non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ - Page 7 - SexBaba
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non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ

इसके अतिरिक्त, उसकी मालकिन के ऊपर उसकी हम-उम्र सहेली झुकी हुई, उल्टी हो कर उनहत्तर की मुद्रा में सवार थी। उसने देखा कि शाजिया मैडम की जीभ अपनी सहेली नजीबा की रसभरी चूत में लपलपा रही थी और अपना सिर एक तरफ तिरछा करके राज ने देखा कि नजीबा की जीभ भी लोलुप्ता से गधे के लौड़े और शाजिया की चूत पर फिर रही थी। वो खुद भी चूत चाटने का शौकीन था, इसलिये चूत के चाटने का मोह समझ सकता था - लेकिन वो उन दोनों औरतों के संबंध से जरूर चकित था। राज की आँखें पूरा रस ले रही थीं और उसका दिमाग उस कामुक विकृत दृश्य में बह रहा था। लेस्बियन और पशु-मैथुन जैसी विकृत यौन-क्रियायें एक साथ उसके सामने थी।

अब वो हक्काबक्का नौकर मुस्कुराया और उनके करीब बढ़ गया। अपनी चुदाई में लीन, दोनों औरतों को उसकी उपस्थिति का आभास नहीं हुआ और, हालांकि उस गधे ने उसे देखा पर उस मुर्ख जानवर ने उसकी परवाह नहीं की। राज उनके और भी करीब आ गया।

उसके कानों में खून जोर से प्रवाहित हो रहा था और उसे अपनी मालकिन की चूत में आ गधे के लंड के ऊँफकारने की आवाज़ सुनायी दी। एक-दूसरे की चूत में राल टपकाती
हुई उन औरतों के सुड़कने की आवाज़ भी उसे सुनायी दी। एक बात राज के ज़हन में शीशे की तरह साफ थी... उसके सामने चल रही चुदाई जितनी विकृत, पतित और अश्लील थी, इस समय राज के उसमें शरीक होने से वो चुदाई और अधिक विकृत नहीं हो सकती थी।
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हालांकि उसे खुद से अपनी मालकिन के साथ चुदाई की पहल करने की छूट नहीं थी पर दो जवान चुदक्कड़ औरतें जो जानवरों के लंड चूसती हों और उनसे चुदवाती हों -- और एक दूसरे को भी चूसती और चोदती हों, ऐसी औरतों के सामने होने से राज को काफी हिम्मत मिली। राज ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और धीरे से आगे बढ़ते हुए उसने अपना लंड और गोटियाँ बाहर निकाल लीं। वो एक अज्ञात डर और उत्तेजना से बूरी तरह काँप रहा था। राज आकर नजीबा के पीछे खड़ा हो गया। उसका लंड नजीबा की झटकती हुई गाँड के ठीक ऊपर टॉर्च की तरह खड़ा था। सुबह जब नजीबा आयी थी तो उसकी सुंदरता और उसका सुडौल जिस्म देख कर राज का लंड खड़ा हो गया था पर उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे इस सुंदरी को चोदने का मौका मिलेगा।


अब अपनी शाजिया मैडम के ऊपर घूमे हुए सिर के दोनों तरफ अपने टाँगें रख कर झुकते हुए उसका दिल उत्तेजना से जोर से धड़क रहा था। उसका लंड जब नजीबा के चुतड़ से छुआ तो नजीबा के चिकने चुतड़ उस दहकते लंड की गर्मी से तमतमा गये। राज ने उसे उसके कसमसाते चूतड़ों से पकड़ लिया।।

नजीबा ने चौंक कर अपनी सहेली की टाँगों के बीच में से अपना सिर उठाया तो उसका चेहरा शाजिया के चुत रस से सना हुआ था।

राज???” नजीबा जोर से किकियाई।

शाजिया ने भी अपनी आँखें खोलीं तो अपने चमकते चेहरे के ठीक ऊपर अपने अर्दली के बड़े टट्टों को झूलते हुए पाया। उसने चौंक कर चखना शुरू किया पर सिर्फ एक शब्दहीन ध्वनि शाजिया के मुँह से निकल कर नजीबा की चूत में ऊपर बुदबुदा गयी।
 
फिर राज ने अपने लंड का सुपाड़ा अपनी मालकिन की सहेली की चूत में घुसा दिया और एक-दो पल रुक कर पूरा लंड अंदर ठाँस दिया। नजीबा की चूत पहले ही इतनी गीली थी कि राज का बड़ा मोटा लंड बहुत आराम से अंदर घुस गया। राज ने धुंआधार चुदाई शुरू कर दी। उसका लंड नजीबा की चूत में अंदर बाहर होता हुआ शाजिया । के होंठों में से गुजर रहा था और राज के लंड से नजीबा की चूत का रस चाटते हुए शाजिया ने उन दोनों को एक साथ चूसना शुरू कर दिया। शाजिया की खुद की चूत पहले से ही गधे के लंड पर झड़ती हुई मलाई छोड़ रही थी और वो इस समय परिणाम की चिंता करने के मूड में नहीं थी।


ना ही नजीबा को कुछ फिक्र थी। जैसे ही उसे राज का लंड अपनी चूत में पिलता। महसूस हुआ, वो मज़े से चिल्लायी और फिर अपना सुंदर चेहरा अपनी सहेली की गधे के लंड से भरी चूत पर झुका दिया और दोनों छोरों से मिल रहे मज़े से मतवाली हो कर मज़े से गधे का लंड और शाजिया की चूत चाटने लगी।।

गधा भी शारीरिक मज़े के अलावा हर बात से अंजान हो कर खुशी से चोद रहा था। जब शाजिया की चूत झड़ने के बाद अपनी मलाई से भर गयी तो उसकी चिकनाहट पाकर गधे का विशाल लंड और भी तेजी से अंदर बाहर चोदने लगा। उसके आँड फुल गये और झूलते हुए नजीबा की ठुड्डी पर चपत लगाने लगे। जब राज ने नजीबा की चूत में ज़ोरदार झटके मारते हुए उसकी दिल की आकार की गाँड ऊपर उठायी तो नजीबा का सिर ऊपर नीचे झटकने लगा।

घरघराते हुए उस गधे ने बहुत जोर से धक्का मार कर अपना लंड शाजिया की चूत में ठेला और उसके आँड फूट पड़े। उसी समय शाजिया के होंठों से बहुत ही भयानक और दिल दहला देनी वाली चींख निकली जब शाजिया को अपनी चूत में गधे के लंड से छूटती वीर्य की पहली पछाड़ महसूस हुई। उस इकलौती पछाड़ से ही शाजिया की चूत और गर्भाशय भर गये और गधे ने तो झड़ना अभी सिर्फ शुरू ही किया था। उसने वीर्य की पछाड़े एक के बाद एक छोड़नी ज़ारी रखीं। वीर्य की दूसरी पछाड़ के बाद ही शाजिया की चूत के किनारों से वीर्य बाहर बहना शुरू हो गया।

कोई भी मौका ना छोड़ते हुए नजीबा झुक कर शाजिया की चूत में से बाहर बहता हुआ गधे का वीर्य भुखमरी की तरह निगलने लगी। वीर्य के अनुठे स्वाद और गंध से नजीबा की उत्तेजाना और परवान चढ़ गयी और उसकी खुद की चूत भी झड़ कर राज के लंड पर मलाईदार रस की बौछार करने लगी। सालीम को नजीबा की चूत पिघलती हुई महसूस हुई तो उसने नजीबा को कुल्हों से पकड़ पीछे खींच कर अपना लंड जड़ तक उसकी चूत में पेल कर अपना खौलता हुआ वीर्य उसकी चूत में सैलाब की तरह बहा दिया।

गधा शाजिया की चूत में वीर्य की पिचकारी दाग रहा था और राज नजीबा की चूत में गधे की तरह ही अपने वीर्य की पछाड़ के बाद पछाड़ छोड़ रहा था। गधा इंसान की तरह घुरघुराया और वो इंसान उस गधे की तरह। दोनों मिल कर एक ताल में अपने आँड खाली कर रहे थे और दोनों औरतें ज्वालामुखी की तरह फूट कर झड़ती हुई चींख रही थीं। राज ने अपना लंड नजीबा की चूत से निकाला तो नजीबा ने अपनी चूत शाजिया की चेहरे पर झुका दी। शाजिया लोलुप्ता से अपनी सहेली की मलाईदार कटोरी से राज का वीर्य चूसने लगी।

अपनी चूत में गधे के गर्म गाढ़े वीर्य के गिरने से उत्तेजित हो कर शाजिया जोर से काँप रही थी। राज थक कर एक तरफ निढाल हो गया। उसका लंड नजीबा की चूत ने इस कद्र निचोड़ा था कि वो बे-जान सा हो कर बिल्कुल मुझ गया था। करीब दस मिनट तक नजीबा उसी स्थिति में अपनी सहेली की चूत से रिसता हुआ गधे का वीर्य पीती रही। गधे के वीर्य के अनूठे स्वाद और गंध से उसकी वासना और भड़क रही थी। शाजिया की चूत से इतना वीर्य बाहर रिस रहा था कि कहीं अंत नज़र नहीं आ रहा था। गधे का गाढ़ा वीर्य । इतनी देर से निगलते हुए नजीबा थकने लगी थी। उसने अपना सिर उठा कर देखा कि इतने चाव से वीर्य निगलने के बावजूद बहुत सारा वीर्य शाजिया की जाँघों और टाँगों से बह कर ज़मीन पर इकट्ठा हो रहा था। शाजिया के टाँगें और हाई-हील सैंडलों से युक्त पैर उस चिपचिपे वीर्य से सन गये थे। शाजिया अभी भी सिसकती हुई बीच-बीच में चींख पड़ती थी और नजीबा के ठोस चूतड़ों में अपनी अंगुलियाँ गड़ा देती।
 
नजीबा अपनी सहेली के ऊपर से किनारे हटी तो अपने चूत-रस से सना उसका चेहरा और खुला मुँह देख कर उसके मन में एक ख्याल आया। उसने अपना चेहरा एक बार फिर गधे के लंड से भरी शाजिया की चूत पे झुका कर बहुत सारा मलाईदार वीर्य अपने मुँह में भरा पर उसे पिया नहीं, बल्कि शाजिया के चेहरे के पास आ कर उसके मुँह में अपने मुँह से गधे का वीर्य उड़ेलती हुई उसे लंबा, दीर्घ चुंबन देने लगी।
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जब शाजिया को एहसास हुआ की उसके मुँह में गधे का वीर्य बह रहा है तो बड़े उत्साह से पी गयी। जब नजीबा के मुँह में वीर्य खत्म हो गया तो उसके बाद भी दोनों के होंठ आपस में चिपके रहे और फ्रेंच चुंबन करते हुए दोनों की जीभें आपस में गुत्थमगुत्था होने लगीं। दोनों एक दूसरे की चूचियाँ मल रही थीं जोकि पिछले घंटे भर से चल रही । उनकी विकृत चुदाई के कारण कठोर थीं।

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आखिरकार, उस रोमांचक किंतु विकृत चुदाई का अंत आ गया। वो गधा शाजिया की जकड़ी हुई चूत में से अपना लंड बाहर खींचने लगा। शाजिया की चूत के मुकाबले लंड का इतना बड़ा आकार होने के कारण, गधे के पीछे हटने से शाजिया का जिस्म भी उसके साथ घिसटने लगा। उन दोनों को अलग होने में सहायता के लिये नजीबा को शाजिया को पकड़ । कर रखना पड़ा।


शेंपेन की बोतल के कॉर्क की तरह गधे का लंड अंत में शाजिया की चूत में से ‘तड़ाक’ की आवाज़ के साथ बाहर निकल आया और साथ ही शाजिया की चूत से गधे के वीर्य की तेज़ धार बाहर बह कर ज़मीन पर दलदल की तरह इकट्ठा होने लगा। शाजिया जोकि इतनी देर से अपनी कमर मोड़ कर सिर्फ अपनी टाँगों के सहारे थी, वहीं पर वीर्य के कीचड़ में कमर के बल लेट गयी। उसे अपने जिस्म पे गर्धब-वीर्य का एहसास बहुत मादक लग रहा ।


था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो मलाई के तालाब में नहा रही हो। उसने अपने जिस्म पे वो सफ़ेद द्रव्य मलते हुए अपनी सहेली की तरफ देका और अपनी अंगुली के इशारे से नजीबा को अपने साथ शामिल होने का निमंत्रण दिया।

नजीबा कामुक्ता से मुस्कुरायी और शाजिया की बगल में आ गयी। शाजिया ने थोड़ा सा खिसक कर नजीबा को अपनी बगल में, सूख कर गाढ़े बनते हुए वीर्य के कीचड़ में लिटा लिया। नजीबा वीर्य के उस कीचड़ में अपनी गाँड हिलाने-डुलाने लगी और अपनी चूचियों पर भी वीर्य उछाल कर मलने लगी। फिर दोनों विकृत औरतें एक दूसरे का जिस्म चाट कर गर्धब-वीर्य का रस लेने लगीं।
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राज एक तरफ बैठा काफी देर से उन दोनों छिनाल औरतों की बेहुदा और विकृत हरकतें देख रह था। दोनों औरतों पर चुदाई और विकृति का जुनून सा सवार दिख रहा था। उसका लंड एक बार फिर तन गया था पर गधे के वीर्य में लथपथ उन चुदक्कड़ सहेलियों के पास जाने का उसका कोई इरादा नहीं था। हालाँकि उन दोनों का फूहड़ और गंदा खेल उसे उत्तेजित कर रहा था पर खुद उस गधे के वीर्य को छूने के ख्याल से भी उसे नफ़रत हो रही थी। इसलिए वहीं दूर बैठे-बैठे वो उन औरतों का विकृत नाच देखते हुए मुठ मारने लगा।


उन दोनों चुदक्कड़ औरतों की हवस देख कर वो सोचने लगा कि इस समय इस गधे और उन दो कुत्तों की बजाय किसी आदमी को अगर अकेले इन औरतों के सुपुर्द कर दिया जाये तो ये दोनों उसे निचोड़ कर उसकी जान ही ले लें और फिर भी इनकी हवस को । इतमीनान ना हो। यह सब सोचते हुए और सामने का कामुक मंज़र देखते हुए उसके लंड ने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। फिर वो संतुष्ट होकर थका-हारा वहाँ से निकल कर अपने क्वार्टर में चला गया। उसे दोनों सहेलियों की आँखों में वासना दिख रही थी और उसे यकीन था कि जल्दी ही दोनों फिर चुदाई के लिये तैयार जो जायेंगी और उसमें अब और चुदाई के लिये ताकत बकी नहीं थी।

राज का अंदेशा सही था। ।

एक दूसरे के बदन से वीर्य चाट लेने बाद दोनों वहीं पसर गयीं। एक ख्वाबी मुस्कुराहट शाजिया के सुंदर चेहरे को निखार रही थी। वो अभी भी अपने झड़ने की प्रचंडता से सुन्न थी और गधे के वीर्य की प्रचुरता से हैरतअंगेज़ थी जो उस गधे ने उसकी चूत में पंप किया था।

“ऊहहह.. मजा आ गया यार.. चूत का हर हिस्सा, हर रेशा निहाल हो गया... एंड सो मच स्पंक... कैन यू इमैजिन...', शाजिया ने अंगड़ायी लेते हुए कहा।।

“हाँ यार.. अनबिलिवेबल... कितना डेलिशस टेस्ट है इसका... और इतना बड़ा लंड... चूत के अंदर लिया कैसे तूने... बड़ी चुदक्कड़ है तू... तू बदली नहीं... जैसी कॉलेज के जमाने में लंडखोर थी... अब तो और भी ज्यादा चुदास हो गयी है; नजीबा ने उसे छेड़ा।

पर तू अचानक कैसे यहाँ आ गयी... मैं तो डर ही गयी थी. मैं तो सोच रही थी कि तू नशे में धुत्त हो कर बेखबर सो रही होगी... क्या मेरी चींखें तेरे बेडरूम तक आ रही थीं..?” शाजिया बोली।
 
“तुझे तो पता होना चाहिये... याद नहीं क्या...? ड्रिक्स के नशे के साथ-साथ मुझ पर चुदाई का नशा भी चढ़ जाता है... तू भी तो ऐसी ही थी... हम दोनों हॉस्टल में नशे में चूर होकर आपस में कितनी चुदाई करती थीं.. और क्या-क्या हमने अपनी चूतों में नहीं घुसेड़ा... मोमबत्तियाँ... सब्जियाँ... बीयर की बोत्तले सैंडलों की हील्स... टेनिस के रैकेट
का हैंडल और यहाँ तक की एक बार तो तूने मेरी गाँड में झाडू का हैंडल पेल दिया था... | याद है...??”
हाँ सब याद है.. तो आज क्या चोद रही थी अपनी चूत में तू...? और फिर यहाँ क्या मुझे ढूंढने आयी थी...?” शाजिया ने पूछा।
“आज तो पूछ ही मत... मैं तो अगुलियों से ही काम चला रही थी पर अचानक तेरे कुत्ते... ओह नो..', नजीबा रुकी पर तीर तो छूट ही चुका था।

“क्या तू मेरे औरंगजेब और टीपू से चुदवा रही थी... यू बिच...', शाजिया यकायक उत्तेजित हो कर बोली।

शाजिया के उत्तेजना भरे स्वर से नजीबा को लगा कि कुत्तों से चुदवाने पर शाजिया उस पर बिगड़ रही है। नजीबा भी तड़क कर गुस्से से बोली “यू रंडी... साली तू तो यहाँ गधे पर चूत निसार कर रही थी...”
नहीं... नहीं... तू मुझे गलत समझ रही है.. वो तो बस... मैं... तो तू भी कुत्तों से चुदवाती है... कब से... ओह मॉय... ऑय कान्ट बिलीव..." शाजिया हँसते हुए बोली।
“कब से नहीं... आज पहली बार.. वो भी शुरूआत तो तेरे कुत्तों ने ही की थी... पर तू भी से तेरा क्या मतलब... तू क्या रेग्युलरली चुदवाती है उनसे...?” अब नजीबा को समझ आया कि कुत्ते इतने बेधड़क हो कर क्यों चोद रहे थे।
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यार... आज तक ये बात किसी को भी नहीं पता... राज भी नहीं जानता... एक्चुअली दो साल से मैं औरंगजेब और टीपू से चुदवा रही है... उनसे चुदवाने की खातिर ही मैं यहाँ... इस फर्म पर रह रही हैं... जब तक मैं दिन में कम से कम एक बार दोनों से चुदवा नहीं लू... मुझे चैन नहीं आता... और इन कुत्तों को भी चैन नहीं पड़ता जब तक मुझे चोद ना लें... दे आर माय स्टड्स... माय डर्लिंग..." शाजिया को अपना यह राज़ अपनी सहेली को बता कर बहुत अच्छा लगा।
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लेकिन देख मैं नहीं मिली तो तुझ पर चढ़ बैठे... आदमी हो या कुत्ता.. सब एक जैसे हैं... जहाँ चूत देखी... बस चोदने को तैयार हो गये... चाहे किसी की भी चूत हो..." शाजिया । अपनी बात पर ही जोर से हँसी।

उन्हें क्यों दोष देती है... मेरी चुदास सहेली! अपने गरेबान में भी झाँक... जहाँ लंड देखा... चत और गाँड खोल कर चुदवाने लगती है... फिर वो लौड़ा इंसान का हो या जानवर का... और फिर लौड़ा ही क्यों... मेरी तरह तू भी तो चूत और चूचियाँ देख कर राल बहाने लगती है...” नजीबा ने शाजिया की चूचियों पर हाथ फिराते हुए कहा।
तो क्या इसीलिए तू मुझे ढूँढती हुई यहाँ आयी थी... कुत्तों से चुदवाने के बाद चैन नहीं मिला था जो मेरी चूत याद आ गयी थी तुझे... पता है कई सालों से मैंने लेसबियन चुदाई का मजा नहीं लिया..." शाजिया बोली।
 
अरे यार... शाम को जब हम लॉन में ड्रिक करती हुई अपने पुराने दिनों की चर्चा कर रही थीं ना... तभी मैंने इस गधे का जालिम और सुपर टॉयटैनिक लंड देख लिया था। तभी से मेरी चूत कुलबुला रही थी और ऊपर से दारू की मदहोशी... ऊऊ..."

तो फिर अंदर क्यों भाग गयी थी तू....?” शाजिया ने पूछा।
मुझे तो तेरा डर था कि तू क्या कहेगी... मुझे क्या पता था कि तू तो जानवरों के साथ । रोजाना ऐश करती हुई... नहीं तो...."
शाजिया नजीबा की बात बीच में ही काट कर बनावटी गुस्से से बोली, “ऐ... किसी भी जानवर से नहीं... सिर्फ अपने औरंगजेब और टीपू से ही चुदवाती हैं... आज पहली बार उनके अलावा किसी और जानवार के साथ चुदाई की है... समझी...
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“ओके... मेरी जान... नाराज़ मत हो... हाँ तो मैं कह रही थी कि... तेरा डर नहीं होता तो मैं तो वहीं इसका लंड पकड़ कर चूसने लगती.. मुझसे रहा नहीं गया और इसलिए मैं सोने का बहाना करके अंदर गयी ताकि अपनी दहकती चूत को कुछ तसल्ली दे सकें.. अब तुझसे क्या छिपाना... अरे यार मेरी चूत में तो हर दम आग लगी रहती है... साली सैटिसफॉय ही नहीं होती.. कितना भी चुदवा लँ पर इतमीनान ही नहीं होता..." नजीबा अपनी चूत पर हाथ थपकते हुए बोली।

तो तू भी नहीं बदली... वैसी ही ऐय्याश है मेरी तरह... जैसी हम दोनों कॉलेज के टाइम में थीं... और मैं थी कि तुझसे डर रही थी... तुझसे नज़र छिपा कर बार-बार इस गधे के लंड को देख-देख कर मस्त हो रही थी... वैसे जब मैं इस गधे के पीछे यहाँ आयी तो मेरा इरादा सिर्फ इसका लंड सहलाने और चूसने का था.. पर फिर रहा नहीं गया... सच... मेरी चूत को इतना करार पहले कभी नहीं मिला... जस्ट ऑउट ऑफ दिस वल्ड... देख अभी भी कैसे फैल कर खुली हुई कि जैसे बंद ही नहीं होगी और इतना वीर्य माय गॉड...', शाजिया अपनी चूत की दोनों फाँकें फैला कर नजीबा को दिखाते हुए बोली।

यार.. मेरी गाँड का भी तेरे कुत्ते ने यही हाल किया है.... साले के लंड की नॉट क्रिकेट बॉल से भी बड़ी है.. और उसने मेरी गाँड में वो जालीम नॉट ठूस कर ही दम लिया... गाँड की ऐसी-तैसी कर दी... पर अमेजिंगली मुझे वो दर्द भी बहुत मीठा सा लगा... बहुत ही कड़ाकेदार ओर्गेजम था...” नजीबा ने दूसरी तरफ करवट ले कर अपनी फैली हुई गाँड शाजिया को दिखायी।
तो तूने एक ही शाम में गाँड भी मरवाली मेरे कुत्तों से... वैसे उनके लंड की नॉट भी स्पेकटेक्युलर है... चाहे गाँड में फंसे या चूत में... एक बार दर्द जरूर होता है पर जो मज़ा आता है... इट्स व एनी अमाऊट ऑफ पेन..." शाजिया ने प्यार से अपनी अंगुली । नजीबा की गाँड के फैले हुए छेद पर फिरायी। नजीबा की गाँड में अभी भी कुत्ते का वीर्य । नज़र आ रहा था।
 
“हाँ यार... यू आर राइट... इट वाज़ रियली ग्रेट... अगर एक कुत्ते का लंड पहले से मेरी चूत में फंसा नहीं होता तो दूसरा कुत्ता जबरदस्ती मेरी गाँड में लंड नहीं पेलता और मुझे गाँड मरवाने का मजा ही नहीं मिलता’नजीबा फिर से अपनी सहेली की तरफ पलट गयी।
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क्या...?” शाजिया चौंकते हुए बोली, “तूने एकसाथ उन दोनों कुत्तों से अपनी चूत और गाँड मरवायी...?? मैंने भी अभी तक ऐसा नहीं किया... वॉओ यू आर रेयली ए लस्टी स्लट... मैं भी कल ही यह टॉय करूगी... ऑय एम श्योर.. ऑय विल इंजॉय इट वेरी मच?'
हूँ.. स्लट्स तो हम दोनों पहले से ही हैं पर आज तो मुझे शक है कि मैं निंफोमानियक । बन गयी हैं... क्योंकि शाम से मैं कम से कम पच्चीस-तीस बार झड़ चुकी हूँ पर मेरी
चूत की आग बुझने की जगह और ज्यादा भड़कती जा रही है....” और फिर नजीबा ने ॥ कुत्तों के साथ अपनी चुदाई का विस्तार से वर्णन किया।
करीब 10-15 मिनट तक दोनों इसी तरह छप्पर में गधे के पास ज़मीन पर नंगी पसरी हुई। बातें करती रहीं। अंत में शाजिया बोली, “यार गला और मुंह चिपचिपा रहा है... काफी गाढ़ा वीर्य था इस गधे का...?'
“मम्म्म्म... अभी भी मूह में इसका अनोखा स्वाद बना हुआ है... पर हाँ... शायद वीर्य के सूखने से गला चोक सा हो रहा है... कुछ पी कर इसे गले के नीचे धोना पड़ेगा, नजीबा ने कहते हुए छप्पर में चारों तरफ गर्दन घुमा कर देखा। शाजिया ने भी वैसा ही किया।

“राज तो चोद कर निकल गया... पता नहीं अचानक वो कैसे यहाँ आ गया... मैंने तो आज तक कुत्तों के साथ चुदाई की बात भी उससे छिपा रखी थी पर आज तो उसने हमें गधे से चुदते हुए देख लिया पर जिस तरह से उसने रियेक्ट किया... मेरा ख्याल है कि, ही विल भी ओके विद दिस... ऑय होप इसका कोई इश्यू नहीं बनाये.." शाजिया के स्वर में थोड़ी चिंता थी। “छोड़ यार... डोन्ट वरी.. संभाल लेंगे...” नजीबा ने बेफिक्री से कहा।
कहा।
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चल उसका कल सुबह देखा जायेगा... चल अब घर के अंदर चलते हैं... रात भर आपस में मस्ती करेंगे..." शाजिया उठ कर बैठते हुए बोली। फर्श पर अभी भी गधे का चिपचिपा वीर्य फैल हुआ था। हालाँकि दोनों औरतों ने एक दूसरे के बदन से काफी वीर्य चाट कर साफ किया था पर फिर भी उनके बदन जगह-जगह से वीर्य से सने हुए थे और कहींकहीं सूख कर वीर्य की परत सी जम गयी थी।

नजीबा उठने की बजाय और फैल कर लेट गयी। फिर अपनी नशे में बोझल आँखों में
शरारत भरकर शाजिया को देखा और शोख मुस्कान के साथ बोली, “अभी तो मेरी जान आ मुझे भी इस गधे के लंड का मजा लेना है... मैं तीन दिन तो यहीं हूँ... तू कहेगी तो पूरा
हफ्ता यहीं रहँगी और हम दोनों जी भर कर हर तरह से ऐश करेंगे... पर अभी तो... जब तक गर्दभ-राज के महा-लंड में शक्ति है... यू नो वॉट ऑय मीन...” और वो धुर्तता से शाजिया को आँख मार कर अपनी चूत सहलाती हुई मुस्कुराने लगी।
ऑय लाइक दैट... चल मैं पीने के लिये पानी ले कर आती हूँ..." शाजिया कहकर उठने लगी।

“पानी...?? क्यों मयखनों में ताले लग गये हैं क्या???” नजीबा ने शाजिया को रोका, “इतना रूमानी माहौल है... लंड है... चूत है... मूड है... गाँड है... चुदाई है... इस शेहवानी के माहौल में तो मेरी जान सिर्फ शराब छलकनी चाहिये...” नजीबा बहुत शोखी से शायराना अंदाज़ में बोली।
शाजिया को नजीबा के अंदाज़ पर हँसी छूट गयी। वो खिलखिला कर उसी अंदाज़ में बोली,
“जो हुक्म.. नजीबा बेगम...", और फिर से हँसने लगी। अपनी हँसी पर काबू पा कर शाजिया | फिर बोली, “साली तु नहीं बदली.. तेरा तो आज भी वही दस्तूर लगता है... जब पियो तो इतनी पियो कि कुछ होश बाकी ना रहे... ड्रिक टिल यू ड्रॉप.. हम दोनों पहले ही नशे में है

अरे ये तो चुदाई का नशा है.. शराब का नशा तो कब काफुस पड़ गया.... मजा तो तभी आयेग ना जब शराब और चुदाई.. दोनों का नशा बराबर होगा... याद है हॉस्टल में भाग पी कर नशे में तूने टेनिस के रैकेट से अपनी चूत चोदनी शुरू की थी तो अपनी धुन में पूरी रात उससे अपनी चूत चोदती रही..” नजीबा ने हँसते हुए शाजिया को याद दिलाया,
और तू ही तो हमेशा कहती थी कि सब भूल कर मदहोशी में चुदने में अलग ही मजा है
दैट्स ट्यू... रिमेमबर... फाइनल इयर के दिन... वो वंदना हमें कभी-कभी गांजे वाली सिगरेट सपलाई करती थी... उसके बाद खुमारी में चुदाई का कितना मजा आता था... ऑय विश अब भी कहीं से वो सिगरेट मिल सकती... खैर मैं व्हिस्की की बोतल ले कर आती हूँ..." शाजिया कहते हुए डगमगाती हुई खड़ी हुई।
 
खड़े होने से उसकी चूत में से फिर से वीर्य बाहर बह निकला। उसकी टाँगें तो वीर्य से सनी थीं और उसके हाई हील के सैंडल और पैर तो वीर्य से बुरी तरह तरबतर थे। शाजिया का कहना सही था कि उसका नशा उतरा नहीं था और वो पहले जैसी ही डगमगा रही थी। इसके अलावा ज़मीन गधे के वीर्य से चिपचिपा रही थी। शाजिया ने लड़खड़ाते हुए धीरे-धीरे कदम बढ़ाये। ज़मीन पर फैले वीर्य के कारण वो एक-दो बार फिसलते-फिसलते। बची और अपनी हालत पर खिलखिला कर हँस पड़ती।
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“संभल कर जा मेरी गुलबदन...', नजीबा भी हँसी। उसने देखा कि शाजिया जब भी कदम आगे बढ़ाती तो उसके पैरों और सैंडलों के बीच के गैप में भरा वीर्य ‘फचाक-फचाक’ करता हुआ प्रैशर से बाहर निकल रहा था। शाजिया वैसे ही लड़खड़ाती बाहर निकल गयी और नजीबा वहीं आँखें बंद किये अचेत सी पड़ी रही। गधा मजे से अपने सामने पड़ी सूखी घास खा रहा था।
शाम से लॉन में ही बाहर रखे मूवेबल बॉर में से शाजिया को व्हिस्की की बोतल मिल गयी। नशे के कारण हाई-हील सैंडलों में लड़खड़ा कर झुमते गिरते-पड़ते वापस लौटने में करीब पंद्रह मिनट लग गये। जब वो छप्पर में घुसी तो वो सावधान नहीं थी। जैसे ही उसका पैर वीर्य पर पड़ा तो चीखती हुई फिसल कर नजीबा की बगल में गिरी। वैसे भी मिट्टी का फर्श था और नशे में चूर होने से उसे दर्द का एहसास नहीं हुआ, बल्कि वो खिलखिलाकर कर हँसने लगी।

नजीबा को फर्श पर चित्त पड़े देख कर शाजिया और भी जोर से हँसते हुए बोली, “क्या हुआ...? मुझे तो लगा कि तू अब तक गधे का लंड अपनी सुलगती हुई बेसब्री-चूत में ले चुकी होगी... पर तू तो... खेर... ये ले व्हिस्की की बोतल... इसे पी कर और गर्मी आ जायेगी।
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नजीबा उठ कर छप्पर की दीवार का सहारा ले कर बैठ गयी और शाजिया भी उसके सामने लकड़ी के खंबे से पीठ टिका कर बैठ गयी। “ये ले... बोतल से ही सीधे नीट पानी पड़ेगी..." शाजिया ने उसे बोतल पकड़ायी।
नजीबा ने गटा-गट चार-पाँच बँट पिये और फिर थोड़ा सा चेहरा बिगाड़ कर लंबी साँस लेते हुए बोतल शाजिया के हाथ में दे दी। शाजिया ने भी होंठों से बोतल लगा कर कुछ पैंट लिये। इसी तरह दोनों धीरे-धीरे व्हिस्की पीती हुई कुछ भी ऊटपटाँग बोलती हुई हँसने लगीं। दोनों का नशा पूरी बुलंदी पर था।

नजीबा हँसते-हँसते अपनी चूत पर हाथ रख कर बोली... “अरे यार पेशाब लगा है... तुझे दिक्कत ना हो तो यहीं मूत हूँ क्या...??”
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“मुझे क्या दिक्कत होगी मादरचोद... तू तो ऐसे पूछ रही जैसे मेरे ऊपर मूतेगी...???” शाजिया फिर खिलखिलायी।
दोनों की आवाज़ नशे में ऊँची हो गयी थी और लड़खड़ा भी रही थी।

“आइडिया बुरा नहीं है... तेरे ऊपर ही मूत देती हैं... साली हरामजादी... तेरे मुंह में भी मूतूगी अब तो... याद है ना रैगिंग में कैसे फ्रेशर लड़कियों को तूने अपना मूत पिलाया था...” नजीबा जोर से हँसी।
 
“मुझे क्या दिक्कत होगी मादरचोद... तू तो ऐसे पूछ रही जैसे मेरे ऊपर मूतेगी...???” शाजिया फिर खिलखिलायी।
दोनों की आवाज़ नशे में ऊँची हो गयी थी और लड़खड़ा भी रही थी।
“आइडिया बुरा नहीं है... तेरे ऊपर ही मूत देती हैं... साली हरामजादी... तेरे मुंह में भी मूतूगी अब तो... याद है ना रैगिंग में कैसे फ्रेशर लड़कियों को तूने अपना मूत पिलाया था...” नजीबा जोर से हँसी।
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"तेरी ये इच्छा भी पूरी कर ले ऍड... पर फिर मैं भी तुझे अपने मूत से नहलाऊगी तो रोना मत... ले मूत... मूत साली... तू तो मेरी जान है... तेरा सुनहरा मूत तो अमृत है..." | नशे में चूर शाजिया के जो भी मुँह में आ रहा था बक रही थी।

यह सुनकर नजीबा डगमगती हुई खड़ी हुई और एक हाथ में व्हिस्की की बोतल पकड़े, पूरे जोश में लड़खड़ाती हुई शाजिया के पास गयी। शाजिया के दोनों तरफ अपनी टाँगें चौड़ी करके नजीबा अपनी चूत को अंगुलियों से फैला कर इस तरह खड़ी हो गयी जैसे कोई आदमी यूरीनल में मूतने के लिये खड़ा होता है। फिर उसने अपने घुटने थोड़े आगे झुका लिये ताकि उसकी चूत शाजिया के चेहरे के नज़दीक आ जाये।

“ले साली... कमीनी रॉड... अभी मूतती हूँ तेरे मुंह में?' नजीबा घुरघुरायी, “मैं तेरे रसीले होंठों को मेरी चूत में से पेशाब चूसते देखना चाहती हूँ...” वो अपनी अंगुलियों से जोर-जोर से अपनी क्लिट रगड़ रही थी।

शाजिया भी उसे उकसाते हुए बोली, “कम ऑन... मूत जल्दी से... नहला दे अपनी सहेली को अपने मूत से!”

अचानक नजीबा की चिकनी चूत में से सुनहरे रंग का मूत निकलने लगा और पहली फुहार शाजिया की चूचियों पर पड़ी। नजीबा अपने मूत की धार पर काबू नहीं रख पा रही थी। क्योंकि अपनी विकृत हरकतों की उत्तेजन और शराब के नशे में वो स्थिरता से खड़ी नहीं हो पा रही थी। हाई-हील के सैंडलों में उसके पैर डगमगा रहे थे और काफी सारा पेशाब । शाजिया की चूचियों के साथ-साथ उसकी खुद की जाँघों और टाँगों से नीचे बह कर उसके सैंडलों को तरबतर करने लगा। नजीबा अपने चूतड़ आगे की तरफ ठेल कर अपनी 2 चूत शाजिया के चेहरे के और नज़दीक ले गयी और मूत की ज़ोरदार धार शाजिया की सुंदर आँखों के पास टकरायी और मूत उसकी आँखों और चेहरे से नीचे बहने लगा।
 
नजीबा... कमीनी... साली... तू... तू मेरी आखों पे मूत रही है...', शाजिया अपनी आँखें बंद करती हुई बोली, “ऐसे ही मूतती रह... मेरे चेहरे पर.. आहाहा... बहुत अच्छा लग रहा है।” शाजिया ने अपना चेहरा ज़रा सा ऊपर उठा कर अपने खुले होंठ नजीबा के मूत की धार की सीध में लाने की कोशिश की और थोड़ी सी कोशिश के बाद वो सफल हो गयी। वो आँखें मींचे, आहें भरती हुई गटागट मुँह भर-भर कर गरम पेशाब पीने लगी। शाजिया को इस गंदे-विकृत खेल में बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चूत और पूरे जिस्म में झनझनाहट होने लगी। वो अपने एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत और क्लिट रगड़ने लगी और उसका दूसरा हाथ नजीबा के चूतड़ों को सहला रहा था।


अपने एक हाथ में पकड़ी बोतल से नजीबा बीच-बीच में व्हिस्की के घूट गटक रही थी। और अपनी गाँड मटकाती हुई दूसरे हाथ से व्यग्रता से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। अपनी सहेली के बाल, चेहरा, चूचियाँ अपने पेशब से सराबोर होते देख और उसे अपने शरीर का अंतरंग रस पीते देख नजीबा के पूरे बदन में कामोत्तेजना की बिजली सी दौड़ रही थी और वो बेकाबू सी होकर लगातार कराह रही थी। दोनों सहेलियाँ जंगली बिल्लियों की तरह जोर-जोर से कराहती और आहें भरती हुई शोर मचा रही थीं।

“मम्म्म्म... ओह गॉड... *गलल गलल* -- ओह गॉड *गटगट* -- मम्म्म्म - ओह हाँ, जानू *गलल गलल* -- लेट मी ड्रिक दिस हॉट पिस शाजिया कराही और अगले ही क्षण उसकी ऐयाश चूत में ज़ोरदार विस्फोट हुआ और वो झड़ गयी।

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शाम से इतनी शराब पीने के बाद नजीबा का मुत्राशय प्रेशर से फटने जैसा हो रहा था और इसलिए शाजिया के मुँह में मूतना बंद होने में कुछ समय लगा। हालांकि शाजिया अपनी सहेली का काफी मात्रा में पेशाब पीने में कामयाब रही थी पर फिर भी काफी सारा पेशाब उसके मुँह से बाहर बहने से और साथ ही शुरू में नजीबा द्वारा छोड़ी गयीं अंधाधुंध मुन्न-धारों से लथपथ होकर शाजिया के बाल, चेहरा और बाकी का जिस्म भी मूत्र-गंधित हो रहा था।

शाजिया ने अपनी गर्दन उचका कर नजीबा की चूत पर चुंबन दिया। नजीबा का स्खलन ट्रिगर आ करने के लिये इतना ही काफी था और उसकी अंगुलियाँ प्रचंडता से उसकी क्लिट को । रगड़ती हुई चूत में अंदर-बाहर होने लगीं। पर अचानक जब शाजिया ने अपना हाथ उसकी टाँगों के बीच में से पीछे ले जाकर उसकी गाँड में अंगुली घुसेड़ दी तो नजीबा धड़धड़ाती हुई झड़ गयी और उसकी चूत ने शाजिया के चेहरे पर अपने चिपचिपे रस का फव्वारा छोड़ दिया।

नजीबा का सिर नशे और उन्मत्तता से चक्करा रहा था। वो और अधिक देर खड़ी ना रह सकी और तुरंत ही शाजिया के सामने ज़मीन पर अपने ही पेशाब के तलैया में पसर गयी। हाऊ वाज़ इट... मजा आया ना...?” मदहोशी भरी आँखों से शाजिया की तरफ देखते हुए नजीबा ने फुसफुसाते हुए पूछा।

अपने होंठ चपचपाते हुए शाजिया मुस्कुराकर बोली, “ग्रेट.. सैक्सी.. ऊम्म मज़ा आ गया... तेरा मूत तो व्हिस्की से भी नशीला था..."
 
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