण्डी बनकर।
बंटी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और अपने बदन से चिपका कर उसके होठ चूसने लगा। पूनम भला उसे क्या मना करती या रोकती, वो तो आई ही यहाँ चुदवाने के लिए थी। बंटी पूनम की कमर पकड़ कर उसके बदन से चिपक गया और अपने हाथ को पीछे से उसकी शॉर्ट्स और पैंटी के अन्दर करता हुआ नीचे करने लगा। पूनम की गुदाज गांड बंटी मसल रहा था और उसकी सीने की गोलाई बंटी के सीने से दब रही थी। बंटी के नंगे बदन से सटी हुई पूनम अपनी चुत में हो रही हलचल को महसूस कर रही थी।
बंटी ने पूनम की शॉर्ट्स और पैंटी को गांड के नीचे कर दिया और अब बंटी ने अपना हाथ ऊपर किया और टॉप के अन्दर हाथ डालकर पीठ को सहलाता हुआ टॉप को ऊपर कर दिया और ना चाहते हुए भी पूनम अपना हाथ ऊपर कर दी। पूनम चुदवाना तो चाहती थी, लेकिन अभी नंगी नहीं होना चाहती थी। उसे डर लग रहा था की कहीं कोई आ गया तो अगर उसके बदन पे कपड़े रहेंगे तो वो छिप या भाग तो सकेगी, लेकिन बंटी को बिना नंगी किये चुदाई में मज़ा नहीं आने वाला था। वैसे भी वो यहाँ पर कई बार ज्योति को पूरी नंगी कर चोद चूका था। छत का दरवाज़ा बंद था तो नीचे से कोई ऊपर आ नहीं सकता था। और वो तो पूनम के बदन के हर हिस्से का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहता था। पूनम जैसी मज़ेदार माल कपड़े पहनकर चोदने लायक नहीं थी। उसे तो पूरी नंगी करके आराम से उसके बदन से खेलते हुए चोदा जाना चाहिए था।
बंटी ने ब्रा का हुक खोल दिया और अगले ही पल पूनम ऊपर से नंगी होकर बंटी के मर्दाने बदन का एहसास कर रही थी। उसकी ब्रा भी ज़मीन पर गिर कर पूनम को जवानी के मज़े लेते देख रही थी। बंटी ने पूनम को अपने नंगे सीने से चिपका लिया और आधी रात में छत पर नंगी होकर बंटी के बदन से चिपकती ही पूनम होश खोने लगी। बंटी पूनम के बदन को चूमता हुआ नीचे होने लगा और कमर तक आते आते उसने पूनम के शॉर्ट्स और पैंटी को पकड़ लिया और उसे भी नीचे की तरफ खीचने लगा। एक पल के लिए पूनम का हाथ अपने कपड़े को पकड़ने के लिए नीचे आया लेकिन अगले ही पल उसे लगा की ये कपड़ा उतरेगा तभी तो वो चुद पायेगी, तो इसे उतारने से रोकने का तो कोई मतलब नहीं ही बनता है।
अगले दिन एक होटल में ज्योति की रिसेप्शन पार्टी थी जिसमे वो लोग गए और फिर अगली सुबह पूनम अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर आ गयी, रास्ते में सोचती हुई की वो गुड्डू से कब और कहाँ चुदेगी।
पूनम अपने घर पहुँच गयी। एक तरफ तो वो शादी की और दूसरी ओर बंटी से चुदाई की थकी हुई थी, लेकिन उसके मन में उत्साह भी था की वो जवानी का भरपूर मज़ा लूट कर आई थी। बंटी ने उसे जीवन के अनमोल सुख से परिचय करवा दिया था। वो वहाँ ठीक से कभी सो ही नहीं पायी थी। दिन भर तो शादी की तैयारी और रात में पहले ज्योति और बंटी की पहरेदारी और फिर बाद में खुद की चुदाई। लेकिन उसके मन में अब इतना उत्साह था कि इतने थके होने के बाद भी अगर अभी गुड्डू उसे कहीं भी बुला लेता तो वो तुरंत जाने के लिए और चुदवाने के लिए तैयार थी। अब वो जान गयी थी की चुदाई कितनी मजेदार चीज़ है और गुड्डू का तो हक है उसके बदन पर। उसी ने तो सिखाया की जवानी की मस्ती क्या होती है। उसकी चुत रास्ते भर भी गीली ही रही थी और वो सोंचती आ रही थी की गुड्डू उसे कैसे कैसे चोदेगा। बंटी ने तो हर उस तरह से उसके बदन को मज़ा दिया था जैसे जैसे वो सोची थी या चाही थी, अब गुड्डू और विक्की की बारी थी। पूनम उत्साहित थी की दोनों एक साथ कैसे चोदेंगे उसे। उसे वो पिक्स याद आ रहे थे जिसमें वो गोरी सी लड़की दो लड़कों से एक साथ चुदवा रही थी।
पूनम रात में अपने कमरे में सोने पहुंची तो वो गुड्डू को कॉल लगायी ताकि उसे बता दे की वो लौट आई है और अब वो जब चाहे तब उसकी चूत में अपना लंड घुसा सकता है। और वो विक्की के लिए भी अपनी चूत के दरवाज़े खोलने के लिए तैयार थी। उसे अब इस चीज़ का भी मज़ा लेना था कि दो लोगों से एक साथ चुदवाने में कैसा लगता है। लेकिन गुड्डू का फ़ोन लगा नहीं। पूनम उदास हो गयी। वो रास्ते से भी गुड्डू को फ़ोन की थी लेकिन तब भी उसका फोन नहीं लगा था। पूनम की चुत गीली ही थी। उसे पर्सों रात छत पर बंटी से हुई अपनी चुदाई याद आ गयी। जिस जगह पर दो दिन पहले ज्योति चुदवा रही थी, उसी जगह पर उसी लड़के से पूनम पुरे मस्ती से चुदी थी।
बंटी ने उसे हर बार पहले से ज्यादा मज़ा दिया था और वो रात तो सबसे ज्यादा मज़ेदार थी। शादी की रात बंटी ने उसे फसा कर मजबूर कर दिया था और दिन में वो नींद में थी। लेकिन रात में वो अपनी मर्ज़ी से छत पर गयी थी और .....। पूनम उस पल को याद करने लगी तो उसकी चूत और गीली हो गयी। वो बहुत दिन बाद अपने कमरे में थी और अकेली थी। वो अपने सारे कपड़े उतार दी और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गयी और अपनी गीली चूत सहलाते हुए कल रात को याद करने लगी।
बंटी के फ़ोन आने के बाद वो छत पर गयी थी तो छत पर अँधेरा था लेकिन आसपास के घरों की रौशनी से वो देख पा रही थी की बंटी पूरा नंगा होकर एक हाथ से अपने लंड को सहलाता हुआ और दूसरे हाथ से पूनम को आने का इशारा करता हुआ खड़ा था और उसका इंतज़ार कर रहा था। पूनम जब उसके करीब गयी तब उसे बंटी की हालत का एहसास हुआ और शर्म से उसकी ऑंखें नीची झुक गयी। इसी मोटे मुसल लंड से वो दो बार खुद चुद चुकी थी और तीन बार अपनी बहन ज्योति को चुदवाते देख चुकी थी, लेकिन अभी जिस तरह से बंटी खड़ा था उसे शर्म आने लगी की वो भी गुड्डू की उन्ही रंडियों की तरह हो गयी है जिनकी वो फोटो भेजता था। वो भी उसी तरह नीचे अपने घरवालों को सोता छोड़ कर छत पर चुदवाने आ गयी थी, बिल्कुल बेशर्म बनकर, रण्डी बनकर।
बंटी ने उसके कंधे पे हाथ रखा और अपने बदन से चिपका कर उसके होठ चूसने लगा। पूनम भला उसे क्या मना करती या रोकती, वो तो आई ही यहाँ चुदवाने के लिए थी। बंटी पूनम की कमर पकड़ कर उसके बदन से चिपक गया और अपने हाथ को पीछे से उसकी शॉर्ट्स और पैंटी के अन्दर करता हुआ नीचे करने लगा। पूनम की गुदाज गांड बंटी मसल रहा था और उसकी सीने की गोलाई बंटी के सीने से दब रही थी। बंटी के नंगे बदन से सटी हुई पूनम अपनी चुत में हो रही हलचल को महसूस कर रही थी।
बंटी ने पूनम की शॉर्ट्स और पैंटी को गांड के नीचे कर दिया और अब बंटी ने अपना हाथ ऊपर किया और टॉप के अन्दर हाथ डालकर पीठ को सहलाता हुआ टॉप को ऊपर कर दिया और ना चाहते हुए भी पूनम अपना हाथ ऊपर कर दी। पूनम चुदवाना तो चाहती थी, लेकिन अभी नंगी नहीं होना चाहती थी। उसे डर लग रहा था की कहीं कोई आ गया तो अगर उसके बदन पे कपड़े रहेंगे तो वो छिप या भाग तो सकेगी, लेकिन बंटी को बिना नंगी किये चुदाई में मज़ा नहीं आने वाला था। वैसे भी वो यहाँ पर कई बार ज्योति को पूरी नंगी कर चोद चूका था। छत का दरवाज़ा बंद था तो नीचे से कोई ऊपर आ नहीं सकता था। और वो तो पूनम के बदन के हर हिस्से का भरपूर लुत्फ़ उठाना चाहता था। पूनम जैसी मज़ेदार माल कपड़े पहनकर चोदने लायक नहीं थी। उसे तो पूरी नंगी करके आराम से उसके बदन से खेलते हुए चोदा जाना चाहिए था।
बंटी ने ब्रा का हुक खोल दिया और अगले ही पल पूनम ऊपर से नंगी होकर बंटी के मर्दाने बदन का एहसास कर रही थी। उसकी ब्रा भी ज़मीन पर गिर कर पूनम को जवानी के मज़े लेते देख रही थी। बंटी ने पूनम को अपने नंगे सीने से चिपका लिया और आधी रात में छत पर नंगी होकर बंटी के बदन से चिपकती ही पूनम होश खोने लगी। बंटी पूनम के बदन को चूमता हुआ नीचे होने लगा और कमर तक आते आते उसने पूनम के शॉर्ट्स और पैंटी को पकड़ लिया और उसे भी नीचे की तरफ खीचने लगा। एक पल के लिए पूनम का हाथ अपने कपड़े को पकड़ने के लिए नीचे आया लेकिन अगले ही पल उसे लगा की ये कपड़ा उतरेगा तभी तो वो चुद पायेगी, तो इसे उतारने से रोकने का तो कोई मतलब नहीं ही बनता है।