hotaks444
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जाल पार्ट--52
गतान्क से आगे......
“उउन्नगज्गघह..!”,रंभा ने यूस्क
समीर को उसकी इस अदा पे हँसी आ गयी,”कैसी नौकरी चाहिए तुम्हे?”,रंभा ने उसके अंडे दबाए & उसके लंड को हिलाते हुए चूसा.
“कैसी भी..”,उसने लंड को निकाला & बाए गाल पे रगड़ा,”..आपकी सेक्रेटरी की नौकरी भी चलेगी.”,उसने लंड को मुँह मे भर ज़ोर से चूसा.समीर हंसा & उसे उठाया & उसकी नाइटी निकल दी.रंभा ने भी उसका कुर्ता निकाल फेंका.समीर ने उसे बाहो मे भरा & चूमते हुए कमरे के कोने मे रखी अपनी स्टडी टेबल पे बिठा दिया.रंभा ने अपनी टाँगे फैला दी & अपने पति की कमर को बाहो मे कसते हुए उसके लब से अपने लब लगा दिए.
“वो जगह तो खाली नही है.कोई & नौकरी चलेगी?”,समीर उसकी गर्दन चूम रहा था & उसके हाथ उसकी छातियों को गूँध रहे थे.
“कहा ना सर,कोई भी नौकरी चलेगी..हाईईईईईईईईईईई..!”,समीर ने आगे बढ़ते हुए उसकी गीली चूत मे लंड घुसा दिया था.अचानक हुए इस हमले से रंभा ने दर्द से आह भरी & पति की गंद मे नाख़ून धंसा दिए,”..जानू,1 बात बोलू?”
“बोलो ना!”,समीर उसकी कसी चूत मे लंड घुसा के मस्ती मे उसके हसीन चेहरे पे अपनी जीभ फिरा रहा था.उसके हाथ तो रंभा की मखमली पीठ & मांसल कमर को छ्चोड़ना ही नही चाह रहे थे.
“मुझे फिल्म प्रोडक्षन मे काम दे दो ना!बड़ा मन करता है मेरा फिल्मी सितारो को करीब से देखने का..आननह..ज़ालिम कहीं!..काटो नही..ऊव्वववव..मैं भी काटुगी..ये लो..!”,समीर उसके निपल्स को दांतो से हल्के-2 काट रहा था तो रंभा ने भी जवाब मे उसके कान पे काट लिया.कितने दिनो बाद वो समीर के साथ अपने रिश्ते के शुरुआती दिनो की तरह चुदाई कर रही थी.समीर ने उसकी छातियो को हाथो मे पकड़ा & उसके खुद को काटते दांतो को रोकने के लिए उसके होंठो को अपने होंठो से बंद कर दिया.थोड़ी देर तक पति-पत्नी 1 दूसरे को बाहो मे भरे,चूमते हुए बस लंड के चूत मे अंदर-बाहर हो चूत की दीवारो को रगड़ने का लुत्फ़ उठाते रहे.
“हाईईईईईईईईईईईईईईईई....समीईईईईईररर्र्र्र्र्र्ररर............हााआअन्न्नननननणणन्..बस थोड़ी दे और......ऊहह....!”,रंभा उसकी पीठ & गंद पे बेसबरे हाथ फिराती मस्ती मे बोल रही थी & समीर भी उसके रेशमी जिस्म पे हाथ चलते हुए उसके चेहरे से लेके सीने तक को अपने होंठो से महसूस करते हुए गहरे धक्के लगा रहा था,”..ओईईईईईईईईई..माआआआआआआ..!”,रंभा के होंठ चीखने के बाद गोल हो खामोश हो गये,उसके चेहरे पे दर्द का भाव था लेकिन उस मस्ताने,मीठे दर्द का जिसकी चाहत हर लड़की को होती है.उसका सर पीछे झुका हुआ था & जिस्म पति की बाहो मे झूल रहा था.उसके जिस्म मे खुशी की वोही लहर दौड़ रही थी जो चुदाई के अंजाम पे पहुचने पे पैदा होती है & जिसे लोग झड़ना कहते हैं.उसकी बाई चूची के उपर होंठ चिपकाए,उसके उपर अपनी चाहत का निशान बनाते हुए आहे भरता समीर भी झाड़ रहा था.
“मेरी जान,कल ही से फिल्म कंपनी जाय्न कर लो.”,वो बीवी के चेहरे को चूम रहा था.
“..उउम्म्म्म..& काम क्या होगा मेरा?”,रंभा को बहुत सुकून मिला था & वो भी समीर के जिस्म को सहला रही थी.समीर ने उसे वैसे ही गोद मे उठा लिया & बिस्तर पे ले आया.रंभा उठी & चादर खींच दोनो के जिस्मो पे डाली & उसके सीने से लग गयी.
“जो दिल मे आए वो करना मेरी जान..”,उसने उबासी ली & उसे खुद से थोड़ा और चिपकाते हुए आँखे बंद कर ली,”..आख़िर कंपनी की मालकिन हो तुम.”
“थॅंक्स,डार्लिंग!आइ लव यू!”,रंभा ने उसे चूम लिया.
“हूँ.”,समीर की आँखे बंद थी & वो नींद के आगोश मे चला गया था.
ट्रस्ट फिल्म्स के सीओ को समीर ने हिदायत दे दी थी कि उसकी बीवी को कंपनी मे जो भी मर्ज़ी हो काम करने दिया जाए,साथ ही उसने उसे भरोसा भी दिलाया था कि रंभा की वजह से उसके काम मे कोई अड़चन नही आएगी.सीओ भी जानता था कि राईस्ज़ादे की बीवी घर मे बैठी ऊब गयी होगी तो उसे ये नया शौक चर्राया है जोकि कुच्छ दिनो मे पूरा हो जाएगा.उसने भी रंभा की चापलूसी मे कोई कसर नही छ्चोड़ी लेकिन हफ़्ता बीतते वो समझ गया कि ये लड़की यहा वक़्त काटने के लिए नही आई थी.
रंभा उसके काम मे दखल नही डालती थी & वो बस फिल्म बनाने के तरीके को गौर से देख उसे सीखने की कोशिश कर रही थी.ट्रस्ट फिल्म्स इस वक़्त 3 फिल्म्स पे काम कर रहा था.पहली फिल्म बन चुकी थी & पोस्ट-प्रोडक्षन मे थी.रंभा ने 1 दिन जाके ये देखा कि डाइरेक्टर,एडिटर,बॅकग्राउंड म्यूज़िक डाइरेक्टर वग़ैरह के हाथो मे पूरी शूट की हुई फिल्म किस तरह उस रूप मे आती है जिसे हम सिनिमा हॉल मे देखते हैं.दूसरी फिल्म की शूटिंग वही ट्रस्ट स्टूडियोस मे ही चल रही थी.वाहा जाने पे रंभा ने देखा की आख़िरकार फिल्म शूट कैसे होती है.
वही वो कामया से टकराई.कामया ने तो उस से गर्मजोशी से मुलाकात की लेकिन रंभा ने उस से कोई खास बातचीत नही की.इसी चिड़िया के पर काटने के इरादे से तो वो यहा आई थी.उसने डाइरेक्टर से फिल्म के बारे मे काफ़ी तफ़सील से बात की & उसके पैने दिमाग़ ने भाँप लिया कि अगर बस थोड़ी सी फेर बदल की जाए तो साइड हेरोयिन का रोल,जोकि कामया से ज़्यादा अच्छी अदाकारा थी,थोड़ा सा बढ़ाया जाए तो 1 तरफ कामया का रोल थोड़ा घटेगा भी & फिल्म मे थोड़ा निखार भी आ जाएगा.वो जानती थी कि कामया 1 स्टार है जिसके करोड़ो चाहनेवाले हैं & ट्रस्ट फिल्म्स अपने मुनाफ़े के लिए उसके स्टारडम को भुनाने की कोशिश तो करेगी ही लेकिन अब नही.बस कुच्छ ही दिनो की बात थी उसके बाद रंभा कामया को उसके पति को उस से बेरूख़् करने की सज़ा ज़रूर देगी.
तीसरी फिल्म की स्क्रिप्ट लगभग तैय्यार थी & डाइरेक्टर अब उसकी शूटिंग के लिए जगहो की तलाश शुरू करने वाला था रंभा ने खुद को इसी फिल्म से जोड़ने का फ़ैसला किया.वो 1 पूरी फिल्म को काग़ज़ के सफॉ पे 1 कहानी के होने से लेके उसके फिल्मी पर्दे पे रिलीस करवाने तक के सारे काम-काज का हिस्सा बन उसे अच्छे से समझ लेना चाहती थी.उसने कंपनी के उस आदमी से बात की जो फिल्म का एग्ज़िक्युटिव प्रोड्यूसर था & उसने उसे समझाया कि फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से लोकेशन कैसे ढूँढनी है.
डाइरेक्टर,राइटर,कॅमरमन,आक्टर्स सब की राइ के साथ कुच्छ जगहो को चुना जाता था शूटिंग के लिए.रंभा ने सब से पहले इसी काम का हिस्सा बनना तय किया.
“हेलो,मैं देवेन बोल रहा हू.”
“हाई!कैसे हैं आप?”
“क्या बात है?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?”
“हां-2.क्यू?”
“नही,तुम्हारी आवाज़ से लगा जैसे तुम नसाज़ हो.”,रंभा समीर के साथ पिच्छली रात 1 पार्टी मे गयी थी.वाहा प्रणव ने उसे 1 कोने मे खींच लिया & उसे चूमने लगा.तभी रंभा के कानो मे 1 जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी-कामया की आवाज़.प्रणव उसके क्लेवगे को चूमने मे मशगूल था & उसने वो आवाज़ नही सुनी थी.रंभा ने उसे फुसला के वापस पार्टी मे भेजा & खुद उस आवाज़ की ओर चल पड़ी.
पार्टी 1 होटेल के बॅंक्वेट हॉल मे थी & रंभा उस से डोर 1 गलियारे मे प्रणव के साथ खड़ी थी.गलियारा आगे जाके बाई तरफ घूम रहा था & आवाज़ उसी तरफ से आ रही थी.प्रणव को वाहा से भेज उस गलियारे के मोड़ पे गयी & छुप के देखा & उसे कामया के साथ समीर बात करता दिखा.
“..समझने की कोशिश करो,डार्लिंग अभी हम शादी नही कर सकते.डॅड की मौत से पहले ही कंपनी के स्टॉक्स पे असर पड़ा.अब मानपुर वाला टेंडर अभी भरा है.ऐसे मे उसे तलाक़ दे तुमसे शादी करूँगा तो 1 स्कॅंडल तो होगा ही & ये बात ग्रूप के लिए & नुकसानदेह होगी.फिर इतनी जल्दी तलाक़ मिलेगा भी नही.”
“समीर,तुम मुझे धोखा देने की कोशिश कर रहे हो ना?..”,कामया रुआंसी थी,”..बस तुम्हारा मतलब निकल गया &..”,कामया सुबकने लगी.
“बिल्कुल नही,जान.आइ लव यू!”,समीर उसे बाहो मे भर रहा था,”..मैं मना नही कर रहा तुम्हे बस इंतेज़ार करने को कह रहा हू.”
“तो फिर तुमने उसे कंपनी की मालकिन क्यू बना दिया है?”,कामया ने उसके हाथ झटक दिए.
“मालकिन कहा है वो!घर मे बैठी ऊब रही थी तो उसे वाहा दिल बहलाने को भेज दिया,मेरी जान.कुच्छ दिन इंतेज़ार करो.उस वक़्त तक तुम्हे उसे झेलना पड़ेगा & उसके लिए मैं तुमसे माफी चाहता हू.मानपुर वाला टेंडर तो हमे ही मिलना है पर अभी वो मिला नही है.1 बार वो मिल जाए तो फिर ग्रूप की पोज़िशन & मज़बूत हो जाएगी,फिर रंभा को चलता करूँगा & तुम बनोगी म्र्स.मेहरा.”
“प्लीज़ समीर,अपने वादे निभाना वरना मर जाऊंगी मैं!”,दोनो प्रेमी 1 दूसरे के आगोश मे थे.रंभा का दिल बहुत ज़ोरो से धड़कने लगा था..आख़िर क्यू?..क्यू शादी की थी समीर ने उस से?..& ये कामया से प्यार उसे हुआ कब?..पंचमहल मे कितने खुश थे दोनो..ये कामया आख़िर आई कब उसके पति की ज़िंदगी मे?
“चलो,पार्टी मे चलें.कही कोई हम मे से किसी 1 को ढूंढता हुआ यहा ना आ पहुँचे.”,रंभा ने उनकी बात सुनी तो तेज़ी से वाहा से निकल गयी.इसी बात से वो उदास और परेशान थी & इन्ही भाव को देवेन ने उसकी आवाज़ मे भाँप लिया था.
“जी,बस कल रात सोने मे देर हो गयी थी.नींद पूरी ना होने की वजह से थोड़ी सुस्ती है.”
“ओह,अच्छा मैने ये बताने को फोन किया था कि दयाल के बारे मे 1 सुराग तो मिला है मगर उसके लिए क्लेवर्त के पास के किसी गाँव मे जाना पड़ेगा.
“ओह,तो आप जा रहे हैं वाहा?”
“हां.”
“हूँ.मैं कर दू वाहा जाने का इंतेज़ाम या 1 मिनिट..मुझे भी उस तरफ तो जाना है.”
“अच्छा,क्यू?”
“वो 1 फिल्म के सिलसिले मे.”
“फिल्म?!”
“हां,आप यहा आके मुझसे मिलिए तो सब बताती हू.”
“ठीक है.”
टोयोटा फोरटुनेर उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ते पे उच्छलती-कूड़ती बढ़ी जा रही थी.उस बड़ी,भारी गाड़ी को उस टूटे रास्ते पे संभाल के मगर तेज़ी से चलाने मे रंभा को काफ़ी मज़ा आ रहा था.साथ की सीट पे बैठे देवेन ने उसे मुस्कुराते हुए देखा..अपनी मा की झलक थी इसमे लेकिन उस से कितनी अलग थी..कहा वो चुप-चाप रहने वाली सीधी-सादी लड़की & कहा ये बेबाक,भरोसे से भरी हुई लड़की!
देवेन गोपालपुर के पास की उस जैल मे गया था जहा दयाल क़ैदियो को चोरी से समान बेचा करता था.उस जैल से उसने उस वक़्त के जैल के अफसरो के नाम निकलवाए थे.उसकी किस्मत अच्छी थी कि उनमे से रिटाइर्ड अफ़सर वही रहता था.जब देवेन उस से मिला और दयाल के बारे मे पुछा तो उस भले आदमी ने देवेन को उन 4 लोगो के बारे मे बताया जिनके साथ मिल के वो ये काम किया करता था.देवेन ने उन चारो की तलाश शुरू कर दी लेकिन पहली 2 कोशिशो मे वो नाकाम रहा.
उसकी फेहरिस्त मे पहला नाम जिस शख्स का था वो मर चुका था & दूसरा अपने बेटे के साथ विदेश चला गया था.अब वो रंभा के साथ फेहरिस्त के तीसरे शख्स की तलाश मे क्लेवर्त के पास के 1 गाँव सनार जा रहा था.उसे पता चला था कि बालम सिंग नाम का वो शख्स वाहा मशरूम की खेती करता था.
रंभा ट्रस्ट फिल्म्स की अगली फिल्म की लोकेशन स्काउटिंग के लिए क्लेवर्त के आस-पास के इलाक़े का मुआयना करने आई थी.समीर डेवाले मे ही था & रंभा ने पता कर लिया था कि कामया शूटिंग के लिए स्विट्ज़र्लॅंड गयी है & 15 दिनो से पहले वापस नही आनेवाली.उसे अपने पति का उस से मिलने का कोई डर नही था & इसी का फ़ायदा उठाके वो अपनी मा & उसके प्रेमी को धोखा देने वाले शख्स का पता लगाने के लिए देवेन के साथ निकल पड़ी थी.
लोकेशन स्काउटिंग के लिए फिल्म के राइटर के साथ 1 असिस्टेंट डाइरेक्टर,असिस्टेंट कॅमरमन & वो आए थे.डाइरेक्टर कॅमरमन & 2 & लोगो के साथ कोई & जगह देखने गया था.ये रंभा का ही सुझाव था कि डाइरेक्टर अपनी पसंदीदा जगह देख आए & वो शॉर्टलिस्ट की बाकी जगहो को देख उसे रिपोर्ट दे देगी & फिर डाइरेक्टर फ़ैसला ले लेगा कि उसे कहा शूटिंग करनी थी.इस तरह से वक़्त की बचत हो रही थी.रंभा ने कल ही काम ख़त्म किया था & अपनी रिपोर्ट लिख के डाइरेक्टर के असिस्टेंट को दे दी थी इस हिदायत के साथ को उसे अपने बॉस को दे दे.उसके बाद वो देवेन के साथ निकल पड़ी थी.
"शाम गहरा रही है..",देवेन ने खिड़की से बाहर आसमान को देखा,"..बेहतर होगा कि आज की रात यही किसी गाँव मे गुज़ार लें."
"हूँ..लेकिन यहा रहने की जगह कैसे मिलेगी?",रंभा ने देखा दूर कुच्छ बत्तियाँ टिमटिमा रही थी & उसने कार उधर ही बढ़ा दी.
"कुच्छ ना कुच्छ तो मिल ही जाएगा.",थोड़ी देर बाद कार 1 छ्होटे से गाँव मे थी.रंभा ने कार गाँव के बाज़ार मे लगाई जहा सिर्फ़ 4 दुकाने थी.1 किराने की,1 हलवाई की,1 लोहार की & 1 कोयले की.इस वक़्त केवल किराने की & हलवाई की दुकाने खुली थी लेकिन लग रहा था कि वो भी बस बंद करने ही वाले हैं.
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे......
“उउन्नगज्गघह..!”,रंभा ने यूस्क
समीर को उसकी इस अदा पे हँसी आ गयी,”कैसी नौकरी चाहिए तुम्हे?”,रंभा ने उसके अंडे दबाए & उसके लंड को हिलाते हुए चूसा.
“कैसी भी..”,उसने लंड को निकाला & बाए गाल पे रगड़ा,”..आपकी सेक्रेटरी की नौकरी भी चलेगी.”,उसने लंड को मुँह मे भर ज़ोर से चूसा.समीर हंसा & उसे उठाया & उसकी नाइटी निकल दी.रंभा ने भी उसका कुर्ता निकाल फेंका.समीर ने उसे बाहो मे भरा & चूमते हुए कमरे के कोने मे रखी अपनी स्टडी टेबल पे बिठा दिया.रंभा ने अपनी टाँगे फैला दी & अपने पति की कमर को बाहो मे कसते हुए उसके लब से अपने लब लगा दिए.
“वो जगह तो खाली नही है.कोई & नौकरी चलेगी?”,समीर उसकी गर्दन चूम रहा था & उसके हाथ उसकी छातियों को गूँध रहे थे.
“कहा ना सर,कोई भी नौकरी चलेगी..हाईईईईईईईईईईई..!”,समीर ने आगे बढ़ते हुए उसकी गीली चूत मे लंड घुसा दिया था.अचानक हुए इस हमले से रंभा ने दर्द से आह भरी & पति की गंद मे नाख़ून धंसा दिए,”..जानू,1 बात बोलू?”
“बोलो ना!”,समीर उसकी कसी चूत मे लंड घुसा के मस्ती मे उसके हसीन चेहरे पे अपनी जीभ फिरा रहा था.उसके हाथ तो रंभा की मखमली पीठ & मांसल कमर को छ्चोड़ना ही नही चाह रहे थे.
“मुझे फिल्म प्रोडक्षन मे काम दे दो ना!बड़ा मन करता है मेरा फिल्मी सितारो को करीब से देखने का..आननह..ज़ालिम कहीं!..काटो नही..ऊव्वववव..मैं भी काटुगी..ये लो..!”,समीर उसके निपल्स को दांतो से हल्के-2 काट रहा था तो रंभा ने भी जवाब मे उसके कान पे काट लिया.कितने दिनो बाद वो समीर के साथ अपने रिश्ते के शुरुआती दिनो की तरह चुदाई कर रही थी.समीर ने उसकी छातियो को हाथो मे पकड़ा & उसके खुद को काटते दांतो को रोकने के लिए उसके होंठो को अपने होंठो से बंद कर दिया.थोड़ी देर तक पति-पत्नी 1 दूसरे को बाहो मे भरे,चूमते हुए बस लंड के चूत मे अंदर-बाहर हो चूत की दीवारो को रगड़ने का लुत्फ़ उठाते रहे.
“हाईईईईईईईईईईईईईईईई....समीईईईईईररर्र्र्र्र्र्ररर............हााआअन्न्नननननणणन्..बस थोड़ी दे और......ऊहह....!”,रंभा उसकी पीठ & गंद पे बेसबरे हाथ फिराती मस्ती मे बोल रही थी & समीर भी उसके रेशमी जिस्म पे हाथ चलते हुए उसके चेहरे से लेके सीने तक को अपने होंठो से महसूस करते हुए गहरे धक्के लगा रहा था,”..ओईईईईईईईईई..माआआआआआआ..!”,रंभा के होंठ चीखने के बाद गोल हो खामोश हो गये,उसके चेहरे पे दर्द का भाव था लेकिन उस मस्ताने,मीठे दर्द का जिसकी चाहत हर लड़की को होती है.उसका सर पीछे झुका हुआ था & जिस्म पति की बाहो मे झूल रहा था.उसके जिस्म मे खुशी की वोही लहर दौड़ रही थी जो चुदाई के अंजाम पे पहुचने पे पैदा होती है & जिसे लोग झड़ना कहते हैं.उसकी बाई चूची के उपर होंठ चिपकाए,उसके उपर अपनी चाहत का निशान बनाते हुए आहे भरता समीर भी झाड़ रहा था.
“मेरी जान,कल ही से फिल्म कंपनी जाय्न कर लो.”,वो बीवी के चेहरे को चूम रहा था.
“..उउम्म्म्म..& काम क्या होगा मेरा?”,रंभा को बहुत सुकून मिला था & वो भी समीर के जिस्म को सहला रही थी.समीर ने उसे वैसे ही गोद मे उठा लिया & बिस्तर पे ले आया.रंभा उठी & चादर खींच दोनो के जिस्मो पे डाली & उसके सीने से लग गयी.
“जो दिल मे आए वो करना मेरी जान..”,उसने उबासी ली & उसे खुद से थोड़ा और चिपकाते हुए आँखे बंद कर ली,”..आख़िर कंपनी की मालकिन हो तुम.”
“थॅंक्स,डार्लिंग!आइ लव यू!”,रंभा ने उसे चूम लिया.
“हूँ.”,समीर की आँखे बंद थी & वो नींद के आगोश मे चला गया था.
ट्रस्ट फिल्म्स के सीओ को समीर ने हिदायत दे दी थी कि उसकी बीवी को कंपनी मे जो भी मर्ज़ी हो काम करने दिया जाए,साथ ही उसने उसे भरोसा भी दिलाया था कि रंभा की वजह से उसके काम मे कोई अड़चन नही आएगी.सीओ भी जानता था कि राईस्ज़ादे की बीवी घर मे बैठी ऊब गयी होगी तो उसे ये नया शौक चर्राया है जोकि कुच्छ दिनो मे पूरा हो जाएगा.उसने भी रंभा की चापलूसी मे कोई कसर नही छ्चोड़ी लेकिन हफ़्ता बीतते वो समझ गया कि ये लड़की यहा वक़्त काटने के लिए नही आई थी.
रंभा उसके काम मे दखल नही डालती थी & वो बस फिल्म बनाने के तरीके को गौर से देख उसे सीखने की कोशिश कर रही थी.ट्रस्ट फिल्म्स इस वक़्त 3 फिल्म्स पे काम कर रहा था.पहली फिल्म बन चुकी थी & पोस्ट-प्रोडक्षन मे थी.रंभा ने 1 दिन जाके ये देखा कि डाइरेक्टर,एडिटर,बॅकग्राउंड म्यूज़िक डाइरेक्टर वग़ैरह के हाथो मे पूरी शूट की हुई फिल्म किस तरह उस रूप मे आती है जिसे हम सिनिमा हॉल मे देखते हैं.दूसरी फिल्म की शूटिंग वही ट्रस्ट स्टूडियोस मे ही चल रही थी.वाहा जाने पे रंभा ने देखा की आख़िरकार फिल्म शूट कैसे होती है.
वही वो कामया से टकराई.कामया ने तो उस से गर्मजोशी से मुलाकात की लेकिन रंभा ने उस से कोई खास बातचीत नही की.इसी चिड़िया के पर काटने के इरादे से तो वो यहा आई थी.उसने डाइरेक्टर से फिल्म के बारे मे काफ़ी तफ़सील से बात की & उसके पैने दिमाग़ ने भाँप लिया कि अगर बस थोड़ी सी फेर बदल की जाए तो साइड हेरोयिन का रोल,जोकि कामया से ज़्यादा अच्छी अदाकारा थी,थोड़ा सा बढ़ाया जाए तो 1 तरफ कामया का रोल थोड़ा घटेगा भी & फिल्म मे थोड़ा निखार भी आ जाएगा.वो जानती थी कि कामया 1 स्टार है जिसके करोड़ो चाहनेवाले हैं & ट्रस्ट फिल्म्स अपने मुनाफ़े के लिए उसके स्टारडम को भुनाने की कोशिश तो करेगी ही लेकिन अब नही.बस कुच्छ ही दिनो की बात थी उसके बाद रंभा कामया को उसके पति को उस से बेरूख़् करने की सज़ा ज़रूर देगी.
तीसरी फिल्म की स्क्रिप्ट लगभग तैय्यार थी & डाइरेक्टर अब उसकी शूटिंग के लिए जगहो की तलाश शुरू करने वाला था रंभा ने खुद को इसी फिल्म से जोड़ने का फ़ैसला किया.वो 1 पूरी फिल्म को काग़ज़ के सफॉ पे 1 कहानी के होने से लेके उसके फिल्मी पर्दे पे रिलीस करवाने तक के सारे काम-काज का हिस्सा बन उसे अच्छे से समझ लेना चाहती थी.उसने कंपनी के उस आदमी से बात की जो फिल्म का एग्ज़िक्युटिव प्रोड्यूसर था & उसने उसे समझाया कि फिल्म की स्क्रिप्ट के हिसाब से लोकेशन कैसे ढूँढनी है.
डाइरेक्टर,राइटर,कॅमरमन,आक्टर्स सब की राइ के साथ कुच्छ जगहो को चुना जाता था शूटिंग के लिए.रंभा ने सब से पहले इसी काम का हिस्सा बनना तय किया.
“हेलो,मैं देवेन बोल रहा हू.”
“हाई!कैसे हैं आप?”
“क्या बात है?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?”
“हां-2.क्यू?”
“नही,तुम्हारी आवाज़ से लगा जैसे तुम नसाज़ हो.”,रंभा समीर के साथ पिच्छली रात 1 पार्टी मे गयी थी.वाहा प्रणव ने उसे 1 कोने मे खींच लिया & उसे चूमने लगा.तभी रंभा के कानो मे 1 जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी-कामया की आवाज़.प्रणव उसके क्लेवगे को चूमने मे मशगूल था & उसने वो आवाज़ नही सुनी थी.रंभा ने उसे फुसला के वापस पार्टी मे भेजा & खुद उस आवाज़ की ओर चल पड़ी.
पार्टी 1 होटेल के बॅंक्वेट हॉल मे थी & रंभा उस से डोर 1 गलियारे मे प्रणव के साथ खड़ी थी.गलियारा आगे जाके बाई तरफ घूम रहा था & आवाज़ उसी तरफ से आ रही थी.प्रणव को वाहा से भेज उस गलियारे के मोड़ पे गयी & छुप के देखा & उसे कामया के साथ समीर बात करता दिखा.
“..समझने की कोशिश करो,डार्लिंग अभी हम शादी नही कर सकते.डॅड की मौत से पहले ही कंपनी के स्टॉक्स पे असर पड़ा.अब मानपुर वाला टेंडर अभी भरा है.ऐसे मे उसे तलाक़ दे तुमसे शादी करूँगा तो 1 स्कॅंडल तो होगा ही & ये बात ग्रूप के लिए & नुकसानदेह होगी.फिर इतनी जल्दी तलाक़ मिलेगा भी नही.”
“समीर,तुम मुझे धोखा देने की कोशिश कर रहे हो ना?..”,कामया रुआंसी थी,”..बस तुम्हारा मतलब निकल गया &..”,कामया सुबकने लगी.
“बिल्कुल नही,जान.आइ लव यू!”,समीर उसे बाहो मे भर रहा था,”..मैं मना नही कर रहा तुम्हे बस इंतेज़ार करने को कह रहा हू.”
“तो फिर तुमने उसे कंपनी की मालकिन क्यू बना दिया है?”,कामया ने उसके हाथ झटक दिए.
“मालकिन कहा है वो!घर मे बैठी ऊब रही थी तो उसे वाहा दिल बहलाने को भेज दिया,मेरी जान.कुच्छ दिन इंतेज़ार करो.उस वक़्त तक तुम्हे उसे झेलना पड़ेगा & उसके लिए मैं तुमसे माफी चाहता हू.मानपुर वाला टेंडर तो हमे ही मिलना है पर अभी वो मिला नही है.1 बार वो मिल जाए तो फिर ग्रूप की पोज़िशन & मज़बूत हो जाएगी,फिर रंभा को चलता करूँगा & तुम बनोगी म्र्स.मेहरा.”
“प्लीज़ समीर,अपने वादे निभाना वरना मर जाऊंगी मैं!”,दोनो प्रेमी 1 दूसरे के आगोश मे थे.रंभा का दिल बहुत ज़ोरो से धड़कने लगा था..आख़िर क्यू?..क्यू शादी की थी समीर ने उस से?..& ये कामया से प्यार उसे हुआ कब?..पंचमहल मे कितने खुश थे दोनो..ये कामया आख़िर आई कब उसके पति की ज़िंदगी मे?
“चलो,पार्टी मे चलें.कही कोई हम मे से किसी 1 को ढूंढता हुआ यहा ना आ पहुँचे.”,रंभा ने उनकी बात सुनी तो तेज़ी से वाहा से निकल गयी.इसी बात से वो उदास और परेशान थी & इन्ही भाव को देवेन ने उसकी आवाज़ मे भाँप लिया था.
“जी,बस कल रात सोने मे देर हो गयी थी.नींद पूरी ना होने की वजह से थोड़ी सुस्ती है.”
“ओह,अच्छा मैने ये बताने को फोन किया था कि दयाल के बारे मे 1 सुराग तो मिला है मगर उसके लिए क्लेवर्त के पास के किसी गाँव मे जाना पड़ेगा.
“ओह,तो आप जा रहे हैं वाहा?”
“हां.”
“हूँ.मैं कर दू वाहा जाने का इंतेज़ाम या 1 मिनिट..मुझे भी उस तरफ तो जाना है.”
“अच्छा,क्यू?”
“वो 1 फिल्म के सिलसिले मे.”
“फिल्म?!”
“हां,आप यहा आके मुझसे मिलिए तो सब बताती हू.”
“ठीक है.”
टोयोटा फोरटुनेर उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्ते पे उच्छलती-कूड़ती बढ़ी जा रही थी.उस बड़ी,भारी गाड़ी को उस टूटे रास्ते पे संभाल के मगर तेज़ी से चलाने मे रंभा को काफ़ी मज़ा आ रहा था.साथ की सीट पे बैठे देवेन ने उसे मुस्कुराते हुए देखा..अपनी मा की झलक थी इसमे लेकिन उस से कितनी अलग थी..कहा वो चुप-चाप रहने वाली सीधी-सादी लड़की & कहा ये बेबाक,भरोसे से भरी हुई लड़की!
देवेन गोपालपुर के पास की उस जैल मे गया था जहा दयाल क़ैदियो को चोरी से समान बेचा करता था.उस जैल से उसने उस वक़्त के जैल के अफसरो के नाम निकलवाए थे.उसकी किस्मत अच्छी थी कि उनमे से रिटाइर्ड अफ़सर वही रहता था.जब देवेन उस से मिला और दयाल के बारे मे पुछा तो उस भले आदमी ने देवेन को उन 4 लोगो के बारे मे बताया जिनके साथ मिल के वो ये काम किया करता था.देवेन ने उन चारो की तलाश शुरू कर दी लेकिन पहली 2 कोशिशो मे वो नाकाम रहा.
उसकी फेहरिस्त मे पहला नाम जिस शख्स का था वो मर चुका था & दूसरा अपने बेटे के साथ विदेश चला गया था.अब वो रंभा के साथ फेहरिस्त के तीसरे शख्स की तलाश मे क्लेवर्त के पास के 1 गाँव सनार जा रहा था.उसे पता चला था कि बालम सिंग नाम का वो शख्स वाहा मशरूम की खेती करता था.
रंभा ट्रस्ट फिल्म्स की अगली फिल्म की लोकेशन स्काउटिंग के लिए क्लेवर्त के आस-पास के इलाक़े का मुआयना करने आई थी.समीर डेवाले मे ही था & रंभा ने पता कर लिया था कि कामया शूटिंग के लिए स्विट्ज़र्लॅंड गयी है & 15 दिनो से पहले वापस नही आनेवाली.उसे अपने पति का उस से मिलने का कोई डर नही था & इसी का फ़ायदा उठाके वो अपनी मा & उसके प्रेमी को धोखा देने वाले शख्स का पता लगाने के लिए देवेन के साथ निकल पड़ी थी.
लोकेशन स्काउटिंग के लिए फिल्म के राइटर के साथ 1 असिस्टेंट डाइरेक्टर,असिस्टेंट कॅमरमन & वो आए थे.डाइरेक्टर कॅमरमन & 2 & लोगो के साथ कोई & जगह देखने गया था.ये रंभा का ही सुझाव था कि डाइरेक्टर अपनी पसंदीदा जगह देख आए & वो शॉर्टलिस्ट की बाकी जगहो को देख उसे रिपोर्ट दे देगी & फिर डाइरेक्टर फ़ैसला ले लेगा कि उसे कहा शूटिंग करनी थी.इस तरह से वक़्त की बचत हो रही थी.रंभा ने कल ही काम ख़त्म किया था & अपनी रिपोर्ट लिख के डाइरेक्टर के असिस्टेंट को दे दी थी इस हिदायत के साथ को उसे अपने बॉस को दे दे.उसके बाद वो देवेन के साथ निकल पड़ी थी.
"शाम गहरा रही है..",देवेन ने खिड़की से बाहर आसमान को देखा,"..बेहतर होगा कि आज की रात यही किसी गाँव मे गुज़ार लें."
"हूँ..लेकिन यहा रहने की जगह कैसे मिलेगी?",रंभा ने देखा दूर कुच्छ बत्तियाँ टिमटिमा रही थी & उसने कार उधर ही बढ़ा दी.
"कुच्छ ना कुच्छ तो मिल ही जाएगा.",थोड़ी देर बाद कार 1 छ्होटे से गाँव मे थी.रंभा ने कार गाँव के बाज़ार मे लगाई जहा सिर्फ़ 4 दुकाने थी.1 किराने की,1 हलवाई की,1 लोहार की & 1 कोयले की.इस वक़्त केवल किराने की & हलवाई की दुकाने खुली थी लेकिन लग रहा था कि वो भी बस बंद करने ही वाले हैं.
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क्रमशः.......