hotaks444
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फिर उसने अपने लिंग को धीरे-धीरे एक बार पूरा बाहर निकाला। और पूरे जोर के साथ वापस अपने लिंग को मेरी योनि में ठोंक दिया। ऐसा लगा मानो किसी ने एक गर्म रोड मेरी योनि में डाल दी हो जिससे मेरा जिश्म झुलस कर रह गया। उस झटके के साथ उसने मेरी सील को तोड़ दिया। उसका लिंग द्वार
को पार कर गया था। तेज दर्द के कारण मेरी आँखें छलक आई। मेरी टाँगें दर्द से छटपटाने लगी। मेरी चीख से पूरा कमरा पूँज गया। शायद बाहर खड़े उस चौकीदार ने भी सुना होगा और अपने भद्दे दांतों को निकालकर हँस रहा होगा।
तभी मेरी चीख रुक गई क्योंकी एक मोटा लिंग मेरे गले को पूरी तरह से बाँध कर रखा था।
राज अपने लिंग को पूरा अंदर डालकर कुछ देर तक रुका। दर्द के मारे मेरी आँखें छलक आई थी। जिस कौमार्य को मैं इतनी मुश्किलों से अपने होने वाले पति के लिए सम्हाल रखी थी। उसी सील को इन बदमाशों ने तार तार कर दिया था।
मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा तो राज ने भी अपने लिंग को हरकत दे दी। राज तेजी से उस मोटे लिंग को मेरी योनि के अंदर-बाहर करने लगा। मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूंदें बिस्तर पर बिछी सुर्ख रंग की चादर को भिगो रही थी। दूसरा आदमी भी तेजी से मेरे मुँह में अपने लिंग को इस तरह अंदर-बाहर करने लगा। मानो वो मेरी योनि हो मुँह नहीं। तीसरा मेरे दोनों स्तनों को मसल रहा था। मेरे बदन में अब दर्द की जगह मजे ने ले ली।
राज मुझे जोर-जोर धक्के लगा रहा था। उसका लिंग काफी अंदर तक मुझे चोट कर रहा था। जो मेरे साथ मुख मैथुन कर रहा था वो ज्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह में अपने लिंग को पूरे अंदर तक दाब कर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। यह पहला वाकया था जब मैंने किसी का वीर्य चखा।
उसके लिंग से वीर्य इतनी ज्यादा मात्रा में निकला की मैं उसे अपने मुँह में सम्हाल नहीं पाई और होंठों के कोनों से वीर्य रिसता हुआ मेरे गालों के ऊपर से दो लकीर के रूप में नीचे बहने लगा। मैंने जल्दी मुँह में भरे वीर्य को बाहर उलीचने की। कोशिश की तो उसके लिंग के कारण मैं अपने इरादे में सफल नहीं हो पाई। उसका लिंग मेरे गले के भीतर उस गाढ़े सफेद वीर्य को पंप करने लगा।
रोकने की कोशिश में कुछ वीर्य मेरी नाक से भी बाहर आ गया। मैंने जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का वीर्य चखा था मगर इसका स्वाद मुझे उतना बुरा नहीं लगा। कुछ देर बाद जब उसके लिंग से बहता वीर्य बंद हुआ तो उसने अपने टपकते हुए लिंग को बाहर निकाला। वीर्य की कुछ बूंदें मेरे बालों और चेहरे पर गिरी। होंठों से लिंग तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था।
को पार कर गया था। तेज दर्द के कारण मेरी आँखें छलक आई। मेरी टाँगें दर्द से छटपटाने लगी। मेरी चीख से पूरा कमरा पूँज गया। शायद बाहर खड़े उस चौकीदार ने भी सुना होगा और अपने भद्दे दांतों को निकालकर हँस रहा होगा।
तभी मेरी चीख रुक गई क्योंकी एक मोटा लिंग मेरे गले को पूरी तरह से बाँध कर रखा था।
राज अपने लिंग को पूरा अंदर डालकर कुछ देर तक रुका। दर्द के मारे मेरी आँखें छलक आई थी। जिस कौमार्य को मैं इतनी मुश्किलों से अपने होने वाले पति के लिए सम्हाल रखी थी। उसी सील को इन बदमाशों ने तार तार कर दिया था।
मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा तो राज ने भी अपने लिंग को हरकत दे दी। राज तेजी से उस मोटे लिंग को मेरी योनि के अंदर-बाहर करने लगा। मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूंदें बिस्तर पर बिछी सुर्ख रंग की चादर को भिगो रही थी। दूसरा आदमी भी तेजी से मेरे मुँह में अपने लिंग को इस तरह अंदर-बाहर करने लगा। मानो वो मेरी योनि हो मुँह नहीं। तीसरा मेरे दोनों स्तनों को मसल रहा था। मेरे बदन में अब दर्द की जगह मजे ने ले ली।
राज मुझे जोर-जोर धक्के लगा रहा था। उसका लिंग काफी अंदर तक मुझे चोट कर रहा था। जो मेरे साथ मुख मैथुन कर रहा था वो ज्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह में अपने लिंग को पूरे अंदर तक दाब कर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। यह पहला वाकया था जब मैंने किसी का वीर्य चखा।
उसके लिंग से वीर्य इतनी ज्यादा मात्रा में निकला की मैं उसे अपने मुँह में सम्हाल नहीं पाई और होंठों के कोनों से वीर्य रिसता हुआ मेरे गालों के ऊपर से दो लकीर के रूप में नीचे बहने लगा। मैंने जल्दी मुँह में भरे वीर्य को बाहर उलीचने की। कोशिश की तो उसके लिंग के कारण मैं अपने इरादे में सफल नहीं हो पाई। उसका लिंग मेरे गले के भीतर उस गाढ़े सफेद वीर्य को पंप करने लगा।
रोकने की कोशिश में कुछ वीर्य मेरी नाक से भी बाहर आ गया। मैंने जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का वीर्य चखा था मगर इसका स्वाद मुझे उतना बुरा नहीं लगा। कुछ देर बाद जब उसके लिंग से बहता वीर्य बंद हुआ तो उसने अपने टपकते हुए लिंग को बाहर निकाला। वीर्य की कुछ बूंदें मेरे बालों और चेहरे पर गिरी। होंठों से लिंग तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था।