hotaks444
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दीदी- “अरे नहीं, नहीं... इनसे दुबारा... ना बाबा ना... मेरी मत नहीं मार रखी है। रात से ही सूज रखी है मेरी बुर।
और नहीं सुजवाना है। और आज तो मैं अपने सैंया से ही चुदवाऊँगी। हाँ कल की बात और थी और कल की बात और रहेगी...”
झरना- “कल की बात और रहेगी। इसका मतलब क्या है भाभी?”
दीदी- “इसका मतलब ये है मेरी प्यारी ननद की मैं इतने मस्त लण्ड से चुद चुकी हूँ। आज तो अपने सैंया से चुदवाऊँगी। पर कल मौका देखकर चौका जरूर लगाना चाहूँगी...”
झरना- "इसका मतलब कि आप अपने ही भाई से फिर से चुदवाओगे?”
दीदी- “क्यों क्या हुआ? आप भी तो अपने भाई से पहली बार चुदाई थी... तो क्या फिर से नहीं चुदवा रही हो?”
झरना- “हाँ, ये तो है भाभीजी। क्या है कि पहली बार थोड़ी शर्म आती है। फिर शर्म मर जाती है। अब तो मुझे अपने भैया से चुदवाने में मजा भी खूब आता है। खैर, वो सब छोड़ो, मुझे अभी इसी वक्त आपके भाई से चुदवाना है...”
मेरा लण्ड खड़ा होकर कड़क हो चुका है। मैंने घड़ी की तरफ देखा और बोला- “दीदी, प्लीज फिर कभी। अभी मुझे इंटरव्यू के लिए जाना है...”
झरना का मुँह सुख गया।
मैंने कहा- “मैं नाश्ता कर लेता हूँ। फिर इंटरव्यू के लिए जाना है...”
झरना- “फिर मेरी फुद्दी का क्या होगा? जो आपके इस लण्ड को खाने के लिए पानी छोड़ रही है...”
मैं- “अरे झरना दीदी, मैं कहीं भागा थोड़े ही जा रहा हूँ। दोपहर तक आ जाऊँगा...”
दीदी ने मुझे नाश्ता दिया। मैं बैठकर खाने लगा। इतने में मुझे टेबल के नीचे अपनी जाँघ के पास किसी का हाथ महसूस हुआ। मैंने नीचे झाँका तो झरना थी।
मैंने कहा- क्या हुआ झरना दीदी?
झरना- “कुछ नहीं रामू भैया, आप नाश्ता करो मैं आपका जूस पियूँगी। समय की कोई बर्बादी भी नहीं होगी...”
मैं नाश्ता करने लगा और झरना मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरे लिए नाश्ता करना दूभर हो गया। इतने में दीदी ने पराठा मेरे प्लेट में डाला। मेरा मुँह कुछ अजीब सा हो गया था।
दीदी- “अरे रामू, क्या हुआ तुझे? ऐसे मुँह क्यों बना रहा है? क्या पराठा अच्छा नहीं बना है?”
मैं- “अरे नहीं दीदी, पराठा तो अच्छा बना है...”
और नहीं सुजवाना है। और आज तो मैं अपने सैंया से ही चुदवाऊँगी। हाँ कल की बात और थी और कल की बात और रहेगी...”
झरना- “कल की बात और रहेगी। इसका मतलब क्या है भाभी?”
दीदी- “इसका मतलब ये है मेरी प्यारी ननद की मैं इतने मस्त लण्ड से चुद चुकी हूँ। आज तो अपने सैंया से चुदवाऊँगी। पर कल मौका देखकर चौका जरूर लगाना चाहूँगी...”
झरना- "इसका मतलब कि आप अपने ही भाई से फिर से चुदवाओगे?”
दीदी- “क्यों क्या हुआ? आप भी तो अपने भाई से पहली बार चुदाई थी... तो क्या फिर से नहीं चुदवा रही हो?”
झरना- “हाँ, ये तो है भाभीजी। क्या है कि पहली बार थोड़ी शर्म आती है। फिर शर्म मर जाती है। अब तो मुझे अपने भैया से चुदवाने में मजा भी खूब आता है। खैर, वो सब छोड़ो, मुझे अभी इसी वक्त आपके भाई से चुदवाना है...”
मेरा लण्ड खड़ा होकर कड़क हो चुका है। मैंने घड़ी की तरफ देखा और बोला- “दीदी, प्लीज फिर कभी। अभी मुझे इंटरव्यू के लिए जाना है...”
झरना का मुँह सुख गया।
मैंने कहा- “मैं नाश्ता कर लेता हूँ। फिर इंटरव्यू के लिए जाना है...”
झरना- “फिर मेरी फुद्दी का क्या होगा? जो आपके इस लण्ड को खाने के लिए पानी छोड़ रही है...”
मैं- “अरे झरना दीदी, मैं कहीं भागा थोड़े ही जा रहा हूँ। दोपहर तक आ जाऊँगा...”
दीदी ने मुझे नाश्ता दिया। मैं बैठकर खाने लगा। इतने में मुझे टेबल के नीचे अपनी जाँघ के पास किसी का हाथ महसूस हुआ। मैंने नीचे झाँका तो झरना थी।
मैंने कहा- क्या हुआ झरना दीदी?
झरना- “कुछ नहीं रामू भैया, आप नाश्ता करो मैं आपका जूस पियूँगी। समय की कोई बर्बादी भी नहीं होगी...”
मैं नाश्ता करने लगा और झरना मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी। मेरे लिए नाश्ता करना दूभर हो गया। इतने में दीदी ने पराठा मेरे प्लेट में डाला। मेरा मुँह कुछ अजीब सा हो गया था।
दीदी- “अरे रामू, क्या हुआ तुझे? ऐसे मुँह क्यों बना रहा है? क्या पराठा अच्छा नहीं बना है?”
मैं- “अरे नहीं दीदी, पराठा तो अच्छा बना है...”