non veg story नाना ने बनाया दिवाना - Page 8 - SexBaba
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non veg story नाना ने बनाया दिवाना

मामी :=ये लडकिया सच में बहोत तेज निकली...जो काम मैं कई सालो से करना चाहती थी वो इन्होंने कुछ दिनों में ही कर लिया। बाबूजी मैंने आपके बहोत किस्से सुने है मालती से माँ जी से। और तब से मैं आप के साथ....जब से माधवी यहाँ आयीं तब सुरु सुरु में मुझे कुछ नहीं लगा। लेकिन बाद में मुझे बहोत गड़बड़ लगी। तब से मैं आप लोगो पे नजर रखे थी। और आज मैंने जब आप लोगो को ये सब करते सुना तो मेरी भी इच्छा होने लगी। प्लीज बाबूजी आज मेरी भी तमन्ना पूरी कर दीजिये।

हम सब मामी की बात सुन के दंग थे। मामी जो बहोत शांत स्वाभाव की थी उनमे इतनी कामुकता भरी पड़ी थी ये मैं सोच भी नहीं सकती थी। जाहिर है नेहा उनपे ही गयी थी शायद इसीलिए वो इतनी कामुक है।

नानाजी:=तुमने तो हमारी जान ही निकाल दी थी। देखो इनके चहरे जरा अभी भी डरी हुई है। और तुम मुझसे क्यू चाहती हो? तुम्हारा पति तुम्हे सुख नहीं देता क्या?

मामी:=नहीं वो तो मुझे बहोत सुख देते है। पर आपकी दमदार चुदाई के किस्से सुन सुन के आपसे एक बार जिंदगी में जरूर चुदवाना चाहती थी।

नानाजी:=अच्छा??ठीक है अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो ठीक है।

मामी:= हमारी तरफ देख के मुस्कुरा रही थी। ""ह्म्म्म बेटियां कितनी जल्दी जवान हो जाती है। पता ही नहीं चलता । मैं तुमसे नाराज नहीं हु। बस थोड़ी सी खिंचाई कर रही थी। मुझे पता है जवानी में चुदने की लालसा कुछ भी करवाती है। अब तुम दोनों जाओ नीरज के कमरे में और आज मुझे और बाबूजी को अकेला छोड़ दो।

नानाजी:=अरे सुमन रहने दो इन्हे भी यही। लेकिन अगर तुम्हारा पति उठ गया तो?

मामी:=ह्म्म्म उसे तो मैंने आज नींद की गोलिया खिला दी है इसमे बची हुई।

नानाजी:=ओह्ह्हज अच्छा है।

बहोत ही अजीब लग रहा था। ये कैसेकैसे मोड़ ले रही थी हमारी जिंदगी? पहले पापा मामाजी अब मामी.....और ना जाने क्या क्या होने वाला था। पर अब जो होने वाला था उसके बारे में सोच सोच के मैं स्तब्ध थी.........................!!!!

मुझे बहोत ही अजीब सी फीलिंग आ रही थी। नेहा भी कुछ बोल नहीं पा रही थी। क्यू की हम दोनों ये जानते थे एक बार अगर मामी नानाजी से चुद गयी तो वो उनका पीछा नहीं छोड़ेंगी। इससे हमें बहोत दिक्कत हो जाती। पर हम कुछ भी तो नहीं कर सकते थे शिवाय ये देखने की मामि किस बेशर्मी से हमारे सामने ही नानाजी का लंड लेने वाली थी।मामी:=क्या सोच रही हो तुम दोनों??चुप क्यू हो??नेहा क्या हुआ?

मैं:=कुछ नहीं मामी बहोत अजीब लग रहा है।

मामी हमारे पास आयीं।

मामी:=देखो मैं भी एक औरत हु मैं तुम दोनों की भावना समझ सकती हु। ये शारीरिक सुख की लालसा हमें वो चीजे भी करने पे मजबूर कर देती है जो की समाज के नजरो में गलत होता है। अगर तुम मुझे भी सिर्फ एक औरत की नजर से देखोगी या अपनी दोस्त की तरह देखोगी जो की तुम्हारे नानाजी से सुख पाना चाहती है तो तुम्हे कुछ अजीब नहीं लगेगा। मुझे बताओ अगर तुम्हारी कोई फ्रेंड होती और तुमसे कहती की उसे तुम्हारे नानाजी से चुदवाना है तो क्या तुम उसकी इच्छा पूरी नहीं करते??

मैं:=हा मामी आप सच कह रही है।
 
नेहा:=पर माँ मैं आपको ऐसे कैसे देखु?

मामी:=जैसे माधवी को देखती हो।

नानाजी:=अरे नेहा हमारे बिच का रिश्ता निकाल दोगी तो हम सिर्फ आदमी और औरत ही रहते है। बस यही सोच के तो मैं तुम दोनों के साथ ये सब कर रहा हु।

अब नेहा और मेरे मन से थोडा बोझ हल्का हुआ। overall एनवायरनमेंट थोडा कम्फ़र्टेबल लग रहा था।

मामी:=अगर अब तुम दोनों को अब भी अजीब लग रहा है तो नीरज के कमरे में जाओ। क्यू आज तो मैं (नानाजी का लंड वो बड़ी ही बेशर्मी भरी अदाओ से पैजामे के ऊपर से पकड़ते हुए ) इस लंड का मजा लिए बगैर नहीं जाउंगी।

नानाजी:=(मामी के नितम्ब पे हाथ रखते हुए दबाते हुए) और मुझे भी अब तुम्हे चोदने की इच्छा होने लगी है सुमन।

ऐसा बोल के वो एकदूसरे को बाहो में कस के किस्स करने लगे। वो एकदूसरे को ऐसे किस्स कर रहे थे जैसे बहोत दिनों बाद उन्हें ये मौका मिला है। नानाजी की आखो में देख के ये पता चल रहा था की वो भी मामी को चोदना चाहते थे। नेहा और मैं एकदूसरे की तरफ देखा। हमारी दोनों की आखो में एक ही सवाल था की क्या करना चाहिए? और शायद आखो ही आखो में हमने एक दूसरे को जवाब भी दे दिया था।

मामी बहोत ही आक्रामक तरीके से नानाजी के ऊपर खड़े खड़े चढ़ि जा रही थी। नानाजी भी कुछ कम नहीं थे। वो भी मामी को बाहो में भीच भीच के उन्हें चूम रहे थे। मामी का फिगर वैसे बुरा नहीं रहा। सिर्फ पेट का थोडा थुलथुलापन छोड़ दे तो वो अब भी किसी 25 साल की जवान औरत की तरह ही सेक्सी थी। उनकी चुचिया गांड जांघे अब भी शेप में थी। नानाजी ने उनकी साडी निकाल फेकी और पेटीकोट का नाडा खोल के उसे गिरा दिया। उफ्फ्फ्फ्फ़ क्या क़यामत लग रही थी मामी सिर्फ ब्रा और पॅंटी में।

नानाजी:=ओह्ह्ह्ह सुमन आज भी तुम वैसी ही हो जब तुम इस घर में मेरे बेटे के साथ शादी करके आयी थी।

मामी:=आपने तो मुझे कपड़ो में देखा होगा ना फिर ये अंदर से मैं कैसी हु ये कैसे पता चला आपको?

नानाजी:=ये मेरी आखे x रे है कपड़ो के ऊपर से बता सकता हु औरत की गांड और चुचिया किस साइज़ की है।

मामी:=हा इस बात में तो कोई शक ही नहीं है। क्यू की आप है ही एक नंबर के चोदु। मेरे तो कपडे उतार दिए जरा हमें भी तो आपके घोड़े के दर्शन करवाइये जिसकी तारीफ़ हमने कई औरतो से सुनी है।

नानाजी:=अभी लो।

नानाजी ने अपने सारे कपडे उतार दिए और नंगे खड़े हो गए। नानाजी का बेपर्दा लंड देख के मामी की आखे फटी की फटी रह गयी। नानाजी का लंड पूरी तरह से तैयार नहीं था। लेकिन उसका साइज़ ही कुछ ऐसा था की उस अवस्था में भी वो होश उड़ा देता था।

मामी:=उईई माँ कितना लंबा है ये। इनका तो खड़ा होने के बाद इतना लंबा होता है। वाकई इन लड़कियो की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी।
 
नानाजी:=ह्म्म्म अब क्या उसे देखती ही रहोगी या कुछ करोगी??

नानाजी ने मामी के बाल पकड़ के उनको निचे बिठा दिया और उनका मुह अपने लंड के पास ले गए।

मामी ने भी उसे पकड़ा और उसे अपने होठो पे गालो पे आखो पे फिराने लगी। उसकी स्किन को पीछे ले जाके उसके सुपाड़े को अपने गले पे फिराने लगी। मामी ने अपनी ब्रा निकाल दी और लंड के सुपाड़े से निकलता प्रीकम अपने निप्प्ल्स को लगाने लगी। मामी की चुचिया उफ्फ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी थी। और नरम और कुछ हद तक लटकी हुई थी। मामी ने अपनी चुचियो के बिच लंड को पकड़ा और जैसे चूत में आगे पीछे करते है वैसे उसे हिलाने लगी। नानाजी भी थोडा झुक के अपना लंड गांड हिला के आगे पीछे करने लगे। जब लंड ऊपर जाता तो मामी उसके सुपाड़े पे लगा प्रीकम चाट लेती। ये सब हमारे लिये नया था। ऐसा करने से नानाजी का लंड जादा प्रीकम छोड़ रहा था।

नानाजी:=अह्ह्ह्ह सुमन उम्म्म तुम बिलकुल अपने सास जैसे ही कर राहीहो।

मामी:=अह्ह्ह्ह मुझे पता है आपको ये बहोत पसंद है। माजी ने बताया था मुझे।

मामी और नानाजी की बिच का ये नंगा खेल हम जैसे बूत बने देख रहे थे। देख के हम भी अब थोडा थोडा हॉट होने लगे थे। वो दोनों अपनी लीला में एटने बिजी थे की जैसे भूल ही गए हो की हम वहा है।

मामी अब नानाजी का लंड मुह में लेके चूसने लगी थी। नानाजी मामी की चुचिया थोडा झुक के मसल रहे थे। और जिस ताकत से वो मसल रहे थे उससे मामी को दर्द की जगह ख़ुशी मिल रही थी। शायद इस उम्र में आके चुचियो की दर्द सहने शक्ति बढ़ जाती होंगी। अगर नानाजी मेरी चुचिया ऐसे दबाते तो मैं तो मर ही जाती।

मामी ने अगला मूव किया जिसको देख के मैंने और नेहा ने एक दूसरे हाथ पकड़ लिए और डर लगने पे कैसे हाथ एकदम पक्का कस कर पकड़ते है बिलकुल वैसे ही।

मामी ने नानाजी का लंड एक हाथ से ऊपर की तरफ किया और निचे जहा अंडकोष और लंड का मिलाप होता है वहा चाटने लगी। सिर्फ इतना ही नहीं वो अंडकोष भी चाटते हुए उनको मुह में भर लिया और जैसे लोलीपोप चूसते है वैसे वो उसे चूसने लगी।

उफ्फ्फ्फ़ मैंने देखा नानाजी ये सब आखे बंद करके बहोत ही एन्जॉय कर रहे थे। उनका लंड हमेशा से कुछ जादा ही टाइट लग रहा था। शायद यही होता है अनुभव......

नेहा और मेरी साँसे बहोत तेज हो रही थी। सेक्स का खुमार हम पे भी चढ़ने लगा था।हमने एक दूसरे की तरफ देखा हम अपने आप ही एक दूसरे की तरफ खिचे चले गए। जब हमने रैलाइज किया तो पाया की हम भी एक दूसरे को किस्स कर रहे थे और चुचियो को भी सहला रहे थे।

नानाजी:=ह्म्म्म्म अह्ह्ह सुमन देखो तो जरा उधर क्या चल रहा है।

मामीने हमारी तरफ देखा।

मामी:=ओह्ह्ह्ह क्या बात है...चलने दो मेरी प्यारी बेटियो।

हम उनकी तरफ देख के मुस्कुराये और फिर से अपने काम में लग गए।

मामी और नानाजी अब बहोत ही मस्ती में आ चुके थे। मामी पागलो की तरह उनक्का लंड चूसे जा रही थी।
 
नानाजी:=अह्ह्ह्ह सुमन बहोत दिनों बाद ऐसी लंड चुसाई हुई है अह्ह्ह्ह्ह

मामी:=उम्म्म्म्म मैं भी आज बहोत दिनों बाद लंड चूसने का मजा ले रही हु।

नानाजी पहले ही दो बार झड़ चुके थे। और मैं ये अच्छेसे जानती थी की नानाजी तीसरी बार बहोत टाइम लेते है।

मामी लगातार उनका लंड जुबान से चाट रही थी और अब तो वो उनकी चूत भी सहलाने लगी थी।

नानाजी:=सुमन क्या हुआ चूत में आग लग गयी क्या?

मामी:=अह्ह्ह्ह्ह चूत में आग तो बहोत देर से लगी हुई है बाबूजी पर आपके लंड चूसने में ही इतना मजा आ रहा है की मैं क्या बताउ।

नानाजी:=उम्म्म्म्म्म अब बस करो जरा मुझे भी मौका दो अपनी चूत का रस पिने का अह्ह्ह

नानाजी ने मामी को उठा के हमारे पास बेड पे ले आये। अब तक हम भी अपने कपडे उतार चुके थे और एक दूसरे की चूत चाट रहे थे।

मामी ने जब देखा तो वो हैरान रह गयी।

मामी:=उम्म्म्म ये आज कल की लडकिया अपने आप को खुश करने का तरीका ढूंढ ही लेती है। हमारे वक़्त तो बस लंड ही एक तरीका होता था।

मैं:=मामी आप भी ट्राय करो ये सब बहोत मजा आता है। देखिये जरा अपने बेटी की चूत कैसे फड़फड़ा रही है।

मामी:=हाय रे मेरी माधवी चूत तो तुम्हारी भी बहोत फड़फड़ा रही है। और कितनी प्यारी है तुम्हारी चूत उफ्फ्फ्फ्फ़ मेरी भी ऐसेही हुआ करती थी जवानी में।

मैं:= अच्छा? अब देखु जरा कैसी हो गयी है??

मैं उठ के मामी की चूत देखने लगी। वो सच में बहोत सुन्दर थी। मैंने हलके से उसपे हाथ घुमाया।

मामी:=अह्ह्ह्ह्ह क्या कर रही हो पागल??

मैं:=उम्म्म्म देख रही हु कैसी है आपकी चूत। वाओ मामी ये तो कितनी गरम हो चुकी है।

मैंने अंदर एक उंगली घुसा दी। मेरी उंगली आसानी से अंदर चली गयी। मैंने उंगली चाटी।

मैं:=ओह्ह्ह्ह मामी बड़ा मस्त है आपकी चूत रस अह्ह्ह्ह... और मैंने उनकी चूत में अपना मुह घुसा दिया। मामी को ये बिलकुल भी एक्सपेक्ट नहीं था। वो अह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म सीसीसीसीसी अह्ह्ह्ह करके मेरा सर अपनी चूत पे दबाने लगी। मैं भी बड़े चाव से उनकी चूत चाटे जा रही थी। इधर नानाजी ने नेहा की चूत पे अपना कब्ज़ा जमा लिया था।
 
मामी:=अह्ह्ह्ह्ह माधवी उफ्फ्फ्फ्फ़ कैसा लगता है रे चूत चाटने से??

मैं:=बहोत मजा आता है मामी आप देखो ना जरा अपनी बेटी की चूत चाट के।

नानाजी:= जा नेहा जरा अपनी माँ को अपनी चूत का स्वाद तो चटा।

नेहा उठ के मामी के मुह पे जा बैठी। मामी नेहा की चूत का स्वाद चखने लगी।

मामी:=उम्म्म्म्म्म स्स्स्स ये तो लंड से भी जादा स्वादिष्ट है अह्ह्ह

नानाजी:=उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या क़यामत लग रही है मेरे घर की सारी औरते....ये नजारा अगर मेरा बेटा या बेटी देख ले तो बिचारो की हालत खराब हो जायेगी।

नेहा:=तो जाईये और बुला लाईये अपने बेटे को।

नानाजी:=नहीं मेरी जान फिलहाल तो मुझे ही मजे करने है तुम तीनो के साथ।

नेहा :=तो आईये ना डाल दीजिये अपना लंड हम में से एक की चूत में।

मामी:=उम्म्म्म अह्ह्ह बाबूजी हा आईये और डालिये अपना लंड मेरी चूत में माधवी ने मेरी चूत की आग को बहोत भड़का दिया है.... अब बर्दास्त नहीं होता।

नानाजी ने मुझे हटने को कहा। और मामी की टांगो को फैला के अपना लंड मामी के चूत पे सटाके एक ही झटके में पूरा अंदर डाल दिया। और वो चला भी गया।

मामी:=अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाआआहाआआ उम्म्म्म्म मजा आ गया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ऐसा तगड़ा लंड आज पहली बार मिला है अह्ह्ह्ह्ह चोदिये बाबूजी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.
 
नानाजी:=उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह मेरे बेटे ने चोद चोद के इस होल को कितना बड़ा कर दिया है। लेकिन सच कह सुमन मुझे भी बहोत मजा आया अह्ह्ह्ह्ह्ह

ससुर और बहु की ये काम लीला देख के मैं और नेहा भी बहोत उत्तेजित हो रहे थे। हमने फिर से एक दूसरे को चाटना चूमना सुरु कर दिया।

नानाजी खप खप की आवाज के साथ मामी की चूत चोदे जा रहे थे। मामी नानाजी का बड़ा और लंबा लंड अपनी चूत में पाके खुश ही गयी थी। और आंनद सागर में गोते लगा रही थी।*

मामी:=अह्ह्ह्ह उम्म्म अहह हा और हा जोर से उफ्फ्फ्फ्फ़ चोदो और चोदो उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह बहोत अच्छा लग रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ फाड़ फ़ो मेरी चूत एअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्

नानाजी:=हा मेरी जान उफ्फ्फ्फ्फ़*

मामी शायद झड़ चुकी थी लेकिन वो नानाजी को छोड़ना नही चाहती थी। और हो भी क्यू ना बरसो की इच्छा आज पूरी हुई थी उनकी। वो।मस्त हो के नानाजी से अपनी चूत फड़वा रही थी। और हम दोनों भी अब एक दूसरे की चूत में उंगली डाल के चूत को उंगली से चोद रहे थे। थोड़ी ही देर में हमने एक दूसरे का पानी निकाल दिया।

लेकिन उधर नानाजी और मामी की चुदाई जारी थी। मामी ने नानाजी का लंड अपनी चूत में लेके ऊपर सेअपनी गांड उछाल उछाल के अंदर बाहर कर रही थी।

मामी:=उम्म्म्म्म्म्म्म अह्ह्हम्मम्मम उम्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसा लंड रोज मिले चुदवाने तो मजा आ जाएगा अह्ह्ह्ह्ह

नानाजी:=उम्म्म्म हा सुमन मुझे भी तुम्हारी जैसी चूत ही चाहिए चोदने के लियए अह्ह्ह्ह्ह्ह

मामी:=उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह आज तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं पहली बार चुदावा रही हु उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह मैं एक बार झड़ चुकी हु अह्ह्ह्ह्ह्ह दूसरी बार भी आ रही हु उम्म्म्म्म्म अघ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्।
 
मामी दूसरी बार झड़ चुकी थी। वो अब पस्त हो चुकी थी। लेकिन हमारी चूत तो फिर से उबाल पे थी। और नानाजी का लंड भी अपने उफान पे था। जैसे मामी बेड पे निढाल हो के गिरी। नानाजी ने मोर्चा हमारी तरफ बढ़ा दिया। हम दोनों भी देर किये बगैर पोजीशन में आ गए। नानाजी ने अपना लंड नेहा की चूत में डाला और उंगली सेमेरी चूत चोदने लगे। ऐसेही अदलबदल केओ कभी नेहा की चूत चोदते तो कभी मेरी। वासना का तूफ़ान आ चूका था कमरे में। खप खप चप छप अह्ह्ह्ह्ह उम्मम्मफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् स्सस्सस्सस उईईईईई माँ मर गयी और चोदो अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्ग्ग बस ऐसेही आवाजे आ रही थी। आखिर में नानाजी ने हमें भी अपनी मंजिल पे पंहुचा दिया।

मामी:=ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबूजी क्या दमदार लंड है आपका तिन तिन औरतो से भी संभाला नहीं जा रहा।

मैं:=उम्म्म्म्म मामी नानाजी का लंड ऐसे ठंडा नहीं होगा। उसे जबतक आप अपनी गांड में नहीं लोगे तब तक वो पानी नहीं छोड़ेगा।

मामी:=तूने तो मेरे मन की बात कह दी माधवी।

मामी ने तुरंत अपनी गांड का न्यौता नानाजी के लंड को दिया। नानाजी भी तो तड़प रहे थे कबसे इस पल के लिए। नानाजी ने अपना लंड मामी की गांड की सेवा में लगा दिया। वो खच खच मामी की गांड मारने लगे।*

मामी :=उई माँ मर गयी उस्सस्सस्सस्सस्स आज तो मजा आ गया उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ऐसा लग रहा है बाबूजी की असली चुदाई हो रही है।उम्म्मम्मम्मम्मम्म

नानाजी:=हा सुमन अह्ह्ह्ह्ह गांड चुदाई का ही अलग होता है अह्ह्ह्ह्ह

मामी और नानाजी की चुदाई सच में लाजवाब थी। मामी उन्हें हर बात में टक्कर दे रही थी। उनकी गांड के होल में से अंदर बाहर होता नानाजी का विशाल लंड बेहद ही खूबसूरत लग रहा था। नानाजी उन्हें *इतनी स्पीड सेचोद रहे थे अगर हम में से कोई होता तो मरही जाता।लेकिन मामी इस चुदाई कोबहोत ही एन्जॉय कर रही थी।

नानाजी ने पोजीशन बदल के फिर से चुदाई सुरु कर दी। मामी पिछेसे गांड में लंड लिए हुए थी और सामने से चूत का दाना रगड़ रही थी। दोनों एक दूसरे को बराबरी की टक्कर दे रहे थे। और हम दोनों मंत्रमुग्ध हो के उनकी चुदाई देख रहे थे।

आखिर वो क्षण आ ही गया जब जीत किसकी हुई ये पता चलता। लेकिन नानाजी और मामी के बीच हुये चुदाई मैच टाई हुआ। दोनों एक साथ आउट हुए। नानाजी ने अपना पूरा वीर्य उनकी गांड में उड़ेल दिया और धड़ाम से बेड पे गिर पड़े। मामी भी जोर जोर से साँसे लेती हुए पड़ी रही। उनकी बड़ी बड़ी गांड के फाको के बिच से होता वीर्य एक दमदार चुदाई की दास्ताँ सुना रहा था..................
 
मैं नेहा मामी और नानाजी हम सब पस्त हो चुके थे। ऐसी चुदाई करके नानाजी की हालत भी खराब हो चुकी थी। हमारी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। क्यू की मामी भी हमारी टीम में आ गयी थी।

दूसरे दिन सुबह जब नींद खुली तो सुबह के 9 बज चुके थे। नेहा अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया। हैम दोनों निचे आये। मामी किचन में कम कर रही थी। मामा और नानाजी खेत में चले गए थे। हमें देख के मामी मुस्कुराई।


मामी:- उठ गयी तुम ....चलो जल्दी से चाय नास्ता कर लो।

मामी आज किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह चहक रही थी। हम दोनों को थोडा झिजक महसूस हो रही थी। कुछ भी हो उनके सामने जो चुदी थी।

मामी:- क्या हुआ?? जल्दी करो....

नेहा:- माँ वो दादाजी कहा है??

मामी:- क्यू मन नहीं भरा क्या रात भर चुदा के...और चुदना है?

मैं:- वो... वो...हम तो ऐसे ही पूछ रहे है...

मामी:-हा पता है मैं मजाक कर रही थी। लेकिन सच कहु मानना पड़ेगा तुम दोनों को...बड़ी हिम्मत है तुम लोगो में...और माधवी तुम तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली....

मामी का सहज बर्ताव देख के हम रिलैक्स हो गयी।

नेहा:- अरे माँ आप जानती नहीं हो इसे... इसने तो तो पापा को भी नही छोड़ा...पापा भी इसके जवानी पे लट्टू हुए पड़े है...

मामी:- ओह्ह्ह सच में???

मैं:- नहीं मामी ये कुछ भी बोलती है...

नेहा:- अच्छा? सच बोल तूने उनका लंड नही चूसा उस दिन??

मैं:- मेरा बता रही है...खुद का भी बोल...कैसे मेरे पापा से अपनी चूत मरवाई थी तूने....मैंने तो बस लंड ही चूसा.....मेरे मुह से निकल गया ।

मामी:- बापरे...तुम दोनों तो पक्की चुद्दकड़ बन गयी हो....
 
नेहा:-आप भी कम नही हो माँ...कल रात देखा हमने कैसे कूद कूद के चुदवा रही थी....

मामी:- ठीक है..ठीक है.....लेकिन ये बात हम चारो को अलवा किसी को पता नहीं चलनी चाहिए....वैसे भी आज नीरज आने वाला है पुणे से....और माधवी भी तो बस 4 *5 * दिन ही है यहाँ।

मैं:- ह्म्म्म हा ना...मन तो करता है जाऊ ही नहीं यहाँ से....

नेहा:- तो रुक जा...मजे करेंगे सब मिलके।

मैं:- काश ऐसा हों पाता। तू तो बहोत मजे करने वाली है यहाँ...

नेहा:- हा वो तो है...

मामी:- चलो बहोत बाते हो गयी....काम पे लगो....


हम दोनों चाय नाश्ता करके नहाने चली गयी। फिर दोपहर का खाना...तब तक नीरज आ गया था। उसकी एक्टिविटी और एक्सपीरियंस और बहोत सी बातें करते करते टाइम का पता ही नहीं चला....शाम को हम खेत में जाने लगे तो नीरज भी साथ में आ गया। हम जब देखा तो नानाजी पेड़ के निचे लेटे हुए थे।

मैं:- क्या हुआ नानाजी? तबियत ठीक नहीं है क्या?

नानाजी:- अरे। नहीं बस थोडा थक गया हु...

नेहा:- लेकिन हम तो घर पे घर पे ही थे....फिर कैसे थक गए??

मैने नेहा को आँख दिखाई और चुप रहने को कहा।

नानाजी:- वो बस अब उम्र हो गयी है...

नीरज:- तो आप खेत में क्यू आते हो? और पापा कहा है?

नानाजी:- वो दूसरे खेत में गए है...

मैं:- तो आप चलो हमारे साथ घर पे...

नानाजी:- हा ...आज तो आराम करना ही पड़ेगा।

नेहा:- हा हमें भी जरुरत है आराम की...

नीरज:- मुझे भी...

ये सुनते ही मैं और नेहा एकदूसरे की तरफ देखा तो हमारी हंसी छूट गयी।

नीरज को कुछ समझ नहीं आया की हम क्यू हंस रहे है।

हम सब घर आ गए। फिर ऐसे ही बाते करते हुए timepas कर रहे थे। रात को खाना खा के हम सब टीवी देखने लगे। फिर एक एक करके सब जाने लगे।

आज किसी का भी मूड नहीं था। सब की चूत की आग ठंडी हो चुकी थी। और आग भड़काने वाला लंड भी आज थोडा ठंडा ही था। हो भी क्यू ना....लगातार इतने। दिनों से चुदाई करना कोई मामूली बात तो है नहीं। और कल रात को तो तिन औरतो को ठंडा कर दिया था।
 
लेकिन सच कहु तो जैसे जैसे रात बढ़ रही थी मेरी चूत की खुजली भी बढ़ रही थी।

रात के लगभग 11 बज रहे थे।। मैं और नेहा टीवी देख रहे थे।

मैं:- नेहा यार...आज तो नानाजी पस्त लग। रहे है।

नेहा:- हा यार...

मैं:- चल ना देखते है...

नेहा:- आय हाय...मेरी जान का मन नहीं भरा अभी भी उम्म्म।

मैं:- यार अब चुदाई ऐसी चीज है जिससे कभी मन नही भरता।

नेहा:- हा यार...लेकिन यार सच में आज दादाजी को आराम करने देते है....कल फिर देखना कैसे हमारी चूत को पेलेंगे तबियत से स्स्स्स अह्ह्ह्ह।

मैं:-उम्म्म्म अह्ह्ह्ह हा यार मेरी चूत तो अभी से पानी पानी हो रही है सोचके।

नेहा:- मेरी भी स्स्स्स अह्ह्ह्ह।

मैं:- तो चल ना देखते है ... क्या पता नानाजी का भी मूड हो....

नेहा:- ठीक है चल...

हम नानाजी के रूम में गये...नानाजी सो चुके थे। नेहा उनके पास गयी और नानाजी को उठाया....

नानाजी:-ओह्ह्ह तुम लोग हो....

नेहा:- हा दादाजी....ये माधवी की चूत में बहोत खुजली हो रही है...

नानाजी:- ह्म्म्म्म ऐसा ही होता है जवान चूत को चस्का लग जाय लंड का एक बार तो बस...

मैं:- हा नानाजी स्स्स्स्स् लेकिन सिर्फ मैं नही इसे भी चाहिए लंड।

नानाजी:- ह्म्म्म्म देखो मैं समझ रहा हु लेकिन आज रहने दो...थोडा वीर्य जमा होने दो....आज मैंने तुम्हारी नानी की ख़ास दवाई खायी है....और जब वो दवाई खाते है तो 24 घंटे तक चुदाई नहीं कर सकते....आज की रात काट लो....कल जमके चोदुंगा मेरी जान....

नेहा:- ओह्ह्ह ठीक है....चलो फिर आप सो जाओ...हम भी जाते है...

ऐसा बोल के हम दोनों बाहर आ गए...

मैं:- यार कोन सी दवाई खायी होगी???

नेहा:- कोई भी ही...हमे तो बस उनका मुस्टंडा लंड चाहिए स्स्स्स्स् जो हमारी चूत की प्यास बुझाय...

मैं:- हा यार स्स्सस्स लेकिन आज का क्या?

नेहा:- चल ऊपर मैं ठंडा कर देती हु स्स्स

मैं:- अहह नही यार...तू और भड़का देगी आग को....

नेहा:- जैसा तुझे ठीक लगे...लेकिन चल अब सो जाते है...

मैं:- ठीक है....
 
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