hotaks444
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दोस्त की शादीशुदा बहन
पात्र (किरदार) परिचय
01. रामू- मैं खुद, कहानी का हीरो
02. दमऊ- रामू का दोस्त,
03. अमृता- घर का नाम रानी, दमऊ की बहन,
04. झरना- अमृता की ननद
05. चम्पा06. मंजरी
बस में अमृता (रानी) की चुदाई मेरी नौकरी का रेक्रूटमेंट का एग्जाम नागपुर में होना निश्चित होते ही मैंने रेलवे में रिजर्वेशन के लिए देखा तो पीक सीजन होने के कारण कोई भी ट्रेन में जगह नहीं मिली। थक हारकर मैंने अपने एक दोस्त दमऊ को फोन किया की यार मुझे आज किसी भी हालत में नागपुर जाना है।
दमऊ उछलते हुए बोला- साले तू पहले नहीं बोल सकता था, मैं खुद कितना परेशान हो रहा था।
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
दमऊ ने कहा- अबे कुछ नहीं तू मेरे घर पर आ जा, मिल बैठकर बातें करते हैं।
मैंने कहा- अबे मिल बैठकर बातें करते हैं। अबे साले मुझे आज हर हालत में नागपुर जाना है। कल सुबह मेरा वहाँ पे इंटरव्यू है।
दमऊ ने कहा- पहले तू यहाँ पर आ तो सही। मैंने तेरा प्राब्लम साल्व कर दिया है।
मैं भागा-भागा उसके घर पहुँचा तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला। मैंने उनसे नमस्ते किया और अंदर आ गया। दमऊ अंदर जैसे मेरी ही राह देख रहा था। उसने कहा- “यारा तूने मेरी प्राब्लम साल्व कर दी, नागपुर जाने का नाम लेकर..."
मैंने कहा- क्या मतलब?
इतने में दमऊ की माँ अंदर आकर बोली- “अरे बेटा तुझे क्या बताऊँ? कल ही तेरी दीदी (दोस्त की बहन अमृता जिसे मैं भी दीदी ही कहता हूँ) के पति को कुछ दिनों के लिए देल्ही जाना है। अलमारी की चाभियां तो तेरी दीदी यहाँ ले आई है, उनको कुछ जरूरी कागजात ले जाना है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं। दीदी को आए सात-आठ दिन ही तो हुए हैं। अलमारी की चाबियां मैं दे दूंगा जीजाजी को।
दमऊ ने कहा- “मैंने कल ही बस की टिकेट करवा ली है, एयर-कंडीशन बस की स्लीपर कोच में एस-1 और एस2 हैं। आराम से सोकर जाना। तुम्हारा भी काम हो जाएगा और मेरा भी। कल सुबह आफिस में हेडआफिस से बिग बास आ रहे हैं तो आफिस अटेंड करना भी हो जाएगा...”
मैंने कहा- चल यार तूने तो मेरी प्राब्लम ही साल्व कर दिया। मैं तो परेशान हो गया था। ना ट्रेन में जगह मिल रही थी, ना किसी बस में ही जगह मिल रही थी। चलो सुबह नागपुर में दीदी को उनके घर पर छोड़ते हुए होटेल चले जाऊँगा।
पात्र (किरदार) परिचय
01. रामू- मैं खुद, कहानी का हीरो
02. दमऊ- रामू का दोस्त,
03. अमृता- घर का नाम रानी, दमऊ की बहन,
04. झरना- अमृता की ननद
05. चम्पा06. मंजरी
बस में अमृता (रानी) की चुदाई मेरी नौकरी का रेक्रूटमेंट का एग्जाम नागपुर में होना निश्चित होते ही मैंने रेलवे में रिजर्वेशन के लिए देखा तो पीक सीजन होने के कारण कोई भी ट्रेन में जगह नहीं मिली। थक हारकर मैंने अपने एक दोस्त दमऊ को फोन किया की यार मुझे आज किसी भी हालत में नागपुर जाना है।
दमऊ उछलते हुए बोला- साले तू पहले नहीं बोल सकता था, मैं खुद कितना परेशान हो रहा था।
मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?
दमऊ ने कहा- अबे कुछ नहीं तू मेरे घर पर आ जा, मिल बैठकर बातें करते हैं।
मैंने कहा- अबे मिल बैठकर बातें करते हैं। अबे साले मुझे आज हर हालत में नागपुर जाना है। कल सुबह मेरा वहाँ पे इंटरव्यू है।
दमऊ ने कहा- पहले तू यहाँ पर आ तो सही। मैंने तेरा प्राब्लम साल्व कर दिया है।
मैं भागा-भागा उसके घर पहुँचा तो उसकी माँ ने दरवाजा खोला। मैंने उनसे नमस्ते किया और अंदर आ गया। दमऊ अंदर जैसे मेरी ही राह देख रहा था। उसने कहा- “यारा तूने मेरी प्राब्लम साल्व कर दी, नागपुर जाने का नाम लेकर..."
मैंने कहा- क्या मतलब?
इतने में दमऊ की माँ अंदर आकर बोली- “अरे बेटा तुझे क्या बताऊँ? कल ही तेरी दीदी (दोस्त की बहन अमृता जिसे मैं भी दीदी ही कहता हूँ) के पति को कुछ दिनों के लिए देल्ही जाना है। अलमारी की चाभियां तो तेरी दीदी यहाँ ले आई है, उनको कुछ जरूरी कागजात ले जाना है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं। दीदी को आए सात-आठ दिन ही तो हुए हैं। अलमारी की चाबियां मैं दे दूंगा जीजाजी को।
दमऊ ने कहा- “मैंने कल ही बस की टिकेट करवा ली है, एयर-कंडीशन बस की स्लीपर कोच में एस-1 और एस2 हैं। आराम से सोकर जाना। तुम्हारा भी काम हो जाएगा और मेरा भी। कल सुबह आफिस में हेडआफिस से बिग बास आ रहे हैं तो आफिस अटेंड करना भी हो जाएगा...”
मैंने कहा- चल यार तूने तो मेरी प्राब्लम ही साल्व कर दिया। मैं तो परेशान हो गया था। ना ट्रेन में जगह मिल रही थी, ना किसी बस में ही जगह मिल रही थी। चलो सुबह नागपुर में दीदी को उनके घर पर छोड़ते हुए होटेल चले जाऊँगा।