non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ - Page 8 - SexBaba
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non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ

मॉय टर्न नॉव... मैं भी तेरा मूत चखने के लिये बेकरार हैं... कम-ऑन यू बिच... पिस इन माय माऊथ...” नजीबा बेसब्री से बोली।
राम भी
शाजिया भी नशे में चूर थी। इसलिये उठने की बजाय वो नजीबा के पेशाब से तरबतर फर्श पर घिसट कर नजीबा के पास आयी और उसके सिर के दोनों तरफ अपने हाई-हील सैंडलों वाले पैर रख कर उसकी टाँगों की तरफ मुँह करके उकडू बैठ गयी। शाजिया की चूत ठीक नजीबा के चेहरे के ऊपर थी। शाजिया की फूल कर बाहर उभरी हुई क्लिट लगभग आधे इंच के छोटे से लंड जैसी दिख रही थी। इतनी ऊंची हील की सैंडलों में उकडू बैठी हुई शाजिया नशे में डगमगा रही थी और अपनी गाँड स्थिर नहीं रख पा रही थी।

अब मूतेगी भी... चुदैल रॅड...?” शाजिया के चूतड़ों पर जोर से चपत जमा कर नजीबा बेसब्री होकर दहाड़ी, “लैट मी ड्रिक योर पिस!” ।

“ओके-ओके... ये ले... हेअर इट कम्स... यू फकिंग स्लट' कहते हुए शाजिया ने अपनी एक अंगुली अपनी क्लिट पर रख कर इस तरह ऊपर खींची कि उसकी मूत्र-नली खुल कर उघड़ गयी और अचानक ‘हिस्स्स्स्स ’ सुसकारती हुई उसके तीक्षण-गंधित पेशाब की सुनहरी तेज़ धार फूट पड़ी। वो धार नजीबा के पूरे चेहरे पर टकरायी और उसके गालों और गर्दन से नीचे बह कर उसके लंबे बालों को भिगोने लगी।


नजीबा ने मुँह खोला ताकि वो अपनी सहेली के मूत की धार का स्वाद ले सके। उसे गरम और नमकीन पेशाब का तीखा स्वाद अच्छा लगा। तीक्ष्ण दैहीक महक और स्वाद नजीबा की वासना भड़काने लगे। नजीबा ने अपना मुँह शाजिया की बरसती चूत पर चिपका दिया और अपने दोनों हाथ ऊपर शाजिया के चूतड़ों और कमर पर फिराते हुए गरम मूत गटकने लगी। उसकी नाक शाजिया की गाँद के छेद पर घिस रही थी।
 
थोड़े-थोड़े छलकाव के बाद शाजिया अपने मूत के बहाव को नियंत्रित करने लगी ताकि उसकी सहेली मुँह भर-भर कर उसका गर्म सुनहरी रस पी सके। और नशे में चूर नजीबा बेसब्री से अपने मुँह में छलकता मूत पी रही थी। इस सब की विकृतता उन दोनों में उनमाद और जुनून सा भर रही थी। शाजिया का मुत्राशय लबालब भरा था और उसका मूत लगातार बह रहा था। थोड़ी देर में नजीबा शाजिया के मूत के बहाव के सामने पिछड़ने लगी और साँस लेने के लिये उसने अपना मुँह शाजिया की चूत से हटा लिया। वो गर्म पेशाब फिर उसके चेहरे और गले पर बहने लगा।


शाजिया भी अब अपने मूत पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थी। उत्तेजना में उसके मूत का बहाव नजीबा के चेहरे पर और भी तेज़ हो गया और नजीबा की आँखों में और नाक में भी भर गया। नाक में मूत जाने से नजीबा का दम घुटने लगा तो वो खांसने और अपने मुँह में भरा मूत बाहर थूकने लगी।
"
नजीबा को खाँसते और छटपटाते देख शाजिया अपने घुटनों के बल आगे को झुक गयी और उसकी चूचियों और पेट पर गरम मूत बरसाने लगी। नजीबा जल्दी ही संभल गयी और उसने शाजिया के चूतड़ पकड़ कर अपने मुँह की तरफ खींचे और फिर से नमकीन मूत का स्वाद लेने लगी। शाजिया अब इस स्थिती में थी कि उसका मुँह नजीबा की चूत के ऊपर था। वो अपना चेहरा नजीबा की चूत पर झुका कर चाटने लगी।

ऊऊआआआआहहह, शाजिया की जीभ को अपनी चूत पर अचानक महसूस करके । नजीबा जोर से किकयाई। फिर मूत से आधे भरे मुँह से गरगराते हुए बोली, “ओह गॉड... मज़ा आ गया... धीरे-धीरे मूत रंडी... ऑय वांट टू ड्रिक एवरी ड्रॉप ऑफ योर पिस' और फिर उसने पहले की तरह ही अपना मुँह शाजिया की मूत छलकाती चूत पर चिपका दिया।
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शाजिया के मूत की धार पहले से मंद हो गयी थी और वो भी पागलों की तरह नजीबा की चूत चाट रही थी। जिस तरह नजीबा उसकी चूत पर होंठ चिपकाये अपनी जीभ चलाती हुई मूत पी रही, उससे शाजिया भी कामोन्माद के उत्कर्ष की तरफ अग्रसर हो रही थी। दोनों औरतों के मुँह से ‘ओंओंओं... आऔंआऔं' जैसी मस्ती भरी सिसकरियाँ फूट रही थीं।

शाजिया के मूत की धार धीरे-धीरे छितरा कर रिसाव में तबदील हो गयी। “आआआआआआआआओओओह... फक... यो...गिताआआआआआ अचानक शाजिया की कर्ण विदारक चींख निकली और वो अपनी चूत और चूतड़ नजीबा के चेहरे पर कुचलते हुए झनझना कर झड़ने लगी और मूत के अंतिम कतरों के साथ उसकी चूत ने बहुत सारा कामरस नजीबा के मुँह में छोड़ दिया।

- शाजिया की चूत के नीचे चेहरा कुचलने से नजीबा की नाक भी शाजिया की गाँड की दरार में
धंस कर दब गयी तो साँस लेने के लिये नजीबा का मुँह और चौड़ा खुल गया और शाजिया की चूत से स्खलित पूरा कामरस नजीबा की हलक में बह गया। अगले ही क्षण शाजिया की गाँड में से ‘पट-पट करके बहुत ही तेज़ और तीखी गंध वला गरम हवा जा झोंका निकल कर सीधे नजीबा की नाक में समा गया।
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वो तीक्षण गंध नजीबा के दिमाग में जोर से टकरायी और क्षणभर के लिये तो वो कुलबुला गयी पर फिर उसकी विकृत कामवासना भड़क उठी और साथ ही अपनी चूत में शाजिया की जीभ की हरकतों से वो भी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी। उसने अपने घुटने मोड़ लिये और उसकी कमर और गाँड भी ज़मीन से ऊपर उचक गयी और पूरा जिस्म अकड़ गया। उसने अपने निचले होंठ अपने दाँतों में दबा कर जोर से चींख मारी और अगले ही पल उसकी चूत में से गाढ़े कामरस के साथ कामोन्माद के प्रैशर के कारण छूटा मूत का फव्वारा झरने की तरह ऊपर उछल कर शाजिया के चेहरे से टकराया और फिर बाढ़ की तरह उसका गुनगुना मूत शाजिया के चेहरे और उसके स्वयं के पेट पर बहने लगा।
 
विकृत कामवासना से ग्रस्त दोनों औरतों ने जितना भी हो सके, मूत के कतरे चूसते हुए एक दूसरे की चूत को रगड़ना और चाटना ज़ारी रखा। अंत में शाजिया अपनी सहेली के ऊपर से हट कर उसकी बगल में ही मूत से सराबोर फर्श पर लेट गयी और दोनों ने एक दूसरे को आलिंगन में जकड़ लिया और एक दूसरे के होंठ चूमती हुई खिलखिलाने लगीं।

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दोनों सहेलियाँ कुछ देर तक उसी तरह नशे में चूर होकर छप्पर के फर्श पर पड़ी एक दूसरे का जिस्म सहलाती चुमती रहीं। दोनों पर चुदाई का भूत सा सवार था और कामाग्नि बुझने का नाम नहीं ले रही थी। थोड़ी देर बदहवास सी पड़ी रहने के बाद नजीबा अचानक धीरे से बैठती हुई शाजिया को देख कर मुस्कुरायी और फिर गधे के निकट खिसक कर गधे के लंड का वीर्य से सना, मलाईदार सुपाड़ा चाटने लगी। नजीबा उसे चाट-चूस । कर फिर से पत्थर जैसा सख्त करके खड़ा करने के लिये आतुर थी, ताकि वो भी अपनी चूत उस गधे के विशालकाय लंड से चुदवा सके।

शाजिया ने अपनी सहेली को गधे का लंड चाटते हुए देखा। हालाँकि शाजिया उसे मुँह से चूसन कर और फिर उससे अपनी चूत चुदवा कर दो बार गधे के आँड खाली करके सुखा चुकी । थी, फिर भी गधे का लंड अभी कुछ बड़ा था और उसमें कुछ कठोरता कायम थी।

गधा अपनी गर्दन पीछे घुमा कर अपनी टाँगों के नीचे घुटनों के बल झुकी हुई औरत का सिर अपने काले लंड के सुपाड़े के चारों और झूमते हुए देख रहा था।

“बड़ा ही चोदू गधा है... साला दो बार अपनी मलाई की दरिया बहा चुका है... और तू भी इसके विराट लंड से चुदवा कर ही मानेगी...?” शाजिया ने बैठते हुए नजीबा को छेड़ा।

नजीबा ने अपनी जीभ की नोक गधे के मूत-छिद्र में ठोक दी और अपने सिकुड़े होंठ माँस के लोथड़े पर फैला दिये। फिर अपनी सहेली की तरफ घूम कर, गधे का लंड अपने । गाल पर सटाये हुए नजीबा ने मुस्कुराते हुए जोर से सहमती में अपना सिर हिलाया।

गधे के लंड का सुपाड़ा जब नजीबा के गाल पे और फूल गया तो उसके माथे पर शिकन से बल पड़ गये। “ऑय होप... ऑय कैन टेक इट', वो बोली।

ओह.. तू मजे से ले लेगी इसका लंड... नजीबा'', शाजिया उसे ढाढ़स बँधाते हुए बोली, ये तेरे मुँह में समाया कि नहीं? और चूत तो मुंह से भी लचीली होती है... राइट ।


"तुझे बेहतर पता होना चाहिये... ऍड... चुदी तो तू है इसके लंड से?” नजीबा खिलखिलायी।

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“हाँ... गधे से चुदवाना एक तरह से.. यू नो... लूजिंग योर चैरी ऑल ओवर अगेन', शाजिया ने उसे बताया।
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नजीबा, जिसे साफ-साफ याद भी नहीं था कि उसका कौमार्य पहली बार कब टूटा था, उसकी भौंहें प्रश्नात्मक मुद्रा में तन गयीं।

ऑय मीन... इसका लंड इतना लंबा और मोटा है कि चूत के अछूते इलाकों तक पहुँच कर चोदता है, शाजिया ने समझाया। ये स्टार-ट्रेक की तरह चूत में अंदर जायेगा - जहाँ तक और कोई लंड पहले नहीं गया होगा ।

नजीबा हँसने लगी - पर उस ख्याल से वो और भी उत्तेजित हो गयी थी। अपनी चूत की । अछूती गहराइयों में गधे के विशाल लंड से चुदने का ख्याल उसे पागल बनाने लगा।

ओह, शिट -- चल इस चोद लंड को मेरी चूत में हँसते हैं। नजीबा बेसब्री से कराही। लेकिन जब वो अपने घुटने मोड़कर और अपनी कमर पीछे झुका कर गधे के नीचे खिसकी तो नशे में संतुलन नहीं रख पायी और कमर के बल लुढ़क गयी। उसने फिर कोशिश की पर नशे में चूर उसका शरीर बिना सहारे के उस स्थिति में टिक नहीं पा रहा था।

दोनों समझ गयी कि नशे की इस बदमस्त हालत में बिना सहारे के कमर पीछे झुका कर चोदना आसान नहीं होगा।
 
“ठहर साली... तू तो नशे में खुद को संभाल ही नहीं पा रही है... यू विल नीड सम सप्पोट, कहते हुए शाजिया भी झुमती हुई खड़ी हुई। उसकी खुद की हालत नजीबा से । ज्यादा अच्छी नहीं थी। वो बूरी तरह लड़खड़ाती छप्पर के दूसरे कोने में गयी जहाँ काफी सारा पुराना बेकार सामान पड़ा था। वहाँ उसे एक छोटा सा लकड़ी का तिपाया स्टूल दिखायी दिया तो उसने उसे उठाने की कोशिश की। जो औरत नशे में ठीक से चलने के भी काबिल नहीं थी वो उस स्टूल को कैसे उठाती। उसने नजीबा को बुलाया जो इतनी देर में फिर से गधे का लंड चाटने-चूमने लगी थी।

“अरे इधर आ... हेल्प मी विद दिस स्टल... साली चुदैल... लीव दैट डिक फोर ए मोमेंट..." शाजिया भुनभुनाती हुई बोली।

नजीबा ने बे-मन से गधे का लंड छोड़ा और ऊँची ऐड़ी की सैंडल में खटखट करती नशे में लड़खड़ाती हुई शाजिया के पास गयी। फिर दोनों किसी तरह गिरती-पड़ती वो स्ट्रल घसीटती हुई गधे के पास लायीं फिर नजीबा उस स्टूल को गधे के नीचे ठेल कर, अपनी कमर पीछे झुका कर उस छोटे से तिपाया स्टूल पर बैठ गयी। उसके सैंडल ज़मीन पर सपाट टिके थे और उसकी जाँचें और चूत ठीक उस गधे के विशाल लंड के सुपाड़े के स्तर पर थी। उसकी जाँचें चौड़ी खुली थीं और उसकी चूत गरम कढ़ाई की तरह थी खुली थी - चूत की गुलाबी पंखुड़ियाँ चौड़ी फैली थीं और चूत की तहें चूत-रस से भिगी हुई थीं।

शाजिया ने झुक कर नजीबा की क्लिट पर सात-आठ बार अपनी जीभ फिरायी। नजीबा उसकी जीभ का मज़ा लेते हुए उस लकड़ी के स्टूल पर कुलबुलायी पर वो लंड के लिये बेकरार थी।
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“इसका लंड मेरी चूत में घुसेड़ दे, शाजिया, नजीबा ने निवेदन किया।

शाजिया ने कुहनी मोड़ कर अपनी बाँह लंड के सुपाड़े के बिल्कुल पीछे से लंड की छड़ के इर्द-गिर्द लपेट कर वो काला लंड अपनी सहेली की जाँघों के बीच में ठेल दिया। जब नजीबा को अपनी खुली चूत पर गरम लंड टकराता महसूस हुआ तो वो ठिनठिना उठी। उसकी क्लिट से भाप सी उठ रही थी और चूत भी गरम हो कर दहक रही थी। उसकी जाँचें और चूत के आसपास का हिस्सा चूत-रस और थूक से तर था और गधे के लंड का सिरा धड़कता हुआ उसकी जाँघों के बीच में फिसलने लगा। नजीबा ने सिर उठा कर अपनी चूचियों के बीच में से नीचे झाँका। गधे के लंड का सुपाड़ा उसे अपनी जंघाना से। भी बड़ा प्रतीत हुआ और हालांकि वो शाजिया को उससे चुदते देख चुकी थी, फिर भी उसे पूरा विश्वास नहीं था कि वो लंड उसकी चूत में अंदर नहीं समा सकेगा।


पर शाजिया तो बेहतर जानती थी। गधे के लंड को अपनी कुहनी के मोड़ में जकड़े हुए, शाजिया ने दूसरा हाथ नजीबा की चूत पर ले जाकर अपनी अंगुलियों और अंगूठे से नजीबा की चूत की पंखुड़ियाँ इस तरह फैलायीं जैसे कि एलास्टिक का बैग खोल रही हो। फिर शाजिया अपनी सहेली की चूत की लचीली पंखुड़ियाँ गधे के लंड के सुपाड़े पर खींचने लगी। नजीबा आहें भरने लगी। उसकी चूत रबड़ की तरह लंड पर खिंच रही थी और चूत की पंखुड़ियाँ फैल कर तरंगित होने लगी। शाजिया ने थोड़ा सा पीछे खींच कर अपनी कुहनी से फिर वो लंड नजीबा की चूत में आगे धकेला। लंड का सिरा अंदर गया और उसके पीछे बड़ा सा सुपाड़ा नजीबा की चूत की लचीली तहों में से धीरे से अंदर फिसल गया। गधे के लंड का काला बड़ा सुपाड़ा पूरा अलोप हो गया।



होली शिट” नजीबा ने आह भरी जब उसे अपनी चूत के अंदर गधे के लंड का गरम मोटा सुपाड़ा धड़कता हुआ महसूस हुआ। उसकी चूत की पंखुड़ियाँ लंड की शाख पर पट्टे की तरह कस कर जकड़ गयीं और मलाईदार चूत के अंदर फड़कती टोपी के नीचे उस लंड-शाख को खींचने और चूसने लगीं।

और..और लंड घुसेड़ो... गिव मी मोर..” वो चुदैल औरत चिल्लाने लगी।
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शाजिया ने अपनी सहेली की चूत छोड़ दी और अपनी बांहें नीचे ले जाकर उसके चूतड़ों को पकड़ लिया। गधे ने एक झटका दिया तो नजीबा के नीचे का लकड़ी का स्टूल अपने तीन पायों पर चरमाराता हुआ खिसकने लगा। किंतु शाजिया ने अपनी सहेली को एक जगह। स्थिर पकड़ा हुआ था। गधे ने फिर एक झटका लगाया और अपना लंड और दो-तीन इंच नजीबा की चूत में ठेल दिया। नजीबा का सिर अब स्टूल से नीचे ज़मीन पर टिका था और वो मस्ती और विस्मय से अपना सिर झटका रही थी। उसकी चूत की दीवारें चौड़ी, और चौड़ी फैल कर गधे के लंड के सुपाड़े और शाख के इर्द-गिर्द सांचे की तरह ढल रही थीं। चूत की पेशियाँ भी तरंगित हो कर लंड पर खिंचाव डाल रही थीं।
 
गधे ने धक्का मार कर अपना और लंड उसकी चूत में ठेला तो नजीबा मस्ती से चिहुँकने
और कराहने लगी। शाजिया की बात अब उसे सच लग रही थी। गधे के लंड का सुपाड़ा अभी से चूत में इतनी गहरायी में था जहाँ पहले कभी कोई लंड नहीं पहुँचा था। उसकी चूत-गुफा पहली बार इतनी चौड़ी फैली थी जबकि गधे के लंड की काफी शाख अभी भी चूत के बाहर थी और करीब फुट भर मोटी काली नली उसकी भरी हुई चूत और गधे के फुले हुए टट्टों के बीच नज़र आ रही थी।
घुरघुराते हुए और अपना सिर झटकाते हुए गधे ने फिर धक्का मारा। गधे का जिस्म पसीने से लथपथ था और उसका लंड नजीबा की चूत में से बह रहे रस से लथपथ था। उसके लंड ने फिर जोर से अंदर झटका दिया और उसका सुपाड़ा नजीबा की चूत में गहरायी में अंत तक पहुँच गया। वो विराट लंड और आगे तक नहीं जा सकता था। नजीबा की चूत पूरी गहरायी तक भरी थी और फिर भी करीब एक फुट लंड-शाख उन दोनों के बीच में निकली हुई थी। लेकिन नजीबा की चूत में इतना लंड भरा था जितना उसने पहले कभी अपनी चूत में नहीं लिया था और उस चुदैल औरत को कोई एतराज या गिला नहीं था।


नजीबा जोर-जोर से मस्ती में कराहने लगी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी चूत तेल के कुँए की तरह ड्रिल हो गयी हो। गधा उसकी चूत में अपने लंड की पूरी पैंठ बनाये हुए था और उसके पुठे फड़क रहे थे। तिपाया स्टूल पर कुलबुलाती और कसमसाती हुई नजीबा की चूत उसके धंसे हुए लंड पर खिंच रही थी।
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गधे ने रेंकते हुए अपने एक खुर से ज़मीन पर टाप की और उसका फिछवड़ा पीछे की और झटक गया। उसका लंड नजीबा की चूत में इतना कस कर फंसा था कि उसकी चूत में से बाहर निकलने की बजाये उसने अपने झटके के साथ नजीबा के चूतड़ ही घसीट। लिये। पर नजीबा के ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल भी ज़मीन पर मजबूती से टिके थे और उसकी मदद कर रही उसकी सहेली ने उसके चूतड़ एक जगह पर स्थिर पकड़े हुए थे। ताकि जब गधे ने पीछे झटका लिया तो उसका लंबा लंड धीरे से नजीबा के चूत में से बाहर फिसलने लगा। नजीबा की चूत के तहें उस लंड पर जकड़ती हुई उस खिसकती लंड-शाखा पर फैलने लगीं। उसकी चूत में से कुचलने-पिचकने जैसी की आवाज़ निकली।
आ गधे ने अपना लंड इतना बाहर खींचा कि उसकी टोपी ही चूत के अंदर रही और फिर एक
पल रुक कर फिर अपना गदा जैसा मूसल लंड चूत में अंत तक ठोक दिया। जब उसकी चूत के मर्म तक गधे का लंड भर गया तो नजीबा की गाँड ऊपर की तरफ ढलक गयी।

उस गधे ने अब लगातार अपना लंड नजीबा की चूत में पेलना चालू कर दिया। नजीबा भी उसके धक्कों के साथ हिलती हुई अपनी चूत नीचे ढकेल कर उसके धक्कों का साथ देने लगी और जब गधा अपना लंड बाहर खींचता तो वो अपनी गाँड और चूतड़ लकड़ी के
स्टूल पर गोल-गोल पीसने लगती। गधे के आँड लंड की जड़ में अंदर बाहर झूल रहे थे। | उसका मुस्टंडा लंड जब बाहर उभरता तो उस पर नजीबा के चूत-रस की धारियाँ दौड़
रही होती और वो लंड चिकना और चिपचिपा होकर चूत रस से चिकनी हुई चूत में जोर-जोर से अंदर-बाहर चोदने लगा।।
“ओह! ओह! ओहहह आह आआह?” नजीबा लगातार कराह रही थी। शराब और वासना के नशे में चूर उसके दिमाग को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि गधे के लोहे जैसे सख्त लंड के चूत में अंत तक चोदने से उसे इतना आनंद मिल रहा था। वो मस्ती से पागल हुई जा रही थी।


शाजिया अभी भी नजीबा के चूतड़ पकड़े हुए उसे गधे के चोदते लंड पर स्थिर रखने की कोशिश कर रही थी जबकि नशे में उसे खुद को भी स्थिर रखने में मुश्किल हो रही थी। उसने झुक कर गधे के लंड की शाख से नजीबा का चूत रस चाटा और फिर अपना सिर झुका कर अपनी सहेली की फूटती हुई क्लिट को चाटने लगी। गधे का लंड शाजिया के होंठों से फिसलता हुआ नजीबा की चूत में जितना अंदर तक हो सके चुदाई कर रहा था।
 
नजीबा उस गधे के लंड पर झनझनाती हुई झूल रही थी और उसका पूरा जिस्म ज़बरदस्त काँप और थरथरा रहा था। उसकी चूत ने बहुत सारा रस छोड़ा तो वो जोर से चींख पड़ी। गधे ने अपना लंड कस कर अंदर हँसते हुए उसकी चूत को कगार तक भर दिया और चूत-रस को चूत से बाहर रिसने के लिये कोई जगह नहीं छोड़ी। वो गरम चूत-रस बवंडर की तरह नजीबा की चूत में घुमने लगा और गधे का लंड इस तरह हलकार रहा था जैसे बहते हुए लावा में कोई बड़ा काला बोल्डर तैर रहा हो।

नजीबा एक बार फिर झड़ी और अपनी चूत और जाँघों को ताकने लगी। उसे लग रहा था ।
कि इतने सारे चूत रस के बाहर ना निकल पाने से कहीं उसका पेट गुब्बारे की तरह ना आफूल जाये। गधे ने अचानक जोर से पीछे झटका लिया और अपने लंड के साथ नजीबा
की चूत के पंखुड़ियाँ भी पीछे खींच लीं। चूत के पेशियाँ लरज उठीं और बहुत सारा चूत रस झाग बन कर बाहर निकल पड़ा।

गधा अब पूरी व्यग्रता से अपना लंड नजीबा की चूत में दागता हुआ चोद रहा था क्योंकि उसके खुद का कामोन्माद का चरम नज़दीक आ गया था। उसने एक बार इतनी ताकत से अपना लंड अंदर पेला कि नजीबा की गाँड लकड़ी के स्टूल से ऊपर उठ गयी। वो इतनी जोर से थरथराया कि उसके लंड के आखिर में चिपकी नजीबा का जिस्म भी काँप उठा। नजीबा की चूचियाँ उछल पड़ीं, उसका जिस्म झनझनाने लगा और उसकी हड्डियाँ चरमरा उठीं।

नशे में चूर नजीबा मुर्छित सी होने लगी क्योंकि उसकी सारी शक्ति, उसकी ताकत, उसके बहु-कामोत्कर्षों में बहने लगी थी। गधे के लंड को अपनी चूत की मलाई से लथपथ करती हुई उसकी चूत पिघल कर लंड के शाख के ढाँचे पर प्लास्टर की तरह चिपकने लगी।


“मैं. मैं... आआआह... ऑय एम कमिंग... ओह...?” नजीबा गलगल करती बोली।

लेकिन शाजिया को अपनी सहेली की हालत से पहले ही उसके बार-बार झड़ने की खबर थी और वो गधा भी, जिसके घड़घड़ाते लंड पर नजीबा की चूत पिघल रही थी, यह बात जान गया था। शाजिया भी यह नज़ारा देख कर बहुत उत्तेजित हो गयी थी और उसका जिस्म नशे में चक्कराने लगा था। इसलिए वो नजीबा को संभालने की बजाये स्वयं एक तरफ पसर कर अपनी चूत को अँगुलियों से चोदने लगी।
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जैसे-जैसे उसके गर्दभ जननांगों में रोमांच बढ़ने लगा, वो नजीबा की मलाईदार कढ़ाई में दृढ़ता से अपना लंड पेल कर उतनी ही जोर से चोदने लगा। उसके आँड इस समय इतने भारी हो गये थे कि उसके पिछवाड़े को अपने वजन से नीचे खींचते महसूस हो रहे थे। और उसके लंड के धक्के भी नीचे से ऊपर की तरफ लगते महसूस हो रहे थे और नजीबा को ऊपर-नीचे उठा-झुका रहे थे। नजीबा के नीचे वो लकड़ी का तिपाया स्ट्रल बूरी तरह चरमराता हुआ हिलने लगा था और अचानक असंतुलित हो कर पलट कर एक तरफ गिर गया। नजीबा धड़ाम से ज़मीन पर टकरायी और उसका लचिला, सुडौल बदन साँप की तरह ज़मीन पर ऐंठने और मरोड़ने लगा पर उसकी लंड-भरी चूत हवा में उँची उठी हुई थी। उसने अपने घुटने मोड़ कर अपने सैंडल युक्त पैर ज़मीन पर सपाट रखे हुए अपने कंधे ज़मीन पर टिका दिये और अपने कुल्हे हवा में उठा कर अपने चूतड़ झुलाने लगी। गधे का मोटा मूसल लंड नजीबा को उछालते और पछाड़ते हुए उसकी चूत चोद रहा था। गधे के लंड की पेशियाँ और नाड़ियाँ जोर से धड़क रही थीं और नजीबा उस बृहत लंड के सिरे पर ऊपर-नीचे झूल रही थी।
 
गधे ने अपनी गर्दन के बाल लहराते हुए अपना सिर जोर से ऊपर झटका। उसकी आँखें बिल्कुल सफ़ेद और पाश्विक लग रही थीं। उसके पुठे जोर से हिलने लगे और वो अपना लंड इंधन की तरह नजीबा की मलाईदार भट्ठी में ठेलने लगा। नजीबा भी झड़ती, फिर संभलती और फिर बार-बार झड़-संभल रही थी। गधे का शीर्ष नज़दीक आने लगा तो उसका लंड और भी फूल गया। नजीबा को ऐसा लग रहा था जैसे लकड़ी के लट्टे से चुद रही हो, जैसे कि तोप की नाल उसकी चूत में ठेल दी गयी हो और वो अब बेसब्री से उस तोप के विस्फोट का इंतज़ार कर रही थी।

“चोद मुझे... गधे.. फ़क मी.. चोद’ नजीबा चिल्लायी, “भर दे मेरी चूत अपनी मलाई ।


से... क्रीम मॉय कन्ट यू फकिंग डॉन्की ।
- गधा जोर से रेंका और उसके जबड़े से थूक के छींटे उड़ गये। गधे के टट्टों में विस्फोट हुआ और नजीबा की चूत में कूटती हुई लंड-शाख में से प्रबल ज्वार-भाटे की तरह उसका वीर्य दौड़ पड़ा।
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आआआआईईईईईईईईईईईई...” नजीबा की कर्णवेधी चींख निकली जब उसे अपनी चूत की गहराइयों में गधे का वीर्य बर्बरता से बहता महसूस हुआ। उसकी चूत भी अपनी मलाई छोड़ने लगी। अपना सिर और कंधे ज़मीन पर टिकाये हुए नजीबा ने अपनी टाँगें। ऊपर उछाल कर अपनी जंघे गधे के इर्द-गिर्द लपेट लीं और अपनी चूत में दफन उसके वीर्य छिड़कते लौड़े पर झटकती और ऐंठती हुई वो उस हलब्बी लंड पर तांडव सा करती हुई सवारी करने लगी। गधे ने अपने लंड के छिद्र से वीर्य दागते हुए अंदर धक्का लगाया और नजीबा की गाँड और ऊची उठा दी। फिर गधे ने अपना लंड पीछे खींचा तो नजीबा के कुल्हे नीचे ढलक गये और उसकी चूत लंड के सिरे तक नीचे फिसल गयी। गधे ने फिर जोर से अंदर ठेला और नजीबा की चूत फिर झटके के साथ ऊपर चढ़ गयी और लंड के छिद्र से गाढ़े वीर्य की नयी धार फूट पड़ी।

गधे का वीर्य-कोष अनन्त लग रहा था और उसके आँड कभी ना सूखने वाले प्रतीत हो रहे। थे। गधे के लंड के हर धक्के के साथ गरम वीर्य नजीबा की चूत में बह रहा था और नजीबा भी अपनी चूत में फूटते वीर्य के प्रत्येक फव्वारे को महसूस करके झड़ रही थी। अंत में गधे का लंड डगमगाने लगा और नजीबा की चूत में वीर्य की एक आखिरी धार दाग कर ढीला पड़ गया। गधा अपनी टाँगें चौड़ी फैलाये हुए खड़ा था और उसका पुष्ट जिस्म थरथरा रहा था। उसका लंड ऊपर-नीचे झूमने लगा तो नजीबा भी उसके सिरे से जुड़ी ऊपर-नीचे हिलने लगी। गधे के लोहे जैसे विराट लंड के मुकाबले नजीबा का वजन तुच्छ था।

गधे का लंड फिर नीचे लटक गया और नर्म पड़ना शुरू हो गया। नजीबा की चूत धीरेधीरे उसके लंड के सुपाड़े की तरफ नीचे फिसलने लगी। नीचे फिसलते हुए उसकी चूत लंड-शाख के हर भाग पर चिपकती हुई चूस रही थी। लंड के सिरे तक फिसलने के पश्चात वो कुछ क्षण उससे लटकी रही। उस फड़कते लंड पर उसने अपनी गाँड ऊपर नीचे झटकायी और फिर धीरे से वो उसके लंड से अलग हो गयी।

नजीबा की गाँड धप्प से ज़मीन पर टकरायी और उसकी खुली चूत में से उसका चूतरस और गधे का बहुत सारा वीर्य प्लावित होकर ज़मीन पर फैलने लगा। उसकी सहेली, - शाजिया भी अपनी चूत को अंगुलियों से चोदती हुई कुछ ही देर पहले झड़ी थी और नशे में अचेत सी पड़ी हुई वो नजीबा को देख कर मुस्कुरा रही थी।

अपनी सहेली की चूत से मलईदार रस ज़मीन पर बहता देख, शाजिया एक झटके में खिसककर चित्त पड़ी नजीबा की बुरी तरह चुदी चूत पर मुँह लगा कर वीर्य-पान करने लगी। वो नजीबा की चूत में से चूस-चूस कर वीर्य पी रही थी। कुछ देर बाद जब नजीबा ने अपनी आँखें खोलीं तो देखा की शाजिया उसकी चूत में से सारा वीर्य चूस लेने के बाद अब उसकी टाँगों, पैरों और सैंडलों पर लिसड़ा गधे का वीर्य भी चाट रही थी।
 
“साली रॉड! सब पी गयी. मेरे लिये कुछ तो छोड़ देती..” नजीबा धीरे से मुस्कुराती हुई फुसफुसायी।

अरे यार... अभी तो बहुत है... देख तेरी टाँगों के बीच में फर्श पर कितना पड़ा है," शाजिया ने बे-सब्री से नजीबा के सैंडलों पर से वीर्य चाटते हुए जवाब दिया।

नजीबा भी घूम कर वैसे ही ज़मीन पर फैला गधे का वीर्य चाट कर उसका स्वाद लेने लगी। करीब दस मिनट तक सारा वीर्य चाटने के पश्चात दोनों चुदैल औरतें बुरी तरह लड़खड़ाती उस छप्पर से निकलीं। दोनों गिरती-पड़तीं शाजिया के बेडरूम में पहुँचीं।

“यार... बैंक गॉड ऑय केम टू यू... इतनी अच्छी छुट्टियाँ तो मैंने कभी नहीं बितायी... मजा आ गया... अब तो मैं कम से कम हफ्ते भर और रुक कर मज़ा लूगी... क्या ख्याल है...” नजीबा अपनी सहेली के वीर्य से चिपके होंठ चूसती हुई बोली।

श्योर मॉय डार्लिंग... मैं तो सुबह फिर से उस गधे से अपनी गाँड मरवाने की सोच रही हूँ... इमैजिन हाऊ इट वुड फील लाइक बींग फक्ड इन ऐस बॉय एन ऐस.." शाजिया हँसी।

नजीबा ने शाजिया के चूतड़ों पर हाथ फिरते हुए उसकी गाँड में धीरे से अंगुली डाली और बोली, “वॉव... इट वुड भी फन... यार एक बात बता... और कौन से एनिमल मिल सकते हैं चुदाई के लिये इस फार्म पर... ऑय मीन गोट पिग, बुल.. व्हॉट अबाउट हॉर्स?"


दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी और कुछ देर एक-दूसरे को चूमने सहलाने के बाद सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी, एक-दूसरे से लिपट कर सो गयीं।



॥ दोनों सहेलियों की विकृत चुदास जिंदगी का प्रारंभ ॥

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